Bihar Board Class 8 Social Science अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष (Angreji Shasan Ke Khilaf Sangharsh Class 8th History Solutions) Text Book Questions and Answers
6. अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष
(1857 का विद्रोह)
अध्याय में अंतर्निहित प्रश्न और उनके उत्तर
प्रश्न 1. पृष्ठ 88 के ऊपर घेरा में दिए गए अंग्रेज अधिकारी के कथन को भारतीय सैनिकों के संदर्भ में किस रूप में आप देखते हैं ? (पृष्ठ 88)
उत्तर—अधिकारी का कथन उसके मन में समाया हुआ डर था । वह यह समझ रहा था कि यदि भारतीय किसानों को सताया गया तो भारतीय सैनिक इसे बरदाश्त नहीं कर सकेंगे। इसी संदर्भ में उसने कहा कि यहाँ किसानों को सताया गया तो वह भारतीय सिपाहियों पर विश्वास नहीं कर सकते। कारण कि हर भारतीय सिपाही किसी-न-किसी भारतीय किसान से सम्बद्ध है ।
प्रश्न 2. विद्रोही सैनिकों ने मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को ही अपना ( पृष्ठ 90 ) नेता क्यों चुना ?
उत्तर- बहादुरशाह जफर मुगल वंश के ही थे। मुगल बादशाह शाह आलम को ही हटाकर अँगरेजों ने दिल्ली पर अधिकार किया था। अब चूँकि बहादुरशाह जफर उन्हीं के वंशज थे अतः उन्हें अपना नेता बनाकर दिल्ली की गद्दी पर बैठा दिया। यह उनका हक भी था ।
प्रश्न 3. कुँवर सिंह के जीवन की कौन-सी बात आपको सबसे अच्छी लगी? बताइए । (पृष्ठ 92)
उत्तर – कुँवर सिंह के त्याग की बात मुझे सबसे अच्छी लगी । असी वर्ष की आयु में भी उन्होंने युवकों-सा युद्ध किया । अपनी एक बाँह गंगा को अर्पित करने के बाद भी गिरफ्तार नहीं हुए । विजयी रूप में ही उन्होंने स्वर्ग सिधारा ।
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प्रश्न 4. आप सोचिए कि अंग्रेजों ने पहले दिल्ली पर ही अधिकार क्यों जमाया ? (पृष्ठ 96)
उत्तर—चूँकि दिल्ली सदा से भारतीय सत्ता की केन्द्र रही थी । विद्रोहियों द्वारा बनाए गए सम्राट बहादुरशाह जफर दिल्ली में ही रहते थे । दिल्ली ही उनकी राजधानी थी । इसी कारण था कि अंग्रेजों ने पहले दिल्ली पर ही अधिकार जमाना उचित समझा। सम्राट की गिरफ्तारी का अर्थ था कि भारत गिरफ्तार हो गया ।
अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर
आइए फिर से याद करें :
प्रश्न 1. सही विकल्प को चुनें :
(i) 1857 का विद्रोह कहाँ से आरंभ हुआ ?
(क) मेरठ
(ख) दिल्ली
(ग) झांसी
(घ) कानपुर
(ii) मंगल पाण्डे किस छावनी के युवा सिपाही थे ?
(क) दानापुर
(ख) लखनऊ
(ग) मेरठ
(घ) बैरकपुर
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(iii) झांसी में विद्रोह का नेतृत्व किसने किया ?
(क) कुँवर सिंह
(ख) नाना साहब
(ग) लक्ष्मीबाई
(घ) बेगम हजरत महल
(iv) कुँवर सिंह कहाँ के जमींदार थे :
(क) आरा
(ख) जगदीशपुर
(ग) दरभंगा
(घ) टिकारी
(v) वहाबी आंदोलन का नेतृत्व बिहार में किसने किया था ?
(क) पीर अली
(ख) विलायत अली
(ग) अहमदुल्ला
(घ) वजीबुलहक
उत्तर : (i) → (क), (ii) → (घ), (iii) → (ग), (iv) → (ख), (v) → (ख) ।
प्रश्न 2. निम्नलिखित के जोड़े बनाएँ :
(क) जगदीशपुर (क) नाना साहब
(ख) कानपुर (ख) कुँवर सिंह
(ग) दिल्ली (ग) विष्णुभट् गोडसे
(घ) लखनऊ (घ) बहादुर शाह जफर
(ङ) मांझा प्रवास (ङ) बेगम हजरत महल
उत्तर : (क) जगदीशपुर (ख) कुँवर सिंह
(ख) कानपुर (क) नाना साहब
(ग) दिल्ली (घ) बहादुर शाह जफर
(घ) लखनऊ (ङ) बेगम हजरत महल
(ङ) मांझा प्रवास (ग) विष्णुभट् गोडसे
प्रश्न 3. आइए विचार करें :
प्रश्न (i) जमींदार अंग्रेजी शासन का विरोध क्यों कर रहे थे ?
उत्तर- चूँकि जमींदारों के साथ अंग्रेजों ने बुरा सलूक किया था । उनकी जमींदारी निलाम कर दी गई थी। इसी कारण जमींदार अंग्रेजी शासन का विरोध कर रहे थे ।
प्रश्न (ii) सैनिकों में असंतोष के क्या कारण थे ?
उत्तर—सैनिकों में असंतोष के कारण थे कि अंग्रेजी सिपाही और भारतीय सिपाही में भेद किया जाता था। अंग्रेज सिपाहियों के मुकाबले इन्हें कम वेतन दिया जाता था । प्रोन्नति में भी अंग्रेजों के मुकाबले इनके साथ भेदभाव होता था ।
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प्रश्न (iii) बहादुरशाह जफर के समर्थन से क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर— बहादुरशाह जफर के समर्थन से यह प्रभाव पड़ा कि आन्दोलन का तेजी से विस्तार होने लगा। लोगों में विश्वास जगा कि दिल्ली से अंग्रेजों का राज खत्म हो गया है । अंग्रेजी राज से असंतुष्ट राजाओं, नवाबों और जमींदारों ने यह महसू किया कि अगर फिर से भारत में मुगल बादशाह का शासन आ गया तो वे पुनः पहले जैसा बेफिक्र होकर अपना काम कर सकेंगे। पूरे उत्तर भारत में विद्रोह फैल गया ।
प्रश्न (iv) विद्रोह को दबाने में अंग्रेज क्यों सफल रहे?
उत्तर – विद्रोह को दबाने में अंग्रेज इसलिये सफल रहे क्योंकि उन्होंने इंग्लैंड से बड़ी संख्या में सैनिक मँगा लिया। सैनिकों के साथ ही भारी मात्रा में हथियार भी मंगाये क्योंकि उनके अधिकतर हथियार विद्रोहियों ने लूट लिया था । दूसरी ओर अंग्रेजों के लूटे गए हथियार समाप्त हो चुके थे । फिर कहीं से विद्रोहियों को हथियार मुहैया होने का कोई उपाय नहीं था । यह विद्रोह शीघ्रता में लिया गया निर्णय था । हथियार मंगाने या बनाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई थी। कारतूस समाप्त हो जाने के बाद वे परम्परागत हथियारों तीर, तलवार, बर्छा आदि से लड़ने लगे, किन्तु वे बन्दूकों का मुकाबला नहीं कर सकते थे। फलतः विद्रोहियों को हार जाना पड़ा और अंग्रेज जीत गए ।
प्रश्न (v) 1857 के विद्रोह में कुँवर सिंह का क्या योगदान रहा ?
उत्तर- 1857 के विद्रोह में कुँवर सिंह का योगदान था कि दानापुर छावनी के विद्रोही सैनिकों का इन्होंने नेतृत्व किया। इनके सहयोग से उन्होंने आरा नगर से अंग्रेजी राज समाप्त कर दिया। कुँवर सिंह अब बिहार से सटे संयुक्त राज्य (U.P.) की ओर बढ़ चले। उन्होंने बनारस, जौनपुर, आजमगढ़, बलिया आदि क्षेत्रों की यात्रा की और अंग्रेजी राज समाप्त करने के लिये जमींदारों को प्रेरणा दी । अंग्रेजों के संघर्ष के क्रम में वे घायल हा गये । इसके थोड़े दिनों बाद ही इनकी मृत्यु हो गई । प्रसन्नता की बात रही कि उनकी मृत्यु स्वतंत्र जगदीश में ही हुई । उस समय उनके महल पर उनका झंडा लहरा रहा था। उनकी मृत्यु के बाद ही अंग्रेज जगदीशपुर पर अधिकार कर सके ।
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प्रश्न (vi) विद्रोहियों के उद्देश्यों को अपने शब्दों में व्यक्त करें ।
उत्तर—पहले तो विद्रोही सैनिक मात्र अंग्रेजों से अपनी मुक्ति चाहते थे । लेकिन बाद में राजाओं-जमींदारों के आन्दोलन में शामिल होने के बाद विद्रोह का उदेश्य निश्चित हुआ । अपने खोये शासन को वे प्राप्त कर लेना चाहते थे । वे ऐसी शासन व्यवस्था चाहते थे कि उस पर पूरी तरह भारतीयों को अधिकार रहे। उन्होंने घोषणा की कि जिनके राज्य, जिनकी जमींदारी अंग्रेजों ने हड़प लिये थे, वह सब उनके हवाले कर दिया जाएगा । कुल मिला जुलाकर यही कहा जा सकता है कि वे चाहते थे कि पुनः भारत में मुगल शासन को बहाल कर दिया जाय और अंग्रेजों को पूरी तरह भारत से खदेड़ दिया जाय ।
प्रश्न (vii) विद्रोह के बाद अंग्रेजी शासन के स्वरूप में क्या बदलाव आया?
उत्तर – विद्रोह के बाद भारत पर अंग्रेजी शासन के स्वरूप में यह बदलाव आया कि ब्रिटिश संसद द्वारा कानून बनाकर भारत से ईस्ट इंडिया कम्पनी का शासन समाप्त कर दिया गया । अब भारत का शासन सीधे इंग्लैंड के राजा के अधीन चला गया । अब संसद में एक ‘भारत मंत्री’ रहने लगा, जो भारत में शासन के लिये जिम्मेदार था । चाहे विदेशी ही सही, अब भारत को संसदीय व्यवस्था पर आधारित शासन मिलने लगा । ब्रिटिश संसद ने भारतीय नागरिकों को अनेक सुविधाएँ दीं ।
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आइए करके देखें :
(i) विद्रोह के समय अगर आप होते तो अंग्रेजी शासन का विरोध किस तरह से करते ? सहपाठियों से चर्चा करें ।
(ii) 1857 के विद्रोह के महत्व पर शिक्षक के सहयोग से वर्ग में परिचर्चा करें ।
कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. ईस्ट इंडिया कंपनी ने सहायक संधि कब लागू की ?
उत्तर – ईस्ट इंडिया कंपनी ने सहायक संधि 1801 में लागू की।
प्रश्न 2. कंपनी ने अवध को कब अपने कब्जे में ले लिया?
उत्तर – कंपनी ने 1856 में अवध को अपने कब्जे में ले लिया ।
प्रश्न 3. मई 1857 से पहले भारत में अपनी स्थिति को लेकर अंग्रेज शासकों के आत्मविश्वास के क्या कारण थे ?
उत्तर – मई 1857 से पहले तक अंग्रेज अपनी स्थिति मजबूत कर चुके थे। अंतिम मुगल सम्राट बेहद कमजोर हो चुका था। उसके पास नाममात्र के भी अधिकार नहीं थे। सभी राजाओं, सूबेदारों तथा नवाबों को अंग्रेज अपने चंगुल में कर चुके थे। उन्होंने भारत की कमजोरी को अच्छी तरह से आंक लिया था । यहाँ परस्पर किसी में भी एकता नहीं थी। सभी एक-दूसरे की टांग खींचने में लगे हुए थे। सभी मराठे सरदार की सोच अपनी- अपनी तरह की थी। परस्पर फूट ने अंग्रेजों को निर्विघ्न राज्य करने का द्वार खोल दिया था। अंग्रेजों के आत्मविश्वास के येही कारण थे ।
प्रश्न 4. बहादुरशाह जफ़र द्वारा विद्रोहियों को समर्थन दे देने से जनता और राज परिवारों पर क्या असर पड़ा ?
उत्तर—बहादुरशाह जफ़र द्वारा विद्रोहियों को समर्थन दे देने से जनता में जागृति आ गई। राज परिवार के लोगों को लगा कि उनके पुराने दिन पुनः बहुरेंगे। मुगल सम्राट के विजयी होने की स्थिति में शासन का स्वाद उन्हीं को चखना था। लेकिन यह उनका ख्याली पुलाव साबित हुआ। इनमें से कितने राजा युद्ध में शामिल होने का आश्वासन देने के बावजूद समय पर पलट गए और वे अंग्रेजों का ही साथ देने लगे। यह भारतीयों में फूट का जीता-जागता उदाहरण था ।
प्रश्न 5. 1857 की बगावत के फलस्वरूप अंग्रेजों ने अपनी नीतियाँ किस तरह बदली ?
उत्तर – 1857 की बगावत के फलस्वरूप अंग्रेजों ने अपनी नीतियों में जो अहम बदलाव लाये, वे निम्नांकित थे :
1858 में ब्रिटिश संसद ने ईस्ट इंडिया कंपनी के सारे राजकीय अधिकार ब्रिटेन के राजा के अधीन कर दिया। भारतीय मामलों को अधिक बेहतर ढंग से संभालने के लिए ब्रिटिश संसद ने कैबिनेट में एक भारत – मंत्री रखने की व्यवस्था की। भारत का गवर्नर जनरल अब ‘वायसराय’ कहलाने लगा। यह ब्रिटेन की रानी (या राजा) का प्रतिनिधि का हैसियत रखने लगा। इस प्रकार भारत का शासन सीधे ब्रिटेन की संसद के हाथों में आ गया। सभी राजाओं को आश्वासन दिया गया कि अब किसी भी स्थिति में उनके क्षेत्रों के साथ कोई छेड़-छाड़ नहीं किया जाएगा। दत्तक पुत्रों या किसी भी जायज वारिस को सत्ता सौंपने की छूट दे दी गई। लेकिन शर्त थी कि उन्हें ब्रिटिश सत्ता की अधीनता स्वीकारती रहनी होगी।
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