इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड के वर्ग 10 के अहिन्दी (Non Hindi) के पाठ 17 (Khushboo Rachte Hain Hath) “खु़शबू रचते हैं हाथ” के व्याख्या को जानेंगे। इस पाठ के कवि अरूण कमल है। इसमें हाथ के कलाकारी को दर्शाया गया है।
पाठ परिचय- प्रस्तुत कविता वंचित लोगां के समृद्ध शक्ति की संवेदनशीलता को रेखांकित करती है। यह कविता उसके पीछे सक्रिय श्रम की गरिमा का उद्घाटन करती है।
पाठ का सारांश (Khushboo Rachte Hain Hath)
कई गलियां, नालों कूड़े-करकट के ढेर के बीच एक टीले में छोटे-छोटे बच्चे अगरबत्ती बना रहे हैं। उनके हाथाें का रस उभरा हुआ है। नाखून घिस चूके हैं। पीपल के पत्तों जैसे हाथ वाले छोटे-छोटे बच्चे खुशबु रच रहे हैं।
इसी गली में देश की मशहूर अगरबत्तियों का निर्माण होता है। इन्हीं गंदे मुहल्ले के गंदे लोग केवड़ा, गुलाब, खस और रातरानी अगरबत्तियाँ बनाते हैं। दुनिया की सारी गंदगी के बीच दुनियां की सारी खुश्बू की रचना छोटे-छोटे बच्चे कर रहे हैं।
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