Class 6th Sanskrit Text Book Solutions
नवमः पाठः
खेलक्षेत्रम्
(खेल का मैदान)
पाठ-परिचय- प्रस्तुत पाठ’खेलक्षेत्रम्’ में खेल के मैदान की विशोषता पर प्रकाश डाला गया है। खेल का मैदान ऐसा महत्वपूर्ण स्थान है जहाँ बच्चे मनोरंजन के साथ-साथ अनेक प्रकार के खेलो का आनंद लेते हैं। बड़े-बढ़े खुली हवा में भ्रमण करते हैं। नगरों में खेल के मैदान का महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि यहाँ खुले मैदान का अभाव होता है। इसलिए लोग इस मैदान में शारीरिक व्यायाम आदि करते हैं।
रमेशः – मित्र रहीम! इदानीं सन्ध्याकालः वर्तत। चल, खेलक्षेत्रे गच्छाव। रहीमः –
खेलक्षेत्रम् अस्माकं मनोरत्र्जनस्य व्यायामस्य च स्थलं भवति। अवश्यं गमिष्यामि।
(मार्ग शीला मिलति)।
शीलाः – युवां कुत्र गच्छथ ?
रहीमः – आवां खेलक्षेत्रं गच्छावः। किं तवापि इच्छा खेलक्षेत्रस्य भ्रमणाय अस्ति ? यदि वर्तते तदा त्वमपि चल।
(सर्वे खेलक्षेत्रं प्रविशन्ति)
अर्थः रमेश – मित्र रहीम! अभी शाम का समय है। चलो, खेल के मैदान में जाते हैं।
रहीम – खेल का मैदान हमारे मनोरंजन तथा व्यायाम का स्थान होता है। अवश्य जाऊँगा। (राह में शीला मिलती है)
शीला – तुम दोनों कहाँ जाते हो ?
रहीम – हम दोनों खेल के मैदान को जाते हैं। क्या तुम्हारी भी खेल के मैदान में घूमने की इच्छा है ? यदि ऐसी इच्छा है तो तुम भी चलो। (सभी खेल के मैदान में प्रवेश करते हैं)।
रमेशः – अत्र अनेके बालकाः बालिकाश्च सन्ति।
केचित् कन्दुकेन खेलन्ति। अपरे कन्दुकक्रीडां पश्यन्ति।
शीला – आम् आम्! कन्दुकं लक्ष्यं प्रविशति तदा महान् कोलाहलो भवति। पुनः केन्द्रस्थाने कन्दुकं नयन्ति बालकाः। तदा नवीना क्रीडा भवति।
सीमा – शीले! त्वमत्र कन्दुकक्रीडां पश्यसि। चल, तत्र बालिकाः बैडमिन्टनखेलं खेलन्ति। अन्याः तं खेलं पश्यन्ति।
शीला – चल, आवां खेलदर्शनाय तत्र गच्छाव। इदं खेलक्षेत्रं विशालम्। अनेकाः क्रीडाः अत्र भवन्ति। खेलक्षेत्रस्य दर्शनेन महान् उत्साहः आनन्दश्च भवति। अतः वयं खेलक्षेत्रं सन्ध्याकाले प्रतिदिनं गच्छामः।
(खेलक्षेत्रस्य दर्शनात् परं सर्वे स्वं स्वं गृहं गच्छन्ति।)
अर्थः रमेश – यहाँ अनेक लड़के और लड़कियाँ हैं। कोई गेंद से खेलते हैं तो दूसरे गेंद का खेल देखते हैं।
शीला – हाँ, हाँ। (जब) गेंद गोल में घूसता (प्रवेश करता) है तब बहुत शोरगुल होता है। फिर लड़के गेंद को मैदान के मध्य में रखते हैं। फिर नया खेल शुरू होता है।
सीमा – शीले! तुम यहाँ गेंद का खेल देखती हो। चलो, वहाँ लड़कियाँ बैडमिन्टन खेलती हैं। दूसरे लोग उस खेल को देखते हैं।
शीला – चलो, हम दोनों खेल देखने वहाँ जाते हैं। यह खेल का मैदान विस्तृत है। यहाँ अनेक तरह के खेल होते हैं। खेल का मैदान देखकर काफी उत्साह और आनन्द मिलता है। इसलिए हमलोग खेल के मैदान में शाम के समय नित्य जाते हैं।
(खेल देखने के बाद सभी अपने-अपने घर जाते हैं।)
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