इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड के वर्ग 10 के अहिन्दी (Non Hindi) के पाठ 8 (Bachhe Ki Dua) “बच्चे की दुआ” के व्याख्या को जानेंगे। जिसके लेखक मोहम्मद इकबाल है। इस पाठ में कवि ने ईश्वर से जरूरत वालों और बेसहारा को मदद करने की दुआ माँगी है।
पाठ परिचय –प्रस्तुत पाठ बच्चे की दुआ (Bachhe Ki Dua) एक प्रार्थना गीत है इसमें दर्दमंद और वंचितों की हिफ़ाज़त का संकल्प है तथा खुद को बुराई से बचाकर नेक राह पर चलने की दुआ माँगी गयी है।
8. बच्चे की दुआ
लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी
ज़िन्दगी शम्अ की सूरत हो ख़ुदाया मेरी
दूर दुनिया का मेरे दम से अंधेरा हो जाए
हर जगह मेरे चमकने से उजाला हो जाए
हो मेरे दम से यूँ ही मेरे वतन की जी़नत
जिस तरह फूल से होती है चमन की ज़ीनत
ज़िन्दगी हो मेरी परवाने की सूरत या-रब
इल्म की शम्अ से हो मुझको मुहब्बत या-रब
हो मेरा काम ग़रीबों की हिमायत करना
दर्दमन्दों से ज़ईफों से मुहब्बत करना
मेरे अल्लाह बुराई से बचाना मुझको
नेक जो राह हो, उस राह पे चलाना मुझको
अर्थ – मेरी इच्छाएं मेरे होठों पर प्रार्थना की तरह आती हैं कि हे ईश्वर मेरे जीवन को दीपक के समान बना। मैं दुनिया का अंधेरा अपने दम से दूर कर सकूं। हर जगह मेरे चमकने से उजाला हो जाए। मेरे दम से मेरे वतन की इस तरह सोभा बढे़ जिस तरह बागों की सोभा फूलों से होती है। हे ईश्वर मुझे पतिंगा बना दे जो ज्ञान के दीपक पे मंडराता हो। हो मेरा काम ग़रीबों की हिमायत करना। बुज़ुर्गों और परेशान लोगों से मोहब्बत करना। हे ईश्वर बुराई से बचाना मुझको। नेक जो राह हो उस पर चलाना मुझको।
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