इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 अंग्रेजी Prose Section के पाठ छ: ‘ Koel (कोयल कक्षा 10 अंग्रेजी)’ के प्रत्येक पंक्ति के व्याख्या को पढ़ेंगे।
Bseb Class 10th English Poetry Chapter 6 KOEL (कोयल)
Koel! what lightning fell? what singed thy wings? What keeps thee fresh, yet charred? Concealed in the mango-leaves, thou singest ! Thy high-pitched strains wake in my soul a thousand memories ! ऐ कोयल ! कौन-सी बिजली गिरी? किसने तेरे पंखो को उपर से झुलसाया? तुम्हे क्या तरो-ताजा रखता है, जबकि जली हुई हो? आम के पत्तो में छिपी हुई, तुम गाती हो? तुम्हारे उँचे स्वरों की तरन मेरे दिल में जगाता है एक हजार यादें। Why so restless that thy spark-shedding notes go forth kindling fire? Lo! The roses are on fire which winds and waters catch ! The shades of mangoes burn ! इतना बैचैन क्यों हो कि तुम्हारा चिनगारी फेंकता सुर आगे बढ़कर आग जला जाती? लो, गुलाबों में आग लग गयी जो पवन और जलधाराएँ पकड़ लेती ! आमों की छाहें जल जाती ! What a rain of sparks art thou, O little Bird ! Koel! what lightning fell? what singed thy wings? क्या ही चिनगारियों की बरसात तुम हो, ओ छोटी चिडि़या ! कोयल ! कौन सी बिजली गिरी ? किसने झुलसा तेरे पंखो की सतह को ? The Fire of Love has charred my wings, and made me anew I am restless! Where is my Beloved? प्रेम की आग ने मेरे पंखो को जलाया है, और मुझे नया बनाया है मैं बेचैन हूँ मेरी प्रिया कहाँ है ? The sight of mango-blossoms fires me all the more ! The greener the garden, the brighter burns my heart ! My flaming soul asks, “Where? where is my Beloved?” “Speak! speak! why are thy leaves so still?” आम की मंजरियों के दृश्य मुझे और अधिक जलाते है। जितना ही हरा बगीचा, उतना ही तेज जलता मेरा दिल ! मेरी जलती आत्मा पूछती है, कहाँ ? कहाँ है मेरी प्रिया ? बोलो ! बोलो ! क्यों शांत हैं तुम्हारे पत्ते ?
इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 अंग्रेजी Prose Section के पाठ पाँच ‘The empty heart (शुन्य हृदय )’ के प्रत्येक पंक्ति के व्याख्या को पढ़ेंगे।
Bseb Class 10th English Poetry Chapter 5 THE EMPTY HEART
The man was rich, but not content. Morning, noon and night he went To the Wish-yielding Tree and prayed: ‘O Kalpaka, I seek your aid; All I want is a pot of gold.’ His prayer was granted sevenfold: For as a gift to him was given, Glistening gold in pitchers seven. Seven silver pitchers were now with him Each with gold coins filled to the brim. But the Tree unkind took into its mind To add an eighth, a half-full pot. वह व्यक्ति धनी था, किन्तु संतुष्ट नही। सुबह, दोपहर और शाम वह जाता इच्छापूरक पेड़ के पास और प्रार्थना करता: हे कल्पाका, मैं आपकी मदद चाहता हूँ: मेरी इच्छा एक सोने को घड़ा है। उसक प्रार्थना सतगुना मंजूर हुई: उसे एक उपहार दिया गया, सात घड़ें में चमचमाता सोना। अब उसके साथ ये सात चाँदी के घड़े हरेक किनारे (गर्दन) तक सोने के सिक्कों से भरा किन्तु पेड़ निर्दयी है ऐसा उसके मन में घर कर गया एक आठवाँ देने पर, आधा भर घड़ा। To fill this quick was his thought; The seven full vessels he clean forgot, The demon Desire now made him mad. To mother, wife, children ‘good bye’ he bade He rose before cock-crow, past midnight he worked; Eating, drinking and sleep he shirked. He wrecked his health, his conscience sold And tried all tricks to gather gold. इसे तुरंत भरना उसकी इच्छा थी, सात भरे घड़े को वह साफ भूल गया, दुष्ट इच्छा ने अब उसे पागल उसे पागल कर दिया। माँ, पत्नी, बच्चे सबको उसने ‘अलविदा’ किया। मुर्गे की बाँग के पहले वह जगता, आधी रात के बाद तक काम करता, खाना, पीना और सोने की अवहेलना की। अपना स्वास्थ्य उसने नष्ट कर लिया, उसकी अन्तरात्मा बिक गयी और सोना जमा करने की सब योजना अपनाई। Eager and anxious he shamelessly took Each coin he could clutch by hook or crook. Harder and harder he tried, but died Before he could quite fill the pot. Greed and endless, but life is not. Nothing is wrong with a half-filled purse; “Tis the void in the heart that is the curse. उत्सुक और चिन्तित उसने निर्लज्जता से अपनाया, एक-एक सिक्का उसने जैसे-तैसे हासिल किया कठिन से कठिन प्रयास उसने किया, पर मर गया जब तक वह पूरा-पूरा घड़ा भर सकता उसके पहले। लालच अनन्त है, किन्तु जान नहीं। आधी भरी थैली में कोई दोष नहीं दिल का खालीपन ही अभिशाप है।
इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 अंग्रेजी Prose Section के पाठ चार ‘Thinner than a cresent (बाल चन्द्र से भी पतली)’ के प्रत्येक पंक्ति के व्याख्या को पढ़ेंगे।
Bseb Class 10th English Poetry Chapter 4 THINNER THAN A CRESCENT
Vidyapati Her tears carved a river And she broods on its bank Hurt and confused. उसके आँसुओं ने किसी नदी का रूप ले लिया है और वह उसके किनारे सोचती रहती है चोट खायी हुई ओर अस्तव्यस्त। You ask her one thing, She speaks of another. Her friends believe That joy may come again At times they banish hope and cease to case. आप उससे पूछे कुछ वह उत्तर दे कुछ उसकी सखी को आशा है कि आनन्द फिर छलकेगा कभी उनकी आस गायब हो गयी है और विषय पर अटक गयी है O Madhava, I have run to call you: Radha each day grows thinner Thinner than the crescent in the sky. है माधव, मैं आपको बुलाने दौड़ी आई हूँ राधा प्रति दिन दुबी होती गयी है आकाश के कटे हुए (दूज को) चाँद से भी अधिक
इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 अंग्रेजी Prose Section के पाठ तीन ‘Polythene Bag (पोलिथीन बैग)’ के प्रत्येक पंक्ति के व्याख्या को पढ़ेंगे।
Bseb Class 10th English Poetry Chapter 3 “POLYTHENE BAG”
‘Hurt’ is such a strange polythene bag which never gets dissolved into the earth’s crust
Polythene Bag | पोलिथीन बैग कक्षा 10 अंग्रेजी ऐसा अजीब पोलीथीन बैग एक चोट है जो कभी नही हो पाता धरती की सतह पर नष्ट When touched it makes a squeaky noise, when burnt it exudes a pungent smell, when left to itself it pollutes the environment. जब स्पर्श किया जाता है यह चीख जैसा शोर करता है, जब जलाया जाता है यह तीखी गन्ध फैलाता है, यह ज्यो को त्यो छोड़ दिया जाता है, यह पर्यावरण को दूषित करता है।
Polythene Bag | पोलिथीन बैग कक्षा 10 अंग्रेजी Just like the polythene bag his ‘hurt’ too melts down o with a little touch of warmth. बिल्कुल पोलीथीन बैग की तरह उसकी चोट भी पिघल जाती है थोड़ी सी गर्मी की स्पर्श में But deep inside the grief’s garbage bin far away from everyone’s gaze the germs of the disease keep on growing किन्तु दुख के आन्तर गर्त के कचरे दान में हरेक की दृष्टि से बहूत दूर रोगों के किटाणु बढ़ना जारी रहते है। The polythene bag remains buried within यह पोलीथीन बैग भीतर दफनाया रहता है। Only the pain caused by the ‘hurt keeps coming back again and again. मात्र उस चोट से उत्पन्न दर्द बाहर निकलता रहता है बार-बार।
इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 अंग्रेजी Prose Section के पाठ दो ‘Ode on solitude ( निर्जनता में गीत)’ के प्रत्येक पंक्ति के व्याख्या को पढ़ेंगे।
Bseb Class 10th English Poetry Chapter 2 ODE ON SOLITUDE (निर्जनता में गीत)
Happy the man whose wish and care A few paternal acres bound, Content to breathe his native air In his own ground. अर्थ- वही आदमी सुखी है जिसकी इच्छा और चिन्ता अपनी कुछ एकड़ पैतृक जमीन तक सीमित है, अपनी जन्मभूमि की हवा में साँस लेता हुआ सन्तुष्ट है अपनी ही जमीन पर Whose herds with milk, whose fields with bread, Whose flocks supply him with attire; Whose trees in summer yield him shade, In winter fire. जिसके पशु दुध देते हों, जिसकी जमीन रोटी (गेहूँ) देती हो, जिसकी भेड़ें उसे वस्त्र (ऊनी कपड़े) देती हों, जिसके पेड़ गर्मी में छाँह देते हों, जाड़े में आग के लिए लकड़ी देते हों। Blest, who can unconcernedly find Hours, days, and years, slide soft away In health of body, peace of mind, Quiet by day. वह सुखी/भाग्यशाली है जो सांसारिकता से चिन्ता मुक्त है घंटे, दिन और साल शांति से गुजारते हुए शरीर से स्वस्थ्य, मन से शान्त दिनभर निश्चिन्त रहता है। Sound sleep by night; study and ease Together mixt, sweet recreation, And innocence, which most does please With meditation रात में गहरी नींद, अध्ययन और विश्राम साथ-साथ मिले हुए मधुर मनबहलाव और निश्चिन्त, जो अत्यधिक आनन्द देता है चिन्तन-मनन के साथ। Thus let me live unseen, unknown; Thus unlamented let me die; Steal from the world, and not a stone Tell where I lie. इस प्रकार मुझे जीने दें अनदेखा, अनजाना, इसी प्रकार बिना विलाप के मुझे मरने भी दें, दुनिया से अलग/गुप्त, ओर कब्र का एक पत्थर भी नहीं हो कहने के लिए कि मेरा कब्र कहाँ है।
इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 अंग्रेजी Prose Section के पाठ एक ‘Gode Made the Country (ईश्वर ने गाँव बनाया)’ के प्रत्येक पंक्ति के व्याख्या को पढ़ेंगे।
Bseb Class 10th English Poetry Chapter 1 GOD MADE THE COUNTRY (ईश्वर ने गाँव बनाया)
God made the country, and man made the town. What wonder then that health and virtue, gifts That can alone make sweet the bitter draught That life holds out to all, should most abound And least be threatened in the fields and groves ? अर्थ- ईश्वर ने बनाया गाँव और मनुष्य ने बनाया शहर। क्या चमत्कृत करता है वहाँ स्वास्थ्य और गुणवत्ता, उपहार जो मात्र करता है कटु वातीय-प्रवाह को मधुर जो जीवन रहता है सबमें, काफी अधिक और कुछ भी भयपूर्ण नहीं खेतों और झुरमुटों में ?
Possess ye, therefore, ye, who borne about In chariots and sedans, know no fatigue But that of idleness, and taste no scenes But such as art contrives, possess ye still Your element; there only can ye shine; तुमपर हावी है, अतः तुम जो जन्म आसपास रथों और पलकियों में, जाना नहीं थकारन किन्तु यह निठल्लापन, और दृश्यों में रूचि नहीं किन्तु जैसा कला निमार्ण करती है, वहीं तुमपर हावी होता है तुम्हारा तत्त्व, उसी में तुम चमक सकते हो।
There only minds like yours can do no harm. Our groves were planted to console at noon The pensive wanderer in their shades. At eve The moonbeam, sliding softly in between The sleeping leaves, is all the light they wish. यहाँ (गाँवों में) केवल तुम्हारा मन तुम्हारे जैसा कोई क्षति नहीं कर सकता। हमारे झुरमुट लगे थे दोपहर में सान्त्वना देने को खिन्न आवारा उनकी छाँह में। शाम को चाँद-किरण आहिस्ते फिसलता बीच से सोते हुए पत्तों के, जितना चाहें प्रकाश पाते हैं
Birds warbling all the music. We can spare The splendour of your lamps; they but eclipse Our softer satellite. Your songs confound Our more harmonious notes: the thrush departs Scar’d, and th’ offended nightingale is mute., चिड़ियाँ चहचहाती है गीत। हमलोग उसे गाने देते हैं तुम्हारे दीपक की चमक, वे किन्तु मात करते हैं हमारे कोमलतर उपग्रह को। तुम्हारे गीत चकरा डालते हैं हमारे अधिक सुसंगत सुर :कस्तूरिका विदा होती है भयभीत, और अपमानित बुलबुल मौन हो जाती है।
इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 अंग्रेजी के पाठ आठ ‘Little Girls Wiser Than Man (व्यस्क की अपेक्षा होशियार बच्चियाँ)’ के प्रत्येक पंक्ति के व्याख्या को पढ़ेंगे।
Class 9 English Chapter 8 Little Girls Wiser Than Man
LITTLE GIRLS WISER THAN MEN
Leo Tolstoy
It was an early Easter. Sledging was only just over; now still lay in the yards; and water ran in streams down the village street.
शुरूआती इस्टर का समय था। बर्फ में गाड़ी चलाना खत्म हुआ था। बर्फ अभी-भी थी, और गाँव की गलियों में पानी बहने लगा था।
Two little girls from different houses happened to meet in a lane between two homesteads, where the dirty water after running through the farm-yards had formed a large puddle. One girl was very small, the other a little bigger. Their mothers had dressed them both in new frocks. The little one wore a blue frock, the other a yellow print, and both had red handkerchiefs on their heads. They had just come from church when they met, and first they showed each other their finery, and then they began to play. Soon the fancy took them to splash about in the water, and the smaller one was going to step into the puddle, shoes and all, when the elder checked her:
दो छोटी बच्चियाँ, अलग घरों की थीं, एक गली में मिलीं, जहाँ गंदा पानी का एक छोटा तालाब बन गया था। एक बच्ची बहुत छोटी थी दूसरी थोड़ी बड़ी। उनकी माँओं ने उन्हें नई फ्रोक पहनाया था। छोटी वाली का ब्लु और बड़ी का पीला रंग का था। दोनों के सिर पर रूमाल बंधा था। दोनों चर्च से आ रही थीं। दोनों अपनी नई चीजों को दिखाने लगी और फिर खेलने लगीं। जल्द ही पानी में मार कर वो खेलने लगीं, छोटी गंदे गड्ढ़ा में जाने लगी जब बड़ी ने उसे रोकाः उसने कहा
‘Don’t go in so, Malásha,’ said she, ‘your mother will scold you. I
will take off my shoes and stockings, and you take off yours.’
‘मलाशा, ऐसे मत जाओ, तुम्हारी माँ तुम्हें डाँटेगी’। ‘मैं अपना जूता और स्टॉकी उतारती हूँ तुम भी उतार लो।।
Little Girls Wiser Than Man
They did so, and then, picking up their skirts, began walking towards each other through the puddle. The water came up to Malásha’s ankles, and she said:
उन्होंने ऐसा किया और अपना स्कर्ट उठाते हुए गड्ढा में जाने लगी। पानी मलाशा की एड़ी तक आ गया, उसने कहा :
‘It is deep, Akoúlya, I’m afraid!’
‘ये गहडा है।’ अकोल्या, मुझे डर लग रहा है।
Little Girls Wiser Than Man | कक्षा 10 अंग्रेजी पाठ 8 व्यस्क की अपेक्षा होशियार बच्चियाँ
‘Come on,’ replied the other. ‘Don’t be frightened. It won’t get any deeper.’
दूसरी ने कहा ‘मत डरो’ ये और गहरा नहीं होगा।
When they got near one another, Akoúlya said:
एक दूसरे के पास जब वो पहुँची तो अकोल्या ने कहा
“Mind, Malásha, don’t splash. Walk carefully!’
“ध्यान दो मलाशा, सावधानी से चलो”।
She had hardly said this, when Malásha plumped down her foot so that the water splashed right on to Akoúlya’s frock. The frock was splashed, and so were Akoúlya’s eyes and nose. When she saw the stains on her frock, she was angry and ran after Malásha to strike her. Malásha was frightened, and seeing that she had got herself into trouble, she scrambled out of the puddle, and prepared to run home. Just then Akoúlya’s mother happened to be passing, and seeing that her daughter’s skirt was splashed, and her sleeves dirty, she said:
लेकिन तब तक मलाशा ने अपना पैर जोर से पानी में रखा और पानी अकोल्या के फ्रॉक तक आ गया। उसकी आँख और नाक तक पानी आ गया। वो ये दाग देख कर बहुत गुस्सा हुई और उस तक उसे मारने के लिए भागी। ये देख मलाशा डर गई और घर के तरफ भागने लगी। तभी अकोल्या की माँ वहाँ से गुजर रही थी। अपनी बच्ची पर ये दाग देख वो बोली
“You naughty, dirty girl, what have you been doing?’
‘तुम शरारती बच्ची, तुम क्या कर रही थी?”
‘Malásha did it on purpose,’ replied the girl.
उसने कहा “मलाशा ने जान बुझ कर ऐसा किया ।
At this Akoúlya’s mother seized Malásha, and struck her on the back of her neck. Malásha began to howl so that she could be heard all down the street. Her mother came out.
इस पर उसकी माँ ने मलाशा का गला पकड़ लिया। वो बच्ची चिल्लाने लगी और उसकी भी माँ आ गई।
Little Girls Wiser Than Man | कक्षा 10 अंग्रेजी पाठ 8 व्यस्क की अपेक्षा होशियार बच्चियाँ
‘What are you beating my girl for?’ said she; and began scolding her neighbour. One word led to another and they had an angry quarrel. The men came out and a crowd collected in the street, everyone shouting and no one listening. They all went on quarrelling, till one gave another a push, and the affair had very nearly come to blows, when Akoúlya’s old grandmother, stepping in among them, tried to calm them.
उसने पूछा ‘ तुम मेरी बेटी को क्यों मार रही हो ? और अपने पड़ोसी को लगी डाँटने। एक झगड़ा शुरू हो गया। आदमी भी बाहर आ गए और एक भीड़ लग गई। सब लडने लगे और हाथा-बाँही पर उतर गए जब अकुल्या की दादी उनको शान्त कराने गई।
What are you thinking of, friends? Is it right to behave so? On a day like this, too! It is a time for rejoicing, and not for such folly as this.’
‘तुम लोग क्या कर रहे हो ? क्या इस तरह से व्यवहार करना ठीक है? आज तो आनंद करने का दिन है, इस तरह की गलती का नहीं।
They would not listen to the old woman and nearly knocked her off her feet. And she would not have been able to quiet the crowd, if it had not been for Akoúlya and Malásha themselves. While the women were abusing each other, Akoúlya had wiped the mud off her frock, and
gone back to the puddle. She took a stone and began scraping away the earth in front of the puddle to make a channel through which the water could run out into the street. Presently Malásha joined her, and with a chip of wood helped her dig the channel. Just as the men were beginning to fight, the water from the little girls’ channel ran streaming into the street towards the very place where the old woman was trying to pacify the men. The girls followed it; one running each side of the little stream.
किसी ने बूढ़ी औरत की बात नहीं सुनी और वो उन्हें शान्त नहीं कर पाती वगैर अकुल्या और मलाशा के। जब महिलाएँ एक दूसरे को गाली दे रही थी तो अकुल्या अपना गन्दा पोछ कर फिर तालाब के पास गई। वो एक पत्थर से एक नाली बनाने लगी जिससे पानी सड़क पर आ जाए। मलाशा भी शामिल हो गई। जब लड़ाई शुरू हो रही थी तभी वो पानी दादी तक पहुँचा। दोनों बच्चियाँ भी आई।
‘Catch it, Malásha! Catch it!’ shouted Akoúlya; while Malásha could not speak for laughing.
“पकड़ो “पकड़ो मलाशा, पकड़ा!” अकुल्या ने कहा पर वो हंसे जा रही थी।
Highly delighted, and watching the chip float along on their stream, the little girls ran straight into the group of men, and the old woman, seeing them, said to the men:
बहुत खुशी में, अपने उस चीप को बहता हुआ देख, वो लोगों के पास आई। उन्हें देख दादी ने लोगों से कहा।
‘Are you not ashamed of yourselves? To go fighting on account of these lassies, when they themselves have forgotten all about it, and are playing happily together. Dear little souls! They are wiser than you!’
‘तुम्हे शर्म नहीं है? तुम दोनों बच्चियों के लिए लड़ रहे हो जबकि ये सब भूल कर हंस खेल रही हैं। ये तुम से ज्यादा बुद्धिमान हैं।”
The men looked at the little girls, and were ashamed, and, laughing at themselves, went back each to his own home.
लोगों ने बच्चियों को देखा, खुद पर शर्म और हंसते हुए अपने घर चले गए।
‘Except ye turn, and become as little children, ye shall in no way enter into the kingdom of heaven.’
“जबतक तुम बच्चों सा नहीं बनते तु स्वर्ग में कभी नहीं जा सकोगे।”
इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 अंग्रेजी के पाठ सात ‘The Unity Of Indian Culture(भाारतीय संस्कृति की एकता)’ के प्रत्येक पंक्ति के व्याख्या को पढ़ेंगे।
Class 9 English Chapter 7 The Unity Of Indian Culture
THE UNITY OF INDIAN CULTURE
Humayun Kabir
Humayun Kabir was a famous poet, novelist, essayist and a renowned political thinker. He was a Cabinet Minister for Scientific Research and Cultural Affairs during Nehru’s Primeminstership. An Oxford product, he had the proud privilege of being elected president of the Oxford University Student’s Union. The present piece is an adapted version of Humayun Kabir’s lecture delivered in Baroda University. The lecture focuses on the glorious past of India’s culture and its rich heritage. It precisely reflects Kabir’s love and faith in the greatness of his motherland.
हुमायूँ कबीर प्रसिद्ध कवि, उपन्यासकार, निबन्धकार और जानेमाने राजनीतिक विचारक थे। वे नेहरू के प्रधानमंत्रित्व में साइंटिफिक रिसर्चऔर कल्चरल अफेयर्स के कैबिनेट मंत्री थे। ऑक्सफोर्ड में पढ़े उन्हें ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी स्टुडेण्ट्स यूनियन का अध्यक्ष चुने जाने का गौरवपूर्ण विशेषाधिकार प्राप्त था। वर्तमान अंश बड़ौदा विश्वविद्यालय में हुमायूँ के दिए गए व्याख्याान का अंगीकृत रूपान्तर है। यह व्याख्यान भारत की संस्कृति के गौरवपूर्ण अतीत और समृद्ध विरासत पर प्रकाश डालता है। वह अपनी मातृभूमि की महत्ता में कबीर के प्रेम और आस्था को संक्षिप्त रूप से प्रतिबिम्बित करता है।
THE UNITY OF INDIAN CULTURE
Till recently, the Aryans were regarded as the earliest invaders of the land. It was thought that they came to a country which was uncivilised and barbarian, but modern research has proved that there were invaders even before the Aryans poured into this land. They had evolved a civilization higher than that of the Aryan hordes who came in their wake. These Pre-Aryans had displaced still earlier people and built up new civilization which has astonished modern scholars by its extent and depth. The Aryan invasion repeated the process and led to fresh infusion of the old with the new. This continued with the successive inroads of fighting races who came to conquer but remained to lose themselves in the Indian racial cauldron. The Greek invaders were followed by Sakas and Huns and a hundred other nameless tribes. They all appeared on the scene as victors but were soon absorbed in the ranks of the vanquished.
कुछ समय पहले तक यह माना जाता था कि आर्यन्स यहाँ आने वाले सबसे पहले लोग हैं। वे जब आए थे तो पूरा देश असभ्य था परन्तु नयी खोज ने यह साबित किया है कि इनसे पहले भी लोग यहाँ आए थे। इनकी सभ्यता आर्यन्स से भी ऊँचे दरजे की थी। ये भी जब आए तो उस समय के लोगों को हटाया और अपनी सभ्यता स्थापित की जिसकी गहराइयों ने सभी को अचंभित कर दिया है। आर्यन्स ने इस प्रक्रिया को जारी रखा और नये-पुराने का मेल करते रहे। इसके बाद कई लोग आए पर कोई भी इन सा मजबूत नहीं हो सका और भारतीय संस्कृति में शामिल नहीं हो सका। ग्रीक्स के बाद सक और हुन्स और कई बेनाम प्रजाति आए। वे सब यहाँ विजेता के रूप में आए पर जल्द ही विलुप्त हो गए।
Today, whatever is Indian, whether it be an idea, a word, a form of art, a political institution or a social custom, is a blend of many different strains and elements.
आज, जो भी भारतीय है, चाहे सह सोच हो, एक शब्द, एक रूप कला का, एक राजनैतिक संगठन या एक सामाजिक प्रथा, सब कई पहलुओं का मिश्रण का परिणाम है।
In spite of this derivation from many sources and the consequent variety of forms and types we find a remarkable unity of spirit informing Indian culture throughout the ages. In fact, it is this underlying unity which is one of the most remarkable features of Indian culture. In volume and duration no civilization (with the possible exception of the Chinese) can bear comparison with the civilization of India. The area of the land, the number of the people, the variety of the races and the length of the India’s history are hardly repeated elsewhere. The vitality of Indian culture is equally amazing. In spite of a thousand vicissitudes, it has survived to the modern day. This has been possible only on account of a sense of Indianness which imposed unity on all diversity and wove into one fabric of national life the many strands of different texture, colour and quality which have entered here.
इन सब विभिन्नताओं के बावजूद हमेशा से ही भारतीय संस्कृति की अपनी एक पहचान रही । वास्तव में यह अन्तर्हित एकता है जो भारतीय संस्कृति के प्रमुख गुणों में एक है। मात्रा और अवधि में कोई सभ्यता (संभवतः चीन के अपवाद के साथ) भारत की सभ्यता के साथ तुलना नहीं वहन कर सकता। भूमि का क्षेत्र, लोगों की संख्या, प्रजातियों की विविधता और भारत के इतिहास की लम्बाई मुश्किल से कहीं दुहराए गए हैं। भारतीय संस्कृति की महत्ता समान रुप से आश्चर्यजनक है।
इसका महत्त्व भी बहुत है। इतनी बदलावों के बाद भी भारतीयता, अभी भी है। ये सिर्फ सम्भव हो सका है क्योंकि सब ‘अनेकता में एकता’ – में विश्वास करते हैं जो कि सभी विभिन्न पहलुओं को एक ही धागे, देश प्रेम का, में बाँधे रखता है।
The ancient world threw up fine flowers of dreilizationcin many lands. With the exception of India and China, they are dead and gone.
It is only in India and to some extent in China that the old civilization and culture have grown and changed but never grown or changed at the expense of an underlying unity. This has been possible only through the capacity of readjustment exhibited by the Indian society.
पुराना दुनिया में कई सभ्यताएं कई जगहों पर आईं। भारत और चीन को छोड़कर सब खत्म हो गई है। इन दो दशा में सभ्यताओं में इतना ।। बदलाव कभी नहीं आया कि ये पूर्णतः बदल जाएँ। ये सम्भव हो सका है क्योंकि हमारे समाज में एक दूसरे को समझने की भावना है।
One ground of this adjustment is found in the spirit of toleration that has characterised Indian history throughout the ages “Live and let live” has been the policy of the Indians in all spheres of life. Sometimes this has been carried so far that contrary, if not contradictory, attitudes have been allowed to survive simultaneously. Toleration had led to the sufferance, of civil and even indifference to the values of life. This however, is at worst the defect of a virtue. Such toleration is perhaps preferable to the fanatic devotion which leads to the denial and persecution of all other values but its own.
एक तो समायोजन का आधार बर्दाश्त करने की भावना में दीखता है, हमेशा से हम मानते आए हैं ‘जीओ और जीने दो’। कभी-कभी ये । इतना गहरा है कि अलग-अलग सोच साथ-साथ रह सकते हैं। इसकी वजह से लोगों को झेलना भी पड़ता है। दिवाने इसे इतना गहरा मानते हैं कि वो किसी और को महत्त्व नहीं देते पर सिर्फ अपनी सभ्यता को।
भारतीय इतिहास के पूरे काल में हमें एकता देखने को मिलता है जो अलग-अलग रूप के बारे में बताते हैं लेकिन ये एकता हमेशा एक जैसा नहीं रहा है।
Throughout the changes of Indian history we therefore find ospeit of underlying unity which informs the diverse expressions of institut the unity was never a dead uniformity, a living unity never is.
सभ्यता तब सही और महत्त्वपूर्ण हो सकती है जब उसमें एकता और विश्व भर में मान्यता हो। संस्कृति की व्याख्या करना बहुत कठिन है। क्योकि कोई एक चीज को इसका जान नहीं कहा जा सकता है।
Unity and universality must belong to any culture that is true and vital. Now culture is a concept which cannot be simply or unitarily defined. There is no single character or mark which can be regarded as the essence or distinctive feature of culture. It is always a complex of many strands of varying importance and vitality. If we attempt to differentiate between culture and civilization of life which makes civil society possible, culture, on the other hand, is the resultant of such organisation and expresses itself through language and art, through philosophy and religion, through social habits and customs and through political institutions and economic organisations. Not one of them is separately culture, but collectively they constitute the expression of life which we describe as culture. Culture is the efflorescence of civilization. Civilization is the organisation of society which creates the condition of culture. There can, therefore, be no culture without civilization, but there may be civilization which have not yet developed their culture. Perhaps what is more often the case is that there are civilised people among whom only a small section has achieved culture. We have, therefore, had and still have races and nations that are civilised;
but, except for India, we have not yet had any nation or race that could be regarded as cultured in all its sections and classes, for here in India, culture is almost as extensive as civilization.
एकता और सार्वजनीकता किसी संस्कृति के साथ होना चाहिए जो सत्य और महत्वपर्ण है। संस्कृति वैसी धारणा है जो सरलता से या एकात्मकता से परिभाषित नहीं हो सकती। ऐसी कोई विशेषता या चिह्न नहीं है जो संस्कृति के सार या खास गुण के रुप में माना जा सक। यह भिन्नतापूर्ण महत्व और महत्ता के अनेक धागे का मिश्रण है। कई तत्वों को अगर हम विभिन्नताएँ निकाले संस्कृति और सभ्यता में जिससे समाज बनता है तो संस्कृति को ऐसे संगठन का परिणाम पाते हैं जो खुद को भाषा और कला, फिलोसफि और धर्म, सामाजिक रीति-रिवाज और आदतें, । राजनैतिक संगठन और आर्थिक संगठन के द्वारा व्यक्त करते हैं । ये सब मिलकर संस्कृति बनाते हैं। कोई एक नहीं संस्कृति सभ्यता की खूबसूरती को बढ़ाता है। सभ्यता समाज का हाल है जो संस्कृति को जगह देता है। इसलिए सभ्यता के बगैर कोई संस्कृति नहीं हो सकती पर ऐसी सभ्यता हो सकती है जिसकी संस्कृति न हुआ हो। कई ऐसे लोग हैं जो सभ्य हैं पर संस्कृति पर पकड़ नहीं है। हमारे पास कई जातियाँ और देश हैं जो सभ्य तो हैं पर संस्कृति रूप से बहुत आगे नहीं हैं पर भारत में दोनों ही हैं क्योंकि यहाँ संस्कृति को भी उतना ही महत्त्व दिया जाता है जितना । सभ्यता को ।
The experience of European countries gives us cases of civilization without culture. In India, on the other hand, even the casual tourist has observed that the difference between the masses and classes is not one of quality and can be explained in terms of information and opportunity. It is often otherwise in Europe. There the difference in quality between the masses and the classes is at times so great that it has shaken the faith of the most fervent of democrats.
युरोपियन देशों का अनुभव कई सभ्यता दिखाता है जो संस्कृति के बगैर है। भारत में एक साधारण पर्यटक भी देख सकता है। लोगों (सामान्य और ऊँचे दरजे वाले) में जानकारी और अवसर का अन्तर है ताकि किसी और चीज का। युरोप में गुण का विभाजन इतना है कि प्रजातंत्र से जलने वाले भी हिल गए हैं।
The remarkable phenomenon can be explained only in terms of the unity and continuity of Indian culture. Unity is, in one sense, the common characteristic of all culture. What specially distinguishes the culture of India is its unbroken continuity. Here, there have been no violent or sudden breaks, but on the contrary, a steady growth and extension of culture which has gradually permeated every class and section of society.
विशिष्ट घटना मात्र भारतीय संस्कृति की एकता और निरन्तरता की शर्त पर बतायी जा सकती है। एक अर्थ में एकता सभी सभ्यताओं का सामान्य स्वभाव है, जो खास रुप में भारत की संस्कृति की पहचान बताती है, वह है इसकी अटूट निरन्तरता । यहाँ कोई प्रचंड या आकस्मिक विखण्डन नहीं हुआ है, बल्कि संस्कृति का सतत विकास और विस्तार हुआ है जिसने समाज के हरेक वर्ग और खण्ड का क्रम से फैलाव किया है।
इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 अंग्रेजी के पाठ पाँच ‘बहुत समय पहले (Once Upon A Time)’ के प्रत्येक पंक्ति के व्याख्या को पढ़ेंगे।
Class 9 English Chapter 6 Once Upon A Time
Toni Morrison
Toni Morrison was the eighth woman and the first black woman to receive the Nobel Prize (1993) in Literature. She also won the Pulitzer Prize for fiction. Her seventh and most recent novel, Paradise was published early in 1998. Her speech ‘Once Upon a Time’ wonderfully exhibits how the proper usage of language could bring about changes and big revolution in the world and more so the immediate surrounding. This speech makes the point that language should be living and vibrant. Narratives have not only been entertaining but also one of the principal ways of absorption of knowledge. There are anecdotes which bring out the theme through the most simple form of expression and language. The given speech is a fine example of this.
टॉनी मॉरिसन महिलाओ में आठवी और साँवली महिलाओ में प्रथम, साहित्य में नोबेल प्राइज (1999) प्राप्त करने वाली थी I उसने कहानी के लिए पुलित्सर प्राइज भी हासिल किया था I इसका सातवी और सबसे नई कहानी, पैराडाइज 1998 के प्रारंभ मे प्रकाशित हुई थी I उसका व्याख्यान, वंश अपॉन ए टाइम अद्भूत रूप से दिखाता है कि कैसे भाषा का समुचित प्रयोग दुनिया में और उससे भी अधिक नजदीकी परिवेश में परिवर्तन और बड़ी क्रांति ला सका I यह व्याख्यान ऐसी स्थिति बनाता है कि भाषा जीवन्त और सशक्त होनी चाहिए I कहानिया न केवल मनोरंजक होती है बल्कि ज्ञान की तन्मयता के प्रधान तरिको में एक होती है I ऐसे भी किस्से हैं जो अभिव्यक्ति और भाषा के अत्यंत सरल रूप के माध्यम से भी विषयवस्तु को उभार देते हैं I दिया गया व्याख्यम इनका उत्तम उदाहरण है I
“Once upon a time there was an old woman. Blind but wise.” Or’ an old man? A guru, perhaps, soothing restless children. I have heard this story, or one exactly like it, in the lore of several cultures.
‘एक समय में एक बुढ़ी औरत थी। वो अन्धी पर बुद्धिमान थी।’ या वो कोई बुढ़ा आदमी था। शायद एक गुरू ओरेगीयत के शान्त थके हुए बच्चे। मैंने ये, या इस जैसी, कहानी कई सभ्यताओं में सुना है।
“Once upon a time there was an old woman. Blind. Wise.”
एक समय में एक बुढ़ी औरत थी। अन्धी बुद्धिमान।
In the version I know, the woman is the daughter of slaves, black, American, and lives alone in a small house outside of town. Her reputation for wisdom is without peer and without question. Among her people, she is both the law and its transgression. The honour she is paid and the awe in which she is held reach beyond her neighbourhood to places far away; to the city where the intelligence of rural prophets is the source of much amusement.
वो औरत एक गुलाम, काले, अमरिकन की बेटी है और शहर के बाहर एक छोटे से घर में रहती है। उनकी छवि एक बुद्धिजीवी के रूप में है जिस वजह से वो कानून के रूप में भी जानी जाती हैं। उनकी प्रतिष्ठा की खबरें दूर-दूर तक है। वहाँ भी है जहाँ गाँव के पंडित ही मनोरंजन का साधन होते हैं।
One day the woman is visited by some young people who seem bent on disproving her clairvoyance and showing her up for the fraud they believe she is. Their plan is simple: they enter her house and ask the one question the answer to which rides solely on her difference from them, a difference they regard as a profound disability: her blindness. They stand before her, and one of them says.
एक दिन उनके पास कुछ युवक-युवती आते हैं, जो उसकी दिव्य दृष्टि की गलत ठहराने पर तुले हुए हैं और उसे चालबाज बताना चाहते है. जैसा वे उसे समझ रहे हैं। उनकी योजना सरल है। वे उसके घर में प्रवेश करते हैं और वही प्रश्न पूछते हैं जिसका उत्तर मात्र उनसे उसकी भिन्नत पर जाता है, ऐसी भिन्नता जो वे प्रचुर असंयोग्यता समझते हैं, उसका अंधापन । वे उसके आगे खड़े हो जाते हैं और उनमें से एक कहता है।
“Old woman, I hold in my hand a bird. Tell me whether it is living
or dead.”
‘बुढी औरत, मेरे हाथ में एक पक्षी है बताओ की वो जीवित है या मृत?’
She does not answer, and the question is repeated. “Is the bird I am holding living or dead?” Still she does not answer. She is blind and cannot see her visitors, let alone what is in their hands. She does not know their colour, gender or homeland. She only knows their motive.
उनका कोई जबाव नहीं आता है फिर सवाल दोहराया जाता है। “वह चिड़िया जो मेरे हाथ में है जिन्दा है या मृत ।” फिर भी वह उत्तर नहीं देती है। वह अंधी है और अपने मुलाकातियों को देख नहीं सकती, तो उसके हाथ में क्या है उसका जिक्र की क्या करना । वह उसका रंग नहीं जानती, जाति (पुरुष या स्त्री) या घर नहीं जानती। वह केवल उनका अभिप्राय जानती है।
The old woman’s silence is so long, the young people have trouble holding their laughter.
वो इतने देर तक शान्त रहती है कि वो लोग अपनी हंसी रोक नहीं पाते हैं।
Finally she speaks, and her voice is soft but stern. I don’t know,” she says. “I don’t know whether the bird you are holding is dead or alive, but what I do know is that it is in your hands. It is in your hands.”
अन्तः में वो बोलती है धीमे पर कड़क के ‘मुझे नहीं पता कि ये पक्षी जीवित है या मृत्य पर ये तुम्हारे हाथ में है।’
For parading their power and her helplessness, the young visitors are reprimanded, told they are responsible not only for the act of mockery but also for the small bundle of life sacrificed to achieve its aims. The blind woman shifts attention away from assertions of power to the instrument through which that power is exercised.
अपनी शक्ति और उसकी निस्सहायता दिखाने पर उन युवक मुलाकातियों को फटकारा जाता है, कहा कि वे लोग न केवल उपहास की क्रिया के लिए उत्तरदायी है बल्कि उसका लक्ष्य प्राप्त करने हेतु जीवन का छोटा पुलिन्दा त्याग करने के लिए भी। वह अंधी औरत अपना ध्यान उनकी शक्ति के दावे से हटाकर उस सामान की ओर लगाती है जिसके जरिये उस शक्ति का उपयोग हुआ है।
Speculation on what (other than its own frail body) that bird in the hand might signify has always been attractive to me, but especially so now, thinking as I have been about work I do that has brought me to this company. So, I choose to read the bird as “language” and the woman as a “practiced writer”.
उस हाथ में उस चिड़िया से जो संकेत मिलता है इस बात की अटकल मेरे लिए हमेशा आकर्षण रहा है, किन्तु खासकर वैसा ही अब जैसा मैं काम करने के बारे में सोच रहा हूँ जिसने मुझे इस संगत में लाया है। इसलिए मैंने उस चिड़िया को भाषा के रुप में समझा और उस औरत को “अभ्यस्त लेखक” के रुप में।
“Once upon a time. . .” Visitors ask an old woman a question. Who are they, these children? What did they make of that encounter? What did they hear in those final words: “The bird is in your hands?” A sentence that gestures towards possibility, or one that drops a latch? Perhaps what the children heard was, “It is not my problem. I am old, female, black, blind. What wisdom I have now is in knowing I cannot help you. The future of language is yours.”
‘एक समय की बात है…. उनसे मिलने आए लोग एक सवाल पूछते हैं। वो कौन है, ये बच्चे? उस भिड़ंत का क्या हुआ? उन्होंने अन्तिम शब्दों में क्या सुना? पक्षी आपके हाथों में है?’ ये वाक्य एक सम्भावना के तरफ ले जाता है। शायद बच्चों ने सुना ‘मैं एक बुढी, अन्धी महिला हूँ। मैं अब आप लोगों को नहीं समझाती। भाषा का भविष्य अब आपका है।
They stand there. Suppose nothing was in their hands. Suppose the visit was only a ruse, a trick to get to be spoken to, taken seriously as they have not been before. A chance to interrupt, to violate the adult world, its miasma of discourse about them.
वे वहां खड़े हैं। मान लो उसके हाथ में कुछ नहीं है। मानो वह मुलाकात मात्र एक चतुर योजना थी, एक चाल विचार-विमर्श करने को, | जैसा उन्होंने पहले गंभीर रुप से नहीं किया। व्यस्कों की दुनिया का अतिक्रमण करने के लिए उनके बारे में इनके संवाद का सड़ांफ में हस्तक्षेप करने का एक मौका।
“You, old woman, blessed with blindness, can speak the language that tells us what only language can: how to see without pictures. Language alone protects us from the scariness of things with no names. Language alone is meditation.
“तुम, बुढ़ी और अंधी औरत, तुम वही कहती हो जो भाषा कह सकता है, बिना तस्वीर के क्या होगा। माप जो बेनाम है। भाषा खुद ध्यान लगाना है।
“Tell us what it is to be a woman so that we may know what it is to be a man. What moves at the margin. What it is to have no home in this place. To be set adrift from the one you knew. What it is to live at the edge of towns that cannot bear your company.
हमें बताओ कि औरत होना क्या होता है ताकि हम जान सकें कि आदमी होना क्या है। क्या चीज कगार पर ही का है। अपनो से दूर होना कैसा है। शहर के कगार पर रहना जो आपको खुद से नहीं जोड़ पा रहे हो।
“Tell us about ships turned away from shorelines at Easter, placenta in a field. Tell us about a wagonload of slaves, how they sang so softly their breath was indistinguishable from the falling snow. How they knew from the hunch of the nearest shoulder that the next stop would be their last.
“हमें उन नावों के बारे में बताइए जिन्हें इस्टर से मुड़ा दिया गया। उनके बारे में बताओ जो गुलाम थे और उनका सांस बर्फ गिरने के जैसा आवाज दे रहा था। कैसे वो जानते थे कि अगला बिन्दु उनका आखिरी बिन्दु होगा।
“The inn door opens: a girl and a boy step away from its light. They climb into the wagon bed. The boy will have a gun in three years, but now he carries a lamp and a jug of warm cider. They pass it from mouth to mouth.
‘सराय का दरवाजा खुलता है और एक लड़का-लड़की बाहर आते हैं। वो गाड़ी में बैठते हैं। लड़के के पास तीन साल बाद बन्दुक आई है और एक लैम्प और गरम जग है जो वो आपस में बाँट रहे हैं।’
“The girl offers bread, pieces of meat and something more: a glance into the eyes of the one she serves. One helping for each man, two for each woman. And a look. They look back. The next stop will be their last. But not this one. This one is warmed.”
‘वो लड़की रोटी, मीट का एक टुकड़ा और बहुत कुछ देती है, एक झलक उसके आँखों में जिसके लिए वो काम करती है। हर एक के लिए एक सेवक है अगला बिन्दु उनका होगा पर ये नहीं।’
It’s quiet again when the children finish speaking, until the woman breaks into the silence.
फिर से शान्ति हो जाती है जब बच्चे चुप हो जाते हैं और वो महिला वहाँ आती है।
“Finally,” she says. “I trust you now. I trust you with the bird that is not in your hands because you have truly caught it. Look. How lovely it is, this thing we have done – together.” (adapted and edited)
वो अन्त में कहती है, “मैं तुम पर विश्वास करती हूँ। मैं तुम पे चिड़िया सहित विश्वास करती हूँ। जो तुम्हारे हाथों में नहीं है, क्योंकि तुमने सत्य ही उसे पकड़ा है। देखो कितना प्यारा है यह, हमलोगों ने यह काम किया है-साथ-साथ।”
इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 अंग्रेजी के पाठ पाँच ‘Acceptance Speech (स्वीकरण भाषण)’ के प्रत्येक पंक्ति के व्याख्या को पढ़ेंगे। जिसके लेखक महादेवी वर्मा हैं।
Class 9 English Chapter 5 Acceptance Speech
ACCEPTANCE SPEECH
Aung San Suu Kyi
Aung San Suu Kyi, born on 19 June 1945 in Rangoon, is a pro-democracy activist and leader of the National League for Democracy in Burma. She won the Rafto Prize and the Sakharov Prize for Freedom of Thought in 1990 and the Nobel Peace Prize in 1991. The Acceptance Speech, given here was delivered on behalf of Aung San Suu Kyi by her son Alexander Aris, on the occasion of the award of the Nobel Peace Prize in Oslo, December 10, 1991.
अर्थ- आंग सान सू की जन्म 19 जून, 1945 को रंगून में हुआ था, जो लोकतंत्र समर्थक, प्रतिक्रियावादी तथा बर्मा के नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी के नेत्री (Leader) थी। उसने 1990 में फ्रीडम ऑफ थॉट के लिए रैफ्टो पुरस्कार और सखरोव पुरस्कार तथा 1991 में नोबेल शान्ति पुरस्कार प्राप्त किया। प्रस्तुत पाठ ऐसेप्टेन्स स्पीट ओसलो में 10 दिसम्बर 1991 में नोबेल शांति पुरस्कार के अवसर पर उसके पुत्र अलेक्जेण्डर एरिस द्वारा ‘आंग सान सू की’ की ओर से दिया गया भाषण था।
5. ACCEPTANCE SPEECH
Your Majesties, Your Excellencies, Ladies and Gentlemen,
महामहिम, महामान्य महिलाएँ और भद्र पुरुष,
I stand before you here today to accept on behalf of my mother, Aung San Suu Kyi, this greatest of prizes, the Nobel Prize for Peace. Because circumstances do not permit my mother to be here in person, I will do my best to convey the sentiments I believe she would express.
मैं आज आप सब के सामने खड़ा हूँ ताकि मैं अपनी माँ आंग सान सु की, के बदले नोबल शान्ति पुरस्कार ले सकूँ। परिस्थितियों के वजह से मेरी माँ यहाँ उपस्थित नहीं हो सकती है, इसलिए मैं उनकी भावनाओं को पूर्णतः व्यक्त करने की कोशिश करूंगा।
Firstly, I know that she would begin by saying that she accepts the Nobel Prize for Peace not in her own name but in the name of all the people of Burma. She would say that this prize belongs not to her but to all those men, women and children who, even as I speak, continue to sacrifice their well being, their freedom and their lives in pursuit of a democratic Burma. Theirs is the prize and theirs will be the eventual victory in Burma’s long struggle for peace, freedom and democracy.
सबसे पहले, वो कहेंगी कि वो ये पुरस्कार सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि पूरे बर्मा के लोगों के लिए है। वो कहेंगी कि ये सिर्फ उनकी नहीं है पर उन सभी महिलाओं, पुरुषों और बच्चों का है जो, जैसा मैं कहती हूँ, अपना हित, अपनी स्वतंत्रता और अपनी जान लोकतांत्रिक बर्मा के प्रयत्न में अर्पित करते रहे । शांति, स्वतंत्रता और लोकतंत्र के लिए बर्मा के लम्बे संघर्ष में उनकी ही अंतिम विजय होगी और उनका ही पुरस्कार होगा।
Speaking as her son, however, I would add that I personally believe that by her own dedication and personal sacrifice she has come to be a worthy symbol through whom the plight of all the people of Burma may be recognised. And no one must underestimate that plight. The plight of those in the countryside and towns, living in poverty and destitution, those in prison, battered and tortured; the plight of the young people, the hope of Burma, dying of malaria in the jungles to which they have fled; that of the Buddhist monks, beaten and dishonoured. Nor should we forget the many senior and highly respected leaders besides my mother who are all incarcerated. It is on their behalf that I thank you, from my heart, for this supreme honour. The Burmese people can today hold their heads a little higher in the knowledge that in this far distant land their suffering has been heard and heeded.
उनका बेटा होने के नाते मैं बताऊंगा कि वो अपने समर्पण और त्याग के कारण एक ऐसा बहमुल्य प्रतीक बन पाई जिससे बर्मा के लोगों के हाल को देखा जा सके और किसी के भी ये हाल कम नहीं आंकना चाहिए। हाल उनके जो देहात या शहर में रहते हैं, जो गरीबों और जरूरत में हैं, जो जेल में हैं, जो कष्ट झेल रहे हैं, नवयुवकों का हाल, बर्मा का आशा, मलेरिया होना उस जंगल में जहाँ से भागे है, बौध पंडीतों का मार खाना और बेइज्जती होना, ये इन सबका है। हमें उन वरिष्ठ नेता, मेरी माँ को लेकर भी नहीं भूलना चाहिए जो जेल में हैं। इन सबके बदले मैं आपको दिल से धन्यवाद देता हूँ कि आपने उन्हें इतना इज्जत दिया। आज बर्मा के लोग भी अपना सर थोड़ा ऊँचा कर सकते हैं क्योंकि यहाँ उनकी भी परेशानियों को सुना गया है।
We must also remember that the lonely struggle taking place in a heavily guarded compound in Rangoon is part of the much larger struggle, worldwide, for the emancipation of the human spirit from political tyranny and psychological subjection. The Prize, I feel sure, is also intended to honour all those engaged in this struggle wherever they may be. It is not without reason that today’s events in Oslo fall on the International Human Rights Day, celebrated throughout the world.
हमें यह भी याद रखना चाहिए कि वो अकेला संघर्ष जो रंगुन के बंधे घेरे में चल रहा है वो इस बड़े संघर्ष का एक हिस्सा है। ये संघर्ष मानवता के सुधार, राजनैतिक शैतानी और मनोवैज्ञानिक बंधन के विरूद्ध है। ये पुरस्कार सभी लोग, वो जहाँ भी हैं, के लिए है। आज का ये उत्सव जो ओस्ले में मनाया जा रहा है ये उस दिन मनाया जा रहा है जब इन्टरनेशनल ह्युमन राइट्स डे हैं।
Mr. Chairman, the whole international community has applauded the choice of your committee. Just a few days ago, the United Nations passed a unanimous and historic resolution welcoming Secretary-General Javier Perez de Cuellar’s statement on the significance of this award and endorsing his repeated appeals for my mother’s early release from detention.
चेयरमैन साहब, आपके इस पसन्द को दुनिया ने सराहा है। कुछ दिन पहले युनाइटेड नेशन्स ने एक बिना विवाद के ऐतिहासिक फैसला लिया और सेक्रेटरी जेनेरल जीवएर परवेज डी सुवेलर के प्रस्ताव जो इस पुरस्कार और मेरी माँ को जल्दी छोड़ने के लिए था, को स्वागत किया।
Let it never be said by future generations that indifference, cynicism or selfishness made us fail to live up to the ideals of humanism which the Nobel Peace Prize encapsulates.
हमें ऐसा करना चाहिए कि हमारे आने वाले बच्चे ऐसा ना कहें कि स्वार्थ के वजह से वो मानवता के सिद्धान्तों पर नहीं चल सके जो नोबल पीस पुरस्कार में संक्षिप्त रूप में शामिल है।
Let the strivings of us all, prove Martin Luther King Jr. to have been correct, when he said that humanity can no longer be tragically bound to the starless midnight of racism and war.
चलो हमारा प्रयत्न मार्टीन लुथर कींग जु० को सही साबित करे, जब उन्होंने कहा कि अब मानवता को जातिवाद, नक्शलवाद और युद्ध में बांधा नहीं जा सकता है।