इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 7 हिन्दी के कविता पाठ नौ ‘ .Varsha Bahar ( वर्षा बहार )’ के हर पंक्ति के अर्थ को पढ़ेंगे।
9 वर्षा बहार
वर्षा बहार सबके, मन को लुभा रही है
नभ में छटा अनूठी, घनघोर छा रही है।
बिजली चमक रही है, बादल गरज रहे हैं
पानी बरस रहा है, झरने भी बह रहे हैं।
अर्थ-वर्षा ऋतु के आगमन से लोग अति प्रसन्न होने लगते हैं। काले-काले बादलों की घनघोर घटा से आकाश का दृश्य अति सुन्दर दिखने लगता है। बिजली चमकने लगती है। बादल के गर्जन-तर्जन से वातावरण उद्वेलित हो जाता है। वर्षा होते ही झरने के बहते जल से कल-कल की ध्वनि सुनाई देने लगती है।
चलती हवा है ठण्डी, हिलती हैं डालियाँ सब
बागों में गीत सुन्दर, गाती है मालिने अब।
तालों में जीव जलचर, अति हैं प्रसन्न होते,
फिरते लखो पपीहे, हैं ग्रीष्म ताप रखो।
करते हैं नृत्य वन में, देखो ये मोर सारे,
मेढक लुभा रहे हैं, गाकर सुगोत प्यारे।
अर्थ कवि कहता है कि वर्षा काल के समय ठण्डी-ठण्डी हवा चलती है। हवा के झोंके से वृक्ष की शाखाएँ हिलने लगती हैं। बागों में खिले फूलों को देखकर मालिने खुशी के गीत गाने लगती है। जलाशयों के जीव प्रसन्नता के साथ क्रीड़ा करने लगते हैं। ग्रीष्मऋतु की गर्मी से – संतप्त पपीहे वर्षाजल पाकर ‘पीऊ-पीऊ’ करते उड़ते नजर आते हैं। बादलों की घनघोर घटा देख वन में मोर नाचने लगते हैं तथा मेढ़क अपने टर्र-टर्र की आवाज से वातावरण को मधुमय, बना देते हैं। Varsha Bahar class 7 poem in Hindi
खिलमा गुलाब केसा, सौरभ उड़ा रहा है,
जागों में खूब सुख से, आमोद छा रहा है।
चलते कतार बाँधे, देखो ये हंस सुन्दर,
गाते हैं गीत कैसे, लेते किसान मनहर।
इस भाँति है अनोखी, वर्षा बहार भू पर,
सारे जगत की शोभा, निर्भर है इसके ऊपर।
अर्थ-कवि कहता है कि वर्षाजल से रससिक्त होते ही गुलाब में फूल खिल गए हैं और अपनी सुगंध से सम्पूर्ण बाग को सुगंधमय बना दिए हैं।
इतना ही नहीं, इस ऋतु में पंक्तिबद्ध उड़ते हंस समूह मन को मोह लेते हैं। खेतों में काम कर रहे किसान खेती करने की खुशी में मोहक गीत गाते हैं। कवि कहता है कि संसार में इस वर्षा बहार का विशेष महत्त्व है क्योंकि इसी वर्षा के जल पर सारे प्राणियों का जीवन एवं खुशी निर्भर करता है। Varsha Bahar class 7 poem in Hindi
Read more- Click here
Watch Video – Click here