इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 संस्कृत के पाठ सात ‘नीतिश्लोका: (Niti Sloka VVI Subjective Questions)’ के महत्वपूर्ण विषयनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर को पढ़ेंगे।
Class 10th Sanskrit Chapter 7 Niti Sloka VVI Subjective Questions नीतिश्लोका: (नीति संबंधी श्लोक)
लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर (20-30 शब्दों में) ____दो अंक स्तरी
1. नीतिश्लोकाः पाठ के आधार पर पण्डित के लक्षण बताएँ ? (2018A)
उत्तर- जिसके कर्म को शर्दी, गर्मी, भय, भावुकता, समपन्नता अथवा विपन्नता बाधा नहीं डालता है, उसे ही पंडित कहा गया है तथा सभी जीवों के आत्मा के रहस्य को जानने वाले, सभी कार्यों को जानने वाला और मनुष्यों के उपाय को जानने वाले व्यक्ति को पंडित कहा जाता है।
2. अपनी प्रगति चाहनेवाले को क्या करना चाहिए?(2018A)
उत्तर- अपनी प्रगति चाहनेवाले को निद्रा, तंद्रा, भय, क्रोध, आलस और देर से काम करने की आदत को त्याग देना चाहिए।
3. नीतिश्लोकाः पाठ के आधार पर मुर्ख का लक्षण लिखें। (2018C)
उत्तर- ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ में महात्मा विदुर ने मूर्ख मनुष्य के तीन लक्षण बतलाए हैं। ऐसा व्यक्ति जो बिना बुलाए आता है तथा बिना पूछे ही अधिक बोलता है और अविश्वासी पर विश्वास करता है।
4. ‘नीतिश्लोकाः‘ पाठ में नरक के कितने द्वार हैं? उसका नाम लिखें।
उत्तर- ‘नीतिश्लोका:’ पाठ के आधार पर नरक के तीन द्वार हैं – काम, क्रोध और लोभ।
5. नरकस्य त्रिविधं द्वारं कस्य नाशनम् ? हिन्दी में उत्तर दें। (2014A)
उत्तर- नरक जाने के तीन रास्ते हैं- काम, क्रोध तथा लोभ। इनसे आत्मा नष्ट हो जाती है। इन तीनों को छोड़ देना चाहिए।
6. नीतिश्लोकाः पाठ के अनुसार कौन-सा तीन वस्तु त्याग देना चाहिए? (2013A)
उत्तर- नीतिश्लोक पाठ के अनुसार नरक के तीन द्वार काम, क्रोध और लोभ हैं। इसे त्याग देना चाहिए।
7. नीच मनुष्य कौन है? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।
उत्तर- जो बिना बुलाये हुए प्रवेश करता है, बिना पूछे हुए बहुत बोलता है, अविश्वासी पर विश्वास करता है ऐसा पुरुष ही नीच श्रेणी में आता है।
8. ‘नीतिश्लोकाः‘ पाठ के आधार पर स्त्रियों की क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर- स्त्रियाँ घर की लक्ष्मी हैं। ये पूजनीय तथा महाभाग्यशाली हैं। ये महापुरूषों को जन्म देनेवाली होती है। इसलिए स्त्रियाँ विशेष रूप से रक्षा करने योग्य होती हैं।
9. नीतिश्लोकाः के आधार पर कैसा बोलनेवाले व्यक्ति कठिन से मिलते हैं?
उत्तर- नीतिश्लोकाः पाठ में कहा गया है कि सत्य (कल्याणकारी) लेकिन अप्रिय बातों को कहनेवाले और सुननेवाले व्यक्ति इस संसार में बड़ी कठिनाई से मिलते हैं।
10. ‘नीतिश्लोकाः‘ पाठ के आधार पर नराधम के लक्षण लिखें।(2012C)
उत्तर- बिना बुलाए हुए प्रवेश करता है, बिना पूछे हुए बहुत बोलता है, अविश्वसनीय व्यक्ति पर विश्वास करता है। ये नराधम के लक्षण हैं। अर्थात् मनुष्यों में नीच होते हैं।
11. ‘नीतिश्लोकाः‘ पाठ के आधार पर सुलभ और दुर्लभ कौन है?
उत्तर- सदा प्रिय बोलनेवाले, अर्थात जो अच्छा लगे वही बोलनेवाले मनुष्य सुलभ हैं। अप्रिय ही सही उचित वचन बोलने वाले तथा सुननेवाले मनुष्य दोनों ही प्रायः दुर्लभ हैं।
12. ‘नीतिश्लोकाः‘ पाठ में मुढचेतानराधम किसे कहा गया है?(2011A, 2014A)
उत्तर- जिन व्यक्तियों का स्वाभिमान मरा हुआ होता है, जो बिना बुलाए किसी के यहाँ जाता है, बिना कुछ पूछे बक-बक करता है। जो अविश्वसनीय पर विश्वास करता है ऐसा मूर्ख हृदयवाला मनुष्यों में नीच होता है। अर्थात् ऐसे ही व्यक्ति को ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ में मूढचेतानराधम कहा गया है।
13. ‘नीतिश्लोकाः‘ पाठ से हमें क्या संदेश मिलता है?
उत्तर- ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ महात्मा विदुर-रचित ‘विदुर-नीति’ से उद्धृत है। इसमें महाभारत से लिया गया चित्त को शांत करनेवाला आध्यात्मिक श्लोक हैं। इन श्लोकों में जीवन के यथार्थ पक्ष का वर्णन किया गया है। इससे संदेश मिलता है कि सत्य ही सर्वश्रेष्ठ है। सत्य मार्ग से कभी नहीं विचलित नहीं होना चाहिए।
14. ‘नीतिश्लोकाः पाठ के आधार पर मनुष्य के षड् दोषों का हिन्दी में वर्णन करें।
अथवा, अपना विकास चाहने वाले को किन-किन दोषों को त्याग देना चाहिए?
अथवा, छ: प्रकार के दोष कौन हैं? पठित पाठ के आधार पर वर्णन करें। (2016A, 2012A, 2014C)
उत्तर- मनुष्य के छ: प्रकार के दोष निद्रा, तन्द्रा, भय, क्रोध, आलस्य तथा दीर्घसूत्रता ऐश्वर्य (विकास) प्राप्ति में बाधक बननेवाले होते हैं। जो पुरुष ऐश्वर्य चाहते हैं। उन्हें इन दोषों को त्याग देना चाहिए ।
15. ‘नीतिश्लोकाः‘ पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर- विदुर-नीति से नीतिश्लोकाः पाठ उद्धत है। इसमें महात्मा विदुर ने मन को शांत करने के लिए कुछ श्लोक लिखे हैं। इन श्लोकों से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सांसारिक सुख थोड़ी देर के लिए है, लेकिन आध्यात्मिक सुख स्थायी है। सुंदर आचरण से हम बुरे आचरण को समाप्त कर सकते हैं। काम, क्रोध, लोभ और मोह को नष्ट करके नरक जाने से से बच सकते हैं।
16. नीतिश्लोकाः पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।
उत्तर- इस पाठ में व्यासरचित महाभारत के उद्योग पर्व के अंतर्गत विदुरनीति से संकलित दस श्लोक हैं। महाभारत युद्ध के आरंभ में धृतराष्ट्र ने अपनी चित्तशान्ति के लिए विदुर से परामर्श किया था। विदुर ने उन्हें स्वार्थपरक नीति त्याग कर राजनीति के शाश्वत(जो कभी न बदले) पारमार्थिक (जो हमेशा एकरूप और एकरस रहे) उपदेश दिये थे। इन्हें ‘विदुरनीति’ कहते हैं। इन श्लोकों में विदुर के अमूल्य उपदेश भरे हुए हैं।
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