An Epitaph Summary Explanation in Hindi & English

In this post, I have explained summary of bseb class 12th English poetry section lesson 5 ‘An Epitaph’ in Hindi & English.

An epitaph

5. An Epitaph

    ‘An Epitaph’ is a beautiful short poem composed by Walter De La Mare. The poet tells us about a lady who lies in the tomb.

    एक समाधि लेख सुंदर लघु कविता है जिसे वाल्‍टर डि ला मेयर के द्वारा संकलित किया गया है। कवि हमें एक महिला के बारे में बताते हैं, जो कब्र के नीचे पड़ी हुई थी।

     She was the most beautiful lady that was ever born in the west country. But his beauty vanishes when she dies. He feels that after her death no body will remember her.

    वह सबसे सुंदर महिला थी, उसके जैसा पश्चिम के देशों में अभी तक कोई जन्‍म नहीं लिया है। लेकिन उसकी सुंदरता समाप्‍त हो गई जब वह मर गई। वह एहसास करते हैं कि उसकी मृत्‍यु के पश्‍चात कोई भी व्‍यक्ति उसका नाम लेने वाला नहीं है।

     At last, the poet says that beauty vanishes but the moral work always be remembered.

अंत में, कवि कहते हैं कि सुंदरता समाप्‍त हो जाती है लेकिन किया गया नैतिक कार्य हमेशा अमर रहता है।

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6. The Shehnai of Bismillah Khan class 10th English | बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 9 अंग्रेजी के पाठ छ: ‘The Shehnai of Bismillah Khan (बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई)’ के प्रत्‍येक पंक्ति के अर्थ को पढ़ेंगे।

The Shehnai of Bismillah Khan

THE SHEHNAI OF BISMILLAH KHAN
(बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई)

USTAD BISMILLAH KHAN, the great Shehnai maestro, and the receipient of the  highest civilian award the Bharat Ratna (2001), was born on 21 March 1916 in a well-known family of musicians in Bihar. In spite of having travelled all over the world, he was exceedingly fond of Benaras and Dumraon and they remained for him the most wonderful towns of the world. He passed away on 21 August 2006 at the age of ninety after a prolonged illness. He was given a state funeral and the Government of India declared one day of national mourning.
उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ महान शहनाईवादक और भारतरत्न (2001) जैसे महान नागरिक पुरस्कार से पुरस्कृत, का जन्म बिहार में 21 मार्च 1916 को एक जाने-माने संगीतज्ञों के परिवार में हुआ था। पूरी दुनिया का सैर करने पर भी वे बनारस और डुमराँव को अत्यधिक चाहते थे और उन्होंने विश्व के सुंदर शहरों में रुकने से इंकार कर दिया। 21 अगस्त 2006 को नब्बे वर्ष की अवस्था में एक लम्बी बीमारी के उपरांत उनका इंतकाल हो गया। राष्ट्रीय सम्मान के साथ उनको दफन किया गया और भारत सरकार ने एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया।

Class 9th English Chapter 6 The Shehnai of Bismillah Khan Notes

Bihar Board Class 10th Social Science

THE SHEHNAI OF BISMILLAH KHAN

1.Emperor Aurangzeb banned the playing of a musical instrument called pungi in the royal residence, for it had a shrill unpleasant sound. The pungi became the generic name for reeded noisemakers. Few had thought that it would one day bc revived. A barber of a family of professional musicians, who had access to the royal palace, decided to improve the tonal quality of the pungi. He chose a pipe with a natural hollow stem that was longer and broader than the pungi, and made seven holes on the body of the pipe. When he played on it, closing and opening some of these holes, soft and melodious sounds were produced. He played the instrument before royalty and everyone was impressed. The instrument so different from the pungi had to be given a new name. As the story goes, since it was first played in the Shah’s chambers and was Played by a nai (barbaer), the instrument was named the ‘shehnai’.
बादशाह औरंगजेब ने ‘पुंगी’ नामक वाद्ययत्र को राजघरानों है। बजाने पर प्रतिबंध लगा दिया, क्योंकि यह अप्रिय तीव्र ध्वनि उत्पन्न करती थी। पंगो सामान्यतया शोर करनेवाली सरकंडा के नाम से जाना जाने लगा। कुछ लोग सोचते थे कि यह एक दिन.दोहरायी जायेगी। पेशेवर संगीतज्ञों के परिवार का एक नाई, जिसकी महलों में पहुँच थी, पुंगी की ध्वनि विद्या को सुधारने का निर्णय लिया । उसने पुंगी से बड़ा
और चौड़ा प्राकृतिक छिद्र वाला तना लिया और पाइप पर सात छिद्र बनाया। जब वह । इन छिद्रों में से कुछ को खोलकर और बंद कर जब वह इसे बजाता था, मुलायम और । कर्णप्रिय ध्वनियाँ निकलती थीं। उसने इस वाद्ययंत्र को और महाराजाओं के कक्ष में बजाया।
और सब कोई प्रभावित हुए। वाद्ययंत्र जो पुंगी से अलग था एक नया नाम दिया गया। ऐसी कहानी कही जाती है कि यह पहली बार शहंशाह के कक्ष में बजायी गई और एक नाई (हज्जाम) के द्वारा बजायी गई, इसलिए इस यंत्र का नाम ‘शहनाई’ पड़ा।

Class 9th English Chapter 6 The Shehnai of Bismillah Khan Notes

The Pace For Living Chapter in Hindi
2.The sound of shehnai began to be considered auspicious. And for this reason it is still played in temples and is an indispensable component of any North Indian wedding. In the past, the shehnai was part of the naubat or traditional ensemble of nine instruments found at royal courts. Till recently it was used only in temples and weddings. The credit for bringing this instrument onto the classical stage goes to Ustad Bismillah Khan.
शहनाई की आवाज शुभ मानी जाने लगी। यही कारण है कि यह मंदिरों में बजायी जाती है और किसी उत्तर भारतीय की शादी में अतिआवश्यक सामग्री मानी जाती है। भूतकाल में, शहनाई शाही दरबारों के नौबत या नौ उपकरणों के परंपरागत यंत्र का एक हिस्सा था। कुछ दिन पहले तक यह केवल मंदिरो और शादी-विवाह में उपयोग में लाया गया था। इस यंत्र को शास्त्रीय पटल पर लाने का श्रेय उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ ” को जाता है।
3.As a five-year old boy, Bismillah Khan played gilli-danda near a pond in the ancient estate of Dumraon in Bihar. He would regularly go to the nearby Bihariji temple to sing the Bhojpuri Chaita’, at the end of which he would earn a big laddu weighing 1.25 kg, a prize given by the local Maharaja. This happened 80 years ago, and the little boy has travelled far to earn the highest civilian award in India – the Bharat Ratna.
पाँच साल का बालक, बिस्मिल्ला खाँ बिहार में डुमराँव के पुराने जमादार के तालाब के नजदीक गिल्ली-डंडा खेलता था। वह नियमित रूप से नजदीक के बिहारीजी के मंदिर में भोजपुरी ‘चैता’ सुनने जाता था, जिसके अंत में वहाँ के महाराजा के द्वारा 1.25 किलो वजन का लड्डू इनाम में दिया जाता था। यह 80 वर्ष पूर्व की घटना थी और नन्हा बालक ने भारतरत्न जैसे भारत के महान नागरिक पुरस्कार पाने के लिए लम्बी दूरी तय की।

Class 9th English Chapter 6 The Shehnai of Bismillah Khan Notes

What is Wrong with Indian Films Lecture
4.Born on 21 March 1916, Bismillah belongs to a well-known family of musicians from Bihar. His grandfather, Rasool Bux Khan, was the shehnai-nawaz of the Bhojpur king’s court. His father, Paigambar Bux, and other pater ancestors were also shehnai players.
21 मार्च, 1916 को जन्गे बिरिगल्ला खाँ बिहार के संगीतज्ञों के जाने-माने परिवार से आते हैं। उनके दादा रसूल बक्स खान भोजपुर के राजा के दरबार गे शहनाई नवाज थ। उनके पिता पैगम्बर बक्स और अन्य वंशज भी शहनाईवादन से जुड़े थे।
5.The young boy took to music early in life. At the age of three, when his mother took him to his maternal uncle’s house in Benaras (now Varanasi), Bismillah was fascinated watching his uncles practise the shehnai. Soon Bismillah started accompanying his uncle, Ali Bux, to the Vishnu temple of Benaras where Bux was employed to play the shehnai. Ali Bux would play the shehnai and Bismillah would sit captivated for hours. Slowly, he started getting lessons in playing the instrument and would sit practising throughout the day. For years to come the temple of Balaji and Mangala maiya and the banks of the Ganga became the young apprentice’s favourite haunts where he could practise in solitude. The flowing waters of the Ganga inspired him to improvise and invent ragas that were earlier considered to be beyond the range of the shehnai.
युवा बालक जीवन के पूर्व में ही संगीत सीखने लगा। तीन वर्ग की अवस्था म जब उनकी माँ ने उनके अपने चाचा के घर बनारस (अब वाराणसी) ले गई, बिस्मिल्ला अपने चाचा की शहनाई के रियाज को गौर से ध्यानपूर्वक निहरता था। शीघ ही बिस्मिल्ला अपन मामा अली बक्स के साथ, जो बनारस के विष्णु मंदिर में शहनाई बजाने के कर्मचारी थे, के साथ शहनाई का संगत शुरू कर दिया। अली बक्स शहनाई बजाते थे और बिस्मिल्ला घंटा बैठकर मोहित होता था। धीरे-धीर, इस यंत्र को बजाने का पाठ लेना शुरू कर दिया और दिन भर बैठकर अभ्यास करने लगा। अनेक वर्षों तक बालाजी और मंगला मईया के मंदिर और गंगा के तट पर आनेवाले नौजवान वादक का प्रतिदिन आगमन होने लगा जहाँ वह एकांत में अभ्यास कर सका । गंगा की बहती धारा ने उन्हें तत्काल कुछ नया राग आविष्कार करने की प्रेरणा दी जो अभी तक शहनाई के लिए स्वीकृत दायरा से अलग था।
6.Al the age of 14. Bismillah accompanied his uncle to the Allahabad Music Conference. At the end of his recital, Ustad Faiyaz Khan patted the young boy’s back and said, “Work hard and you shall make it.” With the opening of the All India Radio in Lucknow in 1938 came Bismillah’s big break. He soon became an often-heard shehnai player on the radio.
14 वर्ष की अवस्था में बिस्मिल्ला ने अपने मामा के साथ इलाहाबाद के संगीत सम्मेलन में हिस्सा लिया था संगत की। संगीत के कार्यक्रम के अंत । में, उस्ताद फैय्याज खाँ ने युवा बालक का पीठ थपथपाया और कहा : “कड़ा परिश्रम करो और तुम इसे प्राप्त करोगे। 1938 में लखनऊ में अखिल भारतीय रेडियो की शुरुआत ने बिस्मिल्ला को बड़ा ठहराव दिया। उनकी शहनाई अक्सरहाँ रेडियो पर सुनी। जाने लगी।
7.When India gained independence on 15 August 1947. Bismillah Khan became the first Indian to greet the nation with his shehnai. He poured his heart out into Ragg Kafi from the Red Fort to an audience which included Pandit Jawaharlal Nehru, who later gave his famous “Tryst with Destiny’speech.
जब 15 अगस्त, 1947 को भारत को आजादी मिली, बिस्मिल्ला खाँ प्रथम भारतीय बने जिन्होंने अपनी शहनाई से राष्ट्र का स्वागत किया। उन्होंने लाल किला से दर्शकों को जिसमें पंडित जवाहरलाल नेहरू भी थे, राग काफी की धारा दिल से बहायी। पंडित नेहरू ने भाषणवाद ‘भाग्य से भेंट का प्रबंध’ किया।

Class 9th English Chapter 6 The Shehnai of Bismillah Khan Notes
8.Bismillah Khan has given many memorable performances both in India and abroad. His first trip abroad was to Afghanistan where King Zahir Shah was so taken in by the maestro that he gifted him priceless Persian carpets and other souvenirs. The King of Afghanistan was not the only one to be fascinated with Bismillah’s music. Film director Vijay Bhatt was so impressed after hearing Bismillah play at a festival that he named a film after the instrument called Gunj Uthi Shehnai. The film was a hit, and one of Bismillah Khan’s composition, “Dil ka Khilona hai toot gaya…,” turned out to be a nationwide chartbuster! Despite this huge success in the celluloid world, Bismillah Khan’s success in film music was limited to two: Vijay Bhatt’s Gunj Uthi Shehnai and Vikram Srinivas’s Kannada venture, Sanadhi Apanna, “I just can’t come to terms with the artificiality and glamour of the film world,” he says with emphasis.
बिस्मिल्ला खाँ ने अनेक यादगार उपलब्धियाँ देश में और देश के बाहर दी है। देश से बाहर की उनकी पहली यात्रा अफगानिस्तान की थी, जहाँ बादशाह जहीर खाँ उनकी मौसिकी से इतना प्रभावित हुआ कि उसने बेशकीमती परसियन गलीचे और स्मृति चिह्न उपहारस्वरूप प्रदान किया। अफगानिस्तान का बादशाह अकेला नहीं था, जो बिस्मिल्ला के संगीत से मोहित था। फिल्म डायरेक्टर विजय भट्ट एक कार्यक्रम में बिस्मिल्ला का शहनाई सुनकर इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने एक फिल्म का नाम इस यंत्र के नाम से गूंज उठी शहनाई’ रख दिया। फिल्म हिट हो गई और बिस्मिल्ला खाँ की एक रचना ‘दिल का खिलौना हाय टूट गया ने राष्ट्रव्यापी प्रसिद्धि पाई। चकाचौंध दुनिया में इतनी बड़ी सफलता के बावजूद, बिस्मिल्ला खाँ ने मात्र दो फिल्मों तक अपने को सीमित रखा। विजय भट्ट की ‘गूंज उठी शहनाई’ और विक्रम श्रीनिवास की कन्नड़ साहसिक कार्य सनाधि आपना। “मैं फिल्मी दुनिया की बनावटी और आकर्षक दुनिया में मैं नहीं आ सकता हूँ।” वे जोर देकर कहते हैं।
9.Awards and recognition came thick and fast. Bismillah Khan became the first Indian to be invited to perform at the prestigious Lincoln Centre Hall in the United States of America. He also took part in the World Exposition in Montreal, in the Cannes Art Festival and in the Osaka Trade Fair. So well known did he become internationally that an auditorium in Teheran was named after him-Tahar Mosiquee ustaad Bismillah Khan.
इनाम और पहचान तीव्र गति से आने लगे । बिस्मिल्ला खाँ प्रथम भारतीय बने जिन्हें अमेरिका के गौरवपूर्ण लिंकन सेन्ट्रल हॉल में कार्यक्रम प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया गया। उन्होंने केन्स आर्ट फेस्टिवल ओसाका ट्रेड के फेयर में वर्ल्ड एक्सपोजिशन इन मॉन्ट्रियल में हिस्सा लिया। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने इतनी ख्याति पायी कि तेहरान में एक श्रोता कक्ष का नाम तेहरान मौसिकी उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ रखा गया।
10.National awards like the Padmashri, the Padma Bhushan and the Padma Vibhushan were conferred on him.
पदमश्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे राष्ट्रीय पुरस्कार उन पर न्योछावर थे।
11.In 2001, Ustad Bismillah Khan was awarded India’s highest civilian award, the Bharat Ratna. With the coveted award resting on his chest and his eyes glinting with rare happiness, he said, “All I would like to say is: Teach your children music, this is Hindustan’s richest tradition; even the
West is now coming to learn our music.”
2001 में उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारतरल’ से नवाजे गए। इस उपहार ने उनके सीने में शांति पहुँचाई और आँखों में अनोखी खुशी से उन्होंने कहा, “मैं सबों को कहना चाहता हूँ कि : अपने बच्चों को संगीत सिखाइए यह हिन्दुस्तान की सबसे गौरवशाली परंपरा है, यहाँ तक कि पश्चिम के लोग भी आ इसे सीखने हमारे यहाँ आ रहे हैं।”

Class 9th English Chapter 6 The Shehnai of Bismillah Khan Notes
12.In spite of having travelled all over the world Khansaab, as he is fondly called, is exceedingly fond of Benaras and Dumraon and they remain for him the most wonderful towns of the world. A student of his once wanted him to head a shehnai school in the U.S.A., and the student promised to recreate the atmosphere of Benaras by replicating the temples there. But Khansaab asked him if he would be able to transport River Ganga as well. Later he is remembered to have said, “That is why whenever I am in a foreign country, I think of only Benaras and the holy Ganga. And while in Benaras, I miss the unique mattha of Duraon.
पूरी दुनिया का सैर करने के बावजूद खाँ साहब, जैसा कि उन्हें प्यार से पुकारा जाता है, बनारस और डुमराँव को अत्यधिक चाहते थे और संसार के सुंदर शहरों में भी गए थे। एक विद्यार्थी, जो उन्हें चाहता था यू. एस. ए. में शहनाई का एक स्कूल खोलने के लिए उनसे आग्रह किया और विद्यार्थी ने यह वादा किया कि वह बनारस का वातावरण और मंदिरों का प्रतिरूप यहाँ स्थापित कर देगा। परन्तु खाँ साहब ने उससे पूछा कि क्या तुम गंगा नदी को भी यहाँ ला दोगे? इसलिए याद रखो, जो मैं कहता हूँ, “यही कारण है कि जब मैं विदेश में रहता हूँ तो केवल बनारस के और पवित्र गंगा के बारे में सोचता हूँ। और जब बनारस में होता हूँ तो मैं सबसे परे डुमराँव के मट्ठा को नहीं पकड़ पाता हूँ।”
13.Shekhar Gupta: When partition happened, didn’t you and your family think of moving to Pakistan?
शेखर गुप्ता: जब देश का बंटवारा हुआ, तुम और तुम्हारा परिवार पाकिस्तान जाने को सोचा तक नहीं ?
14.Bismillah Khan: God forbid! Me, Ieave Benaras? Never! I went to Pakistan once! Crossed the border just to say I have been to Pakistan. I was there is about an hour. I said namaskar to the Pakistanis and salaam alaikum to the Indians! I had a good laugh.
बिस्मिल्ला खाँ : मुझे बनारस छोड़ने के लिए ईश्वर ने अनुमति नहीं दी ! कभी नहीं ! मैं एक बार पाकिस्तान गया केवल यह कहने के लिए सीमा पार किया कि मैं पाकिस्तान में हूँ। मैं वहाँ करीब एक घंटा रहा था। मैं पाकिस्तानियों को नमस्कार और भारतीयों को सलाम वाल्लेकुम कहा। मैं खूब हँसता था।
15.Ustad Bismillah Khan’s life is a perfect example of the rich, cultural heritage of India, one that effortlessly accepts that a devout Muslim like him can very naturally play the shehnai every morning at the Kashi Vishwanath temple.
उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ का जीवन भारत के मानवीय शक्तियों के विकास वाले पैतृक संपत्ति के धनी का आदर्श उदाहरण है। वह जो निःसंकोच स्वीकार करता है कि उसके जैसा धार्मिक मुसलमान काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रत्येक दिन सुबह में बहुत आसानी से शहनाई बजा सकता है। Class 9th English Chapter 6 The Shehnai of Bismillah Khan Notes

Sanskrit Class 10th All Chapter

5. Echo and Narcissus class 10th English | नर और नरसीसस

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 9 अंग्रेजी के पाठ पाँच ‘Echo and Narcissus(नर और नरसीसस)’ के प्रत्‍येक पंक्ति के अर्थ को पढ़ेंगे। यह ‘इको और नरसीरम कथा को मोयरा केर और जॉन बेनेट द्वारा अंग्रेजी भाषा में रूपांतरित किया गया है।

Echo and Narcissus

ECHO AND NARCISSUS
(नर और नरसीसस)
Moira Kerr and John Benett

The present myth from Greek mythology introduces two people, Echo and Narcissus. Their names have a meaning in the myth that has carried over to our present day language. The given piece has been rendered in English by MOIRA KERR AND JOHN BENETT.
प्रस्तुत दन्त कथा ग्रीक पौराणिक विज्ञान से ली गई है। यह ‘इको और नरसीरम कथा को मोयरा केर और जॉन बेनेट द्वारा अंग्रेजी भाषा में रूपांतरित किया गया है। इसमें दो व्यक्तियों को पात्र के रूप में रखकर महत्वपूर्ण तथा सारगर्मित संदेश दिया गया है।
ECHO AND NARCISSUS
1.Not many men, or even gods, were as handsome as young Narcissus. So fair was he that almost everyone who saw him fell in love with him that moment.
कोई आदमी वया, देवता भी युवा नरसीसस की तरह सुंदर नहीं
वह इतना सुदर था कि जब भी कोई अक्सर उसे देखता था उसा क्षण उससे प्यार करने लगता था।
2.One day, as Narcissus roamed the forests with his hunting companions, he was spied by the watchful nymph Echo. She had once been a great chatterer, ready o talk to any passer-by on any subject at any time, and on several occasions she had detained goddess Hera with hours of casual talks, just as Hera was on the point of stumbling upon Zeus with one of his illicit loves. Eventually Hera grew so annoyed that she put a curse on Echo, and from that time on the unfortunate nymph could say nothing but the last few words that she heard.
एक दिन, नरसीसस अपने शिकारी साथियों के साथ जंगल में घूम रहा था, वह सुदर युवती इको द्वारा सावधानीपूर्ण जासूसी किया जा रहा था। वह बहुत बक-बक करती पा, वह किसी से भी किसी भी विषय पर और कभी भी वातालाप क लिए तैयार रहती पा आर अनेक अवसरों पर उसने देवी हीरा को घटों तक बकार का बाता में अटका लता था, जैसा कि हीरा जेसस के साथ अवैध प्रेम पर अवरोध के बिन्दु पर थी। इस प्रकार, हीरा इतना अधिक नाखुश हो गई कि उसने इको को शाप दे दिया, और उस समय से अभागी सुंदर युवती कुछ नहीं कह सकी, परन्तु अन्तिम के कुछ शब्द उसे याद थे, जिसे वह सुनती थी।
3.Trembling, Echo followed Narcissus through the trees. She longed to go closer to him to gaze upon the beauty of his face, but she feared that he would laugh at her silly speech. Before long, Narcissus wandered away from his companions, and when he realised he was lost, he called in panic. “Is there anybody here?”
कॉपती, इको ने पेड़ों की आड़ से नरसीसस का पीछा किया। वह उसके चेहरा की सुंदरता नजदीक से जाकर निहारना चाहती थी, लेकिन डरती थी। कि वह उसकी बुद्धिहीन बातों पर हँसेगा। लम्बी दूरी के बाद, नरसीरास अपने साथियों । से अलग मार्ग भटक गया है, और जब उसने महसूस किया कि वह भटक गया, तब उसने आतंक से आवाज लगाई, “यहाँ कोई है ?”

Class 9th English Chapter 5 Echo and Narcissus Notes

Bihar Board Class 10th Social Science
4.”Here!” called Echo.
“यहाँ!” इको ने आवाज दी।
5.Mystified by this reply, Narcissus shouted. ‘Come!”
इस जवाब से विस्मित, नरसीसस चिल्लाया, “आओ’ । ।
6.“Come!” shouted Echo.
“आओ” । इको चिल्लायी।
7.Narcissus was convinced that someone was playing trick on him.
नरसीसस समझता था कि कोई उससे चाल चल रहा था।
8.”Why are you avoiding me?” he called. The only answer he heard was his own question repeated from the woods.
“तुम मुझे क्यों तिरष्कार कर रहे हो?’ उसने कहा । उसने केवल अपने सवालों को जो लकड़ियों से पुनरावृत्त हो रही थी को जवाब में सुना।।
9 “Come here, and let us meet!” pleaded Narcissus.
‘यहाँ आओं, और हमें मिलना चाहिए।” नरसीसस ने तर्क दिया।
10.”Let us meet!” Echo answered, delighted.
“हमें मिलना चाहिए।” इको ने प्रसन्नतापूर्वक जवाब दिया।
11.She overcame her shyness, and crept from her biding place to approach Narcissus. But he, satisfied now that he had solved the mystery of the voice, roughly pushed her away and ran.
उसने अपने संकोच पर काबू पाया और अपने को छुपे स्थान से नरसीराम मिलने हेतु बाहर निकली। परन्तु वह अब संतुष्ट हो गयी कि उसने ध्वनि की जटिल का हल कर दिया था, निर्ममतापूर्ण उसे बाहर धक्का दिया और दौड़ पड़ा।
12.”I would die Before I would have you near me!” he shouted mockingly over his shoulder.
“मैं तुम्हें अपने नजदीक पाऊँगा, उससे पहले मर जाऊँगा” उसने अपने कंधे के ऊपर उपहास करते चिल्लाया।
13.Helpless, Echo had to call after bin, “I would have you near me!”
असहाय, उसके बाद पुकारने के लिए बाध्य थी, “मैं तुम्हें अपने पास पाऊँगी।”

Class 9th English Chapter 5 Echo and Narcissus Notes

The Pace For Living Chapter in Hindi
14.The nymph was so embarrassed and ashamed that she hid herself in a dark cave, and never came into the air and sunlight again. Her youth and beauty withered away, and her body became so shrunken and tiny that eventually she vanished altogether. All that was left was the pathetic voice that still roams the world, anxious to talk, yet able only to repeat what others say.
सुंदरती इतना परेशान और लज्जित हुई कि उसने अपने आप को एक अधेरी गुफा में छुपा लिया और हवा और सूर्य की रोशनी में दोबारा कभी नहीं आई। उसकी जवानी और सुंदरता गुझा गई और उसका शरीर इतना सिकुड़ और छोटा हो गया कि वह पूरी तरह से खत्म हो गई। वे सभी जो बचे थे वे मर्मस्पर्शी ध्वनि थी जो अभी भी संसार में भ्रमण करती थी, वाचती के लिए बेचैन, अब केवल दूसरा क्या कहता है को पुनरावृत्ति करने में सक्षम ।
15.Poor Echo was not the only one to be treated brutally by Narcissus. He had played with many hearts, and at last one of those he had scorned prayed to the gods that Narcissus would some day find himself’ scorned by one he loved. The prayer was heard, and granted.
बेचारी इको अकेली नहीं थी जो नरसीसस के वृणित व्यवहार का शिकार थी। उसने बहुत दिलों से खेला था और अन्त में उनमें से एक जिससे उसने घृणा की थी, ईश्वर से प्रार्थना किया कि नरसीसस कुछ दिन अपने को घृणित गाए जिसे वह प्यार करता हो। प्रार्थना सुन ली गई और मंजूर कर दी गई।

Class 9th English Chapter 5 Echo and Narcissus Notes

What is Wrong with Indian Films Lecture
16.Tired and thirsty from his hunting, Narcissus threw himself down beside a still, clear pool to drink. As he leaned over the shining surface, he saw the reflection of the most beautiful face he had ever seen. His heart trembled at the sight, and he could not tear himself away from it – his own image.
शिकार से थका और प्यासा, नरसीसस एक शांत, रवन्छ पोखर के बगल में पानी पीने के लिए खड़ा हो गया। जैसे ही उसने चमकते पानी की सतह की तरफ झुका उसने अति सुंदर चेहरे का परावर्तन देखा जिसे वह कभी नहीं देखा था। दृश्य देखकर उसका दिल कापने लगा और इससे अलग वह ऑसू नहीं बहा सका-अपना तस्वीर पर।
17.For a long time Narcissus remained there beside the pool, never raising his eyes from the surface, and from time to time murmuring words of love. At last his body withered away and became the stem of a flower, and his head the lovely gold and white blossom which still looks into quiet pools, and is called Narcissus.
लबे समय तक नरसीसस पोखर के बगल में ठहरा रहा अपना आंखों को सरह से कभी हटाता नहीं था; और समय-समय पर प्यार के मंद-मंद शब्द बोलता। अन्त में उसका शरीर सुख गया और फुल का तना बन गया और उसका सर प्यारा सोना और उजला खिलता हुआ पुष्प बन गया जो अभी भी शांत पोखर में दिखता है और जिसे | नरसीसस कहा जाता है। Class 9th English Chapter 5 Echo and Narcissus Notes

Sanskrit Class 10th All Chapter

4. Too Many People, Too Few Trees Class 9th English | बहुत अधिक लोग, बहुत कम पेड़

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 9 अंग्रेजी के पाठ चार ‘Too Many People, Too Few Trees(बहुत अधिक लोग, बहुत कम पेड़)’ के प्रत्‍येक पंक्ति के अर्थ को पढ़ेंगे।

Too Many People, Too Few Trees Class 9th English

TOO MANY PEOPLE, TOO FEW TREES
(बहुत अधिक लोग, बहुत कम पेड़)

Moti Nisani
MOTI NISANI, a teacher at Waynes State University, USA, is an interdisciplinarian holding degrees in genetics, philosophy and psychology. He has several publications in generics, ecology, politics, science, education, und language instruction. His essay below provides a brief introduction to the twin problem of overpopulation and deforestation.
मोती निशानी, संयुक्त राज्य अमेरिका के वेनीज राज्य विश्वविद्यालय के प्राध्यापक हैं, इनके द्वारा ‘बहुत अधिक लोग, बहुत कम पेड़’ शीर्षक लेख लिखा गया है। उन्हें उत्पत्ति विज्ञान, दर्शनशास्त्र और मनोविज्ञान आदि की उपाधियाँ प्राप्त हैं। उत्पत्ति विषय विज्ञान में जीवन की एक शाखा है जिसका संबंध जीवधारियों का अपने वातावरण संबंधित आदतों से है । यह लेख बढ़ती जनसंख्या और वनोन्मूलन जैसी समस्याओं पर एक संक्षिप्त परिचय है। इन्होंने राजनीतिशास्त्र, शिक्षा तथा भाषा आदि पर अनेक पुस्तकें लिखी हैं।
TOO MANY PEOPLE, TOO FEW TREES
1.Human populations have always been in flux, for the simple reason that every day some people die while others are born. Throughout most of human existence , the number of births was slightly higher than the number of deaths, consequently, world populations grew at a very slow rate. A few hundred years ago, however, the situation began to change, especially in the industrialized world. With advances in nutrition, sanitation, and health, people live longer and more of them reach reproductive age Thus, for the first time in our species existence, the balance between the number of deaths and births has been significantly disturbed. Consequently, during the last three centuries or so, the global human population has been rapidly going up. Every year, in fact, the world’s population grows by more than 80 million people. It is, for instance, sobering to recall that for every eleven human beings alive now, only one was alive  the year 1950!
मानव आवादी लगातार बहाव पर है, साधारण कारण यह है कि प्रत्येक रोज कुछ लोग मरते हैं जबकि अन्य पैदा होते हैं। हरेक जगह मानव का अस्तित्व इसलिए है कि जन्म लेने की संख्या मरने से थोड़ा अधिक है। परिणामतः बहुत धीमी दर से विश्व की आबादी बढ़ रही है। खासकर औद्योगिक संसार में। भोजन, स्वच्छता प्रबध और स्वास्थ्य के लिए लोग साथ-साथ रहते है और उनमें अधिक प्रजनन की अवस्था में पहुँच जाते हैं। इस प्रकार हमारे जैविक अस्तित्व में, मरने की दर और जन्म लेने की दर का संतुलन महत्वपूर्ण ढंग से विचलित हो गया है। परिणामस्वरूप, विगत तीन सदियों में, भूमंडलीय मानवीय आबादी तेजी से बढ़ी है। सचमुच, प्रत्येक वर्ष विश्व की आबादी में 80 लाख की वृद्धि होती है। यह केवल उदाहरण है, शांतिपूर्ण ढंग से देखा जाए तो प्रत्येक ग्यारह व्यक्ति अब जीवित रहते हैं, जबकि 1950 में केवल एक व्यक्ति जीवित रहता था।
2.On first sight, it may appear that, when it comes to something as valuable as a human being, the more we have, the better off we are. In some ways, this is truc. All things being equal, more people are likely to generate more inventions, more technological breakthroughs, and more corporate profits. But, taken as a ecologists are convinced that the world is already overpopulated.
प्रथम दृष्टया, यह दिखाई दे सकता है कि जब यह आता है मानवों के कुछ महत्वपूर्ण लेकर आता है, हमारे पास जो है उससे ज्यादा, या हमसे अच्छा। कुछ समय के लिए । यह सत्य है । सभी चीजें बराबर हैं, अत्यधिक लोग अधिक खोज, अधिक प्रौद्योगिक खोजें
और संगठित मुनाफा उत्पन्न करते हैं। परन्तु, पूरी तरह से देखा जाए तो, अधिकतर जीव वैज्ञानिकों का मानना है कि संसार में आबादी अत्यधिक बढ़ती जा रही है।

Class 9th English Chapter 4 Too Many People, Too Few Trees Notes

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3.Human populations cannot continue to grow indefinitely for the simple the world itself is finite. More people will need even more food than they n and therefore, the process of deforestation will continue so that, eventually, will vanish. As the population goes up, so does pollution of rivers, lakes, air, drinking water and soil With more people both town and country become more crowded. quality of life and the value we place on human life, will continue to erode. When population if the sales in such things as food production, number of physicians, or hospitals are often tantamount to improved quality of life, but such increases often fail to keep pace with population growth. Higher population density is also likely to exacerbate crime, ethnic conflicts, and warfare.
मानवीय जनसंख्या का बढ़ना साधारण कारण से अनंत काल तक नहीं चल सकता है क्योंकि संसार सीमित है। अधिक लोगों को अधिक भोजन की आवश्यकता होगी जो इन्हें आज मिलती हैं और इस प्रकार वनोन्मूलन की प्रक्रिया चलती रहेगी, इस प्रकार स्वाभाविक रूप से बड़े-बड़े वृक्ष समाप्त होते रहेंगे। जैसा कि आबाद (जनसंख्या) बढ़ती है तो वह नदी, झील, हवा, पेयजल और मिट्टी को भी प्रदूषित करती है। अधिक आबादी के कारण शहर और गाँव अधिक भीड़-भाड़ वाले हो गये हैं। जीवन की विशेषता और मानव जीवन का महत्व नष्ट होता चला जायेगा। जब जनसंख्या स्थिर है, भोजन का उत्पादन, डॉक्टर या अस्पताल इन चीजों की आवश्यकता जीवन स्तर को सुधारने के लिए आवश्यक हो जाती है, परन्तु इस प्रकार की वृद्धि भी आबादी के बराबर वृद्धि को रोकने में असफल हो जाते हैं। जनसंख्या का अधिक बढ़ता घनत्व अपराध, लड़ाई-झगड़ा और युद्ध को भी आमंत्रण देता है।
4.The American government, to take another example, estimates that some 60,00 Americans die each year from respiratory diseases which are in turn caused by human made pollution. Fourteen Americans die each day of asthma aggravated by air pollution three times the incidence of just twenty years ago. Needless to say, the situation i cities like Los Angeles, Kathmandu, Mexico, and Shanghai is even worse. In all the cases, the situation could be considerably improved by controlling pollution an population.
दूसरा उदाहरण लें, अमेरिकी सरकार ने अनुमान लगाया है कि साँस की बीमारी। से प्रत्येक वर्ष 60,000 अमेरिकावासियों की मौत हो जाती है जो मानव-निर्मित प्रदूषण के कारण होती है। प्रत्येक दिन चौदह अमेरिकी दमा की बीमारी से जो वायु प्रदूषण से होती है। इस कारण मरते हैं—मात्र बीस वर्ष पूर्व यह घटना तीन बार हो चुकी है। कहने की आवश्यकता नहीं, लॉस एंजेल्स, काठमांडू, मैक्सिको और संघायी जैसे शहरों की स्थिति और भी खराब है। इन सभी स्थितियों में, प्रदूषण और जनसंख्या को रोक कर ही स्थिति को सुधारा जा सकता है।

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5.Moreover, the world, as we have seen, faces such frightening problems desertification, depletion of nonrenewable resources (e.g., patrol, natural gas, helium acid rain, loss of wild species, ozone layer depletion, and the greenhouse effect. United Nations 1993 document puts it this way: “Population size and rates of growth are key elements in environmental change. At any level of development, increase populations increase energy use, resource consumption and environmental stress So, the more people the world has, the more severe these problems are likely to become.
इसके अतिरिक्त, जैसा कि हमने देखा है, संसार गरुस्थल, पुननिर्मितन होनेवाले साधनों की समाप्ति (पेट्रोल, नेचुरल गैस, हीलियम), अम्ल वर्षा, जंगली जन्तुओं का लोप, ओजोन परत में छिद्र और ग्रीन हाउस प्रभाव जैसी भयभीत करनेवाली समस्याओं का सामना कर रहा है। संयुक्त राष्टसंघ की 1993 का दस्तावेज इसे इस प्रकार पेश करता है, “जनसंख्या का आकार और इसके बढ़ने की दर वायुमंडलीय बदलाव के मुख्य तत्व हैं। किसी भी स्तर के विकास में, बढ़ी आबादी ऊर्जा के उपयोग, संसाधनों उपयोग और वायुमंडलीय तनाव को बढ़ाती है।” इसलिए, संसार में अधिक लोग हैं, इसलिए ये समस्याएँ अधिक असहनीय बन गई हैं।

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The Pace For Living Chapter in Hindi
6.Thus large and rapidly growing populations make decisive contributions to all environmental problems. In the long run, efforts to save the biosphere depend in pun on our species’ ability to roll back its numbers Yet there is a bright side to this otherwise grim tale: History and common sense tell us that we can control population growth. The German and Swedish populations, for example, defy world trends and are actually declining. In such overpopulated countries like China, Thailand, and Egypt the rate of population growth has slowed down remarkably, thanks to concerted government actions. How do these countries manage to reverse, or slow down, population growth? Many factors account for these remarkable declines: modernization, literacy, media campaigns, readily available family planning and contraceptives, equal economic, educational, and legal opportunities for women. Human beings thus know how to control their numbers. What they have been lacking so far is the resolve to make use of this knowledge.
इस प्रकार वृहद और तेजी से बढ़ती जनसंख्या सभी वायुमंडलीय समस्याओं में निर्णायक सहयोग देती है। लम्बे समय में जीवन चक्र बचाने की कोशिशें हमारे जन्तुओं की संख्या को पुनः वापस करने की क्षमता के हिस्सों पर निर्भर है। अब तक इस अलग ढंग के कठोर कहानी का वृहद हिस्सा है। इतिहास और सहज बुद्धि हमें बताते हैं कि हम आबादी की वृद्धि को रोक सकते हैं। उदाहरण के लिए जर्मन और स्वीडीश की आबादी संसार की प्रवृत्ति को झूठा साबित कर दिया है आर वास्तव में रोक दिया है। चीन, थाइलैंड और मिन जैसे अत्यधिक घनी आबादी वाले देशों ने अप्रत्याशित ढंग से जनसंख्या वृद्धि को कम किया है। संबंधित सरकारों के सुनियोजित प्रयास को धन्यवाद । ये सब देश जनसंख्या वृद्धि को रोकने तथा कम करने का प्रयास कैसे किए? इस कमी के लिए बहुत तथ्य उत्तरदायी है जैसे आधुनिकीकरण, शिक्षा, समाचारपत्रों का सहयोग, तैयार निर्मित परिवार नियोजन और गर्भ-निरोधक, महिलाओं के लिए बराबर आर्थिक, शैक्षणिक और वैधानिक अवसर । मानव इस प्राकर जान सके कि वे अपनी संख्या को कैसे रोकें। उन्हें इस तरह के ज्ञान को हल करने में किस चीज की कमी हो रही है।

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7.Let us move to another long-term problem: the state of the world’s trees. Owing to rapid population growth, poverty and other factors, many third world people are forced to move into harvest, clear, burn, or cultivate tropical forest. Thus, population pressure-along with new technologies and the affluent lifestyle of some people – exacerbeate the problem of deforestation. A country like Nepal has just so much arable land. So as the population grows, more and more people are forced to convert forests into cut down more and more trees for fuel. The people of rich To satisfy Westerners’ insatiable demands for hamburgers, more and more tropical rain forest in countries like Brazil are cleared and converted to pastures. Some rich people also buy mahogany furniture, newspapers, and other paper products in vast quantities. It is frightening to recall, for instance, how many trees must be felled to just product the  Sunday edition of the New York Times! Many forests are also damaged by pollution, tourism, construction of houses and factories, and similar practices. Moreover, the productivity and general health of the world’s forests is threatened by such things as the greenhouse effect, ozone layer depletion, airborne pollution, and acid rain.
हम दूसरी बड़ी समस्या की ओर मुड़ें, संसार में वृक्षो की स्थिति पर। आबादी के बढ़ते रफ्तार, गरीबी और अन्य कारकों की वजह से संसार के हर तीसरे लोग जलावन और खेती के लिए उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र के वनों की ओर जाने को बाध्य है। इस प्रकार जनसंख्या का दबाव-नई टेक्नोलॉजी और अमीरों के जीवन शैली के साथ वनोन्मूलन की समस्या पैदा करती है। नेपाल जैसे देश में मात्र बहुत थोड़ा कृषियोग्य भूमि है। इसलिए, जैसे-जैसे आबादी बढ़ती है अधिक-से-अधिक लोग वनों को कृषियोग्य भूमि में परिणत कर देते हैं। वे अधिक-से-अधिक वृक्षों को जलावन के लिए काट डालते हैं। धनी देशों के लोग भी दोषी हैं। पश्चिम के लोगों के अतृप्त माँगों को पूरा करने के लिए तथा उन्हें संतुष्ट करने के लिए बाजील जैसे देशों में उष्ण कटिबंधीय वर्षा के जंगलों को साफ किया जा रहा है। कुछ धनी लोग महोगनी के फर्निचर, समाचारपत्र और अन्य पेपर की सामग्रियाँ अत्यधिक मात्रा में माँग करते हैं। यह स्मरण भयभीत करनेवाला है। उदाहरण-न्यूयॉर्क टाइम्स के रविवार के अंक के प्रकाशन में कितने वृक्ष गिराये जाते हैं। बहुत-से वन प्रदूषण, पर्यटन, मकान और फैक्ट्री बनाने और इसी तरह के कार्यों से भी बर्बाद हुए। इसके अतिरिक्त, संसार के वनों की उपजाऊ शक्ति और सामान्य स्वास्थ्य ग्रीनहाउस प्रभाव, ओजोन परत में छिद्र, वायुजनित प्रदूषण और अम्लवर्षा जैसे वस्तुओं से भयभीत रहता है।
8.The deforestation crisis is not new. Many earlier civilizations, including those of the Middle East, New Mexico, and Easter Island, precipitated their own decline through overpopulation and deforestation. The difference is that we are destroying our forests faster, and on a larger scale, than ever before.
वनोन्मूलन की समस्या नई नहीं है । मध्य-पूर्व, न्यू मैक्सिको और पश्चिमी आइलैंड सहित पूर्व की अनेक सभ्यताओं में जनसंख्या का बोझ और वनोन्मूलन के रूप में अपनी कमजोरी दिखाई थी। अन्तर यह है कि पहले की अपेक्षा हम अपने वनों को तेजी से और वृहत पैमाने पर बर्बाद कर रहे है।

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What is Wrong with Indian Films Lecture
9.Earlier in this century, forests covered around 40% of the earth’s total land area. By this century’s end, that figure will stand at about 25%. The destruction of forest, in turn contributes to such things as the greenhouse effect, irreversible loss of many thousands of species of plants and animals, landslides, soil erosion, siltation of rivers and dams, droughts, and weather extremes. For instance, as the trees of Nepal are cut down, its topsoil is gradually being lost and its rains are likelier to cause devastating floods in India and Bangladesh.
सदी के आरम्भ में, पृथ्वी के संपूर्ण क्षेत्र के 40% भाग में वन थे। इस सदी के अंत होते-होते, यह 25% तक रह जायेगा। इस प्रकार वन का विनाश इन चीजों जैसे ग्रीनहाउस प्रभाव, पौधों और जानवरों के हजारों जीवों के विनाश, भूस्खलन, भूक्षरण, नदियों और पौधों के कटाव, सूखा और मौसम में बदलाव के रूप में बदलने में सहयोग करता है। उदाहरण के लिए जैसा कि नेपाल के पेड़ करते हैं, इसकी ऊपरी सतह धीरेधीरे खत्म होती है और वहाँ होनेवाली वर्षा भारत और बंगलादेश को बाढ़ के रूप में उजाड़ देती है।
10.The eventual consequences of massive and ongoing deforestation are uncertain, but they are likely to damage the quality of life on earth, reduce the number of life forms that share the planet with us, and hamper the ability of the biosphere to sustain life. Humanity can continue to fell trees, cross its fingers, and hope for the best. Or it can take hold of its future and reverse the process of deforestation.
वनोन्मूलन के दीर्घकालिक महत्वपूर्ण परिणाम अनिश्चित है, परन्तु वे पृथ्वी पर के जीवन की विशेषताओं को नुकसान पहुंचाते हैं, वे ग्रहों को हमारे साथ भागीदार जीवों की वृद्धि को कम करते हैं, और जीवों के जीवन के बोझ ढोने की शक्ति में बाधा डालते हैं। मानव पेड़ों को घटाना जारी रख सकता है, इसकी शोखाओं को बर्बाद कर सकता है और अपनी भलाई की भी आशा करता है। या यह अपने भविष्य को पकड़कर रख सकता है और वनोन्मूलन की विधि को पलट सकता है। Class 9th English Chapter 4 Too Many People, Too Few Trees Notes

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3. A silent revolution class 9th English | कक्षा 9 अंग्रेजी पाठ 3 एक शांत क्रांति

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 9 अंग्रेजी के पाठ तीन ‘A silent revolution(एक शांत क्रांति)’ के प्रत्‍येक पंक्ति के अर्थ को पढ़ेंगे।इस पाठ के लेखक कुणाल वर्मा है

A SILENT REVOLUTION (एक शांत क्रांति)

This interesting piece published in the Hindustan Times (Patna edition), talks about one of the latest and very popular means of commnuation known as SMS. This piece has been written by Kunal Varma.
इस अंश को कुणाल वर्मा द्वारा लिखा गया है जिसे हिन्दुस्तान टाइम्स (पटना संस्करण) द्वारा लिया गया है। इसमें अत्यन्त प्रचलित सूचना के साधन जिसे मोबाइल की दुनिया में एस. एम. एस. के बारे में जाना जाता है, लिखा गया है।

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A SILENT REVOLUTION
1.Short Messaging Service or SMS was conceived as a part of the Global System for Mobile Communication (GSM) digital standard. It is the ability to send and receive text massages (alphanumeric) at a mobile phone. SMS, like e-mail, is a store and forward service that utilizes gateways to send messages from senders to the recipients.
साक्षप्त सदेश सेवा या एस. एम. एस. मोबाइल संचार के अंकीय स्तर के भूमडीय पद्धति के एक भाग के रूप में कल्पना की गई थी। यह मोबाइल फोन पर मूल संदेश (वर्णमाला के संख्यांक) को भेजने और ग्रहण करने की क्षमता है। एस. एम. एस., e-मेल की तरह, संग्रह और आगे बढ़ाने की सेवा है जो संदेश भेजनेवाले और प्राप्तकर्ता के बीच एक प्रकार से द्वार के रूप में उपयोग की जाती है।
2.However, messages are not sent directly from the sender to the receiver but are routed through a Short Messaging Service Centre, (SMSC) run by the service provider. This ensures that the message is delivered at the destination mobile even if it is switched off or out of the coverage area. The SMSC stores the message and forwards it when the mobile is switched on or enters the network. Normally, messages are delivered instantly but at times there can be delay of some hours due to congestion.
इस प्रकार, संदेश सीधे भेजनेवाले से ग्रहण करनेवाले को नहीं भेजे जाते, परन्तु यह संक्षिप्त संदेश सेवा केन्द्र (एस. एम. एस. सी.) के मार्ग से सेवादाता द्वारा भेजी जाती है। यह निश्चित करती है कि गणतव्य स्थान के मोबाइल के लिए संदेश भेजे गए हैं चाहे मोबाइल बंद हो या नेटवर्क क्षेत्र से बाहर हो। एस. एम. एस. सी. संदेश को एकत्रित रखती है और जब मोबाइल का स्वीच खुलता है या नेटवर्क क्षेत्र में आता है तो इसे उक्त मोबाइल को भेज देती है। साधारणतया संदेश तुरंत भेज दिए जाते हैं परन्तु कभी अत्यधिक भीड़ के कारण कुछ घंटों की देरी हो सकती है।

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The Pace For Living Chapter in Hindi
3.The beauty of SMS is that messages can be sent and received even while making voice calls. This is possible because a voice call takes over a dedicated radio channel for the duration of the call, while the short messages travel over and above the radio channel using the signalling path.
एस. एम. एस. की खूबसूरता यह है कि आवाज द्वारा ही संदेश भेजे और ग्रहण किए जा सकते हैं। यह संभव है क्योकि संदेश को रेडियो चैनल द्वारा आवाज की अवधि तक ले जाया जाता है, जबकि संक्षिप्त संदेश रेडियो चैनल के प्रभावकारी माध्यम के ऊपर और नीचे से गुजरती है।
4.The process of sending messages and rcading them generally varies from handset to handset. However, confirmation of message delivery is immediate and there is always an alert signal to convey the arrival of a message.
संदेश भेजने के तरीके और उन्हें पढ़ने के तरीके अलग-अलग मोबाइल सेटों में अलग-अलग होते हैं । जबकि, संदेश वितरण की संपुष्टि शीघ्र हो जाती है और सदैव संदेशों को पहुँचाने का एक सतर्क चिह्न होता है।
5.SMS messages are immediate but not simultaneous like the Instant Messaging Service, which allows virtual real time text conversations with people who are simultaneously logged on to the Internet.
एस. एम. एस. संदेश शीघ्रता से पहुँचते है परन्तु शीघ्र संदेश सेवा के समकालीन नहीं है, जो वास्तविक समय इंटरनेट पर बातचीत को लोगों को देता है।

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6.Access to SMS is generally free and a beginner has only to register the network service centre into his/her handset. The message service centre number for BSNL is +919434099997.
एस. एम. एस. की पहुँच/प्रवेश अवसरहाँ मुफ्त है और इसके लिए उपभोक्ता को केवल अपने हैंडसेट का रजिस्ट्रेशन नेटवर्क सेवा केन्द्र में कराना होता है। रिलायंस का संदेश सेवा केन्द्र + 9198350 02222 है।
7.The launch of SMS opened a new vista in the field of text communication, providing a new easy way to the people to communicate. The limitation of characters (160 for the GSM networks at present) or the tedious process of typing from the small handset keypads failed to deter the spirit of the enthusiasts. The SMS revolution that took roots in Europe slowly spread to other parts of the globe, especially Asia. From the first short message, believed to have been sent in December 1992 from a PC to a mobile phonc on the Vodafone GSM network in the UK, SMS has come a long way today.
एस. एम. एस. के प्रारम्भ ने संचार के क्षेत्र में एक नया दृश्य खोल दिया, जिसमें लोगों को संचार का एक आसान मार्ग प्रदान किया है। अक्षरों की सीमा (वर्तमान में GSM नेटवर्क के लिए 160) या छोटे हैंडसेट से टाइपिंग के उबाऊ विधि से जो किसी उत्साही के उत्साह को बंद कर देता था। एस. एम. एस. क्रांति जो यूरोप में जड़ जमाया था – धीरे-धीरे पूरे विश्व में फैल गया, खासकर एशिया में। ऐसा माना जाता है कि प्रथम एस. एम. एस. अमेरिका में दिसम्बर 1992 में बूथ से किसी मोबाइल पर वोडोफोन के GSM से किया गया था। आज एस. एम. एस. लम्बी दूरी तय कर चुकी है।

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8.Judging by its success, at present not many would believe that SMS had a very silent beginning. Not even the cellular operators could comprehend the potential of this sleepy technology initially and cared little to advertise it as an attraction for mobile users. However, all that is history now. Today every market player, from cellular operators to mobile handset manufactures, is keen to capture its share of the pie. Nokia recently launched the first Hindi compatible handsets3350, to give its use, the option of sending messages in Hindi.
इसवी सफलता का अनुमान लगाकर वर्तमान में कोई विश्वास नहीं कर सकेगा कि एस. एम. एस. ने बहुत ही शांति शुरुआत किया है। यहाँ तक। कि इसके निर्माताओं ने भी इसकी शक्ति को पूरी तरह नहीं समझा और इसके आकर्षण । का प्रचार उपभोक्ताओं को करने की ओर ध्यान नहीं दिया था। हालाँकि, अब ये केवल। इतिहास हा आज हरेक बाजार में, मोबाइल सेट निर्माताओं से लेकर इसको चलानेवाले। सभी इस काल्पनिक स्वर्ग में गहन रुचि ले रहे हैं और इसमें भाग ले रहे हैं। नोकिया ने हाल में हिन्दी में 3350 हैंडसेट बाजार में लाया है, जिससे उपभोक्ता अपना संदेश हिन्दी में भेज सकें।
9.Buoyed by the success of SMS, the industry is now preparing for the more advanced MMS or multi-media messaging service, which would enable pictures, sounds and longer formatted texts to be sent to other MMS-enabled terminals or e-mail addresses via the mobilc.
एस. एम. एस. की सफलता से आशान्वित (उत्साहित) होकर, मोबाइल निर्माता । अत्यधिक उन्नत एम. एम. एस. या अत्यधिक माध्यम संदेश सेवा (multi-media messaging service) का अब निर्माण कर रहे हैं जो तस्वीर, आवाज और मूल संदेश को जिससे इसको भेजने के योग्य बनाता है । एम. एम. एस. टर्मिनल या e-मेल पता को मोबाइल के माध्यम से भेजने योग्य बनाता है। Class 9th English Chapter 3 A silent revolution Notes

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2. Yayati class 9th English | कक्षा 9 अंग्रेजी पाठ 2 यायाती

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 9 अंग्रेजी के पाठ दो ‘Yayati(यायाती)’ के प्रत्‍येक पंक्ति के अर्थ को पढ़ेंगे। जिसे चमनलाल द्वारा संकलित तथा संपदित किया गया है। इसका अंग्रेजी अनुवाद सी. राजगोपालाचारी द्वारा किया गया है

YAYATI(यायाती)

This story from the Mahabharata has been taken from Spiritual Stories of India compiled and edited by Chaman Lal und publisded by Publication Divison, Ministry of Inforamtion and Broadcasting, Government of India. The story has been rendered in English by C. RAJGOPALACHARI.
यह कहानी महाभारत की है जिसे ‘भारत की आध्यात्मिक कहानियाँ’ से ली गई है। जिसे चमनलाल द्वारा संकलित तथा संपदित किया गया है। इसका अंग्रेजी अनुवाद सी. राजगोपालाचारी द्वारा किया गया है तथा यह भारत सरकार के सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग द्वारा प्रकाशित किया गया है।

Class 9th English Chapter 2 Yayati Notes

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YAYATI
1. Emperor Yayati was one of the ancestors of the Pandavas. He had never known defeat. He followed the dictates of the sastras, adored the gods and venerated his ancestors with intense devotion. He became famous as a ruler devoted to the welfare of his subjects.
सम्राट यायाती पाण्डवों के एक पूर्वज थे। उन्होंने कभी भी हारना नहीं सीखा (जाना) था। वह शास्त्रों के निर्देश, देवताओं की पूजा और अपने पूर्वजों को आदर प्रबल स्नेह करते थे। उन्होंने अपनी प्रजा की भलाई के लिए समर्पित शासक के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त कर ली थी।
2.He became prematurely old by the curse of Sukracharya for having wronged his wife Devayani. In the words of the poet of the Mahabharata: “Yayati attained that old age which destroys beauty and brings on miseries.” It is needless to describe the misery of vigorous youth suddenly blighted into age, where the horrors of loss are accentuated by pangs of recollection.
वे अपनी पत्नी देवयानी की गलती के कारण शुक्राचार्य के श्राप से असमय बूढ़ा हो गये। महाभारत के कवि के शब्दों में “यायाती ने उस बुढ़ापा को धारण किया जिसने उनकी सुदंरता को बर्बाद कर दिया और मुसीबत में डाल दिया”। यह वर्णन करने की आवश्यकता नहीं की उत्साही युवा को मुसीबत ने बुढ़ापा में ढकेल दिया, जहाँ खोने के आतंक वेदना के पुनः जमा करने के द्वारा अधिक महत्व प्रदान कर रहे थे।
3.Yayati, who found himself suddenly an old man, was still haunted by the desire for sensual enjoyment. He had five beautiful suns, all virtuous and accomplished. Yayati called them and appealed piteously to their affection: “The curse of your grandfather Sukracharya has made me unexpectedly and prematurely old. I have not had my feet of the joys of life, for not knowing what was in store for me. I lived a life of restraint, denying myself even lawful pleasures. One of you ought to bear the burden of my old age and give his youth in return. He who agrees to this and bestows his youth on me will be the ruler of my kingdom. I desire to enjoy life in the full vigour of youth.”
यायाती, जिन्होंने अपने को अचानक बूढ़ा पाया, अभी भी कामुक आनंद की इच्छा रखते थे। उनको पाँच सुंदर पुत्र थे, सभी सदाचारी और आज्ञाकारी । यायाती ने उन सबों को बुलाया और उनके स्नेह के लिए दयालुतापूर्वक आपह किया, “तुम लोगों के नाना शुकाचार्य के श्राप ने मुझे आशा के विपरीत और असमय बूढ़ा बना दिया है। मुझे मालूम नहीं कि मेरे पास जीवन का आनंद है या नहीं, मुझे नहीं पता कि मेरे लिए क्या रखा था। मैंने नियंत्रण में रखकर जीवन जीया, यहाँ तक कि नियमित आनंद को भी अस्वीकार . किया। तुममें से कोई एक मेरे बुढ़ापा का वजन ले ले और अपनी जवानी मुझे दे दे। वह जो इससे सहमत होता है और मुझपर अपनी जवानी अर्पण करता है वह मेरे राज्य का शासक होगा। मैं पूर्ण मानसिक अथवा शारीरिक युवा की तरह जीवन का आनंद । लेने की अभिलाषा रखता हूँ।

Class 9th English Chapter 2 Yayati Notes

The Pace For Living Chapter in Hindi
4.He first asked his eldest son to do his bidding. That son replied: “O great king, women and servants will mock at me if I were to take upon myself your old age. I cannot do so. Ask of my younger brothers who are dearer to you than myself.”
उन्होंने सबसे पहले अपने बड़े पुत्र को पूछने के लिए आमंत्रित किया। उस लड़के ने जवाब दिया, “ये महान राजा, यदि मैंने आपका बुढ़ापा ले लिया तो औरतें और नौकर मुझे चिढ़ायेंगे, मैं ऐसा नहीं कर सकता। मेरे छोटे भाईयों से पूछ लीजिए जो आपके लिए मुझसे ज्यादा प्रिय हैं”।
5.When the second son was asked, he gently refused with the word: “Father, you ask me to take up old age which destroys not only strength and beauty but also-as! see – wisdom. I am not strong enough to do so.”
जब दूसरे से पूछा गया, (उसने भी) विनम्रतापूर्वक इंकार कर दिया और कहा पिताजी, आप मुझे बुढ़ापा लेने को कह रहे हैं जो न केवल शक्ति और सुंदरता को बर्बाद करता है बल्कि जैसा में देखता हूँ-विवेक को भी । मैं ऐसा करने के लिए पर्याप्त मजबूत नहीं हूँ।”
6.The third son replied: “An old man cannot ride a horse or an elephant. His speech will falter What can I do in such a helpless plight? I cannot agree.”
तीसरे लड़के ने जवाब दिया, “एक बूढ़ा आदमी घोड़े या हाथी की सवारी नहीं कर सकता है। उसकी आवाज लड़खड़ायेगी। इस तरह की असहनीय दुर्दशा में मैं क्या कर सकता हूँ? मैं सहमत नहीं हो सकता।”

Class 9th English Chapter 2 Yayati Notes

What is Wrong with Indian Films Lecture
7.The king grew angry when he saw that his three sons had declined to do as he wished. He hoped for better from his fourth son, to whom he said: “You should take up my old age. If you exchange your youth with me, I shall give it back to you after some time and take back the old age with which I have been cursed.”
राजा यह देखकर कि उसके तीनों पुत्रों ने उसकी इच्छा के अनुरूप करने से इंकार कर दिया है, क्रोधित हो गया। वह अपने चौथे पुत्र से कुछ ज्यादा उम्मीद करता था, उससे उसने कहा, “तुम्हें मेरा बुढ़ापा ले लेना चाहिए। यदि तुम अपनी जवानी मुझसे ‘बदल लोगे, मैं तुम्हें कुछ समय के बाद इसे वापस दे दूंगा और बुढ़ापा जिससे मैं शापित हूँ वापस ले लूँगा।”
8.The fourth son begged to be forgiven, as this was a thing he could by no means consent to. An old man has to seek the help of others even to keep his body clean, a most pitiful plight. No much as he loved his father, could not do it.
चौथे पुत्र से भूलने के लिए प्रार्थना की गई, जैसे कि यह कोई वस्तु है जिसे बिना साधन के समझौता की जा सके। एक बूढ़ा आदमी दूसरे के सहारे पर निर्भर रहता है । यहाँ तक कि अपने शरीर को साफ-सुथरा रखने के लिए भी । एक बड़ा ही आतंकित दुर्दशा या दुर्दशा से आतंकित । नहीं, मैं इससे अधिक पिताजी से प्यार नहीं करता, वह ऐसा नहीं कर सकता।
9.Yayati was struck with sorrow at the refusal of the four sons. He paused for son. me and then supplicated his last son who had never yet opposed his wishes: “You most save me. I have got this old age with its wrinkles, debility and grey hairs as result of the curse of Sukracharya. I cannot bear it. If you take upon yourself these infirmities, I shall enjoy life for just a while more and then give you back your youth and resume my old age and all its sorrows. Puru, do not refuse as your elder brothers have done.” Puru, the youngest son, moved by filial love, said: “Father, I gladly give you my youth and relieve you of the sorrows of old age and the cares of State. Be happy.” Hearing these words Yayati became a youth. Puru, who accepted the old age of his father, ruled the kingdom and acquired great renown.
यायाती दुखों से विचलित हो गये जब उनके चारों पुत्रों ने इंकार कर दिया उन्हाने कुछ समय विश्राम किया और तब अपने अन्तिम पुत्र को विनय सहित प्रार्थमा की जो कभी उनकी इच्छाओं का विरोध नहीं किया था। तुम मुझे जरूर बचाओगे । मैंने बुढ़ापा झुरियों, दुर्बलता और भूरे रंग के बालों के साथ पाया हूँ जो शुक्राचार्य के श्राप का परिणाम है। मैं इसे धारण नहीं कर सकता। यदि तुम इन दुर्बलताओं को अपने ऊपर ले लोगे तो मैं कुछ और समय के लिए जीवन का आनंद ले लूँगा और तब तुम्हें तुम्हारी जवानी वापस दे दूंगा और अपना बुढ़ापा तथा सभी दुखों को स्वयं धारण कर लूंगा। पुरू, तुम अपने बड़े भाईयों की तरह इन्कार मत करना। पुरू, सबसे छोटा लड़का, संतानीय प्रेम से मुड़ा, कहा, “पिताजी, मैं खुशीपूर्वक अपनी जवानी आपको देता हूँ और आपको बुढ़ापा के सभी दुखों से मुक्त करता हूँ और राज्य के भार से भी खुश रहिए।” इन शब्दों को सुनते ही यायाती जवान हो गए। पुरू, जिसने अपने पिताजी के बुढ़ापा को स्वीकार किया धा, राज्य पर शासन किया और उसने काफी प्रसिद्धि प्राप्त की।

Class 9th English Chapter 2 Yayati Notes
10 . Yuyali enjoyed life for long and, not satisfied, went later to the garden of Kubera and spent many years with an apsara maiden. After long years spent in vain efforts to quench desire by indulgence, the truth dawned on him. Returning to Puru, he said:
यायाती ने लम्बे समय तक जीवन का आनंद लिया, (किन्तु व) संतुष्ट नहीं हुए, तब कुबेर के बाग में एक सुंदर कुंवारी अप्सरा के साथ बहुत वर्ष बिताये। अपनी अभिलाषा की तुष्टि के लिए बहुत समय (काल) व्यर्थ में बिताने के बाद उन्ह सच्चाई का अनुभव होने लगा। पुरू के पास लौटने के बाद उन्होंने कहा।
11.”Dear son, sensual desire is never quenched by indulgence, any more than fire is by pouring ghee in it. I had heard and read this, but till now I had not realised it. No object of desire-com, gold, cattle and women – nothing can ever satisfy the desires of man. We can reach peace only by a mental pose beyond likes and dislikes. Such is the state of Brahman. Take back your youth and rule the kingdom wisely and well.”
“प्रिय पुत्र, कामुक प्यास की कभी तुष्टि नहीं हो सकती है इससे अधिक नहीं कि घी आग में डालने पर आग और भड़क जाती है। मैने ऐसा सुना और पढ़ा है, परन्तु अबतक मैं इसे महसूस नहीं किया। प्यास बुझाने के साधन–अन्न, सोना, मवेशी और औरत-ये कोई भी मनुष्य के प्यास नहीं बुझा सकते । हम पसंद और नापसंद से आगे केवल मन में पैदा कर शांति तक पहुँच सकते हैं। यही ब्राह्मण की स्थिति है। अपनी जवानी वापस लो और राज्य पर बुद्धिमतापूर्ण और अच्छा से शासन करो।”
12.With these words yayati took back his old age. Puru, who regained his yourth. was made king by yayati who retired to the forest. He spent his time there in austerities and in due cource attained heaven.
इन शब्‍दो के साथ उन्‍होनें अपना बुढ़ापा ले लिया। पुरू, जिसने अपनी जवानी पुन: प्राप्‍त कर ली, यायाती के द्वारा राजा बना दिया गया और यायाती जंगल की ओर चल दिए। वहाँ उन्‍होने तप में अपना समय बिताया और इस प्रकार वे स्‍वर्ग को प्राप्‍त किए। Class 9th English Chapter 2 Yayati Notes

Sanskrit Class 10th All Chapter

1. Dharam Yuddha class 9th English | कक्षा 9 अंग्रेजी पाठ 1 धरम जुद्ध

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 9 अंग्रेजी के पाठ एक ‘Dharam Yuddha(धरम जुद्ध)’ के प्रत्‍येक पंक्ति के अर्थ को पढ़ेंगे। इस पाठ के लेखक अर्जुन देव चरण है।

Dharam Yuddha class 9th English

DHARAM JUDDHA (धरम जुद्ध)
Arjun Dev Charan

ARJUN DEV CHARAN, a teacher by profession, is basically a poet. His plays appear like an extension of his poetry. The poet in him shows through his short, crisp and pithy lines and the song of the chorus in his play. His first book of Rajasthani plays published in the late seventies was received rather indifferently in the Rajasthani literary circles. Till that time drama in Rajasthani had meant either some stray one-act plays on social issues like widow-remarriage, dowry etc., or the folk plays based on historical and mythological themes; a full length play on a contemporary theme was beyond conjecture. However, Arjun’s arrival on the scene is significant not only in terms of dramatic literature but also of modern theatre Arjun Dev’s plays include Do Naatak  Aaj Ra, Guwari and Sankario, Bol Machhali Kitok Paani, Dharam Juddha and Mugati Gatha.
अर्जुन देव चरण पेशे से शिक्षक हैं, मुख्य रूप से एक कवि है। उनके नाटक उनकी कावता के विस्तार सदृश लगती है। उनके अंदर का कवि उनके लघु, सुस्पष्ट और उतारचढ़ाव वाली पंक्तियाँ और उनके नाटक में समूह गान संगीत-सा दिखता है। उनकी राजस्थानी नाटक की पहली पुस्तक सत्तर के बाद प्रकाशित हुई, वस्तुतः राजस्थानी साहित्यिक समूह द्वारा तटस्थता से ग्रहण की गई थी। उस समय तक राजस्थान में नाटक का मतलब या तो विधवा पुनर्विवाह, दहेज-प्रथा आदि जैसे सामाजिक मुद्दों से सम्बद्ध होते थे, जिसे कोई मंचन करता था या ऐतिहासिक और काल्पनिक विषयों पर आधारित पारंपरिक नाटक होते थे। समकालीन विषयों पर आधारित नाटकों का मात्र अनुमान लगाया जाता था। हालाँकि, अर्जुन के दृश्य पर आगमन न केवल नाटक के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण है बल्कि आधुनिक थियेटर के लिए भी। अर्जुन देव के नाटक हैं—आज रा, गुवारी और सनकारिओ, बोल म्हारी मच्छली कितोक पानी, धरम जुद्ध और मुगती गाथा।
Dharma Juddha’ is the story of Padma, a young girl educated through scriptures like the Ramayana, the Mahabharata etc. She feels aggrieved and agitated by the charitably orthodox attitude of the society towards women. She repeatedly questions her parents and her teacher about the rights and the identity of a woman and asks them whether her identity is subject to her marriage.
‘धरम जुद्ध’ पद्मा नामक एक युवा बालिका के सम्बंध में कहानी है, जो रामायण, महाभारत आदि धार्मिक पुस्तकों के माध्यम से शिक्षित हुई है। वह औरतों के प्रति समाज के कठोर, रूढ़िवादी धारणाओं से व्याकुलता और परेशानी महसूस करती है। वह अपने माता-पिता और शिक्षक से औरतों के अधिकार और पहचान के बारे में बार-बार सवाल पूछती है और उनसे पूछती है कि क्या हर प्रकार से उसकी पहचान शादी ही है।

Class 9th English Chapter 1 Dharam Yuddha Notes

Bihar Board Class 10th Social Science
DHARAM JUDDHA
Padma: Maa: Mother, what is the identity of a woman?
अनुवाद : पद्मा : माँ, औरत की पहचान क्या है?
Maa: Why do you ask that?
माँ तुम इसे क्यों पूछती हो?
Padma : How am I different from others?
पद्मा : मैं अन्यों से कैसे अलग हूँ?
Maa: You are my daughter, our only child and your father’s darling.
माँ तुम मेरी पुत्री हो, हमारी इकलौती संतान और अपने पापा की प्रिय।
Padma : Father cares more for money than for toe. It takes a heart to bestow love.
पद्मा : पापा मुझसे अधिक पैसों की चिंता करते हैं। यह हृदय से अर्पण प्रेम है।
Maa: For whom does he save? He does all this only for your         sake. You shouldn’t think that I’ve no heart.
माँ : वह किसके लिए बचत करते हैं? वे ये सब केवल तुम्हारे हित के लिए
करते हैं। तुम्हें यह नहीं सोचना चाहिए कि हमारे पास दिल नहीं है।
Padma : But I didn’t say it of you.
पद्मा: परन्तु मैं तुम्हारे लिए यह नहीं करती।।
Maa: I am not in any way different from him. My identity is linked with his and 1 cherish the bond
माँ : मैं उनसे किसी तरह अलग नहीं हूँ। मेरी पहचान उनके साथ जुड़ी हुई
है और मैं गठबंधन का पालन करती हूँ।

Class 9th English Chapter 1 Dharam Yuddha Notes

The Pace For Living Chapter in Hindi

(Enter Padma’s father)
हिन्दी अनुवाद : (पद्मा के पिताजी का प्रवेश)

Father: What is this talk about the bond, Padma’s mother?
पिताजी : पद्मा की मम्मी, किस गठबंधन के बारे में चर्चा हो रही है?
Maa: Here is your father. Ask him whatever you want to know.
माँ : तुम्हारे पापा आ गए इनसे पूछो, तुम क्या जानना चाहती हो ।
Father: What’s it, my child?
पिताजी : क्या बात है, मेरी बच्ची ?”
Maa : She wants to know what is the identity of a woman.
माँ: यह जानना चाहती है कि औरत की पहचान क्या है?
Father: You will know it, dear, when you are married.
पिताजी : तुम इसे जान जाओगी मेरे प्रिय, जब तुम्हारी शादी हो जायेगी।
Padma : Does marriage lend identity to a woman?
पद्मा : क्या शादी औरतों की पहचान में सहायता प्रदान करती है ?
Maa: What is a woman without a husband?
माँ : बिना पति के औरत क्या है?
Pаdаma : What if one does not get married?
पद्मा : यदि किसी की शादी नहीं होती है?
Maa: Why do you always ask such senseless questions?
माँ तुम हमेशा मूर्खतापूर्ण सवाल क्यों करती हो?
Padma : What about a woman whose husband is dead?
पद्मा : उस औरत का क्या होता है जिसका पति मर जाता है ?
Maa: Life is hell for her.
माँ : उसका जीवन नरक बन जाता है।
Padma: That’s injustice!
पद्मा : यह अन्याय है।
Maa: You needn’t talk of justice and injustice here.
माँ तुम्हें यहाँ न्याय और अन्याय की बातें करने की जरूरत नहीं है।
Padma : Why?
पद्मा : क्यों?
Father: Over here women don’t have the right to ask questions.
माँ:  यहाँ औरतों को सबाल पूछने का अधिकर नहीं है।
Padma: What right do they have then?
पद्मा : तब उन्हें वया अधिकार है ?

Class 9th English Chapter 1 Dharam Yuddha Notes

What is Wrong with Indian Films Lecture
Father: Rights are for equals, dear.
पिताजी : प्रिय, अधिकार सबके लिए बराबर है।
Padma : Why is a home considered a place for bargaining? One shouldn’t live in such a place.
पद्मा : एक घर सौदा करने का स्थान के रूप में क्यों जाना जाता है? किसी
को ऐसी जगह पर नहीं रहना चाहिए।
Father: You will get the same replies to these questions wherever you go.
पिताजी : तुमको इसी प्रकार के सवालों का जवाब मिलेगा जहाँ तुम जाओगी।
Padma: But the identity of a woman is the identity of the human race. A society sans women…
पद्मा: परन्तु औरत की पहचान तो मानवता की पहचान है। कोई समाज औरतों के बिना ….
Father: That’s why they say that marriage lends this identity.
पिताजी: यही कारण है कि वे कहते है कि विवाह पहचान बनाने में सहायता करता है।
Padma: So if a girl does not get married she has no identity! Why is it that an unmarried man is venerated and called a saint while an unmarried woman is called immoral and wanton?
पद्मा : इसलिए यदि कोई लड़की विवाह नहीं करती है तो उसकी पहचान नहीं होगी। ऐसा क्यों है जबकि एक कुँवारा पुरुष पूजनीय होता है और महात्मा कहलाता है जबकि कुँवारी औरत को चरित्रहीन और अनैतिक आवरण वाला कहा जाता है। Class 9th English Chapter 1 Dharam Yuddha Notes

Sanskrit Class 10th All Chapter

टॉल्सटाय के घर में लेखक राजकुमार | Tolstoy ke ghar mein

इस पोस्‍ट में हमलोग राजकुमार रचित कहानी ‘टॉल्सटाय के घर में(Tolstoy ke ghar mein)’ को पढ़ेंगे। यह कहानी समाजिक कुरितियों के बारे में है ।

Tolstoy ke ghar mein

Bihar Board Class 9 Hindi Chapter 7 टॉल्सटाय के घर में

लेखक राजकुमार

Bihar Board Class 10th Social Science

पाठ का सारांश

प्रस्तुत पाठ ‘टॉल्सटाय के घर में’ लेखक यात्राओं के रिपार्ताज हैं। लेखक ने पेरिस के अतिरिक्त जिन देशों की यात्राएँ की। साथ ही, लेखक ने इसमें टॉल्सटाय के जीवन की अविस्मरणीय यादों की झाँकी प्रस्तुत की है। लेखक के लिए टॉल्सटाय के घर की यात्रा तीर्थयात्रा की तरह है।

    लेखक मास्को शहर की विशेषता बताते हुए कहता है कि वहाँ धूप के दिन अधिक देर तक नहीं टिकते, इसलिए वहाँ के लोग बड़े चाव से धूप का आनंद लेते हैं। लेखक नाश्ता करके अपने एक रूसी मित्र यूरा के साथ यासनाया पोलयाना के लिए रवाना होता है। टॉल्सटाय ने यहीं साहित्य की अमर कृतियाँ लिखी थीं। यहीं ‘युद्ध और शांति’ के सजीव चित्र रचे गए थे। लेखक इस स्थान को देखने के लिए काफी उद्वेलितथा। कार 70 मील की रफ्तार से भागी जा रही थी। सड़क के दोनों ओर हरे तथा गहरेपीले रंग के खेत सूरज की रोशनी में चमक रहे थे। लेखक मन-ही-मन यासनाया पोलयाना के बारे में सोच रहा था तथा नताशा, लेविन, आंद्रे, हाली आदि के धुंधले चित्र उनकी आँखों के सामने घूमे जा रहे थे। प्यानो, वायलिन, मैंडोलिन के स्वर लेखक के हृदय को झंकृत कर रहे थे। तीन घंटे के बाद वे यासनाया पोलयाना के बड़े फाटक पर पहुँच जाते हैं। – यह गाँव लगभग डेढ़ सौ घरों का है और इसी के सिरे पर टॉल्सटाय का घर है। उनके घरों के चारों ओर बाग-बगीचे हैं तथा पास ही एक तालाब है, जिसके किनारे टॉल्सटाय घंटों बैठा करते थे। टॉल्सटाय के घर को सरकार ने म्यूजियम बना दिया है जिसमें उनका सब सामान सजा हुआ है। म्यूजियम देखने हजार की संख्या में स्त्री-पुरुष तथा बच्चे आए हुए थे। लेखक के वहाँ पहुँचने पर म्यूजियम के डायरेक्टर उनके साथ उस आदमी को भेजा, जो टॉल्सटाय का सेक्रेटरी रह चुका था। वहाँ एक पेड़ है जिसकी छाया में बैठकर टॉल्सटाय किसानों को पढ़ाया करते थे। वहीं एक झोपड़ी थी, जिसमें उनके मित्र रेपिन नामक महान चित्रकार रहते थे। उन्होंने टॉल्सटाय के भी अनेक चित्र बनाए थे।

टाल्सटाय जब ढाई वर्ष के थे तभी उनकी माँ की मौत हो गई, लेकिन वह न तो माँ को भूल सकेऔर न ही माँ द्वारा लगाए बागों को उन्होंने उन बागों की कभी अनदेखी नहीं की। उस बाग में अनेक पतली-पतली पगडंडियाँ थीं तथा टॉल्सटाय का अनेक स्मृतियाँ बिखरी हुई थीं। कहीं कोई बेंच थी, जिस पर वह सुबह में बैठा करते थे, एक पेड़ की शाखा पर एक घंटा लगा था जिसे बजाकर परिवार के लोगों को भोजन करने की सूचना दी जाती थी। बाहर की परिक्रमा के बाद जब लेखक ने उनके अंदर पैर रखा, उनके शरीर में सनसनी पैदा हो गई। मस्तिष्क में हलचल पैदा हो गया। शीशे का आलमारियों में उनके कोट, पतलून, ओवर कोट, ड्रेसिंग गाऊन, मोजे, जूते, कमीजें आदि टँगे थे। दीवालों पर उनके तथा उनके परिवार के चित्र लगे हुए थे। उनके पढ़नेलिखने के कमरे के कोने में छोटी-सी मेज तथा बिना सिरहाने की एक तिपाई रखी हुई थी। इसी कमरे में बैठकर ‘आना करीनिना’ तथा ‘युद्ध और शांति’ की रचना की थी। इनके पुस्तकालय में 23,000 किताबें थीं तथा विभिन्न जगहों से आए 20,000 के लगभग पत्र थे। वे अपने कमरे में खिड़की के पास सोते थे, ताकि प्राकृतिक सौन्दर्य का आनंदलिया जा सके। पत्नी से खटपट रहने के कारण दोनों अलग-अलग कमरे में सोते थे।खाने का कमरा दूसरी मंजिल पर था। कमरे के बीच में एक बड़ी मेज थी, जिसके चारो ओर बारह कुर्सियाँ रखी हुई थीं। चारों ओर आराम कुर्सियाँ थीं जिन पर खाने के बाद लोग आराम करते थे तथा संगीत का आनंद लेते थे। टॉल्सटाय स्वयं भी संगीत के शौकीन थे। नीचे की मंजिल में अतिथियों के लिए कमरे थे। इसमें एक डॉक्टर रहता था। टॉल्सटाय ने जब अन्तिम बार घर छोड़ा तो केवल डॉक्टर ही उनके साथ गया था। उन्होंने इस कमरे का वर्णन ‘आना करीनिना’ में लेविन की चर्चा के क्रम में किया था। इस प्रकार म्यूजियम देखकर लेखक को ऐसा अनुभव हुआ कि उनके जीवन की जैसी झाँकी उन्हें दिखाई दी, वह कभी धुंधली नहीं हो सकती है। इस मकान में केवल टॉल्सटाय के जीवन का इतिहास का ही पता नहीं चलता था, बल्कि उन सारी- आत्माओं की आवाज सुनाई पड़ती थी, जिन्हें टॉल्सटाय ने जन्म दिया था।

    उस मकान से बाहर निकलने पर तेज धूप के कारण लेखक की आँखें चौंधिया-सी गई। कुछ देर के बाद लेखक अपने मित्रों के साथ टॉल्सटाय की समाधि देखने चल पड़े।

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8. Martha class 10 | मार्था कक्षा 10 अंग्रेजी

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 अंग्रेजी Prose Section के पाठ आठ ‘Martha (मार्था कक्षा 10 अंग्रेजी)’ के प्रत्‍येक पंक्ति के व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे।

martha

Bseb Class 10th English Poetry Chapter 8 Martha

“Once…Once upon a time…”
Over and over again,
Martha would tell us her stories,
In the hazel glen.
” कभी …… किसी समय…..”
बार-बार,
मार्था हमें अपनी कहानियाँ कहती,
हल्‍की भुरी तंग घाटी में।
Hers were those clear grey eyes
You watch, and the story seems
Told by their beautifulness
Tranquil as dreams.
Martha class 10 | मार्था कक्षा 10 अंग्रेजी
उसकी थी वे साफ भुरी आँखें
आप देखते, और कहानी लगती
उनकी सुन्‍दरता से कही गयी
सपने की तरह शान्‍त।
She’d sit with her two slim hands
Clasped round her bended knees;
While we on our elbows lolled,
And stared at ease.
वह बैठती अपनी दोनों धरहरें हाथ
अपने मुड़े घुटने के चारों ओर पकड़े
जबकि हमलोग अपनी केहुनियाँ झुकाए,
और आराम से देखते।

Martha class 10 | मार्था कक्षा 10 अंग्रेजी
Her voice and her narrow chin,
Her grave small lovely head,
Seemed half the meaning
Of the words she said.
उसकी आवाज और उसकी ठुड्डी
उसका गंभीर मनोहर छोटा सिर,
आधे अर्थ मालूम पड़ते
उसके कहे शब्‍दो के।
“Once…Once upon a time…”
Like a dream you dream in the night,
Fairies and gnomes stole out
In the leaf-green light.
”कभी …… किसी समय …….”
एक सपने की तरह जैसा आप रात में देखते है,
परियाँ और बौने निकलते है
पत्ते जैसे हरे प्रकाश में।
And her beauty far away
Would fade, as her voice ran on,
Till hazel and summer sun
And all were gone:
और उसका सौन्‍दर्य बहुत दूर
मुरझा जाता, ज्‍यों ही उसकी आवाज फैलती,
जब तक धुँधला और गर्मी की धूप रहते
और सब खत्‍म हो जाते :-
All fordone and forgot;
And like clouds in the height of the sky,
Our hearts stood still in the hush
Of an age gone by
सब बीत जाते और भूल जाते,
और आकाश की उँचाई में बादलों जैसे
चुप्‍पी में हमारा दिल स्‍तब्‍ध हो जाता
जैसे बीते हुए युग में।

Bihar Board Class 10th Social Science

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7. The sleeping porter | सोता कुली कक्षा 10 अंग्रेजी

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 अंग्रेजी Prose Section के पाठ सात ‘The sleeping porter (सोता कुली कक्षा 10 अंग्रेजी)’ के प्रत्‍येक पंक्ति के व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे।

the sleeping porter

Bseb Class 10th English Poetry Chapter 7 THE SLEEPING PORTER (सोता कुली)

A twenty-five kilo load on his back
spine double bent
a six-mile climb up in the snows of winter
naked bones, skeleton- like frail frame
yet facing an uphill task
he is challenging the mountain.
अपनी पीठ पर पचीस किलो वजन लिए
रीढ़ की हड्डी दुहरी मुड़ी हुई
जाड़े की वर्फ में छह मील की चढ़ाई
खुली हड्डियाँ, हड्डियों के भंगुर ढ़ाँचे के समान
फिर भी चढ़ाई की कठिनाई का सामना करता हुआ
वह पर्वत को ललकार रहा हैा
He is wearing a black cap
dirty, sweat-stained
his body is an abode of fleas and lice
his mind very dull
although it emits a sulphur-like sour smell
but what a stout human figure!
वह पहने हुए है काली टोपी
गन्‍दी पसिने से दागदार
उसका शरीर है लीखो और जुओं का घर
उसकर दिमाग है बहुत मन्‍द
फिर यह छोड़ता है गंधक जैसा खट्टा गन्‍ध
किन्‍तु क्‍या ही सख्‍ज मानव शरीर है।
Like a bird
his heart is twittering, panting
he is sweating and out of breath
पक्षी की तरह
उसका सीना धड़क रहा, हाँफ रहा है
वह पसिने से भीगा और बेदम है।
A hut on the cliff
his son shivering with cold
woes of hunger
the mother searching for nettles and vines.
दर्रे में एक घर
उसका पुत्र जाड़े से काँप रहा है
भू की खिन्‍नता / भय है
माँ खोज रही है चिपचिपा पौधा और अंगर की लता।
Beneath this hero of the mountain
the proud conqueror of nature
are the snow-clad peaks
above
पर्वत के इस नायक
प्रकृत के गर्वीला विजेता के नीचे
है वे वर्फ में लिपटी चोटियाँ
उपर हैं
only the star-studded lid of night.
In this night
the porter is in deep slumber
“reigning over the rich kingdom of sleep.
केवल रात के तारों से गुँथे ढक्‍कन
इस रात में
वह कुली है गहरी नींद में
नींद के समृद्ध साम्राज्‍य पर शासन करता।

Bihar Board Class 10th Social Science

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