इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड के कक्षा 10 के भूगोल के आपदा प्रबंधन के इकाई पाँच का पाठ ‘आपदा काल में वैकल्पिक संचार व्यवस्था’ (Aapda Kal Main Vaikalpik Sanchar Vyavastha) के महत्वपूर्ण टॉपिक को पढ़ेंगें।
इकाई-5
आपदा काल में वैकल्पिक संचार व्यवस्था
विश्व में जहाँ कही भी आपदा होता हैं तो उस क्षेत्र की सामान्य संचार व्यवस्थाएँ नष्ट हो जाते हैं जिससे उस क्षेत्र का सम्पर्क बाकी दूनिया से कट जाता हैं।
सामान्य संचार व्यवस्था के बाधित होने के निम्नलिखित कारण हैंः-
1.केबुल का टूट जाना
2.बिजली की आपूर्ति बाधित होना
3.संचार यंत्रो का खराब हो जालना
4.ट्रांसमिशन टावर का छतिग्रस्त हो जाना
2 अगस्त 2008 को नेपाल में कुशाहा के पास कोशीबाँध टूट जाने से उत्तरबिहार में भयंकर बाढ़ आई थी। टेलिफोन केन्द्र जल में डूब गए थे तथा ताड़ छतीग्रस्त हो गए थे जिससे सड़क तथा रेल संचार बाधित होने के कारण बहुत से जिला मुख्यालयो का राज्य मुख्यालयो एवं आसपास के जिलो से सम्पर्क टुट गया था।
संचार का सर्वाधिक लोकप्रिय साधन सार्वजनिक टेलिफोन सेवा हैं।
वैकल्पिक संचार साधन
1.रेडियो संचार
रेडियो तरंग इलेक्ट्रोमैग्नेटिक होती हैं जिसे एंटिना द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक प्रेषित किया जाता हैं । इससे लंबी दूरी से लेकर कम दूरी के संकेत प्राप्त कर सकते हैं।
2.एमेच्योर अथवा हेम रेडियो
एमेच्योर रेडियो को ही हेम रेडियो कहा जाता हैं एमेच्योर अथवा हेम रेडिया बडी प्राकृतिक आपदाओ में अन्य संचार साधनो के छतीग्रस्त होने पर भी सफलतापूर्वक कार्य करता हैं।
3.उपग्रह संचार
अंतरीक्ष में प्रस्थापित उपग्रह कई प्रकार के हाते हैं जिन्हे विभिन्न उद्देश्यो के लिए प्रक्षेपित किया जात हैं जिसमे संचार उपग्रह और सुदूर संवेदी उपग्रह प्रमुख हैं।
संचार उपग्रह में सेटफोन उपग्रह फोन टर्मिनल के लिए प्रयोग किए जाते हैं संचार उपग्रह का महत्वपूर्ण कार्य मोबाईल और म- कम्यूनिकेशन होता हैं।
आपदा प्रबंधन में सबसे अधिक उपयोग में लाया जानेवाला संचार साधन उपग्रह फोन हैं, जो बहुत ही विश्वासनीय साफ आवाज मे डाटा संचार की सुविध प्रदान करता हैं।
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