Bihar Board Class 9 Economics कृषक मजदूर Text Book Questions and Answers
6. कृषक मजदूर
अभ्यास के प्रश्न तथा उनके उत्तर
I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
सही उत्तर का संकेताक्षर (क, ख, ग, घ) लिखें :
1. 2001 में बिहार में कृषक मजदूरों की संख्या थी
(क) 48%
(ख) 42%
(ग) 52%
(घ) 26.5%
2. 1991 में बिहार में कृषक मजदूरों की संख्या थी
(क) 26.1%
(ख) 37.1%
(ग) 26.5%
(घ) 37.8%
3. बिहार के कृषक मजदूर हैं :
(क) अशिक्षित
(ख) शिक्षित
(ग) ज्ञानी
(घ) कुशल
4. सामान्यतः कृषक मजदूर को निम्न भागों में बाँटा जा सकता है :
(क) तीन
(ख) दो
(ग) चार
(घ) पाँच
5. ऐसे मजदूर जिनके पास खेती करने के लिए अपनी कोई भूमि नहीं होती है उन्हें कहते हैं ” :
(क) छोटा किसान
(ख) बड़ा किसान
(ग) भूमिहीन मजदूर
(घ) जमींदार
उत्तर : 1. (क), 2. (ख), 3. (क), 4. (क), 5. (ग) ।
II. रिक्त स्थानों को भरें :
1. जो मजदूर कृषि का कार्य करते हैं उन्हें हम …………… मजदूर कहते हैं ।
2. क्वेसने ने कहा था कि, दरिद्र कृषि, दरिद्र राजा, दरिद्र …………. ।
3. बिहार में अधिकांश कृषक मजदूर ……………. एवं पिछड़ी जातियों के हैं।
4. बिहार में अब कृषि कार्यों में ……………… का प्रयोग होने लगा है।
5. बिहार के कृषक मजदूर रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों की ओर …………….. कर रहे हैं ।
उत्तर- 1. कृषक, 2. देश, 3. अनुसूचित जाति, 4. मशीनियों या यंत्रों, 5. पलायन ।
III. लघु उत्तरीय प्रश्न :
( उत्तर 20 शब्दों में दें)
प्रश्न 1. कृषक मजदूर से हमारा क्या मतलब है ?
उत्तर – कृषक मजदूर से मतलब है कि वह मजदूर कृषि कार्यों में कार्यरत है । इस काम से मिले फुर्सत के समय कोई अन्य कार्य भी कर लेता है ।
प्रश्न 2. कृषक मजदूर को कितने भागों में बाँटा जा सकता है ?
उत्तर – कृषक मजदूरी को तीन भागों में बाँटा जा सकता है।
प्रश्न 3. भूमिहीन मजदूर किसे कहते हैं ?
उत्तर – भूमिहीन मजदूर उसे कहते हैं जिसके पास कुछ भी कृषि भूमि नहीं है ।
प्रश्न 4. बंधुआ मजदूर की परिभाषा दें ।
उत्तर- ऐसे कृषक मजदूर, जो किसी ऋण के चलते मालिक के यहाँ आजन्म या ऋण चुकाने तक बिना मजदूरी लिए केवल भोजन पर मजदूरी करते हैं, ‘बंधुआ मजदूर कहलाते हैं ।
प्रश्न 5. पलायन का अर्थ बतावें ।
उत्तर- अपने पैतृक स्थान को छोड़कर कहीं अन्यत्र चले जाने की स्थिति को ‘पलायन” कहते हैं ।
प्रश्न 6. भूदान आन्दोलन पर प्रकाश डालें ।
उत्तर –विनोबा भावे ने भूपतियों से कुछ भूमि दान में माँगी थी, ताकि उसे भूमिहीन कृषक मजदूरों में बाँट दी जाय। इसी को ‘भूदान आंदोलन’ कहा गया । बहुतों ने जमीन दी थी, लेकिन उसका कोई उपयोग नहीं हो सका । विनोबा जी के मरते ही आन्दोलन भी मर गया। भूमि भूपतियों के पास नहीं रह गई ।
IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :
(उत्तर 100 शब्दों में दें)
प्रश्न 1. बिहार में कृषक मजदूरों की वर्तमान दशा एवं समस्याओं का वर्णन करें ।
उत्तर – बिहार में कृषक मजदूरों की वर्तमान दशा अत्यन्त दयनीय है । कृषि में उन्हें सालों भर काम नहीं मिलता। वर्ष के अधिकांश महीनों में वे बेकार ही बैठे रहते हैं । कृषि कार्य से जो आय प्राप्त हुई रहती है उससे सदैव गृह खर्च चल नहीं पाता । फलतः उन्हें ऋण लेना पड़ता है। वे ऋण चुका नहीं पाते । ब्याज भी बढ़ता जाता है । फलतः वे ऋणग्रस्तता से तबाह रहते हैं । इनका सारा जीवन गरीबी, बेकारी, शोषण, उत्पीड़न तथा अनिश्चितता में गुजर जाता है। इनकी सामाजिक स्थिति भी ठीक नहीं रहती । कहीं- कहीं तो उनके साथ गुलामों जैसा व्यवहार किया जाता है ।
कृषक मजदूरों को अनेक समस्याओं से जूझना पड़ता है । उन्हें मजदूरी कम दी जाती है। रोजगार भी मौसमानुसार ही मिल पाता है। ये आर्थिक दृष्टि से कमजोर होते हैं, जिससे मालिक मनमाने घंटों तक काम करवाते हैं । तात्पर्य कि इनका शोषण होता है। ऋणग्रस्तता हो तो ये तबाह रहते ही हैं, इनके आवास भी आरामदेह नहीं होते। इन्हें सहायक धंधों का अभाव है ।
प्रश्न 2. बिहार में कृषक मजदूरों की संख्या तेजी से क्यों बढ़ती जा रही है? इनकी दशा में सुधार लाने के उपाय बतावें । ?
उत्तर – बिहार में कृषक मजदूरों की संख्या इसलिए तेजी से बढ़ती जा रही है, कि बिहार के सभी कारखाने एक-एक कर बन्द हो गए। डालमिया नगर जो लगभग कारण टाटानगर से मुकाबला कर रहा था, कर्मचारियों और कर्मचारी नेताओं की महत्वाकांक्षा की भेंट चढ़ गया । ऊब कर प्रबंधन ने हाथ खड़े कर दिए और कारखाना बन्द हो गया। अविभाजित बिहार में चार कागज के कारखाने थे, वे सभी बन्द पड़े हैं। कटिहार का जूट कारखाना और माचिस कारखाना भी बन्द पड़े हैं। बिहार के लगभग सभी चीनी कारखाने बन्द पड़े हैं । कुछ चीनी कारखाने अविभाजित सारण तथा चम्पारण जिलों के भी बन्द हो गए हैं । कुछ ही चालू हालत में हैं । मढ़ौरा के मार्टन मिल भी बन्द हैं। पटना और गया (नवादा) जिले के दोनों चीनी मिल बन्द हैं। इन मिलों के बंद हो जाने के कारण इनके कर्मचारी बेकार होकर कृषक मजदूर बन गए। इनके वंशज भी कृषि मजदूर ही बनते हैं । यही कारण है कि बिहार में कृषि मजदूरों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है । इनकी दशा में सुधार के उपाय है कि बन्द कारखानों को चालू करवाया जाय। नए-नए उद्योगों की स्थापना हो ।
प्रश्न 3. विहार में मजदूरों की समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक उपायों पर प्रकाश डालें ।
उत्तर – बिहार में मजदूरों की समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक उपायों में कुछ प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं :
(i) कृषि आधारित उद्योगों का विकास – विहार में कृषि मजदूरों की समस्याओं का समाधान करना है तो कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ाना होगा। चीनी मिल तथा जूट मिलों को चालू करना होगा ।
(ii) लघु एवं कुटीर उद्योग का विकास- राज्य में लघु और कुटीर उद्योगों के विकास पर ध्यान दिया जाये । लघु उद्योगों को कामगारों में वृद्धि करने की अनुमति दी जाय ।
(iii) न्यूतम मजदूरी का उचित क्रियान्वयन हो— सरकार न्यूनतम मजदूरी तो निश्चित कर देती है, लेकिन उसका उचित पालन हो रहा है या नहीं, यह देखने का कोई जहमत नहीं उठाता ।
(iv) काम के घंटे निश्चित किए जायँ — एक मजदूर को एक दिन में कितने घंटे काम करना है, इसको निश्चित किया जाय । यदि अधिक समय तक काम कराया जाता है तो उसका उचित भुगतान किया जाय ।
(v) काम की दशाओं में सुधार – कृषि मजदूरों के काम की दशा में सुधार किया जाय। समय-समय पर उन्हें मजदूरी सहित छुट्टी दी जाय । दुर्घटना होने पर मुआवजा का प्रावधान हो ।
प्रश्न 4. कृषि मजदूरों की दशा सुधारने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों पर प्रकाश डालें ।
उत्तर– कृषि मजदूरों की दशा सुधारने के लिए सरकार द्वारा निम्नलिखित उपाय किए गए हैं :
(i) न्यूनतम मजदूरी का निर्धारण – बिहार सरकार ने न्यूनतम मजदूरी अधिनियम को कृषि मजदूरों पर भी लागू किया है।
(ii) भूमिहीनों को मकान के लिए जमीन — भूमिहीन मजदूरों के पास निवास के लिए अपनी जमीन होनी चाहिए। इसी को ध्यान में रखकर सरकार ने फैसला किया है कि उन्हें मकान के लिए मुफ्त में जमीन दी जायगी ।
(iii) भूदान आन्दोलन में मिली जमीन का बँटवारा — सरकार ने भूदान में मिली जमीन के बँटवारे का निश्चय किया है । हदवन्दी में प्राप्त जमीन भी कृषि मजदूरों को ही दी जाएगी ।
(iv) बंधुआ मजदूरों को राहत – 1976 में एक अधिनियम बनाकर सरकार ने बंधुआ मजदूरों को रखने से मना कर दिया। न माननेवाले अनेक मालिकों को गिरफ्तार कर सजा दी गई ।
(v) पुराने ऋणों से मुक्ति – भूमिहीन कृषि मजदूरों के हित में कानून बनाकर पुराने ऋणों से उन्हें मुक्ति दिला दी गई। अब बहुत हद तक उनकी ऋणग्रस्तता समाप्त हो गई है ।
प्रश्न 5. बिहार में कृषक मजदूरों के पलायन से उत्पन्न समस्याओं पर प्रकाश डालें । इसका निदान कैसे किया जा सकता है ?
उत्तर – बिहार से कृषक मजदूरों के पलायन से अनेक समस्याएँ सामने आई हैं। उनके यहाँ से अन्य राज्यों में चले जाने के कारण बिहार में कृषि मजदूर नहीं मिलते। यहाँ उनकी कमी हो गई है। अतः एक ओर तो कृषक परेशानी झेल रहे हैं और दूसरी ओर पलायन करनेवाले मजदूरों की स्थिति भी अच्छी नहीं कही जाएगी। असम, महाराष्ट्र आदि राज्यों में इनको बाहरी व्यक्ति कहकर मारा-पीटा जाता है और वहाँ से भाग जाने को कहा जाता है। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों में इनसे अधिक घंटों तक काम कराया जाता है और मजदूरी में कोई खास बढ़ोत्तरी नहीं होती । बहुत बार ऐसा होता है कि आय प्राप्त कर लौटते समय इनका धन छीन लिया जाता है। रेल में नशा- खिलकर लूट लिया जाता है । ये एड्स जैसे बीमारियों के शिकार तक हो जाते हैं ।
इस समस्या का निदान है कि बिहार में ही रोजगार के अवसर बढ़ाए जायें । बन्द कारखानों को चालू कराया जाय और नये-नये कारखाने खोले जाएँ । लघु उद्योगों को अनुमति दी जाय कि वे 20 से 25 कर्मचारी तक रख सकते हैं। श्रम विभाग उन्हें तंग नहीं करेगा ।
परियोजना कार्य (Project Work ) :
1. अपने गाँव के 10 कृषक मजदूर परिवारों का आर्थिक सर्वेक्षण करें ।
2. पलायन कर रहे किसी एक परिवार की कहानी लिखें ।
3. पलायन कब, कहाँ और कैसे होता है? उस पर एक संक्षिप्त नुक्कड़ नाटक प्रसिद्ध लोकगीतकार भिखारी ठाकुर के संदर्भ में प्रस्तुत करें ।
उत्तर-संकेत : ये परियोजना कार्य हैं । इसे छात्र स्वयं करें ।
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