Class 6th Hindi Text Book Solutions
13. दादा-दादी के साथ (नीलिमा सिन्हा)
पाठ का सारांस-‘दादा-दादी के साथ‘ शीर्षक प्रस्तुत कहानी नीलिमा सिन्हा द्वारा लिखित है। इसमें लेखिका ने एक ऐसे परिवार की झाँकी प्रस्तुत की है जो अपने-आप अदभुत है, खासकर भारत के लिए।
पिंकी और उसका छोटा भाई विकी अपने चाचा विपिन प्रताप के पुत्र राहुल तथा पुत्री पद्मिनी के इंग्लैण्ड से आन की खुशी में फूले न समा रहे थे। परिवार के सारे लोग तथा नौकर-चाकर उनके स्वागत में लगे थे। राहुल एवं पद्मिनी को अपने नए संबंधियों से मिलकर अति खुशी हो रही थी क्योंकि भाई-बहन, चाचा-चाची, दादा-दादी, बुआ-फूआ आदि से प्रथम भेंट थी। दोनों हिंदी में बातचीत करते हैं। दानों के नाम भी भारतीय है, जबकि चाचा का पुत्र एवं पुत्री विकी तथा पिंकी भारत में रहते हुए अंग्रेजी बोलना पसंद करते हैं। बिकी तथा पिंकी के इस व्यवहार से राहुल एवं पद्मिनी अचम्भित रह जाते हैं।
विदेश से आए बच्चे रिश्तेदारों तथा पास-पड़ोस के लोगों के आकर्षण के केन्द्र बन जाते हैं। क्योंकि वे विदेश से स्वदेश आए हैं। बच्चे भी आनन्दित थे, क्योंकि इतनी प्रशंसा और प्रेम देनेवाले इंग्लैण्ड में नहीं थे। लोग उन्हें हिन्दी बोलते सुनकर अति प्रसन्न होते हैं। उन्हें लगता है कि विदेश में रहते हुए भी हिन्दी के प्रति इतना स्नेह है-यह कितनी अच्छी बात है।
परिचय का सिलसिला शाम तक चलता है। पिंकी को इस बात की चिंता हो जाती है कि आज भी यहाँ अन्य दिनों की भाँति बिजली गायब है, इसलिए पिंकी अपने चचेरे भाई-बहन को ‘‘ओ हो! आई एम सो सॉरी!‘‘ कहकर खेद प्रकट करती है। तुम सोचोगे कैसा कंट्री है इण्डिया ?‘‘ पद्मिनी केवल मुस्कुराकर रह जाती है तथा सोचने लगती है कि कैसे अजीब बच्चे हैं। अपनी भाषा होते हुए भी वे न जाने सदा अंग्रेजी ही बोलते हैं। इन्होंने यहाँ आते समय सोचा था कि भारत में हिन्दी का अच्छा अभ्यास हो जाएगा। लेकिन यहाँ की स्थिति तो बिल्कुल विपरीत है।
शाम के समय रमुआ को लालटेन जलाते देख राहुल उसके समीप चला गया। लालटेन जलाने के बाद सभी दादी के पास आँगन में बैठ गए। रस्सी से बुनी चारपाई उन्हें रोमांचकारी लग रही थी। दादी का प्यार एवं दुलार पद्मिनी को बड़ा अच्छा लग रहा था। दादी उसे अपने पास बैठाकर उसके रेशमी बालों को प्यार से सहलाने लगी। बाहर काली रात के साए में मेढ़कों का टर्राना सुनाई दे रहा था। आकाश में तारे छिटक रहे थे। पद्मिनी को लगा कि वह किसी बीते हुए अतीत में आ गई हो। प्राचीन हजवन व सभ्यता से अब भी वह कितना जुड़ी हुई है।
दादी ने पूछा बेटा! महाभारत-रामायण की कहानियाँ तुमने सुनी है।राहुल ने कहा-‘‘सुनाइए न दादी। डैड ने कुछ सुनाया है परन्तु ……।‘‘पिंकी ने खीझ भरे शब्दों में कहा-ओह नो, नॉट अगेन ? फिर वही पुरानी कथाएँ ? ‘‘दादी ने कहा-बेटा ! पौराणिक कथाओं में कितना ज्ञान भरा है। इससे हमारे जीवन के सिद्धांतों, मान्यताओं तथा मूल्यों के विषय में सही जानकारी का पता चलता है। लेकिन पिंकी ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा-‘‘आज कल के साइंस के जमाने में तुम्हारी कहानियाँ बिल्कुल फिट नहीं बैठतीं। क्या मिलेगा हमें उनसे ?‘‘ बहस सुन दादा जी भी हाजिर हो गए और कहा-‘‘जो ढूँढे उसे मिले।‘‘ इन कहानियों से मनोरंजन के साथ अच्छे-बुरे का ज्ञान मिलता है। फिर दादी कहानी सुनाने लगी। राहुल तथा पद्मिनी कहानी सुननेे में इतना मग्न हो गए कि भोजन के समय का भी पता न चला। रात का भोजन आँगन में ही किया गया। इन बच्चों के लिए विशेष रूप से स्वदेशी जायके वाली लिट्टी की व्यवस्था की गई थी। दादी ने इसे उपले पर सेंका था। इसे गर्म घी के साथ पूर्ण चाव से बच्चों ने खाया, जबकि पिंकी व विकी ने इसकी जगह सूप, ब्रेड और अंडे अपने लिए बनवाए थे। खाते-खाते अगले दिन का प्रोग्राम बनने लगा। पिंकी बोली-‘‘हमीपुर छोटी जगह है।‘‘ तुम लोगों को मुंबई, दिल्ली, कलकत्तर जैसे शहर अच्छे लगते हैं। लेकिन राहुल को गाँव देेखने की इच्छा थी। पिंकी ने समझाया-इसका मतलब रियल विलेज से है जहाँ केवल झोपड़ी-ही-झोपड़ी हैं। चलो कल दिखा देंगे। विकी सोचने लगा, ‘‘हाँ, वे जो खंडहर हैं, उनके पास बसा एक छोटा-सा रियल विलेज है। वहीं चला जाए।‘‘
पद्मिनी की नीली आँखें रोशनी में चमक उठीं। ‘‘खंहडर ? यानी टूटे-फूटे ध्वस्त भवन। कब के हैं? क्या वे बहुत प्राचीन हैं। पिंकी हँसने लगी। उसने कहा-टूटी-फूटी दीवारों को देखने में मेरी रूचि नहीं है।‘‘ पद्मिनी बोली-‘‘मैंने बताया न मुझे इतिहास में विशेष रूचि है।‘‘ रहुल ने कहा-‘‘मुझे भी।‘‘ शायद उधर कुछ दुर्लभ पक्षियों के भी संकेत मिल जायँ। उल्लू और चमागादड़ के सिवा क्या मिलेगा ? विकी ने हँसते हुए कहा। ‘‘वे भी ठीक रहेंगे ।‘‘ राहुल खुशी-खुशी बोला। चमगादड़ ही एक ऐसा पक्षी है जो हर जगह नहीं मिलता। फिर भारतीय चमगादड़ कैसे होते हैं, इसका भी तो पता चलेगा। पद्मिनी को लगा कि पिंकी एवं विकी इस प्रोग्राम पर खुश नहीं हैं लेकिन राहुल तथा पद्मिनी अपने हरादे पर दृढ़ थे। वे बिना किसी मार्गदर्शक के भी जाने को तैयार थे, क्योंकि वे हिन्दी जानते थे। वे अपना रास्ता स्वयं ढूँढ़ लेंगे और स्वयं वहाँ घूम आएँगे।
अभ्यास के प्रश्न एवं उत्तर
पाठ से:
प्रश्न 1. सभी लोग घर की सफाई क्यों कर रहे थे?
उत्तर- सभी लोग घर सफाई इसलिए कर रहे थे, क्योंकि उनके खास चाचा-चाची और उनके बच्चे इंग्लैण्ड से आ रहे थे। उन्हें इस बात का भय था कि कहीं उन्हें हमारे घर की गंदगी अच्छी न लगे और उनके सामने हमारी हँसाई न हो जाय। इसी कारण सभी लोग घर की सफाई पूरी तत्परता से कर रहे थे।
प्रश्न 2. पद्मिनी और राहुल को पिंकी-विकी की कौन-सी बात खटकती थी?
उत्तर-पिंकी तथा विकी अपनी भाषा हिन्दी न बोलकर हर क्षण अंग्रेजी बोलते थे। इनका यह आचरण राहुल एवं पद्मिनी को बेतुका लगता था। राहुल तथा पद्मिनी अंग्रेजी जानते हुए भी सदा हिन्दी हिन्दी बात करते थे जबकि भारत में रहते हुए भी पिंकी व विकी हिन्दी बोलना अपना अपमान मानते थे। यही बात उन्हें खटकती थी।
प्रश्न 3. पद्मिनी की उत्सुकता का क्या कारण था ?
उत्तर-पद्मिनी की उत्सुकता का मुख्य कारण यह था कि वह इतिहास की सही जानकारी लेना चाहती थी। वह कई बार पाठशाला से पुराने खंडहर में खोज एवं अन्वेषण करने गई थी। उसे अब पता चला कि यहाँ अति प्राचीन खंडहर है तो उसे देखने के लिए उसमें उत्सुकता जग पड़ी।
प्रश्न 4. किसने कहा किससे कहा और क्यों कहा?
(क) अच्छा किया जो इन्हें हिन्दी सिखाई।
उत्तर- राहुल तथा पद्मिनी के इंग्लैण्ड से आने पर उनके रिश्ते के ढेर सारे भाई-बहन, चाचा-चाची, दादा-दादी, बुआ आदि आए थे। इन्हीं लोगों ने उन दोनों को हिन्दी में बात करते देखकर कहा था कि विदेश में रहते हुए भी हिन्दी बोलना प्रशंसा का विषय है। अतः उन्होंने कहा की अच्छा किया जो इन्हें हिन्दी सिखाई।
(ख) ‘‘ओ हो! आई एम सो सॉरी!‘‘
उत्तर- यह बात पिंकी ने तब कहा जब शाम के समय बिजली गायब थी। उसने राहुल एवं पद्मिनी से खेद प्रकट करते हुए कहा था कि ‘‘तुम सोचोगे कि कैसा कंट्री है इण्डिया ?‘‘
(ग) अपनी भाषा होते हुए भी न जाने क्यों वे सदा अंग्रेजी ही बोलते हैं।
उत्तर-यह बात पद्मिनी ने कही थी, वह इसलिए कि पिंकी तथा विकी को अक्सर अंग्रेजी बोलते देखकर वह सोचती है कि अपनी भाषा जानते हुए भी वे न जाने क्यों सदा अंग्रेजी में ही बोलते हैं। जबकि उन्हें मालुम है कि राहुल और पद्मिनी अंग्रेजी हिन्दी दोनों भाषा भली-भाँति जानते हैं।
(घ) अच्छा? यही है तुम्हारी बेटी?
उत्तर-यह बात पद्मिनी से पहली भेंट में बुआ तथा फूफा ने कहा। इसलिए कहा, क्योंकि वह माँ जैसी सुन्दर थी।
(ङ) लगता है बेटी माँ जैसी है। वही नीली आँखें और काले बाल, बड़ी
सुन्दर निकली।
उत्तर-घर में आए रिश्तेदारों में से किसी एक ने कहा। उसने इसलिए तब कहा जब उसे हिन्दी बोलते सुना। यह बात उसने उनकी प्रशंसा में कही।
पाठ से आगे:
प्रश्न 1. इस कहानी में किसकी भूमिका आपको अच्छी लगी और क्यां?
उत्तर- इस कहानी में सबसे अच्छी भूमिका दादी की लगी, क्योंकि दादी ने विदेश से आए पोते-पोति को भारती संस्कृति की विशेषताओं से अवगत कराया। राहुल एवं पद्मिनी का भारत आने का उद्देश्य ही यहाँ की संस्कृति के महत्त्व को समझना था।
प्रश्न 2. क्या आपको लगता है कि यह कहानी अधुरी है ? क्यों ?
उत्तर- हाँ, यह कहानी अधूरी इसलिए लगती है क्योंकि राहुल एवं पद्मिनी जिस उद्देश्य से भारत आए थे, वह अधूरा ही रह गया। पिंकी-विकी अपने को एडवान्स साबित करने के लिए हर क्षण अंग्रेजी का प्रयोग करते थे तथा भारतीय संस्कृति की आलोचना करते रहते थे, जबकि राहुल एवं पद्मिनी भारतीय सभ्यता से रू-ब-रू होना चाहते थे।
प्रश्न 3. सोचिए, इस कहानी के अन्त में अगले दिन क्या हुआ होगा ?
उत्तर- इस कहानी के अन्त में अगले दिन राहुल एवं पद्मिनी दोनों खंडहर देखने गए होंगे। पिंकी -विकी उनका साथ नहीं दिये होंगे।
प्रश्न 4. अगर ऐसा हो कि आपके यहाँ कोई संबंधी आए तो आप क्या-क्या करेंगे ?
उत्तर- अगर मेरे यहाँ कोई संबंधी आते हैं तो उनकी जिज्ञाओं की पूर्ति में सहयोग करूँगा। उनकी हर इच्छा की पूर्ति का प्रयास करूँगा, ताकि मेरे प्रति उनकी अच्छी धारणा बन सके। मेरे प्रति उनकी सद्भावना बन सके।
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