BSEB Class 6th Hindi Solutions Chapter 2 असलील चित्र  (कहानी)

Class 6th Hindi Text Book Solutions

2. असली चित्र  (कहानी)

पाठ का सरांश-प्रस्तुत कहानी ‘असली चित्र‘ एक कंजूस सेठ की कहानी है। दक्षिण भारत में कृष्णदेव राय नाम के एक राजा थे। उनके राज्य में एक महाकंजूस सेठ राजा था। उसके पास अपार धन था, लेकिन कंजूसी के कारण वह एक पैसा भी खर्च करना नहीं चाहता था एकबार उसके मित्रो ने उसे एक कलाकार से अपना चित्र बनवाने को तैयार कर लिया। चित्रकार ने पुरी तत्परता से उसका चित्र बनाकर उसके सामने प्रस्तुत किया। चित्रकार ने अपने पारिश्रमिक के रूप में उस सेठ से एक सौ स्वर्ण मुद्राएँ माँगी। स्वर्णमुद्रा का नाम सुनते ही सेठ का कलेजा बैठ गया। उसने पैसे न देने के लिए अपना चेहरा बदलकर चित्रकार के समक्ष उपस्थित हुआ। इस प्रकार चित्रकार उसका चित्र बनाकर लाता था और वह हर बार अपना चेहरा बदल लेता था, क्योंकि सेठ चेहरा बदलने में निपुण था। सेठ इस व्यवहार से तंग आकर चित्रकार बनाया हुआ उसका चित्र लेकर वापस चला गया।

दुसरे दिन चित्रकार पुनः एक नया चित्र बनाकर लाया जो पिछले दिन के चेहरे से बिल्कुल मिलता था। तब सेठ ने अपना चेहरा फिर बदल लिया। चित्रकार उसकी इस कलाकारी से हतप्रभ हो गया। उसकी समझ में नहीं आया कि आखिर उससे भूल कहाँ हुई, इसलिए उसने पुनः चित्र बनाने का निर्णय किया। लेनि अगले चित्र के साथ भी वही हुआ जो पहले हुआ था। इस प्रकार वह कई दिनों तक नया-नया चित्र बनाता रहा और सेठ अपनी कलाकारी से उसे लज्जित करता रहा।

चित्रकार सेठ की इस चालाकी को भाँप गया कि वह अपनी कंजूसी के कारण कुछ भी देना नहीं चाहता है। अपनी मेहनत बेकार साबित होते देखकर उसने तेनालीराम से अपनी समस्या के समाधान लिए राय ली। तेनालीराम ने उसे आईना लेकर सेठ के पास जाने की सलाह दी तथा यह कहने को कहा कि आज आपका बिल्कुल सही चित्र लेकर आया हूँ, खुब मिलाकर देख लें। बस इतना भर करो और तुम्हारा काम चाँदी। अगले दिन चित्रकार तेनालीराम के कथानुसार आईना लेकर गया। आईना देखते ही सेठ बौखलाकर बोला, ‘‘अरे‘ यह चित्र कहाँ है ? यह तो आईना है। ‘‘ चित्रकार जवाब देते हुए कहा-सेठजी महाराज, आईना के सिवा आपकी असली सुरत और कौन बना सकता है ? अतएव मेरे चित्रों की कीमत एक हजार स्वर्ण मुद्राएँ तुरंत दे दें। चित्रकार के इस उत्तर से समझ गया की यह तेनालीराम के सुझ है, इसलिए वह बिना किसी विलम्ब के एक हजार स्वर्ण मुद्राएँ तेनालीराम के सामने प्रस्तुत कर दी। राजा को जब इस बात की जानकारी मिली तो वह हँसते-हँसते लोट-पोट हो गए।

अभ्यास के प्रश्न एवं उत्तर

 प्रश्न 1. यह कहानी आपको कैसी लगी? इस संदर्भ में आप अपना तर्क (विचार) प्रस्तुत करें।

उत्तर- यह एक मनोरंजक कहानी है। इसमें एक कंजुस की चालाकी तथा तेनालीराम कि सूझ-बूझ का वर्णन है। कहानी आरंभ से ही पाठको के मन में जिज्ञासा जगाती है कि आखिर होता क्या है ? लेकिन तेनालीराम की सूझ-बूझ के समक्ष कंजूस सेठ को झुकना पड़ता है और स्वर्ण मुद्राएँ देनी पड़ती है। जिज्ञासाप्रधान होने के कारण कहानी पाठकों को विशेष आनन्द प्रदान करती है।

प्रश्न 2 इस कहानी का कौन-पात्र अच्छा लगा और क्यों ?  

उत्तर- ऐसे कहानी मनोरंजक एवं जिज्ञासा प्रधान है। इसके सभी पात्र अच्छे हैं। लेकिन तेनालीराम इस कहानी का ऐसा पात्र है जिसकी सूझ-बूझ के कारण कंजूस सेठ को अपनी कंजूसी का त्याग करना पड़ता है। और चित्रकार को उसके परिश्रम का पुरस्कार मिलना संभव होता है। यदि तेनालीराम नहीं होता तो कहानी का अन्त दुःखदायी होता। इसलिए तेनालिराम सबसे अच्छा पात्र लगा।

प्रश्न 3 तेनालीराम इस घाटना की खबर राजा को दी तो क्या हुआ?

उत्तर- इस घाटना की खबर तेनालीराम ने जब राजा को दी तो वे हँसते-हँसते लोट-पोट हो गए ।

प्रश्न 4. ‘‘एक कौड़ी खर्च करने में उसकी जान निकलती थी।‘‘ इस वाक्य का आशय स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर-प्रस्तुत कहानी के माध्यम से कहानीकार ने यह स्पष्ट करना चाहता है कि कंजूस अपनी कंजूसी के कारण सम्पन्न होते हुए भी उपहास का पात्र बना रहता है। सभी उसे हेय दृष्टि से देखते हैं। उसका कहना होता है-‘‘चमड़ी जाय तो जाय पर दमड़ी न जाए।‘‘ इसलिए उसे एक कौड़ी भी खर्च करने में जान निकलने लगती है। प्रस्तुत कहानी का कंजूस सेठ भी एक ऐसा ही व्यक्ति है जो पैसे खर्च करने के नाम पर काँपने लगता है।

प्रश्न 5. रिक्त स्थानों को भरें:

(क) कंजूस सेठ ने चित्रकार से…………..देने का वादा किया।

(ख) यह कहानी राजा…………..के राज्य की है।

(ग) चित्रकार ने…………..से सलाह ली।

(घ) अंतिम दिन चित्रकार…………….लेकर सेठ के पास पहुँचा।

(ङ) तेनालीराम राजा कृष्णदेव राय के दरबार में…………….थे।

उत्तर- (क) उसके चित्र सौ स्वर्ण मुद्राएँ, (ख) कृष्णदेव राय, (ग) तेनालीराम, (घ) तेनालीराम के कहे अनुसार आईना, (ङ) विदूषक।

पाठ से आगे:

प्रश्न 1 चित्रकार के जगह आप हाते तो क्या करते ?

उत्तर- चित्रकार के जगह मैं होता तो वहीं करता जो चित्रकार ने किया। मैं भी तेनालीराम जैसे व्यक्ति के परामर्शानुसार काम करता, ताकि अपने परिश्रम का फल मिले और कंजूस सेठ को अपनी चालाकी का फल मिले।

प्रश्न 2. गप्प लगाने से नुकसान ज्यादा होता है या फायदा ? पाँच वाक्यों में लिखिए।

उत्तर- ‘गप्प लगाने‘ का अर्थ  बातचीत करना होता है, लेकिन यह बातचीत उद्देश्यपूर्ण न होकर निरूद्देश्यपूर्ण होती है। ऐसी बातचीत में समय की बर्बादी होती है। साथ ही, बेकार की बातें करने तथा सुनने से मन ऊब जाता है अतः गप्प लगाने से नुकसान ही होता है। फायदे की उम्मीद नहीं के बराबर होती है।

प्रश्न 3 बार-बार कंजूस सेठ द्वारा अपना चेहरा बदल लेने के बाद चित्रकार को सलाह किसने दी ? दी गई सलाह को कैसी लगी ? इस संदर्भ में अपनी राय दीजिए।

उत्तर- बार-बार कंजूस सेठ द्वारा अपना चेहरा बदल लेने के बाद चित्रकार को तेनालीराम ने सलाह दी। चित्रकार कंजूस सेठ के व्यवहार से क्षुब्ध हो गया था। उसे ऐसा प्रतीत होने लगा था कि उसका सारा परिश्रम व्यर्थ चला जाएगा, क्योंकि कंजूस हर बार अपना चेहरा बदल लेता था। लेकिन तेनालीराम की बुद्धिमता के सामने कंजूस सेठ को हार माननी पड़ी तथा चित्रकार को एक हजार स्वर्ण मुद्राएँ देनी पड़ी। तेनालीरा की सलाह अति चतुराईपूर्ण थी। इसी सलाह के कारण चित्रकार की समस्या का समाधान हो सका।

प्रश्न 1. दिए गए शब्दों को संज्ञा के विभिन्न भेदों में छाँटकर लिखें। कृष्णदेव राय, चित्रकार, तेनालीराम, पानी, आईना, लोग, कंजूसी, दुध, ईमानदारी, गाय, पढ़ाई, वर्ग, हिमालय, मेला,

उत्तर: जातिवाचक संज्ञा -चित्रकार, आईना, लोग, गाय।

व्यक्तिवाचक संज्ञा -कृष्णदेव राय, तेनालीरा, हिमालय।

भाववाचक सेज्ञा -कंजूसी, ईमानदारी।

द्रव्यवाचक संज्ञा -पानी, दुध, चीनी, स्वर्ण मुद्रा।

समूहवाचक संज्ञा -वर्ग, मेला।

संकेत: ‘पढ़ना‘ क्रिया है।

प्रश्न 2 इन मुहावरों का वाक्य में प्रयोग करें:

पानी-पानी होना, काम चाँदी होना, हँसते-हँसते लोट-पोट होना,

हिम्मत हारना, भौंचक रह जाना।

उत्तर:

पानी-पानी होना (लज्जित होना)-सच्चाई प्रकट होने पर राजू पानी-पानी हो गया।

काम चाँदी होना (काम में सफल होना)-नौकरी मिलते ही मोहन का काम चाँदी हो गया।

हँसते-हँसते लोट-पोट होना (खूब हँसना)-बच्चे की बात सुनकर सभी हँसते-हँसते लोट-पोट हो गए।

हिम्मत हारना (पस्त होना, साहस खोना)-परीक्षा में फेल होते-होते अन्तत: वह हिम्मत हार बैठा।

भौंचक रह जाना (आश्चर्यचकित होना)-गणेश अपने छोटे भाई की करतूत सुनकर भौंचक रह गया।

प्रश्न 3 इनके विपरीतार्थक शब्द लिखिए:

अपार, नया, समझ, देर, सही।

उत्तर: शब्द          विपरीतार्थक शब्द

अपार          सीमित

नया            पुराना

निराशा          आशा

समझ           नासमझ

देर              सवेर, शीघ्र

सही             गलत

प्रश्न 4. निम्न शब्दों से वाक्य बनाएँ:

चित्रकार, पत्रकार, कलाकार, सलाहकार, नाटकार।

उत्तर: चित्रकार = राम एक अच्छा चित्रकार है।

पत्रकार = मोहन एक अच्छा पत्रकार है।

कलाकार = अच्छे कलाकार सबके प्रिय हो जाते हैं।

सलाहकार = बीरबल अकबर के सही सलाहकार थे।

नाटककार = नाटककार को सरकार ने पुरस्कार दिया।

कुछ करने को: 

1. तेनालीराम की ही तरह बीरबल और गोनू झा के किस्से भी प्रचलित हैं। अपनी कक्षा में वैसे किस्से सुनाईए।

2. अपने मित्रों के बिच इसी तरह की कोई रोचक कहानी सुनाइए और सुनिए।

3. इस कहानी को एकांकी के रूप में कक्षा में प्रस्तुत कीजिए।

संकेत: इस खंड के तीनों प्रश्नों को छात्र स्वयं करेंगे।

Class 8th Hindi Notes & Solutions – click here
Watch Video on YouTube – click here
Class 8th Sanskrit Notes & Solutions – click here
Class 8th Science Notes & Solutions – click here
Class 8th Sanskrit Notes & Solutions – click here

Leave a Comment