BSEB Class 8 Social Science Chapter 5. शिल्‍प एवं उद्योग | shilp udyog class 8th history solutions

Bihar Board Class 8 Social Science शिल्‍प एवं उद्योग (shilp udyog class 8th history solutions) Text Book Questions and Answers

shilp udyog class 8th history solutions

5. शिल्‍प एवं उद्योग
अध्याय में अंतर्निहित प्रश्न और उनके उत्तर

प्रश्न 1. जामदानी बुनाई वाले कपड़े महँगे क्यों होते थे ? इसका उपयोग सिर्फ रजवाड़े परिवार के लोंग ही क्यों करते थे ? (पृष्ठ 75)
उत्तर- जामदानी कपड़े बुनने में बारीक सूत तथा सोने के महीन तार का उपयोग होता था । उसके डिजाइन में सोना ही लगता था । इस कारण वह महँगा होता था ।
महँगा होने के कारण उसका क्रय और उपयोग धनीमानी लोग तथा रंजवाड़े परिवार के लोग ही करते थे ।

प्रश्न 2. मुक्त व्यापार नीति क्या थी ? (पृष्ठ 76)
उत्तर – मुक्त व्यापार नीति का तात्पर्य था कि भारतीय व्यापार पर से ईस्ट इंडिया कम्पनी का एकाधिकार समाप्त हो गया। अब इंग्लैंड का कोई भी व्यापारी या व्यक्ति भारत के साथ स्वतंत्र रूप से व्यापार कर सकता था ।

प्रश्न 3. उद्योग में लगे हुए भारतीय कारीगर उद्योग को छोड़ कृषि के तरफ क्यों मुड़ गये । (पृष्ठ 78)
उत्तर – उद्योग में लगे हुए भारतीय कारीगर कोई शौक से कृषि के तरफ नहीं मुड़े, बल्कि उद्योगों के बन्द हो जाने की स्थिति में उन्हें कृषि की ओर मुड़ना पड़ा। अंग्रेजों की आर्थिक नीतियों ने भारतीय शिल्प उद्योग को ध्वस्त कर दिया। फलतः कारीगर कृषि मजदूर बन गये ।

प्रश्न 4. नि: औद्योगीकरण का क्या अर्थ है ? (पृष्ठ 78)
उत्तर निः औद्योगीकरण का अर्थ है उद्योगों का बन्द हो जाना । इस स्थिति में कारीगरों को शिल्प और उद्योग को छोड़ कृषि कार्य में लगना पड़ जाता है ।

प्रश्न 5. अंग्रेजी सरकार ने इंगलैंड के कपड़ा उद्योग को बढ़ावा के लिए क्या किया ? भारतीय उद्योगपतियों को यह सुविधा क्यों नहीं मिली ?
उत्तरअंग्रेजी सरकार ने इंगलैंड के कपड़ा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए इंगलैंड ( पृष्ठ 79 ) में कपड़ा पर निर्यात कर नहीं लगाया बल्कि भारतीय कपड़ा पर आयात कर लगा दिया ।
इससे इंगलैंड के कपड़े भारत में सस्ते बिकने लगे और भारतीय कपडे इंगलैंड में महँगे बिकने लगे । फलतः भारत में तो इंगलैंड के कपड़े भारी मात्रा में बिकने लगे और दूसरी ओर भारतीय कपड़ा महँगा होने के कारण यहाँ से इंगलैंड जाना ही रूक गया। हम देखते हैं कि अंग्रेजी सराकर ने इंगलैंड के कपड़ा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए ही निर्यात में छूट और आयत कर में वृद्धि की थी ।
इंगलैंड के वस्त्रोद्योग को बढ़ावा देने के लिए ही भारतीय उद्योगपतियों को किसी प्रकार की सुविधा नहीं दी जा रही थी।
बीसवीं शताब्दी में भारत में महत्वपूर्ण उद्योग जो सामने आया वह था । लोहा-इस्पात उद्योग । लोहा-इस्पात एक ऐसी वस्तु है जो सभी मशीनी उद्योग की रीढ़ की हड्डी है । रिहायसी मकान बनाने से लेकर बड़े-बड़े पुल बनाने में लोहा ही महत्वपूर्ण सामग्री है । इस उद्योग में बहुतों के खाली हाथ को काम मिला । बहुतों को रोजगार मिला । इस प्रकार भारत में स्टील उत्पादन से भारतीय को बहुत लाभ हुआ ।

प्रश्न 6. मशीन उद्योग के शुरू होने से पूर्व भारत में किस तरह का उद्योग था ? मशीनी उद्योग की आवश्यकता भारतीयों को क्यों पड़ी ? (पृष्ठ 80)
उत्तर मशीन उद्योग शुरू होने से पूर्व भारत में गृह उद्योग था । मशीनी उद्योग की आवश्यकता भारतीयों को इसलिए पड़ी, जिससे भारतीय मजदूरों को काम मिल सके । दूसरी आवश्यकता थी यूरोपीय उद्योग से मुकाबला करना और देश को आत्मर्निभर बनाना ।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

सही विकल्प को चुनें:

(i) अठारहवीं शताब्दी में भारत का प्रमुख उद्योग निम्नलिखित में से कौन था ?
(क) वस्त्र उद्योग
(ख) कोयला उद्योग
(ग) लौह उद्योग
(घ) जूट उद्योग

(ii) फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कामर्स ऐण्ड इंडस्ट्री (FICCI) की स्थापना कब हुई ?
(क) सन् 1920 में
(ख) सन् 1927 में
(ग) सन् 1938 में
(घ) सन् 1948 में

(iii) जूट उद्योग का प्रमुख केन्द्र कहाँ था ?
(क) गुजरात
(ख) आंध्र प्रदेश
(ग) बंगाल
(घ) महाराष्ट्र

(iv) सन् 1881 में अंग्रेजी सरकार ने किस उद्देश्य से मजदूरों के लिए नियम बनाए ?
(क) मजदूरों की स्थिति में सुधार के लिए
(ख) अधिक उत्पादन के लिए
(ग) प्रशासनिक सुविधा के लिए
(घ) अपने आर्थिक लाभ के लिए

(v) ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC ) की स्थापना कब हुई ?
(क) 1818 में
(ख) 1920 में
(ग) 1938 में
(घ) 1947 में

उत्तर : (i) – (क), (ii) – (ख), (iii) – (ग), (iv) – (क), (v) – (ख) ।

निम्नलिखित के जोड़े बनाएँ ।
(क) जूट उद्योग                         (क) लखनऊ
(ख) ऊनी वस्त्र उद्योग                  (ख) बंगाल
(ग) जामदानी बुनाई                    (ग) चम्पारण
(घ) लौह उद्योग                         (घ) कश्मीर
(ङ) नील बगान उद्योग               (ङ) जमशेदपुर

उत्तर : (क) जूट उद्योग                (ख) बंगाल    
(ख) ऊनी वस्त्र उद्योग                 (छ) कश्मीर
(ग) जामदानी बुताई                   (क) लखनऊ
(घ) लौह उद्योग                         (ङ) जमशेदपुर
(ङ) नील बगान उद्योग              (ग) चम्पारण

आइए विचार करें :

प्रश्न (i) कैलिको अधिनियम के क्या उद्देश्य थे ?
उत्तरकैलिको अधिनियम का उद्देश्य यह था कि भारतीय कपड़ों को इंग्लैंड में आने से रोकना । इससे इंग्लैंड के कपड़ा उद्योग को संरक्षण मिला ।

प्रश्न (ii) मुक्त व्यापार नीति से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर मुक्त व्यापार नीति लागू होने के पहले इंगलिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के अलावा इंग्लैंड का कोई व्यक्ति या व्यक्ति समूह भारत से व्यापार नहीं कर सकता था । इस नई नीति के लागू हो जाने के बाद इंग्लैंड का कोई भी व्यक्ति या व्यक्ति समूह को भारत से व्यापार करने की छूट मिल गई। यह नीति वास्तव में इंग्लैंड के सभी उद्योगपतियों को संरक्षण देता था। वे अब अपने उत्पाद को भारत भेज सकते थे और भारत से कच्चा माल आयात कर सकते थे ।

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प्रश्न (iii) भारतीय उद्योगपतियों को भारत में उद्योग की स्थापना के मार्ग में क्या-क्या बाधाएँ थीं ?
उत्तर- भारत में उद्योगों को स्थापित करने में सबसे बड़ी बाधा पुँजी की कमी थी । में आनाकानी करते थे। दूसरी बात यह थी बैंकों पर अंग्रेजों का नियंत्रण था, फलतः वे भारतीय उद्योगपतियों को ऋण मुहैया कराने कि यहाँ तकनीकी शिक्षा का भी अभाव था। एसे उद्योगपति भी नहीं थे जो भारत में उद्योग स्थापित करने को उत्सुक हो । अंग्रेजों की मुक्त व्यापार नीति भी इसमें रोड़े अटका रही थी ।

प्रश्न (iv) मजदूरों के हित में पहली बार कव नियम बनाया गया। उन नियमों का मजदूरों पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर – मजदूरों के हित में पहली बार नियम 1881 में बनाया गया। हालांकि इसके पहले ही मजदूरों की सुरक्षा बीमा का कानून बन चुका था । इस नियम से मजदूरों को यह प्रभाव पड़ा कि अब मजदूरों के काम के घंटे निश्चित कर दिये गये। दैनिक मजदूरी भी निश्चित कर दी गई। इसके बावजूद मजदूरों की स्थिति में कोई बहुत बड़ा परिवर्तन नहीं हुआ। उनकी स्थिति दयनीय ही बनी रही। हड़तालें भी होती रहीं ।

प्रश्न (v) स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत सरकार ने उद्योगों की स्थिति में सुधार के लिये कौन-से कदम उठाए ?
उत्तरस्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत सरकार भारत के शिल्प एवं उद्योग के विकास के लिये सतत् प्रयत्न करती रही है । ‘औद्योगिक नीति’ बनाई गई । इसके द्वारा कुटीर उद्योग और लघु उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिये सफल कदम उठाए गये।

आइए करकें देखें :
(i) अठारहवीं शताब्दी के भारत के मानचित्र को देखकर यह बताएँ कि कौन-सा राज्य सूती कपड़ा उद्योग का सबसे बड़ा केन्द्र था ?
(ii) इस पाठ के आधार पर यह बताएँ कि मजदूरों को अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए क्या करना चाहिए ?
संकेत : यह परियोजना कार्य है। छात्र स्वयं करें ।

कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. यूरोप में किस तरह के कपड़ों की भारी माँग थी ?
उत्तर यूरोप में अधिकतर भारतीय कपड़ों में सूती मलमल, छिंट, कोसा जैसे छापेदार सूती वस्त्रों की भारी माँग थी । बंडाला नाम के गुलबन्द की भी भारी माँग थी । बड़े घरानों को कौन कहे, महारानी तक भारतीय रंगीन कपड़ों को पसन्द करती थीं और भारी मात्रा में खरीदा करती थीं। इस प्रकार भारत में बने सभी तरह के सूती वस्त्रों की माँग थी और वह भी भारी मात्रा में ।

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प्रश्न 2. जामदानी क्या है?
उत्तरजामदानी बरीक मलमल के सूती कपड़े पर सूत या सोने के तारों से कढ़ाई की हुई सजावटी वस्त्र है । इसका रंग सलेटी और सफेद होता है । कभी इस तरह के वस्त्र अर्थात जामदांनी बुनाई वाले वस्त्रों का केन्द्र ढाका (बांग्लादेश) और लखनऊ (भारत) हुआ करता था । सूती वस्त्रों से तरह-तरह की कढ़ाई लखनऊ में आज भी होती है । रेशमी कपड़ों पर सोनहला और रूपहला तारों से कढ़ाई का काम आजकल वाराणसी में होता है। यह बनारसी साड़ी के नाम से मशहूर है। धनी घराने में नई दुलहनों के लिए बनारसी साड़ी और चादर अनिवार्य माना जाता है ।

प्रश्न 3. विभिन्न कपड़ों के नामों से उनके इतिहासों के बारे में क्या पता चलता है ?
उत्तरभारत में जिस सूती कपड़े को मलमल कहते हैं, उसे अंग्रेज ‘मस्लिन’ कहते हैं। यह शब्द ईराकी शहर ‘मोसूल’ से निकला है । अंग्रेजों ने यहीं पर इसे अरब व्यापारियों के पास देखा था, जिस कारण ये उसे ‘मस्लिन’ कहने लगे । ‘कैलिको’ शब्द कालीकट से निकला है । पुर्तगाली व्यापारी कालीकट से भारतीय कपड़ा अपने देश में भेजते थे । इस कारण सभी तरह के भारतीय कपड़ों को ‘केलिको’ नाम से पुकारा जाने लगा । न केवल पुर्तगाल में, बल्कि पूरे यूरोप में। एक गज चौड़े और बीस गज लम्बे कपड़े के थान को ‘पीस गुड्स’ कहा जाता था । छिट से ‘शिट्ज’ ‘बंडाला’ शब्द हिन्दी के ‘बांधना’ शब्द का बदला रूप है, जिसका व्यवहार ‘गुलबंद’ के रूप में होता था । अनेक कपड़ों के नाम उनके बनने वाले स्थानों के अनुसार होते थे, जिनमें कासिम बाजार, पटना, कलकत्ता, उड़ीसा, चारपूर, लखनऊ तथा बनारस आदि मशहूर हैं ।

प्रश्न 4. इंग्लैंड के ऊन और रेशम उत्पादकों ने अठारहवीं सदी की शुरुआत में भारत से आयात होने वाले कपड़े का विरोध क्यों किया था ?
उत्तरभारत के सूती वस्त्र की इंग्लैंड में बढ़ती माँग ने इंग्लैंड के ऊनी और रेशमी वस्त्र उत्पादक बेचैन हो गए। उन्हें अपने उत्पादित वस्त्रों की माँग पर खतरा मँडराने लगा । इस कारण वे भारतीय कपड़ों का विरोध करने लगे। सरकार पर दबाव डालकर भारतीय कपड़ों के आयात पर प्रतिबंध लगवाने में वे सफल हो गए। कैलिको अधिनियम भारतीय कपड़ों के इंग्लैंड आयात पर प्रतिबंध के लिए ही पारित किया गया था ।

प्रश्न 5. ब्रिटेन में कपास उद्योग के विकास से भारत के कपड़ा उत्पादकों पर किस तरह के प्रभाव पड़े?
उत्तर ब्रिटेन में कपास उद्योग के विकास से तात्पर्य वहाँ सूती पकड़े के विकास से है। वहाँ कपड़ा उद्योग के विकास ने भारत के कपड़ा उत्पादकों पर बहुत बुरा प्रभाव डाला । ब्रिटेन में कपड़ा उद्योग के विकास ने अमेरिका तथा अफ्रीका तक के बाजारों से भारतीय उत्पादकों को निकाल बाहर कर दिया। भारतीय बुनकरों को बेकारी के कारण खेतीहर मजदूर बन जाना पड़ा। उनकी कमर ही टूट गई । अब आराम के जीवन निर्वाह के स्थान पर वे कठोरतापूर्वक जीवन निर्वाह करने लगे ।

प्रश्न 6. पहले महायुद्ध के दौरान अपना स्टील उत्पादन बढ़ाने में टिस्को को किस बात से मदद मिली ?
उत्तर— टिस्को की स्थापना जमशेदजी नसरवानजी टाटा का एक महान जोखिम भरा काम था। लेकिन उस परिवार ने इस जोखिम को उठाकर देश को एक वरदान के रूप में टाटा समूह ने एक अविस्मरणीय काम किया । टिस्को ने अंग्रेजों के इस घमंड को चूर कर दिया कि जो वे समझते थे कि भारत में उत्तम स्टील का निर्माण नहीं हो सकता, टिस्को ने उसे पूरा करके दिखा दिया । टिस्को की स्थापना के बाद तुरत प्रथम विश्व युद्ध छिड़ गया, जिसमें भारी मात्रा में लोहा और स्टील की आवश्यकता पड़ी और टिस्को को सरकारी आर्डर मिलने लगे । प्रथम विश्व युद्ध के समाप्त होते-होते टिस्को का बहुत विस्तार हो चुका था। टिस्को उद्योग ने सम्पूर्ण ब्रिटिश साम्राज्य के लिए रीढ़ की हड्डी का काम किया । कारखाने से ब्रिटिश लोगों को भी लाभ हुआ और टिस्को उद्योग को भी ।

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BSEB Class 8 Social Science Chapter 4.उपनिवेशवाद जन जातीय समाज | Upniveshvad Evam Janjati Samaj Class 8th History Solutions

Bihar Board Class 8 Social Science उपनिवेशवाद जन जातीय समाज (Upniveshvad Evam Janjati Samaj Class 8th History Solutions) Text Book Questions and Answers

Upniveshvad Evam Janjati Samaj Class 8th History Solutions4.उपनिवेशवाद जन जातीय समाज
अध्याय में अंतर्निहित प्रश्न और उनके उत्तर

प्रश्न 1. जनजातीय समाज के लोग जंगल का उपयोग किन-किन चीजों के लिये करते थे ? क्या उनके उद्योग को विकसित करने में भी जंगल की भूमिका थी ? (पृष्ठ 59)
उत्तर जनजातीय समाज के लोग जंगल का उपयोग जलावन की लकड़ी चुनने, भोजन के लिए कन्द-मूल, फल, शहद, जड़ी-बूटी, पशुओं के लिये चारा, घर बनाने के लिए लकड़ी, लाह, रेशम, छोटे-मोटे वन्य जीवों का शिकार, बीड़ी के पत्ते, पत्तल बनाने के लिए पत्ते प्राप्त करने के लिये करते थे । बीड़ी उद्योग, रेशमी वस्त्रं उद्योग, लाह उद्योग आदि उद्योगों को विकसित करने में जंगल की भूमिका थी ।

प्रश्न 2. लगान बन्दोबस्ती एवं जंगल अधिनियम के द्वारा अंग्रेजों ने आदिवासियों के साथ कैसा व्यवहार किया ? यदि आप उनमें से एक होते तो आपकी क्या प्रतिक्रिया हुयी होती ?
उत्तरलगान बन्दोबस्ती एवं जंगल कानून का आदिवासियों पर बहुत बुरा प्रभाव ( पृष्ठ 63 ) पड़ा। एक तो उन्हें अपनी ही जमीन पर कर देना पड़ गया । ये सीधे-सादे लोग महाजनों से कर्ज लेने को विवश होने लगे। इनके सीधापन और महाजनों की काइयांपनी और बेईमानी से आदिवासियों को पता ही नहीं चलता था कि 100 रुपया लिया था, उसका ब्याज कितना हुआ । उन्हें गलत सलत पाठ पढ़ाकर महाजन उनकी जमीन लिखा लिया करते थे। इससे आदिवासी भूमिहीन होने लगे । यदि मैं इनमें से एक होता तो सरकार के अलावा महाजनों के विरुद्ध भी आन्दोलन छेड़ देता।

प्रश्न 3. क्या जनजातीय विद्रोह सिर्फ अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह था ? इन विद्रोहों के लिये सेठ – साहुकार एवं महाजन कहाँ तक जिम्मेदार थे ? (पृष्ठ 65)
उत्तर जनजातीय विद्रोह अंग्रेजों के साथ ही उनके सहयोगी और गैर आदिवासियों एवं शोषकों के खिलाफ लड़ाई शुरू कर दी। गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, त्रिपुरा, कर्नाटक आदि राज्यों में इन्होंने महाजनों एवं साहूकारों के शोषण के खिलाफ अंग्रेजों के कानूनों को मानने से इन्कार कर दिया। गोड़वाना के गोड़ जाति के आदिवासी अपनी जमीन की सुरक्षा, अपने उत्पाद के उचित मूल्य, वन से सम्बद्ध विभिन्न गतिविधियों से बिचौलियों और ठेकेदारों को दूर रखने, साहूकारों के शोषण आदि को रोकने के लिये विद्रोह आरम्भ कर दिया। इस प्रकार हम देखते हैं कि जनजातीय विद्रोह न केवल अंग्रेजों के विरुद्ध बल्कि सेठ साहुकारों और महाजनों के विरुद्ध भी था ।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

आइए फिर से याद करें :
प्रश्न 1. सही विकल्प चुनें :

(i) जनजातीय समाज के लोग आम भाषा में क्या कहलाते थे ?
(क) हरिजन
(ख) आदिवासी
(ग) सिक्ख
(घ) हिन्दू

(ii) दिकू किसे कहा जाता था ?
(क) अंग्रेज
(ग) गैर आदिवासी
(ख) महाजन
(घ) आदिवासी

(iii) बिरसा मुंडा किस क्षेत्र के निवासी थे ?
(क) छोटानागपुर
(ख) संथाल परगना
(ग) मणिपुर
(घ) नागालैंड

(iv) गिंडाल्यू ने अंग्रेजी सरकार की दमनकारी कानूनों को नहीं मानने का भाव जनजातियों में जगाकर गाँधीजी के किस आंदोलन से जनजातिय आंदोलन को जोड़ने का सफल प्रयास किया ?
(क) असहयोग आंदोलन
(ख) सविनय अवज्ञा आंदोलन
(ग) भारत छोड़ो आंदोलन
(घ) खेड़ा आंदोलन

(v) झारखंड राज्य किस राज्य के विभाजन के परिणामस्वरूप बना ?
(क) बिहार
(ख) बंगाल
(ग) उड़ीसा
(घ) मध्य प्रदेश

उत्तर (i) – (ख), (ii)- (ग), (iii)- (ख), (iv) – (ख), (v)-(क) ।

प्रश्न 2. निम्नलिखित के जोड़े बनाएँ :
(क) जादोनांग                            (क) मणिपुर
(ख) बिरसा मुंडा                        (ख) उड़ीसा
(ग) कंध जाति                           (ग) जेलियांगरांग आंदोलन
(घ) टिकेन्द्रजीत सिंह                (घ) ताना भगत आंदोलन
(ङ) जतरा भगत                      (ङ) सिंगबोंगा

उत्तर :
(क) जादोनांग                            (ग) जेलियांगरांग आंदोलन
(ख) बिरसा मुंडा                        (ङ) सिंगबोगा
(ग) कंध जाति                           (ख) उड़ीसा
(घ) टिकेन्द्रजीत सिंह                (क) मणिपुर
(ङ) जतरा भगत                      (घ) ताना भगत आंदोलन

आइए विचार करें :

प्रश्न (i) अठारहवीं शताब्दी में जनजातीय समाज के लिए जंगल की क्या उपयोगिता थी ?.
उत्तरअठारहवीं शताब्दी में जनजातीय समाज के लिये जंगल की यह उपयोगिता थी कि वे पूरी तरह जंगलों पर ही निर्भर थे । ये झूम खेती करते थे, जिससे खाद्यान्न और दलहन उपजा लेत थे । ये समतल खाली भूमि पर भी हल-बैल से खेती करते थे वनों से इन्हें फल-मूल, जलावन तथा घर बनाने की लकड़ी, पशुओं के लिये चारा, मधु, लाह, बीड़ी के पत्ते आदि को एकत्र कर निकटस्त बाजारों में बेचकर नमक और कपड़ा जैसी उपयोगी वस्तुएँ खरीदा करते थे । इनका जीवन पूरी तरह स्वच्छन्द था । ये किसी पर निर्भर नहीं थे, बल्कि गैर जनजाति के लोग ही इन पर निर्भर थे

प्रश्न (ii) आदिवासी खेती के लिये किन तरीकों को अपनाते थे ?
उत्तर- आदिवासी मुख्य रूप में झूम खेती किया करते थे । खाली समतल भूमि और पहाड़ों को काटकर सीढ़ीदार खेत बनाकर खेती करते थे । ये हल-बैल का उपयोग कर खेती करते थे । झूम खेती में हल-बैल की आवश्यकता नहीं थी ।

प्रश्न (iii) गैर आदिवासियों एवं अंग्रेजों के प्रति आदिवासियों का विरोध क्यों हुआ ?
उत्तर –गैर आदिवासी लोग अंग्रेजों से मिलकर आदिवासियों के जीवन में हस्तक्षेप करने लगे। ये उनकी जमीन हड़पने लगे और वनों के उत्पाद के उपयोग पर रोक लगा दिया । अब उनसे लगान की वसूली होने लगी, जो इनके लिये नई बात थी । गैर आदिवासी लोग अंग्रेजों की मदद किया करते थे। रास्ता ये ही बताते थे, जिससे अंग्रेज उन तक पहुँच पाते थे। इन्हीं कारणों से गैर आदिवासियों और अंग्रेजों के प्रति आदिवासियों का विरोध हुआ ।

प्रश्न (iv) ‘वन अधिनियम’ ने आदिवासियों के किन अधिकारों को छीन लिया ?
उत्तर- ‘वन अधिनियम’ से आदिवासियों का जंगलों पर जो परम्परागत अधिकार था, वह उनके हाथ से जाता रहा। अब वे अपनी मर्जी से आवश्यकता के लिए लकड़ी चुनने, पशु चराने, फल- मूल एकत्र करने और शिकार करने जंगलों में जाने जैसे अधिकार से वंचित हो गये । अब ये जंगलों में प्रवेश भी नहीं कर सकते थे । इनके इन अधिकारों के छीन जाने से आदिवासियों का जीवन दूभर हो गया ।

प्रश्न (v) ईसाई मिशनरियों ने आदिवासी समाज में असंतोष पैदा कर दिया। कैसे ?
उत्तर – अंग्रेज शासकों और ठेकेदार महाजनों के साथ ही जंगलों के अन्दर ईसाई मिशनरियों का भी प्रवेश हुआ। ये कहते तो थे कि हम शिक्षा का प्रसार करना चाहते हैं, किन्तु इनका मुख्य उदेश्य था आदिवासियों का धर्म परिवर्तन कराकर ईसाई बना लेना । ये उन्हें दिलासा भी दिलाते थे कि सेठ साहूकारों तथा ठेकेदारों से उनकी रक्षा करेंगे । आदिवासियों ने शीघ्र ही इनकी मंशा भांप ली। फिर भी बहुत से आदिवासी ईसाई बना लिये गये थे । इससे आदिवासी समाज में असंतोष पैदा हो गया ।

प्रश्न (vi) बिरसा मुंडा कौन थे ? उन्होंने जनजातीय समाज के लिये क्या किया ?
उत्तर – बिरसा मुंडा संथाल परगना के एक समाज सुधारक और राजनीतिक नेता थे। उन्होंने जनजातीय समाज को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त कराने के लिये आन्दोलन चलाया और जेल गये। जेल में ही उनकी मृत्यु हो गई ।
जनजातियों की बुराइयों को दूर करने के लिए बिरसा मुंडा ने अनेक काम किये ये उन्हें मांस खाने और शराब पीने से रोका। उन्हें सच्चाई के साथ अंग्रेजों से लड़ने की प्रेरणा दी।

प्रश्न (vii) अंग्रेज संथालों का शोषण किस तरह किया करते थे ?
उत्तर अपनी आय बढ़ाने के लिये अंग्रेजों ने संथालों की जमीन पर लगान लेना शुरू किया और उसकी दर भी बढ़ाते रहे। उन्होंने यह भी प्रयास किया कि अधिकाधिक क्षेत्र अंग्रेजों के अधीन आ जाय। इस तरह संथालों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ा। ये परम्परा से यह समझते आये थे कि जंगल और जमीन पर उनका मौरुसी अधिकार है । इसके लिये वे किसी को लगान देने के पक्ष में नहीं थे। लेकिन अंग्रेजों को तो लगान लेना ही था । लगान देने के कारण ही उनपर कर्ज का बोझ बढ़ने लगा। महाजन ब्याज की रकम बढ़ाते-बढ़ाते इतना अधिक कर देते थे कि संथालों को अपनी जमीन उनके हाथ बेच देने को मजबूर हो जाना पड़ता था । इस प्रकार अंग्रेज और उनके चहेतों द्वारा संथालों का हर तरह से शोषण होने लगा । स्थिति यहाँ तक आ पहुँची कि उन्हें गंधुआ मजदूर तक बन जाना पड़ा ।

प्रश्न (viii) जादोनांग कौन था ? उसकी उपलब्धियों के विषय में बताइए ।
उत्तरजादोनांग नागा जनजाति का एक नेता था । उसने अपनी चचेरी बहन गिंडाल्यू के साथ मिलकर भूमिगत आन्दोलन चलाना शुरू किया। लेकिन इसकी भनक अंग्रेजों को लग गई। एक झूठे मामले में फंसाकर अंग्रेजों ने जादोनांग को फाँसी पर लटका दिया । फिर भी आन्दोलन रुका नहीं । गिंडाल्यू ने आंदोलन को जारी रखा। लेकिन गिंडाल्यू भी पकड़ में आ गई और उसे आजीवन कारावास की सजा हो गई ।
जादोनांग ने जो ज्योति जलाई थी वह गिंडाल्यू ने जारी रखा और उसके जेल चले जाने के बाद उनके अनुआइयों ने आंदोलन को जारी रखा। बाद में वह आंदोलन गाँधीजी के आंदोलन में विलय कर गया ।
जादोनांग की मुख्य उपलब्धि थी कि उनके आंदोलन से नागा जाति के लोगों में जागृति आई और वे देश की मुख्य धारा से जुड़ गए।

प्रश्न (ix) जनजातीय विद्रोह में महिलाओं की भूमिका का वर्णन करें ।
उत्तर – अंग्रेजों के खिलाफ आदिवासियों के विद्रोह में न केवल पुरुष, बल्कि महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया। संथाल विद्रोह में राधा और हीरा नामक महिलाओं ने गंडासा, कुल्हाड़ी और लाठी से अंग्रेजों का मुकाबला किया। बाद में ये गिरफ्तार कर ली गईं। सिद्धू की बहन फूलो और झानो ने अंग्रेजी कैंप में घुसकर 21 सैनिको को तलवार के घाट उतार दिया । बिरसा मुंडा की महिला साथी और चम्पी ने भी सैन्य संगठन किया और अंग्रेजों से मुकाबला किया। गया मुंडा की पत्नी मानीबूई, बेटी थींगी नागी और लेम्बू तथा बहुओं ने अंग्रेजों के खिलाफ हथियार उठाया । उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के गिडाल्यू का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखने योग्य हैं ।

प्रश्न (x) जनजातीय समाज की महिलाओं का घरेलू उद्योग क्या था ?
उत्तरजनजातीय समाज की महिलाओं का घरेलू उद्योग था चटाई बनाना, सूत कातना, वस्त्र बुनना आदि उद्योग ।

Upniveshvad Evam Janjati Samaj Class 8th History Solutions

आइए करके देखें :
(i) अंग्रेजी शासन के पूर्व जनजातीय समाज के लोगों का जीवन कैसा था ? अंग्रेजों की नीतियों से उसमें क्या परिवर्तन आया ? वर्ग में शिक्षक के साथ परिचर्चा करें |
(ii) उत्तर पूर्व भारत का जनजातीय विद्रोह भारत के अन्य भागों के जनजातीय विद्रोहों से किस तरह अलग था ?
संकेत : ये परियोजना कार्य हैं। छात्र स्वयं करें ।

कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. भगवान बिरसा किस कबिलाई जाति के थे ?
उत्तरभगवान बिरसा मुंडा कबिलाई जाति के थे ।

प्रश्न 2. किन्हीं दो कबिलायी जाति के नाम बताइए जो भगवान बिरसा को अपना नेता मानते थे ।
उत्तरसंथाल तथा उराँव लोग भगवान बिरसा को अपना नेता मानते थे

प्रश्न 3. दीकु कौन थे ?
उत्तरदीकु वे बाहरी लोग थे, जो आदिवासियों का तरह-तरह से शोषण करते थे । अंग्रेजों को भी आदिवासी दीकु ही कहते थे ।

प्रश्न 4 कंध आदिवासी कहाँ रहते थे ?
उत्तर- कंध आदिवासी उड़ीसा के जंगलों में रहते थे ।

प्रश्न 5. कंघ आदिवासियों की रोजी क्या थी?
उत्तर कंध आदिवासियों की रोजी शिकार करना तथा फल-फूल चुनना था ।

Upniveshvad Evam Janjati Samaj Class 8th History Solutions

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BSEB Class 8 Social Science Chapter 3. ग्रामीण जीवन और समाज | Gramin Jivan Aur Samaj Class 8th History Solutions

Bihar Board Class 8 Social Science भारत में अंग्रेजी राज्‍य की स्‍थापना (Gramin Jivan Aur Samaj Class 8th History Solutions) Text Book Questions and Answers

Gramin Jivan Aur Samaj Class 8th History Solutions

3. ग्रामीण जीवन और समाज

अध्याय में अंतर्निहित प्रश्न और उनके उत्तर

प्रश्न 1. लगान वसूली का अधिकार मिलने से गाँवों में क्या परिवर्तन आया होगा ? आपकी नजर में भूमि का मालिक कौन हो गया ? (पृष्ठ 44)
उत्तर – लगान वसूली का अधिकार मिलने से गाँवों में यह परिवर्तन आया कि किसान जमींदारों पर निर्भर हो गये । उन्हें किस वर्ष कितना लगान देना होगा, यह जमींदार निर्धारित करते थे। इस अर्थ में किसान मजबूर थे । अब भूमि के मालिक वे जमींदार हो गये, जिन्हें लगान वसूलने का अधिकार मिला था ।

प्रश्न 2. रिकार्डों के मत के अनुसार बड़े और सम्पन्न किसानों की आय पर आय कर लगाना क्या उचित होगा ? सोचें । (पृष्ठ 47)
उत्तर – नहीं, किसी भी तरह किसी किसान पर आय कर लगाना उचित नहीं होगा। जमीन पर हमेशा बराबर ही उपज होगी या नहीं होगी, इसका ठिकाना नहीं, अतः कैसे निश्चत होगा कि किसपर कितना कर लगाया जाय। फिर बड़े जोत वाले किसान आज रहे कहाँ ? उनकी जमीन तो गरीबों में बांट दी गई है और बांटी जा रही है । अतः कर का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता ।

प्रश्न 3. महालवारी व्यवस्था में पूरे गाँव से एक परिवार द्वारा लगान वसूलने में किस प्रकार की कठिनाई आती होगी ? (पृष्ठ 48)
उत्तर – कोई कठिनाई नहीं आती होगी । कर्मचारी रखकर तो अनेक गाँवों का राजस्व वसूला जा सकता है । यहाँ तो एक गाँव की बात है। कोई कठिनाई नहीं आती होगी ।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

आइये फिर से याद करें :
प्रश्न 1. सही विकल्प को चुनें :

(i) बिहार में अंग्रेजों के समय किस तरह की भूमि व्यवस्था अपनाई गई ?
(क) स्थायी बंदोबस्त
(ख) रैयतवारी व्यवस्था
(ग) महालवारी व्यवस्था
(घ) इनमें से कोई नहीं

(ii) अंग्रेजों के आने के पहले भूमि का मालिक कौन होता था ?
(क) जमींदार
(ख) व्यापारी
(ग) किसान
(घ) राजा

(iii) रैयतवारी व्यवस्था में जमीन का मालिक किसे माना गया ?
(क) किसान
(ख) जमींदार
(ग) गाँव
(घ) व्यापारी

(iv) अंग्रेजी शासन द्वारा भारत में अपनाई गई नई भूमि व्यवस्थाओं का प्रमुख उद्देश्य क्या था ?
(क) अपनी आय बढ़ाना
(ख) भारतीय गाँवों पर अपने शासन को मजबूत करना
(ग) व्यापारिक लाभ प्राप्त करना
(घ) किसानों का समर्थन प्राप्त करना

उत्तर– (i) – (क), (ii) -(घ), (iii) -(क), (iv) – (क) ।

प्रश्न 2. निम्नलिखित के जोड़े बनाएँ :
(क) महालवारी                                  (क) 1793
(ख) नील दर्पण                                  (ख) बिहार
(ग) नकदी फसल                              (ग) दीनबंधु मित्र
(घ) स्थायी भूमि व्यवस्था                    (घ) पंजाब

उत्तर :
(क) महालवारी                              (घ) पंजाब
(ख) नील दर्पण                              (ग) दीनबंधु मित्र
(ग) नकदी फसल                           (ख) बिहार
(घ) स्थायी भूमि व्यवस्था                 (क) 1793

आइए विचार करें :

प्रश्न (i) अंग्रेजी शासन के पहले भारतीय भूमि व्यवस्था एवं लगन प्रणाली के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर – अंग्रेजी शासन के पहले भारतीय भूमि व्यवस्था एवं लगान प्रणाली के विषय में मैं यह जानता हूँ कि हर गाँव में एक व्यक्ति होता था जिसे राजा द्वारा काफी भूमि दी जाती थी। वही व्यक्ति जमींदार के रूप में किसानों से लगान वसूलता था और उस रकम को अपने पास रख लेता था । इसके एवज में वह जमींदार राजा को अनेक प्रकार से सेवा करता था । राजा द्वारा जो आदेश दिया जाता था, उसे पूरा करना उस जमींदार का कर्तव्य होता था ।

प्रश्न (ii) स्थायी बन्दोबस्ती की विशेषताओं को बताएँ ।
उत्तर—स्थायी बंदोबस्त की विशेषताएँ निम्नांकित थीं :
(i) जमींदारों की नियुक्ति – अंग्रेजों ने क्षेत्र विशेष के राजाओं, तालुकेदारों तथा बाहुबलियों को जमींदार के रूप में नियुक्त कर दिया। यह निश्चित कर दिया गया कि एक खास क्षेत्र का वे लगान वसूलें और एक निश्चित राशि कंपनी के खाते में जमा कर दें। शेष बची राशि को वे अपनी आय मानें।
(ii) कृषि का विकास- कंपनी के अफसरों को विश्वास था कि जमींदार अपनी आय से कृषि में विकास करेंगे। नहर, कुएँ, पइन आदि खुदवाएँगे जिससे उपज बढ़ेगी । उपज बढ़ने से जमींदारों की आय भी बढ़ सकती थी। लेकिन जमींदारों ने ऐसा नहीं किया ।
(iii) कंपनी की आय का निश्चित होना—स्थायी बन्दोबस्त से कंपनी की आय निश्चित हो गई। इधर जमींदारों की आय में इजाफा पर इजाफा होता गया। किसानों से वे मनमाना लगान वसूलने लगे और उनसे बेगारी भी कराने लगे। सभी जमींदार कुछ लठीधर बाहुबली रखने लगे, जिनसे किसान डरे-सहमे रहते थे ।
(iv) किसानों का नुकसान – कंपनी की आय तो निश्चित हो गई और जमींदार भी मौज-मस्ती से रहने लगे। लेकिन किसानों की स्थिति दयनीय रहने लगी। बाढ़ या सूखा जैसी आपदाओं के कारण फसल भारी जाने की स्थिति में भी उनसे लगान वसूला जाता था। नहीं देने पर उनका खेत निलाम कर दिया जाता था ।

प्रश्न (iii) अंग्रेजी सरकार द्वारा बार-बार भूमि राजस्व व्यवस्था में किये जाने वाले परिवर्तनों को आप किस रूप में देखते हैं ? अपने शब्दों में बताएँ ।
उत्तर — अंग्रेजी सरकार द्वारा भूमि राजस्व व्यवस्था में इसलिये बार-बार परिवर्तन किया जाता था, ताकि उनकी आय में वृद्धि हो । वे अधिक-से-अधिक लाभ चाहते थे, कारण कि उसी रकम से उन्हें माल खरीद कर अपने देश भेजना पड़ता था । एक बात यह भी है भारत के सभी क्षेत्रों में एकबार में ही उनका शासन स्थापित नहीं हुआ । जैसे- जैसे इनका विस्तार हुआ, क्षेत्र विशेष में वैसे-वैसे राजस्व वसूली का तरीका बदलता रहा है। इन बातों में भी लाभ बढ़ाने की मंशा थी ।

प्रश्न (iv) अंग्रेजों की भूमि राजस्व व्यवस्था आज की व्यवस्था से कैसे अलग थी ? संक्षेप में बताएँ ।
उत्तर — अंग्रेजों की भूमि राजस्व व्यवस्था ऐसी थी कि वे लगान वसूलने के लिये जमींदार नामक मध्यस्थ रखते थे जबकि आज की व्यवस्था यह है कि सरकार सीधे अपने कर्मचारियों के द्वारा किसानों से राजस्व वसूलती है ।

प्रश्न (v) नई राजस्व नीति का भारतीय समाज पर क्या असर हुआ ?
उत्तर— नई राजस्व नीति का भारतीय समाज पर यह असर हुआ कि किसानों और सारकार का परस्पर निकट का सम्बंध स्थापित हा गया । जमींदार पहले किसानों को सताया करते थे, नजराना लेते थे । इस मनमानी से भारतीय समाज को मुक्ति मिल गई ।

प्रश्न (vi) नील की खेती की प्रमुख समस्याओं की चर्चा करें ।
उत्तर-नील की खेती से जमीन अनुर्वरु हा जाती थी । इस कारण किसान नील उपजाना नहीं चाहते थे। लेकिन अंग्रेजों के कारिन्दे किसानों से जबरन नील की खेती कराते थे। किसान मजबूर थे । नील की खेती से किसानों को मुक्त कराने के लिये ही चम्पारण में गाँधीजी को बीच-बचाव करना पड़ा था ।

आइए करें देखें :
(i) अंग्रेजी राज के समय उत्पादित फसलों में से कौन-कौन आज भी उत्पादित होती है ? वर्ग में सहपाठियों से चर्चा करें ।
(ii) खेती करने के तौर-तरीकों में पहले की अपेक्षा आज किस तरह का बदलाव आया है ? बुजुर्गों से पता करें |
संकेत : यह परियोजना कार्य है। छात्र स्वयं करें ।

कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. अंग्रेजों ने दीवानी किससे और कब प्राप्त की थी ?
उत्तर—अंग्रेजों ने एक कमजोर और बक्सर युद्ध में हारे हुए मुगल बादशाह से 12 अगस्त 1765 में दीवानी प्राप्त की थी ।

प्रश्न 2. कंपनी के दीवान बनने के बाद किसान गाँव छोड़कर क्यों भागने लगे ?
उत्तर—कारण यह था कि किसानों से जबरन लगान वसूला जाता था, लेकिन कृषि की उपज बढ़ाने का कोई उपाय नहीं किया जाता था। अब किसान अपने खाने और लगान चुकाने तक के लिए अन्न प्राप्त नहीं कर पाते थे । इसी से वे गाँव छोड़ कर भागने लगे ।

प्रश्न 3. लगान वसूलने के लिए स्थायी बन्दोबस्त व्यवस्था कहाँ लागू की गई ?,
उत्तर – पश्चिमी बंगाल सूबे (आज के बिहार, झारखंड और उड़ीसा) में लगान वसूलने के लिए स्थायी बन्दोबस्त व्यवस्था लागू की गई ।

प्रश्न 4. किसान अफीम की खेती क्यों नहीं करना चाहते थे ?
उत्तर—अफीम का मूल्य किसानों को बहुत कम दिया जाता था, जबकि उसे चीन में महँगे भाव पर बेचा जाता था ! मेहनत के मुकाबले अफीम की खेती से आमदनी बहुत कम होती थी। इसी कारण किसान अफीम की खेती करना नहीं चाहते थे ।

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BSEB Class 8 Social Science Chapter 2. भारत में अंग्रेजी राज्‍य की स्‍थापना | Bharat Me Angreji Rajya Ki Sthapna Class 8th History Solutions

Bihar Board Class 8 Social Science भारत में अंग्रेजी राज्‍य की स्‍थापना  (Bharat Me Angreji Rajya Ki Sthapna Class 8th History Solutions) Text Book Questions and Answers 

Bharat Me Angreji Rajya Ki Sthapna Class 8th History Solutions

2. भारत में अंग्रेजी राज्‍य की स्‍थापना

अध्याय में अंतर्निहित प्रश्न और उनके उत्तर

प्रश्न 1. आठवीं शताब्दी में किस देश के व्यापारी भारत में व्यापार करने आये थे ? (पृष्ठ 23)
उत्तर—आठवीं शताब्दी में फारस के व्यापारी भारत में व्यापार करने आये थे.

प्रश्न 2. 1707 में मुगल बादशाह औरंगजेब की मृत्यु के बाद भारत में कौन- कौन से राज्य बने ? ( पृष्ठ 23 )
उत्तर- 1707 में मुगल बादशाह औरंगजेब की मृत्यु के बाद बनें राज्य :
(i) बंगाल, अवध और हैदराबाद ।
(ii) राजपुताना के सभी राज्य ।
(iii) मराठा, सिक्ख, जाट एवं बुन्देला ।

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प्रश्न 3. कुछ ऐसे यूरोपीय देशों के नाम बताएँ जो 15वीं से 17वीं शताब्दी के बीच व्यापार करने के उद्देश्य से हमारे देश भारत में आये ? (पृष्ठ 23)
उत्तर – पुर्तगाल, हालैंड, फ्रांस तथा इंग्लैंड |

प्रश्न 4. बास्कोडिगामा ने भारत से वापस जाते समय किन-किन वस्तुओं को खरीदा ?
उत्तर — काली मिर्च, नील, शोरा, सूती वस्त्र तथा घोड़े लेकर वास्कोडिगामा भारत से अपने देश लौटा ।

प्रश्न 5. वाणिज्यवाद से आप क्या समझते हैं? (पृष्ठ 26)
उत्तर— वाणिज्यवाद का मतलब लाभ कमाने के उद्देश्य से की गई व्यापारिक गतिविधियाँ हैं ।

प्रश्न 6. आज कल की कम्पनियाँ ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने के लिये क्या करती है ? (पृष्ठ 26)
उत्तर—आज कल की कम्पनियाँ उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन करती हैं और अपने देश में बेचती हैं। बिक्री बढ़ाने के लिये अखबार में और टी. वी. पर प्रचार कराती हैं। ये निर्यात का भी सहारा लेती हैं

प्रश्न 7. आज मुर्शिदाबाद शहर की क्या स्थिति है ? (पृष्ठ 26)
उत्तर-आज मुर्शिदाबाद रौनकयुक्त शहर के स्थान पर एक कस्बा भर रह गया है। लेकिन महीन खादी के कपड़ों के लिये आज भी यह याद किया जाता है ।

प्रश्न 8. कम्पनी की फैक्ट्री मद्रास और बंबई में भी थे। आज इन जगहों को किस नाम से जाना जाता है ? (पृष्ठ 30)
उत्तर— मद्रास को आज चेन्नई कहा जाता है। (चेन्नादेवी के कारण) बंबई को आज मुम्बई कहा जाता है। (मुंबा देवी के नाम पर)

प्रश्न 9. जरा सोचिए, बिना शुल्क चुकाये व्यापार करने के क्या परिणाम हुए होंगे ? (पृष्ठ 30)
उत्तर- बिना शुल्क चुकाये व्यापार करने के परिणाम हुए होंगे कि राज्य का खजाना खाली होता गया होगा । अफसर और कारिन्दों के वेतन तो देना ही पड़ता होगा, आय नादारद थी ।

प्रश्न 10. दस्तक क्या था ? (पृष्ठ 34)
उत्तर— दस्तक वह प्रमाण पत्र था, जिसे अंग्रेज अधिकारी निर्गत करते थे । इसे. दिखाने पर व्यापारिक शुल्क नहीं देना पड़ता था ।

प्रश्न 11. मुंगेर किस नदी के किनारे बसा है ? यह किन-किन चीजों के लिये प्रसिद्ध है ? पता करें | (पृष्ठ 34)
उत्तर – मुंगेर गंगा नदी के किनारे बसा है । यह कासिम का किला, सीता कुण्ड, सिगरेट फैक्टरी तथा ‘जमालपुर रेलवे कारखाने के लिये प्रसिद्ध है।

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प्रश्न 12. कम्पनी को दीवानी मिलने से क्या-क्या फायदा हुए ? (पृ० 35)
उत्तर – दीवानी मिलने से कम्पनी को लाभ हुए कि अब उन्हें व्यापारिक माल खरीदने के लिए धन इंग्लैंड से नहीं मँगाना पड़ता था । कर वसूली की रकम से ही वे व्यापारिक वस्तुएँ खरीदते थे और इंग्लैंड भेजते थे । हमसे उनका लाभ दूना हो गया ।

प्रश्न 13. पाठ्यपुस्तक में दिए गए कारणों के अलावा अंग्रेजों की सफलता के और क्या कारण हो सकते हैं? (पृष्ठ 39)
उत्तर—वे एक नम्बर के कांइया थे । केवल अपने लाभ की बात सोचते थे । उनके पास बन्दूक नामक एक ऐसा हथियार था, जिसका भारतीयों में अभाव था । वे यहीं के लोगों से यहीं के लोगों को मरवाते थे । फूट डालने में वे माहिर थे । उनकी नीति ही थी कि ‘फूट डालो राज करो।’

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

आइए फिर से याद करें :

प्रश्न 1. रिक्त स्थानों को भरें :
(क) भारत और यूरोप के बीच स्थल मार्ग से होनेवाले व्यापार में ……………. की महत्वपूर्ण भूमिका थी।
(ख) कंपनी द्वारा खरीदा गया माल ………………… में रखा जाता था ।
(ग) एक के बाद एक कई लड़ाइयों में मराठों को …………………. कर दिया ।
(घ) …………… अंग्रेजों के साथ सबसे पहले आर्थिक सहायक संधि को स्वीकार किया ।
(ङ) ……………… ने विलय नीति का अनुसरण किया ।

उत्तर : (क) फारस के व्यापारियों, (ख) फैक्टरी, (ग) कमजोर, (घ) हैदराबाद, (ङ) अंग्रेजों ।

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प्रश्न 2. सही और गलत बातइए :
(क) यूरोप के व्यापारी भारत में अपना माल बेचने और बदले में यहाँ से सोना चाँदी लेने आए थे ।
(ख) ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत में व्यापार करने का एकाधिकार मिल गया ।
(ग) भारतीय राज्य एकता के अभाव में एक-एक कर अंग्रेजी शासन के अधीन होते चले गए ।
(घ) कर मुक्त व्यापार से बंगाल के राजस्व का काफी नुकसान हो रहा था।
(ङ) कंपनी की सेना की जीत हुई, क्योंकि उनके पास भारतीय सेनाओं से बेहतर तोपें और बंदूकें थीं ।

उत्तर — (क) गलत, (ख) सही (केवल इंग्लैंड के संदर्भ में), (ग) सही, (घ) सही, (ङ) सही ।

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आइए विचार करें :

प्रश्न (i) यूरोप की व्यापारिक कंपनियों ने क्यों भारत के राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप करना शुरू किया ?
उत्तर – यूरोप की व्यापारिक कंपनियों ने भारत के राजनीतिक मामलों में इसलिये हस्तक्षेप करना शुरू किया क्योंकि वे भारतीय राजाओं की कमजोरी को भांप गए थे । वे यहाँ व्यापार का विस्तार चाहते हुए अपना शासन भी स्थापित करना चाहते थे ।

प्रश्न (ii) अंग्रेज बंगाल पर क्यों अधिकार करना चाहते थे ?
उत्तर — अंग्रेज बंगाल पर इसलिए अधिकार करना चाहते थे कि वे वहाँ की दीवानी पर अधिकार जमा सकें। उनकी सोच दूरगामी थी । वे किसी प्रकार दिल्ली तक पहुँचना चाहते थे ।

प्रश्न (iii) क्यों और किन परिस्थितियों में भारतीय शासकों ने सहायक संधि की शर्तों को स्वीकार किया ?
उत्तर—भारतीय शासकों में एकता नहीं थी । इस कारण अलग-अलग वे अपने को अंग्रेजों से कमजोर समझते थे। उनसे युद्ध करने से वे डरते थे। मुगलों की अधीनता में रहते-रहते वे आराम तलब और ऐय्याश हो गए थे ।

प्रश्न (iv) पलासी और बक्सर के युद्धों में आप किसे निर्णायक मानते हैं और क्यों ?
उत्तर – पलासी और बक्सर के युद्धों में मैं बक्सर के युद्ध को निर्णायक मानता हूँ । कारण कि पलासी के युद्ध में केवल बंगाल का नवाब हारा था । उससे केवल अंग्रेज वहाँ नवाब बन सकते थे या बना सकते थे । किन्तु बक्सर के युद्ध में उन्होंने एकसाथ तीन शक्तियों को हराया था। मुगल सम्राट को अंग्रेजों से संधि करनी पड़ी और बंगाल बिहार और उड़ीसा के सूबे उन्हें सौंपने पड़े । बंगाल में पैर जमने के बाद ही वे भारत के अन्य क्षेत्रों की ओर बढ़ सके। अवध भी उनके कब्जे में आ गया।

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आइए करके देखें :

(i) मीर कासिम, हैदर अली, टीपू सुल्तान और महाराजा रणजीत सिंह के चित्र अपनी उत्तर पुस्तिका में चिपका कर इनके बारे में जानकारियाँ इकट्ठी करें ।
संकेत : यह परियोजना कार्य है। छात्र स्वयं करें ।

कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. मुगल साम्राज्य का अंतिम शक्तिशाली बादशाह कौन था ? उसकी क्या कमजोरी थी ?
उत्तर- मुगल शासन का अंतिम शक्तिशाली बादशाह औरंगजेब था । उसकी कमजोरी यह थी कि वह भारी धर्मान्ध था । अपने पूर्वजों द्वारा स्थापित हिन्दू-मुस्लिम एकता को उसने छिन्न-भिन्न कर दिया।

प्रश्न 2. औरंगजेब के मरते ही मुगल साम्राज्य कैसे धराशायी हो गया ?
उत्तर – औरंगजेब के मरते ही सूबों के सूबेदार तथा अन्य जागीरदार और जमींदार अपने को केन्द्र से स्वतंत्र कर लिए और उन सूबों के वे स्वतंत्र शासक बन बैठे ।

प्रश्न 3. ईस्ट इण्डिया कंपनी की स्थापना कब और कहाँ हुई ?
उत्तर — ईस्ट इण्डिया कंपनी की स्थापना 1600 ई. में इंग्लैंड में हुई ।

प्रश्न 4. यूरोपीय कंपनियाँ भारत से किन वस्तुओं को यूरोप भेजती थीं ।
उत्तर—यूरोपीय कंपनियाँ भारत से महीन सूती कपड़े, सिल्क, नील, शोरा, गोलमिर्च, इलायची, दालचीनी आदि मसाले खरीदती थीं और यूरोप भेजती थीं ।

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प्रश्न 5. किस युद्ध के बाद ईस्ट इण्डिया कंपनी को अपने पैर जमाने का मौका मिल गया ।
उत्तर—पलासी के युद्ध के बाद ईस्ट इण्डिया कंपनी को अपने पैर जमाने का मौका मिल गया ।

प्रश्न 6. पलासी के युद्ध में सिराजुद्दौला को क्यों हार जाना पड़ा ?
उत्तर — सिराजुद्दौला का सेनापति मीरजाफर के धोखेबाजी से उसे हार जाना पड़ा ।

प्रश्न 7. विलय नीति क्या थी ?
उत्तर—विलय नीति के तहत ईस्ट इण्डिया कंपनी को यह अधिकार था कि जिस राजा या नवाब की मृत्यु के बाद उसका कोई पुरुष उत्तराधिकारी नहीं रहता था, उस राज्य या रियासत को कंपनी अपने अधिकार में ले लेगी ।

प्रश्न 8. ‘पलासीका यह नाम कैसे पड़ा ?
उत्तर—इस स्थान का नाम पलासी नहीं, बल्कि पलाशी था । वास्तव में यहाँ पलाश के पेड़ अधिक होते थे । पलाश के फूल से रंग बनता है । पलाश के पेड़ों की अधिकता के कारण इस स्थान को ‘पलासी’ कहा जाता था ।

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BSEB Class 8 Social Science Chapter 1 कब, कहाँ और कैसे | Kab Kahan Aur Kaise Class 8th History Solutions

Bihar Board Class 8 Social Science कब, कहाँ और कैसे  (Kab Kahan Aur Kaise Class 8th History Solutions) Text Book Questions and Answers

1. कब, कहाँ और कैसे

अध्याय में अंतर्निहित प्रश्न और उनके उत्तर

प्रश्न 1. प्राचीन काल में मनुष्य की जिन्दगी में आनेवाले पाँच मुख्य परिवर्तन क्या हो सकते हैं ?      ( पृष्ठ 1 )
उत्तर : (i) पहले मनुष्य जंगलों में, पहाड़ी गुफाओं में कबीलों के रूप में रहता था ।
(ii) बाद में गाँव, गाँव से कस्बा और कस्बा से शहर बना ।
(iii) फिर राज्य की उत्पत्ति हुई जिसका प्रधान राजा होने लगा
(iv) राज्य बाद में साम्राज्य में बदलने लगे ।
(v) लोगों का जीवन स्थिर हो गया। गाँव शहरों पर निर्भर थे और शहर गाँवों पर निर्भर थे ।

प्रश्न 2. मध्य काल में सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में आए पाँच मुख्य परिवर्तन क्या हो सकते हैं ? (पृष्ठ 1)
उत्तरमध्य काल में आए पाँच सामाजिक परिवर्तन :
(i) समाज में सबसे ऊपर बादशाह था ।
(ii) उसके बाद सरकारी करिन्दे थे ।
(iii) इसके बाद समाज में व्यापारियों और कारीगरों का वर्ग था ।
(iv) गाँवों में किसानों का वर्ग प्रमुखता लिये हुए था ।
(v) पाँचवें स्थान पर कृषि मजदूर थे ।

मध्यकाल में आए पाँच राजनीतिक परिवर्तन :
(i) सबसे ऊपर राजा या बादशाह था ।
(ii) बादशाह के नीचे उसके दरबारी थे ।
(iii) उसके बाद सैनिकों का स्थान था, कर वसूलना भी इन्हीं के अधीन था ।
(iv) चौथे नम्बर पर कोतवाल थे ।
(v) कोतवाल के नीचे उसके सिपाही थे ।

प्रश्न 3. साम्राज्यवाद किसे कहते हैं ? ( पृष्ठ 4 )
उत्तर — सैनिक अथवा कूटनीति के बल पर किसी अन्य देश या देशों पर अधिकार जमा लेने की प्रक्रिया को साम्राज्यवाद कहते हैं। भारत 1947 तक ब्रिटिश साम्राज्य का एक भाग था ।

प्रश्न 4. आधुनिक काल का आरम्भ कब से माना जाता है ? (पृष्ठ 5)
उत्तर—अठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध अर्थात् (1750 ई.) से आधुनिक काल का आरम्भ माना जात हैं।

प्रश्न 5. इतिहास को हम अलग-अलग कालखंडों में बाँटने की कोशिश क्यों करते हैं ? (पृष्ठ 7)
उत्तर – इतिहास को हम अलग-अलग कालखंडों में बांटने की कोशिश इसलिये करते हैं ताकि अध्ययन सुविधा हो । हर काल की अपनी खास विशेषता होती है । निवास स्थान, औजार हार पहनावा और भोजन, बरतन आदि में विभिन्नता होती है । ये सब इतिहास को समझने में मदद करते हैं ।

प्रश्न 6. प्राचीन काल एवं मध्यकाल के कुछ ऐतिहासिक स्रोतों का स्मरण करते हुए निम्न तालिका को भरने का प्रयास करें । (पृष्ठ 7)
उत्तर :

Kab Kahan Aur Kaise Class 8th History Solutions

प्रश्न 7. भारत में पहली और आखिरी जनगणना कब हुई ? आखिरी जनगणना में पूछे गये कुछ सवालों को अपने शिक्षक की मदद से इकट्ठा करें । ( पृष्ठ 9 )
उत्तर — भारत में पहली जनगणना 1881 ई. में तथा आखिरी जनगणना 2011 ई. में हुई। आखिरी जनगणना में पूछे गये कुछ सवाल :
(i) परिवार में व्यक्तियों की संख्या, (ii) उनकी शिक्षा का स्तर, (iii) आय का जरिया, (iv) वार्षिक आय इत्यादि ।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

आइए फिर से याद करें :

प्रश्न 1. रिक्त स्थानों को भरें :
(क) पूँजीपतियों का मुख्य उदेश्य था अधिक से अधिक …………. कमाना ।
(ख) पंद्रहवीं शताब्दी में एक नये आंदोलन की शुरुआत हुई जिसे ……………. कहते हैं ।
(ग) मशीनों से वस्तु के उत्पादन की प्रक्रिया को ………………. क्रांति कहते हैं ।
(घ) ……………… में सरकारी दस्तावेजों को सुरक्षित रखा जाता है ।
(ङ) समय के साथ देश और राज्य की ……………… सीमाओं में परिवर्तन होते रहते हैं ।

उत्तर : (क) लाभ, (ख) पुनर्जागरण, (ग) औद्योगिक, (घ) अभिलेखागार, (ङ) भौगोलिक ।

प्रश्न 2. सही और गलत बताइए :
(क) वैज्ञानिक पद्धति का अर्थ है प्रश्न प्रस्तुत कर प्रयोग द्वारा ज्ञान प्राप्त करना ।
(ख) अंग्रेज इतिहासकार जेम्स मिल का भारतीय इतिहास को धर्म के आधार पर बांटना उचित था ।
(ग) अमरीकी स्वतंत्रता संग्राम के बाद वहाँ के लोगों ने गणतंत्र गाली की शुरूआत नहीं की ।
(घ) ऐतिहासिक स्रोतों से एक आम आदमी के बारे में भी जानकारी मिलती है।
(ङ) आजादी के पहले हमारे देश की जो भौगोलिक सीमा थी, आजादी के बाद भी वही रह गई ।

उत्तर : (क) सही, (ख) गलत, (ग) गलत, (घ) गलत, (ङ) गलत ।

आइए विचार करें :

प्रश्न (i) मध्यकाल और आधुनिक काल के ऐतिहासिक स्रोतों में आप क्या फर्क पाते हैं। उदाहरण सहित लिखिए ।
उत्तर—मध्यकाल के ऐतिहासिक स्रोत उस समय उपयोग किये जाने वाले युद्धक हथियार तलवार, कटार, बर्छा इत्यादि थे । उस काल के सिक्कों से भी इतिहास पर प्रकाश पड़ता है। ग्राम प्रशासन के क्षेत्र में ग्राम पंचायतें अपनी प्रमुखता बनाई हुई थीं । कागज का आविष्कार हो जाने के कारण बहुत-से ग्रन्थ लिखे गये । राजतरंगिनी से कश्मीर के इतिहास पर प्रकाश पड़ता है। गृह उद्योग उन्नत थे। मशीनों का कोई नाम भी नहीं जानता था ।
आधुनिक काल के इतिहास के स्रोतों की संख्या बढ़ने लगी । प्रशासन के क्षेत्र में गणतंत्र का पहिया बढ़ने लगा। आंदोलन और सत्याग्रह महात्मा गाँधी की देन हैं। तरह- तरह की मशीनें आधुनिक काल में ही बनीं। आवागमन के तेज वाहनों का आविष्कार हुआ । सायकिल, मोटरसायकिल, कार, रेल, हवाई जहाज जैसे वाहन प्रकाश में आये । आजादी मिलने के बाद सड़कों पर ट्रक और बसों की आवाजाही बढ़ने लगी है। जिलो से लेकर राज्यों की राजधानी में अभिलेखागार होने लगे, जहाँ सरकारी कामों के साक्ष्य लेखों के रूप में सुरक्षित रखे जाने लगे। मुख्य-मुख्य स्थानों पर पुस्तकालय खुले, जहाँ पुस्तकों और पत्र-पत्रिकाओं का संग्रह किया जाने लगा ।

Kab Kahan Aur Kaise Class 8th History Solutions

प्रश्न (ii) जेम्स मिल ने भारतीय इतिहास को जिस प्रकार काल खंडों में बाँटा, उससे आप कहाँ तक सहमत हैं ?
उत्तर— नहीं, मैं किसी भी स्थिति में किसी तरह सहमत नहीं हूँ। किसी जाति के आधार पर ऐतिहासिक कालखंड को नहीं बाँटा जा सकता । जहाँ तक भारत की बात है, शासन किसी भी जाति का रहा हो, हिन्दुओं की संख्या यहाँ सदैव अधिक रही है । जाति के स्थान पर उसे देशी-विदेशी की बात लिखनी चाहिए थी। किसी भी देश में किसी भी काल में शासन किसी जाति का है, वहाँ सभी जाति के लाग हुआ करते हैं । अतः मिल का हिन्दूकाल और मुस्लिम काल लिखना अत्यन्त गैरवाजिब था ।

प्रश्न (iii) सरकारी दस्तावेजों को हम कैसे और कहाँ-कहाँ सुरक्षित रख सकते हैं ?
उत्तर – सरकारी दस्तावेजों को दीमकहीन स्थानों में अवस्थित अभिलेखागारों में रखा जाता है। हर जिले में सरकारी अभिलेखागार होते हैं। सरकार के एक-एक कागज रेकार्ड के रूप में वहाँ रखा जाता है। इसके अलावा S.D.O के दफ्तर, कलक्टर के दफ्तर तथा कमिश्नर के दफ्तर में भी रिकॉर्ड रूम होते हैं। वहाँ कभी भी किसी समय का कागज देखा जा सकता है।

प्रश्न (iv) यूरोप में हुए परिवर्तन किस प्रकार आधुनिक काल के निर्माण में सहायक हुए ?
उत्तर – यूरोप में मुख्यतः दो परिवर्तन हुए :
(i) पुनर्जागरण आन्दोलन तथा (ii) औद्योगिक क्रांति ।
पुनर्जागरण से चर्चों की मनमानी से मुक्ति मिली । राजाओं की शक्ति समाप्त हुई और धीरे-धीरे सम्पूर्ण यूरोप में गणतंत्री व्यवस्था लागू हो गई। दूसरी घटना औद्योगिक क्रांति थी । उद्योगों में सस्ता और अधिक सामान कम अवधि में ही बनने लगे। उन वस्तुओं ने सम्पूर्ण एशिया तथा अफ्रिका को अपने अधिकार में कर लिए। इससे उन्हें दो लाभ हुए। एक तो सस्ते में कच्चा माल मिलने लगे और दूसरे कि बड़े-बड़े बाजार भी मिले । इससे उपनिवेशों के निवासियों के रोजगार छिन गए। उदाहरण के लिए जहाँ पहले यूरोपीय देश भारत में बने कपड़े खरीद कर यूरोप ले जाते थे, वहीं अब यहाँ से कच्चा माल ले जाने लगे और तैयार माल से भारत के बाजारों को भर दिया । देशवासी भी उन वस्तुओं की ओर आकर्षित हुए कारण कि वे मशीन से बनी सुघड़ और सस्ती थीं ।

आइए करके देखें :

भारत में पहली और आखिरी जनगणना कब हुई ? पता करके कुछ तथ्यों एवं सूचनाओं का संकलन करें, जिसका उपयोग हम ऐतिहासिक स्रोत के रूप में कर सकें ।
संकेत : यह परियोजना कार्य है, छात्र स्वयं करें ।

कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. इतिहास को ऊबाऊ विषय क्यों माना जाता था ?
उत्तर- इतिहास को ऊबाऊ विषय इसलिए माना जाता था क्योंकि इसमें तारीखों को रटना पड़ता था ।

प्रश्न 2. क्या इतिहास में तारीखों को याद रखना आवश्यक है ?
उत्तर— नहीं, इतिहास में तारीखों को याद रखना बहुत अवश्यक नहीं है। किस काम के बाद कौन काम हुआ, यही समझना आवश्यक है ।

प्रश्न 3. जेम्स मिल कौन था ?
उत्तर—जेम्स मिल स्कॉर्टलैंड का एक अर्थशास्त्री और राजनीतिक दार्शनिक था ।

प्रश्न 4. जेम्स मिल ने कौन-सी किताब लिखी?
उत्तर – जेम्स मिल ने ‘ए हिस्ट्री ऑफ ब्रिटिश इंडिया’ (ब्रिटिश भारत का इतिहास) नामक किताब लिखी ।

प्रश्न 5. एशियाई समाज के विषय में मिल की क्या धारणा थी ?
उत्तर – एशियाई समाज के विषय में मिल की धारणा थी कि यूरोप की तुलना में एशियाई समाज की सभ्यता काफी पिछड़ी हुई है ।

प्रश्न 6. भारतीय राजाओं और बादशाहों के विषय में मिल ने क्या सोचा था ?
उत्तर – मिल की सोच थी कि भारतीय राजा और बादशाह तानाशाही शासन चलाते हैं ।

Kab Kahan Aur Kaise Class 8th History Solutions

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BSEB Bihar Board Class 6 Social Science History Chapter 13. संस्‍कृति एवं विज्ञान | Sanskrit Evam Vigyan Class 6th Solutions

Bihar Board Class 6 Social Science संस्‍कृति एवं विज्ञान Text Book Questions and Answers Sanskrit Evam Vigyan Class 6th Solutions

13. संस्‍कृति एवं विज्ञान

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

आइए याद करें (सही उत्तर को चुनें) :

1. अभिज्ञान शाकुन्तलम् की रचना कालीदास ने की। यह क्या है ?
(क) उपन्यास
(ख) नाटक
(ग) कहानी
(घ) कविता

2. मंदिर के महत्त्वपूर्ण भाग जहाँ देवताओं की प्रतिमा रखी जाती थी, उसे क्या कहते थे ?
(क) प्रदक्षिणापथ
(ख) गोपुरम
(ग) गर्भगृह
(घ) दालान

3. दशावतार मंदिर में किस देवता की प्रतिमा है ?
(क) विष्णु
(ख) शिव
(ग) बुद्ध
(घ) ब्रह्मा

4. इनमें से सबसे पहले किस पुस्तक की रचना हुई ?
(क) ऋग्वेद
(ख) रामायण
(ग) महाभारत
(घ) पुराण

5. इनमें से तमिल साहित्य कौन हैं ?
(क) देवी चंद्रगुप्तम
(ख) कुमार संभवम्
(ग) मृच्छकटिकम
(घ) सिलप्पदिकारम

उत्तर- 1. (ख), 2. (ग), 3. (क), 4. (क), 5. (घ) ।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें :

प्रश्न 1. दिल्ली (मेहरौली) के लौह स्तंभ के बारे में पाँच वाक्यों में लिखें।
उत्तर-दक्षिणी दिल्ली के मेहरौली का लौह स्तंभ देखने वालों को आश्चर्य में डाल देता है। उस काल के धातु वैज्ञानिकों को दाद देनी पड़ती है। लगभग 1500 वर्षों से यह स्तंभ शान से खड़ा है। इतने दिनों तक धूप, वर्षा और पाले को बरदाश्त कर रहा है। इसके बावजूद आज तक इसमें कहीं जंग का नामोनिशान नहीं है।

प्रश्न 2. ऐतिहासिक महत्त्व की दो इमारतों के बारे में नाम के साथ पाँच पंक्तियाँ लिखें।
उत्तर-भारत में ऐतिहासिक महत्त्व की अनेक इमारते हैं, जिनमें से लखनऊ स्थित भूल-भुलैया तथा पटने का दरभंगा हाउस है ।
भुलभुलैया की बनावट ऐसी है कि बिना जानकार व्यक्ति को साथ लिए कोई चाहे कि उसमें घुसकर बाहर निकल जाय, यह सम्भव नहीं है। यहीं पता चलता है कि दीवारों को भी कान होते हैं। दीवार में मुँह सटाकर बोलें तो दूर बैठा व्यक्ति भी दीवार में कान सटाकर सुन सकता है। पटने का दरभंगा हाउस महलनुमा दरभंगा के राजा ने बनवाया था। यह गंगा के किनारे अवस्थित है और आज सरकार के अधीन है। इसमें पटना विश्वविद्यालय का एक विभाग कार्यरत है । महल के बीचोंबीच एक गलियारा है जो गंगा तट पर जाता है। तटपर ही काली का प्रसिद्ध मंदिर है।

प्रश्न 3. बौद्ध विहार से क्या समझते हैं ? यह किस धर्म से संबंधित है ?
उत्तर- बौद्ध बिहार से हमारी यह समझ बनती है कि जहाँ पर बौद्ध संन्यासी ठहरते हैं और अपना धार्मिक कृत्य सम्पन्न करते हैं, उसे बौद्ध विहार कहा जाता है। मगध और लिच्छवी क्षेत्र में बौद्ध विहारों की एक श्रृंखला थी, जिस कारण इस प्रदेश का नाम बिहार पड़ा ।
बौद्ध विहार बौद्ध धर्म से सम्बंधित है ।

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BSEB Bihar Board Class 6 Social Science History Chapter 14. हमारे इतिहासकार | Hamare Itihaskar Class 6th Solutions

Bihar Board Class 6 Social Science हमारे इतिहासकार Text Book Questions and Answers Hamare Itihaskar Class 6th Solutions

14. हमारे इतिहासकार

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

आइए याद करें :
1. वस्तुनिष्ठ प्रश्न :

1.काशी प्रसाद जायसवाल का संपर्क लन्दन में किसमे नहीं हुआ ?
(क) श्याम जी कृष्ण वर्मा
(ख) लाला हरदयाल
(ग) सावरकर
(घ) जवाहर लाल नेहरू

2. के. पी. जायसवाल ने सबसे पहले किस विश्वविद्यालय में योगदान दिया ?
(क) मद्रास विश्वविद्यालय
(ख) कलकता विश्वविद्यालय
(ग) पटना विश्वविद्यालय
(घ) लाहौर विश्वविद्यालय

3. के. पी. जायसवाल मर्मज्ञ थे :
(क) इस्लामिक कानून के
(ख) हिन्दू कानून
(ग) ईसाई कानून के
(घ) अंगरेजी कानून के

4. पटना संग्रहालय की स्थापना किनके प्रयासों का परिणाम है ?
(क) ए. एस. अल्तेकर
(ख) महात्मा गाँधी
(ग) के. पी. जायसवाल
(घ) यदुनाथ सरकार

5. के. पी. जायसवाल के बारे में क्या सही नहीं है ?
(क) पटना विश्वविद्यालय में योगदान दिया ।
(ख) ये एक अच्छे अधिवक्ता नहीं थे ।
(ग) रामधारी सिंह दिनकर से इनके नजदीकी संबंध थे ।
(घ) 1924 में इनकी पुस्तक ‘हिन्दू पोलिटी’ प्रकाशित हुई ।

6. ए. एस. अल्तेकर पटना विश्वविद्यालय के पूर्व किस विश्वविद्यालय में कार्यरत थे ?
(क) मद्रास विश्वविद्यालय
(ख) बंबई विश्वविद्यालय
(ग) कलकत्ता विश्वविद्यालय
(घ) बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय

7. ए. एस. अल्तेकर पटना विश्‍वविद्यालय के पूर्व किस वियवविद्यालय में कार्यरत थें ?
(क) राष्ट्रकूटों के इतिहास पर
(ख) गुप्तों के इतिहास पर
(ग) मौर्यों के इतिहास पर
(घ) चालुक्यों के इतिहास पर

उत्तर 1. (घ), 2. (ख), 3. (ख), 4. (ग), 5. (क), 6. (घ), 7. (कं) 1

प्रश्न 2. के० पी० जायसवाल ने इतिहास लेखन में कौन-कौन से विषयों को उठाया ?
उत्तर – के. पी. जायसवाल ने इतिहास लेखन में हिन्दू कानूनों को उठाया । ‘हिन्दू पॉलिटी’ नामक इनकी प्रसिद्ध पुस्तक इसी विषय पर प्रकाश डालती है । इन्होंने प्रशासनिक व्यवस्था पर लिखा कि भारत में निरंकुश राजतंत्र नहीं था, बल्कि संवैधानिक एवं उत्तरदायी राजतंत्र था । अपनी दूसरी पुस्तक ‘हिस्ट्री ऑफ इण्डिया’ में इन्होंने कुषाण साम्राज्य के अंत और गुप्त साम्राज्य के बीच की अवधि पर प्रकाश डाला है। इन्होंने नेपाल का इतिहास भी लिखा। इतिहास की खोज इन्होंने अभिलेखों और सिक्कों को आधार बनाकर की ।

प्रश्न 3. के० पी० जायसवाल एक अच्छे शैक्षणिक स्तर पर संगठनकर्त्ता थे । कैसे ?
उत्तर के. पी. जायसवाल ने बिहार एण्ड उड़ीसा रिसर्च सोसाइटी की स्थापना कर एक अच्छे संगठनकर्त्ता के रूप में अपने को पेश किया। ये इस सोसाइटी के संस्थापक सदस्य बने हैं। पटना संग्रहालय इन्हीं की संगठन शक्ति का प्रतिफल है । डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की मध्यक्षता में इन्होंने ‘बिहार इतिहास परिषद’ की स्थापना की ।
राहुल सांकृतायन और रवीन्द्रनाथ टैगोर से इनका निकट का संबंध था । जायसवाल साहब अनेक सम्मेलनों और संस्थाओं के सदस्य रहे ।

प्रश्न 4. ए० एस० अल्तेकर की विशेषज्ञता किन-किन क्षेत्रों में थी ?
उत्तर ए॰ एस॰ अल्तेकर की विशेषज्ञता इतिहास तथा पुरातत्व के क्षेत्रों में थी । मुद्राशास्त्र के भी ये अच्छे जानकार थे । ‘वैशाली का संवैधानिक इतिहास’ नामक इन्होंने शोध पत्र तैयार किया । इन्होंने ‘वैशाली का अंधकार युग’ अपना सारगर्भित भाषण प्रस्तुत किया। इन सब बातों से सिद्ध होता है कि इतिहास से इनका विशेष लगाव था और ये इनके विशेषज्ञ थे ।

प्रश्न 5. ए. एस. अल्तेकर को क्यों हड़बड़ियाकहा जाता था ?
उत्तर ए. एस. अल्तेकर अपने एक क्षण को भी बेकार जाने देना नहीं चाह थे। ये हमेशा या तो लिखते रहते थे या अपने लेखन के लिए सामग्री एकत्र कर रहते थे। इन्हें बेकार बैठे किसी ने नहीं देखा। इसी कारण इनके मित्रों ने इ ‘हड़बड़िया’ नाम दे दिया।

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BSEB Bihar Board Class 6 Social Science History Chapter 12. नये साम्राज्‍य एवं राज्‍य | Naye Samrajya Evam Rajya Class 6th Solutions

Bihar Board Class 6 Social Science नये साम्राज्‍य एवं राज्‍य Text Book Questions and Answers Naye Samrajya Evam Rajya Class 6th Solutions 

12. नये साम्राज्‍य एवं राज्‍य

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

आइए याद करें

सही उत्तर चुनें/सही उत्तर पर निशान (/) लगाएँ ।

1. समुद्रगुप्त की प्रशस्ति किसने लिखी ?
(क) रविकीर्ति
(ख) हरिषेण
(ग) कालिदास
(घ) अमरसिंह

2. हर्षवर्द्धन किस वंश का राजा था ?
(क) गुप्तवंश
(ख) मौर्यवंश
(ग) पुष्यभूति वंश
(घ) मौखरी वंश

3. मेहरौली के लौह-स्तंभ से किस राजा के बारे में जानकारी मिलती है ?
(क) हर्षवर्द्धन
(ख) चन्द्रगुप्त द्वितीय
(ग) चन्द्रगुप्त मौर्य
(घ) चन्द्रगुप्त प्रथम

4. नालन्दा विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों को प्रवेश कैसे मिलता था ?
(क) राजा के कहने पर
(ख) सवाल पूछकर ( जांच परीक्षा द्वारा )
(ग) पैसा लेकर
(घ) राजा के कर्मचारियों को

5. एहोल अभिलेख किस राजा की प्रशस्ति है ?
(क) नरसिंह वर्मन
(ख) पुलकेशिन द्वितीय
(ग) हर्षवर्धन
(घ) समुद्रगुप्त

उत्तर1. (ख), 2. (ग), 3. (ख), 4. (ख), 5. (ख)। .

आइए याद करें

प्रश्न 1. समुद्रगुप्त एवं पुलकेशिन द्वितीय की प्रशस्ति के बारे में तीन- तीन पंक्तियाँ लिखें ।
उत्तर समुद्रगुप्त की प्रशस्ति के बारे में जानकारी हमें इलाहाबाद स्तंभ से मिलती है। यह स्तंभ तो था अशोक का, लेकिन समुद्रगुप्त के राज कवि हरिषेण ने उसी पर समुन्द्रगुप्त की प्रशस्ति गुदवा दी। इस प्रशस्ति में समुद्रगुप्त को गुप्तवंश का एक महान शासक माना गया है। वह विद्वान के साथ संगीत प्रेमी भी था ।
पुलकेशिन दक्षिणापथ का शासक था । वह इतना वीर था कि हर्ष के दक्षिण विजय को रोक दिया और उसे धर्म की ओर मुड़ने को बाध्य कर दिया। पुलकेशिन की प्रशस्ति की जानकारी हमें अनेक अभिलेखों से मिलती है। उसके दरबारी कवि रविकीर्ति द्वारा रचित एहोल अभिलेख में विशेष रूप से मिलती है ।

प्रश्न 2. हर्ष के बारे में हमें किन स्रोतों से जानकारी मिलती है ? हर्ष के बारे में पाँच पंक्ति लिखें ।
उत्तर – हर्ष के बारे में हमें अनेक स्रोतों से जानकारी मिलती है । जैसे— हर्ष के राजक़वि बाणभट्ट द्वारा रचित हर्षचरित, मधुवन, बांसखेड़ा और संजान ताम्रपत्र के लेख तथा ह्वेनसांग के यात्रा वृत्तांत आदि से काफी जानकारी मिलती है । हर्ष स्वयं विद्वान था और विद्वानों का काफी आदर करता था। उसके दरबार में विद्वानों की जनघट रहती थी।
हर्षवर्द्धन पुष्यभूति वंश का सबसे शक्तिशाली राजा था। इसकी राजधानी थानेश्वर में थी । हर्ष के पिता की मृत्यु के बाद इसका बड़ा भाई राजवर्द्धन शासक बना । एक षड्यंत्र के तहत सशांक ने राजवर्द्धन की हत्या कर दी । तब हर्षवर्द्धन राजा बना । अपने भाई के हत्यारे से बदला लिया। अपनी बहन राज्यश्री को सती होने से बचा कर वह इतिहास में अमर हो गया। उसने कन्नौज पर राज्यश्री को शासन करने के लिए प्रोत्साहित किया । हर्ष दक्षिण पर विजय प्राप्त करना चाहता था लेकिन पुलकेशिन ने उसे उधर बढ़ने से रोक दिया । कारण कि पुलकेशिन भी एक वीर राजा था ।

प्रश्न 3. पुलकेशिन द्वितीय ने हर्ष को क्यों पराजित किया ? इसकी जानकारी हमें कैसे मिलती है ?
उत्तरपुलकेशिन द्वितीय ने हर्ष को इसलिए पराजित किया, क्योंकि वह दक्षिण से के राज्यों पर अधिकार करना चाहता था । पुलकेशिन द्वितीय ने अपने बाहुबल दक्षिण के राज्यों कदम्ब, गंग, कोंकण को अपने अधिकार में किया था । वह जीतें जी किसी को उस ओर बढ़ने देना नहीं चाहता था। इसी कारण उसने हर्ष को पराजित किया ।
इसकी जानकारी हमें अनेक अभिलेखों से मिलती है । इनमें पुलकेशिन के दरबारी कवि रविकीर्ति द्वारा रचित एहोल अभिलेख है । इस अभिलेख में हर्ष पर उसकी विजय का खास वर्णन है ।

आइए करके देखें :

संकेत : इस खंड के सभी प्रश्नों को शिक्षक की सहायता से छात्रों को स्वयं करना है ।

कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. हर्षवर्द्धन कौन था ? उसके एक दरबारी कवि का नाम लिखिए।
उत्तर हर्षवर्द्धन उत्तर भारत का एक प्रसिद्ध शासक था। इसने लगभग 1400 वर्ष पहले शासक दिया था। इसके दरबारी कवियों में एक प्रसिद्ध कवि थे : बाणभट्ट ।

प्रश्न 2. उस चीनी यात्री का नाम लिखें जो हर्षवर्द्धन के दरबार में काफी समय तक रहा।
उत्तर- उस चीनी यात्री का नाम श्वैनत्सांग (ह्वेनसांग ) था, जो काफी समय तक हर्षवर्द्धन के दरबार में एक दरबारी की हैसियत से रहा ।

प्रश्न 3. ऐसे तीन लेखकों के बारे में बताइए जिन्होंने हर्षवर्धन के बारे में लिखा ।
उत्तर— हर्षवर्धन के बारे में जिन तीन लेखकों ने लिखा उनके नाम हैं: (i) बाणभट्ट, (ii) चीनी तीर्थ यात्री श्वैनत्सांग तथा (iii) चीनी यात्री फाहियान । फाहियान ने हर्ष के शासन के बारे में लिखा है।

प्रश्न 4. इस युग में सैन्य संगठन में क्या बदलाव आए ?
उत्तर सैन्य संगठन में चार प्रकार की व्यवस्था थी— हाथी, घोड़े, रथ एवं पैदल । इसे ही इतिहास में चतुरंगनी सेना कहा गया है। लेकिन सेनानायक स्थायी नहीं थे।
‘अब स्थायी सेना नायकों के स्थान पर राजा कुछ सेनानायक अस्थायी रूप में रख लिए। इन्हें नियमित वेतन नहीं दिया जाता था। इन्हें वेतन के स्थानपर भूमि दी जाने लगी. जिसकी आमदनी से ये सेना का वेतन देते थे। घोड़ों की देखभाल और हथियारों का संग्रह करते थे। जब आवश्यकता हुई, राजा इनसे सैनिक सहायता ले लेते थे। ऐसे सेनानायक सामंत कहलाते थे। ये सदा इसी ताक में रहते थे कि शासक कब दुर्बल हो । उसके दुर्बल होते ही वे स्वयं वहाँ का शासक बन बैठते थे।

प्रश्न 5. इस काल की प्रशासनिक व्यवस्था में आपको क्या-क्या नई चीजें दिखती हैं ?
उत्तरइस काल के राजाओं की आय का मुख्य स्रोत भूमिकर ही था। शासन का प्राथमिक इकाई गाँव ही थे। चूँकि अब स्थायी सेना का रिवाज समाप्त हो गया, अतः राजा हर तरह का समर्थन जुटाने के लिए अनेक कदम उठाने लगे। नियमित वेतन देना न पड़े, इसके लिए कई प्रशासनिक पद वंशानुगत हो गए। एक ही व्यक्ति कई पदों पर काम करने लगा। गाँव के स्थानीय शासन में भी बाहुबलियों का बोलबाला रहने लगा।
नगरों में श्रेष्ठी (सेठ), व्यापारी बैंकर का भी काम करते थे। व्यापारियों के काफिले के नेता को सार्थवाह कहा जाता था। शिल्पकार – कुलिक कहलाते थे तथा लिपिक का काम करने वाले कायस्थ थे। व्यवस्था तो अच्छी थी, लेकिन कभी-कभी कुछ तो इतना शक्तिशाली हो जाते थे जो राजा को अँगूठा दिखा कर खुद को शासक घोषित कर लेते थे, भले ही किसी छोटे क्षेत्र का ही सही। इससे केन्द्रीय सत्ता कमजोर पड़ने लगी।

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BSEB Bihar Board Class 6 Social Science History Chapter 11. सुदूर प्रदेशों से सम्‍पर्क | Sudur Pradesho Se Sampark Class 6th Solutions.

Bihar Board Class 6 Social Science सुदूर प्रदेशों से सम्‍पर्क Text Book Questions and Answers Sudur Pradesho Se Sampark Class 6th Solutions

11. सुदूर प्रदेशों से सम्‍पर्क

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

■ आइए याद करें :
1. वस्तुनिष्ठ प्रश्न :

1. प्रसिद्ध यूनानी शासक कौन था ?
(क) कनिष्क
(ख) चन्द्रगुप्त
(ग) मीनान्डर
(घ) पुष्यमित्र शुंग

2. कनिष्क की राजधानी कहाँ थी ?
(क) काबुल
(ख) पेशावर
(ग) अमृतसर
(घ) यारकंद

3. शुंग वंश का संस्थापक कौन था ?
(क) पुष्यमित्र
(ख) अग्निमित्र
(ग) वृहद्रथ
(घ) यशोवर्मन

उत्तर- 1. (ग), 2. (ख), 3. (क) ।

2. खाली स्थान को भरिये :
1. मौर्यवंश के बाद ………….. मगध पर शासन किया ।
2. इण्डो-ग्रीक राजा भारत में ……….. से आये ।
3. सुदर्शन झील की मरम्मत ………….. ने कराई ।
4. ………. का सबसे प्रसिद्ध राजा कनिष्क था ।
5. कनिष्क ने ………………. धर्म को राजकीय संरक्षण प्रदान किया ।

उत्तर1. शुंगवंश ने 2. बैक्ट्रिया, 3. रूद्रदमन, 4. कुषाण वंश, 5. बौद्ध ।

III. सुमेलित करें :
महायान                           शक
मिनाण्डर                        बौद्ध ग्रंथ
रूद्रदमन                        सांची
स्तूप ·                             इण्डो ग्रीक
मिलिन्दपह                      बौद्ध धर्म

उत्तर : महायान                बौद्ध धर्म
मिनाण्डर                        इण्डो ग्रीक
रूद्रदमन                         शक
स्तूप                               सांची
मिलिन्दपह                     बौद्ध ग्रन्थ

आइए चर्चा करें :

प्रश्न 1. मथुरा शैली एवं गंधार शैली की मूर्तिकला में समानता एवं असमानता क्या है ?
उत्तरमथुरा में मूर्तिकला की एक स्वतंत्र शैली का जन्म हुआ जिसे जैन धर्म के अनुयायियों ने प्रोत्साहन दिया । भारत के उत्तर-पश्चिम भाग में मूर्तिकला की जो शैली विकसित हुई उसे गंधार शैली का नाम दिया गया। इस शैली को बौद्धों ने प्रोत्साहित किया । मथुरा शैली में महावीर और बुद्ध दोनों की मूर्तियाँ बनाई गई किन्त गंधार शैली में केवल बुद्ध की मूर्तियाँ बनीं । मथुरा शैली में बुद्ध और महावीर की मूर्तियाँ उनके परंपरागत वेश-भूषा में बनीं जबकि गंधार शैली की बुद्ध मूर्ति की वेशभूषा यूनानी देवता अपोलो की वेशभूषा जैसी थी।

प्रश्न 2. विदेशों में बौद्ध धर्म के प्रसार में किन लोगों का योगदान था ?
उत्तर- विदेशी शासकों ने बौद्ध धर्म को काफी प्रश्रय दिया। भारतीय यूनानी शासकों ने अपने सिक्कों पर बौद्ध चित्र अंकित किये। कनिष्क ने अनेक बौद्ध धर्म प्रचारकों को विदेशों में भेजा। इससे बौद्ध धर्म विभिन्न देशों के सम्पर्क में आया । देश के धनी व्यापारियों ने देश के बाहर व्यापारिक रास्तों में बौद्ध विहार बनवाए । अधिकांश विहार व्यापारिक मार्गों पर भारत के पर्वतीय दरों में स्थित थे । व्यापारियों के साथ बौद्ध धर्म प्रचारक भी जाते थे । इसी क्रम में बौद्ध धर्म पश्चिमी एवं मध्य एशिया के देशों में पहुँचा । वहाँ बौद्ध मठ भी बने जिससे बौद्ध धर्म ग्रंथों का अध्ययन और पाठ होता था ।

बुद्ध की मृत्यु के बाद बौद्ध धर्म दो सम्प्रदायों में बँट गया। एक महायान तथा दूसरा हीनयान । कनिष्क महायान सम्प्रदाय का समर्थक था। लेकिन श्रीलंका, बर्मा, कंबोडिया में हीनयान का प्रचार हुआ तो मूल भारत, तिब्बत, चीन, जापान, अफ़गानिस्तान आदि देशो में महायान सम्प्रदाय को प्रश्रय मिला ।

प्रश्न 3. भारत पर यूनानी सम्पर्क का क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर भारत पर यूनानी सम्पर्क का व्यापक प्रभाव पड़ा । चिकित्सा के क्षेत्र में यहाँ आयुर्वेद तो था ही, यूनानी चिकित्सा भी प्रचलित हो गई। युद्धकला, ज्योषित, सिक्के बनाने की कला पर यूनानी प्रभाव पड़ा। दूसरी ओर धर्म और दर्शन का ज्ञान प्राप्त कर यूनान भारत का शिष्य बन गया। इस अर्थ में यूनान वाले भारत को अपना गुरु मानने लगे ।

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BSEB Bihar Board Class 6 Social Science History Chapter 10. शहर और ग्राम्‍य जीवन | Sahar Evam Gram Jivan Class 6th Solutions

Bihar Board Class 6 Social Science शहर और ग्राम्‍य जीवन Text Book Questions and Answers Sahar Evam Gram Jivan Class 6th Solutions

10. शहर और ग्राम्‍य जीवन

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

आइए याद करें:
1. वस्तुनिष्ठ प्रश्न :

1. छोटे एवं स्वतंत्र किसानों को क्या कहा जाता था ? 
(क) ग्राम भोजक
(ख) श्रेणी
(ग) गृहपति
(घ) वेल्लार

2. संगमकालीन (दक्षिण भारतीय) सम्पन्न किसानों को क्या कहा जाता था ?
(क) ग्राम भोजक
(ख) कडैसियार
(ग) वेल्लार
(घ) उणवार

3. सुदर्शन झील का निर्माण सबसे पहले किसने करवाया ?
(क) चन्द्रगुप्त मौर्य
(ख) रूद्रदामन
(ग) स्कन्दगुप्त
(घ) अशोक महान

4. संगमकालीन व्यापारिक नगर कौन नहीं है ?
(क) पुहार
(ख) उरैयूर
(ग) तोण्डी
(घ) कन्याकुमारी

उत्तर- 1. (ग), 2. (ग), 3. (क), 4. (घ) ।

चर्चा कीजिए :

प्रश्न 5. लगभग 2500 साल पहले आन्तरिक व्यापार में कौन-कौन सी कठिनाइयाँ आती होंगी?
उत्तर लगभग 2500 साल पहले अर्थात् लगभग 500 ई० पू० में आंतरिक व्यापार में अनेक कठिनाईयाँ थीं । मुद्रा का आविष्कार नहीं होने से अभी तक वस्तुविनिमय प्रणाली ही प्रचलित थी। अदला-बदली में जबसे मुख्य वस्तु गाय थी । किन्तु छोटी और सस्ती वस्तु चाहने वालों को गाय के बदले प्राप्त करना कठिन था, क्योंकि गाय मूल्यवान थी और उसके बदले कम मूल्य की वस्तुएँ प्राप्त नहीं हो पाती थी। इस प्रकार वस्तु-विनिमय के कारण आंतरिक व्यापार में कठिनाई थी ।

प्रश्न 6. आपके गाँव में आज खेती कैसे की जाती है ? प्रयुक्त होने वाले 5 औजारों के नाम लिखिए ।
उत्तर मेरे गाँव में कुछ किसान ऐसे हैं, जिनके पास अधिक और बड़े क्षेत्रफल वाले खेत हैं। अधिकांश किसानों के खेत छोटे क्षेत्रफल वाले और कम हैं। बड़े किसानों के पास ट्रैक्टर और थ्रेसर आदि आधुनिक यंत्र हैं। ये बोरिंग करा कर ट्यूब वेल से पम्प की सहायता से सिंचाई करते हैं । लेकिन छोटे किसान अभी तक पारंपरिक पद्धति से ही खेती करते हैं। उनके द्वारा प्रयुक्त होने वाले 5 औजार निम्नलिखित हैं :
(i) हल, (ii) कुदाल, (iii) खुरपी, (iv) हंसुआ तथा (v) ढेंकी और कुंड़ । ढेंकी और कुड़ से सिंचाई होती है ।

प्रश्न 7. आज सिंचाई की कौन-कौन सी पद्धति अपनाई जाती है । आप तुलना करें कि प्राचीन काल में आज की कौन-सी पद्धति नहीं अपनाई जाती थी ।
उत्तर जैसा कि सभी जानते हैं भारत में खेती का प्राण मानूसन रहा है । लेकिन जिस वर्ष मानूसन धोखा दे जाता है उस साल सिंचाई की व्यवस्था उत्तर वैदिक काल में भी करनी पड़ती थी और आज भी करनी पड़ती है । ‘घटीयंत्र (रहट), नहर, कुआँ, तालाब, झील या कृत्रिम झील का उपयोग तब भी होता था और आज भी होता है। सिंचाई हेतु एक यंत्र ऐसा है, जो आज तो अपनाई जाती है, लेकिन उस समय इसका नाम भी नहीं जानते थे । वह है ट्यूबवेल जिससे जमीन में से यंत्रों द्वारा पानी निकालते हैं और सिंचाई करते हैं ।

आइए करके देखें

प्रश्न 8. आप अगर शिल्पकार को काम करते हुए देखते हैं तो उनके बारे में लिखें कि वे कैसे काम हैं ? उनके द्वारा बनाए गए पाँच औजारों के नाम लिखें ।
उत्तर मेरे गाँव में एक शिल्पकार है, जो लोहे की वस्तु बनाता है । वह अपने काम करता ही है, अपने साथ दो-एक सहायक भी रखता है । उनके द्वारा बनाए गए पाँच औजार हैं :
(i) हल के फाल, (ii) कुदाल, (iii) खुरपी, (iv) हँसुआ, (v) सड़सी ।
लेकिन खेती के इन औज़ारों को पूर्ण करने के लिए बढ़ई की भी आवश्यकता पड़ती है। फाल के अलावे हल के सारे उपकरण बढ़ई ही बनाता है । कुदाल, खुरपी, हँसुआ आदि के बेंट बढ़ाई ही बनाता है ।

प्रश्न 9. पाटलिपुत्र के लोग कौन-कौन से कार्य करते थे । गाँव के लोगों से उनका व्यवसाय किस प्रकार भिन्न था ?
उत्तर पाटलिपुत्र के लोग उत्तम और मूल्यवान वस्तुएँ बनाते थे । यहाँ अस्व- शस्त्र बनाने वाले तो थे ही, रथकार, सोनार, लोहार, बढ़ई, बुनकर आदि निवास करते थे । रथकार को लोहार और बढ़ई से भी मदद लेनी पड़ती थी। सोना-तरह के आभूषण बनाते थे ।
गाँव के लोगों से इनका व्यवसाय इस प्रकार भिन्न था कि गाँवों में कृषि कार्य एवं पशुपालन की अधिकता थी । नगरं वाले अन्न, दूध, दही, घी आदि के लिए गाँव वालों पर ही निर्भर थे । गाँवों के शिल्पकार केवल कृषि से सम्बद्ध उपकरण ही बनाते थे । इन सब वस्तुओं को बेंचकर गाँव वाले कपड़ा और आभूषण आ नगर से ही खरीदते थे ।

प्रश्न 10. आप भारत से रोम को निर्यात एवं आयात होने वाली तीन तीन वस्तुओं की सूची बनाएँ ।
उत्तर- भारत से रोम को निर्यात और आयात होने वाली तीन-तीन वस्तु की सूची निम्नांकित हैं
निर्यात (i) काली मिर्च, (ii) अन्य मसाले तथा (iii) मूल्यवान पत्थर ।
आयात (i) महँगी शराब, (ii) दीपक तथा (iii) सोना ।

वर्ग परिचर्या :

(वर्ग परिचर्चा हेतु पर्याप्त समग्री उत्तरों में आ चुके हैं ।).

कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. गाँवों की खुशहाली के क्या कारण थे ?
उत्तर—उन्नत कृषि तथा गृह उद्योग गाँवों की खुशहाली के कारण थे। बहुत- से गाँव बहुत मानी में स्वावलम्बी थे। अपनी आवश्यकता की सभी वस्तुएँ वे गाँव में बना लेते थे। गाँवों की खुशहाली के ये ही कारण थे।

प्रश्न 2. कृषि उपज बढ़ाने के लिए सिंचाई क्यों महत्वपूर्ण थी? इसके लिए क्या उपाय किए गए ?
उत्तर – कृषि उपज बढ़ाने के लिए सिंचाई एक महत्वपूर्ण और अनिवार्य साधन थी । वर्षा के अनियमित होने से इसके लिए अन्य उपाय आवश्यक थे। इस प्रकार सिंचाई की सुविधा के लिए नहरें, तालाब, कुएँ और कृत्रिम जलाशय बनवाए गए।

प्रश्न 3. ग्राम-भोजकों के काम बताइए । वे शक्तिशाली क्यों थे ?
उत्तरग्राम भोजक का प्रमुख काम था राजकर को वसूल कर राजा के खजाने में जमा करना। यह ग्रामीणों के झगड़े निपटाता था अर्थात् यह न्यायिक काम भी करता था। कभी-कभी ग्राम-भोजकों को पुलिस का काम भी करना पड़ता था। ऐसा लगता है कि ये छोटे या ग्रामीण राजा के रूप में जीवन व्यतीत करते थे।

प्रश्न 4. गाँवों तथा शहरों दोनों में रहने वाले शिल्पकारों की सूची बनाइए।

उत्तर : गाँव के शिल्पकार           शहर के शिल्पकार
लोहार                                          मूर्त्तिकार
बढई                                            सोने-चाँदी के आभूषण बनाने वाले
कुम्हार                                        घर या महल बनाने वाले मिस्त्री
बुनकर                                        जरीदार वस्त्र बनाने वाले

प्रश्न 5. अपने गाँव के लोगों के कार्यों की एक सूची बनाइए ।
उत्तरमेरे गाँव के लोगों द्वारा किए गए कार्यों की सूची निम्नलिखित हैं :
(i) किसान अन्न उपजाते हैं और पशुपालन करते हैं।
(ii) लोहार खेती के औजार बनाते हैं।
(iii) बढ़ई, खाट, पलंग, कुर्सी, मेज और घर के दरवाजे और खिड़की बनाते हैं।
(iv) धोबी लोगों के कपड़े धोते हैं।
(v) हजाम लोगों के बाल काटते हैं और दाढ़ी छिलते हैं।
(vi) कुछ लोग टोकरी, चटाई आदि बुनते हैं।
(viii) कुम्हार मिट्टी के बर्तन बनाते हैं।

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