इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 संस्कृत के पाठ ग्यारह ‘व्याघ्रपथिककथा (Vyaghra Pathik Katha VVI Subjective Questions)’ के महत्वपूर्ण विषयनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर को पढ़ेंगे।
Vyaghra Pathik Katha VVI Subjective Questions Sanskrit Cha[ter 11 व्याघ्रपथिककथा (बाघ और पथिक की कहानी)
लेखक- नारायण पण्डित
लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर (20-30 शब्दों में) ____दो अंक स्तरीय
1. ‘व्याघ्रपथिककथा’ के आधार पर बतायें कि दान किसको देना चाहिए ? (2018A)
उत्तर- दान गरीबों को देना चाहिए। जिससे कोई उपकार नहीं कराना हो, उसे दान देना चाहिए। स्थान, समय और उपयुक्त व्यक्ति को ध्यान में रखकर दान देना चाहिए।
2. सोने के कंगन को देखकर पथिक ने क्या सोचा ?(2020A ІІ)
उत्तर- पथिक ने सोने के कंगन को देखकर सोचा कि ऐसा भाग्य से ही मिल सकता है, किन्तु जिस कार्य में खतरा हो, उसे नहीं करना चाहिए। फिर लोभवश उसने सोचा कि धन कमाने के कार्य में खतरा तो होता ही है। इस तरह वह लोभ से वशीभूत होकर बाघ की बातों में आ गया।
3. धन और दवा किसे देना उचित है ? (2020A І)
उत्तर- व्याघ्रपथिककथा पाठ के माध्यम से बताया गया है कि धन उसे देना उचित है, जो निर्धन हो तथा दवा उसे देना उचित है, जो रोगी हो अर्थात् धनवान को धन देना और निरोग को दवा देना उचित नहीं है।
4. ‘व्याघ्रपथिककथा’ कहाँ से लिया गया है? इसके लेखक कौन हैं तथा इससे क्या शिक्षा मिलती है? (2017A)
उत्तर- ‘व्याघ्रपथिककथा’ हितोपदेश ग्रंथ के मित्रलाभ खण्ड से ली गई है। इसके लेखक ‘नारायण पंडित’ जी हैं। इस कथा के द्वारा नारायणपंडित हमें यह शिक्षा देते हैं कि दुष्टों की बातों पर लोभ में आकर विश्वास नहीं करना चाहिए । सोच समझकर ही काम करना चाहिए। इस कथा का उद्देश्य मनोरंजन के साथ व्यावहारिक ज्ञान देना है।
5. नारायण पंडित रचित व्याघ्रपथिककथा पाठ का मूल उद्देश्य क्या है?
उत्तर- व्याघ्रपथिककथा का मूल उद्देश्य यह है कि हिंसक जीव अपने स्वभाव को नहीं छोड़ सकता। इस कथा के द्वारा नारायण पंडित हमें यह शिक्षा देते हैं कि दुष्ट की बातों पर लोभ में आकर विश्वास नहीं करना चाहिए। सोच-समझकर ही काम करना चाहिए। इस कथा का उद्देश्य मनोरंजन के व्यावहारिक ज्ञान देना है।
6. व्याघ्रपथिककथा’ को संक्षेप में अपने शब्दों में लिखिए। अथवा, व्याघ्रपथिककथा के लेखक कौन हैं? इस पाठ से क्या शिक्षा मिलती ? पाँच वाक्यों में उत्तर दें। (2012A)
उत्तर- यह कथा नारायण पण्डित रचित हितोपदेश के नीतिकथाग्रन्थ के मित्रलाभखण्ड से ली गयी है। इस कथा में एक पथिक वृद्ध व्याघ्र द्वारा दिये गये प्रलोभन में पड़ जाता है। वृद्ध व्याघ्र हाथ में सुवर्णकंगन लेकर पथिक को अपनी ओर आकृष्ट करता है। पथिक निर्थन होने के बावजूद व्याघ्र पर विश्वास नहीं करता । तब व्याघ्र द्वारा सटीक तर्क दिये जाने पर पथिक संतुष्ट होकर कंगन ले लेना उचित समझता है। स्नान कर कंगन ग्रहण करने की बात स्वीकार कर पधिक महाकीचड़ में गिर जाता है और वृद्ध व्याघ्र द्वारा मारा जाता है। इस कथा में संदेश और शिक्षा यही है कि नरभक्षी प्राणियों पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए और अपनी किसी भी समस्या का समाधान ऐसे व्यक्ति द्वारा नजर आये तब भी उसके लोभ में नहीं फँसना चाहिए ।
7.व्याघ्रपथिककथा से क्या शिक्षा मिलती है?(2015A, 2015C)
अथवा, व्याघ्रपथिककथा में मूल संदेश क्या है?
उत्तर- इस कथा के द्वारा नारायण पंडित हमें यह शिक्षा देते हैं कि दुष्ट की बातों पर लोभ में आकर विश्वास नहीं करना चाहिए। सोच-समझकर ही काम करना चाहिए। नरभक्षी (जो मनुष्य को आहार के रूप में खाता है।) प्राणियों पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए और अपनी किसी भी समस्या का समाधान ऐसे व्यक्ति द्वारा नजर आये तब भी उसके लोभ में नहीं फँसना चाहिए। इस कथा का उद्देश्य मनोरंजन के साथ व्यावहारिक ज्ञान देना है।
8.पथिक वृद्ध बाघ की बातों में क्यों आ गया?
उत्तर- पथिक ने सोने के कंगन की बात सुनकर सोचा कि ऐसा भाग्य से ही मिल सकता है, किन्तु जिस कार्य में खतरा हो, उसे नहीं करना चाहिए। फिर लोभवश उसने सोचा कि धन कमाने के कार्य में खतरा तो होता ही है। इस तरह वह लोभ से वशीभूत होकर बाघ की बातों में आ गया।
9.व्यापथिककथा पाठ का पांच वाक्यों में परिचय दें।
उत्तर- यह कथा नारायण पंडित रचित प्रसिद्ध नीतिकथाग्रन्थ ‘हितोपदेश’ के प्रथम भाग ‘मित्रलाभ’ से संकलित है। इस कथा में लोभाविष्ट व्यक्ति की दुर्दशा का निरूपण है। आज के समाज में छल-कपट का वातावरण विद्यमान है, जहाँ अल्प वस्तु के लोभ से आकृष्ट होकर लोग अपने प्राण और सम्मान से वंचित हो जाते हैं। एक बाघ की चाल में फंसकर एक लोभी पथिक उसके द्वारा मारा गया।
10.सात्विक दान क्या है? पठित पाठ के आधार पर उत्तर दें।(2018A)
उत्तर- उपयुक्त स्थान, समय एवं व्यक्ति को ध्यान में रखकर दिया गया दान सात्विक होता है।
11.बद्ध बाघ ने पथिकों को फंसाने के लिए किस तरह का भेष रचाया?
उत्तर- वृद्ध बाघ ने पथिकों को फंसाने के लिए एक धार्मिक का भेष रचाया । उसने स्नान कर और हाथ में कुश लेकर तालाब के किनारे पथिकों से बात कर उन्हें दानस्वरूप सोने का कंगन पाने का लालच दिया ।
12.वृद्ध बाघ पथिक को पकड़ने में कैसे सफल हुआ था?
अथवा, बाघ ने पथिक को पकड़ने के लिए क्या चाल चली?
उत्तर- वृद्ध बाघ ने एक धार्मिक का भेष रचकर तालाब के किनारे पथिकों को सोने का कंगन लेने के लिए कहा । उस तालाब में अधिकाधिक कीचड़ था। एक लोभी पथिक उसकी बातों में आ गया। बाघ ने लोभी पथिक को स्वर्ण कंगन लेने से पहले तालाब में स्नान करने के लिए कहा। उस बाघ की बात पर विश्वास कर जब पथिक तालाब में घुसा, वह बहुत अधिक कीचड़ में धंस गया और बाघ ने उसे पकड़ लिया तथा मारकर खा गया।
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