इस पोस्ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 7 संस्कृत के पाठ 6 ‘संख्याज्ञानम् ( संख्याज्ञान और पुष्प-परिचय)(Sankhtagyanam class 7 sanskrit)’ के अर्थ को पढ़ेंगे।
षष्ठः पाठः
संख्याज्ञानम्
( संख्याज्ञान और पुष्प-परिचय)
पाठ- परिचय- प्रस्तुत पाठ में बच्चों को 21 से 50 तक की संख्याओं के विषय में बताया गया है। हर भाषा में संख्या को भिन्न-भिन्न रूपों में प्रकट किया जाता है जैसे – हिन्दी में इक्कीस, अंग्रेजी में Twenty one तथा संस्कृत में एकविंशति कहते हैं । इन संख्याओं के ज्ञान से बच्चों को संस्कृत भाषा की संख्या समझने में आसानी होती है ।
अस्मिन् वर्गे पञ्चाशत् छात्राः सन्ति । एतेषु एकविंशतिः बालिकाः सन्ति । ततः नवविंशतिः ( ऊनत्रिंशत्) बालकाः वर्तन्ते । विद्यालयस्य उद्याने चत्वारिंशत् पाटलपादपाः, पञ्चत्रिंशत् यूथिकाः, पञ्चचत्वारिंशत् मल्लिकाः, त्रिंशत् कर्णिकाराः, द्वाविंशति: जपाः सन्ति । शरत्काले उद्यानस्य पञ्चविंशतिः अपि शेफालिकाः पुष्पाणि धारयन्ति । तानि पुष्पाणि प्रात:काले भूमौ विकीर्णानि भवन्ति । सरोवरे कमलपुष्पाणि सन्ति । अद्य चतुर्विंशतिः पुष्पाणि विकसितानि । अस्माकं देशे सम्प्रति अष्टाविंशतिः राज्यानि सन्ति । आकाशे सप्तविंशतिः नक्षत्राणि सन्ति । जैनाः कथयन्ति यत् महावीरवर्धमानात् पूर्वं त्रयोविंशतिः तीर्थंकराः अभवन् । पार्श्वनाथः त्रयोविंशतितमः तीर्थंकर : अभवत् । तेन पारसनाथपर्वतस्य प्रसिद्धिः ।
अर्थ — इस कक्षा में पचास छात्र हैं । इनमें इक्कीस लड़कियाँ हैं । इसके बाद उनतीस लड़के हैं । विद्यालय के बगीचे में चालीस गुलाब के, पैंतीस जूही के, पैंतालीस बेला के, तीस कनेर के तथा बाईंस अड़हुल के पौधे हैं । शरद् ऋतु में बगीचे के पचीस हरसिंगार के पौधे भी फूल धारण करते हैं । वे फूल सुबह में जमीन पर बिखरे हुए रहते हैं। सरोवर (तालाब) में कमल के फूल हैं। आज चौबीस ( कमल के फूल खिले हुए हैं। हमारे देश में इस समय अट्ठाईस राज्य हैं। आकाश में सताईस नक्षत्र हैं। जैन धर्मवालों का कहना है कि महावीर वर्धमान से पूर्व तेईस तीर्थंकर हुए। पार्श्वनाथ तेईसवें तीर्थंकर हुए। उनसे पारसनाथ पर्वत की ख्याति हई ।
अस्माकं मुखे द्वात्रिंशत् दन्ताः भवन्ति । एकस्मिन् मासे सामान्यत: त्रिंशत् दिवसाः भवन्ति । किन्तु जनवरी-मार्च – मई – जुलाई-अगस्त- अक्टूबर-दिसम्बर-मासेषु एकत्रिंशत् दिवसाः भवन्ति । फरवरीमासे अष्टाविंशतिः दिवसाः सन्ति किन्तु चतुर्थे वर्षे ते ऊनत्रिंशत् भवन्ति । मम
लेखनपुस्तिकायां चत्वारिंशत् पत्राणि सन्ति । अस्मिन् पुस्तके अष्टचत्वारिंशत् पृष्ठाः सन्ति । मम गणितपुस्तिकायां षट्चत्वारिंशत् एवं पत्राणि सन्ति । मम ग्रामे त्रयस्त्रिंशत् गृहाणि सन्ति । तव ग्रामे द्वाचत्वारिंशत् कूपाः सन्ति ।
अर्थ – हमारे मुँह में बत्तीस दाँत हैं। एक मास में सामान्यतः तीस दिन होते हैं। लेकिन जनवरी, मार्च, मई, जुलाई, अगस्त, अक्टूबर तथा दिसम्बर महीनों में इक्तीस दिन होते हैं। फरवरी महीने में अट्ठाईस दिन होते हैं लेकिन चौथे वर्ष में उनतीस दिन होते हैं। मेरी कॉपी में चालीस पन्ने हैं। इस पुस्तक में अड़तालीस पृष्ठ हैं। मेरी गणित की कॉपी छियालीस पन्ने ही हैं। मेरे गाँव में तैंतीस घर हैं । तुम्हारे गाँव में वियालीस कुएँ हैं ।
Sankhtagyanam class 7 sanskrit
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