इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड के कक्षा 10 के भूगोल के इकाई तीन का पाठ ‘निर्माण उद्योग’ (Nirman Udyog)के महत्वपूर्ण टॉपिक को पढ़ेंगें।
इकाई-3
निर्माण उद्योग
विनिर्माण उद्योग किसी भी राष्ट्र के विकास और संपन्नता का सूचक है। कच्चे मालों द्वारा जीवन के उपयोगी वस्तुएँ तैयार करना विनिर्माण उद्योग कहलाता है। जैसे- कपास से कपड़ा, गन्ने से चीनी, लौह-अयस्क से लोहा एवं इस्पात, बॉक्साइट से एल्यूमिनियम आदि।
भारत में आधुनिक औद्योगिक विकास का प्रारंभ मुम्बई में प्रथम सुती कपड़े की मिल की स्थापना 1854 में हुआ था। जूट का पहला कारखाना 1855 में कलकत्ता के नजदिक रिशरा नामक स्थान पर लगाया गया था।
भारत में उद्योगों का योजनाबद्ध विकास स्वतंत्रता के बाद 1951 से प्रारंभ होता है।
सूती वस्त्र उद्योग :
भारत में सर्वप्रथम 1854 ई० में काबस जी नानाभाई डाबर ने मुम्बई में आधुनिक सुती वस्त्र उद्योग का विकास किया।
सूती वस्त्र उद्योग आज भारत का सबसे विशाल उद्योग है। यह कृषि के बाद रोजगार प्रदान करनेवाला दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है।
सकल घरेलू उत्पादन में इसका योगदान 4.0 प्रतिशत है एवं विदेशी आय में इसका योगदान 17 प्रतिशत है।
सूती वस्त्र उद्योग के लिए कच्चे माल के रूप में कपास का उपयोग किया जाता है। मुम्बई को सूती कपड़ों की महानगरी कहा जाता है। क्योंकि सिर्फ मुम्बई महानगरी क्षेत्र में देश का लगभग एक चौथाई सूती वस्त्र तैयार किया जाता है।
जूट या पटसन उद्योग :
सूती वस्त्र उद्योग के बाद जूट उद्योग भारत का दूसरा महत्वपूर्ण उद्योग है। कच्चे जूट और जूट से बने समान के उत्पादन में भारत विश्व में पहला स्थान है। जूट के समान के निर्यात में भारत विश्व में बंगलादेश के बाद दूसरा स्थान है। पश्चिम बंगाल में 80 प्रतिशत से अधिक जूट के समानों का उत्पादन होता है।
ऊनी वस्त्र उद्योग :
यह देश के पूराने वस्त्र उद्योग मे से एक है। ऊनी वस्त्र उद्योग पंजाब, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा और राजस्थान राज्यों में है। भारत विश्व में सातवाँ ऊन का सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
रेशमी वस्त्र :
भारत शुरू से ही रेशम से बनी वस्तुओं के उत्पादन के लिए विश्व प्रसिद्ध रहा है। यहाँ चार प्रकार की रेशम मलवरी, तसर, ईरी और मूँगा पैदा की जाती है। 90 प्रतिशत से अधिक रेशम का उत्पादन कर्नाटक, तामिलनाडु, पश्चिम बंगाल और जम्मु काश्मीर राज्यों में होता है।
कृत्रिम वस्त्र :
कृत्रिम धागे- पेट्रो रशायन के उत्पादन द्वारा कृत्रिम धागे तैयार किया जाता है। जैसे- नाईलॉन, पॉलिस्टर रियान और पॉलिमर।
कृत्रिम वस्त्र उद्योग में कृत्रिम धागे का प्रयोग किया जाता है। मानव निर्मित रेशों को रासायनिक प्रक्रिया द्वारा लुगदी, कोयला तथा पेट्रोलियम से प्राप्त किया जाता है। वस्त्र में अधिक गुणवत्ता लाने के लिए इसे प्रायः प्राकृतिक रेशों जैसे कपास, रेशम और ऊन के साथ मिलाकर बनाया जाता है।
चीनी उद्योग :
भारत विश्व में गन्ने के उत्पादन में सबसे बड़ा देश है। गुड़ और खांडसारी को मिलाकर चीनी के उत्पादन में भी इसका पहला स्थान है। इस उद्योग का विकास आधुनिक आधार पर 1903 में प्रारंभ हुआ जब सारण जिले के मढ़ौरा में एक चीनी मिल की स्थापना की गई।
2008 में देश में लगभग चालू चीनी मिलों की संख्या 615 थीं जिसमें सिर्फ महाराष्ट्र में 134 से अधिक मिलें है। वर्तमान समय में यह उद्योग 4 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान करता है।
लौह और इस्पात उद्योग :
लौह और इस्पात उद्योग एक आधारभूत उद्योग हैं, क्योकि अन्य सभी भारी हल्के और मध्यम उद्योग इनसे बनी मशीनरी पर निर्भर करते हैं। इसे अन्य उद्योगां का जनक भी कहा जाता हैं। भारत में लौह इस्पात का पहला कारखाना 1830 में पोर्टोनोवा नामक स्थान पर तमिलनाडू में स्थापित किया गया था परन्तु स्थानियकरण के अनुकुल
कारकों की कमी के कारण इसे बन्द करना पड़ा।
आधुनिक लौह इस्पात उद्योग का वास्तविक रूप से प्रारम्भ सन 1864 ई0 में पश्चिम बंगाल में कुल्टी नामक स्थान पर स्थापित होने के साथ हुआ और इस्पात का बड़े पैमाने पर उत्पादन सन् 1907 ई0 में टाटा आयरण एण्ड स्टील कम्पनी द्वारा साक्ची (झारखंड स्थित जमशेदपुर) में कारखाना की स्थापना के साथ हुआं।
लौह इस्पात उद्योग एक भारी उद्योग है क्योंकि इसमें भारी तथा अधिक स्थान घेरने वाले कच्चे माल का उपयोग होता है।
भारत कच्चे इस्पात उद्योग में पाँचवें स्थान पर है। जमशेदपुर को भारत का र्बमिंघम कहा जाता है।
एल्युमिनियम उद्योग :
यह लौह एवं इस्पात उद्योग के बाद भारत का दूसरा महत्वपूर्ण धातु उद्योग है। यह लचीला, हल्का, जंगरोधी, ऊष्मा और विद्युत का सुचालक होता है। इसका अयस्क बॉक्साइट है। हवाई जहाज, बर्त्तन उद्योग तथा तार बनाने में इसका उपयोग किया जाता है।
ताँबा प्रगलन उद्योग :
भारत में पहला ताँबा प्रगलन संयंत्र भारतीय तांबा निगम द्वारा घाटशिला नामक स्थान पर झारखंड राज्य में स्थापित किया गया था। 1972 में भारतीय तांबा निगम को हिन्दुस्तान तांबा लिमिटेड में हस्तांतरित कर दिया गया है। भारत में एकमात्र तांबा उत्पादन संस्थान हिन्दुस्तान तांबा लिमिटेड है।
हिन्दुस्तान तांबा लिमिटेड के दो केन्द्र है। पहला सिंहभूम जिले में घाटशिला के निकट मऊभंडार नामक स्थान पर (झारखण्ड) तथा दूसरा झुनझुन जिले के खेतड़ी नामक स्थान पर (राजस्थान) पर स्थित है।
रासायनिक उद्योग :
रासायनिक उद्योग का देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण स्थान है। इसका आकार में विश्व का 12वां तथा एशिया का तीसरा स्थान है।
उर्वरक उद्योग :
भारत एक कृषि प्रधान देश है तथा मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बनाये रखने के लिए उर्वरक का उपयोग अनिवार्य है। यह विश्व का तिसरा सबसे बड़ा नाईट्रोजन युक्त उर्वरक का उत्पादक है। भारत का पहला उर्वरक संयंत्र 1906 में रानीपेट (तमिलनाडु) में स्थापित किया गया था।
सीमेंट उद्योग :
इस उद्योग का आवास निर्माण एवं देश के ढांचागत क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा सीमेंट उत्पादक देश है।
सींमेट उद्योग के लिए कच्चा माल के रूप में चूना-पत्थर, कोयला, सिलिका, अल्यूमिनियम और जिप्सम की आवश्यकता होती है। भारत में पहला सीमेंट संयंत्र 1904 में चेन्नई में स्थापित किया गया था।
रेलवे उपकरण उद्योग :
रेलवे :
भारत में सभी जगह रेलवे का जाल बिछा हुआ है इसलिए माल एवं सवारी गाड़ी के डिब्बों और रेल ईंजनों की बड़ी संख्या में माँग रहती है। अतः रेलवे ईंजन यात्री डिब्बे और माल डिब्बे निर्माण का उद्योग बड़े स्तर पर विकसित हुआ है।
बड़ी लाईन वाले विद्युत चालित ईंजन पश्चिम बंगाल में स्थित चितरंजन के लोकोमोटिव वर्क्स में बनाए जाते हैं। वाराणसी में डीजल चालित रेल ईंजनों के बनाने का कारखाना है। सवारी गाड़ी पैरांबूर, बंगलौर, कपूरथला और कोलकाता में बनाए जाते हैं।
मुंगेर जिला के जमालपूर में रेलवे का वर्कशाप है जो एशिया के सबसे पुराना रेलवे वर्कशाप है।
मोटरगाड़ी उद्योग :
सड़क परिवहन रेल परिवहन के तुलना में अधिक फैला हुआ है। वर्तमान समय में मोटर वाहन जैसे ट्रक बस, कार, मोटरसाईकिल, स्कूटर आदि बड़ी संख्या में निर्माण किए जा रहे हैं। तिपहिया स्कूटरों के निर्माण में भारत विश्व में प्रथम स्थान पर है।
मारूति उद्योग दिल्ली के निकट गुड़गाँव (हरियाणा) में है। महिन्द्र एण्ड महिन्द्रा नासिक में है, जो स्कॉरपियो तथा बोलेरो का निर्माण करता है।
पोत निर्माण उद्योग :
वर्तमान समय में पोत निर्माण उद्योग एक बड़ा उद्योग है। इस उद्योग के लिए एक विशाल पूँजी की आवश्यकता होती है। वर्तमान में देश में पोत निर्माण के पाँच प्रमुख केन्द्र है। विशाखापत्तनम, कोलकाता, कोच्चि, मुम्बई और मझगाँव में स्थित है। बड़े-बड़े आकार के पोतों का निर्माण कोच्चि और विशाखापत्तनम में होता है।
वायुयान उद्योग :
यह नया उद्योग है और पूरी तरह सरकार के नियंत्रण में है। वायुयान उद्योग का पहला कारखाना, हिन्दुस्तान एयर क्राफ्ट लि० बंगलोर में 1940 में लगाया गया था। भारतीय वायुयानों का प्रयोग इंडियन एयरलाइन और भारतीय वायुसेना द्वारा किया जाता है।
Read More – click here
Nirman Udyog Video – click here
Class 10 Science – click here
Class 10 Sanskrit – click here