Class 8th Science Text Book Solutions
प्रश्न 1. सही विकल्प पर (/) का चिह्न लगाइए :
(क) किशोरावस्था की अवधि है :
(i) 6 वर्ष से 11 वर्ष (ii) 11वर्ष से 19 वर्ष
(iii) 19 वर्ष से 45 वर्ष (iv) 15 वर्ष से 50 वर्ष
(ख) सीखने की सबसे अधिक क्षमता होती है :
(i) शैशवावस्था में (ii) प्रौढ़ावस्था में
(iii) बाल्यावस्था में (iv) किशोरावस्था में
(ग) टेस्टेस्टोरान है :
(i) अन्तःस्रावी ग्रंथि (ii) स्त्री हारमोन
(iii) पुरुष हारमोन (iv) (i) तथा (iii) दोनों
(घ) सामान्यतः ऋतुनाव प्रारंभ होता है :
(i) 20-25 वर्ष में (ii) 11-13 वर्ष में
(iii) 45-50 वर्ष मे (iv) कभी नहीं
(ङ) बेहतर सेहत के लिए आवश्यक है : .
(i) खूब खाना, खूब नहाना (ii) कम खाना, कम सोना
(iii) दिन में सोना रात में जगना (iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर—(क)-(ii), (ख)→(iv), (ग)–(iii), (घ)-(ii), (ङ)-(iv)
प्रश्न 2. सही कथन के सामने (/) गलत कथन के सामने (x) चिह्न लगाइए.
(क) द्वितीयक लैंगिक लक्षण शैशवावस्था में दिखाई देते हैं।
(ख) शुक्राणुओं का उत्पादन अण्डाशय से होता है।
(ग) पहले ऋतु नाव को रजोदर्शन कहते हैं।
(घ) युग्मनज का पोपण गर्भाशय में होता है।
(ङ) इन्सुलिन की कमी से घेघा रोग होता है।
उत्तर- (क) गलत, (ख) सही, (ग) सही, (घ) सही, (ङ) गलत।
प्रश्न 3. कॉलम A से शब्दों को कॉलम B के उचित शब्दों से मिलाएँ :
कॉलम A कॉलम B
(i) शुक्राणु (i) अण्डाशय
(ii) अण्डाणु (ii) अन्तःस्रावी ग्रंथि
(iii) हारमोन (iii) गर्भाशय
(iv) शिशु (iv) वृषण
उत्तर :
कॉलम A कॉलम B
(i) शुक्राणु (iv) वृषण
(ii) अण्डाणु (i) अण्डाशय
(iii) हारमोन (ii) अन्तःस्रावी ग्रंथि ‘
(iv) शिशु (iii) गर्भाशय
प्रश्न 4. किशोरावस्था से क्या समझते हैं ?
उत्तर– वृद्धि एक प्राकृतिक प्रक्रम है। जीवन काल की वह अवधि जब शरीर में ऐसे परिवर्तन होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप जनन परिपक्वता आती है, किशोरावस्था .. (Adolescence) कहलाती है। यह लगभग 11 वर्ष की आयु से प्रारम्भ होकर 18 अथवा 19 वर्ष की आयु तक रहती है। इसे ‘टीनेज’ (teenage) भी कहा जाता है।
प्रश्न 5. किशोरावस्था, बाल्यावस्था से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर— बाल्यावस्था किशोरावस्था के पहले की स्थिति है। बाल्यावस्था में बालक पूर्णतः अपने अभिभावक के ऊपर निर्भर करता है। वह जीवन का कोई भी काम अपने स्वयं नहीं कर सकता। हाँ, खिलौनों में से वह स्वयं खेल अवश्य लेता है। किशोरावस्था में किशोर कुछ स्वावलम्बी हो जाता है। अपना काम तथा विद्यालय ले काम तो वह स्वयं कर ही लेता है, घर के कामों में भी हाथ बटा लेता है। पहले से वह समझदार हो जाता है। अपना भला-बुरा समझाने की उसमें शक्ति आ जाती है।
प्रश्न 6. बेहतर सेहत के लिये आप क्या करते हैं ?
उत्तर– बेहतर सेहत के लिए हम संतुलित भोजन लेते हैं। संतुलित भोजन उचित मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन इत्यादि का रहना आवश्यक है। सुबह शाम खली हवा में टहलना और हो सकने लायक व्यायाम करना भी बेहतर सेहत के लिये आवश्यक है। समय पर सोना, समय पर जगना, समय पर जलपान और भोजन अवश्य होना चाहिए। यदि शारीरिक रूप से व्यक्ति स्वस्थ रहेगा तो मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहेगा। पढ़ाई-लिखाई में भी उसका मन लगेगा।
परियोजना कार्य : छात्र स्वयं करें
1. अपने गाँव की महिलाओं एवं पुरुषों की सची बनाएँ और विवाह के समय उनके आयु पता कीजिए। इनमें से कितने लोगों ने विवाह के लिए आयु संबंधी कानूनका उल्लंघन किया और क्यों? चर्चा कीजिए।
2. विवाह के लिए सभी लोग निर्धारित आयु एवं अन्य आवश्यक बातों का पालन कर सकें, इनमें जागरुकता हेतु किन-किन बातों पर ध्यान देने की जरूरत है । आपस में चर्चा कीजिए।
कुछ महत्त्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. यौवनावस्था में होनेवाले परिवर्तनों का प्रारम्भ कौन करता है?
उत्तर– यौवनावस्था में होनेवाले परिवर्तनों का प्रारम्भ हॉर्मोन करता जो एक रासायनिक पदार्थ है।
प्रश्न 2. टेस्टोस्टेरॉन क्या है ?
उत्तर- टेस्टोस्टेरॉन पौरुप हॉर्मोन है जो वृषण से स्रावित होता है।
प्रश्न 3. एस्ट्रोजन क्या है ?
उत्तर—एस्ट्रोजन स्त्री हॉर्मोन है जो अंडाशय से स्रावित होता है।
प्रश्न 4. पीयूष ग्रंथि क्या है ?
उत्तर–पुरुष तथा स्त्री में उत्पादित होनेवाले हॉर्मोन का नियंत्रण पीयूप ग्रंथि द्वारा नावित होनेवाले हॉर्मोन से किया जाता है। इसे पिट्यूटरी ग्रंथि भी कहा जाता है। पीयूप ग्रंथि से नावित हॉर्मोन जननांगों को टेस्टोस्टेरॉन (पुरुष/नर में) तथा ऐस्ट्रोजन (स्त्रियों में) नावित करने के लिए उद्दीपित करता है।
प्रश्न 5. ऋतुस्राव क्या है ? वर्णन कीजिए।
उत्तर—स्त्रियों में जननावस्था का प्रारम्भ यौवनावस्था (10 से 12 वर्ष की आयु) से हो जाती है तथा सामान्यतः 45 से 50 वर्ष की आयु तक चलता रहता है। यौवनारम्भ के बाद अंडाणु परिपक्व होने लगते हैं । अंडाशयों में एक अंडाणु परिपक्व होता है तथा लगभग 28 से 30 दिनों के अंतराल पर किसी एक अंडाशय द्वारा निर्मोचित होता है। इस अवस्था में गर्भाशय की दीवार मोटी हो जाती है, जिससे वह अंडाणु के निपेचन के पश्चात गगनज को गहण कर सके। इसी के फलस्वरूप गर्भधारण होता है। यदि अडाण का निषेचन नहीं हो पाता तब उस स्थिति में अंडाणु तथा गर्भाशय का मोटा सन उसकी धार वाहिकाओ सहित निस्तारित हो जाता है। इससे स्त्रियों में रक्तस्राव होता है जिसे बारासान अथवा रजोधर्म कहते है। ऋतुसाव लगभग 28 से 30 दिन में एक बार होता है। पहला तसाच यौवनारयण में होता है जिसे रजोदर्शन कहते हैं। 45 से वर्षा की अवस्था तक मतमान रुक जाता है जिसे रजोनिवृत कहते हैं।
प्रश्न 6. शरीर में होनेवाले परिवर्तनों के लिए उत्तरदायी अंत:स्रावी ग्रंथियों द्वारा सावित पदार्थ का क्या नाम है ?
उत्तर- शरीर में होनेवाले परिवर्तनों के लिए उत्तरदायी अंतःस्रावी ग्रंथियों द्वारा सावित पदार्थ का नाम हार्मोन है।
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