Bihar Board Class 8 Social Science हमारे इतिहासकार कालीकिंकर दत्त (1905-1982) (Hamare Itihaskar Kaliking Dant Class 8th History Solutions)
14. हमारे इतिहासकार कालीकिंकर दत्त (1905-1982)
डॉ कालीकिंकर दत्त का जन्म पाकुर जिला के झिकरहारी गाँव में 1905 में हुआ था। 1927 ई० में इन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से एम० ए० की
परीक्षा पास की। 1930 में ये पटना कॉलेज इतिहास विभाग में व्याख्याता भी नियुक्त हुए। ‘अलीवर्दी अण्ड हिज टाइम्स’ नामक शोध-प्रबंध पर इन्हें कलकत्ता विश्वविद्यालय से पी० एच डी० की उपाधि मिली।
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1958 में इन्हें पटना कॉलेज का प्राचार्य बनाया गया। 14 मार्च, 1965 को ये पटना विश्वविद्यालय के उपकुलपति बने । दो पूर्ण कालावधि पूरा करनेके बाद 1971 में ये सेवानिवृत्त हुए। डॉ. दत्त शोध एवं सर्वेक्षण कार्य से – संबंधित अन्य संस्थाओं से भी जुड़े रहे।
उन्होंने पचास से भी अधिक पुस्तकों का लेखन एवं संपादन कार्य किया। इनके द्वारा लिखित महत्त्वपूर्ण पुस्तकों में हिस्ट्री ऑफ फ्रीडम मूवमेंट इन बिहार, तीन भागों में (1956-58) पटना से प्रकाशित हुई। यह पुस्तक आजादी की लड़ाई का मुख्य स्रोत तो बनी ही, 1857 की क्रांति की शताब्दी ग्रंथ भी बन गयी । इस पुस्तक के महत्त्व को देखते हुए बिहार हिन्दी ग्रंथ अकादमी ने बिहार में स्वातंत्र्य आंदोलन का इतिहास नाम से हिन्दी में अनुवाद कराया।
इसके अतिरिक्त इन्होंने गांधीजी इन बिहार (पटना 1969), बायोग्राफी ऑफ कुंवर सिंह एण्ड अमर सिंह, राजेन्द्र प्रसाद (नई दिल्ली, 1970) के साथ-साथ रिफ्लेक्शन ऑन द म्यूटिनी (कलकत्ता, 1966) की भी रचना की।
इन्होंने इतिहास की लगभग पचासों पुस्तकों का लेखन एवं संपादन । किया। जिसमें उनकी सबसे महत्त्वपूर्ण कृति कम्प्रीहेन्सिव हिस्ट्री ऑफ बिहार .. खण्ड-III है। वर्द्धमान विश्वविद्यालय ने इन्हें डी. लिट की उपाधि भी प्रदान की। अध्ययन-अध्यापन, शोध और लेखन के उच्च मानदण्ड का निर्वाह करते हुए डॉ. दत्त 24 मार्च, 1982 को परलोकवासी हो गए।
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Bihar Board Class 8 Social Science स्वतंत्रता के बाद विभाजित भारत का जन्म (Swatantrata Ke Bad Vibhajit Bharat Ka Janam Class 8th History Solutions)
13. स्वतंत्रता के बाद विभाजित भारत का जन्म
अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर आइए फिर से याद करें : प्रश्न 1. सही विकल्पों को चुनें
(i) “वर्षों पहले हमने भविष्य की प्रतिज्ञा दी थी” किसके भाषण का अंश है ? (क) महात्मा गाँधी (ख) जवाहरलाल नेहरू (ग) राजेन्द्र प्रसाद (घ) बल्लभ भाई पटेल
(ii) आजादी के समय भारत के पास कौन-सी समस्या नहीं थी ? (क) देशी रियासतों के विलय (ख) शरणार्थी की समस्या (ग) पुनर्वास की समस्या (घ) नेतृत्व की समस्या
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(iii) इनमें से कौन सही नहीं है ? (क) आजादी के समय देश की आबादी लगभग 34.5 करोड़ थी । (ख) भारत खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर था । (ग) 90 प्रतिशत जनता कृषि पर निर्भर थी । (घ) भारत में उद्योग की कमी थी ।
(iv) विभाजन के समय सबसे बड़ी समस्या क्या थी ? (क) धार्मिक उन्माद (ख) गरीबी (ग) जातिवाद (घ) बिजली
(v) भाषा के आधार पर सबसे पहले किस राज्य का गठन हुआ ? (क) उत्तर प्रदेश (ख) हिमाचल प्रदेश (ग) आंध्र प्रदेश (घ) तमिलनाडु
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(vi) “अगर हिन्दी उनपर थोपी गई तो बहुत सारे लोग भारत से अलग हो जाएँगे” किसने कहा ? (क) राजगोपालाचारी (ख) सरदार पटेल (ग) राधाकृष्णन (घ) कृष्णामाचारी
(vii) ‘संपूर्ण क्रांति’ का नारा किसने दिया ? (क) जयप्रकाश नारायण (ख) विनोबा भावे (ग) महात्मा गाँधी (घ) अन्ना हजारे
(viii) भाषायी आधार पर राज्यों के पुनर्गठन का विरोध किसने किया ? (क) जवाहरलाल नेहरू (ग) उपरोक्त दोनों (ख) वल्लभ भाई पटेल (घ) किसी ने नहीं
(ix) पोखरण – 1 का परीक्षण किसके प्रधानमंत्रित्व काल में हुआ ? (क) जवाहरलाल नेहरू (ख) इंदिरा गाँधी (ग) मोरारजी देसाई (घ) अटल बिहारी वाजपेयी
(x) संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में किसने हस्ताक्षर किया ? . (क) जवाहरलाल नेहरू (ख) राजेन्द्र प्रसाद (ग) महात्मा गाँधी (घ) वल्लभ भाई पटेल
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आइए विचार करें :
प्रश्न (i) आजादी के समय भारतीय कृषि किस पर निर्भर थी ? उत्तर- आजादी के समय भारतीय कृषि मानसून पर निर्भर थी ।
प्रश्न (ii) आज़ादी के समय सबसे बड़ी समस्या क्या थी ? उत्तर — आजादी के समय सबसे बड़ी समस्या थी कि लगभग एक करोड़ शरणार्थी पाकिस्तान से भाग कर भारत आए थे, उनको बसाना तथा उनके लिए रोजी-रोजगार की व्यवस्था करना ।
प्रश्न (iii) हिन्दी भाषा का विरोध किसने किया ? उत्तर – हिन्दी भाषा का विरोध अहिन्दीभाषी नेताओं ने किया । दक्षिण भारतीयों का नेतृत्व टी. वी. कृष्णमाचारी कर रहे थे । उनकी ओर से बोलते हुए उन्होंने कहा कि उनपर हिन्दी थोपी गई तो बहुत सारे लोग भारत से अलग हो जाएँगे ।
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प्रश्न (iv) भाषायी आधार पर बनने वाले पाँच राज्यों के नाम बताएँ । उत्तर – भाषायी आधार पर बनने वाले पाँच राज्यों के नाम निम्नलिखित हैं : (क) आंध्र प्रदेश, (ख) तमिलनाडु, (ग) केरल, (घ) कर्नाटक, (ङ) महाराष्ट्र, (च) गुजरात । (किन्हीं पाँच को ही लिखें ।)
प्रश्न (v) योजना आयोग का गठन कब किया गया ? उत्तर— योजना आयोग का गठन 1950 में किया गया ।
■ आइए करके देखें : (i) हमारे संविधान में देश की एकता एवं अखण्डता का भरपूर ख्याल रखा गया है । इस विषय पर वर्ग में सहपाठियों के साथ चर्चा करें । (ii) आज हमारे देश की स्थिति क्या है ? हम कहाँ तक सफल रहे हैं ? इस संबंध में अपने विचार से सहपाठियों को अवगत कराएँ । संकेत : ये परियोजना कार्य हैं। छात्र स्वयं करें ।
कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. योजना आयोग की क्या भूमिका थी? उत्तर—योजना अयोग की भूमिका यह थी कि वह ऐसी योजना बनाए जिससे देश का चहुमुखी विकास हो सके । कृषि में भी और उद्योग में भी ।
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प्रश्न 2. सही या गलत बताएँ : (क) आजादी के समय ज्यादातर भारतीय गाँव में रहते थे । सही है। (ख) संविधान सभा कांग्रेस पार्टी के सदस्यों से मिलकर बनी थी । उत्तर— गलत है ! सही यह है कि संविधान सभा सम्पूर्ण भारत की सभी पार्टियों के सदस्यों से मिलकर बनी थी ।
(ग) पहले राष्ट्रीय चुनावों में केवल पुरुषों को ही वोट डालने का अधिकार दिया गया था । उत्तर- गलत है। सही यह है कि राष्ट्रीय चुनाव में स्त्री-पुरुष दोनों को वोट डालने का अधिकार दिया गया था ।
(घ) दूसरी पंचवर्षीय योजना में भारी उद्योगों के विकास पर जोर दिया गया था। – सही है।
प्रश्न 3. ”राजनीति में हमारे पास समानता होगी और सामाजिक व आर्थिक जीवन में हम असमानता की राह पर चलेंगे” कहने के पीछे डॉ. अंबेडकर का क्या आशय था ? उत्तर—‘राजनीति में हमारे पास समानता होगी’ से अम्बेडकर का आशय यह है। कि देश में सभी के लिए एक व्यक्ति एक वोट का सिद्धांत लागू किया जा रहा है। ‘सामाजिक व आर्थिक जीवन में हम समानता की राह पर चलेंगे’ कहने से उनका यह मतलब था कि छुआछूत का भेदभाव शीघ्र दूर होना चाहिए और हमें आदिवासियों और दलितों की आर्थिक उन्नति का भी उपाय करना चाहिए। यह करने पर ही सही रूप से देश में ‘समानता’ आ सकती है।
प्रश्न 4. स्वतंत्रता के बाद देश को भाषा के आधार पर राज्यों को बाँटने के प्रति हिचकिचाहट क्यों थी ? उत्तर- अभी-अभी देश को धर्म के आधार पर बाँटने का दुष्कर्म हो चुका था । इस बात को मनवाने के लिए 10 लाख से अधिक लोग मारे जा चुके थे । यद्यपि कांग्रेस ने पहले यह वादा कर रखा था कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भाषाई राज्यों का गठन किया जाएगा, किन्तु धार्मिक आधार पर देश के बँटने के बाद अब फिर किसी आधार पर देश को बाँटने में हिचकिचाहट हो रही थी। लेकिन जब आन्दोलनों ने जोर पकड़ा तो भाषाई राज्यों का गठन करना ही पड़ा ।
प्रश्न 5. एक कारण बताइए कि आजादी के बाद भी भारत में अंग्रेजी क्यों जारी रही । उत्तर – चूँकि अहिन्दी भाषी राज्य केवल हिन्दी को लादने का विरोध करने लगे । उनका कहना था कि यदि अंग्रेजी को समाप्त कर दिया गया तो उन्हें अन्य राज्यों से सम्पर्क करना कठिन हो जाएगा। दक्षिण भारतीय लोगों ने तो भारत से अलग तक हो जाने की धमकी दे दी। इसी कारण अंग्रेजी जारी रही ।
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Bihar Board Class 8 Social Science राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885 -1947 (Rashtriya Andolan Class 8th History Solutions)
12. राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885 -1947
अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर
आइए फिर से याद करें : प्रश्न 1. सही विकल्प को चुनें :
(i) कांग्रेस की स्थापना में किन तत्वों ने महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभायी ? (क) शुरुआती राजनीतिक संगठनों ने (ख) एक राष्ट्रीय संस्था की गठन की जरूरत ने (ग) अंग्रेजों की शोषणकारी नीति ने (घ) अंग्रेजों का स्वच्छ प्रशासन ने
(ii) राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ (क) प्रशासनिक एवं न्यायिक एकरूपता के कारण (ख) संचार साधनों के विकास के कारण (ग) उपरोक्त दोनों के कारण (घ) इनमें से किसी के कारण नहीं.
(iii) आई. सी. एस. की परीक्षा में शामिल होने के लिए उम्र अवधि 21 वर्ष से घटकार कितनी की गयी ? (क) 18 वर्ष (ख) 19 वर्ष (ग) 20 वर्ष (घ) नहीं घटाई गई
(iv) समाचार पत्रों ने किन-किन विचारों को लोकप्रिय बनाया ? (क) प्रतिनिधियात्मक व्यवस्था (ख) स्वतंत्रता एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था (ग) सिर्फ क को (घ) क एवं ख दोनों को
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(v) वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट के माध्यम से क्या किया गया ? (क) अंग्रेजी समाचार पत्रों पर प्रतिबंध लगाया गया । (ख) भारतीय भाषा के समाचार पत्रों पर प्रतिबंध लगाया गया । (ग) शोषण की खुली छूट दी गई। (घ) क और ख दोनों पर प्रतिबंध लगाया गया ।
(vi) बंग-भंग के बाद पूरे बंगाल में क्या हुआ ? (क) शोक दिवस मनाया गया । (ख) लोगों ने उपवास रखा । (ग) विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया। (घ) उपरोक्त सभी ।
(vii) महात्मा गाँधी ने भारत में सत्याग्रह का प्रथम प्रयोग कहाँ किया ? (क) अहमदाबाद (ख) चंपारण (ग) खेडा (घ) दिल्ली
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(viii) रॉलेट एक्ट के विरोध में सभा कहाँ हो रही थी ? (क) जालियाँवाला बाग में (ख) गाँधी मैदान में (ग) रामलीला मैदान में (घ) प्रगति मैदान में
(ix) कैसरे हिन्द की उपाधि को किसने त्याग दिया ? (क) रवीन्द्रनाथ टैगोर ने (ख) गाँधी मैदान में (ग) जवाहरलाल नेहरू ने (घ) सी. आर. दास ने
(x) ‘करो या मरो’ का नारा गाँधीजी ने दिया । (क) असहयोग आंदोलन के दौरान (ख) चंपारण में दौरान (ग) भारत छोड़ो आंदोलन के (घ) सविनय अवज्ञा आंदोलन में
प्रश्न 1. कैबिनेट मिशन ने क्या सुझाव दिया ? उत्तर — कैबिनेट मिशन ने सुझाव दिया कि मुस्लिम बहुल क्षेत्र को कुछ स्वायत्तता देते हुए एक ढीले-ढाले महासंघ के रूप अविभाजित भारत के रूप में भारत को स्वतंत्र कर दिया जाय । यह सुझाव न तो कांग्रेस को मंजूर था और न ही मुस्लिम लीग को ही । इस प्रकार कैबिनेट मिशन टॉय-टॉय फिस हो गया ।
प्रश्न (ii) प्रत्यक्ष कार्रवाई दिवस क्यों मनाया गया ? उत्तर — प्रत्यक्ष कार्रवाई दिवस 16 अगस्त 1946 को पाकिस्तान की मांग के समर्थन पर जोर देने के लिए मुस्लिम लीग द्वारा मनाया गया। लेकिन कार्यक्रम हिंसक हो गया । कलकत्ते में हिन्दू-मुस्लिम दंगा फैल गया। दोनों ओर के लाखों लोग मारे गये । बहुत लोग घायल भी हुए । दंगा न केवल कलकत्ता में, बल्कि देश के अनेक क्षेत्रा में भी फैल गया । बहुतों को शरणार्थी बनना पड़ा ।
प्रश्न (iii) भारत में राष्ट्रीय उत्थान में किन-किन तत्वों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ? उत्तर—भारत में राष्ट्रीय उत्थान में निम्नलिखित तत्वों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई : (i) देश के प्रति एक सोच विकसित हुई कि भारत में बसने वाले सभी वर्ग, धर्म, रंग, जाति, भाषा एवं लिंग समूह के लोग भारतीय हैं । (ii) दूसरी बात यह समझी गई कि जबतक इस देश से अंग्रेज चले नहीं जाते तब तक भारत भारतीयों का नहीं हो सकता । (iii) इन बातों की सोच के उभरने से भारतीयों में राष्ट्रीयता की भावना जगी । (iv) अंग्रेजी भाषा के विकास से पूरे देश के लोग परस्पर विचारों का आदान प्रदान करने लगे ।. (v) सम्पूर्ण भारत में सड़क, रेल, डाक, तार, टेलीफोन की व्यवस्था ने भी राष्ट्रीयता के उत्थान में मदद की । (vi) भारतीय समाचार पत्रों ने भी भारतीयों में ‘राष्ट्रवाद’ भरने का काम किया।
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प्रश्न (iv) कांग्रेस के गठन ने राष्ट्रीयता में विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कैसे ? उत्तर—कांग्रेस के गठन में भारत के कोने-कोने के लोगों ने सहयोग किया। कांग्रेस अधिवेशन प्रति वर्ष देश के अलग-अलग प्रांतों और अलग-अलग स्थानों पर होता था । इससे देश के सभी प्रांतों के लोग, चाहे उनकी भाषा कोई हो, चाहे वे किसी धर्म के हों, अपने को एक देश का नागरिक मानने लगे । तिलक महाराष्ट्रीय नहीं थे, पाल बंगाली नहीं थे और लालाजी पंजाबी नहीं थे, बल्कि सभी भारतीय थे । कांग्रेस ने पूरे देश को एकता के सूत्र में बाँध दिया। इस प्रकार स्पष्टतः कांग्रेस के गठन ने राष्ट्रीयता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।
प्रश्न (v) बंग-भंग ने पूरे भारत को आन्दोलित कर दिया । कैसे ? उत्तर-1905 में बंगाल का बंटवारा (जिसे बंग-भंग कहा गया है) लार्ड कर्जन ने की थी। उसका कहना था कि प्रांत बड़ा है, अतः शासन की सुविधा को लिये बंटवारा किया जा रहा है। लेकिन वास्तविकता थी कि बंटवारा धर्म के आधार पर हुआ था. । पूर्वी बंगाल में मुसलमानों की संख्या अधिक थी अतः वह हिन्दू-मुसलमानों में भेद उत्पन्न करना चाहता था। देश के लोगों ने इसे पसंद नहीं किया । इसी कारण बंग-भंग ने पूरे भारत को आंदोलित कर दिया ।
आइए करके देखें : (i) चम्पारण से ही गाँधीजी ने अपनी राजनीतिक यात्रा क्यों शूरू की? वर्ग में सहपाठियों से परिचर्चा करें । (ii) स्वतंत्रता हमारे लिये खुशी और पीड़ा दोनों लेकर आया, इस विषय पर विद्यालय में स्वतंत्रता दिवस समारोह के अवसर पर वाद-विवाद आयोजित करें ।
कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. पहले विश्व युद्ध से भारत पर कौन से आर्थिक असर पड़े ? उत्तर—पहले विश्व युद्ध ( 1914-18) की वजह से भारतीयों पर बेवजह आर्थिक भार बढ़ गया। रक्षा व्यय में वृद्धि हुई । इसकी भरपाई के लिए अंग्रेजों ने भारतीयों पर आयकर लगा दिया। जरूरी चीजों के मूल्य में तो काफी वृद्धि हुई, लेकिन आय में कोई वृद्धि नहीं हुई। आम लोगों का जीवन-यापन कठिन होने लगा। दूसरी ओर मुट्ठी औद्योगिक घराने मालामाल होने लगे
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प्रश्न 2. 1940 के मुसलिम लीग के प्रस्ताव में क्या माँग की गई थी ? उत्तर – 1940 में मुसलिम लीग ने पश्चिमोत्तर तथा पूर्वी क्षेत्र के मुसलमानों के लिए ‘स्वतंत्र राज्यों’ की माँग की गई थी। वे अलग देश नहीं, बल्कि मुसलमानों के लिए स्वायत्तता की माँग कर रहे थे ।
प्रश्न 3. मध्यमार्गी कौन थे? वे ब्रिटिश शासन के खिलाफ किस तरह का संघर्ष करना चाहते थे ? उत्तर – 1885 से 1905 के बीच कांग्रेस को चलाने वाले नेताओं को ‘मध्यमार्गी’ कहा जाता था। इनकी माँग स्वतंत्रता नहीं थी, बल्कि परिषदों में भारतीयों को अधिक-से-अधिक सीटों की माँग थी। ये यह भी चाहते थे कि जिन प्रांतों में परिषदें नहीं हैं, वहाँ स्थापित की जाएँ। इनके संघर्ष का तरीका अनुनय-विनय पर आधारित प्रार्थना पत्र देना भर था ।
प्रश्न 4. कांग्रेस में आमूल परिवर्तनवाद की राजनीति मध्यमार्गी राजनीति से किस तरह भिन्न थी ? उत्तर- कांग्रेस में आमूल परिवर्तनवादी राजनीति मध्यमार्गी राजनीति से इस प्रकार अलग थी कि आमूल परिवर्तनवादी मध्यमार्गियों की तरह अनुयय-विनय पर विश्वास नहीं रखते थे । उनका कहना था कि अंग्रेजों के नेकनियती पर हमें विश्वास नहीं कर अपनी ताकत पर विश्वास करना चाहिए। वे केवल परिषदों में स्थान माँगने की जगह पूर्ण स्वराज की माँग करने लगे। ऐसे नेताओं में विपिनचन्द्र पाल, बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय प्रमुख थे । इन्हें लाल, बाल, पाल के नाम से संबोधित किया जाता था । तिलक ने तो यहाँ तक कह दिया कि ‘स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और इसे मैं लेकर रहूँगा ।’
प्रश्न 5. गाँधीजी ने नमक कानून तोड़ने का फैसला क्यों लिया? उत्तर — गाँधीजी अपने आन्दोलन में अधिक-से-अधिक लोगों को शामिल करना चाहते थे। नमक एक ऐसी चीज थी, जो अमीर-गरीब सबों की आवश्यकता में शामिल थी । सरकार नमक बनाने वालों और बेचने वालों, दोनों से कर वसूलती थी । गाँधीजी ने इसका विरोध किया। 1930 में उन्होंने नमक कानून तोड़ने का एलान कर दिया। गाँधीजी अपने अनुआइयों के साथ साबरमती आश्रम से 240 किलोमीटर दूर पैदल चलकर समुद्र तट पर दांडी पहुँचे और वहाँ नमक उठाकर कानून तोड़ा। उनकी यात्रा की राह में भी लोग शामिल होते गए । अतः एक बड़ा हुजूम दांडी पहुँचा। इससे काफी प्रचार हो गया । गाँधीजी के गिरफ्तार होते ही देश भर में गाँव-गाँव के लोग नमकीन मिट्टी से नमक बनाने लगे और अपनी गिरफ्तारियाँ देने लगे। महिलाओं ने भी बड़ी संख्या में गिरफ्तारी दी। इस प्रकार हम देखते हैं कि देश भर के लोगों को कांग्रेस में शामिल करने की गरज से गाँधीजी ने नमक कानून तोड़ने का फैसला लिया।
Bihar Board Class 8 Social Science काला के क्षेत्र में परिवर्तन (Kala Ke Kshetra Me Parivartan Class 8th History Solutions
11. काला के क्षेत्र में परिवर्तन
अध्याय में अंतर्निहित प्रश्न और उनके उत्तर
प्रश्न 1. उत्कीर्ण चित्र तथा अलबम में क्या अंतर है ? (पृष्ठ 167) उत्तर— लकड़ी या धातु के छापे से कागज पर बनाये गये चित्र को उत्कीर्ण चित्र कहते हैं, वहीं चित्र रखने के किताब को अलबम कहते हैं
प्रश्न 2. रूपचित्र से आप क्या समझते हैं ? (पृष्ठ 168) उत्तर – किसी व्यक्ति का आदमकद चित्र, जिसमें उसके चेहरे एवं हाव-भाव पर विशेष जोर दिया गया हो, रूपचित्र कहते हैं ।
प्रश्न 3. किरमिच क्या है ? उत्तर—गाढ़ा और मोटा कपड़ा, जिस पर चित्र बनाया जाता है, किरमिच कहते हैं।
प्रश्न 4. भित्ति चित्र किसे कहते हैं? (पृष्ठ 168) उत्तर— भित्ति अर्थात दीवार पर बने चित्र को भित्ति चित्र कहते हैं ।
प्रश्न 5. आर्थिक राष्ट्रवाद क्या है ? (पृष्ठ 1(2) उत्तर—अंग्रेजी शासन की जो आर्थिक आलोचना करके भारतीय राष्ट्रवाद की आर्थिक बुनियाद तैयार किया गया, उसे आर्थिक राष्ट्रवाद कहा गया।
प्रश्न 6. साहित्यिक देशभक्ति से आप क्या समझते हैं? (पृष्ठ 179) उत्तर- देशभक्ति पूर्ण जिन विचारों को अभिव्यक्त किया गया, उस साहित्यिक प्रयास को ‘साहित्यिक देशभक्ति’ कहा गया। देशभक्ति पूर्ण साहित्य की रचना करने वालों पहला व्यक्ति भारतेन्दु हरिश्चन्द्र थे । उन्होंने लिखा : “चूरन साहेब लोग जो खाते, सारा देश हजम कर जाते । “
अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर
आइए याद करें : प्रश्न 1. सही या गलत बताएँ : (i) साहित्य में पराधीनता का बोध एवं स्वतंत्रता की जरूरतों को स्पष्ट अभिव्यक्ति मिलने लगी थी । (ii) प्रेमचंद ने ‘आनंदमठ’ की रचना की थी । (iii) रमेश चंद्र दत्त के उपन्यास में हिन्दू समर्थक प्रवृत्ति देखने को मिलती है। (iv) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने भारतीय धन के लट को नाटक के माध्यम से पर्दाफाश किया है । (v) ‘वंदे मातरम्’ गीत की रचना बंकिमचन्द्र चटर्जी ने की थी।
उत्तर — (i) सही, (ii) गलत, (iii) सही, (iv) सही, (v) सही।
प्रश्न 2. रिक्त स्थानों को भरें : (क) लकड़ी या धातु के छापे से कागज पर बनाई गई तस्वीर को ………… कहा जाता है । (ख) औपनिवेशिक काल में बनाये गये छविचत्रि ……………… होते थे । (ग) अंग्रेजों की विजय को दर्शाने के लिए …………….. की चित्रकारी की जाती थी । (घ) एशियाई कला आंदोलन को प्रोत्साहित करने वाले ………… कलाकार थे ।
उत्तर — (क) उत्कीर्ण चित्र, (ख) तैलचित्र, (ग) रूप चित्रण, (घ) राष्ट्रवादी ।
प्रश्न 3. निम्नलिखित के जोड़े बनाएँ: (क) सेन्ट्रल पोस्ट ऑफिस, कलकत्ता (i) गोथिक शैली (ख) विक्टोरिया टर्मिनस रेलवे स्टेशन, बम्बई (ii) इंडो सारासेनिक शैली (ग) मद्रास लॉ कोर्ट (iii) इंडो ग्रीक शैली
उत्तर : (क) सेन्ट्रल पोस्ट ऑफिस, कलकत्ता (iii) इंडो ग्रीक शैली (ख) विक्टोरिया टर्मिनस रेलवे स्टेशन, बम्बई (i) गोथिक शैली (ग) मद्रास लॉ कोर्ट (ii) इंडो सारासेनिक शैली
आइए विचार करें :
प्रश्न (i) मधुबनी पेंटिंग किस प्रकार की कला शैली थी। इसके अंतर्गत किन विषयों को ध्यान में रखकर चित्र बनाये जाते थे ? उत्तर – मधुबनी पेंटिंग खासतौर पर एक महिला चित्रकला शैली थी। इसके अंतर्गत शादी-विवाह, कोहबर पर्व-त्यौहार, पारिवारिक अनुष्ठान के चित्र दीवारों पर बनाये जाते थे । यह कला एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को विरासत के रूप में मिलती थी। दीवारों के अलावा फर्श पर ऐपन के रूप में चित्र उकेरे जाते थे। ऐपन में पशु-पक्षी, पेड़, फूल, फल, स्वस्तिक, दीपक आदि बनाये जाते हैं । (नोट : पाठ्यपुस्तक में ‘ऐपन’ को ‘अरिपन’ लिखा है ।)
प्रश्न (ii) ब्रिटिश चित्रकारों ने अंग्रेजों की श्रेष्ठता एवं भारतीयों की कमतर हैसियत को दिखाने के लिए किस तरह के चित्रों को दर्शाया है ? उत्तर – ब्रिटिश चित्रकारों ने अंग्रेजों की श्रेष्ठता एवं भारतीयों की कमतर हैसितय को दिखाने के लिए रूपचित्रण शैली को अपनाया। एक यूरोपीच चित्रकार योहान जोफनी एक चित्र बनाया, जिसमें भारतीय नौकरों को अपने अंग्रेज मालिकों की सेवा करते हुए दिखाया गया है । इनमें भारतीयों की हैसियत को दीन-हीन एवं कमतर दिखाने के लिए धुंधली पृष्ठभूमि का इस्तेमाल किया गया है। इसके विपरीत अंग्रेज मालिकों को श्रेष्ठ साबित करने के लिए उन्हें मूल्यवान परिधान में रोबीले और शाही अंदाज में दिखाया गया है । की प्रतीक एवं उनकी राष्ट्रवादी विचारों का प्रतिनिधित्व करती हैं।’ इस कथन
प्रश्न (iii) ‘उन्नीसवीं सदी की इमारतें अंग्रेजों की श्रेष्ठता, अधिकार, सत्ता के आधार पर स्थापत्य कला शैली की विशेषताओं का वर्णन करें। उत्तर- उन्नीसवीं सदी की इमारतें अंग्रेजों की श्रेष्ठता, अधिकार, सत्ता का प्रतीक एवं उनके राष्ट्रवादी विचारों का प्रतिनिधित्व करनेवाली तीन शैलियों में बनी इमारतें थीं। सर्वप्रथम उन्होंने ग्रीक-रोमन स्थापत्य शैली के भवन बनवाये । इस शैली में बड़े- बड़े स्तंभों के पीछे रेखागणितीय सरंचनाओं एवं गुम्बद का निर्माण कराया । इस शैली का उपयोग भारत में शाही वैभव को अभिव्यक्त करने के लिये था । दूसरी शैली गोथिक शैली थी । ऊँची छतें, नोकदार मीनारे, मेहराब, बारीक साज- सज्जा इस शैली की विशेषता थी । गोथिक (गॉथिक शैली का उपयोग सरकारी कार्यालयों. शैक्षिक संस्थानों एवं गिरजाघरों के लिये किया जाता था । उन्नीसवीं सदी के अंत और बीसवीं सदी के आरम्भ में अंग्रेजों ने एक मिश्रित स्थापत्य शैली विकसित की, जिसमें भारतीय एवं यूरोपीय शैलियों के तत्व विद्यमान थे। इस शैली को ‘इंडो-सारासेनिक शैली’ नाम दिया गया। इंडो शब्द हिन्दू का संक्षिप्त रूप था जबकि सारासेन शब्द का उपयोग यूरोप के लोग मुसलमानों को संबोधित करने के लिये करते थे। भारतीय शैली को समावेश कर अंग्रेज यह सिद्ध करना चाहते थे कि वे भारत के वैध एवं स्वाभाविक शासक हैं ।
प्रश्न (iv) साहित्यिक देशभक्ति से आप क्या समझते हैं। विचार करे ? उत्तर—साहित्यिक देशभक्ति से तात्पर्य है कि ऐसे साहित्य की रचना की जाय जिनसे राष्ट्रवादी आंदोलन को बल मिले। देश की जनता उस आंदोलन में तन-मन-धन से लग जाय । साहित्यकारों से यह आशा की जाती है कि जब भी देश के हित में राष्ट्रवादी आंदोलन चले, वे अपनी साहित्यिक रचनाओं से देशवासियों में देशभक्ति की भावना जगाएँ ।
प्रश्न (v) ‘मॉडर्न स्कूल ऑफ आर्टिस्ट्स’ से जुड़े भारतीय कलाकारों ने राष्ट्रीय कला को प्रोत्साहन करने के लिये किन विषयों को चयन किया ? चित्र 12, 13 14 के आधार पर वर्णन करें। (ये तीनों चित्र पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 175 पर हैं ) । उत्तर—उन्नीसवीं सदी के मध्य में भारत को पश्चिमी शिक्षा से लाभ दिलाने की शैक्षणिक नीति के अंतर्गत की। इन स्कूलों में कला के पाश्चात्य तरीकों का अध्ययन किया जाता था । मिस्टर ई. वी. हैवेल मद्रास स्कूल ऑफ आर्ट में कला के अध्यापक उन्होंने भारतीय चित्रकारों का एक अलग समूह बनाया, जिन्हें कलाकारों का आधुनिक थे । उन्होंने भारतीय कलाकार अवनीन्द्रनाथ टैगोर का सहयोग लिया। उनके सहयोग से के राष्ट्रवादी कलाकार इस स्कूल से मुड़ने लगे। इन कलाकारों ने विषय के चयन स्कूल कहलाया । यही आगे चलकर ‘मॉडर्न स्कूल ऑफ आर्टिस्ट्स’ कहा गया। बंगाल तकनीक में अजंता के भित्ति चित्रों, मध्यकालीन लघुचित्रों एवं एशियाई कला आंदोलन को प्रोत्साहित करने वाले जापानी कलाकारों से प्रेरणा ग्रहण की । अवनीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा बनाये गये चित्रों में राजपूत शैली का प्रभाव देखा जा सकताहै | पृष्ठ 175 के चित्र 12 को देख कर इसे स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है। चित्र 13 में धुंधली पृष्ठभूमि में हल्के रंगों के उपयोग को देखा जा सकता है। इस चित्र पर जापानी प्रभाव है। चित्र 14 को नन्दलाल बोस द्वारा बनाया गया है। इस चित्र में उन्होंने त्रिआयामी प्रभाव पैदा करने के लिये छायाकरण का इस्तेमाल किया है। इस चित्र में अजंता चित्र शैली का प्रभाव है ।
आइए करके देखें : (i) आप अपने गाँव या शहर के आस-पास मौजूद भवन निर्माण शैली पर ध्यान दें, जो पाठ में दिये गये भवन एवं इमारत से मिलती-जुलती हो । आप उस भवन का एक स्केच तैयार कर उसकी निर्माण शैली की विशेषताओं का वर्णन करें । (ii) विभिन्न भारतीय भाषाओं में प्रकाशित राष्ट्रीय विचारों को प्रोत्साहित करने वाले कविता, कहानी, गीत आदि का संकलन करें और उसे कक्षा में प्रदर्शित करें । संकेत : ये परियोजना कार्य है। छात्र स्वयं करें ।
कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. मान लीजिए कि आप चित्रकार हैं और बीसवीं सदी की शुरुआत में एक ‘राष्ट्रीय’ चित्र शैली विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं । इस अध्याय में जिन तत्वों पर चर्चा की गई है, उनमें से आप किन-किन को अपनी शैली, में शामिल करेंगे? अपने चयन की वजह भी बताएँ । उत्तर- माना कि मैं एक चित्रकार हूँ और बीसवीं सदी की शुरुआत में एक राष्ट्रीय चित्र शैली विकसित करने का प्रयास कर रहा हूँ। अपनी इस शैली में मैं मुख्यतः राष्ट्रवादी तत्वों को उभारने का प्रयास करूँगा । इस शैली में कुछ-कुछ पौराणिक तत्वों को भी सम्मिलित करूँगा । उसमें यह भी सम्मिलित करूँगा कि लोग समझें कि हम विदेशी गुलाम हैं और इस गुलामी से हमें मुक्ति चाहिए । सम्भव है कि इसके लिए मुझे अंग्रेज शासकों का कोपभाजन भी बनना पड़ जाय । लेकिन देशहित में उसे सहन करने की कोशिश करूँगा ।
प्रश्न 2. राजा रविवर्मा के चित्रों को राष्ट्रवादी भावना वाले चित्र कैसे कहा जा सकता है ? उत्तर- राजा रविवर्मा के चित्रों को राष्ट्रवादी भावना वाले चित्र इस प्रकार कहा जा सकता है, क्योंकि उन्होंने रामायण और महाभारत से अनगिनत चित्रों को उकेरा। उन्होंने पुराणों से भी विषय चुने। समाज के अनेक वर्गों को भी अपने चित्र में स्थान दिया । कृष्ण संधान रविवर्मा की एक अनुपम देन है। इस कारण रविवर्मा के चित्रों को स्पष्टतः राष्ट्रवादी भावना वाले चित्र कहा जा सकता है ।
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प्रश्न 3. भारत में ब्रिटिश इतिहास के चित्रों में साम्राज्यवादी विजेताओं के रवैये को किस तरह दर्शाया जाता था ? उत्तर – भारत में ब्रिटिश इतिहास के चित्रों में साम्राज्यवादी विजेताओं के रवैये को अत्यधिक उदार रूप में दर्शाया जाता था । ऐसा दर्शाया जाता था, जैसे कि भारत एक उजाड़ और ऊबड़-खाबड़ जमीन वाला और केवल कृषि पर आधारित जीवन व्यतीत करने वाले असभ्य लोगों का निवास स्थान है और अंग्रेज उन्हें सभ्य बनाने के लिए आए हैं, मानो वे भारत पर उपकार कर रहे हों। अंग्रेज अपने को आधुनिकता का प्रतीक मानते थे ।
प्रश्न 4. आपके अनुसार कुछ कलाकार एक राष्ट्रीय कला शैली क्यों विकसित करना चाहते थे ? उत्तर—कुछ कलाकार एक राष्ट्रीय कला शैली इसलिए विकसित करना चाहते थे ताकि लोगों में आधुनिकता के साथ-साथ राष्ट्रीयता का बोध भी हो। जिस शैली को विकसित करना चाहते थे, वह गैर-पश्चिमी कला के साथ भारत के प्राचीन मिथकों से पूर्णतः भिन्न हो । वे पूर्वी दुनिया के आध्यात्मिक तत्व को पकड़ना चाहते थे । वे रविवर्मा के चित्रों से भी दूरी बनाए रखना चाहते थे । वास्तव में वे राष्ट्रवादी भावना से ओत- प्रोत थे ।
प्रश्न 5. कुछ कलाकारों ने सस्ती कीमत वाले छपे हुए चित्र क्यों बनाए ? इस तरह के चित्रों को देखने से लोगों के मस्तिष्क पर क्या असर पड़ते थे? उत्तर—कुछ कलाकारों ने सस्ती कीमतवाले छपे हुए चित्र इसलिए बनाए क्योंकि वे चाहते थे कि इन चित्रों को आम लोग भी खरीद सकें। उन चित्रों में अंग्रेजी पढे लागों के रहन-सहन तथा हाव-भाव को देख लोग उनकी खिल्ली उड़ाते थे । इससे वे लोगों को राष्ट्रवाद की ओर मोड़ना चाहते थे । यह वह समय था, जब देश में राष्ट्रीयता की लहर दौड़ने वाली थी या दौड़ रही थी ।
प्रश्न 6. रूप चित्र से क्या तात्पर्य है ? उत्तर—रूप चित्र से तात्पर्य है कि व्यक्ति विशेष के चेहरे और हावभाव पर ज्यादा जोर दिया गया हो ।
प्रश्न 7. भित्ति चित्र किसे कहते हैं? एक उदाहरण भी दें । उत्तर—दीवार पर बने चित्र को भित्ति चित्र कहते हैं । जैसे : अजंता के भित्ति चित्र ।
प्रश्न 8. परिप्रेक्ष्य विधि क्या है ? उत्तर- ऐसी विधि जिसके जरिए दूर की चीजें छोटी दिखाई देती हैं. समांतर रेखाएँ दूर जाकर एक-दूसरी में विलीन होती प्रतीत होती हैं, परिप्रेक्ष्य विधि कहलाती है।
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Bihar Board Class 8 Social Science अंग्रेजी शासन एवं शहरी बादलाव (Angreji Shasan Evam Sarahi Badlaw Class 8th Solutions) Text Book Questions and Answers
10. अंग्रेजी शासन एवं शहरी बादलाव
अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर
■ आइए फिर से याद करें : प्रश्न 1. सही या गलत बताएँ : (i) भागलपुर शहर का विकास औपनिवेशिक शहरों से भिन्न परंपरागत शहर के रूप में हुआ । (ii) मुस्लिम काल में भागलपुर शहर सूफी संस्कृति का केन्द्र नहीं था । (iii) उन्नीसवीं सदी में भागलपुर में बंगाली और मारवाड़ी समुदाय का आगमन हुआ । (iv) भारत में आधुनिक शहरों का विकास औद्योगीकीकरण के साथ हुआ (v) प्रेसिडेंसी शहरों में ‘गोरे’ और ‘काले’ लोग अलग-अलग इलाकों में रहते थे ।
उत्तर— (i) सही, (ii) गलत, (iii) सही, (iv) सही, (v) सही ।
प्रश्न 2. निम्नलिखित के जोड़े बनाएँ: (क) प्रेसिडेंसी शहर (क) बरेली, जमालपुर (ख) रेलवे शहर (ख) बम्बई, कलकत्ता, मद्रास (ग) औद्योगिक शहर (ग) कानपुर, जमशेदपुर
उत्तर : (क) प्रेसिडेंसी शहर (ख) बम्बई, कलकत्ता, मद्रास (ख) रेलवे शहर (क) बरेली, जमालपुर (ग) औद्योगिक शहर (ग) कानपुर, जमशेदपुर
प्रश्न 3. रिक्त स्थानों को भरें : (क) भागलपुर नगरपालिका की स्थापना ………………… ई. में हुई थी । (ख) भागलपुर में सिल्क कपड़ा उत्पादन का केन्द्र …………. और ……………….. था । (ग) भागलपुर में सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले प्रमुख संस्कृतिकर्मी ………….. थे । (घ) रेलवे स्टेशन कच्चे माल का ……………. और आयातित वस्तुओं का था। (ङ) कालजयी उपन्यास ……………. की रचना शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय ने की थी ।
प्रश्न (i) शहरीकरण का आशय क्या है ? उत्तर- उद्योग, खनिज, व्यापार और खासकर राजनीतिक राजधानी के कारण जहाँ – लोगों का एकत्रीकरण होता है, वह स्थान शहर में परिवर्तित होने लगता है । उस स्थान को ‘शहरीकरण’ कहते हैं। शहरों में प्रशासनिक, शैक्षणिक, न्यायिक आदि संस्थान होते हैं, अतः वहाँ लोगों का जमावड़ा होने लगता है और शहरीकरण होने लगता है।
प्रश्न (ii) अठारहवीं सदी में नये शहरी केन्द्रों के विकास की प्रक्रिया पर प्रकाश डालें ? उत्तर—अठारहवीं सदी में शहरों की स्थिति में बदलाव आने लगे। मुगल सत्ता के धीरे-धीरे कमजोर होने के कारण शासन से सम्बद्ध शहर पतन को प्राप्त होने लगे। लखनऊ, हैदराबाद, सेरिंगापटम, पुणा, नागपुर, बड़ौदा आदि नये शहर स्थापित होने लगे । व्यापारी, शिल्पकार, कलाकार, प्रशासक आदि नये शासन केन्द्रों की ओर काम तथा संरक्षण की तलाश में आने लगे । व्यापारिक व्यवस्था में परिवर्तन के कारण भी शहरी केन्द्रों में बदलाव के चिह्न दिखने लगे ।
प्रश्न (iii) ग्रामीण एवं शहरी अर्थव्यवस्था के अंतर को स्पष्ट करें । उत्तर— ग्रामीण क्षेत्रों में अर्थव्यवस्था का आधार कृषि थी, जबकि शहरों में उद्योग और शिल्प के साथ नौकरी अर्थव्यवस्था के आधार थे। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि मजदूरों की संख्या स्वाभाविक रूप से अधिक होती थी । लेकिन कृषि में सालों भर काम की गुंजाइश नहीं रहती थी। इस कारण वे शहर की ओर आते थे और उन्हें किसी-न-किसी क्षेत्र में काम मिल ही जाता था । इस प्रकार हम देखते हैं कि गाँवों में जहाँ अनाज, सब्जी, दूध, दही, घी थे तो शहरों में हर तरह के कामों से नगद रुपया था । गाँव के उत्पाद शहरों में जाते थे तो शहरों से उपयोग की अन्य चीजें गाँवों में जाती थी । इस प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों और शहरों की अर्थव्यवस्था में बहुत अंतर था ।
प्रश्न (iv) भागलपुर शहर एक व्यावसायिक एवं सांस्कृतिक नगर था । कैसे ? उत्तर— भागलपुर न केवल औपनिवेशिक काल में, बल्कि उसके बहुत पहले से ही व्यापार का केन्द्र था। गंगा तट पर अवस्थित होने के कारण दूर-दराज के व्यापारी वस्तुएँ लेकर भागलपुर आते थे जिससे व्यापार की उन्नति होती थी । देश के दूर-दराज के व्यापारी यहाँ आ बसे थे और बाजार का रौनक बढ़ाने में जोर देते थे । व्यापार के साथ ही भागलपुर सांस्कृतिक क्षेत्र में भी आगे था । यहाँ सैक्षणिक संस्थान की भरमार थी । साहित्य संसार में भी भागलपुर अग्रणी था । शरत्चन्द्र चटर्जी, ‘वनफूल’, विभूति झा ‘द्विज’ जैसे नामी लेखक भागलपुर के ही थे । यहाँ रंगशालाएँ थीं तो रंगकर्मियों की भूषण बंधोपाध्याय, डॉ. राधाकृष्ण, शिवनन्दन प्रसाद, डॉ. शिवशंकर वर्मा, जनार्दन प्रसाद भी कोई कमी नहीं थी। अशोक कुमार, किशोर कुमार तथा अनूप कुमार तीनों भाई नामी सीने अभिनेता भागलपुर के ही थे । स्पष्ट है कि भागलपुर शहर एक व्यावसायिक एवं सांस्कृतिक नगर था ।
प्रश्न (v) भागलपुर को सिल्क सिटी (रेशमी शहर) कहा जाता है ? क्यो ? उत्तर – भागलपुर को सिल्क सिटी इसलिये कहा जाता है कि यह शहर बहुत पुराने समय से तसर सिल्क का उत्पादक शहर रहा है। शहर के चम्पानगर और नाथनगर मुहल्ले इस सिल्क के उत्पादक हैं। वहाँ कभी 3275 करघों पर सिल्क बुना जाता था ।
प्रश्न (vi) भागलपुर शहर के सामाजिक परिवेश को समझाइए । उत्तर— भागलपुर शहर के सामाजिक परिवेश पर यदि ध्यान दें तो भाषा-भाषी के ख्याल से यहाँ अधिकतर बंगला भाषी थे तो बिहारी भाषा बोलने वालों की भी कमी नहीं थी। बिहारी भाषा में अंगिका, मैथिली तथा भोजपुरी बोली जाती थी । करघा चलानेवाले अधिकतर मुसलमान जुलाहे थे तो कुछ तांती हिन्दू भी थे । व्यापार पर मारवाड़ी, अग्रवाल, जायसवाल आदि जातियाँ एक ताकतवर व्यावसायिक समूह के रूप में व्यापारिक मुहल्लों में भरे पड़े थे । ब्राह्मण तथा कायस्थ सरकारी पदों पर काबिज थे । अनेक मुस्लिम परिवारों का संबंध सूफी संतों के साथ था जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी से इस शहर में निवास करते थे । मेहनतकश कामगारों का समूह बरारी कस्बे में गंगा नदी के किनारे कालीघाट स्थित मायागंज की झोपड़ियों में रहता था । इस प्रकार एक ओर अमीरी थी तो दूसरी ओर गरीबी का साम्राज्य भी था ।
■ आइए करके देखें : (i) आप अपने राज्य के किसी शहर के इतिहास का पता लगाएँ तथा शहर के फैलाव और आबादी के बसाव के बारे में बताएँ । साथ ही शहर में संचालित व्यावसायिक, शैक्षणिक व सांस्कृतिक गतिविधियों के विषय में जानकारी दें ? संकेत : यह परियोजना कार्य है। छात्र स्वयं करें ।
कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. इंगलैंड के किन्हीं दो महत्त्वपूर्ण औद्योगिक नगरों के नाम लिखें । उत्तर — (क) लीड्स तथा (ख) मैनचेस्टर |
प्रश्न 2. ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में कितने प्रेसिडेंसी शहर बसाए और कौन-कौन ? उत्तर— ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में तीन प्रेसिडेंसी शहर बसाए । वे थे : (i) मद्रास, (ii) कलकत्ता तथा (iii) बम्बई ।
प्रश्न 3. अंग्रेजों ने नयी दिल्ली को राजधानी कब बनाया ? उत्तर—अंग्रेजों ने नयी दिल्ली को 1911 में राजधानी बनाया ।
प्रश्न 4. भारत के किन शहरों का विशहरीकरण हुआ ? उत्तर – सूरत, मछलीपट्टनम तथा श्रीरंगपट्टनम शहरों का विशहरीकरण हुआ
प्रश्न 5. अंग्रेजों ने किसे हरा कर कब दिल्ली पर अधिकार जमाया ? उत्तर—अंग्रेजों ने मराठों को 1803 में हरा कर दिल्ली पर अधिकार जमाया।
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Bihar Board Class 8 Social Science महिलाओं की स्थिति एवं सुधार (Mahila ki Sasti Evam Sudhar Class 8th History Solutions) Text Book Questions and Answers
9. महिलाओं की स्थिति एवं सुधार
अध्याय में अंतर्निहित प्रश्न और उनके उत्तर
प्रश्न 1. ‘बहुजन समाज’ नामक संस्था किसने स्थापित की ? इस संस्था के क्या उद्देश्य था ? (पृष्ठ 130) उत्तर— ‘बहुजन समाज’ नामक संस्था की स्थापना ज्योतिराव फूले की पत्नी सावित्री बाई फूले ने की। इस संस्था का उद्देश्य महिलाओं को पुरुषों के समक्ष समानता का अधिकार दिलाता था। यह जरूरत आज भी बनी हुई है । यदि सम्पूर्ण समाज सुधार पर ध्यान दें तो उच्च वर्ग की महिलाओं ने इस समस्या पर अधिक ध्यान दिया ।
प्रश्न 2. अपनी पुस्तक ‘स्त्री पुरुष तुलना’ में ताराबाई शिंदे में क्या लिखा है ? पठित पाठ के आधार पर उत्तर दें । (पृष्ठ 132) उत्तर — अपनी पुस्तक ‘स्त्री पुरुष तुलना’ में ताराबाई शिंदे ने लिखा है कि जब औरत का पति मर जाता है तब उसका क्या हन होता है ? नाई आता है और विधवा हो चुकी स्त्री के लहराते बाल साफ कर देता है। उसे शादी-विवाह जैसे शुभ कार्यों से बहिष्कृत कर दिया जाता है, जहाँ विवाहिता महिलाएँ ही जाती हैं। भला इन पाबन्दियों की वजह क्या है । क्योंकि उसका पति मर चुका है। वह अभागी है। दुर्भाग्य उसके माथे पर खुदा हुआ है । यात्रा पर निकलते समय उसका चेहरा भी नहीं देखा जाता । यह अशुभ होता है।
प्रश्न 3. कोरनेलिया सोराबजी कौन थीं? उन्होंने क्या किया ? (पृष्ठ 135) उत्तर – करनेलिया सोराबजी एक महिला वकील थीं। उन्होंने रखमा बाई के मुकदमे में महिलाओं के पक्ष में महत्वपूर्ण प्रश्न उठाये थे ।
प्रश्न 4. कुछ मुस्लिम महिलाओं के नाम और काम बताइए जिन्होंने शिक्षा के विकास के लिये काम किया ? (पृष्ठ 138) उत्तर – शेख अब्दुल्ला की पत्नी बेगम वाहिद जहाँ ने अपने पति के सहयोग से अलीगढ़ कन्या विद्यालय की स्थापना कि जो बाद में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के तहत एक महाविद्यालय का रूप धारण कर चुका है। इस प्रकार बेगम रुकैया सखावत हुसैन ने कलकत्ता और पटना में मुस्लिम लड़कियों के लिये स्कूल खोले, जो आज बुलन्दियों पर हैं।
प्रश्न 5. ऐतिहासिक ‘मैरिज बिल’ का ड्राफ्ट कब, कहाँ और किसके द्वारा तैयार किया गया ? (पृष्ठ 139) उत्तर – ऐतिहासिक ‘मैरिज बिल’ का ड्राफ्ट 1871 ई. में केशवचन्द्र सेन द्वारा पटना में तैयार किया गया।
प्रश्न 6. दहेज को कब अवैध घोषित किया गया ? इस संबंध में आज की ( पृष्ठ 139 ) स्थिति क्या है ? उत्तर – दहेज को 1861 के अधिनियम से अवैध घोषित किया गया। लेकिन यह कुप्रथा रुकी नहीं । आज भी प्रचलित है। यही नहीं, स्थिति तो यह है कि अधिक-से- अधिक दहेज समेटने के लिए बहुओं को मारा-पीटा जाता है, उन्हें प्रताड़ित किया जाता है और कहीं-कहीं तो उन्हें जलाकर मार डालने की भी बात सुनी जाती है ।
अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर
आइए याद करें : प्रश्न 1. सही विकल्प को चुनें :
(i) स्त्रियों की असमानता की स्थिति पर पहली बार किसके द्वारा प्रश्नचिह्न लगाया गया ? (क) अंग्रेजों के द्वारा (ख) भारतीय शिक्षितों के द्वारा (ग) महिलाओं के द्वारा (घ) निम्न वर्ग के प्रणेताओं के द्वारा
(ii) शिक्षा किस वर्ग की महिलाओं तक सीमित रही ? (क) निम्न वर्ग (ख) मध्यम वर्ग (ग) उच्च वर्ग (घ) इनमें कोई नहीं
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(iii) कानून के द्वारा सती प्रथा का अंत कब हुआ ? (क) 1826 (ख) 1827 (ग) 1828 (घ) 1829
(iv) विधवा पुनर्विवाह के प्रति किसने अपना जीवन समर्पित कर दिया ? (क) ईश्वर चंद्र विद्यासागर (ख) दयानन्द सरस्वती (ग) राजा राममोहन राय (घ) सैयद अहमद खाँ
(v) बाल विवाह निषेध अधिनियम किस वर्ष पारित हुआ ? (क) 1926 (ख) 1927 (ग) 1928 (घ) 1929
उत्तर : (i) → (क), (ii) → (ग), (iii) → (घ), (iv) → (क), (v) → (घ) ।
आइए विचार करें
प्रश्न (i) महिलाओं में असमानता की स्थिति मुख्यतः किन कारणों से थी ? उत्तर— महिलाओं में असमानता की स्थिति इसलिये थी कि एक तो उनका विवाह कम उम्र में ही कर दिया जाता था और विवाह के पश्चात उन्हें परदे में रहना पड़ता था । परदा पर्था के कारण स्कूल जाने का सवाल ही नहीं था। समाज में बहु-विवाह तथा अनमेल विवाह की प्रथा धड़ल्ले से जारी थी। उच्च कुल में विवाह हो, इस कारण अधेड़ या बूढ़े के साथ भी नन्हीं बिटिया का विवाह कर दिया जाता था । फलतः जबतक लड़की के युवती बनते-बनते उसका बूढ़ा पति चल बसता था । इस स्थिति में पति की चिता में युवती पत्नी को भी जला दिया जाता था । इस कुपर्धा को सती प्रथा कहा जाता था । इस बात की निन्दा की जगह सती को महिमा मंडित किया जाता था । पुरुष तो किसी भी अवस्था और स्थिति में अनेक विवाह कर सकता था किन्तु महिलाओं का विधवा हो जाने के बाद दूसरा विवाह नहीं हो सकता था ।
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प्रश्न (ii) सती प्रथा पर किस प्रकार का विवाद रहा? सती विरोधी एवं सती समर्थक विचारों को लिखें । उत्तर- उन्नीसवीं सदी तक तो विधवा महिलाओं को अनेक कष्ट भोगने पड़ते थे, लेकिन उनमें भी भारी कष्ट की बात थी सती प्रथा । पति के मरते ही उसी की चिता के साथ उसके जीवित पत्नी को जला दिया जाता था । लोग इसे धार्मिक परम्परा कह कर इस पाप पर पर्दा डालते रहे । सती होने वाली महिला का स्तुति गान होता था और उसे महिमा मंडित किया जाता था । लगता है कि इस षड्यंत्र का कारण सम्पत्ति में हिस्सा से वंचित करने के लिए ये झूठी कहानियाँ गढ़ी जाती थीं । इस कुप्रथा को सर्वप्रथम विदेशी दार्शनिकों ने उठाया । इससे वे यह भी साबित करना चाहते थे कि भारतीय अनपढ़ हैं और इनको अंग्रेज ही सभ्य बना सकते हैं। इस कटु आलोचना से भारतीय विद्वान भी तिलमिला उठे । भारतीयों में सर्वप्रथम आवाज उठाने वालों में राजा राममोहन राय थे। उन्होंने सती प्रथा के विरुद्ध बुलन्द आवाज उठाई । ‘उनके साथ ही और भी भारतीय विद्वानों ने उनका समर्थन किया । फलस्वरूप 1929 ई. में सती प्रथा के विरुद्ध कानून बना । इस प्रकार इस कानून के बन जाने से भारत से सती प्रथा का उन्मूलन हो गया ।
प्रश्न (iii) राजा राममोहन राय के द्वारा महिलाओं से संबंधित किस समस्या के खिलाफ आवाज उठाया गया ? उत्तर- राजा राममोहन राय तथा उनकी संस्था ब्रह्म समाज ने महिलाओं के उत्थान के लिये अनेक कार्य किये। इसी संगठन ने महिलाओं के लिए समानता के पक्ष में वातावरण बनाने का काम किया। इसके लिये ये पश्चिमी ढंग की शिक्षा को उचित मानते थे । इस तरीका को अन्य समाज सुधारक और संगठन भी मानने लगे । ब्राह्म समाज के लोग महिलाओं की स्थिति सुधारने के अनेक प्रयास किये । उन्होंने शिक्षा के प्रसार का प्रयास किया। महिलाओं को भी सम्पत्ति का उत्तराधिकार मिले- इस बात को भी उठाया गया । महिलाओं के पक्ष में राजा राममोहन राय या उनके ब्रह्म समाज का स्तुल्य कार्य सती प्रथा के विरुद्ध कानून बनवाना था ।
प्रश्न (iv) ईश्वरचन्द्र विद्यासागर के महिना सुधार में योगदानों की चर्चा करें। उत्तर- ईश्वरचन्द्र विद्यासागर एक सुप्रसिद्ध समाज सुधारक थे। उन्होंने आजीवन महिलाओं के उत्थान के लिये प्रयत्नशील रहे । सबसे पहले इन्हीं के नेतृत्व में विधवा विवाह को कानूनी विवाह के पक्ष में आंदोलन चलाया गया। प्राचीन ग्रंथों का हवाला देकर इन्होंने सिवा किया कि विधवा विवाह जायज है। अंग्रेज सरकार ने उनके सुझाव को मानते हुए 186 में विधवाओं के पक्ष में एक कानून पारित कर दिया । इस कानून के बनने से विधवा मान्यता तो मिली, लेकिन सामाजिक मान्यता नहीं मिली । ईश्वर चन्द्र विद्यासागर ने जब अपने बेटे का विवाह एक विधवा से करा दिया तो कट्टरपंथियों ने इनको जाति से बहिष्कृत कर दिया, फिर भी ये रुके नहीं । आजीवन इस काम में लगे रहने के बावजूद इनका काम एक प्रारंभिक बिंदु भर ही साबित हुआ । इनके बाद के अन्य समाज सुधारक भी इस काम में लगे रहे।
प्रश्न (v) स्वामी विवेकानन्द ने महिला उत्थान के लिए कौन-कौन से उपाय सुझाए ? उत्तर—अपने देशवासियों की कमजोरियों के प्रति विवेकानन्द क्षुब्ध रहते थे । देश को सही रास्ते पर लाने के लिये ये महिला उत्थान को आवश्यक मानते थे । इसके लिये उन्हें शिक्षित करना आवश्यक था । शिक्षा के द्वारा ये महिलाओं की गरिमा को बनाये रखना चाहते थे । उनका मानना था कि इस कार्य से भारतीय संस्कृति का आदर पश्चिम जगत में स्थापित हो सकता है ।
■ आइए करके देखें : (i) महिलाओं में साक्षरता बढ़ाने के लिए आपके विचार से क्या प्रयास किये जाने चाहिए ? वर्ग में सहपाठियों से चर्चा करें । (ii) महिला उत्थान के लिए चलाये जाने वाले सरकारी कार्यक्रमों की जानकारी एकत्र कर उसकी एक सूची बनाएँ । संकेत : यह परियोजना कार्य है। छात्र स्वयं करें ।
कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. भारत में सती प्रथा पर रोक कानून किसके प्रयास से लागू हुआ? उत्तर—भारत में सती प्रथा पर रोक का कानून राजा राममोहन राय के प्रयास लागू हुआ ।
प्रश्न 2. आर्य समाज की स्थापना किसने को ? उत्तर—आर्य समाज की स्थापना स्वामी दयानन्द सरस्वती ने की ।
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प्रश्न 3. रामकृष्ण मिशन की स्थापना किसने की ? उत्तर— रामकृष्ण मिशन की स्थापना स्वामी विवेकानन्द ने की ।
प्रश्न 4. ब्रह्म समाज की स्थापना किसने की ? उत्तर—ब्रह्म समाज की स्थापना राजा राममोहन राय ने की।
प्रश्न 5. अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय की स्थापना किसने की ? उत्तर- अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय की स्थापना सर सैयद अहमद खाँ ने की।
प्रश्न 6. प्राचीन ग्रंथों के ज्ञान से सुधारकों को नए कानून बनवाने में किस तरह मदद मिली ? उत्तर – प्राचीन ग्रंथों के ज्ञान से सुधारकों को नए कानून बनवाने में इस तरह मदद मिली कि वे उन ग्रंथों से ऐसे श्लोक या उक्तियाँ ढूँढ़ निकालते थे, जो इनके सुधारवादी विचारों के समर्थन में जोर देते थे । ऐसे श्लोकों को या उक्तियों को स्वार्थी ब्राह्मण या तो लोप कर देते थे अथवा उनका गलत अर्थ लगाते थे । वे ऐसा अर्थ निकालते थे, जिनसे इनका हित साधन होता था ।
प्रश्न 7. लड़कियों को स्कूल न भेजने के पीछे लोगों के पास कौन-कौन से कारण होते थे ? उत्तर—आम जन यह मानता था कि स्कूल जाने के कारण लड़कियाँ पथ भ्रष्ट हो जाएँगी। स्कूल वाले उन्हें घर के काम-धंधा करने से रोकेंगे। उन्हें सार्वजनिक स्थानों से होकर स्कूल जाना पड़ेगा। यह लड़कियों के लिए हितकारी नहीं होगा ।
प्रश्न 8. अंग्रेजों के काल में ऐसे लोगों के लिए कौन-से नए अवसर पैदा हुए जो ‘निम्न’ मानी जाने वाली जातियों से संबंधित थे? उत्तर- अंग्रेजी काल में हर प्रांत और क्षेत्र में नए नगर बस रहे थे । वहाँ सड़क, नाली, मकान आदि बनाने के लिए लोगों की आवश्यकता थी । बहुत लोग वहाँ जाकर काम करने लगे । सेना में भारी मात्रा में महार जाति के लोग भर्ती हुए । उन्हीं के नाम परं महार रेजिमेंट बना था । मारीशस, त्रिनिदाद, मलाया आदि द्विपीय देशों में काम के लिए चले गए । ऊँची जातियों की दमनकारी व्यवहारों से इन्हें निजात मिल गई ।
प्रश्न 9. ज्योतिराव और अन्य सुधारकों ने समाज में जातीय असमानताओं की आलोचनाओं को किस तरह सही ठहराया ? उत्तर—अनेक सुधारकों ने समाज में जातीय असमानताओं की आलोचना भारत के प्राचीन ग्रंथों से हवाला देकर किया लेकिन ज्योतिराव फुले ने जो दलील दी, मेरी समझ से लेखक या लेखकों के अपने विचार होंगे । फुले के लिए बताया गया है कि उन्होंने आर्यों को आक्रामणकारी और स्वयं को आक्रांता बताया । वास्वत में आर्य आक्रमणकारी नहीं थे। वे उत्तर भारत के मूल निवासी थे । यह बात दूसरी है कि दक्षिण भारत के द्रविड़ों के बीच उन्होंने वैदिक धर्म का प्रचार-प्रसार किया और उनकी खूबियों को समझाया । वैदिक धर्म में विकृति तो बाद में आई, जो उत्तर भारत और दक्षिण भारत में समान रूप से दृष्टिगोचर हुई । दक्षिण भारत से अधिक सुधारक उत्तर और मध्य भारत में हुए । उनमें से तो किसी ने ऐसे विचार प्रकट नहीं किए ।
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Bihar Board Class 8 Social Science जातीय व्यवस्था की चुनौतियाँ (Jati Vyavastha ki Chunautiyan Class 8th History Solutions) Text Book Questions and Answers
8. जातीय व्यवस्था की चुनौतियाँ
अध्याय में अंतर्निहित प्रश्न और उनके उत्तर
प्रश्न 1. भारत में उपेक्षित जनसमूहों के विषय में आप क्या जानते हैं? संक्षेप में लिखिए । (पृष्ठ 116) उत्तर—उपेक्षित जन समूहों में पहले बंगाल पर ध्यान देते हैं । बंगाल में उपेक्षितों को चांडाल कहा जाता था। बिहार में डोम और हलखोर, दक्षिण बिहार की सूइया, महाराष्ट्र में महार तथा उत्तर भारत के अधिकांश क्षेत्र में चमार और जाटव नाम से, जाने जाते हैं। परम्परा से ही ये निम्न जाति के समझे जाते हैं । लेकिन आज जो शिक्षित हो गये हैं, आर्थिक रूप से सम्पन्न हो गये हैं, उन्हें इसकी पीड़ा अब नहीं भुगतनी पड़ती है ।
प्रश्न 2. ब्राह्मणों ने दूसरी जातियों पर अपना प्रभुत्व कैसे कायम किया ? पठित पाठ के आधार पर बतावें । (पृष्ठ 117) उत्तर— ब्राह्मणों ने अपनी शिक्षा, ज्ञान और कर्मकांडी शक्ति के रूप में गैर-ब्राह्मण जातियों पर अपना एकाधिकार स्थापित कर प्रभुत्व स्थापित कर लिया ।
प्रश्न 3. अंत्यज समाज के संबंध में आप क्या मानते हैं ? (पृष्ठ 117) उत्तर—जिसे अछूत कहा गया है, उन्हीं को अंत्यज भी कहा जाता है । इनको वेद पढ़ने और सुनने की मनाही थी । यदि ये गलती से वेद के शब्द उच्चरित करते तो इनकी जीभ काट ली जाती थीं । वेदवाणी सुनने के अपराध में कान में रांगा पिघला कर डाल दिया जाता था। लेकिन यह बात बहुत पुरानी है जो अब देखने को नहीं मिलती ।
प्रश्न 4. मद्रास बोर्ड ऑफ रेवेन्यू 1818 क्या था ? (पृष्ठ 121) उत्तर- मद्रास बोर्ड ऑफ रेवेन्यू 1818 द्वारा किये गये सर्वेक्षण की रिपोर्ट की जानकारी दी गई थी कि निचली जातियों के समूहों से आये खेतिहर मजदूर लगभग गुलामी की स्थिति में धकेल दिये गये थे ।
अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर
आइये फिर से याद करें : प्रश्न 1. सही विकल्प को चुनें :
(i) फूले के द्वारा किस संगठन की स्थापना हुई ? (क) ब्राह्मण समाज (ख) आर्य समाज (ग) सत्य शोधक समाज (घ) प्रार्थना समाज
(ii) गैर बराबरी विरोधी आंदोलन केरल में किसके द्वारा प्रारंभ किया गया ? (क) वीरशेलिंगम (ख) नारायण गुरु (ग) पेरियार (घ) ज्योतिराव फूले
(iii) पेरियार के द्वारा कौन-सा आंदोलन प्रारंभ किया गया । (क) आत्म सम्मान आंदोलन (ख) जाति सुधार आंदोलन (ग) छुआछूत विरोधी आंदोलन (घ) धार्मिक समानता आंदोलन
(iv) हरिजन सेवक संघ महात्मा गाँधी के द्वारा किस वर्ष गठित किया गया ? (क) 1932 (ख) 1933 (ग) 1934 (घ) 1935
(v) बाबा भीमराव अम्बेदकर के द्वारा किस वर्ष बहिष्कृत हितकारणी सभा की स्थापना हुई ? (क) 1921 (ख) 1924 (ग) 1934 (घ) 1945
प्रश्न 1. ज्योतिराव फूले के मुख्य विचार क्या थे ? उत्तर—ज्योतिराव फूले के मुख्य विचार थे कि जाति-व्यवस्था मनुष्यता की समानता के खिलाफ है। उन्होंने जाति प्रथा को मानने से इंकार कर दिया। फूले ने शूद्रों की दासता को गलत बताया। उन्होंने अमेरिका के निग्रो और भारत के शूद्रों को एकसमान समझा । असमानता के खिलाफ लोगों को जगाना उनके विचारों का मुख्य अंग था। फूले ने अत्याचार और उत्पीड़न से संघर्ष करना सीखाया ।
प्रश्न 2. वीरशेलिंगम के योगदान की चर्चा करें । उत्तर— वीरशेलिंगम जीवन भर सामाजिक भेदभाव को समाप्त कराने के लिए संघर्ष करते रहे। उन्होंने स्कूल शिक्षक के रूप में अपनी सेवा दी। तेलगू भाषा में लिखे उनके लेखों के कारण उन्हें तेलगू गद्य साहित्य का जनक माना जाता है । उन्होंने महिला उत्थान के लिए अनेक काम किये। विधवाओं के पुनर्विववाह के लिए उन्होंने आवाज उठाई। दबे-कुचले लोगों को ऊपर उठाने के प्रयास को दक्षिण भारत के अनेक क्षेत्रों में आदर के साथ देखा गया। लोगों ने उनके द्वारा दिखाये मार्ग पर चलने के लिए अपने लोगों को सीखाया ।
प्रश्न 3. श्री नारायण गुरु का समाज सुधार के क्षेत्र में क्या योगदान रहा ? उत्तर – श्री नारायण गुरु एक धार्मिक गुरु के रूप में उभरे। उन्होंने अपने लोगों के बीच एकता का आदर्श रखा। चूँकि वे स्वयं एक निम्न जाति के थे, अतः उनके बताये रास्ते पर चलने के लिए निम्न जाति के लोग सदा तत्पर रहते थे। उन्होंने श्रीनारायण धर्म परिपालन योगम की स्थापना (1902 ई.) की। इस संगठन के समक्ष दो उद्देश्य थे— एक छुआछूत का विरोध और दूसरा कर्मकांडों की सरल विधि अपनाना। उन्होंने निम्न जाति के लोगों के बीच फैली बुरी आदतों को छोड़ने का आग्रह किया और बताया कि वे भी उच्च्च जातियों की तरह अपना रहन-सहन रखें। इन्होंने निम्न जातियों को मंदिर प्रवेश का आंदोलन चलाया ।
प्रश्न 4. महात्मा गाधा द्वारा छुआछूत निवारण के क्या उपाय किये गये ? उत्तर- महात्मा गाँधी ने भारत में गैर-बराबरी के विरोध में आवाज उठाई। 1919 ई. में पहला अखिल भारतीय ‘डिप्रेस्ड क्लास’ सम्मेलन हुआ । इसमें कांग्रेस द्वारा गांधीजी के सुझाव पर छुआछूत के विरुद्ध घोषणा पत्र जारी किया गया। अछूतों और दलितों को उन्होंने ‘हरिजन’ नाम दिया। छुआ-छूत दूर करने और अछूतों के उद्धार और उन्नति के लिए अनेक रचनात्मक कार्य चलाये गये। इनके प्रयासों से छुआछूत की प्रथा बना कमजोर पड़ी । हरिजनों के उत्थान के लिए गाँधीजी ने हरिजन सेवक संघ की स्थापना की। फिर 1933 में ‘हरिजन’ नामक एक साप्ताहिक पत्र निकाला। उस पत्र में अनेक संवेदनशील समस्याएँ उठायी जाती थीं । इनके प्रयास से हरिजनों का विद्यालयों में प्रवेश सम्भव हो सका। अब ये भी सभी बच्चों के साथ समान अधिकार के रूप में शिक्षा- दीक्षा प्राप्त करने लगे। गाँधीजी का यह एक स्तुत्य कार्य था ।
प्रश्न 5. बाबा साहब भीमराव अम्बेदकर ने जातीय भेद-भाव को दूर करने के लिये किस तरह के प्रयास किये ? उत्तर- बाबा साहब भीमराव अम्बेदकर ने भारतीय जातिगत समाज में दलित वर्ग को सम्मानपूर्ण स्थान दिलाने का अथक प्रयास किया। उन्होंने दलितों को शिक्षा ग्रहण करने का आह्वान किया तथा दलितों के वैधानिक और राजनीतिक अधिकारों की मांग रखी । उन्होंने 1924 में बहिष्कृत हितकारी सभा का गठन किया। 1927 में महार सत्याग्रह आरम्भ हुआ ताकि दलितों के प्रति अपनाई गई भेदभाव की नीति समाप्त की जा सके । 1942 में अम्बेदकर ने अनुसूचित जाति संघ की स्थापना की । जब इन्होंने देखा कि हिन्दू धर्म में उनको कोई सम्मान मिलने वाला नहीं है तो उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया, कारण कि बौद्ध धर्म पूर्णतः समानता पर आधारित था । उनके समर्थकों ने भी वैसा ही किया । आज भारत में जिस दर्शन की लोकप्रियता मिली है, वह समता, भाईचारा और आजादी पर आधारित है । इस दर्शन को स्थापित करने में बाबा साहब अम्बेदकर का बहुत बड़ा हाथ था ।
आइए करके देखें : 1. आप अपने आस-पास समाज में किस तरह के असमानता को देखते हैं, इस पर वर्ग में शिक्षक की उपस्थिति में सहपाठियों से चर्चा करें ? 2. समाज में जातीय भेद-भाव को मिटाने या कम करने के लिए आप क्या प्रयास कर सकते हैं, इस पर अपने विचार वर्ग में सहपाठियों एवं शिक्षकों को बताएँ ।
कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. प्राचीन ग्रंथों के ज्ञान से सुधारकों को नए कानून बनवाने में किस तरह मदद मिली ? उत्तर—प्राचीन ग्रंथों के ज्ञान से सुधारकों को नए कानून बनवाने में इस तरह मदद मिली कि वे उन ग्रंथों से ऐसे श्लोक या उक्तियाँ ढूँढ़ निकालते थे, जो इनके सुधारवादी विचारों के समर्थन में जोर देते थे। ऐसे श्लोकों को या उक्तियों को स्वार्थी ब्राह्मण या तो लोप कर देते थे अथवा उनका गलत अर्थ लगाते थे। वे ऐसा अर्थ निकालते थे, जिनसे ब्राह्मणों का हित साधन होता था।
प्रश्न 2. लड़कियों को स्कूल न भेजने के पीछे लोगों के पास कौन-कौन से कारण होते थे ? उत्तर— आम जन यह मानता था कि स्कूल जाने के कारण लड़कियाँ पथ भ्राष्ट हो जाएँगी। स्कूल वाले उन्हें घर के काम-धंधा करने से रोकेंगे । उन्हें सार्वजनिक स्थानों से स्कूल जाना पड़ेगा। यह लड़कियों के लिए हितकारी नहीं होगा ।
प्रश्न 3. ईसाई धर्म प्रचारकों का बहुत सारे लोग क्यों आलोचना करते थे? क्या कुछ लोगों ने उनका समर्थन भी किया होगा? यदि हाँ तो किस कारण? उत्तर- इसाई धर्म प्रचारकों का बहुत सारे लोग इसलिए आलोचना करते थे, क्योंकि ‘ का प्रचार अपने शासन क्षेत्र के विस्तार और उसे टिकाऊ बनाए रखने के लिए करते थे । हाँ, कुछ लोगों ने उनका समर्थन भी किया । ईसाई धर्म का समर्थन करने वाले वे लोग थे जो निम्न जाति के थे और हिन्दू समाज में जिन्हें निम्न दृष्टि से देखा जाता था। वे ईसाई धर्म इसलिए स्वीकार कर लेते थे, क्योंकि इनमें कोई ऊँच-नीच का भेट नहीं था। सबको बराबरी का दर्जा मिल जाता था। यह प्रक्रम आज भी जारी है। खासकर आदिवासी बहुल क्षेत्रों में । इसके लिए आर्थिक लालच भी उत्तरदायी है ।
प्रश्न 4. अंग्रेजों के काल में ऐसे लोगों के लिए कौन-से नए अवसर पैदा हुए जो ‘निम्न’ मानी जाने वाली जातियों से संबंधित थे? उत्तर – अंग्रेजी काल में हर प्रांत और क्षेत्र में नए नगर बस रहे थे । वहाँ सड़क, नाली, मकान आदि बनाने के लिए लोगों की आवश्यकता थी । बहुत लोग वहाँ जाकर काम करने लगे । सेना में भारी मात्रा में महार जाति के लोग भर्ती हुए । उन्हीं के नाम पर महार रेजिमेंट बना था । तथाकथित निम्न जाति के लोग कुछ मारीशस, त्रिनिदाद, मलाया आदि द्विपीय देशों में काम के लिए चले गए। ऊँची जातियों की दमनकारी व्यवहारों से इन्हें निजात मिल गई ।
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प्रश्न 5. ज्योतिराव और अन्य सुधारकों ने समाज में जातीय असमानताओं की आलोचनाओं को किस तरह सही ठहराया ? उत्तर—अनेक सुधारकों ने समाज में जातीय असमानताओं की आलोचना भारत के प्राचीन ग्रंथों से हवाला देकर किया लेकिन ज्योतिराव फुले ने जो दलील दी, मेरी समझ से लेखक या लेखकों के अपने विचार होंगे। फुले के लिए बताया गया है कि उन्होंने आर्यों को आक्रामणकारी और स्वयं को आक्रांता बताया । वास्वत में आर्य आक्रमणकारी. नहीं थे। वे उत्तर भारत के मूल निवासी थे । यह बात दूसरी है कि दक्षिण भारत द्रविड़ों के बीच उन्होंने वैदिक धर्म का प्रचार-प्रसार किया और उनकी खुबियों को समझाया। वैदिक धर्म में विकृति तो बाद में आई, जो उत्तर भारत और दक्षिण भारत में समान रूप से दृष्टिगोचर हुई। दक्षिण भारत से अधिक सुधारक उत्तर और मध्य भारत में हुए । उनमें से किसी ने ऐसे विचार प्रकट नहीं किए ।
प्रश्न 6. फुले ने अपनी पुस्तक गुलामगीरी को गुलामों की आजादी के लिए उत्तर—फुले ने अपनी पुस्तक गुलामगीरी को गुलामों की आजादी के लिए चल चल रहे अमेरिकी आंदोलन को समर्पित क्यों किया अमेरिकी आन्दोलन को समर्पित इसलिए किया क्योंकि भारत और अमेरिका दोनों ही देशों में गुलामी के विरोध में संघर्ष चल रहा था ।
प्रश्न 7. मंदिर प्रवेश आंदोलन के जरिए अम्बेडकर क्या प्राप्त करना उत्तर- मंदिर प्रवेश आंदोलन के जरिए अम्बेडकर तथाकथित अछूत जातियों को उच्च जातियों के समक्ष बराबरी का दर्जा प्राप्त करना चाहते थे । वे ब्राह्मणों के एकाधिकार को समाप्त करना चाहते थे ।
प्रश्न 8. ज्योतिराव फुले और रमास्वामी नायकर राष्ट्रीय आंदोलन की आलोचना क्यों करते थे? क्या उनकी आलोचना से राष्ट्रीय संघर्ष में किसी तरह कही मदद मिली ? उत्तर – ज्योतिराव फुले तो राष्ट्रीय आंदोलन के आरंभ होने के पहले ही गुजर चुके थे। अतः राष्ट्रीय आंदोलन की आलोचना से उनका कोई मतलब नहीं था । जहाँ तक ‘नायकर’ साहेब का सवाल है, सम्भव है, ये किसी कांग्रेसी के व्यक्तिगत दावत में शामिल । वरना किसी भी राष्ट्रीय आंदोलन के अधिवेशन में शामिल सभी लोगों के हुए होंगे एक साथ भोजन की व्यवस्था होती थी । हम जानते हैं कि कांग्रेस में अधिकांश आर्य समाज के समर्थक नेता ही थे, जो छुआ-छूत और जात-पात पर विश्वास नहीं रखते थे। आर्य समाजियों में लाला लाजपत राय का नाम पहले लिखा जा सकता है । अतः नायकर का यह आरोप निराधार लगता है । ऐसे लोग राष्ट्रीय आंदोलन में अड़ंगा ही लगा रहे थे, इनसे किसी प्रकार के सहयोग की आशा नहीं थी ।
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Bihar Board Class 8 Social Science ब्रिटिश शासन एवं शिक्षा (British Shasan Evam Shiksha Class 8th History Solutions) Text Book Questions and Answers
7. ब्रिटिश शासन एवं शिक्षा
अध्याय में अंतर्निहित प्रश्न और उनके उत्तर
प्रश्न 1. जोंस प्राचीन भारतीय ग्रंथों को पढ़ना जरूरी क्यों समझते थे ? उत्तर—जोंस, भारत की प्राचीन सभ्यता और संस्कृति को समझना चाहते थे।भारतीयों की सोच और रहन-सहन उन्हीं ग्रन्थों से प्रभावित थी। इसीलिये जोंस भारतीय ग्रंथों को पढ़ना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने अनेक संस्कृत पुस्तकों में अनुवाद भी कराये ।
प्रश्न 2. कल्पना करें कि अंग्रेज भारतीय लोगों के मानस को अपने क्यों ढालना चाहते थे ? उत्तर—अंग्रेज भारतीय लोगों के मानस को अपने अनुसार इसलिए ढालना चाहते थे कि वे अंग्रेजों को दुश्मन नहीं दोस्त समझें । इससे भारत में अंग्रेजी शासन को स्थायित्व प्राप्त होगा—ऐसी उनकी सोच थी। अंग्रेजी पढ़े-लिखे और अंग्रेजी लिवास पहने भारतीयों को वे अपना दोस्त समझते थे । शासन में ऊँचे पद उन्हीं को मिलता था ।
अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर
आइए याद करें : प्रश्न 1. सही विकल्प को चुनें :
(i) विलियम जोंस भारतीय इतिहास, दर्शन और कानून का अध्ययन को क्यों जरूरी मानते थे ? (क) भारत में बेहतर अंग्रेजी शासन स्थापित करने के लिए । (ख) प्राचीन भारतीय पुस्तकों के अनुवाद (अंग्रेजी में) के लिए | (ग) अपने भारत प्रेम के कारण । (घ) भारतीय ज्ञान-विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए ।
(ii) आधुनिक शिक्षा की भाषा किसको बनाया गया ?. (क) हिंन्दी (ख) बंगला (ग) अंग्रेजी (घ) मराठी
(iii) एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल की स्थापना किसने की ? (क) मैकाले (ख) विलियम जोंस (ग) कोलब्रुक (घ) वारेन हेस्टिंग्स
(iv) औपनिवेशिक शिक्षा ने भारतीयों के मस्तिष्क में हीनता का बोध पैदा कर दिया । गाँधीजी ऐसा क्यों मानते थे ? (क) भारतीयों द्वारा पश्चिमी सभ्यता को श्रेष्ठ मानने के कारण । (ख) अंग्रेजी भाषा में शिक्षा के कारण । (ग) पाठ्यपुस्तकों पर शिक्षा को केन्द्रित करने के कारण । (घ) भारतीयों का अंग्रेजी शासन के समर्थन करने के कारण ।
उत्तर : (i) (क), (ii) (ग), (iii) (ख), (iv) (क) ।
प्रश्न 2. निम्नलिखित के जोड़े बनाएँ: (क) विलियम जोंस …………… अंग्रेजी शिक्षा को प्रोत्साहन । (ख) रवीन्द्रनाथ टैगोर ………….. प्राचीन संस्कृतियों का सम्मान । (ग) टॉमस मैकॉले …………. गुरु । (घ) महात्मा गाँधी …………. प्राकृतिक परिवेश में शिक्षा । (ङ) पाठशालाएँ …………. अंग्रेजी शिक्षा के विरुद्ध । उत्तर – (क) विलियम जोंस …………. प्राचीन संस्कृतियों का सम्मान । (ख) रवीन्द्रनाथ टैगोर ………… प्राकृतिक परिवेश में शिक्षा (ग) टॉमस मैकॉले …………. अंग्रेजी शिक्षा को प्रोत्साहन । (घ) महात्मा गाँधी …………. अंग्रेजी शिक्षा के विरुद्ध । (ङ) पाठशालाएँ ……….. गुरु ।
■ आइए विचार करें
प्रश्न (i) भारत के विषय में विलियम जोंस के विचार कैसे थे ? संक्षेप में बताएँ । उत्तर—भारत के विषय में विलियम जोंस के विचार भारतीय प्राचीन ग्रंथों के प्रति उदार था। वे चाहते थे कि इन ग्रंथों का अंग्रेजी अनुवाद करा कर इनमें वर्णित विषयों के अनुसार ही भारत में शिक्षा के लिए नीति निर्धारित हो । वे भारतीय ज्ञान-विज्ञान के प्रशंसक थे ।
प्रश्न (ii) टॉमस मैकाले भारत में किस प्रकार की शिक्षा शुरु करना चाहते थे ? इस संबंध में उनके विचार क्या थे ? उत्तर— टॉमस मैकाले अंग्रेजी रीति-रिवाज की शिक्षा अंग्रेजी में ही शुरू करना चाहते थे। इस संबंध में उनके विचार थे कि भारतीयों को इस प्रकार की शिक्ष दी जाय जो देखने में तो भारतीय लगे लेकिन उनका दिल-दिमाग अंग्रेजों जैसा हो । अंग्रेजी में घुल- मिल कर उनका रहन-सहन और पहनावा भी अंग्रेजों जैसा हो । वे अंग्रेजी में ही सोचें और अंग्रेजी में ही बात करें ।
प्रश्न (iii) भारत में अंग्रेजी शिक्षा का उद्देश्य क्या था ? इसका स्वरूप कैसा था ? उत्तर — भारत में अंग्रेजी शिक्षा का उद्देश्य था कि सरकारी कार्य सम्पन्न करने के लिए किरानी बनने की क्षमता प्राप्त कर लें। बाद में अंग्रेजी को प्रोत्साहन देने के लिए निम्न कोटि के अफसर भी नियुक्त होने लगे । उसका स्वरूप ऐसा था कि अंग्रेजी तो अंग्रेजी – इतिहास, भूगोल और गणित आदि की शिक्षा भी अंग्रेजी में ही दी जाती थी।
प्रश्न (iv) शिक्षा के विषय में महात्मा गाँधी एवं रवीन्द्रनाथ टैगोर के विचारों को बताएँ । उत्तर – शिक्षा के विषय में महात्मा गाँधी का कहना था कि औपनिवेशिक शिक्षा ने भारतीयों के मस्तिष्क में हीनता का बोध पैदा कर दिया है। वे अपने को अंग्रेजों से हीन समझने लगे हैं। उनके प्रभाव में आकर यहाँ के लोग पश्चिमी सभ्यता को श्रेष्ठ और अपनी सभ्यता को हीन समझने लगे हैं। अंग्रेजी शिक्षा में विष भरा है। रवीन्द्रनाथ टैगोर का विचार था कि वर्तमान स्कूल बच्चों की रचनाशीलता, कल्पनाशीलता तथा उनके स्वाभाविक गुण को मार देते हैं। उनकी सृजनात्मक शिक्षा केवल प्राकृतिक परिवेश में ही दी जा सकती है। भाषा कोई हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता । भारतीय भाषा और अंग्रेजी में वे कोई भेद नहीं करते थे । अंग्रेजी पढ़कर भी वे अपनी सृजनात्मक मेधा को विकसित कर सकते हैं । वे चाहते थे कि पश्चिमी सभ्यता और भारतीय सभ्यता — दोनों के अच्छे तत्वों को सम्मिश्रित कर छात्रों को पढ़ाया जाय ।
प्रश्न (v) अंग्रेज विद्वानों के बीच शिक्षा नीति के विषय में किस प्रकार के विवाद थे ? इस संबंध में आप क्या सोचते हैं ? बताइए । उत्तर- जिन अंग्रेज विद्वानों पर जोंस का प्रभाव था, उनका कहना था कि भारतीय विद्या और ज्ञान का प्रसार किया जाय। इस वर्ग के लोगों का मानना था कि भारतीयों को उन्हीं की भाषा में पढ़ाया जाय। इससे कर्मचारियों की पूर्ति भी हो जाएगी और भारतीय परम्परा को भी जानने में सहायता मिलेगी । इससे भारत में अंग्रेजी शासन को मजबूती मिलेगी और शासन को स्थायित्व भी मिलेगा । बहुत विद्वान इस बात की आलोचना भी करने लगे । इन विद्वानों का कहना था कि भारतीय शास्त्र अवैज्ञानिक और गलत सूचनाओं से भरे पड़े हैं। इसलिए पुरातन भारतीय शिक्षा से अंग्रेजों को कोई लाभ होने वाला नहीं है। इस तरह की सोच वालों में प्रमुख मिल और मैकाले थे । राजा राममोहन राय ने भी उन्हें बल प्रदान किया । अंततः मैकाले की बात ही मानी गई और उन्हीं को सिलेबस बनाने का भार दिया गया । इस मामले में हमारी सोच यह है कि भारतीय और पश्चिमी दोनों ओर की अच्छी बातों को मिलाकर अंग्रेजी, हिन्दी और उर्दू तीनों भाषाओं में शिक्षा दी जाती तो दोनों देशों को लाभ होता । रवीन्द्रनाथ टैगोर का भी यही मानना था ।
आइए करके देखें : (i) अपने घर या पड़ोस के बुजुर्गों से पता करें कि स्कूल में उन्होंने कौन-कौन सी चीजें पढ़ी थीं ? अभी आप उसमें क्या बदलाव देखते हैं ? (ii) अंग्रेजी शासन के दौरान बिहार में आधुनिक शिक्षा के विकास के लिये जो प्रयास किया गया, उसके विषय में वर्ग में शिक्षक के सहयोग से परिचर्चा करें ।
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Bihar Board Class 8 Social Science अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष (Angreji Shasan Ke Khilaf Sangharsh Class 8th History Solutions) Text Book Questions and Answers
6. अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष (1857 का विद्रोह)
अध्याय में अंतर्निहित प्रश्न और उनके उत्तर
प्रश्न 1. पृष्ठ 88 के ऊपर घेरा में दिए गए अंग्रेज अधिकारी के कथन को भारतीय सैनिकों के संदर्भ में किस रूप में आप देखते हैं ? (पृष्ठ 88) उत्तर—अधिकारी का कथन उसके मन में समाया हुआ डर था । वह यह समझ रहा था कि यदि भारतीय किसानों को सताया गया तो भारतीय सैनिक इसे बरदाश्त नहीं कर सकेंगे। इसी संदर्भ में उसने कहा कि यहाँ किसानों को सताया गया तो वह भारतीय सिपाहियों पर विश्वास नहीं कर सकते। कारण कि हर भारतीय सिपाही किसी-न-किसी भारतीय किसान से सम्बद्ध है ।
प्रश्न 2. विद्रोही सैनिकों ने मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को ही अपना ( पृष्ठ 90 ) नेता क्यों चुना ? उत्तर- बहादुरशाह जफर मुगल वंश के ही थे। मुगल बादशाह शाह आलम को ही हटाकर अँगरेजों ने दिल्ली पर अधिकार किया था। अब चूँकि बहादुरशाह जफर उन्हीं के वंशज थे अतः उन्हें अपना नेता बनाकर दिल्ली की गद्दी पर बैठा दिया। यह उनका हक भी था ।
प्रश्न 3. कुँवर सिंह के जीवन की कौन-सी बात आपको सबसे अच्छी लगी? बताइए । (पृष्ठ 92) उत्तर – कुँवर सिंह के त्याग की बात मुझे सबसे अच्छी लगी । असी वर्ष की आयु में भी उन्होंने युवकों-सा युद्ध किया । अपनी एक बाँह गंगा को अर्पित करने के बाद भी गिरफ्तार नहीं हुए । विजयी रूप में ही उन्होंने स्वर्ग सिधारा ।
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प्रश्न 4. आप सोचिए कि अंग्रेजों ने पहले दिल्ली पर ही अधिकार क्यों जमाया ? (पृष्ठ 96) उत्तर—चूँकि दिल्ली सदा से भारतीय सत्ता की केन्द्र रही थी । विद्रोहियों द्वारा बनाए गए सम्राट बहादुरशाह जफर दिल्ली में ही रहते थे । दिल्ली ही उनकी राजधानी थी । इसी कारण था कि अंग्रेजों ने पहले दिल्ली पर ही अधिकार जमाना उचित समझा। सम्राट की गिरफ्तारी का अर्थ था कि भारत गिरफ्तार हो गया ।
अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर
आइए फिर से याद करें : प्रश्न 1. सही विकल्प को चुनें :
(i) 1857 का विद्रोह कहाँ से आरंभ हुआ ? (क) मेरठ (ख) दिल्ली (ग) झांसी (घ) कानपुर
(ii) मंगल पाण्डे किस छावनी के युवा सिपाही थे ? (क) दानापुर (ख) लखनऊ (ग) मेरठ (घ) बैरकपुर
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(iii) झांसी में विद्रोह का नेतृत्व किसने किया ? (क) कुँवर सिंह (ख) नाना साहब (ग) लक्ष्मीबाई (घ) बेगम हजरत महल
(iv) कुँवर सिंह कहाँ के जमींदार थे : (क) आरा (ख) जगदीशपुर (ग) दरभंगा (घ) टिकारी
(v) वहाबी आंदोलन का नेतृत्व बिहार में किसने किया था ? (क) पीर अली (ख) विलायत अली (ग) अहमदुल्ला (घ) वजीबुलहक
उत्तर : (i) → (क), (ii) → (घ), (iii) → (ग), (iv) → (ख), (v) → (ख) ।
प्रश्न 2. निम्नलिखित के जोड़े बनाएँ : (क) जगदीशपुर (क) नाना साहब (ख) कानपुर (ख) कुँवर सिंह (ग) दिल्ली (ग) विष्णुभट् गोडसे (घ) लखनऊ (घ) बहादुर शाह जफर (ङ) मांझा प्रवास (ङ) बेगम हजरत महल
उत्तर : (क) जगदीशपुर (ख) कुँवर सिंह (ख) कानपुर (क) नाना साहब (ग) दिल्ली (घ) बहादुर शाह जफर (घ) लखनऊ (ङ) बेगम हजरत महल (ङ) मांझा प्रवास (ग) विष्णुभट् गोडसे
प्रश्न 3. आइए विचार करें :
प्रश्न (i) जमींदार अंग्रेजी शासन का विरोध क्यों कर रहे थे ? उत्तर- चूँकि जमींदारों के साथ अंग्रेजों ने बुरा सलूक किया था । उनकी जमींदारी निलाम कर दी गई थी। इसी कारण जमींदार अंग्रेजी शासन का विरोध कर रहे थे ।
प्रश्न (ii) सैनिकों में असंतोष के क्या कारण थे ? उत्तर—सैनिकों में असंतोष के कारण थे कि अंग्रेजी सिपाही और भारतीय सिपाही में भेद किया जाता था। अंग्रेज सिपाहियों के मुकाबले इन्हें कम वेतन दिया जाता था । प्रोन्नति में भी अंग्रेजों के मुकाबले इनके साथ भेदभाव होता था ।
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प्रश्न (iii) बहादुरशाह जफर के समर्थन से क्या प्रभाव पड़ा ? उत्तर— बहादुरशाह जफर के समर्थन से यह प्रभाव पड़ा कि आन्दोलन का तेजी से विस्तार होने लगा। लोगों में विश्वास जगा कि दिल्ली से अंग्रेजों का राज खत्म हो गया है । अंग्रेजी राज से असंतुष्ट राजाओं, नवाबों और जमींदारों ने यह महसू किया कि अगर फिर से भारत में मुगल बादशाह का शासन आ गया तो वे पुनः पहले जैसा बेफिक्र होकर अपना काम कर सकेंगे। पूरे उत्तर भारत में विद्रोह फैल गया ।
प्रश्न (iv) विद्रोह को दबाने में अंग्रेज क्यों सफल रहे? उत्तर – विद्रोह को दबाने में अंग्रेज इसलिये सफल रहे क्योंकि उन्होंने इंग्लैंड से बड़ी संख्या में सैनिक मँगा लिया। सैनिकों के साथ ही भारी मात्रा में हथियार भी मंगाये क्योंकि उनके अधिकतर हथियार विद्रोहियों ने लूट लिया था । दूसरी ओर अंग्रेजों के लूटे गए हथियार समाप्त हो चुके थे । फिर कहीं से विद्रोहियों को हथियार मुहैया होने का कोई उपाय नहीं था । यह विद्रोह शीघ्रता में लिया गया निर्णय था । हथियार मंगाने या बनाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई थी। कारतूस समाप्त हो जाने के बाद वे परम्परागत हथियारों तीर, तलवार, बर्छा आदि से लड़ने लगे, किन्तु वे बन्दूकों का मुकाबला नहीं कर सकते थे। फलतः विद्रोहियों को हार जाना पड़ा और अंग्रेज जीत गए ।
प्रश्न (v) 1857 के विद्रोह में कुँवर सिंह का क्या योगदान रहा ? उत्तर- 1857 के विद्रोह में कुँवर सिंह का योगदान था कि दानापुर छावनी के विद्रोही सैनिकों का इन्होंने नेतृत्व किया। इनके सहयोग से उन्होंने आरा नगर से अंग्रेजी राज समाप्त कर दिया। कुँवर सिंह अब बिहार से सटे संयुक्त राज्य (U.P.) की ओर बढ़ चले। उन्होंने बनारस, जौनपुर, आजमगढ़, बलिया आदि क्षेत्रों की यात्रा की और अंग्रेजी राज समाप्त करने के लिये जमींदारों को प्रेरणा दी । अंग्रेजों के संघर्ष के क्रम में वे घायल हा गये । इसके थोड़े दिनों बाद ही इनकी मृत्यु हो गई । प्रसन्नता की बात रही कि उनकी मृत्यु स्वतंत्र जगदीश में ही हुई । उस समय उनके महल पर उनका झंडा लहरा रहा था। उनकी मृत्यु के बाद ही अंग्रेज जगदीशपुर पर अधिकार कर सके ।
Angreji Shasan Ke Khilaf Sangharsh Class 8th History Solutions
प्रश्न (vi) विद्रोहियों के उद्देश्यों को अपने शब्दों में व्यक्त करें । उत्तर—पहले तो विद्रोही सैनिक मात्र अंग्रेजों से अपनी मुक्ति चाहते थे । लेकिन बाद में राजाओं-जमींदारों के आन्दोलन में शामिल होने के बाद विद्रोह का उदेश्य निश्चित हुआ । अपने खोये शासन को वे प्राप्त कर लेना चाहते थे । वे ऐसी शासन व्यवस्था चाहते थे कि उस पर पूरी तरह भारतीयों को अधिकार रहे। उन्होंने घोषणा की कि जिनके राज्य, जिनकी जमींदारी अंग्रेजों ने हड़प लिये थे, वह सब उनके हवाले कर दिया जाएगा । कुल मिला जुलाकर यही कहा जा सकता है कि वे चाहते थे कि पुनः भारत में मुगल शासन को बहाल कर दिया जाय और अंग्रेजों को पूरी तरह भारत से खदेड़ दिया जाय ।
प्रश्न (vii) विद्रोह के बाद अंग्रेजी शासन के स्वरूप में क्या बदलाव आया? उत्तर – विद्रोह के बाद भारत पर अंग्रेजी शासन के स्वरूप में यह बदलाव आया कि ब्रिटिश संसद द्वारा कानून बनाकर भारत से ईस्ट इंडिया कम्पनी का शासन समाप्त कर दिया गया । अब भारत का शासन सीधे इंग्लैंड के राजा के अधीन चला गया । अब संसद में एक ‘भारत मंत्री’ रहने लगा, जो भारत में शासन के लिये जिम्मेदार था । चाहे विदेशी ही सही, अब भारत को संसदीय व्यवस्था पर आधारित शासन मिलने लगा । ब्रिटिश संसद ने भारतीय नागरिकों को अनेक सुविधाएँ दीं ।
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आइए करके देखें : (i) विद्रोह के समय अगर आप होते तो अंग्रेजी शासन का विरोध किस तरह से करते ? सहपाठियों से चर्चा करें । (ii) 1857 के विद्रोह के महत्व पर शिक्षक के सहयोग से वर्ग में परिचर्चा करें ।
कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. ईस्ट इंडिया कंपनी ने सहायक संधि कब लागू की ? उत्तर – ईस्ट इंडिया कंपनी ने सहायक संधि 1801 में लागू की।
प्रश्न 2. कंपनी ने अवध को कब अपने कब्जे में ले लिया? उत्तर – कंपनी ने 1856 में अवध को अपने कब्जे में ले लिया ।
प्रश्न 3. मई 1857 से पहले भारत में अपनी स्थिति को लेकर अंग्रेज शासकों के आत्मविश्वास के क्या कारण थे ? उत्तर – मई 1857 से पहले तक अंग्रेज अपनी स्थिति मजबूत कर चुके थे। अंतिम मुगल सम्राट बेहद कमजोर हो चुका था। उसके पास नाममात्र के भी अधिकार नहीं थे। सभी राजाओं, सूबेदारों तथा नवाबों को अंग्रेज अपने चंगुल में कर चुके थे। उन्होंने भारत की कमजोरी को अच्छी तरह से आंक लिया था । यहाँ परस्पर किसी में भी एकता नहीं थी। सभी एक-दूसरे की टांग खींचने में लगे हुए थे। सभी मराठे सरदार की सोच अपनी- अपनी तरह की थी। परस्पर फूट ने अंग्रेजों को निर्विघ्न राज्य करने का द्वार खोल दिया था। अंग्रेजों के आत्मविश्वास के येही कारण थे ।
प्रश्न 4. बहादुरशाह जफ़र द्वारा विद्रोहियों को समर्थन दे देने से जनता और राज परिवारों पर क्या असर पड़ा ? उत्तर—बहादुरशाह जफ़र द्वारा विद्रोहियों को समर्थन दे देने से जनता में जागृति आ गई। राज परिवार के लोगों को लगा कि उनके पुराने दिन पुनः बहुरेंगे। मुगल सम्राट के विजयी होने की स्थिति में शासन का स्वाद उन्हीं को चखना था। लेकिन यह उनका ख्याली पुलाव साबित हुआ। इनमें से कितने राजा युद्ध में शामिल होने का आश्वासन देने के बावजूद समय पर पलट गए और वे अंग्रेजों का ही साथ देने लगे। यह भारतीयों में फूट का जीता-जागता उदाहरण था ।
प्रश्न 5. 1857 की बगावत के फलस्वरूप अंग्रेजों ने अपनी नीतियाँ किस तरह बदली ? उत्तर – 1857 की बगावत के फलस्वरूप अंग्रेजों ने अपनी नीतियों में जो अहम बदलाव लाये, वे निम्नांकित थे : 1858 में ब्रिटिश संसद ने ईस्ट इंडिया कंपनी के सारे राजकीय अधिकार ब्रिटेन के राजा के अधीन कर दिया। भारतीय मामलों को अधिक बेहतर ढंग से संभालने के लिए ब्रिटिश संसद ने कैबिनेट में एक भारत – मंत्री रखने की व्यवस्था की। भारत का गवर्नर जनरल अब ‘वायसराय’ कहलाने लगा। यह ब्रिटेन की रानी (या राजा) का प्रतिनिधि का हैसियत रखने लगा। इस प्रकार भारत का शासन सीधे ब्रिटेन की संसद के हाथों में आ गया। सभी राजाओं को आश्वासन दिया गया कि अब किसी भी स्थिति में उनके क्षेत्रों के साथ कोई छेड़-छाड़ नहीं किया जाएगा। दत्तक पुत्रों या किसी भी जायज वारिस को सत्ता सौंपने की छूट दे दी गई। लेकिन शर्त थी कि उन्हें ब्रिटिश सत्ता की अधीनता स्वीकारती रहनी होगी।
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