इस पोस्ट में हम बिहार बोर्ड के वर्ग 10 के संस्कृत द्रुतपाठाय (Second Sanskrit) के पाठ 3 (Achyutashtakam) “अच्युताष्टकम्” के अर्थ सहित व्याख्या को जानेंगे। इस पाठ में विष्णु से प्रार्थना किया गया है।
3. अच्युताष्टकम् (Achyutashtakam in Hindi)
अच्युतं केशवं रामानारायणं
कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम् ।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं
जानकीनायकं रामचन्द्रं भजे ॥1 ।।
अच्युतं केशवं सत्यभामाधवं
माधवं श्रीधर राधिकाराधितम् ।
इन्दिरामन्दिरं चेतसा सुन्दरं
देवकीनन्दनं नन्दजं सन्दधे ॥ 2 ॥
विष्णवे जिष्णवे शखिने चक्रिणे
रूक्मिणीरागिणे जानकीजानये।
बल्लवी-वल्लभाया-र्चितायात्मने
कंसविध्वंसे वंशिने ते नमः ॥ 3 ॥
कृष्ण गोविन्द हे राम नारायण
श्रीपते वासुदेवाजित श्रीनिधे।
अच्युतानन्त हे माधवाधोक्षज
द्वारकानायक द्रौपदीरक्षक ॥4॥
राक्षसेक्षोभितः सीतया शोभितो
दण्डकारण्य-भूपुण्यता-कारणः ।
लक्ष्मणेनान्वितो वानरै-: सेवितो-
ऽगस्त्यसम्पूजितो राघवः पातु माम् ।। 5॥
धेनुकारिष्टकोऽनिष्टकृद् द्वेषिणां
केशिहा कंसहृद्वंशिकावादकः ।
पूतनाकोपकः सूरजाखेलनो
बालगोपालकः पातु मां सर्वदा ॥6॥
विधुदुद्योतवत्प्रस्फुरद्वाससं
प्रावृडम्भोदवत्प्रोल्लसद्विग्रहम् ।
वन्यया मालया शोभितोरः स्थलं
लोहिताङिघ्रिद्वयं वारिजाक्षं भजे ॥7॥
कुञ्चितैः कुन्तलैर्भ्राजमानाननं
रत्नमौलिं लसत्कुण्डलं गण्डयोः ।
हारकेयूरकं कङ्कणप्रोज्जवलं
किङ्किणीमञ्जुलं श्यामलं तं भजे ॥8॥
अर्थ- अच्चुत, केशव, रामनारायण, कृष्ण, दामोदर वासुदेव हरि, श्रीधर, माधव, गोपिका वल्लभ जानकी नायक और रामचन्द्र नाम धारण करने वाले आपको प्रणाम भेजता हूँ।॥1॥
अच्युत, केशव, सत्यभामा के प्राणप्रिय, माधव, श्रीधर राधिका द्वारा पूजे जाने वाल इन्दिरा के हृदय मंदिर में रहने वाले देवकीनन्दन नन्द के पुत्र कहलाने वाले हैं। प्रभु। में आपक शरण में हूँ।॥2॥
विष्णु, जिष्णु, शंखिन्, चक्रिन्, रुक्मिणी, रागिन् जानकी, वल्लवी- वल्लभाया-चितायात्मन, कंस विध्वंसकारिन और वंशिन नाम धारण करने वाले आपको प्रणाम है।॥3॥
हे कष्ण ! गोविन्द ! राम ! नारायण । श्रीपते ! वासुदेवाजित । श्रीनिधे । अच्युतानन्द! माधवाधोक्षज ! बारकानायक ! द्रौपदी रक्षक ! आपको प्रणाम है।॥4॥
राक्षसों में क्षोभ पहुँचाने वाले, सीता से शोभित होने वाले, दण्डकारण्य भूमि को पुण्यमयी करनेवाले, लक्ष्मण से युक्त रहने वाले, वानरों से सेवित तथा अगस्त द्वारा पूजे गये राघव मेरे पापों को दूर करें।॥5॥
धेनुका के उत्पातों को समाप्त करने वाले, द्वेषि को नाश करने वाले, केशि को मारने वाले, कंस को संघार करने वाले, देव पुत्रियों के साथ खेल रचाने वाले बाल-गोपालक कहलाने वाले भगवान श्री कृष्ण सदैव मेरी रक्षा करें।॥6॥
चन्द्र की चाँदनी जैसा चमकता हुआ वस्त्र धारण करने वाले, खिला हुआ कमल जैसा सुन्दर शरीर वाले, जिनका वक्षस्थल वनमाला से शोभित हो रहा है। जिनकी दोनों आँखें कमल जैसा लाल रंग वाली हो, उस भगवान् श्री कृष्ण को प्रणाम भेजता हूँ।॥7॥
अध खिले कुन्त फूल के जैसा दाँत से जिनका मुखमंडल चमक रहा है। मणि से शोभता हुआ कुण्डल जिनके दोनों गालों पर झूल रहा है, हार से पूर्ण शोभा पानेवाले कंगन से शोभित, पयजनियाँ जिनके पैर में मधुर ध्वनि कर रही है, ऐसे श्यामला रंगवाले हे भगवान श्री कृष्ण ! आपको प्रणाम है।॥8॥
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