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इकाई -2
भारतीय कृषि
पाठ के अन्दर आए प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1. झूम कृषि क्या है ?
उत्तर—झूम कृषि स्थानांतरित कृषि है। खासकर ऐसी कृषि घने जंगलों के अन्दर जंगली लोगों द्वारा की जाती है। वे कृषक किसी स्थान विशेष के जंगल को जला देते हैं । निकल आई समतल भूमि पर कृषि कार्य करते हैं । जब वह स्थान अनुर्वर हो जाता है तो वही प्रक्रिया अपनाकर वे किसी अन्य जंगल को जलाकर कृषि कार्य करते हैं । छोड़ी गई अनुर्वर जमीन पर कालक्रम से पुनः वृक्ष उग आते हैं और जंगल अपने पूर्व रूप में आ जाता है ।
प्रश्न 2. भारत के किन-किन भागों में झूम खेती होती है और वहाँ उसे किस नाम से जाना जाता है ?
उत्तर—भारत के वे क्षेत्र जहाँ झूम खेती होती है और उनके नाम निम्नलिखित हैं :
क्षेत्र नाम
असम झूम खेती
उत्तर पूर्व झूम खेती
आंध्र प्रदेश पोडु
उड़ीसा पामाडाबी
केरल कुमारी
राजस्थान वालरे
हिमालय क्षेत्र खिल
झारखंड कुसूली
प्रश्न 3. आपके क्षेत्र में कौन-कौन खाद्य फसलें उपजाई जाती हैं?
उत्तर—हमारे क्षेत्र में धान / चावल, गेहूँ, ज्वार, बाजरा, रागी, अरहर, मसूर, चना,मडुआ तथा मक्का फसलें उपजाई जाती हैं ।
प्रश्न 4. कुछ दलहन तथा तेलहन फसलों के नाम लिखें ।
उत्तर— दलहन तथा तेलहन फसलों के नाम हैं :
दलहन — अरहर, मसूर, खेसारी, मटर, उड़द, केराव, चना ।
तेलहन – सरसों, तीसी, अंडी, बर्रे, तोरी ।
प्रश्न 5. चाय और कॉफी बेचने वाली कम्पनियों के नाम बतावें ।
उत्तर – लिपटन और बुकबॉण्ड चाय बेचने वाली कम्पनियाँ हैं तथा कॉफी बेचने वाली कम्पनी ‘नैसकैफ’ कम्पनी है।
प्रश्न 6. जैविक खाद कैसे बनती है?
उत्तर—जीवों के अवशेष, जिनमें केंचुआ मुख्य हैं, खर-पतवार, सब्जियों के छिलके और सब्ज़ी के बेकार पत्ते, पेड़ों के पत्ते, गोबर आदि को गड्ढे में सड़ाकर जैविक खाद बनती है ।
अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर
1. बहुवैकल्पिक प्रश्न :
सही विकल्प को चुनें :
1. कृषि कार्य में शामिल है
(क) भूमि को जोतना
(ख) पशुओं को पालना
(ग) मछली पालन करना
(घ) उपर्युक्त सभी
2. भूमि पर जनसंख्या के अत्यधिक दबाव वाले क्षेत्रों में कौन-सी खेती की जाती है :
(क) झूम खेती
(ख) अन्तर कृषि
(ग) गहन कृषि
(घ) ट्रक फार्मिंग
3. इनमें कौन समूह रबी की फसलों से संबंधित है :
(क) गेहूँ, चावल
(ख) चना, धान
(ग) मक्का, जूट
(घ) गेहूँ, मटर
4. जूट की फसल प्रमुखतः होती है
(क) किशनगंज- पूर्णिया में
(ख) अररिया – आरा में
(ग) गया – औरंगाबाद में
(घ) गया-जहानाबाद में
5. बिस्कोमान उपलब्ध कराती है :
(क) किसानों को खाद-बीज
(ख) कृषि उपकरण
(ग) ऋण
(घ) सिंचाई की सुविधा
उत्तर : 1. (घ), 2. (ग), 3. (घ), 4. (क), 5. (क) ।
1. खाली स्थानों को उपयुक्त शब्दों से पूरा करें
(i) स्थानान्तरित कृषि को ………….. भी कहते हैं ।
(ii) ऊत्तरी बिहार में …………. और ………… की खेती वाणिज्यिक कृषि है ।
(iii) जायद फसल का उदाहरण …………… है ।
(iv) किसान क्रेडिट कार्ड से किसानों को …………… सुविधा उपलब्ध होती है ।
(v) जैविक खादों से भूमि की उर्वरता शक्ति ………….. है ।
उत्तर : (i) झूम खेती, (ii) गन्ना ; जूट, (v) बनी रहती ।
III. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें ।
प्रश्न 1. कृषि कार्य किसे कहते हैं? (अधिकतम 50 शब्दों में)
उत्तर – खेती करने को कृषि कार्य करते हैं । कृषि एक प्राथमिक क्रिया है । कृषि कार्य से ही सबको अनाज, दलहन, तेलहन और सब्जियाँ मिलती हैं। पशु पालन, मछली पालन तथा मुर्गी पालन सब कृषि कार्य के अन्तर्गत आते हैं ।
प्रश्न 2. खरीफ और रबी फसलों में क्या अंतर है? सोदाहरण बताएँ ।
उत्तर—मॉनसून आने के साथ ही अर्थात जून-जुलाई में बोई जाने वाली और अक्टूबर- नवम्बर में काटी जाने वाली फसलें खरीफ कही जाती है। जैसे: मकई, धान, जूट, मूँगफली इत्यादि ।
रबी फसलें अक्टूबर-नवम्बर में बोई जाती हैं और मार्च-अप्रैल में काटी जाती हैं । उदाहरण हैं गेहूँ, चना, मटर, मसूर, सरसों, तीसी, मूँग, उड़द आदि । अरहर खरीफ के साथ बोया जाता है तथा रबी के साथ काटा जाता है ।
प्रश्न 3. जीवन निर्वहन कृषि क्या है ?
उत्तर – जमीन की कमी और जनसंख्या की अधिकता के कारण जीवन-निर्वहन कृषि की जाती है। यह कृषि मात्र जीवन निर्वाह के लिये की जाती है। निर्वहन कृषि में फसलें बेची नहीं जाती, बल्कि कुछ-न-कुछ अनाज खरीदा ही जाता है ।
प्रश्न 4. व्यापारिक और बागवानी फसलों के बारे में क्या जानते हैं? लिखिए ।
उत्तर— गन्ना, तम्बाकू, मिरचाई, मखाना, रबर, जूट आदि व्यापारिक फसलें हैं इनको बेचने के लिए ही उपजाया जाता है। इससे किसानों को नगद रुपया प्राप्त हो जाता है ।
बागवानी फसलों में आम, केला, चाय और फूल आदि आते हैं । ये सभी बगानों में ही उपजाते हैं। इसी कारण इन्हें बागवानी कृषि भी कहा जाता है । आजकल फूलों की माँग बेहद बढ़ गई हैं ।
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें ।
प्रश्न 1. बिहार की कृषि की क्या विशेषताएँ हैं? (अधिकतम 200 शब्दों में )
उत्तर – बिहार की कृषि मॉनसून पर आधारित है । यदि मॉनसून समय पर आया और वर्षा अच्छी हुई तो बिहार के किसान अपने को भाग्यशाली समझते हैं । लेकिन कभी-कभी मॉनसून धोखा भी दे जाता है । कभी समय से पहले, कभी समय के बाद और किसी-किसी वर्ष नदारद । फलतः उस वर्ष कृषि कार्य डगमगा जाता है । फलतः कभी- कभी अकाल का सामना करना पड़ता है। आज भी बिहार में वे ही पारम्परिक हल, कुदाल और खुरपी कृषि यंत्र से कृषि की जाती है। अधिक श्रम के बावजूद अच्छी फसल नहीं हो पाती । कृषि की इस स्थिति से ही यहाँ छिपी हुई बेरोजगारी की स्थिति है । जिस काम को 5 आदमी कर सकते हैं, उसमें 10 आदमी लग जाते हैं । ये 5 आदमी समझते हैं कि काम में तो लगे हुए हैं, लेकिन वास्तव में बेकार ही रहते हैं । सही बात तो यह है कि खेती में सालों भर रोजी नहीं मिलती। नतीजा होता है कि लोग दिल्ली-पंजाब भागते हैं ।
स्पष्ट है किं बिहार में कृषि ‘जीवन निर्वहन’ के लिए की जाती है । जमीन की कमी और जनसंख्या का अधिक बोझ फलतः कृषि की बेचारगी बढ़ जाती है। यहाँ कृषि का रूप व्यावसायिक नहीं हो पायी है । अब कुछ प्रयास हो रहे हैं। आधुनिक यंत्रों का इस्तेमाल अब धीरे-धीरे शुरू हो चुका है। कृषि पर आधारित उद्योगों को लगाने का प्रयास जारी है।
प्रश्न 2. कृषि किन कारकों से प्रभावित होती है ?
उत्तर –कृषि को प्रभावित करने वाले कारक निम्नांकित हैं
वर्षा— भारतीय कृषि की एक तिहाई भाग सिंचत है । शेष के लिए वर्षा का सहारा है। यदि समय पर वर्षा हुई तब तो ठीक वरना सूखे का सामना करना पड़ता है। अधिक वर्षा से बाढ़ सताती है ।
छोटे आकार के खेत-खेतों के आकार का छोटा होना भी एक समस्या है । पीढ़ी- दर-पीढ़ी खेतों के बँटते जाने से यह स्थिति आई है । कुछ खेत तो इतने छोटे हैं कि उनमें ठीक से हल भी नहीं घूम सकता ।
है । बहुतों के पास इतनी जमीन भी नहीं कि जिसमें अपना स्थायी निवास तक बना सकें ।
भूमि का असमान वितरण—भूमि के असमान वितरण से भी कृषि कुप्रभावित होती है । बहुत के पास इतनी जमीन भी नहीं कि जिसमें अपना स्थायी निवास तक बना सकें । कुछ के पास इतनी कम भूमि है कि उसकी उपज से बामुश्किल निर्वाह होता है । कुछ थोड़े लोगों के पास इतनी अधिक भूमि है, जिसे वे ठीक से आबाद नहीं कर पाते ।
कृषि ऋण- कृषि ऋण एक ऐसा आफत है कि यदि फसल मारी गई तो मूल को कौन कहे ब्याज तक किसान नहीं दे पाते। इस कारण किसी-किसी किसान को मजदूर बन जाना पड़ता है ।
कृषि विपणन—अच्छी बाजार व्यवस्था के अभाव में किसानों को अपनी उपज औने- पौने भाव पर बेचना पड़ता है। सरकार की ओर से खरीद की व्यवस्था तो है, लेकिन वह दिखावा मात्र ही है ।
परम्परागत कृषि — भारतीय किसान आज भी हल-बैल, कुदाल और हँसिया-खुरपी से खेती करते हैं। फसल बोने से लेकर काटने और अनाज घर पहुँचाने तक में मानव श्रम की प्रमुखता है, जिससे पर्याप्त उपज नहीं हो पाती ।
प्रश्न 3. आपके राज्य में कृषि कार्य उत्पादन में बढ़ोत्तरी के लिए क्या प्रयास हुए हैं? लिखिए ।
उत्तर— मेरे राज्य में तो नहीं, बल्कि पंजाब राज्य में कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है । इसका कारण है कि पंजाब ने ही सर्वप्रथम हरित क्रांति को अपनाया था । वहाँ उन्नत बीजों का प्रयोग होता है। सिंचाई के साधनों को उन्नत किया गया है । आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग किया जा रहा है। खाद्यान्न फसलों, खासकर गेहूँ को उपजाने पर विशेष ध्यान दिया जाता है । यही कारण हैं कि पंजाब को ‘गेहूँ का कटोरा’ कहा जाने लगा है । सिंचाई के साधनों तथा अपने परिश्रम के बल पर पंजाब के किसान प्रतिवर्ष चार फसल तक उपजा रहे हैं। गेहूँ के अलावा वे तेलहन, दलहन, कपास की भी खेती करने लगे हैं। वहाँ के कम वर्षा वाले क्षेत्र भी उपजाऊ हो गए हैं। कृषि कार्य के अतिरिक्त वे डेयरी फार्मिंग को भी बढ़ा लिये हैं । मुर्गी पालन भी व्यापक रूप से होने लगा है। फलतः उन्हें अनाज-सब्जी के अलावा दूध-दही, अंडा, माँस भी खूब मिलने लगा है। कृषि कार्य में भारतीय स्तर पर पंजाब का अग्रणी स्थान है ।
बावजूद इसके पंजाब में कृषिगत कुछ समस्याएँ भी उपस्थित होने लगी हैं । रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशियों के अधिक उपयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति कम होती जा रही है। बँटवारे के कारण वहाँ भी खेतों के आकार छोटे होने लगे हैं ।
1. परियोजना कार्य :
- किसान क्रेडिट कार्ड के बारे में किसी बैंककर्मी या कार्डधारक से पता कीजिए एवं उसका आरेख बनाइए ।
- श्री विधि तरीके से किए गए खेतों को देखकर ऐसे किसान का साक्षात्कार लीजिए ।
- कृषि से जुड़े खबरों को अख़बारों से काटकर Scrap Book बनाइए ।
- केंचुआ पालन आपके निकट कहाँ हो रहा है पता कीजिए। उसकी प्रक्रिया को नोट करके कक्षा में बताइए ।
संकेत : चूँकि ये सब परियोजना कार्य हैं, अतः छात्रों को स्वयं करना
है ।
एक अन्य प्रश्न तथा उसका उत्तर
प्रश्न 1. भारतीय कृषि पर टिप्पणी लिखें ।
उत्तर – कृषि एक प्राथमिक क्रिया है । इसे एक तंत्र के रूप में भी देखा जा सकता है। बीज, उर्वरक, हल-बैल या मशीनरी तथा श्रमिक इसके मुख्य निवेश हैं । जुताई, बुआई, सिंचाई, कटाई और दौनी इसकी संक्रियाएँ हैं ।
कृषि के अनेक प्रकार हैं। जैसे: निर्वाह कृषि, गहन निर्वाह कृषि, आदिम निर्वाह कृषि, स्थांतरी कृषि, चलवासी पशुचारण, वाणिज्यिक कृषि, मिश्रित कृषि, रोपण कृषि । लेकिन इन सबको केवल दो वर्गों में भी बाँट सकते हैं : निर्वाह कृषि तथा वाणिज्यिक कृषि । निर्वाह कृषि की मुख्य फसलें हैं : चावल, गेहूँ, बाजरा, मक्का और विभिन्न दलहन तथा तेलहन । वाणिज्यिक कृषि में कपास, पटसन, कॉफी, चाय, गन्ना और कपास हैं ।
समय के साथ विभिन्न यंत्रों और उर्वरकों के उपयोग से कृषि की उपज लगातार बढ़ती जा रही है। भारत के किसी भाग में कम उपज होती है तो कोई भाग काफी उपजाऊ है। संयुक्त राज्य अमेरिका आज कृषि में बहुत आगे है। वहाँ के किसान एक व्यापारी .. के रूप में काम करते हैं । वहाँ सभी काम यंत्रों से ही सम्पादित होते हैं । यहाँ तक की भंडारण का काम भी यंत्र ही कर देते हैं
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