उत्तर-‘क्लर्क की मौत’ शीर्षक कहानी के रचयिता अंतोन चेखव (1860-1904) हैं। ‘चेखव’ एक अतुलनीय कलाकार हैं। निश्चित रूप से अद्वितीय। वह जीवन के कलाकार हैं। उनकी रचनाओं का गुण यह है कि वह बोधगम्य और भावनाओं के निकट हैं, न केवल प्रत्येक रूसी के लिए बल्कि प्रत्येक मानव के लिए……….।’ ‘क्लर्क की मौत’ शीर्षक कहानी में छींक की घटना ने क्लर्क की जान ले ली। वह पश्चाताप के कारण मर गया। क्लर्क जिसका नाम इवान दमित्रिच मात्रिच चेख्यकोव था, एक खेल देख रहा था। वह अपने को सबसे सुखी मनुष्य समझ रहा था।
जिन्दगी अचम्भों से भरी है ! उसे एकाएक छींक आ गयी। यूँ तो हर किसी को जहाँ चाहे छींकने का हक है। हर कोई छींकता है। चेख्यकोव को इससे कोई झेंप नहीं लगी, रूमाल से उसने अपनी नाक पोंछी और एक शिष्ट व्यक्ति होते हुए अपने चारों तरफ देखा कि कहीं उसकी छींक से किसी को असुविधा तो नहीं हुई ? और तभी वह सचमुच झेंप गया क्योंकि उसने एक वृद्ध व्यक्ति को पहली पंक्ति में अपने ठीक आगे बैठा हुआ देखा जो अपनी गंजी खोपड़ी और गरदन को दस्ताने से पोंछ रहा था और कुछ बड़बड़ाता जा रहा था। चेख्यकोव ने उस बूढ़े को पहचान लिया कि वह यातायात मंत्रालय के सिविल जनरल ब्रिजालोव हैं। वह उसके अफसर नहीं हैं। यह सही है, किन्तु तब भी यह कितना भद्दा है। क्लर्क चेख्यकोव ने सोचा कि उसे माफी माँगनी चाहिए।
चेख्यकोव ने ब्रिजालोव से माफी माँगी-“मैं क्षमाप्रार्थी हूँ, महानुभाव,
मैं छींका था।” ब्रिजालोव ने उत्तर दिया-“अजी कोई बात नहीं।” फिर क्लर्क ने कहा-“कृपया मुझे क्षमा कर दें। मैं जान-बूझकर नहीं छींका।” ब्रिजलोव कुछ नाराज हुए-“क्या तुम चुप नहीं रह सकते ?”
कुछ घबड़ाया हुआ चेख्यकोव झेंप में मुस्कराया और खेल की तरफ मन लगाने की कोशिश की। वह खेल देख रहा था। किंतु उसे
आनन्द नहीं आ रहा था। बेचैनी उसका पीछा नहीं छोड़ रही थी। मध्यांतर में वह ब्रिजालोव के पास पहुँचा, थोड़ी देर के लिए उनके
आसपास घूमा-फिरा और फिर साहस बटोरकर भिनभिनाया-“हुजूर! मैंने आपके ऊपर छींक दिया। मुझे क्षमा करें।” जनरल को थोड़ा गुस्सा आया-“अरे बस। मैं तो यह भूल भी गया था, छोड़ो अब इस बात को।”
चेख्यकोव ने जनरल की ओर संदेह की नजरों से देखते हुए सोचा-कहते हैं कि भूल गए हैं, लेकिन आँखों में विद्वेष भरा है और बात नहीं करना चाहते!
घर पहुँचकर क्लर्क चेख्यकोव ने अपनी पत्नी को अपने अभद्र व्यवहार के बारे में बताया। उसने भी इस घटना को गम्भीरता से नहीं लिया।
अगले दिन क्लर्क चेख्यकोव ने नई वर्दी पहनी, बाल कटवाए और जनरल ब्रिजालोव से माफी मांगने गया-“हुजूर, कल रात, ‘आर्केडिया’ में मुझे छींक आ गई थी ।” जनरल ने कोई ध्यान नहीं दिया। फिर निजी कमरे में जब जनरल जा रहा था तो क्लर्क ने कहा’हुजूर मुझे माफ कर दें । हार्दिक पश्चाताप होने के कारण ही मैं आपको कष्ट देने का दुस्साहस कर पा रहा हूँ।”
जनरल ने रूऔंसा चेहरा बनाया, हाथ हिलाया और कहा-“तुम तो मेरा मजाक उड़ा रहे हो, जनाब!”
फिर भेंट होने पर जनरल ने क्लर्क को डॉटा-“निकल जाओ यहाँ से।
क्लर्क चेख्यकोव को लगा जैसे उसके भीतर कुछ टूट सा गया हो लड़खड़ाते हुए पीछे चलकर वह दरवाजे तक पहुँचा, दरवाजे से बाहर आया और सड़क पर चलने लगा। वह न कुछ देख रहा था,
न कछ सन रहा था। वह संझा-शून्य, यंत्रचालित-सा वह सड़क पर बढ़ता गया। घर पहुँचकर वह बिना वर्दी उतारे, जैसा का तैसा, सोफे पर लेट गया और मर गया। ‘क्लर्क की मौत’ क्लर्क की मौत के कारण एक अत्यन्त कारुणिक कहानी बन गयी है।