6. TWO HORIZONS (दो क्षितिज)
Binapani Mohanty
Binapani Mohanty was born in 1936. She is a well known Oriya short story writer with several collections. She also won Orissa Sahitya Akademy award and Sahitya Akademy Award for Pata Dei, (1990). The present story is translated from Oriya by Jayanta Mahapatra.
1. Answer these questions
Have you ever felt lonely? What do you do when you
feel lonely?
MA, I tried, my utmost to do as you said. Tried to change everything and build new dreams. But I did not get lost simply in my dreams, Ma; I indeed worked hard to fulfil those I had. The many sleepless nights, those innumerable moments which cowered before pain, that I suffered without a thought. And you used to worry just because I laughed my way through life. Was it my own laughter, Ma ? This body is soaked in the consciousness of an ordinary human being of flesh and blood. It was only your existence inside my that made me laugh on, as if I had not a care in this world. Not only did I learn the secret of laughter from you; I also learned the mantra of loving pain and hardship, of loving life. Could you ever imagine how the river of blood flowed on inside when your ever-smiling daughter’s lips opened with bursts of laughter ?
Ma, how without a word of protest I shouldered those responsibilities heaped on me. How I managed so well to overcome the grievances of the family – of both parents-in-law, of sister and brother-in-law, and of my husband and children. Nobody can ever tell you that you didn’t know how to bring up your daughter! You must have heard praises, I am sure, as to how good a daughter-in-law I was! And how that must have made you happy!
But now, Ma, I don’t wish to dream any more. Life has become so mechanical that my shoulders are weary with the loads I bear. I can run no longer, I have lost my quickness. Today I observe you, Ma, and see in spite of your advancing years the undiminished enthusiasm with which you have your early morning bath and worship the sun. Also how your zest for life scatters like abundant pollen everywhere, as you hold on those moments that have gone by in your routine-bound existence! I don’t even know what nectar you spill as you circle round like a homing pigeon. I have never noticed your weariness nor have seen you anytime, downcast or sorrowful. Although I am unaware of what you do, secreted inside the puja-room. Not only I, but Father too, I feel certain, know nothing of those silent moments of yours, this moon’s unseen face. And this other side is not just a matter of a few minutes. I don’t know if you try to measure the depth of your fulfilment during this time, Ma! But afterwards, your fair and bright countenance splashes like sunlight around the house. And I, take my nourishment from it like a tiny, new sapling. Today, even if I don’t see you, your face looms up in front of me, all the time. And that is enough..
हिन्दी वाक्यार्थ- माँ, मैंने अपने को ज्यादा से ज्यादा जैसा तुमने कहा था, करने की कोशिश की। सब कुछ बदलने की कोशिश की और नये सपनें बनाने का प्रयास किया । लेकिन माँ, सपनों से कुछ खो गया उसे नहीं पा सकी, हालाँकि मैंने सचमुच उन्हें पूरा करने के लिए जो मेरे पास था, उनसे काफी मेहनत किया । बहुत रातें सोई नही
अनगिनत क्षण जो दर्द के रूप में डराते थे, मैने बिना सोचे तकलीफ सहती रही। और तुम इसलिए दुखी हो गई कि मैने अपने जीवन के रास्ते पर हंसी। माँ, क्या वह मेरी अपनी हँसी थी? यह मानव शरीर, जो मांस और खून का बना है मानवीय चेतना से सराबोर है। तुम्हारा अस्तित्व जो मेरे अंदर है वह मुझे हंसने लायक बनाया है, मानों इस संसार में सुनने-देखने वाला कोई नहीं । मैंने तुमसे केवल हंसी की गुप्त बातें ही नहीं सीखी, मैने दर्द और कठोरता सहने के साथ जीवन को प्यार करने के लिए भी तुमसे सीखा है। क्या तुम कल्पना कर सकती हो कि जब तुम्हारी बेटी एकाएक हंसने के लिए होठ खोलती है तो खून की नदियाँ अंदर में कैसे बहती हैं ? ___माँ, मैने बिना किसी विरोध के उन सारी जवाबदेहियों को अपने कंधे पर कैसे उठाये हुई हूँ। मैं कैसे परिवार के दोनों देवरों, पति और बच्चों को सही तरीके से संचालित करती हूँ। कोई तुम्हें ऐसा नहीं कह सकता कि तुम्हारी बेटी कैसे पालन-पोषण करती है, तुम नहीं जानती। तुमने प्रार्थनाएँ जरूर सुनी हैं, मैं जानती हूँ, तुम सोचती हो तुम्हारे दामाद कितने अच्छे हैं। और तुमको कैसे खुश रखते हैं।
__परन्तु माँ अब सपनों को और अधिक दिनों तक देखने की इच्छा नहीं है। जीवन इतना यांत्रिक हो गया है कि मेरे कंधे बोझ से थक गए हैं। मैं लम्बे समय तक नहीं दौड़ सकती, मैने अपनी तेजी खो दी है। सुबह-सुबह सूर्य की पूजा करने के उत्साह में कोई कमी नहीं हुई है। तुम्हारे जीवन के उत्साह भी पराग की तरह इधर चारों तरफ बिखर गए, लेकिन तुमने अपने कर्म को नहीं छोड़ा, जिसे तुम करती रही हो। मैं सचमुच नहीं जानती हूँ कि तुम्हें कबूतर की तरह छूटा के चारों ओर घूमने में क्या सुख मिलता है। मैंने तुम्हारी थकावट की कभी खबर नहीं ली और ना ही कभी तुम्हें थका देखा, न कभी दःख में देखा। हालाँकि तुम पूजा घर के अंदर अकेले में क्या करती हो, इसकी जानकारी मैं नहीं लेती। केवल मैं ही नहीं, पिता की भी, मैं निश्चय ही महसस करती हूँ तम अपने उस शांत क्षणों के बारे में कुछ नहीं जानती, जैसे चाँद का न दिखनेवाला चेहरा। और इसकी ओर कुछ मिनटों की बात नहीं है, मैं नहीं जानती यदि तम इस समय अपने वायदा की गहराई नापने की कोशिश करती हो। परन्तु माँ इसके बाद तम्हारा संटर और चमकीला चेहरा सूर्य के प्रकाश की भांति चमक बिखेरने लगता है। और मैं इसमें से बच्चे की तरह अपना पोषण लेती हूँ, नये छोटा स्रोत के रूप में। आज हालाँकि और तुम्हें नहीं देखा है, तुम्हारा चेहरा मेरे सामने चमक रहा है हर समय। और यह काफी है।
I remember when I was leaving, you had hugged me and said, “Daughter, don’t be afraid. No one can live on in this world in fear. One has to bring out that power from within oneself and face the world. Our ways are dark. It’s only the light of one’s own eyes which shows the way. Can one live with another all his life? Still, my soul will always be there beside you, like your own shadow.”
Then you patted your moist eyes with your sari and in a sudden gesture took a little vermillion from the parting in your hair to put it in mine. Mothers ordinarily do not do this.
From that day on I tried to give shape to my dreams in plan and action through all these years. Now there seems to be a huge emptiness inside. But why ? There are no great worries at home. Your son-in-law is and has always been a child, the grandchildren are no doubt insensitive, but they are not without reason or worth. I have earned a name in the work I do. And no one has ever pointed a finger at me for anything.
When these successes wave their flags of victory around me, I see no reason for this weariness I feel. Why don’t I get the fulfilment you have? Why is there so much of restlessness, so much of emptiness in me? Has the sound of your anklets been lost in the body of the sea’s sands or have you sat down somewhere, tired and weary? I don’t know if I should look back or not, Ma. I cannot understand why the air outside is choked with suspicion and unbelief!
And I realise, Ma, if I look back you will turn into stone. And if I take a step ahead, I’ll place my feet in fathomless deeps. I am unable to see my way. Yet, my whole being scents like the cluster of mango blossoms in a branch of the tree that embraces the earth. A storm seems imminent in the sky.
Can you tell me, Ma, why is it that I am not able to achieve your · fulfilment in my consciousness? What have I done, Ma? Why can’t I do as you? Why is this weariness of mine?
Your daughter.
हिन्दी वाक्यार्थ- मुझे याद है जब मैं घर छोड़ रही थी, तुमने मुझे सीने से लगाया था और कहा था, “बेटी डरना मत)। इस संसार में कोई भी डरकर नहीं रह सकता है। कोई भी इस तरह की शक्ति अपने आप से प्राप्त कर संसार का समाना करता है। मेरे रास्ते में अंधकार है लेकिन व्यक्ति की अपनी आँखों की रोशनी ही रास्ता दिखाती है। क्या कोई किसी दूसरे के साथ पूरे जीवन काल तक रह सकता है ? फिर भी, मेरी आत्मा हमेशा तुम्हारे समीप हमेशा रहेगी, तुम्हारी अपनी प्रतिबिम्ब की तर ।
तब तुमने अपने गीले नेत्रों को अपनी साडी से पोंछा था और एकाएक अपने बाला से थोड़ा सिंदूर निकालकर मुझे लगाया था। माताएँ साधारणतया ऐसा नहीं करती हैं।
उस समय से मैं अपने सपनों को योजना और कार्य रूप देने का प्रयास करने लगी। इन सभी वर्षों में (समय में), अब अंदर में बहुत बड़ा खालीपन दिखलाई पड़ता है। परन्तु क्यों ? घर में कोई बड़ी परेशानियाँ नहीं हैं। तुम्हारे दामाद हैं जो हमेशा बच्चे बने रहते हैं, शानदार बच्चे असंज्ञाशील हैं, इसमें कोई दो राय नहीं है। लेकिन वे बिना कारण या उपयोगिता में नहीं है , मैं जो काम करती हूँ उसमें नाम कमाया है। और कोई भी किसी चीज के लिए मेरी तरफ अंगुली नहीं उठाता है।
। जब मेरे चारों ओर इन सफलताओं के झंडे लहरा रहे हैं, तो मैं समझती हूँ कि मेरे इस धारणा का कोई कारण नहीं है जिसे मैं महसूस करती हूँ। मैं तुम्हारी तरह संतुष्टि क्यों नहीं प्राप्त करती हूँ ? यहाँ मुझमें अत्यधिक बेचैनी, अत्यधिक खालीपन क्या है ? क्या समुद्र के रेतों में तुम्हारे पाजेब की ध्वनि शरीर से समाप्त हो गई है या त्म कहीं थकी और व्याकुल बैठी हो? जैसे मैं नहीं जानती, मुझे पीछे मुड़कर देखना चाहिए या नहीं। मैं नहीं समझ सकती हूँ कि बाहर की हवा में शक और अविश्वास के साथ सांस
लेने में दम क्यों घुटता है ? – और माँ, मैं महसूस करती हूँ, यदि मैं पीछे देखी तो तुम पत्थर बन जाओगी। और __ यदि मैंने आगे कदम बढ़ाया, तो मैं अपने पैरों को ना समझ पाने वाली गहराइयों में पाऊँगी। मैं अपने रास्ते को देखने में सक्षम नहीं हूँ। अब तक, मेरे सभी २ गंधों के अस्तित्व आम के पुष्पों के झुण्ड, जो पेड़ की शाखा में होते हैं, की भाँति पृथ्वी को गले लगाते हैं। आसमान में आँधी सन्निकट दिखलाई देती है। __माँ, क्या तुम बता सकती हो, ऐसा क्यों है कि मैं तुम्हारी पूर्णता को अपनी चेतना से प्राप्त करने में सक्षम नहीं हूँ ? माँ, मैने क्या किया है ? मैं तुम्हारे जैसा क्यों नहीं कर सकती है? मेरे पास ऐसी धारणा क्यों है? .
-तुम्हारी बेटी
The world appeared more blurred to Ma when she read the letter in the already- blurring light of her eyes. Her daughter’s ruffled hair falling across her sweat-covered face suddenly danced before her. At times she had seen the glint of a tear in those eyes half hidden by the long hair. She had appeared not to notice it. A clay figure can be set right if the mind is torn apart by little things, not a being of flesh and blood. So she had accepted the ways of life and had remained silent. But what was this? Her daughter was never the one to be exhausted after these many years. What then had brought on this fatigue in her? And where did she herself have the strength, both in mind and body, that she would rush off, getting over a two-day-long journey! Couldn’t her daughter understand how difficult it was for her to travel and be near her ?
Ma wiped her glasses and read the letter again. Some concealed pain made her shiver. Time and again she went into the puja-room and shut the door, locking herself in. Her god’s face was unchanged, as of everyday. Until today she had told him all now she had to tell her daughter a few things, sitting before him. Ma looked at her uwa face in the mirror. Nothing there, no beauty at all under the wrinkled skin and bone. None of the sunlight or pollen that radiated earlier from her eyes. She felt weary all of a sudden, seeing herself. She straightened herself and sat down. Had her daughter’s weariness entered her somehow? She closed her eyes and looked at her god and saw her daughter’s face float before her. The sweaty face of a child.
हिन्दी वावयार्थ – माँ को संसार अधिक चला लगन लगा जब उसने आई नेत्री से पा को पड़ी । उराकी पुत्री की लहराते बाल, जा उसके सुंदर चेहरे को थे, अनानक उसके सामने नृत्य करने लगे। उस समय उसने लम्बी वालों में आँखों से आँस की झलक देखी थी। वह प्रकट हुई थी लेकिन उसकी खबर नही सख्त चिकनी आकृति भी सही हो सकती है यदि दिमाग को अलग किसी ठोरी”। से फाड़ । दया जाता है, मांस और खून के साथ ऐसा नहीं होता। इसलिए उसने र जीवन के रास्तों को स्वीकार कर लिया था और चुप रहती थी। लेकिन यह क्या था। लेकिन उसकी बेटी इतने समय के बाद भी थकी नहीं थी। तब क्या हुआ कि उसमें थकावट आ गई ? और उसके अंदर दोनों मस्तिष्क और शरीर में ताकत कहाँ है कि वह भीड़ में चल सके ताकि दो दिनों की लम्बी यात्रा कर सके । उसकी बेटी नहीं समझ सकती कि इसके लिए यात्रा करना और उसके पास पहुँचना कितना कठिन था ?
माँ ने चश्मा पोछा और दोबारा पत्र को पढ़ा। कुछ गुप्त दर्द से काँपने लगी। तब पुनः पूजा के कमरे में गई और दरवाजा बंद कर दिया और अपने आपको उसमें बंद कर ली। उसके ईश्वर के चेहरा में कोई बदलाव नहीं हुआ था वह रोज की तरह था। जब तक आज उसने उसके सब कुछ बता दिया था जो उसने कुछ चीजें अपनी बेटी कों बताती थी, वह उसके सामने बैठी थी। माँ ने अपने चेहरे को आईने में देखा। कुछ नहीं था। मुरझाए चेहरे और हड्डियों पर कोई सुंदरता नही थी। उसकी आँखों से कुछ देर पूर्व निकलने वाली सूर्य की किरणों की भाँति प्रकाश या पराग नहीं था। अपने आप को देखकर व्याकुल हो गई। उसने अपने को सीधा किया और बैठ गई। क्या उसकी बेटी की मायूसी उसके अंदर किसी तरह प्रवेश कर गई थी? उसने अपनी आँख बद कर लीं और अपने भगवान को देखने लगी और उसने अपनी बेटी का चेहरा सामने तरत नजर आयी। एक बच्चा का सुंदर चेहरा।
Dear Daughter,
I got your letter. I was delighted to receive a long one from you after so long. You don’t have the time to come here, and I don’t have the strength to come to you even though I have the time. Still, I am there by your side, like your own shadow.
You seem a little tired, me daughter. This happens. Who does not get tired? I was too, on life’s long road. At times I have sat down under a tree, at other times waited in the harsh noonday sun by the road, my skin on fire. Sometimes blinded by sunlight, sometimes walked on fearlessly in the total dark of a moonless night. Laughing or crying. Then, living for a moment during the whole day, to die in the next, and be resurrected again. Do you know who made me fall and made me get up, who killed me and brought me to life again? I was I myself, the I who is only mine; nobody else was there with me. Nor was there anyone to whom I could turn for help at any time that I can remember. How very different the times are, that and this, like between heaven and hell! And so I couldn’t have told anyone what I went through. Who would have listened to me?
Once, I remember, I had complained of something before your father. He was getting ready to leave for his office. It was as though he
hadn’t heard what I had said. When I repeated my words, he had “, answered gruffly, “I don’t forget what I hear once. Is it necessary for
you to remind me?” Suddenly how strange, how stern had this face of a man I’d known for years become – a man who usually smiled and was prone to light-hearted banter! It was as if my feet had lost their wings and had come down in unknown deeps. How could I have imagined I’d meet a stranger after so many years? From then on I never said anything to him, nor did I face that stranger again.
Another time, in the midst of some talk, your grandmother reproached your father. She never said anything to me about the dowry I had brought along when I was married; on the other hand, she extolled every virtue of mine. On that occasion, however, I had answered back in anger. Her face tore open in obvious irritation, it seemed as if every visage of motherhood had vanished in a moment. I was amazed, shocked. The entire world suddenly appeared poor to me. And later, I began to ignore whatever she said, even tried not to go into the meaning of such words when I overheard them.
हिन्दी वाक्यार्थ—प्रिय पुत्री !
तुम्हारा पत्र मिला। मुझे प्रसन्नता हुई कि तुमने इतने दिनों बाद पत्र लिखा । तुम्हारे पास यहाँ आने के लिए समय नहीं है और मेरे पास तुम्हारे यहाँ जाने की ताकत नहीं है, हालाँकि मेरे पास समय है। फिर भी, मैं वहाँ तुम्हारी अपनी साया की तरह हूँ।
मेरी बच्ची, तुममें हल्की थकावट दिखलाई पड़ती है। ऐसा होता है। कौन नहीं थकता है ? मैं भी अपने जीवन के लम्बी सड़क पर थक जाती थी। उस समय पेड़ के नीचे बैठ गयी, दूसरे वक्त (समय) सड़क पर रूखे दोपहरी सूर्य की किरणों का इंतजार किया, मेरे चमड़े जल रहे थे। कभी-कभी सूर्य की रोशनी में कुछ दिखता नहीं था. कभीकभी बिना भय के चाँदरहित अंधेरी रातों में टहलती थी। हँसती थी या चिल्लाती थी। तब पूरे दिन कुछ क्षण के लिए जीती थी, दूसरे दिन मरने के लिए और फिर से जीवन . प्राप्त कर लेती थी। क्या तुम जानती हो कि कौन मुझे नीचे गिराता था और ऊपर उठाता था कौन मुझे मारता था और पुनः जीवन देता था ? मैं थी, मैं स्वयं, मैं जो केवल मुझम है, वहाँ मेरे साथ कोई दूसरा नहीं था। वहाँ कोई नहीं था, जिससे मैं सहायता के लिए कह सकूँ, किसी भी समय मुझे याद है। कैसे भिन्न-भिन्न समय है, वह और यह, स्वर्ग
और नरक की तरह! और इसलिए मैने किसी को नहीं कहा कि मैं कैसे जाती थी। मेरी कौन सुनेगा? ___मुझे याद है, एक बार मैंने तुम्हारे पिताजी से कुछ चीजों के लिए शिकायत की थी। वह अपने कार्यालय से आने के लिए तैयार थे। ऐसा था कि उन्होंने नहीं सुना था कि मैने क्या कहा। जब मैने अपनी बातें दोहरायी, उन्होंने क्रूरता से जवाब दिया, “मैं नहीं भूलता कि मैं एक बार में क्या सुना। यह तुम्हारे लिए जरूरी है कि तुम मुझे याद दिला दो ?” अचानक एक पुरुष का चेहरा कितना परिचित और निष्ठुर हो गया, मैंने वर्षों बाद जाना—एक पुरुष जो जरूरत से मुस्कुराता है और दिल को छू लेने वाली बातें करता है। यह ऐसा था मानो मेरे पैरों में जान नहीं थे और अपरिचित गहराई में चले गए थे। मैने कैसे कल्पना की थी, मैंने बहुत सालों के बाद परदेसी से मिली थी? उस समय से मैंने उनसे कुछ नहीं कहा, मैं ऐसे अजनबी का दोबारा सामना नहीं कर सकी।
दूसरे समय, कुछ बातचीत के बीच में, तुम्हारी दादी माँ ने तुम्हारे पिताजी से शिकायत की। उन्होंने मुझसे दहेज के बारे में कुछ कहा जो मैं शादी के समय लेकर आयी थी, दूसरी तरफ वे मेरे सद्गुणों की तारीफ करती थीं। उस अवसर पर, हालाँकि मैने क्रोध में जवाब दिया था। उनका चेहरा स्पष्ट क्रोध में लाल हो गया, ऐसा लग रहा था कि माँ का चेहरा क्षण भर में समाप्त हो गया था। मैं अचंभित, दुःखी हो गई थी। सारा संसार मेरे लिए अचानक दरिद्र दिखने लगा । और बाद में, मैं इसको टालने लगी
कि उन्होने क्या कहा, इतना तक कि मैं उन शब्दों के अर्थ को भी समझने की कोशिश ___ नहीं करती जो मेरे मन मस्तिष्क को चोट पहुँचाते थे।
Have you observed the mimosa plant, my daughter? Seen the millipede of the monsoon months? How it curls itself into a tiny ball when touched? My whole life long I have been that. But now I feel certain of one thing, that all of them could not have gone on without my help. And so, like the new day, I was reborn every morning. I never found the time to look into myself. I wonder whether you have seen much of me, but I have never considered looking carefully at myself.
You speak of being whole, of fulfilment. Is fulfilment something which can be bought? Can it be gifted to someone if he wants to? You still remember, don’t you, of the tale of the crocodile befriending a monkey! The more one comes closer to someone, the more one eats into the other. But can one remain conscious and alert at all times? I realise now how my insides must have been eaten up. Or, is it that I have thrown my heart away? Or else why should I be experiencing this vast emptiness after reading your letter?
If you think that I possess this deep sense of fulfilment, then I’d say it is but the simplicity of an innocent child. The companion of my joys and sorrows is only my god who is there before me. I have surrendered myself to him. To him my pain and tears, my losses and agonies.
But you will find no use for the key to my own fulfilment. You have to seek within yourself, find for yourself the key you need. You are knowledgable and intelligent, and you possess the gift of searching for things, with the glittering world before you. Never try to become an innocent child. Your discontent will disappear slowly on its own.
A whole new world lies right before you. That god who kept my own faith alive will certainly keep your path clear for you. But remember, my child, the circle of fulfilment is always limited, while unfulfilment grows on, boundless. I do not know myself how far is the reach of that boundlessness. I believe you can touch the horizon of that. infinite. The deeper the measure of unfulfilment, the closer to you will be your fulfilment.
हिन्दी वाक्यार्थ- मेरी बच्ची ! क्या तुमने छुई-मुई का पौधा देखा है ? मौसमी महीनों के हवाओं को देखो ? वह अपने को एक छोटी गेंद के साथ कैसे घुमाती है ? मैं पूरे लम्बे जीवन में मैंने ऐसा किया है। परन्तु अब मैं एक चीज की निश्चितता महसूस करती हूँ कि मेरी मदद के बगैर वे सब नहीं जा सकते थे। और इसलिए नये दिन की तरह, मैं हरेक सुबह पुनर्जन्म लेती थी। मैंने अपने आपको देखने के लिए कभी समय नहीं निकाली। मुझे आश्चर्य है कि तुम मुझमें ज्यादा कैसे देख ली, परन्तु मैने अपनी तरफ ध्यानपूर्वक देखते हुए कभी भी विचार नहीं किया है। ___तुम समूचे परिपूर्णता के अस्तित्व के बारे में बोली है। क्या परिपूर्णता कोई वस्तु है, जिसे खरीदा जा सकता है ? क्या इसे किसी को उपहार में दिया जा सकता है यदि कोई इसकी चाहत रखता हो ? याद रखो, तुम ऐसा नहीं कर सकती, मगरमच्छ को पूँछ हो जाने से बंदर से उसकी दोस्ती नहीं हो सकती । ज्यादा से ज्यादा कोई कुछ के नजदीक आ सकता है, ज्यादा से ज्यादा कोई दूसरे के साथ खाना खा सकता है। परन्तु क्या कोई हमेशा सचेत और सावधान रह सकता है ? अब मैं महसूस करती हूँ कि मेरी अंतरात्मा सचमुच खाली है। या क्या ऐसा है कि मैंने अपनी आत्मा को दूर फेंक दिया है? या इसके अलावा तुम्हारा पत्र पढ़ने के बाद इस गहरे खालीपन पर मुझे क्यों प्रयोग करना चाहिए ? यदि तुम सोचती हो कि मैंने पूर्णता के गहरे अनुभव को अपने कब्जे में कर लिया है तब मैं कहती हूँ कि यह निर्दोष बचकाना सादापन है। मेरी खुशियों और दुःखों की तुलना केवल मेरा भगवान, जो वहाँ मेरे पहले है, करता है, मैंने अपने आपको उसे अर्पित कर दिया है। उसके लिए मेरे दुख, दर्द और आँसू मेरी हानियाँ और अत्यन्त कष्ट हैं।
परन्तु तुम पाओगी कि मेरी अपनी पूर्णता की चाभी के लिए कोई उपयोग नहीं है। तुमको अपने आपके बिन ढूँढ़ना है, अपने आप को पाना है, वह चाभी जिसकी तुम्हें आवश्यकता है। तुम जानकार और तेज हो और उपहार देने के लिए चीजों को ढूँढ़ने का उपाय कर लिया है। जगमगाता संसार तुम्हारे सामने है। कभी भी निर्दोष बच्चा बनने का प्रयास मत करना। तुम्हारा असंतोष इस प्रकार स्वतः गायब हो जायेगा।
एक पूरा नया संसार तुम्हारे समाने पड़ा है। वह ईश्वर जो मेरे विश्वास को जिन्दा रखा है, निश्चित रूप से तुम्हारे मार्ग को अवरुद्ध रखेगा। परन्तु मेरी बच्ची, याद रखना . पूर्णता का वृत हमेशा सीमित है, जबकि अपूर्णता बढ़ती जाती है, कोई सीमा नहीं है। मैं अपने आपको नहीं जानती, उस अपार तक पहुँचना कैसे दूर है। मुझे विश्वास है कि तुम क्षितिज के उस अनंत को छू सकती हो। अपरिपूर्णता की गहराई, पूर्णता के नजदीक ले जायेगी।
खुश रहो
तुम्हारी माँ