इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 9 अंग्रेजी के कविता पाठ तीन ‘Blow Blow Thou Winter (ठंडी हवा, तुम जोर-जोर से बहो)’ के प्रत्येक पंक्ति के अर्थ को पढ़ेंगे।
Blow, Blow, Thou Winter Wind (ठंडी हवा, तुम जोर-जोर से बहो)
William Shakespeare
WILLIAM SHAKESPEARE (1564-1616), the greatest playwright and poet in English literature, was the third of eight children born to a glovemaker in Stratford-c-rom in England. He received little formal education. At eighteen, he married Anne Hathway and soon moved to London. Within a few years, he was well known as a leading actor and playwright. His great tragedies include Hamlet (1602), Othello (1604), King Lear (1605), and Macbeth (1606). He wrote 154 sonnets. Some of them are addressed to an attractive young man, (the Earl of Southampton whom the poet urges to marry); others to the mysterious dark lady. A love triangle – two men to a woman – is suggested in a number of sonnets. ‘Blow, Blow, Thou Winter Wind’ is about man’s ingratitude. The cold winter wind does not cause so much suffering as a man’s ingratitude.
विलियम शेक्सपियर (1564-1616) अंग्रेजी भाषा के महानतम नाटककार और कति, इंगलैंड के स्ट्रेटफोर्ड, अनि, एवन में रहनेवाले दस्ताना बनानेवाले के आठ बच्चों में एक थे। उन्होंने थोड़ी औपचारिक शिक्षा प्राप्त की। अठारह वर्ष की उम्र में, उनक शादी अने। हाथवे के साथ हो गई और वे शीघ लंदन चले आए। कुछ ही वर्षों में, चे प्रमुख अदाकार ।
और नाटककार के रूप में जाने जाने लगे। Hamler (1602), Othello (1604), King | Lear (1605) और Macbeth (1606) इनके महान दुखान्त नाटक है। उन्होने 154 कविताएं लिखीं। उनमें कुछ एक आकर्षक युवा व्यक्ति के बर्ताव करने के तरीके से संबंधित है। साउथम्पटन के सामंत जिसे अन्य रहस्यपूर्ण काली महिला से कवि शादी के लिए उकसाता है। एक प्रेम त्रिकोण-एक महिला के लिए दो पुरुष अनेक कविताओं में वर्णित है। ‘Blow, Blow, Thou Winter Wind’ एक उद्धरण कविता है। यह मनुष्य । के अकृतघ्नता के सम्बन्ध में है। ठंढी शरद की हवा उतनी कष्टदायक नहीं होती जितनी कि आदमी की अकृतघ्नता।
Blow, Blow, Thou Winter Wind
Blow, blow, thou winter wind,
Thou art not so unkind
As man’s ingratitude;
Thy tooth is not so keen,
Because thou art not seen,
Although thy breath be rude.
Heigh-ho! sing. heigh-ho ! unto this green holly:
Most friendship is feigning, most loving mere folly:
Then, heigh-ho! the holly!
This life is most jolly.
Freeze, freeze, thou bitter sky.
Thou dost not bite so nigh
As benefits forgot:
Though thou the waters warp.
Thy sting is not so sharp
As friend remember’ d not.
Heigh-ho! sing, heigh-ho! into the green holly:
Most friendship is feigning, most loving mere folly:
Then, heigh-ho! the holly!
“This life is most jolly.
एमीयन्स जाड़े की ठंडी हवा को अबाध गति से बहते रहने के ना कहता है । वह अनुभव करता है कि जाड़े की ठंढी हवा इतना निष्ठुर और कष्टदायक नहीं है जितना कि मनुष्य की अकृतघ्नता। जाड़े की ठंढी हवा उतने उग्ररूप से इंक नहीं मारती क्योंकि हमलोग हवा को बहते हुए नहीं देख पाते हैं, केवल उसका अनुभव करते। हैं। ठंढी हवा का बहना बड़ा हो दुखकर है, लेकिन यह हमे उतना कष्ट नहीं देती।
ठंढी हवा जोर-जोर से बहो
तुम उतना निष्ठुर नहीं हो,
जितना कि मनुष्य की अकृतघ्नता
तुम्हारे दाँत भी उतने पैने नहीं हैं,
क्योंकि वे दिखाई नहीं पड़ते,
हालाँकि तुम असभ्य रूप से साँस लेती हो।
वह चाहता है कि ये सभी मिलकर चिंतारहित होकर वनवासी । जीवन का आनंद लें। वह कहना चाहता है कि इस संसार में मित्रता एक दिखावा है। सच्चे मित्र बहुत कम मिलते हैं। प्यार दिखाना मूर्खता है। ड्यूक फ्रेडरिक के दुर्व्यवहार और धोखेबाजी से यह सब सिद्ध हो चुका है।
ऊचा-हो! गाता है, ऊँचा-हो! इस हरी-भरी झाड़ियों पर,
अधिकांशतः मित्रता दिखावा (बहाना) है, अधिकांशतः प्रेम सिर्फ विफलता है।
तब, ऊँचा हो! झाड़ियों में।
यह जीवन सचमुच विनोदी है।
एमीयन्स आसमान को भी जम जाने को कहता है, जैसा अधिक व पड़ने पर पानी बफ क रूप म पारणत हो जाता है। परन्तु ठंढा आसमान भी उस
में टाँत से नहीं काटता ह जसा कि किसी व्यक्ति के प्रति की गई भलाई को भूल जाए। जाड़े की ठंढी हवा समुद्र के जल को भी विकृत कर देती है लेकिन यह इतरे कष्टकर रूप में डंक नहीं मारती जैसा कि एक दोस्त अपने दोस्त को भूल जाए।
इसलिए सम्पूर्ण रूप से जंगल का जीवन सुखकर और आनंद योग्य हो । जो लोग जंगली जीवन बिता रहे हैं, वे बहुत सुखकर है। इसलिए जो ले जगल में राजा के साथ ठंडी हवा को सहते हुए जीवन जी रह ह उन्हें अपनी कि को भूल जाना चाहिए और शारीरिक कष्टों को भूलकर खुशी से जीवन व्यतीत कर चाहिए। प्रकृति उतनी कठोर नहीं है जितना कि मनुष्य।
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