Bihar Board Class 8 Social Science महिलाओं की स्थिति एवं सुधार (Mahila ki Sasti Evam Sudhar Class 8th History Solutions) Text Book Questions and Answers
9. महिलाओं की स्थिति एवं सुधार
अध्याय में अंतर्निहित प्रश्न और उनके उत्तर
प्रश्न 1. ‘बहुजन समाज’ नामक संस्था किसने स्थापित की ? इस संस्था के क्या उद्देश्य था ? (पृष्ठ 130)
उत्तर— ‘बहुजन समाज’ नामक संस्था की स्थापना ज्योतिराव फूले की पत्नी सावित्री बाई फूले ने की। इस संस्था का उद्देश्य महिलाओं को पुरुषों के समक्ष समानता का अधिकार दिलाता था। यह जरूरत आज भी बनी हुई है । यदि सम्पूर्ण समाज सुधार पर ध्यान दें तो उच्च वर्ग की महिलाओं ने इस समस्या पर अधिक ध्यान दिया ।
प्रश्न 2. अपनी पुस्तक ‘स्त्री पुरुष तुलना’ में ताराबाई शिंदे में क्या लिखा है ? पठित पाठ के आधार पर उत्तर दें । (पृष्ठ 132)
उत्तर — अपनी पुस्तक ‘स्त्री पुरुष तुलना’ में ताराबाई शिंदे ने लिखा है कि जब औरत का पति मर जाता है तब उसका क्या हन होता है ? नाई आता है और विधवा हो चुकी स्त्री के लहराते बाल साफ कर देता है। उसे शादी-विवाह जैसे शुभ कार्यों से बहिष्कृत कर दिया जाता है, जहाँ विवाहिता महिलाएँ ही जाती हैं। भला इन पाबन्दियों की वजह क्या है । क्योंकि उसका पति मर चुका है। वह अभागी है। दुर्भाग्य उसके माथे पर खुदा हुआ है । यात्रा पर निकलते समय उसका चेहरा भी नहीं देखा जाता । यह अशुभ होता है।
प्रश्न 3. कोरनेलिया सोराबजी कौन थीं? उन्होंने क्या किया ? (पृष्ठ 135)
उत्तर – करनेलिया सोराबजी एक महिला वकील थीं। उन्होंने रखमा बाई के मुकदमे में महिलाओं के पक्ष में महत्वपूर्ण प्रश्न उठाये थे ।
प्रश्न 4. कुछ मुस्लिम महिलाओं के नाम और काम बताइए जिन्होंने शिक्षा के विकास के लिये काम किया ? (पृष्ठ 138)
उत्तर – शेख अब्दुल्ला की पत्नी बेगम वाहिद जहाँ ने अपने पति के सहयोग से अलीगढ़ कन्या विद्यालय की स्थापना कि जो बाद में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के तहत एक महाविद्यालय का रूप धारण कर चुका है। इस प्रकार बेगम रुकैया सखावत हुसैन ने कलकत्ता और पटना में मुस्लिम लड़कियों के लिये स्कूल खोले, जो आज बुलन्दियों पर हैं।
प्रश्न 5. ऐतिहासिक ‘मैरिज बिल’ का ड्राफ्ट कब, कहाँ और किसके द्वारा तैयार किया गया ? (पृष्ठ 139)
उत्तर – ऐतिहासिक ‘मैरिज बिल’ का ड्राफ्ट 1871 ई. में केशवचन्द्र सेन द्वारा पटना में तैयार किया गया।
प्रश्न 6. दहेज को कब अवैध घोषित किया गया ? इस संबंध में आज की ( पृष्ठ 139 ) स्थिति क्या है ?
उत्तर – दहेज को 1861 के अधिनियम से अवैध घोषित किया गया। लेकिन यह कुप्रथा रुकी नहीं । आज भी प्रचलित है। यही नहीं, स्थिति तो यह है कि अधिक-से- अधिक दहेज समेटने के लिए बहुओं को मारा-पीटा जाता है, उन्हें प्रताड़ित किया जाता है और कहीं-कहीं तो उन्हें जलाकर मार डालने की भी बात सुनी जाती है ।
अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर
आइए याद करें :
प्रश्न 1. सही विकल्प को चुनें :
(i) स्त्रियों की असमानता की स्थिति पर पहली बार किसके द्वारा प्रश्नचिह्न लगाया गया ?
(क) अंग्रेजों के द्वारा
(ख) भारतीय शिक्षितों के द्वारा
(ग) महिलाओं के द्वारा
(घ) निम्न वर्ग के प्रणेताओं के द्वारा
(ii) शिक्षा किस वर्ग की महिलाओं तक सीमित रही ?
(क) निम्न वर्ग
(ख) मध्यम वर्ग
(ग) उच्च वर्ग
(घ) इनमें कोई नहीं
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(iii) कानून के द्वारा सती प्रथा का अंत कब हुआ ?
(क) 1826
(ख) 1827
(ग) 1828
(घ) 1829
(iv) विधवा पुनर्विवाह के प्रति किसने अपना जीवन समर्पित कर दिया ?
(क) ईश्वर चंद्र विद्यासागर
(ख) दयानन्द सरस्वती
(ग) राजा राममोहन राय
(घ) सैयद अहमद खाँ
(v) बाल विवाह निषेध अधिनियम किस वर्ष पारित हुआ ?
(क) 1926
(ख) 1927
(ग) 1928
(घ) 1929
उत्तर : (i) → (क), (ii) → (ग), (iii) → (घ), (iv) → (क), (v) → (घ) ।
आइए विचार करें
प्रश्न (i) महिलाओं में असमानता की स्थिति मुख्यतः किन कारणों से थी ?
उत्तर— महिलाओं में असमानता की स्थिति इसलिये थी कि एक तो उनका विवाह कम उम्र में ही कर दिया जाता था और विवाह के पश्चात उन्हें परदे में रहना पड़ता था । परदा पर्था के कारण स्कूल जाने का सवाल ही नहीं था। समाज में बहु-विवाह तथा अनमेल विवाह की प्रथा धड़ल्ले से जारी थी। उच्च कुल में विवाह हो, इस कारण अधेड़ या बूढ़े के साथ भी नन्हीं बिटिया का विवाह कर दिया जाता था । फलतः जबतक लड़की के युवती बनते-बनते उसका बूढ़ा पति चल बसता था । इस स्थिति में पति की चिता में युवती पत्नी को भी जला दिया जाता था । इस कुपर्धा को सती प्रथा कहा जाता था । इस बात की निन्दा की जगह सती को महिमा मंडित किया जाता था । पुरुष तो किसी भी अवस्था और स्थिति में अनेक विवाह कर सकता था किन्तु महिलाओं का विधवा हो जाने के बाद दूसरा विवाह नहीं हो सकता था ।
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प्रश्न (ii) सती प्रथा पर किस प्रकार का विवाद रहा? सती विरोधी एवं सती समर्थक विचारों को लिखें ।
उत्तर- उन्नीसवीं सदी तक तो विधवा महिलाओं को अनेक कष्ट भोगने पड़ते थे, लेकिन उनमें भी भारी कष्ट की बात थी सती प्रथा । पति के मरते ही उसी की चिता के साथ उसके जीवित पत्नी को जला दिया जाता था । लोग इसे धार्मिक परम्परा कह कर इस पाप पर पर्दा डालते रहे । सती होने वाली महिला का स्तुति गान होता था और उसे महिमा मंडित किया जाता था । लगता है कि इस षड्यंत्र का कारण सम्पत्ति में हिस्सा से वंचित करने के लिए ये झूठी कहानियाँ गढ़ी जाती थीं ।
इस कुप्रथा को सर्वप्रथम विदेशी दार्शनिकों ने उठाया । इससे वे यह भी साबित करना चाहते थे कि भारतीय अनपढ़ हैं और इनको अंग्रेज ही सभ्य बना सकते हैं। इस कटु आलोचना से भारतीय विद्वान भी तिलमिला उठे । भारतीयों में सर्वप्रथम आवाज उठाने वालों में राजा राममोहन राय थे। उन्होंने सती प्रथा के विरुद्ध बुलन्द आवाज उठाई । ‘उनके साथ ही और भी भारतीय विद्वानों ने उनका समर्थन किया । फलस्वरूप 1929 ई. में सती प्रथा के विरुद्ध कानून बना । इस प्रकार इस कानून के बन जाने से भारत से सती प्रथा का उन्मूलन हो गया ।
प्रश्न (iii) राजा राममोहन राय के द्वारा महिलाओं से संबंधित किस समस्या के खिलाफ आवाज उठाया गया ?
उत्तर- राजा राममोहन राय तथा उनकी संस्था ब्रह्म समाज ने महिलाओं के उत्थान के लिये अनेक कार्य किये। इसी संगठन ने महिलाओं के लिए समानता के पक्ष में वातावरण बनाने का काम किया। इसके लिये ये पश्चिमी ढंग की शिक्षा को उचित मानते थे । इस तरीका को अन्य समाज सुधारक और संगठन भी मानने लगे । ब्राह्म समाज के लोग महिलाओं की स्थिति सुधारने के अनेक प्रयास किये । उन्होंने शिक्षा के प्रसार का प्रयास किया। महिलाओं को भी सम्पत्ति का उत्तराधिकार मिले- इस बात को भी उठाया गया । महिलाओं के पक्ष में राजा राममोहन राय या उनके ब्रह्म समाज का स्तुल्य कार्य सती प्रथा के विरुद्ध कानून बनवाना था ।
प्रश्न (iv) ईश्वरचन्द्र विद्यासागर के महिना सुधार में योगदानों की चर्चा करें।
उत्तर- ईश्वरचन्द्र विद्यासागर एक सुप्रसिद्ध समाज सुधारक थे। उन्होंने आजीवन महिलाओं के उत्थान के लिये प्रयत्नशील रहे । सबसे पहले इन्हीं के नेतृत्व में विधवा विवाह को कानूनी विवाह के पक्ष में आंदोलन चलाया गया। प्राचीन ग्रंथों का हवाला देकर इन्होंने सिवा किया कि विधवा विवाह जायज है। अंग्रेज सरकार ने उनके सुझाव को मानते हुए 186 में विधवाओं के पक्ष में एक कानून पारित कर दिया । इस कानून के बनने से विधवा मान्यता तो मिली, लेकिन सामाजिक मान्यता नहीं मिली । ईश्वर चन्द्र विद्यासागर ने जब अपने बेटे का विवाह एक विधवा से करा दिया तो कट्टरपंथियों ने इनको जाति से बहिष्कृत कर दिया, फिर भी ये रुके नहीं । आजीवन इस काम में लगे रहने के बावजूद इनका काम एक प्रारंभिक बिंदु भर ही साबित हुआ । इनके बाद के अन्य समाज सुधारक भी इस काम में लगे रहे।
प्रश्न (v) स्वामी विवेकानन्द ने महिला उत्थान के लिए कौन-कौन से उपाय सुझाए ?
उत्तर—अपने देशवासियों की कमजोरियों के प्रति विवेकानन्द क्षुब्ध रहते थे । देश को सही रास्ते पर लाने के लिये ये महिला उत्थान को आवश्यक मानते थे । इसके लिये उन्हें शिक्षित करना आवश्यक था । शिक्षा के द्वारा ये महिलाओं की गरिमा को बनाये रखना चाहते थे । उनका मानना था कि इस कार्य से भारतीय संस्कृति का आदर पश्चिम जगत में स्थापित हो सकता है ।
■ आइए करके देखें :
(i) महिलाओं में साक्षरता बढ़ाने के लिए आपके विचार से क्या प्रयास किये जाने चाहिए ? वर्ग में सहपाठियों से चर्चा करें ।
(ii) महिला उत्थान के लिए चलाये जाने वाले सरकारी कार्यक्रमों की जानकारी एकत्र कर उसकी एक सूची बनाएँ ।
संकेत : यह परियोजना कार्य है। छात्र स्वयं करें ।
कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. भारत में सती प्रथा पर रोक कानून किसके प्रयास से लागू हुआ?
उत्तर—भारत में सती प्रथा पर रोक का कानून राजा राममोहन राय के प्रयास लागू हुआ ।
प्रश्न 2. आर्य समाज की स्थापना किसने को ?
उत्तर—आर्य समाज की स्थापना स्वामी दयानन्द सरस्वती ने की ।
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प्रश्न 3. रामकृष्ण मिशन की स्थापना किसने की ?
उत्तर— रामकृष्ण मिशन की स्थापना स्वामी विवेकानन्द ने की ।
प्रश्न 4. ब्रह्म समाज की स्थापना किसने की ?
उत्तर—ब्रह्म समाज की स्थापना राजा राममोहन राय ने की।
प्रश्न 5. अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय की स्थापना किसने की ?
उत्तर- अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय की स्थापना सर सैयद अहमद खाँ ने की।
प्रश्न 6. प्राचीन ग्रंथों के ज्ञान से सुधारकों को नए कानून बनवाने में किस तरह मदद मिली ?
उत्तर – प्राचीन ग्रंथों के ज्ञान से सुधारकों को नए कानून बनवाने में इस तरह मदद मिली कि वे उन ग्रंथों से ऐसे श्लोक या उक्तियाँ ढूँढ़ निकालते थे, जो इनके सुधारवादी विचारों के समर्थन में जोर देते थे । ऐसे श्लोकों को या उक्तियों को स्वार्थी ब्राह्मण या तो लोप कर देते थे अथवा उनका गलत अर्थ लगाते थे । वे ऐसा अर्थ निकालते थे, जिनसे इनका हित साधन होता था ।
प्रश्न 7. लड़कियों को स्कूल न भेजने के पीछे लोगों के पास कौन-कौन से कारण होते थे ?
उत्तर—आम जन यह मानता था कि स्कूल जाने के कारण लड़कियाँ पथ भ्रष्ट हो जाएँगी। स्कूल वाले उन्हें घर के काम-धंधा करने से रोकेंगे। उन्हें सार्वजनिक स्थानों से होकर स्कूल जाना पड़ेगा। यह लड़कियों के लिए हितकारी नहीं होगा ।
प्रश्न 8. अंग्रेजों के काल में ऐसे लोगों के लिए कौन-से नए अवसर पैदा हुए जो ‘निम्न’ मानी जाने वाली जातियों से संबंधित थे?
उत्तर- अंग्रेजी काल में हर प्रांत और क्षेत्र में नए नगर बस रहे थे । वहाँ सड़क, नाली, मकान आदि बनाने के लिए लोगों की आवश्यकता थी । बहुत लोग वहाँ जाकर काम करने लगे । सेना में भारी मात्रा में महार जाति के लोग भर्ती हुए । उन्हीं के नाम परं महार रेजिमेंट बना था । मारीशस, त्रिनिदाद, मलाया आदि द्विपीय देशों में काम के लिए चले गए । ऊँची जातियों की दमनकारी व्यवहारों से इन्हें निजात मिल गई ।
प्रश्न 9. ज्योतिराव और अन्य सुधारकों ने समाज में जातीय असमानताओं की आलोचनाओं को किस तरह सही ठहराया ?
उत्तर—अनेक सुधारकों ने समाज में जातीय असमानताओं की आलोचना भारत के प्राचीन ग्रंथों से हवाला देकर किया लेकिन ज्योतिराव फुले ने जो दलील दी,
मेरी समझ से लेखक या लेखकों के अपने विचार होंगे । फुले के लिए बताया गया है कि उन्होंने आर्यों को आक्रामणकारी और स्वयं को आक्रांता बताया । वास्वत में आर्य आक्रमणकारी नहीं थे। वे उत्तर भारत के मूल निवासी थे । यह बात दूसरी है कि दक्षिण भारत के द्रविड़ों के बीच उन्होंने वैदिक धर्म का प्रचार-प्रसार किया और उनकी खूबियों को समझाया । वैदिक धर्म में विकृति तो बाद में आई, जो उत्तर भारत और दक्षिण भारत में समान रूप से दृष्टिगोचर हुई । दक्षिण भारत से अधिक सुधारक उत्तर और मध्य भारत में हुए । उनमें से तो किसी ने ऐसे विचार प्रकट नहीं किए ।
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