BSEB Class 6th Hindi Solutions Chapter 7 पिता का पत्र पुत्र के नाम

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7. पिता का पत्र पुत्र के नाम (मोहन दास करमचन्द गाँधी)

पाठ का सारांश- प्रस्तुत पाठ ‘पिता का पत्र पुत्र के नाम में महात्मा गाँधी द्वारा प्रिटोरिया जेल से पुत्र के लिखे गए पत्र के विवरण है। इसमें लेखक ने पत्र को सही शिक्षा के विषय में बताया है।

जब गाँधी जी प्रिटोरिया जेल में कैद थे तो पुत्र द्वारा लिखा गया पत्र अंग्रजी में हुकूमत की पाबंदी के कारण उन्हें प्राप्त नहीं होता था। कुछ दिनों के बाद प्रतिमाह उन्हें एक पत्र लिखने तथा एक पत्र प्र्राप्त करने का अधिकार मिला तो उन्होंने अपने बारे में किसी प्रकार की चिन्ता न करने की सलाह देते हुए कहा कि ‘बा‘ तथ तुम लोग सवेरे दूध के साथ साबूदाना ले रहे होंगे और मेरे द्वारा डाली गई जिम्मेदारी का निर्वाह सुचारू रूप से कर रहे होंगे, मुझे ऐसी आशा है।

मैं जानता हुँ कि तुम्हें पढ़ाई में दिक्कत होती होगी, अक्षर-ज्ञान सही शिक्षा तो चरित्र-निर्माण और कर्तव्य का बोध है। तुम्हारी आधी शिक्षा इसी के द्वारा पूरी हो जाती है, क्योंकि तुम अपने दायित्व सफलतापूर्वक निभा रहे हो। साथ ही इस बात का ख्याल रखो कि ब्रह्यचर्य अश्रम त्याग एवं तपस्या का समय होता है। इसी अवस्था में बच्चों अपने दायित्व एवं कर्त्तव्य, आचार-विचार तथा सत्य-अहिंसा का प्रयोग आनन्दपूर्वक करना चाहिए। आमोद-प्रमोद एक निश्चित आयु में ही शोभा देता है। जीवन में सफलता उसे ही मिलता है जो अपनी आत्मा का, अपने आपका तथा ईश्वरीय शक्ति के महत्व को समझता है। अक्षर-ज्ञान तो साधन मात्र है, साक्ष्य जीवन की सच्चाई जानना है। यह भी याद रखना है कि गरीबी में ही असली सुख है। इसलिए खेत में घास निराने, गढ़े खोदने और कृषि यंत्र को सुव्यवस्थित रखो, ताकि एक किसान बन सको। इसी प्रकार संस्कृत, एवं गणित में भी रूचि रखना, क्योंकि बड़ी उम्र में संस्कृत, गणित सिखना कठिन है।

लेखक ने अपने पुत्र को हिन्दी, गुजराती तथा अंग्रेजी कविताओं एवं भजनों को संग्रह करने धैर्य न खोने और सद्गुणें को प्राप्त करने की सलाह दी। अन्त में, लेखक ने पुत्र को पैसे-पैसे का हिसाब रखने, नियमित रूप से सुबह-शाम प्रार्थना करने की भी सलाह दी, क्यो  कि इस नियमितता से व्यक्ति का व्यक्तित्व निखार पाता है। पत्र पढ़कर अच्छी तरह समझ लेने के बाद जितना लम्बा पत्र लिखना चाहो, लिखना।

तुम्हरा पिता

मोझदास

अभ्यास के प्रश्न एवं उत्तर

पाठ से:

प्रश्न 1. गाँधी जी ने पत्र के माध्यम से अपने पुत्र को क्या शिक्षाएँ दी हैं

उत्तर- गाँधी जी ने पत्र के माध्यम से अपने पुत्र को दायित्व का निर्वाह शांतचित तथा आनन्दपूर्वक करने, सद्गुणों को ग्रहण करने, सुबह-शाम प्राथना करने, अचार-विचार में सत्य-अहिंसा के प्रयाग की चेष्टा करनी है खेत में घास निराने, गड्ढे खोदने तथा एक योग्य किसान बनने की शिक्षाएँ दी हैं।

प्रश्न 2. गाँधी जी असली शिक्षा किसे माना है ? उल्लेख कीजिए।

उत्तर- गाँधी जी ने असली शिक्षा चरित्र-निर्माण और कर्तव्य-बोध का माना है। उनका कहना है कि जब कोई व्यक्ति अपने दायित्व का निर्वाह ईमानदारीपूर्वक तथा शांतचित से करता है तो उसकी शिक्षा सही मानी जाती है, क्योंकि ऐसा व्यक्ति काम करते समय एक विशेष आनन्द का अनुभव करता है। इसी कारण गाँधी जी को अपने पिता की सेवा करने में आनन्द मिलता था।

प्रश्न 3. गाँधी जी के पत्र के माध्यम से किन तीन बातों को महत्वपूर्ण माना गया है?

उत्तर- गाँधी जी के पत्र के माध्यम से ‘अपनी आत्मा का, अपने आपका और ईश्वर का सच्चा ज्ञान प्राप्त करना‘ इन तीन बातें को महत्वपूर्ण माना है।

प्रश्न 4. ‘‘बा‘‘ उपनाम से किन्हें जाना जाता है?

उत्तर- ‘‘बा‘‘ उपनाम से गाँधी जी की पत्नी कस्तूरबा को जाना जाता है।

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