इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान इतिहास के पाठ 6. शहर, व्यापार एवं कारीगर (Sahar Vyapari Evam Karigar Class 7th Solutions)के सभी टॉपिकों के बारे में अध्ययन करेंगे।
6. शहर, व्यापार एवं कारीगर
अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर
फिर से याद करें
प्रश्न 1. शासक, व्यापारी एवं धनाढ्य लोग मंदिर क्यों बनवाते थे ? उत्तर—शासक, व्यापारी एवं धनाढ्य लोग मंदिर इसलिये बनवाते थे ताकि उनकी धार्मिक आस्था का प्रकटीकरण हो सके । नाम कमाने के साथ पुण्य कमाने की इच्छा भी रहती होगी। अपने को शक्तिशाली और धनी होने की धाक जमाना भी कारण रहा होगा ।
प्रश्न 2. शहरों में कौन-कौन लोग रहते थे ? उत्तर – शहरों में व्यापारी, दस्तकार, शिल्पी, आभूषण बनाने वाले, सब्जी बेचने वाले, जूता बनाने वाले, रंगरेज आदि रहते थे । व्यापारियों में अनाज बेचने वाले और कपड़ा बेचने वाले दोनों रहते थे। बड़े शहरों में थोक खरीद बिक्री भी होता था ।
प्रश्न 3. व्यापारिक वस्तुओं के यातायात के क्या साधन थे ? उत्तर—व्यापारिक वस्तुओं के यातायात के लिये सड़क विकसित थे। सड़कों पर बैलगाड़ी, घोड़ा, खच्चर सामान ढोने के साधन थे । दूर-दराज का व्यापार नदी मार्गों से होता था । तटीय क्षेत्रों में समुद्री मार्ग का उपयोग भी होता था । बन्दरगाहों को अच्छी सड़कों द्वारा जोड़ा गया था । विदेश व्यापार समुद्री जहाजों द्वारा होता था । ऊँट भी सामान ढोने के अच्छे साधन थे ।
प्रश्न 4. सतरहवीं शताब्दी में किन यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियों का भारत में आगमन हुआ ? उत्तर- सतरहवीं शताब्दी में अंग्रेज, हॉलैंड (डच) और फ्रांस के यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियों का आगमन हुआ । पुर्तगाली पन्द्रहवीं शताब्दी में ही आ चुके थे ।
प्रश्न 5. सुमेल करें : (क) मंदिर नगर (i) दिल्ली (ख) तीर्थ स्थल (ii) तिरुपति (ग) प्रशासनिक नगर (iii) गोआ (घ) बन्दरगाह नगर (iv) पटना (ङ) वाणिज्यिक नगर (v) पुष्कर
उत्तर : (क) मंदिर नगर (ii) तिरुपति (ख) तीर्थ स्थल (v) पुष्कर (ग) प्रशासनिक नगर (i) दिल्ली (घ) बन्दरगाह नगर (iii) गोआ (ङ) वाणिज्यिक नगर (iv) पटना
आइए समझें :
प्रश्न 6. मध्यकालीन भारत में आयात-निर्यात की वस्तुओं की सूची बनाइए उत्तर— मध्यकालीन भारत में आयात-निर्यात की वस्तुओं की सूची निम्न है
निर्यात की वस्तुएँ आयात की वस्तुएँ मसाले ऊनी वस्त्र सूती कपड़े सोना नील चाँदी जड़ी-बूटी हाथी दाँत खाद्य सामग्री खजूर सूखे मेवे सूती धागा रेशम (चीन से )
प्रश्न 7. भारत में यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियों के आगमन के कारणों को रेखांकित कीजिए । उत्तर—यूरोपीय व्यापारियों को भारतीय मसालों और बारीक मलमल की भनक लग गई थी। पहले तो भारतीय व्यापारी ये वस्तुएँ लेकर यूरोप जाते थे और वहाँ से सोना- चाँदी लादकर समुद्री जहाजों से भारत लाते थे। बाद में फारस के व्यापारी मध्यस्थ बन गए और वे भारत से माल लेकर यूरोप जाने लगे । यूरोपीय व्यापारी यह काम स्वयं करना चाहते थे । उन्हें किसी की मध्यस्थता स्वीकार नहीं था ।
सबसे पहले पुर्तगाल का एक नाविक 1498 में वहाँ की सरकार की मदद से भारत पहुँचने का निश्चय किया। उसने उत्तमाशा अंतरीप का मार्ग पकड़ा और भारतीय तट पर पहुँचने में सफलता पाई । यहाँ से उसने स्वयं व्यापार करना आरम्भ किया ।
इसके बाद इंग्लैंड, हॉलैंड और फ्रांस का ध्यान इस ओर गया। ये भी सत्रहवीं शताब्दी में भारत पहुँच गये और व्यापार करना आरम्भ किया । अंग्रेजों ने कपड़े खरीदने पर अधिक ध्यान दिया । इसके लिये ये दलालों के मार्फत करघा चालकों को अग्रिम रकम भी देने लगे। आगे चलकर विभिन्न स्थानों में इन विदेशियों ने अपनी-अपनी कोठियाँ बनाईं। यूरोपीय कम्पनियों के भारतीय दलाल ‘दादनी’ कहलाते थे ।
प्रश्न 8. आपके विचार से मंदिरों के आसपास नगर क्यों विकसित हुए? उत्तर—हम सभी जानते हैं कि भारत एक धर्म प्रधान देश रहा है। देवी-देवताओं के प्रति यहाँ के लोगों के मन में अपार श्रद्धा रहती आई है । अतः जहाँ-जहाँ मंदिर बने वहाँ-वहाँ दर्शनार्थियों की भीड़ जुटने लगी । अधिक लोगों के आवागमन के कारण उनके उपयोग. की वस्तुओं की दुकानें खुलने लगीं। बाद में स्थानीय लोग भी इन उत्पादों को खरीदने लगे । इसी तरह क्रमशः मंदिरों के आसपास नगर विकसित हो गए ।
प्रश्न 9. लोगों के जीवन में मेले एवं हाटों की भूमिका का वर्णन कीजिए। उत्तर—लोगों के जीवन में मेले एवं हाटों की भूमिका बड़े महत्व की थी । हाटों से वे नित्य उपयोग की वस्तुएँ खरीदते थे । जो अन्न या सब्जी वे नहीं उपजा पाते थे, उन्हें वे हाटों से खरीदते थे । मेलों का महत्व इस बात में था कि उत्कृष्ट वस्तुएँ मेलों में ही उपलब्ध होती थीं । देश भर के कलाकार और शिल्पी अपने उत्पाद लेकर मेलों में आते थे । वे ऐसी वस्तुएँ हुआ करती थीं जो सामान्यतः हाट-बाजारों में उपलब्ध नहीं होती थीं लोग मेलों का बड़ी बेसब्री से प्रतीक्षा करते थे । वहाँ मनोरंजन के साधन भी उपलब्ध हो जाते थे ।
आइए विचार करें :
प्रश्न 10. इस अध्याय में वर्णित शहरों की तुलना अपने जिले में स्थित शहरों से करें । क्या दोनों के बीच कोई समानता या असमानता है ? उत्तर—इस अध्याय में वर्णित शहर चहारदीवारियों से घिरे होते थे लेकिन हमारे जिले का शहर चारों से खुला है । वर्णित शहर जैसे हमारे जिले में भी खास-खास वस्तुओं के खास-खास मुहल्ले हैं । यहाँ थोक और खुदरा — दोनों प्रकार के व्यापार हैं। जिलों में सरकारी अधिकारी भी रहते हैं । राज्य कर्मचारियों के अलावा व्यापारियों के कर्मचारी भी रहते हैं । हमारे जिले के शहर में सड़क और पानी की व्यवस्था के लिए नगरपालिका है जबकि वर्णित शहरों में इनका कोई उल्लेख नहीं है। रात में सड़कों पर रोशनी का प्रबंध है जबकि वर्णित शहरों में इनका कोई उल्लेख नहीं है ।
प्रश्न 11. धातुमूर्ति निर्माण के लुप्त मोम तकनीक के क्या लाभ हैं? उत्तर- धातुमूर्ति निर्माण के लुप्त मोम तकनीक के अनेक लाभ थे । पहला लाभ यह था कि इस तकनीक से मनचाही आकृति की मूर्ति बनाई जाती थी। मोम बर्बाद नहीं तो होता था। पिघलाकर निकालने के बाद उसे पुनः ठोस रूप में प्राप्त कर लिया जाता था। इस तकनीक में कम ही समय में अधिक मूर्तियाँ बनाई जा सकती थीं ।
आइए करके देखें :
इसके तहत दोनों प्रश्न परियोजना कार्य हैं। छात्र इन्हें स्वयं करें ।
कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. मंदिरों के निर्माण तथा उनके रख-रखाव के लिए शिल्पीजन कितने महत्वपूर्ण थे ? उत्तर—मंदिरों के निर्माण तथा उनके रख-रखाव के लिए शिल्पीजन अत्यन्त महत्वपूर्ण थे। केवल पारिश्रमिक प्राप्त कर लेना भर उनका उद्देश्य नहीं था। असल थी उनके अन्दर की आस्था । बिना आस्था या विश्वास के इतने विशाल मंदिरों का निर्माण हो ही नहीं सकता था। बड़े-बड़े पत्थरों को काट कर जो मूर्तियाँ गढ़ी गई वे केवल धन के लालच में नहीं हो सकता था । शिल्पियों की आस्था ने ऐसे-ऐसे मंदिरों और मूर्तियों को गढ़ा जो आज भी देखने में नई लगती हैं। टूट-फूट की मरम्मत के लिए भी शिल्पीज़न महत्वपूर्ण थे ।
प्रश्न 2. जैसा कि आप समझ सकते हैं कि इस काल के दौरान लोगों तथा माल का आना-जाना लगा ही रहता था । आपके विचार से इस आवाजाही का नगरों तथा गाँवों के जनजीवन पर क्या प्रभाव पड़ा होगा ? नगरों में रहनेवाले कारीगरों की सूची बनाएँ । उत्तर – मेरे विचार से व्यापारी लोगों और व्यापारिक माल की आवाजाही से नगरों तथा गाँवों में गहमा-गहमी की स्थिति बन जाती होगी। गाँवों में जहाँ व्यापारी अपने माल के साथ पड़ाव डालते होंगे, उस गाँव से अपने नित्य उपयोग की वस्तु जैसे सब्जी, चावल, दाल, आटा, दूध, दही, घी आदि ख़रीदते होंगे । इससे गाँव वालों की आय में वृद्धि होती होगी । जिस नगर में वे पहुँचते होंगे, वहाँ अधिक दिनों तक ठहरकर अपना माल बेचते होंगे और अपने यहाँ बिक सकनेवाले माल खरीदते होंगे। इससे नगरों के व्यापार में वृद्धि होती होगी ।
नगरों में रहनेवाले शिल्पकारों की सूची निम्नलिखित थीं :
प्रश्न 3. सौदागरों को किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ता था ? आपके विचार से क्या वैसी कुछ समस्याएँ आज भी बनी हुई हैं? उत्तर – सौदागरों को अनेक राज्यों और जंगलों से होकर गुजरना पड़ता था । रास्ते में राज्य विशेष के द्वारा मनमानी कर वसूले जाने के भय से व्यापारी अपना संघ बनाते थे, जो राजाओं की मनमानी पर अंकुश लगाता था । जंगलों से होकर गुजरते समय लुटेरों द्वारा लूट लिए जाने का भय रहता था । इससे बचने के लिए व्यापारी काफिले में चलते थे । वे अपने सिपाही भी रखा करते थे
आज की स्थिति पहले की स्थिति से भी बुरी है । जहाँ तक रास्ते में कर की बात है, कोई ठीक नहीं कि कहाँ, कब और किस पुलिस के आदमी द्वारा आपके सामान को रोक लिया जाय और बातों में उलझा कर नाजायज वसूली कर ली जाय । व्यापारी अपने को अकेला पाता है। मजबूर होकर नाजायज धन उसे देना पड़ता है। जहाँ तक राहजनी की बात है वह भी पहले से बढ़ी है। उस समय तो काफिले में रहकर व्यापारी अपनी रक्षा कर लेते थे, लेकिन आज तो रेलगाड़ी और बस में सैकड़ों लोगों के बीच लूट की घटना को अंजाम दिया जाता है । स्थिति पहले से बदतर है, राजकीय कर्मचारियों से भी और लुटेरों से भी ।
इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान इतिहास के पाठ 4. मुगल साम्राज्य (TMughal Samrajya Class 7th Solutions)के सभी टॉपिकों के बारे में अध्ययन करेंगे। Mughal Samrajya Class 7th Solutions
4. मुगल साम्राज्य
अध्याय में अंतर्निहित प्रश्न और उनके उत्तर
प्रश्न 1. इकाई 3 की तालिका – 1 पर नजर डालिये एवं मानचित्र 4 को देखकर लोदियों के राज्य क्षेत्र को चिह्नित कीजिए । (पृष्ठ 59 ) उत्तर—लोदियों के राज्य क्षेत्र थे : बनारस, बिहार, अवध, बदायूँ, कोल, दिल्ली, कुहराम, सरहिंद, सरसुती, हाँसी, लाहौर, नंदाना, कच्छ, मुल्तान, राजकोट आदि ।
Mughal Samrajya Class 7th Solutions
प्रश्न 2. अफगान और मुगल संघर्ष के क्या कारण थे? ( पृष्ठ 62 ) उत्तर- अफगान और मुगल संघर्ष के कारण थे अपने-अपने राज्य क्षेत्र का विस्तार और शेर खाँ द्वारा दिल्ली पर अधिकार ।
प्रश्न 3. क्या आप सल्तनतकालीन अमीर एवं मुगलकालीन अमीर वर्ग में कोई अंतर देखते हैं? ( पृष्ठ 66 ) उत्तर— सल्तनत काल में कुछ ऐसे अमीर बना दिये गये थे, जो वास्तव में उसके योग्य नहीं थे । बरनी ने इसी बात की आलोचना की थी । सल्तनत काल में अमीरों की संख्या कम थी। हालाँकि इन्होंने भारतीय मुसलमानों को भी अमीर बनाया और कुछ हिन्दू, जैन, अफगान और अरब लोगों को अमीर बनाया लेकिन उनकी संख्या नगण्य थी । अकबर के दरबार में 51 दरबारी अमीर के ओहदा पर थे । यही लोग शासन-प्रशासन की देखरेख करते थे। इनमें अनेक अकबर के रिश्तेदार भी शामिल थे । इनको बड़ी- बड़ी जागीरें दी गई थीं। ये अपने को बादशाह के समकक्ष समझते थे । अकबर ने कुछ भारतीय मुसलमानों को भी अमीर बनाया और इसके कुछ अमीर ईरानी और तूरानी भी थे। हिन्दुओं को इसने अमीरों से भी ऊँचे ओहदों पर रखा ।
प्रश्न 4. अभी के अधिकारी और मुगलकालीन मनसबदारों में क्या कोई समानता है ? उत्तर—हाँ, समानता है। मुगलकालीन मनसबदार प्रशासनिक जिम्मेदारी निभाते थे, तो आधुनिक अधिकारी भी प्रशासनिक जिम्मेदारी निभाते हैं ।
अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर
फिर से याद करें :
प्रश्न 1. सही जोड़ बनाएँ : (क) मनसब न्याय की जंजीर (ख) बैरम खाँ पद (ग) सूबेदार अकबर (घ) जहाँगीर चित्तौड़ (ङ) महाराणा प्रताप गवर्नर
उत्तर : (क) मनसब पद (ख) बैरम खाँ अकबर (ग) सूबेदार गवर्नर (घ) जहाँगीर न्याय की जंजीर (ङ) महाराणा प्रताप चित्तौड
प्रश्न 2. रिक्त स्थानों को भरें : (i) पानीपत की प्रथम लड़ाई बाबर और ……….. के बीच ……… ई. में हुई । (ii) यदि जात एक मनसबदार के पद और वेतन का द्योतक था, तो सवार उसके ………. (iii) शेरशाह ने ………. बड़ी संख्या में निर्माण करवाया । (iv) अकबर का दरबारी इतिहासकार …………… था जिसने ……….. नामक पुस्तक लिखी। (v) ……….. मुगल साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक था ।
उत्तर : (i) इब्राहिम लोदी, 1526, (ii) सैन्य बल, (iii) सरायों की, (iv) अबुल फजल, अकबरनामा, (v) अकबर ।
आइए विचार करें :
प्रश्न 1. मनसबदार और जागीरदार में क्या संबंध था ? उत्तर – मनसबदार और जागीरदार में यह संबंध था कि मनसबदार केवल भूमि कर से मतलब रखते थे किंतु जागीरदार अपने जागीर पर प्रशासनिक कार्य भी करते थे। जागीरदार भूमि कर स्वयं वसूलते थे, जिसके लिए उन्हें अपनी जागीर में ही रहना अनिवार्य था, लेकिन मनसबदार कहीं भी रहकर अपने कर्मचारियों से लगान वसूलवाते थे ।
प्रश्न 2. पानीपत के मैदान में होने वाली प्रथम लड़ाई का भारतीय इतिहास में क्या महत्व है ? उत्तर – पानीपत के मैदान में होने वाली प्रथम लड़ाई का भारतीय इतिहास में यह महत्व है कि इस लड़ाई ने भारत में लोदी वंश का सर्वनाश कर दिया और भारत में एक नये वंश मुगल वंश की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया ।
प्रश्न 3. मुगल शासन की विशेषताओं को बताइए । उनमें मनसबदारों की क्या भूमिका थी? उत्तर – मुगल शासन की विशेषता थी कि उस काल में जनसाधारण का जीवन सुखी और सम्पन्न था। अमीरों के लिये एशो आराम की वस्तुएँ बनाने वालों को यद्यपि मजदूरी कम मिलती थी लेकिन खाद्यान्नों के सस्ता होने के कारण इन्हें कठिनाई नहीं होती थी । बंगाल में मछली – भारत खाने का रिवाज था वहीं उत्तर भारत में रोटी-दाल खाया जाता था। बिहार के लोग भात खाते थे । पशुपालन के कारण दूध, दही, घी भी खूब थे। हालाँकि कपड़े की कमी थी। इसके बावजूद लोग सुखी थे ।
मनसबदार प्रशासनिक काम देखते थे। ये बादशाह के आदेशों और कानूनों का लोगों से पालन कराते थे। आवश्यकता पड़ने पर ये बादशाह को सैनिक मदद भी देते थे। मनसबदारों को एक निश्चित संख्या में घुड़सवार सैनिक रखना पड़ता था। इस खर्च को वहन करने के लिये इन्हें जमीन दी जाती थी, जिसकी लगान की आय से ये अपने सैनिकों को वेतनादि तो देते ही थे, और अपना खर्च भी चलाते थे ।
प्रश्न 4. मुगल साम्राज्य के पतन के क्या कारण थे? उत्तर—मुगल साम्राज्य के पतन के कारण थे औरंगजेब की अदूरदर्शिता । वह बिना सोचे समझे निर्णय ले लिया करता था । जजिया कर को लागू करके, जिसे अकबर उठा दिया था, हिन्दुओं को नाराज कर दिया। उसने दक्षिण विजय के लिये अपनी सारी शक्ति झोंक दी। इससे उत्तर के सूबेदार निरंकुश होने लगे । 1707 में उसकी मृत्यु आग में घी का काम किया। अब मुगल दरबार षड्यंत्र का अखाड़ा बन गया । और धीरे-धीरे मुगल साम्राज्य ध्वस्त हो गया ।
प्रश्न 5. भू-राजस्व से प्राप्त होनेवाली आय, मुगल साम्राज्य के स्थायित्व के लिए कहाँ तक जरूरी थी ? उत्तर – ऐसा ज्ञात होता है कि मुगल सम्राटों को भू-राजस्व के अलावा आय का कोई अन्य स्रोत नहीं था । शहर के शिल्पियों से कुछ कर मिल जाता था, लेकिन वह दाल में नमक के बराबर था। साम्राज्य में जो भी वाणिज्य – व्यापार था वह स्थानीय ही था । अतः वाणिज्य कर भी नगण्य ही था । इसी कारण मुगल साम्राज्य के स्थायित्व के लिए भू- राजस्व से प्राप्त होनेवाली आय ही जरूरी थी ।
प्रश्न 6. मुगल अपने आपको तैमूर का वंशज क्यों कहते थे ? उत्तर – मुगलों का मंगोल और तैमूर — दोनों वंशजों से संबंध था । माता की ओर से वे मंगोलों से सम्बद्ध थे तो पिता की ओर से वे तैमूर वंश से संबंध रखते थे। उन्होंने मंगोल कहलाना इसलिए अच्छा नहीं समझा क्योंकि मंगोल अपनी नृशंसता के लिए बदनाम थे। तैमूर का नाम ऊँचाई पर पहुँचा हुआ था क्योंकि उसने दिल्ली को फतह किया था । हालाँकि नृशंसता में तैमूर भी कोई कम नहीं था लेकिन वीरता में उसका बड़ा नाम था । इसी कारण मुगलों ने खुद को मंगोल की अपेक्षा तैमूर का वंशज कहलाना अधिक अच्छा समझा और उसी पर बल दिया ।
आइए करके देखें :
कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. मुगल प्रशासन में जमींदार की क्या भूमिका थी? उत्तर — मुगल प्रशासन में जमींदार की भूमिका यह थी कि वे किसानों से राजस्व वसूलते थे और मुगल खजाने में जमाकर देते थे । ये जमींदार ग्रामीण कुलीन घरानों के लोग होते थे या गाँव के मुखिया । इनमें कोई शक्तिशाली सरदार भी हो सकता था ।
कुछ क्षेत्रों में जमींदार इतने शक्तिशाली थे कि मुगलों द्वारा शोषण किए जाने पर विद्रोह भी कर देते थे । यदि किसान भी जमींदार की जाति के हुए तो वे सभी मिलकर विद्रोह कर देते थे। सत्रहवीं शताब्दी के आखिर में तो जमींदार – किसान विद्रोह ने मुगल साम्राज्य के स्थायित्व को ही चुनौती दे दी थी ।
प्रश्न 2. शासन-प्रशासन संबंधी अकबर के विचारों के निर्माण में धार्मिक विद्वानों से होनेवाली चर्चाएँ कितनी महत्वपूर्ण थीं ? उत्तर—इबादतखाने में हुईं विभिन्न धर्मों की चर्चाओं से अकबर की समझ बनी कि किसी एक धर्म के व्यक्ति में धार्मिक कट्टरता अधिक होती है । यदि धार्मिक आधार पर शासन चलाया जाय तो जनता में विभाजन और असमंजस की स्थिति बनेगी । यह समझ अकबर को सुलह-ए-कुल अर्थात ‘सर्वत्र शांति’ के विचार की ओर ले गया । अकबर की यह सहिष्णुता विभिन्न धर्मों के अनुयायियों में कोई अंतर नहीं करती थी । इस प्रकार हम देखते हैं कि शासन-प्रशासन संबंधी अकबर के विचारों के निर्माण में धार्मिक विद्वानों से होनेवाली चर्चाएँ बहुत महत्वपूर्ण थीं ।
इस लेख में बिहार बोर्ड कक्षा 9 इतिहास के पाठ 8 ‘कृषि और खेतिहर समाज (Krishi aur khetihar samaj Class 9th History Notes )’ के नोट्स को पढ़ेंगे।
पाठ- 8 कृषि और खेतिहर समाज
बहुविकल्पीय प्रश्न :
प्रश्न 1.दलहन फसल वाले पौधे की जड़ की गाँठ में पाया जाता है (क) नाइट्रोजन स्थिरीकरण जीवाणु (ख) पोटाशियम स्थिरीकरण जीवाणु (ग) फॉस्फेटी स्थिरीकरण जीवाणु (घ) कोई नहीं।
उत्तर- (क) नाइट्रोजन स्थिरीकरण जीवाणु
प्रश्न 2. शाही लीची बिहार में मुख्यतः होता है (क) हाजीपुर (ख) समस्तीपुर (ग) मुजफ्फरपुर (घ) सिवान
उत्तर- (ग) मुजफ्फरपुर
प्रश्न 3. रबी फसल बोया जाता है (क) जून-जुलाई (ख) मार्च-अप्रैल (ग) नवम्बर (घ) सितम्बर-अक्टूबर
उत्तर- (ग) नवम्बर
प्रश्न 4. केला बिहार में मुख्यतः होता है (क) समस्तीपुर (ख) हाजीपुर (ग) सहरसा (घ) मुजफ्फरपुर
उत्तर- (ख) हाजीपुर
प्रश्न 5. बिहार में, चावल का किस जिले में सबसे ज्यादा उत्पादन होता है ? (क) सिवान (ख) रोहतास (ग) सीतामढ़ी (घ) हाजीपुर
उत्तर- (ख) रोहतास
प्रश्न 6. गरमा फसल किस ऋतु में होता है- (क) ग्रीष्म ऋतु (ख) शरद ऋतु (ग) वर्षा ऋतु (घ) वसंत ऋतु
उत्तर- (क) ग्रीष्म ऋतु
प्रश्न 7. रेशेदार फसल को चनें (क) आम (ख) लीची (ग) धान (घ) कपास
उत्तर- (घ) कपास
प्रश्न 8. अगहनी फसल को चुनें (क) चावल (ख) जूट (ग) मूंग (घ) गेहूँ
उत्तर- (क) चावल
1. भारत में मुख्यतः कितने प्रकार की कृषि होती है? उत्तर-भारत में मुख्यत: चार प्रकार की कृषि होती है।
2. रबी फसल और खरीफ फसल में क्या अन्तर है। उत्तर-खरीफ फसल-जुन-जुलाई बोया जाता है तथा अगस्त सितम्बर में काटा जाता है, इसमे मुख्य रूप सेमुख्य धान, बाजरा, उरद आदि रवि फसल-अक्टूबर-नवम्बर में बोया जाता है तथा मार्च- अप्रैल में काट लिया जाता है। इसमें मुख्य रूप से गेहू, चना, मटर जौं, चना, मसूर, खेसारी, अरहर
3. पादप – संकरण क्या है? उत्तर-दो किस्म के पादपों को मिलाकर एक नया उच्च किस्म का पादप या उसके बीजों के विकास को पादप-संकरण कहते है ।
4. मिश्रित खेती क्या है ? उत्तर-एक ही खेत में एक साथ दो या दो से अधिक प्रकार की फसलों को उपजाने की प्रक्रीया को मिश्रित कृषि कहते है।
5. हरित क्रांति से आप क्या समझते हैं? उत्तर-1960के दशक में हरित क्रांति के कारण खाद्यान में बढ़ोतरी हुई। लाल बहादुर शास्त्री के समय मे जब अमेरिका ने गेहूँ भेजने से इनकार दिया। तो भारतीय कृषि वैज्ञानीको तथा किसी को उबज बढ़ाने का अवाहन दीया। कृषिवैज्ञानीक ने उच्च कोटी के बीजों का अविस्कार किया। किसानो ने उच कोटि के बीजो के साथ रसायनिक तथा कीटनाशी दवाओं का उपयोगकर वैज्ञानीक दंग से कृषि की और खाद्यान्नों में आत्मनिर्भर हो गए। इस क्रांति को हरित क्रांति कहते है।
Krishi aur khetihar samaj Class 9th History Notes
6. गहन खेती से आप क्या समझते हैं? उत्तर-ऐसी कृषि में हर काम यंत्रो की सहायत से कीया जाता है। यंत्रो से ही जोताई बुआई की जाती है सिंचाई के लिए खेतों में पाइयों का जाल बिछाया गया है जिसके माध्यम से छिड़कावा विधि द्वारा सिंचाई किया जाता है। फसलो की कटनी और दवनी मशीनों के द्वारा ही होता है। इसमें अन्नों का अन्यादन अधिक होता है। जिसे निर्यात कर दिया जाता है।
7. झूम खेती से आप क्या समझते हैं? उत्तर-जब जंगली में आग लगा दीया जाता था और उसके राख पर बीज छिड़क देते थे। वर्षा होने पर उस बीज से पौधे निकल आते थे और इस प्रकार अन्नों उत्पादन होता था इस प्रकृया को झूम खेती कहते हैं
8. फसल चक्र के बारे में लिखें। उत्तर-जिसमें फसलों को अदल बदल कर लगाने की प्रक्रीया को फसल चक्रन कहते हैं। अनाज उपजाने के अगले वर्ष दलहन उपजाने से खेत की उर्वरा शक्ती कायम रहती है साधारण देशी खाद से उर्ववरा शस्ती बनी रहती है। प्रतिवर्ष अदल-बदल कर फसल लगाने की प्रक्रीया को फसल चक्रण कहते है। फसल चक्रन से पर्यावरण संतुलीत रहती है।
9. रोपण या बागानी खेती से आप क्या समझते हैं? उत्तर-रोपन फसल -रोपण फसल के अंतर्गत वे चाय, कहवा रबर आदि को रोपन फसल कहते है जिसे व्यापार के उद्देश्य से रोपण कृषि किया जाता है। बगांनी फसल- यह फसल की खेती भी व्यापर के उदेश्य से किया जाता है। इसके अन्तर्गत नारीयल, मशाले आदि होते है।
10. वर्तमान समय मे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मे परिवर्तन के उपाय बतावे । उत्तर-वर्तमान समय में ग्रामीण अर्थव्यवस्था में परिवर्तन लाने के लिए किसानों को आधुनिक तकनीक से परिचीत, कराया जाया। उनमें जागरूकता उत्पन्न कराई जाए ताकि किसान कृषि में आधुनि तकनीक का उपयोग का अधिक अन्न उत्पादन करे। कृषि कार्य के लिए सरकार कृषि – कर्ज – उपलब्धकराये।औरफसलबिमाकोप्रोत्साहितदिया जाए।
Krishi aur khetihar samaj Class 9th History Notes
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न,
1. भारतएक कृषि प्रधान देश है कैसे? उत्तर-भारत एक कृषि प्रधान देश है। इसलिए कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीड है। लगभग दोतिहाई जनसंख्या कृषि यह निर्भर करती है जहाँ विश्व की 11 प्रतिशत भूमि कृषि योग हैकृषिभारतकेंकूल कृषि योग्य भूमि 50/- है कृषि भारत के कुल राष्ट्रीय आय में लगभग35 प्रतिशत योगदान है भारत के पास विशाल स्थल क्षेत्र उपजाऊ भूमि का उच्च प्रतिशत है। 1960दशक में भारत सरकार ने हरित क्रोति को लाया। इसके कारण खाधान उत्पादन मैं अति वृद्धि हुई, यहाँ कृषि में उच्च तकनीकीएक वैज्ञानिक पध्दती का प्रवेश होता है। पादप संस्करण द्वारा उच्च प्रकार के बिजो का विकाश किया गया उर्वरक पीड़क नाशी खरपतवार नाशी के प्रयोग एव बहुदेशीय प्रयोजना के सिचाई में विकास तथा आधुनिक यंत्रो द्वारा कृषि कार्य के कारण कृषि एक व्यवसाय के रूप में विकसीत हुआ है। कृषि प्रधान होने के कारण ही भारत बहुउदेशीय प्रयोजना का विकास कर रहा है। कृषि भारत की अर्थव्यवस्था का रीढ़ है।
2. कृषि में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कृषि के लिए लाभदायक है कैसे? उत्तर-कृषि में वैज्ञानिक दृष्किकोण कृष्णों के लिए कभी लाभदायक होगा। पारंपरिक खेती से किसानों की उपज कम होती थी। वही एक ही प्रकार के खाधान लगाने से मृदा की उर्वक शक्ती भी दीण हो जाती थी सिचाई के लिए वर्ष पर निर्भरता से था तो अनावृत्ति के फसल सुरू जाता था या अतिवृष्टि के कारण फसल नष्ट हो जाते थे लेकिन वैज्ञानीक उष्टिकोण खेती के लिए कुछ इस प्रकार कृषि के लिए लाभदायक हुए। 1960 के दशक में हरित क्रांति त्ववें का प्रयास किया गया। हरितक्रांति से कृषि और किसानो के जीवन में उल्लेखनीय बदलाव लया है। उन्नत बिज नई तकनीकएव मशीने के उपयोग से तथा सिंचाई के साधनों के व्यवहार से कृषि उत्पादन मे वृद्धि हुई है। पादप संस्करण द्वारा उच्च प्रकार के बीजों के किसमों का बिकास किया गया। इसके द्वारा विकसीत उच्च प्रकार की बीजों रसायनिक उर्वरको कीट – पतगें, खरपतवार नाशक दावा और आधुनिक कृषि मशीनों का व्यवहार करने को उत्प्रेरित किया गया जिसे कृषिका उपज अधिक होने लगा।
3. बिहार की कृषि : मानसून के साथ जुआ कहाजाता है, कैसे? उत्तर-बिहार कृषि प्रधान राज्य है। यहाँ 70 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर आधारित हैं। लेकिन मानसून वर्षा निर्भर के कारण यहाँ की कृषि को मॉनसून के साथ जुआ ‘कहा जाता है। इसका मुख्य कारण यहाँ की नदियाँ की संरख्या अत्यधिक हैं फिर भी सिंचाई का प्रबंध अभी तक नहीं हुआ है किसान पुनरूप से मॉनसून पर निर्भर रहते है मानसून की अनिश्चिता के कारण कभी वर्षा विलकुल भा नहीं होती तो कभी सुखाड हो जाता है यदि अधिक वर्षा हो ने के कारण होने केकारण फसलनष्ट हो जाती है। कभी-कभी वर्षा अनुकूल होती है तो कृषि अच्छी होती है। इस प्रकार यहाँ की खेती जुआ है। यहीं कारण है कि बिहार की कृषि को मॉनसुन के साथ जुआ कहा जाता है
4. कृषि सामाजिक परिवर्तन का माध्यम हो सकता है, कैसे? उत्तर-भारत एक कृषि प्रधान देश है। भारतीयतोसमाज एक कृष्क समाज है। इसलिए कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। लगभग2/3 लोग कृषि पर निर्भर है। लेकिन कृषि की स्थितीदयनीयहै। अनेक स्थानी पर स्थिती बहुत नाजुक है। अभी भी छोटे कीसानों की स्थिती दयनीय है। अतः किसानो की समस्याओंकी ओर ध्यान देना आवश्यक है। कृषि और कृषको को स्थिती में सुधार लाए बिना समाजिक-आर्थिक व्यवस्था में सुधार नही हो सकता है। कृषी और आर्थीक सुधार लानेकी आवाश्यकता है। इसके लिए उद्योग को दर्जा देना होगा। आधुनिक कृषि का विकास और कृषि कार्य में लगे लोगों को समाजिक सम्मान भी देना होगा जिसे आने वाली पीढ़ियाँ कृषि में अभीरूची लेगी। भातील पीढ़ीयाँ को कृषि की ओर आकृष्ट करने के लिए शिक्षा का विकास किया जाए। यह कृषि समाजिक परिर्तन का माध्य बन सकती है। इसे समाजिक स्थित में सुधार ला सकते हैं इसे समाज में परिर्वतन आऐगें।
5. कृषि में वैज्ञानिक दृष्टिकोण क्या है? समझावें उत्तर-कृषि में वैज्ञानिक दृष्टिकोण कृषको के लिए कॉफी लाभदायक हैवैज्ञानीक दृष्टिकोण खेती के लिए कुछ प्रकार कृषि के लिए लाभदायक हुआ – हरितक्रांति 1960 दाशक में हरीत क्रांति के द्वारा उन्नतुः बिज, खाद नई तकनीक एक मशीनों उपयोग से तथा सिचाई के साधानों के व्यवहार मे कृषि आपदन में वृद्धि हुई है। पादप- संसकरण द्वारा उच्च प्रकार के बिजों, रसायनीक उर्वरकोंद्वारा कीटपंतगें, खर-पतवार नाश करने वाली दवाओ, सिंचाई के विकसित साधनों एवं आधुनीक कृषि मशीनों का व्यवहार करने कोप्ररेति कीयाजा रहा हैं। यह सब बैज्ञानीक दृष्टिकोण से ही संभव हुआ है।
इस लेख में बिहार बोर्ड कक्षा 9 इतिहास के पाठ 7 ‘शन्ति के प्रयास (Shanti ke prayas Class 9th History Notes)’ के नोट्स को पढ़ेंगे।
पाठ- 7 शन्ति के प्रयास
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न:
1.सुरक्षा परिषद् में कितले स्थायी और अस्थायी सदस्य है- उत्तर-सुरक्षा परिषद् में अभी 5 स्थायी तथा 10 अस्थायी सदस्य है
2. राष्ट्रसंघ का सबसे प्रमुख अंग कौन है? उत्तर-राब्ट्र संघ का प्रमुख अगं आम सभा है
3. संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना किस तिथि को हुई? उत्तर-संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना 24 अक्टुबर 1945 को हुई ।
4. संयुक्त राष्ट्रसंघ के वर्तमान महासचिवकौन है? उत्तर-संयुक्त राष्ट्रसब का वर्तमान महा संचिव बान-वी-मुन हैं।
5. संयुक्त राष्ट्रसंघ के चार्टर में कितनी धराएँ थी? उत्तर-संयुक्त राष्ट्रसंघ के चार्टर में 11 धाराएं हैं।
6. सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्यों की संख्या है उत्तर-सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्यो की सख्या10 है।
7. संयुक्त राष्ट्रसंघ का प्रधान अधिकारी कहलाता हैं। उत्तर-संयुक्त राष्ट्रसंघ का प्रधान अधिकारीमहासचीव कहलाता है।
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लघु उत्तरीय प्रश्न:
1. राष्ट्रसंघ की स्थापना किस प्रकार हुई? उत्तर-प्रथमविश्वयुद्धके आरंभ काल से कईयुरोपीय देश इस बात के लिएचिंतित थे। किविश्व स्वरपरऐसी संस्था रहनी चाहिए जोदेश के मन मुटाव को कम कर सके। लेकिन युद्ध के तनाव भरे वातावरण में यह सम्भव नहीं था। 1918 में युद्ध किस समाप्ती के बाद अमेरिका के ‘राष्ट्रिपति बुड्रो विल्सन के प्रयास से शांति सम्मेल में राब्ट्रसंघ की स्थापना की बात हुई। उन्होने 14 सूत्री प्रस्ताओं के आधार पर इस अंतर्राष्ट्रीय संस्थान की स्थापना 10 जुन 1920 हुई।
2. राष्ट्रसंघ निः शिस्त्रीकरण के प्रश्न को सुलझाने में क्यों असफल रहा? उत्तर-राष्ट्रसंघ छोटे-छोटे देशों की समस्याओं को सुलझाने में सफल रहा लेकिन जब बड़े देशों की बात आई तो उनलोगों ने अनसुनी कर दिया। खासकर जर्मनी और इटली तो बदले कीभावना में जल रहे थे और जल्द-से-जल्द अपने को सस्तो को लैस कर लेना चाहते थे। बहुत प्रयास से मिले जर्मनी को राष्ट्रसंघ की को त्याग तक कर देने का निर्णय ले लिया और वह सस्त्रों के प्रसार में लगा रहा। अत: राष्ट्रसंघ निःशस्त्रीकर को प्रश्न की सुलझाने में असफल हो गया।
3. राष्ट्रसंघ कीन कारणों से असफल रहा ? किन्ही चार कारणों को बतावें। (1) शक्तीशाली राष्ट्रों का असहयोग – राष्ट्रसंघ को शक्तीशाली देशो का समर्थन नही मिला। (2) अमेरिका का राष्ट्रसंघ से अलग रहना- अमेरिका राष्ट्रसंघका सदस्य नही बना वह स्वंय उसकासंसथापक था। (3) जर्मनी का एकतरफा निर्णय – जर्मनीराष्ट्रसंघमें मनमाना निर्णय लेता रहा और राष्ट्रसंघ चुप रहा (4) मुसोलिन की फासिवदी नीतियाँ- मुसोलीन विकास केलिए युद्ध को अनिवार्य मानता था जर्मनी से उसे सह मिल रहाथा।
4. संयुक्त राष्ट्रसंघ के उद्देश्यों एवं सिद्धांतों को लिखें। उत्तर-संयुक्त राष्ट्रसंघ के उद्देश्यः (1) शंति स्थापीतकर कीसी द्वारा किसी देश पर आक्रमण को रोकना (2) आत्मनिर्णय और समानता के आधार पर राष्ट्रीय सम्बंध को मजबूत करना (3 राष्ट्रों की आर्थिक स्थिति, समाजिक और शैक्षिक समस्यों को सुलझाना। (4) राष्ट्रसंघ को एक ऐसा केन्द्र बनना जहाँ इनसभी उदेश्य की प्रवति- के लिएतालमेल स्थापति किया जासके संयुक्त राष्ट्र संघ के सिद्धांत (5) राष्ट्रो के समानता के सिद्धांत को मानती है। (6) कोई भी राष्ट्रसंयुक्त राष्ट्रसंघ के बातो का उल्लघन नही कर सकता है। (7) सभी राष्ट्र झगड़ोंऔर वीवादों का निवार सांतिपूर्व करेंगे (8) राष्ट्र के अंतरीक मामलों में हस्तक्षेप
5. संयुक्त राष्ट्रसंघ के गैरराजनीतीक कार्य कौन -कौन से है? उत्तर-संयुक्त राष्ट्रसंघ के गैर राजनीतिक कार्य के अन्तर्गत अंतर्राष्ट्रीय अस्तर पर विभिन्न आर्थिक समाजीक, सांसकृतिक, शैक्षिक एवं स्वास्थ्य से सम्बंधित कार्य है तथा व्यापरिक मामलो में समानता का व्यवहार करना भी है मानवीय अधिकारी एवं स्वतंत्रता के प्रति आस्था बढ़ाना तथा सामाजिक, आर्थिक कार्य भी हैं।
6. संयुक्त राष्ट्रसंघकी किन्ही चार राजनीतिकसफलताओं का उल्लेख कीजिए। उत्तर-संयुक्त राष्ट्रसंघ की चार प्रमुख राजनीतीक सफलताएँ नीम्नलिखित है। (1) अंतर्राष्ट्रीय तनाओ को कम करना – विभिन्न एशियाई देशों के मध्य हो रहेतनाओ कोकम करने में राष्ट्रसंघ ने सराहनीय भुमिका निभाई। (2) उत्तर-दक्षिण कोरिया के युद्ध को रोकना – वर्षो से चल रहे उत्तर-दक्षिण कोरिया के बीच चल रहे युद्ध को रोकने में सफल रहा। (3) स्वेज नहर विवाद सुलझाना-मित्र जब स्वेज नहर का राष्ट्रीयकरण किया तो फ्रांस और इंग्लैंड ने बौखला कर युद्ध की स्थिती पैदा कर दिया। इसे विवाद को राष्ट्रसंघ सुलझाया (4) लेबन्ना संकट को दूर करना-जब लेबनान पर संकटआया तो राष्ट्रसंघ ने अपनी सेना भेजकर उसकी सुरक्षा किया।
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दिर्घउत्तरीय प्रश्न
1. राष्ट्रसंघ की स्थापना की परिस्थतियों का वर्णन करें
उत्तर- प्रथम विश्वयुद्धं अबतक के हुए युद्धों में भयानक युद्ध था। जिसमें दो गुट – त्रिगुट त्रिराष्ट्रीय संधि युद्धरत थे, लेकिन इनके अन्य सहयोगी भी युद्ध में शामिल थे। युद्ध लम्बा होता जा रहा था के देश बुरी तरह हार गए। पेरिस की शांति संधि और बाद में हुई वर्साय की संधी के द्वारा हारे हुए देशो पर भारी पाबंदी लगाई गई। उनके उपनिवेशों कोछिनी लिए गए, तत्काल जीते हुएँ क्षेत्रोंसेतो उन्हें वंचित कर किया ही गया। शक्तीशाली देश यह समझते थे कि समय पाकर ये पुन: सीर उठा सकते हैं। अत: उनपर भारी पाबंदी तो लगा ही था, परस्पर भी कोई खटपट नही हो, इसके लिए विश्व शांति स्थापनार्थ रक्त विश्व संस्था की अवश्यकता थी अंत: युद्ध परांत 1919 ई. में पेरिस में हुए शांति सम्मेलन में राष्ट्रसंघ की स्थापना पर विचार किया गया। अमेरिका के राष्ट्रपति बुड्रो विल्सन ने अपने 14 सूत्री प्रस्ताव रखे, जिसके मदेनजर 10 जुन 1920 ई. को राष्ट्रसंघ की स्थापना हुई। इस प्रकार हम देखते है की राष्ट्रसंघ की स्थापना उन पारिस्थितियों के बीच हुई, जब सभी देशों में अविश्वास और संदेह की परिस्थति थी।
2. राष्ट्रसंघ किन कारणों से असफल रहा? वर्णन करें। उत्तर-राष्ट्रसंघ की असफलता के अनेक कारण थे। प्रमुख कारण यह था की आंरम्भ से ही कुछ शक्तीशाल और बड़े राष्ट्रो इसकी सदस्यता से वंचीत रहे। हारे हुए देशों को आरंभ में इनका सदस्य नही बनाया र गया। बाद में 1925 में जर्मनी को शामिल किया गया लेकिन वह सहयोग के स्थान पर असहयोग के लिए ही आया था। पुरी जर्मन राष्ट्र वर्साय की संधि से असंतुष्ट थे। इसका परिणाम यह हुआ की जब हिटलर ने अपने को शक्तीशाली बना लिया तो वह बार-बार राष्ट्रसंघ की अवहेलना करने लगा। जब उसपर दबाव डाला गया उसने उनकी सेही त्यागपत्र दे दिया। वास्तव में उनकी इच्छा दीन लिए गए थे। क्षेत्रों को पुन: प्राप्त कर लेना तथा उपनिवेश बढ़ना था एक तो वह सैनीक शक्ती बढ़ाता रहा।वर्साय की संधि के मुताबीक उसके लिए वर्जित घोषित किया गया था। उसने किसी का परवाह किए बिना सैनिक शक्ति बढ़ा रहा । इंगलैंड और फ्रांस उसकी ओर से आँखें मुदे रहा, राष्टसंघ मे भी चुपलगा जानें में ही अपना कल्याणा समझा हिटलर अपने हर कदम में सफल होते जा रहा था उसका हौसला बढ़ता ही गया। आर्थिक मंदी की मार सभी अपने ‘अंत्रिकमामलों को लगे थे । जर्मनी साम्राज्य विस्तार में लगे ऐसी स्थती में राष्ट्रसंघ मुक दर्शक बना रहा। इसका फल यह हुआ की राष्ट्रसंघ निरर्थक होते-होते असफल होकर समाप्त हो गय
3. संयुक्त राष्ट्रसंघ के उदेश्यो एवं सिद्धांतों कीप्रासंगिकता बतावें । उत्तर-संयुक्त राष्ट्रसंघ के उद्देश्यों एवं सिद्धांतों की प्रासंगिकता निम्नलिखित हो सकती है। बउदेश्य: (1) शांति स्थापनार्थ किसी देश द्वारा किसी देश पर अक्रमण को रोकना। (2) आत्मनिर्णय और समानता के आधार पर राष्ट्रों के मध्य मैत्रीपूर्ण सम्बले को सुदृढ करना। (3) विभिन्न राष्ट्रों को आर्थिक समाजीक और शैक्षिक समस्याओं का समाधान करना (4) संयुक्त राष्ट्रसंघ को एक ऐसा केन्द्र बनाना जहाँ सभी उदेश्यों की प्राप्ति हो सको
सिद्धंत:देशों के बीच समानता का सिद्धांत अपनाया जाए प्रत्येक देश संयुक्त राष्ट्रसंघ के घोषणा पत्र को स्वीकार करें सभी देश परस्पर के झगड़ो को शांतिपूर्ण ढंग से निवारण करे। संयुक्त राष्ट्रसंघ किसी भी शब्द के आंतरिक मामलो मे हस्तक्षेप नहीं करेगा और न किसी को करने देगा।
4. संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रमुख अंगों की भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर-संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रमुख अंगों की भूमिका निम्नलिखित (1) आम समामें किसी समस्या को रखा जाता है संयुक्त राष्ट्रसंघ के सभी अंगों का निर्वाचन यही समा करती है। (2) सुरक्षा परिषद-यह दो या दो से अधिक देशों में विवादों को रोकने का प्रयास करती हैं। इसके 5 सदस्य स्थाही है (3) आर्थिक एवं सामाजिक परिसद- यह अंतराष्ट्रीय स्थर पर विभिन्न आर्थिक, समाजिक, संस्कृति और स्वास्थ्य सेसम्बद्ध मामलो का निवास करती है। (4) न्याय परिषद-न्याय परिषद न्या स्वतंत्र देश, जो अपना शासन स्वयं नही चला सकते जैसे देश का उस समय तक शासन सम्भालता है। जबतक वह शासन चलाने के योग्य नही हो जाए (5) अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय – जो अंतराष्ट्रीय विवादों का निर्णय समान्ता के आधार पर करती है। (6) सचिवालय- संचिवालय संयुक्त राष्ट्रसंघ का कार्यालय हैमहासचिव इसका प्रधान होता है।
5. संयुक्त राष्ट्रसंघ की महत्ता को रेखांकित करें। उत्तर-संयुक्त राष्ट्रसंघ अपनी स्थापना से लेकर आजतक की तारीख तक विश्व को किसी बड़े युद्ध से बचाकर रखा है! यह इसकी खास महत्ता हैं: एशिया के अनके देशों के बीच बढ़ रहे तनाओं को कम करने या उन्हें समाप्त कराने में संयुक्त राष्ट्रसंघ ने महत्वपूर्ण कार्य किया। ईरान में अवैध रूप से रह रहे रूसी सैनिको को हटाने के लिए में 1946 में इसने बाध्य कर दिया। रूष को यहाँ से सैनिकोंको हटानापड़ा। उत्तर दक्षिण कोरिया में वर्षो से चल रहे युद्ध को यह 1953में बन्द कराने में सफल रहा इसने 1956 में स्वेज नहर समस्या को सुलझाकर एक बड़े महत्व काम किया था। स्वेज नहर समस्या ने युद्ध की स्थिती के ला दी थी फ्रांस तथा इंगलैंड मिस्र द्वारा नहर के राष्ट्रीयकरण से मर्माहत हो गए थे और युद्ध पर उतारू थे लेकिन संयुक्त राष्ट्रसंघ के बीच-बचाव: ने समस्या का समाधान निकाल लिया। लेबनान पर जब संकट की स्थिती उत्पन्न हो गई तो संयुक्त राष्ट्र ने अपना दल भेजकर लेबनान को बचा लिया। 1956 में भारतपाक युद्ध बन्द कराने में संयुक्त राष्ट्रसंघ की महत्वपूर्ण भुमिका निर्मााण 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता के प्रश्न पर पाकिस्तान ने जब भारत पर आक्रमण कर दिया तो संयुक्त राष्ट्रसंघ ने महत्पूर्ण भुमिका अदा की।
अभ्यास के प्रश्न तथा उनके उत्तर
I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
निर्देश : नीचे दिए गए प्रश्नों में चार संकेत चिह्न हैं, जिनमें एक सही या सबसे उपयुक्त है। प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रश्न- संख्या के सामने वह संकेत चिह्न (क, ख, ग, घ ) लिखें, जो सही अथवा सबसे उपयुक्त हो ।
1. राष्ट्रसंघ के सचिवालय का प्रधान कार्यालय : (क) न्यूयार्क में था (ख) पेरिस में था (ग) जेनेवा में था (घ) बर्लिन में था
2. इसमें कौन राष्ट्रसंघ का सदस्य नहीं था ? (क) इंग्लैंड (ख) संयुक्त राज्य अमेरिका (ग) फ्रांस (घ) जर्मनी
3. राष्ट्रसंघ की स्थापना का मूल उद्देश्य था : (क) द्वितीय विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि तैयार करना (ख) भविष्य में युद्ध रोकना (ग) राष्ट्रों के बीच मतभेद उत्पन्न करना (घ) इनमें से कुछ नहीं
4. राष्ट्रसंघ की स्थापना किस वर्ष हुई ? (क) 1945 (ख) 1925 (ग) 1920 (घ) 1895
5. निम्नलिखित में से कौन संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी है ? (क) आर्थिक और सामाजिक परिषद (ख) अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ग) संरक्षण परिषद (घ) अंतर्राष्ट्रीय मजदूर संघ
6. संयुक्त राष्ट्रसंघ का मुख्यालय कहाँ अवस्थित है ? (क) जेनेवा (ख) वाशिंगटन (ग) न्यूयार्क (घ) लंदन
8. संयुक्त राष्ट्रसंघ की किस सम्मेलन का सफल परिणाम था ? (क) डाम्बस्टन ओक्स (ख) सैन फ्रांसिस्को (ग) जेनेवा (घ) पेरिस
8. वर्तमान में संयुक्त राष्ट्रसंघ के कितने सदस्य हैं ? (क) 111 (ख) 192 (ग) 190 (घ) 290
प्रश्न 1. सुरक्षा परिषद में अभी कितने स्थायी और अस्थायी सदस्य हैं ? उत्तर— सुरक्षा परिषद में अभी 5 स्थायी तथा 10 अस्थायी सदस्य हैं ।
प्रश्न 2. राष्ट्रसंघ का सबसे प्रमुख अंग कौन है ? उत्तर—राष्ट्रसंघ का सबसे प्रमुख अंग आम सभा है ।
प्रश्न 3. संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना किस तिथि को हुई ? उत्तर—संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना 24 अक्टूबर, 1945 को हुई ।
प्रश्न 4. संयुक्त राष्ट्रसंघ के वर्तमान महासचिव कौन हैं ? उत्तर—संयुक्त राष्ट्रसंघ के वर्तमान महासचिव बान-वी-मून हैं । ये दक्षिण कोरिया के एक बड़े नेता हैं ।
प्रश्न 5. संयुक्त राष्ट्रसंघ के चार्टर में कितनी धाराएँ हैं ? उत्तर— संयुक्त राष्ट्रसंघ के चार्टर में 111 धाराएँ हैं । इन्हीं धाराओं के अनुसार संयुक्त राष्ट्रसंघ का कार्य संचालन होता है ।
प्रश्न 6. सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्यों की संख्या कितनी है ? उत्तर — सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्यों की संख्या 10 है ।
प्रश्न 7. संयुक्त राष्ट्रसंघ का प्रधान अधिकारी क्या कहलाता है ? उत्तर— संयुक्त राष्ट्रसंघ का प्रधान अधिकारी महासचिव कहलाता है ।
III. लघु उत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1. राष्ट्रसंघ की स्थापना किस प्रकार हुई ? उत्तर – प्रथम विश्व युद्ध के आरम्भ काल से ही इंग्लैंड, फ्रांस, अमेरिका, आदि जैसे अन्य कई यूरोपीय देश इस बात के लिए चिंतित थे कि विश्व स्तर पर एक ऐसी संस्था रहनी चाहिए जो देशों के परस्पर मनमुटाव को समाप्त कर सके। लेकिन के तनाव भरे वातावरण में यह सम्भव नहीं था। 1918 में युद्ध की समाप्ति के पश्चात युद्ध अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन के प्रयास से 1919 में पेरिस में हुए शांति- सम्मेलन में राष्ट्रसंघ की स्थापना की चर्चा हुई। उन्होंने एक 14 सूत्री प्रस्तावों के आधार पर इस अंतरर्राष्ट्रीय संस्थान की स्थापना पर बल दिया । फलस्वरूप विभिन्न योजनाओं को मिलकार 10 जून, 1920 ई. को राष्ट्रसंघ ( League of Nations) की स्थापना हुई ।
प्रश्न 2. राष्ट्रसंघ नि:शस्त्रीकरण के प्रश्न को सुलझाने में क्यों असफल रहा ? उत्तर- राष्ट्रसंघ छोटे-छोटे देशों की समस्याओं को सुलझाने में तो सफल हो गया, लेकिन जब बड़े देशों की बात आई तो उनलोगों ने अनसुनी करना शुरूकर दिया । खासकर जर्मनी और इटली तो बदले की भावना से ग्रसित थे और जल्द-से-जल्द अपने को शस्त्रों से लैस कर लेना चाहते थे। बहुत प्रयास से मिलें जर्मनी को राष्ट्रसंघ की सदस्यता को त्याग तक कर देने का निर्णय ले लिया और वह शस्त्रों के प्रसार में लगा रहा । इस तरह की बातें अन्य देशों की ओर से भी देखने को मिल रही थीं । फलतः राष्ट्रसंघ निःशस्त्रीकरण के प्रश्न को सुलझाने में असफल हो गया ।
प्रश्न 3. राष्ट्रसंघ किन कारणों से असफल रहा ? किन्हीं चार कारणों को बतावें । उत्तर – राष्ट्रसंघ की असफलता के चार कारण निम्नलिखित थे : (i) शक्तिशाली राष्ट्रों का असहयोग – राष्ट्रसंघ की व्यावहारिक सफलता बड़े. शक्तिशाली राष्ट्रों के सहयोग पर निर्भर थी। लेकिन राष्ट्रसंघ शुरू से ही इस सहयोग से वचिंत था । अतः इसकी असफलता अनिवार्य थी । (ii) अमेरिका का राष्ट्रसंघ से अलग रहना- अमेरिका राष्ट्रसंघ की स्थापना में सक्रिय सहयोगी तो रहा, लेकिन वह स्वयं उसका सदस्य नहीं बना । फलतः कार्यकारी सहयोग वह नहीं दे सकता था । (iii) जर्मनी का एकतरफा निर्णय – जर्मनी को पहले तो नहीं, लेकिन बाद में उसे राष्ट्रसंघ का सदस्यता प्रदान कर दी गई । लेकिन इसका कोई लाभ नहीं हो सका। वह मनमाना निर्णय लेता रहा और राष्ट्रसंघ चुप बैठा रहा । (iv) मुसोलिनी की फासिस्टवादी नितियाँ – इटली का तानाशाह मुसोलिनी को शांति में विश्वास नहीं था। मानव विकास के लिए वह युद्ध को अनिवार्य मानता था । जर्मनी से उसे सह मिल रहा था ।
प्रश्न 4. संयुक्त राष्ट्रसंघ के उद्देश्यों एवं सिद्धांतों को लिखें । उत्तर- संयुक्त राष्ट्रसंघ के उद्देश्य निम्नांकित हैं : (i) शांति स्थापनार्थ किसी देश द्वारा किसी देश पर आक्रमण को रोकना । (ii) आत्मनिर्णय और समानता के आधार पर राष्ट्रों के मध्य मैत्रीपूर्ण सम्बंधों को सुदृढ़ करना । (iii) विभिन्न राष्ट्रों की आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक समस्याओं का समाधान करना । (iv) संयुक्त राष्ट्रसंघ को एक ऐसा केन्द्र बनाना जहाँ उपयुक्त सभी उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए कार्यवाहियों में तालमेल स्थापित हो सके ।
संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित हैं : (i) राष्ट्रों की समानता के सिद्धांत को यह संस्था मानती रहेंगी । (ii) कोई भी राष्ट्र संयुक्त राष्ट्रसंघ के घोषणा-पत्र का उल्लंघन नहीं करेगा। (iii) सभी राष्ट्र परस्पर झगड़ों और विवादों का निबटारा शांतिपूर्ण ढंग से करेंगे। (iv) संयुक्त राष्ट्रसंघ किसी भी राष्ट्र के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा और न किसी को करने देगा ।
प्रश्न 5. संयुक्त राष्ट्रसंघ के गैरराजनीतिक कार्य कौन-कौन से हैं? उत्तर- संयुक्त राष्ट्रसंघ के गैरराजनीतिक कार्य के अन्तर्गत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक एवं स्वास्थ्य से सम्बंधित मामलों की जाँचकर देश विशेष को सहयोग प्रदान करना है । इस कार्य की पूर्ति के लिए आर्थिक एवं सामाजिक परिषद नामक संयुक्त राष्ट्रसंघ का एक प्रमुख अंग कार्यरत हैं । इसी से मिलता-जुलता गैरराजनीतिक कार्य मानवीय अधिकारों एवं स्वतंत्रता के प्रति आस्था बढ़ाना तथा सामाजिक, आर्थिक और व्यापारिक मामलों में समानता का व्यवहार करना भी हैं ।
प्रश्न 6. संयुक्त राष्ट्रसंघ की किन्हीं चार राजनीतिक सफलताओं का उल्लेख कीजिए । उत्तर – संयुक्त राष्ट्रसंघ की चार प्रमुख राजनीतिक सफलताएँ निम्नलिखित हैं : (i) अंतर्राष्ट्रीय तनावों को कम करना – विभिन्न एशियाई देशों के मध्य हो रहे तनावों को कम करने में संयुक्त राष्ट्रसंघ ने सराहनीय भूमिका निभाई । 1946 में ईरान में अवैध रूप से रह रहे रूसी सैनिकों को हटवाया । (ii) उत्तर-दक्षिण कोरिया के युद्ध को रोकना — वर्षों से चल रहे उत्तर-दक्षिण कोरिया के बीच चल रहे युद्ध को रोकवाने में संयुक्त राष्ट्रसंघ को अपूर्व सफलता मिली । (iii) स्वेज नहर विवाद को सुलझाना – मिस ने जब स्वेज नहर का राष्ट्रीयकरण किया तो फ्रांस और इंग्लैंड बौखला कर युद्ध की स्थिति पैदा कर दिए। इस विवाद को भी राष्ट्रसंघ ने सुलझा लिया । (iv) लेबनान संकट को दूर करना – 1959 में लेबनान पर जब संकट के बादल छाने लगे तो संयुक्त राष्ट्रसंघ ने ही अंतर्राष्ट्रीय सेना भेजकर लेबनान की जान बचाई।
IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1. राष्ट्रसंघ की स्थापना की परिस्थतियों का वर्णन करें । उत्तर – प्रथम विश्वयुद्ध अबतक के हुए युद्धों में भयानक युद्ध था । कहने को तो मात्र दो ही गुट – त्रिगुट (ट्रिपल एलायंस) तथा त्रिराष्ट्रीय संधि (ट्रिपल एतांत) — युद्धरत थे, लेकिन इनके अन्य सहयोगी भी युद्ध में शामिल थे। युद्ध लम्बा खींचा और अंततः त्रिगुट (ट्रिपल एलायंस) के देश बुरी तरह हार गए । पेरिस की शांति संधि और बाद में हुई वर्साय संधि के द्वारा हारे हुए देशों पर भारी पाबंदी लगाई गई । उनके द्वारा जो क्षेत्र पहले से भी उपनिवेश बना लिए थे. सब छिन लिए गए, तत्काल जीते हुए क्षेत्रों से तो उन्हें वंचित किया ही गया । इससे उनमें भारी क्षोभ था । शक्तिशाली देश यह समझते थे कि समय पाकर ये पुनः सिर उठा सकते हैं । अतः उन पर पाबन्दी तो लगाना ही था, परस्पर भी कोई खटपट नहीं हो, इसके लिए विश्व शांति स्थापनार्थ एक विश्व संस्था की आवश्यकता थी । अतः युद्ध काल से ही वे इसकी स्थापना के लिए सोच रहे थे, लेकिन तनाव भरे युद्धकाल में यह संभव नहीं था । अतः युद्धोपरांत 1919 ई. में पेरिस में हुए शांति सम्मेलन के पश्चात राष्ट्रसंघ की स्थापना पर विचार किया गया । अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन ने अपने 14 सूत्री प्रस्ताव रखें, जिसके मद्देनजर 10 जून, 1920 ई. को राष्ट्रसंघ की स्थापना हो गई। लेकिन प्रारम्भ से ही इतना प्रयास करते रहने के बावजूद स्वयं अमेरिका उसका सदस्य नहीं बना । रूस में कम्युनिस्ट आन्दोलन सफल हो गया था अतः कम्युनिस्टों को महत्व नहीं मिले, इस कारण रूस को भी राष्ट्रसंघ. का सदस्य नहीं बनाया गया । दूसरी ओर विजित देशों को भी उससे दूर ही रखा गया । इस प्रकार हम देखते हैं कि राष्ट्रसंघ की स्थापना उन परिस्थितियों के बीच हुई, जब सभी देशों में अविश्वास और संदेह की परिस्थिति थी और सभी एक-दूसरे के प्रति सशंकित थे
प्रश्न 2. राष्ट्रसंघ किन कारणों से असफल रहा? वर्णन करें । उत्तर— राष्ट्रसंघ की स्थापना के उद्देश्य अल्पकाल में ही धूल-धुसरित हो गए । अपनी स्थापना काल के मात्र 20 वर्षों में ही राष्ट्रसंघ ने दम तोड़ दिया । राष्ट्रसंघ की असफलता के अनेक कारण थे । प्रमुख कारण तो यह था कि आरम्भ से ही कुछ शक्तिशाली और बड़े राष्ट्रों को इसकी सदस्यता से वंचित रखा गया या वे स्वयं इसकी सदस्यता स्वीकार करने से मुकर गए। हारे हुए देशों को आरंभ में इसका सदस्य नहीं बनाया गया। बाद में 1925 में जर्मनी को शामिल किया तो गया, लेकिन वह सहयोग के स्थान पर असहयोग के लिए ही राष्ट्रसंघ में आया था। पूरा जर्मन राष्ट्र वर्साय की संधि से असंतुष्ट तथा अपने को अपमानित महसूस कर रहा था । इसका परिणाम यह हुआ कि जब हिटलर ने अपने को शक्तिशाली बना लिया तो वह बार-बार राष्ट्रसंघ की अवहेलना करने लगा। जब उसपर अधिक दबाव डाला गया तो उसने उसकी सदस्यता से ही त्यागपत्र दे दिया । वास्तव में उसकी इच्छा छिने लिए गए और क्षेत्रों को पुनः प्राप्त कर लेना तथा अपने उपनिवेश बढ़ाना था। एक तो वह अपने सैनिक शक्ति बढ़ाता रहा, जबकि वर्साय संधि के मुताबिक यह उसके लिए वर्जित घोषित किया गया था, उसने किसी का परवाह किए बिना सैनिक शक्ति बढ़ता रहा । इंग्लैंड और फ्रांस उसकी ओर से आँखें मूँदे रहे, फलतः राष्ट्रसंघ ने भी चुप लगा जाने में ही अपना कल्याण समझा । हिटलर अपने हर कदम में सफल होते. जा रहा था और कहीं से कोई प्रतिरोध नहीं देख उसका हौसला बढ़ता ही गया । आर्थिक मंदी की मार से सभी देश अपने आंतरिक मामलों को सम्भालने में ही लगे थे, जबकि जर्मन साम्राज्य विस्तार में लगा था । ऐसी स्थिति में राष्ट्रसंघ मूक दर्शक बना रहा और इसके अधिकारी भी अब उसके कामों की ओर से उदासीन हो गए। इसका फल हुआ कि राष्ट्रसंघ निरर्थक होते-होते असफल होकर समाप्त हो गया ।
प्रश्न 3. संयुक्त राष्ट्रसंघ के उद्देश्यों एवं सिद्धांतों की प्रासंगिकता बतावें । उत्तर- संयुक्त राष्ट्रसंघ के उद्देश्यों एवं सिद्धांतों की प्रासंगिकता निम्नांकित हो सकती है। बल्कि यदि हम यह कहें कि संयुक्त राष्ट्रसंघ की प्रासंगिकता उसके उद्देश्यों और सिद्धांतों में ही निहित है तो कोई अत्युक्ति नहीं होगी ।
उद्देश्य : संयुक्त राष्ट्रसंघ का प्रथम उद्देश्य है विश्व में देशों के बीच शांति बनी रहे, कोई देश किसी देश पर आक्रमण नहीं करे और यदि दो या दो से अधिक देशों के बीच कोई विवाद उत्पन्न होता है तो उसका शांतिपूर्ण ढंग से निबटारा करा दिया जाय । आत्मनिर्णय और समानता का सिद्धांत अपनाया जाय तथा संसार के देशों के बीच मैत्रीपूर्ण सम्बंध स्थापित करा दिया जाय और ऐसा प्रयास किया जाय कि वह मैत्री सुदृढ़ रहे । विभिन्न देशों की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक समस्याओं का समाधान किया जाय तथा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्राप्त कर मानवीय अधिकारों को अक्षुण्ण बनाये रखा जाय । संयुक्त राष्ट्रसंघ एक ऐसी केन्द्रीय संस्था बने जो देशों के उद्देश्यों की प्राप्ति की कार्यवाही में तालमेल और सामंजस्य स्थापित कराने में सहायक सिद्ध होता रहे ।
सिद्धान्त : देशों के बीच समानता का सिद्धांत अपनाया जाय । प्रत्येक सदस्य देश संयुक्त राष्ट्रसंघ के घोषणापत्र ( Charter) का स्वागत करे और उसको सम्मान दे। सभी देश परस्पर के झगड़ों या विवादों का निबटारा शांतिपूर्ण ढंग से कर लें । संयुक्त राष्ट्रसंघ या इसकी किसी संस्था के सदस्य अन्य देशों की स्वतंत्रता और प्रादेशिक अखंडता को आक्रमणों के द्वारा विनष्ट नहीं करें। संयुक्त राष्ट्रसंघ के घोषणापत्र की अवहेलना करनेवाले देश के साथ कोई देश कोई सम्बंध नहीं रखेंगे। यदि कोई सदस्य देश शांति भंग करने की कोशिश करेगा तो संघ उसके विरुद्ध कार्यवाही करेगा । संयुक्त राष्ट्रसंघ किसी भी देश के आंतरिक मामले में न हस्तक्षेप करेगा और न किसी देश को करने देगा ।
प्रश्न 4. संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रमुख अंगों की भूमिका का वर्णन करें । उत्तर— संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रमुख अंगों की भूमिका निम्नलिखित है : (i) आम सभा – आम सभा संयुक्त राष्ट्रसंघ का प्रमुख अंग है । इसी सभा में किसी समस्या को रखा जाता है तथा वाद-विवाद के पश्चात उसे स्वीकृत या अस्वीकृत किया जाता है। संयुक्त राष्ट्रसंघ के सभी अंगों का निर्वाचन यही सभा करती है । (ii) सुरक्षा परिषद – सुरक्षा परिषद की भूमिका यह है कि यह दो या दो से अधिक देशों में विवादों को रोकने का प्रयास करती है । इसके 5 सदस्य स्थायी हैं तथा 10 सदस्य अस्थायी हैं । स्थायी सदस्यों को किसी भी निर्णय पर रोक लगा देने (वीटो) का अधिकार है। (iii) आर्थिक एवं सामाजिक परिषद – आर्थिक और सामाजिक परिषद संयुक्त राष्ट्रसंघ का एक महत्वपूर्ण अंग है । यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और स्वास्थ्य से सम्बद्ध मामलों की देखभाल करती है । इस अंग के अन्तर्गत यूनीसेफ, यूनेस्को, मानवाधिकार आयोग, अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन आदि समूह काम करते हैं (iv) न्यास परिषद — न्यास परिषद संयुक्त राष्ट्रसंघ का ऐसा अंग है, जो नया-नया स्वतंत्र देश, जो अपना शासन स्वयं नहीं चला सकते, जैसे देश का उस समय तक शासन सम्भालता है, जबतक कि वे शासन चलाने के योग्य नहीं हो जाते। यह काम वह किसी देश के माध्यम से करती है। न्यास परिषद के चार उद्देश्य निश्चित किए गए हैं : (क) शांति और सुरक्षा को बढ़ाना, (ख) स्वशासन के क्रमिक विकास में सहायता करना, (ग) मानवीय अधिकारों को सुरक्षित करना तथा (घ) महत्त्वपूर्ण मामलों में समानता का व्यवहार करना । (v) अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय– अन्तराष्ट्रीय न्यायालय संयुक्त राष्ट्र के तहत एक ऐसा न्यायिक और कानूनी अंग है जो अंतराष्ट्रीय विवादों का निर्णय समानता के आधार पर करता है । इसके निर्णय को मानने के लिए इसके सभी सदस्य देश बाध्य हैं। इसका मुख्यालय नीदरलैंड की राजधानी हेग में है। (vi) सचिवालय – सचिवालय संयुक्त राष्ट्रसंघ का कार्यालय है । महासचिव इसका प्रधान होता है । विभिन्न देशों के लोगों को कर्मचारी के रूप में प्रतिनिधित्व दिया जाता है। संघ के सभी महत्वपूर्ण कागजात यही रहते हैं ।
प्रश्न 5. संयुक्त राष्ट्रसंघ की महत्ता को रेखांकित करें । उत्तर— संयुक्त राष्ट्रसंघ की महत्ता को उसकी सफलताओं पर दृष्टिपात कर आंका जा सकता है । इसकी स्थापना के समय से ही इसके संस्थापक देशों के साथ ही सभी सदस्य देश इस बात से सशंकित थे कि इस संस्था की भी कहीं वही दशा न हो जाय जो ‘राष्ट्रसंघ’ का हुआ था । अतः इसके स्थायित्व को लेकर सभी देश प्रयत्नशील थे । संयुक्त राष्ट्रसंघ अपनी स्थापना से लेकर आज तक की तारीख तक विश्व को किसी बड़े युद्ध से बचाकर रखा है: यह इसकी खास महत्ता है ।
संयुक्त राष्ट्रसंघ की महत्ता को निम्नलिखित बातें सिद्ध करती हैं : एशिया के अनेक देशों के बीच बढ़ रहे तनावों को कम करने या उन्हें समाप्त कराने में संयुक्त राष्ट्रसंघ ने महत्वपूर्ण कार्य किया । ईरान में अवैध रूप से रह रहे रूसी सैनिकों को हटने के लिए 1946 में इसने बाध्य कर दिया। रूस को वहाँ से अपने सैनिकों को हटाना पड़ा। उत्तर-दक्षिण कोरिया में वर्षो से चल रहे युद्ध को यह 1953 में बन्द कराने में सफल रहा। इसने 1956 में स्वेज नहर समस्या को सुलझाकर एक बड़े महत्व का काम किया था। स्वेज नहर समस्या ने युद्ध की स्थिति ला दी थी। फ्रांस तथा इंग्लैंड मिस्र द्वारा नहर के राष्ट्रीयकरण से मर्माहत हो गए थे और युद्ध पर उतारु थे । लेकिन संयुक्त राष्ट्रसंघ के बीच-बचाव ने समस्या का समाधान निकाल लिया । लेबनान पर जब सकंट की स्थिति उत्पन्न हो गई तो संयुक्त राष्ट्र ने अपना दल भेजकर लेबनान को बचा लिया । मध्य एशिया में फिलिस्तीन- इजरायल का मुद्दा विकट रूप धारण करता जा रहा था, लेकिन संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रयास से वहाँ शांति स्थापित हो सकी। बावजूद इसके आज भी वहाँ दोनों गुट कभी-न-कभी भिड़ ही जाते हैं, लेकिन युद्ध बड़ा रूप नहीं ले पाता । 1956 में भारत-पाक युद्ध बन्द कराने में संयुक्त राष्ट्रसंघ की महत्वपूर्ण भूमिका रही। 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता के प्रश्न पर पाकिस्तान ने जब भारत पर आक्रमण कर दिया तो संयुक्त राष्ट्रसंघ ने युद्ध बंद कराने और बांग्लादेश को आजाद कराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
इस लेख में बिहार बोर्ड कक्षा 9 इतिहास के पाठ 6 ‘वन्य समाज और उपनिवेशवाद (Vanya samaj aur upniveshvad Class 9th Notes)’ के नोट्स को पढ़ेंगे।
पाठ- 6 वन्य समाज और उपनिवेशवाद
1. वन्यसमाज की राजनैतिक स्थिती परप्रकाश डालें। उत्तर- शुरू से ही वन्य समाज कबीलों मे बटा था । कबीले का प्रमुख मुखिया था जिसका मुख्य काम कबीले को सुरक्षा प्रदान करना था। धीरे-धीरे इन्होने कबीलो पर अपना अधिकार जमाना सुरु किया तथा अपने लिए विशेष अधिकार प्राप्तकर लिया।
2. वन्य समाज का सामाजिक जीवन कैसा था? उत्तर-अधिवासी सीधे-सादे और सरल था ईमदार होते थे। उनका मुख्य काम था वे हिरण तीतर और अन्य छोटे पशु पक्षियों का शिकार करते थे। इसका समाजिक जीवन बहुतसदा होता था।
3. अठारहवीं शताब्दी में वन्य समाज का अर्थिकजीवन कैसा था उत्तर-वन्यसमाज का आर्थिक जीवन का आधारकृषि थायेझुम खेती पारंगत थे। खेती करते-करते जब ये देखते थे की जीवन कम उपजाऊन हो गई तो दुसरे जगह चले जाते थे। कृषि के आलावा बाँस, मसाले विभिन्न रेशो रबर आदि का व्यापार करते थे।
4. अठारहवीं शताब्दी में ईसाई मिशनरियों ने वन्य समाज को कैसे प्रभावित किया? उत्तर- इसाई मिशनरियों ने सेवा का नाटक रचा और शिक्षा स्वास्थ कार्यों के सहारे इन्होंने इसाईमें बैठ बना ली। वे गरीबों कोअन्न भी देते थे। धीरे-धीरे आदीवासीयों के नेता बन गए। उनहोने अन्य को भी ईसाई बनने के लिए प्रेरित किया। शिक्षा, साफ-सफाईतथा स्वास्थ्य सेवाओं द्वारा ईसाइयों ने कुछ अच्छे काम भी किए। लेकिन हर काम का उद्देश्य ईसाई धर्म का प्रचार करना था।
5. भारतीय वन अधिनियम का क्या उद्देश्य था? उत्तर-भारतीय वन अधिनियम का उदेश्य था। पेडो की कटाई पर रोक लगना। जंगल को लकड़ी उत्पादकें लिए सुरक्षित करना।
6. चेरो विद्रोह से क्या समझते हैं? उत्तर-चेरो जनजाति जो कि बिहार के पलामू जिले के रहने वाले थे, ने अपने राजा के खीलाफ विद्रोह किए थे, जिसे चिरो विद्रोह के नाम सेजाता हैयह विद्रोह सन् 1800 ई. में अंग्रेजों के शोषण के खिलाफ भुषण सिंह के नेतृत्व में किया गया था। इस विद्रोह के समय राजाकी मदद – के लिए अंग्रेज़ी सेना बुलाई गई थी। कर्नल के नेतृत्व में इस विद्रोह को दबा दिया गया।
Vanya samaj aur upniveshvad Class 9th Notes
7. तमार विद्रोह क्या था? उत्तर-छोटा नागपुर के उरांव जनजाति ने जमीदारों केशोषण के खीलाफ़ सन् 1789में सुरू हुआ थाइसविद्रोह के तमार विद्रोह के नाम से जाना जाता है यह 1794ई. तक चलता रहा ऑर अग्रेजों की सहायता से इसे दबादीया गया।
8. चुहार विद्रोह के विषय में लिखे। उत्तर-अग्रेंजों की लगान व्यवस्था के खिलाफ मिदनापुर स्थित करणगढ़ की रानी सिरोमणि के नेतृत्व मे चुआरों ने बिद्रोह किया। 1799 में यह विद्रोह चरम पर था। 6 अप्रैल 1799 को सिरोमणि कोगिरफ्तार कर लिया गया और आगे चलकर भुमि जाति के लोगों के साथ नारायण द्वारा किए गए विद्रोह में शामिल हो गए।
9. उड़ीसा के जनजाति के लिए चक्र विसोई ने क्या किए? उत्तर-चक्रविसोई का जन्मघुमसार क्षेत्र के ताराबाड़ी नामक गाँव में हुआ था। वह अपने समय का बहादुर लड़का था। उड़ीसा के कंध जनजातियों के विद्रोह का की काफी महत्व है। आदिवासी बंगल से मद्रास तक फैले हुए थे। लेकिन मुख्य रूप से उड़ीसा मे ही थे। लोगो में नरबली प्रथा प्रचलीत थी। जिसे अंग्रेजी ने रोकने का प्रयास किया । चक्र विसाई ने इसक बिरोध किया
10. आदिवासीयों के क्षेत्रवादी आंदोलन का क्या परिणाम हुआ। उत्तर-क्षेत्रवादी आंदोलन के फलस्वरूप आदिवासियों ने अलग राज्य की माँग करना शुरू कर दिया।भारत कार ने उनकी मांगी को ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश राज्य का पुनर्गठन करके 1 नवम्बर 2000 ई. को आदिवासी बहुल क्षेत्र का एक पृथक राज्य छत्तीसगढ़ बनाया।
Vanya samaj aur upniveshvad Class 9th Notes
दीर्घ उत्तरीय प्रशन:
1. अठारहवीं शताब्दी में भारत में जनजातियों के जीवन पर प्रकाश डालें? उत्तर-भारत का लगभग25भाग में वन है। इन वनो में निवास करनेवाले को आदिवासी कहाँ जाता है। इनकी अर्थव्यवस्था एवं संस्कृति वनों के साथ घुला -मिला है। भोजन, ईंधन, लकड़ी, घरेलू समग्री,जड़ी बूटी के साथ घुला – मिला मिला है। पशुओं के लिए चारा और कृषिगत औजारों के लिए ये बनो पर ही आश्रीत है। ये अनेक वृक्षो को पूजा करते है वनों को देवता समझते है। भोजन के लिए इन्हें फल और शिकार वनों से ही प्राप्त होता है। जल है।ये नदियो और झरनो से प्राप्त करते है। आवाश लिए पत्थर-मिट्टी, लकड़ी, बाँस फुस वहाँ बहुताय से उपलब्ध है। आदिवासी जनजाति के लोग अपने को वर्ग के आधार पर नही बल्की जतीय आधार पर अपने को संगठित कर रखा है। अठारहवी शताब्दी के पहले तक ये जनजातियाँ वन सम्पदा को उपयोग अपने जीविकोपार्जन के लिए करती थी।
2. तिलका मांझी कौन थे? उसने आदिवासी क्षेत्र के लिए क्या किया? उत्तर-तिलक मांझी पहाड़िया जाति के आदिवासी थे। यह जाति मुद्धप्रिय थी। इनका निवास-स्थान राजमहल की पहाड़ियों में था। यहाँ अंग्रेजों ने मुखिया, साहुकार, ठेकेदारी वन तथा पुलीस विभाग के अधिकारियों को आदिवासियों का शोषण करने के लिए प्रेरित किया। परिणामस्वरूप इनका आर्थिक आधार तहस-नहस हो गया तथा वे दरिद्र हो गए ऋण के बोध के कारण उन्हें अपनी उपजाऊ जमीन गैर आदिवासियों को बेचने के लिए बाध्य किया। अतःपहलीबार भारत में इस क्षेत्र में जनजाति बिद्रोह हुआ। उन्होने जमींदार के राजस्व नीती के खिलाफ विद्रोह किया जिसका नेता तिलका मांझी था। यह पहला संथाली था जिसने अंग्रेजों पर हिंसात्म करवाई की। सन् 1779 में उसने पहली बार भू-राजस्व – की, शिकम करने तथ अंग्रेजों से अपनी जमीन छुड़वाने के लिए विद्रोह किया। प्रथम कलकटर पर प्रधर कीया जिसके कारण उसकी मृत्यु हो जिसे तीलक मांझी को फांसी दे दिया गया
3. संथाल विद्रोह से आप क्या समझते है? सन् 1857 के विद्रोह में उनकी क्या भूमिका थी? उत्तर-1857 में संथालों द्वारा किए गए विद्रोह को संथाल विद्रोह कहा जाता है। इस विद्रोह ने 1857 की क्रांति को भी प्रभावित किया था भागलपुर और राजमहल के बीच का क्षेत्र संथाल बहुल क्षेत्र था गैर आदिवासि एवं अंग्रेजी के अत्याचार से ऊबकर यहाँ के संथालो ने अपने ने को संगठित किया सिद्ध ने अपने चार भाईयों ने विद्रोह का नेतृत्व किया सिद्ध ने अपने को ठाकुर का अवतार घोषित किया 1855 को भगनडिह गाँव में संथालो को एक सभा बुलाई गई सभा में 400 गावों के 10,000 संथालों का विरोध किया जाए अंग्रेजी शासन को समाप्त का सतयुग का राज स्थापित किया जाऐ न्याय और धर्म पर अपना राज कायम करने के लिए खुला विद्रोह किया जाए सिद्ध और कान्हू ने स्वतंत्रता की घोषणा कर दी संथाल राज स्थापित हो गया है। संथालों ने इस विद्रोह में अदम्य साहस का परिचय दिया, किन्तु बन्दुको के आगे पारमपरिक तीर-धनुष के साथ वे टिक नहीं सके विद्रोह असफल हो गया।
4. मुंडाविद्रोह का नेता कौन था? औपनिशिक शोषण के विरुद्ध उसने क्या किया? उत्तर-मुंडा विद्रोह के नेता बिरस मुडा थे।औपनिवेशिक शासन के विरुध वह चिंतित थे। औपनिवेशिक शासन के भू-राजस्व प्रणाली न्यायप्रणाली एवं शोषण पूर्ण नीतियों का समर्थन करने वाले जमीदारों के प्रति आक्रोशित हुआ। उसने धर्मे से प्रभावित होकर अपने को सन् 1895 में ईश्वर का दूत घोषीत कीया गया। धार्मिकता को हथियार बनाकर मुंडा ने सभी आदिवासीयों को एकता के सूत्र में बंधना सुरू किया 1899 ई. को उसने ईसाई मिशनरियों पर आक्रमण किया। 1900 ई. को ब्रिटिश सरकार द्वारा विद्रोह को बुरी तरह कुचल दिया। विसरा मुंडा को गिरफ्तार कर लिया गया। उसे राँची जेल में भेज दिया गया है गया हो हैजा की बीमारी से उनकीमृत्यु हो गई । बिरसा मुंडा के विद्रोह को कुचल दिया गया ब्रिटिश सरकार समक्ष गई की आदिवासियों के असंतोष को दूर नही किया जायेगा तबतक वहआदिवासी क्षेत्र में शासन स्थापित नही कर पाएगा और उत्तरदायी शासन स्थापित हुआ। आदिवासियो लिए कई सुधार कार्य सरकार द्वारा किया गयाके
5. वे कौन से कारण थे।जिन्होंने अंग्रेजों को वन्य समाज में हस्तक्षेप की नीतिअपनाने के लिए बध्य उत्तर- भारत में अपनी स्थिती का सुदृढ़ के लिएउपनिवादी नीति का पालन करते हुए अंग्रेंजो ने वन्य समाज में हस्तक्षेप करने कीनीतीका पालन करना पड़ा वन्यवाजी अपने जीवन में बाहरी हस्तेक्ष की नीती अपनानी पड़ी ।
अभ्यास के प्रश्न तथा उनके उत्तर
I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
निर्देश : नीचे दिए गए प्रश्नों में चार संकेत चिह्न हैं, जिनमें एक सही या सबसे उपयुक्त है। प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रश्न- संख्या के सामने वह संकेत चिह्न (क, ख, ग, घ) लिखें, जो सही अथवा सबसे उपयुक्त हो
1. भारतीय वन अधिनियम कब पारित हुआ ? (क) 1864 (ख) 1865 (ग) 1885 (घ) 1874
2. तिलका मांझी का जन्म किस ई० में हुआ था ? (क) 1750 (ख) 1774 (ग) 1785 (घ) 1850
3. तमार विद्रोह किस ई. में हुआ था ? (क) 1784 (ख) 1788 (ग) 1789 (घ) 1799
4. ‘चेरो‘ जनजाति कहाँ की रहनेवाली थी ? (क) राँची (ख) पटना (ग) भागलपुर (घ) पलामू
5. किस जनजाति के शोषण विहिन शासन की स्थापना हेतु ‘साउथ वेस्ट फ्रंटियर एजेंसी‘ बनाया गया था ? (क) चेरो (ख) हो (ग) कोल (घ) मुण्डा
6. भूमिज विद्रोह कब हुआ था ? (क) 1779 (ख) 1832 (ग) 1855 (घ) 1869
7. सन् 1855 के संथाल विद्रोह का नेता इसमें से कौन था ? (क) शिबू सोरेन (ख) सिद्धू (ग) बिरसा मुंडा (घ) मंगल पांडे
8. बिरसा मुंडा ने ईसाई मिशनरियों पर कब हमला किया ? (क) 24 दिसम्बर, 1889 (ख) 25 दिसम्बर, 1899 (ग) 25 दिसम्बर, 1900 (घ) 8 जनवरी, 1900
9. भारतीय संविधान के किस धारा के अन्तर्गत आदिवासियों को कमजोर वर्ग का दर्जा दिया गया है ? (क) धारा 342 (ख) धारा 352 (ग) धारा 356
10. झारखंड को राज्य का दर्जा कब मिला ? (क) नवम्बर, 2000 (ख) 15 नवम्बर, 2000 (ग) 15 दिसम्बर, 2000 (घ) 15 नवम्बर, 2001
II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें : 1. जनजातियों की सर्वाधिक आबादी ……………… में है। 2. अठारहवीं शताब्दी में वन्य समाज कई ……………. में बँटा था । 3. वन्य समाज में शिक्षा देने के उद्देश्य से ………….. में घुसपैठ की । 4. जर्मन वन विशेषज्ञ डायट्रिच बैडिस ने सन् 1864 ई. में ………….. की स्थापना की । 5. ……………. पहला संथाली था, जिसने अंग्रेजों पर हथियार उठाया । 6. ‘हो’ जाति के लोग छोटानागपुर के …………………. के निवासी थे । 7. भागलपुर से राजमहल के बीच का क्षेत्र ……………….. कहलाता था । 8. सन् …………. ई. में संथाल विद्रोह हुआ । 9. बिरसा मुंडा का जन्म …………….. को हुआ था । 10. छत्तीसगढ़ राज्य का गठन …………… को हुआ था ।
उत्तर—1. अफ्रीका, 2. कबीलों, 3. ईसाई मिशनरियों ने वन्य क्षेत्रों, 4. वन सेवा, 5. तिलका माँझी, 6. सिंहभूम, 7. दामने-ए-कोह, 8. 1855, 9. उलिहातु, 10. 1 नवम्बर, 2000 ई. ।
III. लघु उत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1. वन्य समाज की राजनीतिक स्थिति पर प्रकाश डालें ।
उत्तर— शुरू से ही वन्य समाज कबीलों में बँटा था । हर कबीला का एक मुखिया होता था। मुखिया को युद्ध में कुशल और शक्तिशाली होना अनिवार्य था ताकी अपने लोगों को सुरक्षा प्रदान कर सके। धीरे-धीरे मुखियाओं ने उनके लिए अनेक. विशेषाधिकार प्राप्त कर लिए। इनकी अपनी शासन-प्रणाली थी तथा सत्ता का विकेन्द्रीकरण किया गया था। अंग्रेजों के आने के बाद उनके प्रलोभन में पड़कर अनेक मुखिया अंग्रेजों के हित में अपने ही समाज का शोषण करने लगे ।
प्रश्न 2. वन्य समाज का सामाजिक जीवन कैसा था ? उत्तर—सामान्यतः आदिवासी सीधे-सादे और सरल तथा ईमानदार होते थे । अपने सामाजिक जीवन में कोई बाहरी हस्तक्षेप इन्हें स्वीकार नहीं था । क्रमशः आर्थिक लाभ के लिए इन्होंने कबीला के मुखिया को जमींदार मान लिया । ऐसा अंग्रेजों की हस्तक्षेप नीति के कारण हुआ । अब मुखियाओं के नेतृत्व में ही ईसाई मिशनरियों की घुसपैठ बढ़ गई। इनकी सामाजिक व्यवस्था अस्त-व्यस्त होने लगी । अंग्रेजों ने अपने लाभ के लिए, आदिवासियों के जो जंगलों से घनिष्ट रिश्ते थे, धीरे-धीरे तोड़ना शुरू कर दिया। अंग्रेजों ने मुखियाओं को अपनी ओर करके ऐसी स्थिति उत्पन्न कर दी कि अब छोटे-मोटे शिकार और जलावन के भी लाले पड़ने लगे । फलतः इन्हें शहरों में नौकरी ढूँढने जाना पड़ गया ।
प्रश्न 3. अठारहवीं शताब्दी में वन्य समाज का आर्थिक जीवन कैसा था ? उत्तर—वन्य समाज का आर्थिक जीवन का आधार कृषि था । ये झूम खेती में पारगंत थे । झूम खेती को घुमंतू खेती भी कहा गया है। खेती करते-करते जब ये देखते थे कि जमीन कम उपजाऊ हो गई तो ये अन्य स्थान पर चले जाते थे और वहीं पर जंगल को जलाकर खेती शुरू कर देते थे । कृषि के अलावे बाँस, मसाले, विभिन्न रेशे, रबर, लाह आदि का व्यापार करते थे । रेशों में तसर प्रमुख था, जो आज भी है । जब अंग्रेजों को रेल की पटरियों के लिए स्लीपर, डिब्बों के लिए लकड़ी की आवश्यकता पड़ी तो उन्होंने निर्दयी की तरह पेड़ों को काटना आरम्भ कर दिया। हालाँकि बाद में प्रतिबंध लगा, लेकिन इस प्रतिबंध से आदिवासियों को ही नुकसान हुआ । झूम खेती पर रोक लगाई गई । शिकार पर भी प्रतिबंध लग गया ।
प्रश्न 4. अठारहवीं शताब्दी में ईसाई मिशनरियों ने वन्य समाज को कैसे प्रभावित किया ? उत्तर— ऐसे तो आदिवासी किसी भी बाहरी हस्तक्षेप के विरोधी थे, लेकिन ईसाई मिशनरियों ने सेवा का नाटक रचा और शिक्षा तथा स्वास्थ्य कार्यों के सहारे इन्होंने ईसाइयों में पैठ बना ली। वे गरीबों को अन्न भी देते थे। धीरे-धीरे आदिवासियों के कई नेता ईसाई बन गए और उन्होंने अन्य को भी ईसाई बनने के लिए प्रेरित किया । शिक्षा, साफ- सफाई तथा स्वास्थ्य सेवाओं द्वारा ईसाइयों ने कुछ अच्छे काम भी किए। लेकिन हर काम के पीछे उनका उद्देश्य ईसाई धर्म का प्रचार था । आगे चलकर मिशनरियों का विरोध भी हुआ, लेकिन तबतक ये बहुत आगे बढ़ चुके थे ।
प्रश्न 5. भारतीय वन अधिनियम का क्या उद्देश्य था ? उत्तर—‘भारतीय वन अधिनियम’ 1865 में पारित हुआ । इसका मुख्य उद्देश्य आदिवासियों को वनों के लाभ से वंचित करना था । अब आदिवासी वनों से लकड़ी नहीं प्राप्त कर सकते थे । इस अधिनियम से आदिवासियों का आर्थिक जीवन और सामाजिक जीवन दोनों प्रभावित हुए। वास्तव में अंग्रेजों का मुख्य उद्देश्य जंगल क्षेत्र पर अधिकार जमाना था । अपने लिए तो वे जंगलों के वृक्ष काटते ही थे । अब वे वहाँ से राजस्व वसूलना शुरू कर दिया। जमींदार राजस्व वसूलते थे और आदिवासियों का अन्य तरीकों से भी शोषण करते थे । महाजन और साहूकार भी इनके साथ कम मनमानी नहीं करते थे ।
प्रश्न 6. चेरो विद्रोह से आप क्या समझते हैं ? उत्तर—चेरो कबीला के आदिवासी पलामू में रहते थे । अठारवहीं शताब्दी के लगभग अंत में वहाँ पर चूड़ामन राय का शासन था । वह अंग्रेजों से मिला हुआ था और खुलकर आदिवासियों का शोषण करता था । असह्य हो जाने पर चेरो लोगों ने सन् 1800 ई. में राजा के विरुद्ध खुला विद्रोह शुरू कर दिया। राजा इस विद्रोह से जब नहीं निबट सका तो उसने अंग्रेजों के आगे त्राहिमाम का संदेश भेजा। राजा की मदद करने कर्नल जोन्स की अगुआई में अंग्रेजों की सेना पहुँच गई और चेरो आन्दोलन को दबा दिया । चेरो कबीला का नेता भूषण सिंह था । उसे गिरफ्तार कर लिया गया और फाँसी पर लटका दिया गया ।
प्रश्न 7. ‘तमार विद्रोह‘ क्या था ? उत्तर—‘उराँव’ जनजाति के आदिवासी छोटानागपुर के तमार क्षेत्र में फैले हुए ये लोग जमींदारों के शोषण से तंग आ गए थे । इसका परिणाम हुआ कि इन्होंने शासन के खिलाफ ही विद्रोह कर दिया । यह विद्रोह ‘तमार विद्रोह’ के नाम से इतिहास में प्रसिद्ध है । विद्रोह सन् 1789 में शुरू हुआ और सन् 1794 तक चलता रहा । इन्होंने जमींदार के नाक में दम कर दिया। परिणामतः अंग्रेजों ने निर्ममता का सहारा लिया और क्रूरतापूर्ण ढंग से इन्हें दबाने का प्रयास किया । विद्रोह दब तो गया, लेकिन पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ ! आगे चलकर उराँव आदिवासियों ने मुंडा और संथाल आदिवासियों से मिलकर विद्रोह किया और बहुत हद तक अंग्रेजों को झुका कर छोड़ा ।
प्रश्न 8. ‘चुआर विद्रोह‘ के विषय में लिखें । उत्तर— ‘चुआर’ जनजाति के आदिवासी तत्कालीन बंगाल प्राप्त के पश्चिमी भाग मिदनापुर, बांकुड़ा, मानभूम आदि क्षेत्रों में फैले हुए थे । अंग्रेजों द्वारा इन पर लादे गए लगान से ये क्षुब्ध थे । जमींदार इनके साथ मनमानी करते थे । अतः इन्होंने मिदनापुर क्षेत्र स्थित करणगढ़ की रानी सिरोमणी के नेतृत्व में विद्रोह का बिगुल फूँक दिया । यह विद्रोह एक लम्बे समय तक चलता रहा । ‘चुआर’ लोग तो भारी संख्या में मारे ही गए, अंग्रेजों को भी कम क्षति नहीं उठानी पड़ी। सन् 1778 तक संघर्ष चरमोत्कर्ष पर था । लेकिन 6 अप्रैल, 1799 को अंग्रेजों ने रानी सिरोमणी को धोखे से गिरफ्तार कर लिया और उन्हें कलकत्ता जेल में भेज दिया । फिर भी ‘चुआर’ शांत नहीं हुए। ये भूमिज जनजाति के साथ ‘गंगा नारायण’ के विद्रोह में शरीक हो गए ।
प्रश्न 9. उड़ीसा की जनजाति के लिए ‘चक्रबिसोई‘ ने क्या किए ? उत्तर—चक्रबिसोई का जन्म घुमसार क्षेत्र के तारा बाड़ी नामक गाँव में हुआ था । वह अपने समय का एक बहादुर लड़ाका था । उड़ीसा के कंध जनजातियों के विद्रोह का भी काफी महत्व है। कंध आदिवासी पहाड़ी क्षेत्र में रहते थे और तत्कालीन बंगाल से लेकर मद्रास प्रांत तक फैले हुए थे। लेकिन इनका मुख्य जमावड़ा उड़ीसा में ही था । इन लोगों में नरबलि प्रथा प्रचलित थी । अंग्रेज इस प्रथा को रोकना चाहते थे । 1837 में अंग्रेजों ने जब इस कुप्रथा को रोकना चाहा तो इन्होंने विद्रोह कर दिया । चक्रबिसोई ने अंग्रेजों का विरोध किया । उसका मानना था कि अंग्रेज आदिवासियों के रीति-रिवाज में दखलंदाजी कर रहे हैं । बिसोई आजीवन अंग्रेजों से लोहा लेता रहा । कंध आदिवासियों ने 1857 की प्रथम क्रांति में भी खुलकर भाग लिया था ।
प्रश्न 10. आदिवासियों के क्षेत्रवादी आंदोलन का क्या परिणाम हुआ ? उत्तर—आदिवासियों के आन्दोलनों को रोकने के लिए अंग्रेजों को 1935 में उठाया । तत्कालीन विधान सभा ने जनजातियों के लिए शिक्षा की व्यवस्था की तथा इन्हें कुछ आरक्षण दिया गया। स्वतंत्र भारत के संविधान में इन्हें कमजोर वर्ग मान लिया गया। सभी तरह की सुविधाओं में इनके लिए आरक्षण की व्यवस्था लागू हुई। 1952 में नई नीति बनी । औपनिवेशिक शासन के अन्त के बावजूद ये शांत नहीं हुए । क्षेत्रवादी आंदोलन जारी ही रहा। 1 नवम्बर, 2000 ई. को मध्य प्रदेश से आदिवासी बहुल क्षेत्र को छाँटकर पृथक छत्तीसगढ़ राज्य बनाया गया । इस प्रकार 15 नवम्बर, 2000 को ही बिहार से कर एक झारखंड राज्य बना ।
IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1. अठारहवीं शताब्दी में भारतीय जनजातियों के जीवन पर प्रकाश डालिए । उत्तर—भारत का लगभग 25 प्रतिशत भाग में वन हैं । इन वनों में निवास करनेवालों को आदिवासी कहा जाता है। भारत में इनकी आबादी अफ्रीका से थोड़ा ही कम है । आदिवासियों के जीवन को वनों से अलग कर नहीं देखा जा सकता। दोनों में प्रायः अन्योन्याश्रय सम्बंध है । इनकी अर्थव्यवस्था एवं संस्कृति वनों के साथ घुला – मिला है। भोजन, ईंधन, लकड़ी, घरेलू सामग्री, जड़ी-बूटी जैसी औषधियाँ, पशुओं के लिए चारा और कृषिगत औजारों के लिए ये वनों पर ही आश्रित हैं । ये अनेक वृक्षों की पूजा करते हैं और वन को देवता समझते हैं। नए पौधों के निकलने के समय ये उस क्षेत्र में पैर भी नहीं रखते । भोजन के लिए इन्हें फल और शिकार वनों से ही प्राप्त होते हैं । जल ये नदियों और झरनों से प्राप्त करते हैं । आवास के लिए पत्थर-मिट्टी, लकड़ी, बाँस, फूस वहाँ बहुतायद से उपलब्ध हैं। आदिवासी जनजाति के लोग अपने को वर्ग के आधार पर नहीं, बल्कि जातीय आधार पर अपने को संगठित कर रखा है। पहाड़िया, चेरो, कोल, उराँव, हो, संस्थाल, चुआर, खरिया, भील, मुंडा आदि इनकी मुख्य जातियाँ हैं । अठारहवीं शताब्दी के पहले तक ये जनजातियाँ वन सम्पदा को उपयोग अपने जीविकोपार्जन के लिए करनी थीं। ये बहुत सीधा-सादा तथा ईमानदार होते थे । ये अपने जीवन में किसी बाहरी हस्तक्षेप को सहन नहीं करते थे। थोड़े में ही निर्वाह इनकी आदत, में सुमार था। लेकिन अंग्रेजों ने इनके जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया । शक्ति भर इन्होंने विरोध किया लेकिन बंदूक के आगे इन्हें झुकना पड़ा ।
प्रश्न 2. तिलका माँझी कौन थे? उन्होंने आदिवासी क्षेत्र के लिए क्या किया ? उत्तर—तिलका माँझी एक संथाल नेता थे, इन्होंने न केवल अपने जमींदार का विरोध किया, बल्कि अंग्रेजों पर भी हिंसात्मक कार्रवाई की । तिलका माँझी का जन्म संथाल परगना क्षेत्र में सुल्तानपुर के निकट तिलकपुर गाँव में 1750 ई. में हुआ था । अंग्रेजों ने साहुकारों, ठेकेदारों, राजस्व, वन तथा पुलिस विभाग के अधिकारियों को आदिवासियों का शोषण करने के लिए उकसाया। इसका फल हुआ कि उपजाऊ भूमि गैर आदिवासियों को हस्तांतरित होने लगी। आदिवासी ऋण के बोझ तले दबते गए। इन आदिवासियों का आर्थिक आधार नष्ट भ्रष्ट हो गया और ये दरिद्रता का जीवन जीने को विवश हो गए । इन सब बातों के चलते अब जमींदारों और साहूकारों के विरुद्ध विद्रोह आवश्यक हो गया था। विद्रोह का बिगुल फूँक दिया गया। इसके नेता तिलका माँझी थे। यह देश का पहला संथाल विद्रोह था । इस विद्रोह ने जमींदारों का तो विरोध किया ही, इनकी सहायता में आए अंग्रेजों का भी सशस्त्र विद्रोह किया । तिलका माँझी ने तिलकपुर जंगल को अपना कार्य क्षेत्र बनाया । यहाँ से वे विरोधियों पर आक्रमण की योजना बनाते थे । भागलपुर के पहले कलक्टर अगस्टस क्लैवलैंड पर सशस्त्र प्रहार किया। वे नहीं चाहते थे कि वन्य समाज और पहाड़ी क्षेत्र के जनजातीय समाज में कोई बाहरी हस्तक्षेप हो, उनका आर्थिक शोषण किया जाय और उनकी सामाजिक तथा धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाया जाय। कलक्टर पर पहली बार सशस्त्र आक्रमण करनेवाले वे पहले संस्थाल नेता थे। क्लेवलेंड की मृत्यु हो गई । तिलका माँझी को गिरफ्तार कर लिया गया और सन् 1785 में भागलपुर के बीच चौराहे पर एक बरगद के पेड़ पर लटकाकर फाँसी दे दी गई । तिलका माँझी अपने क्षेत्र की आजादी के लिए शहीद हो गए। उन्हीं के नाम पर उस चौक का नाम तिलका माँझी चौक रखा गया और वहाँ पर उनकी एक मूर्ति स्थापित की गई है ।
प्रश्न 3. संथाल विद्रोह से आप क्या समझते हैं ? सन् 1857 ई. के विद्रोह में उसकी क्या भूमिका थी ? उत्तर—1855 में संथालों द्वारा किए गए विद्रोह को संस्थाल विद्रोह कहा जाता है । इस विद्रोह ने 1857 की क्रांति को भी प्रभावित किया था । भागलपुर और राजमहल के बीच का क्षेत्र संथाल बहुल क्षेत्र था । गैर आदिवासी एवं अंग्रेजों के अत्याचार से ऊबकर यहाँ के संथालों ने अपने को संगठित किया । सिद्धू, कान्हू, चाँद और भैरव नामक चार भाईयों ने विद्रोह का नेतृत्व किया। सिद्धू ने अपने को ठाकुर (राजा) का अवतार घोषित किया । 30 जून, 1855 को भगनाडीह गाँव में संथालों की एक सभा बुलाई गई। सभा में 400 गाँवों के 10,000 संथालों ने भाग लिया। सभी अस्त्र-शस्त्र से लैस थे। सभा में ठाकुर (सिद्धू) का आदेश पढ़कर सुनाया गया । आदेश में लिखा था कि ” जमींदारी, महाजनी तथा सरकारी अत्याचारों का विरोध किया जाय । अंग्रेजी शासन को समाप्त कर सतयुग का राज स्थापित किया जाय । न्याय और धर्म पर अपना राज कायम करने के लिए खुला विद्रोह किया जाय । सिद्धू और कान्हू ने स्वतंत्रता की घोषण भी कर दी। इस घोषण में कहा गया कि “अब हमारे ऊपर कोई सरकार नहीं है, हाकिम नहीं है, संथाल राज स्थापित हो गया है।” इन आदिवासियों ने गाँवों में जुलूस भी निकाले । शीघ्र ही लगभग 60 हजार संथाल एकत्र हो गए । जुलाई, 1855 को विद्रोह शुरू हो गया । इस सशस्त्र विद्रोह का आरंभ दीसी नामक स्थान से वहाँ के अत्याचारी दारोगा महेश लाल की हत्या से किया गया। सरकारी दफ्तरों, महाजनों के घर तथा अंग्रेजों की बस्तियों पर आक्रमण किया गया। वास्तव में आदिवासी गैर-आदिवासी और उपनिवेशवादी सत्ता के शोषण के खिलाफ थे । आदिवासियों के ऐसे संगठित विद्रोह से अंग्रेज डर गए। उन्होंने कलकत्ता तथा पूर्णिया से सेना बुलाकर विद्रोह को कुचल दिया। कान्हू सहित 5000 से अधिक संथाल मारे गए। संथालों के गाँव-के-गाँव उजाड़ दिए गए। सिद्धू के साथ अन्य नेता भी गिरफ्तार कर लिए गए । यद्यपि संथालों ने इस विद्रोह में अदम्य साहस का परिचय दिया, किन्तु बन्दूकों के आगे पारम्परिक हथियार तीर-धनुष के साथ वे टिक नहीं सके । विद्रोह असफल हो गया । विद्रोह असफल तो हो गया, किन्तु पूर्णतः दबा नहीं। 1857 की क्रांति के समय संथालों ने विद्रोहियों का साथ दिया था ।
प्रश्न 4. मुंडा विद्रोह का नेता कौन था ? औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध उसने क्या किया ? उत्तर—‘मुंडा विद्रोह’ के नेता बिरसा मुंडा थे। इनका जन्म 15 नवम्बर, 1874 को पलामू जिले के तमाड़ के निकट उलिहातु गाँव में हुआ था। वे आदिवासियों की गरीबी से बहुत चिंतित रहा करते थे । औपनिवेशिक शासन में भू-राजस्व प्रणाली, न्याय प्रणाली और शोषण की नीतियों के समर्थक जमींदारों के प्रति इनके मन में भारी आक्रोश था। ये एक धार्मिक किस्म के व्यक्ति थे और ईश्वर में इनका अटूट विश्वास था । अंग्रेजों के विरोध में ये किसी भी हद तक जाने को तैयार थे। समाज में स्थापित करने के लिए इन्होंने अपने को ईश्वर का दूत घोषित किया । अपने आन्दोलन की सफलता के लिए इन्होंने आदिवासियों को हथियार से लैस रहने की प्रेरणा दी। उन्हें इन्होंने उनके अपने अधिकारों के प्रति सजग किया। अपनी मुंडा जातियों के अलावे इन्होंने अन्य आदिवासियों को भी संगठित करना शुरू कर दिया। ईसाई मिशनरियाँ लालच देकर सीधे सादे आदिवासियों का धर्म परिवर्तनः कराकर ईसाई बना रही थीं। उन्हें यह बुरा लगा। फलतः उन्होंने 25 दिसम्बर, 1899 से मिशनरियों पर आक्रमण करना आरम्भ कर दिया । उनका ख्याल था कि समाज – शोपक यहीं पर तैयार किए जाते हैं। स्कूल चलाना और दवा बाँटना तो एक बहाना है, ताकि समाज के अंदर तक घुसपैठ बनाया जा सके। लेकिन अंग्रेज शासकों को यह बर्दाश्त नहीं हुआ और वे बिरसा के आक्रमणों का जबाव देने लगे। 8 जनवरी, 1900 को अंग्रेजों ने विद्रोह को दबा दिया । बहुत लोग मारे गए और उससे अधिक बन्दी बना लिए गए । बिरसा मुंडा की गिरफ्तारी के लिए इनाम की घोषण की गई। अपने लागों के धोखा के कारण बिरसा 3 मार्च, 1900 को गिरफ्तार कर लिए गए। कहते हैं कि रांची जेल के अंदर हैजा रोग से इनकी मृत्यु हुई थी। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि काईंया फिरंगियों ने इनके भोजन में जहर मिला दिया। इसमें ठेकेदार जमींदार आदि भी शामिल थे। बिरसा मुंडा का आंदोलन समाप्त हो गया ।
प्रश्न 5. वे कौन-से कारण थे, जिन्होंने अंग्रेजों को वन्य समाज में हस्तक्षेप को नीति अपनाने के लिए बाध्य किया ? उत्तर—वे कारण निम्नलिखित थे, जिन्होंने अंग्रेजों को वन्य समाज में हस्तक्षेप की नीति अपनाने के लिए बाध्य किया : अंग्रेजों को अपने शासन संचालन के लिए भवनों की आवश्यकता थी । उनकी छतों, दरवाजों, खिड़कियों, आलमारियों आदि के लिए उन्हें लकड़ी की आवश्यकता थी । यह वनों से ही प्राप्त हो सकते थे। मधु, गोंद, लाह, रेशम, औषधियों के लिए जड़ी-बूटियाँ वनों से ही प्राप्त हो सकते थे । इन्हीं लाभों के लिए अंग्रेजों को वन्य समाज में हस्तक्षेप की नीति अपनाने के लिए बाध्य होना पड़ा । अंग्रेजों ने इन कामों को पूरा करने के लिए ठेकेदार नियुक्त किए, जो प्रायः साहूकार भी हुआ करते थे । ठेकेदार साहूकार जहाँ सफल नहीं हो पाते या भगा दिए जाते थे तो ये फिरंगी सेना की सहायता लेते थे । यह वह समय था जब इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति सफल हो रही थी । अंग्रेजों को अपने उपनिवेशों से कच्चे माल तथा तैयार माल के लिए बाजार की आवश्यकता थी । इसके लिए देश के कोने-कोने में रेल पहुँचाना आवश्यक था, ताकि कच्चा माल को बन्दरगाह तक पहुँचाने तथा बन्दरगाहों से तैयार माल बाजारों में शीघ्रतापूर्वक भेजे जा सकें। रेल की पटरियों के स्लीपर उस समय लकड़ी के ही बनते थे । डब्बे बनाने में भी लकड़ी की आवश्यकता थी। रेलवे स्टेशन और उसके बाबुओं के निवास के लिए घर बनाना था। इन सब कार्यों के लिए काफी लकड़ी की आवश्यकता थी और यह वनों से प्राप्त हो सकती थी। लेकिन आदिवासी वनों के पेड़ नहीं काटने देना चाहते थे । पेड़ों को वे देवता मानते थे । ठेकेदारों को ये भगा दिया करते थे । फलतः आदिवासियों को दबाना आवश्यक हो गया था । ये ही कारण थे, जिन्होंने अंग्रेजों को वन्य समाज में हस्तक्षेप की नीति अपनाने के लिए बाध्य कर दिया ।
इस लेख में बिहार बोर्ड कक्षा 9 इतिहास के पाठ 5 ‘फ्रांस की क्रांति (Najiwad class 9th History Notes)’ के नोट्स को पढ़ेंगे।
पाठ-5 नाजीवाद
1. वर्साय संधि ने हिटलर के उदय की पृष्टभुमी तैयार की कैसे ? उत्तर-वर्साय की संधि ने हिटलर के उदय की पृष्टभुमि तैयार की। यह एक संधि जबरदस्ती थोपा गया एकदस्तावेज थी जिसके प्रावधानी को निश्तिकरते समय जर्मनी को अंधकार में रखा गया उसे जबरदस्ती हस्ताक्षर कराया गया। उसे उसके खनिज क्षेत्रों से बेदखल कर दिया गया। सेना कोसमीत कर दिया गया उसपर भारी जुर्मना लगाया गया। जीसे वहां की जनता अपमानित महसुस कर रही थी इसी समय हिटलर का उदय हुआ।
2.वाइमर गणतंत्र नाजीवाद केउदय में सहायक बनाकैसें? उत्तर-वाइमर गणतंत्र में संघीय शासन व्यवस्था की स्थापना की तथा राष्ट्रपति को आपतकालीन शक्तियाँ प्रदान कर दी। यही शक्ती, हीटलर के लिए वरदान साबित हुई । संसद का बहुमत प्राप्त करने के बाद अपनी मनमानी निर्णय लेने लग आगे चलकर जर्मनी में नाजीवाद को बढ़ावा देने लगा वाइमर गणतंत्र नाजीवाद के उदय में काफी सहायक बना
3.नाजीवादकार्यक्रम ने द्वितीय विश्व युद्धकी पृष्टभुमि तैयार की कैसे? उत्तर-नाजीवाद कार्यक्रम ने द्वितीय विश्वयुद्ध की पृष्टभुमि तैयार कीया। देश भर में उससे आतंक का शासन स्थापित किया। हीटलरवर्साय की संघी को मानने से इनकार कर दीया नाजीवाद साम्यवाद का कटर विरोधी था। उसने जर्मनी से या तो कम्युनिष्ट को भागा दिया! जर्मनी को आगे बढ़ाने का प्रयास किया । उसे सफता भी मिली। लेकिन उसने पोलैंड पर आक्रमण किया जिसे विश्व युद्ध आरंभ हो गया नाजीबाद कार्यक्रम ने द्वितीय विश्व युद्ध को पृष्टभूमि तैयार की
4.क्यासाम्यवाद हिटलर के भय ने जर्मन पुँजीपतियों को हिटलर का समर्थक बनाया? उत्तर-हाँसाम्यवादके भय ने जर्मनी के पुजीपतियों को हिटलर का समर्थक बना दिया। हिटलर पुँजीवादी नही था, लेकीन कम्युनिटों का कटर विरोधी था। जर्मनी की संसद में जब बिद्रोह होने लगी तो हिटलर ने इसका सारा दोष कम्युनिष्टों के सर पर डाल दिया। जिसके प्रचार में पूँजीपतियों ने काफी प्रयास कीया। इन्ही के प्रयास से कम्युनिष्ट पार्टी पर प्रतिबंध लगा।
5.रोम -बेलिन टोकियों धुरी क्या हैं? उत्तर-इटली की राजधानी रोम, जर्मनी की राजधानी बेलिन तथा जापान की राजधानी टोकियों थी। अतः इन तिनों देशो को मित्रता को रोम-बेलिन- टोकीयों धुरी कहा जाया। द्वितिय विश्वयुद्धं के समय इन्हीं तीनों देशों को धुरी राष्ट्रकहा जाता था।
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1.हिटलर के व्यक्तिव पर प्रकाश डाले। उत्तर-हिटलर एक प्रसिद्ध जर्मन राजनेता, और तानाशाह था इसका जन्म 20 अप्रैल 1889 को हुआ था।इनका जन्म अस्ट्रिया में हुआ था। 16 साल कि उम्र में इन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पढाई छोड़करपोस्टकार्यपर चित्र बनाकर अपना जिवन यापन करने लगा वह सेना में भर्ती हो गया।प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी की ओर से लड़ते हुऐ विरता का प्रदर्शन किया। वर्साय की संधि में जर्मन की जो दुर्गति हुई थी। उसके विरूध यह खड़ा हुआउसने वाइमर गणतंत्र का बिद्रोह किया। और खुद उसका नेता बना। अतः 1934 ई. हिडेने बर्ग की मृत्यु के बाद हिटलर ने राष्ट्रपति जर्मनी का बना, अपने व्यक्तीयों का उपयोग कर उन्होने वर्साय संधि की त्रुतियो से जनता के अवगत कराया उन्हे अपना सर्मथक बना लिया यह ठीक है की युद्धोतर जर्मन आर्थिकदृष्टि से बिल्कुल पगुं हो गया था वहाँ बेकारी और भुखमरी आ गई थी। हिटलर एक दुरदर्शी राजनीति था उसने परिस्थिति का लाभ उठाकर राजसत्तपर अधिपत्य कायम किया
2.हिटलर की विदेश नीति जर्मनी की खोई प्रतिष्ठा को प्राप्त करने का एक साधन था कैसे? उत्तर- वर्साय की संधी ने जर्मनी को पंगु बना दिया था। इससे जर्मनीवासीयों को अपनीत महसुस होता था। हिटलर ने इसका लाभउठाया और जनताकेअनुरूप अपनी विदेशी तय की जिसके आधार पर उसने निम्नलिखितकदम उठाए: (1) राष्ट्रसंघ से पृथ्कहोना – सर्वप्रथम हिटलर ने 1933 में जेनेवा निः शस्त्रीकरण की माँग की कि लेकिन नही माने जाने पर राष्ट्रसंघ से अलग हो गया (2) वर्साय की संधी को भंग करना– 1935 में हिटलर ने वर्साय की संधी को मानने से इनकार दीया और जर्मनी में सैन्यशक्ती लागू का दीया, (3) पोलैंड के साथ समझौता – हिटलर ने 1934 में पौलैंड के साथ दस बर्षीय आक्रमणसंधी समझौता कर लिया। (4) ब्रिटेन से समझौता 1935 में ब्रिटेन से एक समझौता किया जिसके तहत अपनी सैन्य क्षमता बढ़ा सकता है। (5) रोम – बेलिन धुरी- हिटलर ने इटली से समझौता कर लिया। इस प्रकार रोमन बेलिन धुरीकी नीव पड़ गई। (6) कामिन्टर्न विरोध समझौता – सम्यवादी खतरा से बचने के लिए कामिन्टर्न विरोधी समझौता हुआ। (7) पोलैंड पर आक्रमण- जर्मनी ने पौलेड परसितंबर 1939को आक्रमण कर दिया। जिससे विश्व युद्ध आरभ हो गया।
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3.नाजीवाद दर्शन निरकुशता का समर्थन और लोकतंत्र का विरोधी था। विवेचना कीजिए। उत्तर-नाजीवाद दर्शन निरंकुशता का समर्थन, और लोकतंत्र का बोरोधी था यह निम्नलिखित बातो से सिद्धहोता है: (1) हिटलर ने सत्ता प्राप्त करते ही प्रस तथा बोलने पर प्रतिबंध लगा दिया। (2) यह दर्शन समाजवाद का विरोधी था। कम्युनीष्टों की बढ़ोत्तरी से डाराकर हिटलर पुजीपतियों को अपने पक्ष में करने में सफल हो गया (3) नाजीवादी दर्शन सर्वसत्तावादी राज्य की एक संकल्पना है। (4) यह दर्शन उग्र राष्ट्रवाद पर बल देता था। (5) नाजीवाद राजा की निरंकुशता का समर्थन था (6) नाजीवादी दर्शन में सैनिक शक्ती एवं हिसा को महिमा मंडित किया जाता था। इसे युरोप के अन्य देशो में स्वंत्रता विरोधी भावनाओ को प्रोतसाहीत मिला।
अभ्यास के प्रश्न तथा उनके उत्तर
I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
निर्देश : नीचे दिए गए प्रश्नों में चार संकेत चिह्न हैं, जिनमें एक सही या सबसे उपयुक्त है। प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रश्न- संख्या के सामने वह संकेत चिह्न (क, ख, ग, घ ) लिखें, जो सही अथवा सबसे उपयुक्त हो ।
1. हिटलर का जन्म कहाँ हुआ था ? (क) जर्मनी (ख) इटली (ग) जापान (घ) आस्ट्रिया
2. नाजी पार्टी का प्रतीक चिह्न क्या था ? (क) लाल झंडा (ख) स्वास्तिक (ग) ब्लैक शर्ट (घ) कबूतर
4. ‘मीनकैम्फ‘ किसकी रचना है ? (क) मुसोलिनी. (ख) हिटलर (ग) हिण्डेनवर्ग (घ) स्ट्रेसमैन
4. जर्मनी का प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र था : (क) आल्सास लॉरेन (ख) रूर (ग) इवानोव (घ) बर्लिन
5. जर्मनी की मुद्रा का नाम क्या था ? (क) डॉलर (ख) पौंड (ग) मार्क (घ) रूबल
उत्तर- 1. (घ), 2. (ख), 3. (ख), 4. (ख), 5. (ग) 1:
II. नीचे दिए गए कथनों में जो सही (/) हो उसके सामने सही तथा जो गलत हों, उनके सामने गलत (x) का चिह्न लगाएँ । 1. हिटलर लोकतंत्र का समर्थक था । (x) (सही यह है कि हिटलर लोकतंत्र का विरोधी था ।) 2. नाजीवादी कार्यक्रम यहूदी समर्थक था । (x) (सही यह है कि नाजीवादी कार्यक्रम यहूदी विरोधी था ।) इसका कारण था कि हिटलर को विश्वास था कि यहूदी लोग रहते तो जर्मनी में हैं, लेकिन इंग्लैंड के पक्ष में जासूसी करते हैं। 3. नाजीवाद में निरंकुश सरकार का प्रावधान था । (सही) 4. वर्साय संधि में हिटलर के उत्कर्ष के बीज निहित थे । (सही यह है कि वर्साय संधि में द्वितीय विश्वयुद्ध के बीज निहित थे ।) 5. नाजीवाद में सैनिक शक्ति एवं हिंसा को गौरवान्वित किया जाता था । (सही)
III. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें : 1. हिटलर का जन्म …………. ई. में हुआ था। 2. हिटलर ने जर्मनी के चांसलर का पद ……………….. ई. में संभाला था । 3. जर्मनी ने राष्ट्रसंघ से संबंध विच्छेद ……………… ई. में किया था। 4. नाजीवाद का प्रवर्तक …………. था। 5. जर्मनी के निम्न सदन को ………………… कहा जाता था ।
(1) तानाशाह, (2) वर्साय संधि, (3) तुष्टिकरण की नीति, (4) वाइमर गणराज्य, (5) साम्यवाद, (6) तृतीय राइख आदि पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें ।
उत्तर : (1) तानाशाह – संसद इत्यादि के रहते हुए भी जो शासक मनमानी शासन करे उसे तानाशाह कहते हैं । (2) वर्साय संधि – प्रथम विश्वयुद्ध के बाद विजीत देशों के बताए बिना वर्साय में जो गुप-चुप संधि का मशविदा तैया किया गया और उन देशों से बलपूर्वक हस्ताक्षर कराया गया वही थी ‘वर्साय संधि’ । (3) तुष्टिकरण की नीति — यह जानते-समझते भी कि फलां देश या गुट या समूह देश के अहित में काम करता है, उसको बढ़ावा देना या उसकी ओर से अपने लाभ के लिए आँखें मूँदे रखना तुष्टिकरण की नीति कहलाती है । (4) वाइमर गणराज्य – जर्मनी का संविधान वाइमर नगर में बना था । इसी कारण उसे वाइमर गणराज्य भी कहा जाता था । (5) साम्यवाद – जिस शासन में सम्पूर्ण आर्थिक शक्ति सरकार के हाथ रहती है और देशवासियों को उनके काम के अनुसार मजदूरी दी जाती है, उसे साम्यवाद कहते हैं । (6) तृतीय राख–जर्मन गणतंत्र की समाप्ति के बाद नात्सी (नाजी) क्रांति के शुरुआत को हिटलर ने ‘तृतीय राइख’ नाम दिया ।
V. सही मिलान करें : (1) गेस्टापो (क) जर्मनी का शहर (2) वाइमर (ख) यहूदियों के प्रार्थनागृह (3) सिनेगाँव (ग) गुप्तचर पुलिस (4) ब्राउन शर्टस (घ) निजी सेना (5) हिंडेनबर्ग (ङ) जर्मनी का राष्ट्रपति
प्रश्न 1. ‘वर्साय संधि ने हिटलर के उदय की पृष्ठभूमि तैयार की। ‘ कैसे ? उत्तर—प्रायः इतिहासकारों द्वारा सदा यह सुनने में आता रहा है कि ‘द्वितीय विश्वयुद्ध के बीज वर्साय की संधि में निहित थे’ लेकिन यह भी सही लगता है कि ‘वर्साय की संधि ने हिटलर के उदय की पृष्ठभूमि तैयार की।’ वास्वत में वर्साय की संधि संधि नहीं बल्कि जबरदस्ती थोपा गया एक दस्तावेज थी, जिसके प्रावधानों को निश्चित करते समय जर्मनी को अंधकार में रखा गया और बिना कुछ बताए उससे हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया। जर्मनी का अंग-भंग कर दिया गया। उसके सार कोयला क्षेत्र को 15 वर्षों के लिए फ्रांस को दे दिया गया। राइन नदी घाटी को सेना – विहिन रखने की हिदायत दी गई। उस पर भारी जुर्माना भी लगाया गया, जिसे देना उसकी क्षमता के बाहर था। फलतः जनता अपने को अपमानित महसूस कर रही थी। इसी समय वहाँ हिटलर का उदय हुआ, जिसे जनता ने सिर – आँखों पर बैठा लिया। उसने वादा किया कि जर्मनी के पूर्व सम्मान को वह लौटाएगा और उसके साथ दगा देनेवालों को वह सबक सीखाएगा । बहुत हद तक उसने प्रतिष्ठा को बढ़ाया भी ।
प्रश्न 2. “वाइमर गणतंत्र नाजीवाद के उदय में सहायक बना ।” कैसे ? उत्तर—‘वाइमर गणतंत्र’ एक बहुत कमजोर शासनवाला गणतंत्र सिद्ध हुआ । इसने संघीय शासन व्यवस्था की स्थापना की तथा राष्ट्रपति को आपातकालीन शक्तियाँ प्रदान कर दी। यही शक्ति हिटलर के लिए वरदान साबित हुई । संसद में बहुमत प्राप्त करने के बाद वह मनमानी निर्णय लेने लगा। आगे चलकर वह जर्मनी का सर्वेसर्वा बन गया। वह खुलकर नाजीवाद को बढ़ावा देने लगा। उसे कुछ ऐसे साथी भी मिले जो झूठ को भी सच में बदल देने में माहिर थे । इस प्रकार हम देखते हैं कि वाइमर गणतंत्र नाजीवाद के उदय में काफी सहायक बना ।
प्रश्न 3. ‘‘नाजीवादी कार्यक्रम ने द्वितीय विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि तैयार की।” कैसे ? उत्तर—नाजीवाद का सारा कार्यक्रम अतंक के सहारे चल रहा था। देश भर में उसने आतंक का शासन स्थापित किया । हिटलर ने वर्साय की संधि के प्रावधानों का उल्लंघन आरंभ कर दिया। उसने जुमनि की रकम देने से साफ मना कर दिया। सार कोयला क्षेत्र से उसने फ्रांस को मार भगाया और उसपर फिर अधिकार कर लिया । ‘नाजीवाद’, ‘साम्यवाद’ का कट्टर विरोधी था । उसने जर्मनी से या तो कम्युनिस्टों को भगा दिया अथवा मरवा दिया। उसने जर्मनी के विजय अभियान को एक-एक कर आगे बढ़ाते जाने का प्रयास किया जिसमें उसे सफलता भी मिली। लेकिन जैसे ही उसने पोलैंड पर आक्रमण किया कि विश्वयुद्ध आरंभ हो गया। जर्मनी के विरोध में इंग्लैंड, फ्रांस, रूस और अमेरिका (मित्र राष्ट्र) थे तो समर्थन में जर्मनी के साथ इटली और जापान धुरी राष्ट्र थे । इस प्रकार स्पष्ट है कि ‘नाजीवादी’ कार्यक्रम ने द्वितीय विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि तैयार की ।
प्रश्न 4. क्या साम्यवाद के भय ने जर्मन पूँजीपतियों को हिटलर का समर्थक बनाया ? उत्तर— हाँ, यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि साम्यवाद के भय ने जर्मनी के पूँजीपतियों को हिटलर का समर्थक बना दिया। हालाँकि हिटलर पूँजीवादी नहीं था लेकिन कम्युनिस्टों का कट्टर विरोधी था । जर्मनी की संसद में जब आग लगी तो हिटलर ने इसका सारा दोष कम्युनिस्टों के सर मढ़ा, जिसके प्रचार में पूँजीपतियों ने काफी प्रयास किया । पूँजीपतियों के प्रयास से ही जर्मनी में कम्युनिस्ट पार्टी पर प्रतिबंध लगा, हालाँकि इसका कर्त्ता-धर्ता हिटलर और उसका नाजीदल स्वयं अगुआ थे ।
प्रश्न 5. रोम-बर्लिन टोकियो धुरी क्या है ? उत्तर- हिटलर की आक्रामक नीतियों के कारण विश्व में-खासकर यूरोप में उसका कोई देश मित्र नहीं था । इस प्रकार से विश्व विरादरी ने उसे छँटुआ बना दिया था। उसे मित्र की तलाश थी । इटली एक ऐसा देश था, जो प्रथम विश्व युद्ध में ट्रिपल एतांत के साथ था और लड़ाई में भाग लिया था, उसके बहुत सैनिक मारे गए थे और उसे भारी आर्थिक हानि हुई थी । लेकिन उससे उसे कोई लाभ नहीं हुआ था । इससे वह फ्रांस तथा इंग्लैंड दोनों से नफरत करता था । यह समझते हुए हिटलर ने उसकी ओर मित्रता का हाथ बढ़ाया। उधर ऐशिया में जापान भी साम्राज्यवादियों की कतार में खड़ा था । अतः उसने इटली और जर्मनी से मित्रता कर ली । इटली की राजधानी रोम, जर्मनी की राजधानी बर्लिन तथा जापान की राजधानी टोकियो थी । अतः इन तीनों को मित्रता को रोम-बर्लिन – टोकियों धुरी कहा गया । द्वितीय विश्वयुद्ध के समय इन्हीं तीनों को ‘धुरी राष्ट्र’ कहा जाता था ।
VII. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1. हिटलर के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालें । उत्तर — हिटलर का पूरा नाम एडोल्फ हिटलर था । उसका जन्म 20 अप्रैल, 1889 ई. में आस्ट्रिया के एक शहर बौना में हुआ था । गरीबी के कारण उसका लालन-पालन या शिक्षा-दीक्षा सही ढंग से नहीं हो सकी थी। वह सेना में भर्ती हो गया । प्रथम विश्वयुद्ध में उसने जर्मनी की ओर से लड़ते हुए अपूर्व वीरता का प्रदर्शन किया, जिससे उसे ‘आयरन क्रास’ से सम्मानित किया गया। वर्साय की संधि में जर्मनी की जो दुर्गति की गई, उससे वह मर्माहत था। युद्धोपरान्त वह ‘जर्मनी वर्कर्स पार्टी’ की सदस्यता ग्रहण कर ली । अपने जुझारूपन से इसने पार्टी में अपना एक अच्छा स्थान बना लिया । इसने पार्टी का नाम बदलवाकर ‘नेशनल सोसलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी’ करा दिया। जल्दी ही वह इसका नेता (फ्यूहरर) बन गया ।
हिटलर ने गोयबल्स जैसे कार्यकर्ताओं से पार्टी को भर दिया । ऐसे लोग नारा गढ़ने झूठ को सच में बदलने में माहिर थे । संधि के बाद फ्रांस ने जर्मनी के जिन क्षेत्रों पर कब्जा किया था, वह उन्हें वापस माँगने लगा। इसी के समर्थन में उसने वाइमर गणतंत्र के खिलाफ विद्रोह खड़ा करवा दिया और खुद उसका नेता बन गया । विद्रोह के असफल हो जाने के कारण उसे जेल की हवा खानी पड़ी। जेल में रहकर ही इसने अपनी जीवनी वाइमर ‘मीन कैम्फ’ की रचना की। इस पुस्तक में उसके भावी कार्यक्रम की रूपरेखा थी । 1924 में जेल से रिहा होने के बाद उसने अपने दल को नए सिरे से संगठित किया। आर्यों के पवित्र चिह्न ‘स्वास्तिक’ को इसने अपने दल का प्रतीक घोषित किया। दल को वह सैनिक रूप में ढालने लगा। इसने उसका इतना प्रचार किया कि वैश्विक समाज में जर्मनी को सम्मान की दृष्टि से देखा जाने लगा। उसे राष्ट्रसंघ की सदस्यता भी मिल गई । आर्थिक मंदी के कारण वाइमर गणतंत्र से जनता का विश्वास उठने लगा । हिटलर ने इसका भरपूर लाभ उठाया । वकतृत्व कला में यह इतना निपुण था कि श्रोताओं को अपनी ओर आकर्षित करने में सर्वत्र सफल होने लगा । जर्मनी की दुर्दशा के लिए उसने वर्साय की संधि, गणतंत्र तथा जर्मनी में रह रहे यहुदियों को जिम्मेवार ठहराने लगा। उसे विश्वास था कि ये यहूदी रहते-खाते तो जर्मनी में हैं लेकिन जासूसी उसके विरोध में करते हैं। मध्यवर्ग और बेकार नौजवान इसके प्रबल समर्थक बन गए। 1932 ई. के चुनाव में इसने संसद के लिए 230 सीटें प्राप्त कर लीं। कुछ आनाकानी के बाद अंततः राष्ट्रपति हिंडनबर्ग ने 1933 में हिटलर को चांसलर ( प्रधानमंत्री) नियुक्त कर दिया। 1934 में हिंडेनबर्ग की मृत्यु के बाद हिटलर ने राष्ट्रपति और चांसलर दोनों पदों को एक में मिलाकर जर्मनी का एक छत्र शासक बन बैठा। जर्मन गणतंत्र समाप्त होकर नाजी जर्मन का आरम्भ हो गया । हिटलर अब जर्मनी का सर्वेसर्वा था । उसने नाजीवादी दर्शन एवं विदेश नीति का अवलम्बन किया, जिस कारण पूरे विश्व में तनाव की स्थिति बन गई। अब द्वितीय विश्वयुद्ध अवश्यम्भावी और निकट दिखने लगा ।
प्रश्न 2. ” हिटलर की विदेश नीति जर्मनी की खोई प्रतिष्ठा को प्राप्त करने का एक साधन था ।” कैसे ? उत्तर- वर्साय की संधि ने जर्मनी को पंगु बना दिया था । इससे जर्मनीवासियों का खून खौल रहा था और वे बदले की भावना से ओत-प्रोत थे । हिटलर ने इसका लाभ उठाया और जनता की इच्छा के अनुरूप अपनी विदेश नीति तय की, जिसके आधार पर उसने निम्नलिखित कदम उठाए : (1) राष्ट्रसंघ से पृथक होना— सर्वप्रथम हिटलर ने 1933 में जेनेवा निःशस्त्रीकरण. की माँगी की। लेकिन नहीं माने जाने पर वह राष्ट्रसंघ से अलग हो गया । (2) वर्साय संधि को भंग करना – 1935 में हिटलर वर्साय संधि की शर्तों को मानने से इंकार कर दिया और उसने पूरे जर्मनी में अनिवार्य सैनिक सेवा लागू कर दी । (3) पोलैंड के साथ समझौता – हिटलर ने 1934 में पोलैंड के साथ दस वर्षीय अनाक्रमण संधि कर समझौता कर लिया, जिसमें तय हुआ कि दोनों एक-दूसरे की सीमाओं की रक्षा करेंगे । (4) ब्रिटेन से समझौता – 1935 में हिटलर ने ब्रिटेन से एक समझौता किया, जिसमें तय हुआ कि जर्मनी अपनी सैनिक क्षमता बढ़ा सकता है। हालाँकि नौ सेना पर कुछ प्रतिबंध जारी रहेगा । (5) रोम-बर्लिन धुरी — हिटलर ने इटली से समझौता कर लिया । इस प्रकार रोम- बर्लिन धुरी की नींव पड़ गई । (6) कामिन्टर्न विरोधी समझौता – साम्यवादी खतरा से बचाव के लिए जर्मनी, इटली और जापान के बीच कामिन्टर्न विरोधी समझौता हुआ। इस प्रकार 1936 में इन तीनों ने मिलकर ‘धुरी राष्ट्र’ की कल्पना साकार कर ली । (7) आस्ट्रिया एवं चेकोस्लोवाकिया का विलय — जर्मन भाषा-भाषी क्षेत्रों को एक साथ करने के लिए उसने आस्ट्रिया को जर्मनी में मिला लिया । इधर चेकोस्लोवाकिया के सुडेटनलैंड में जर्मनभाषी लोग रहते थे । इंग्लैंड, फ्रांस और इटली के अनुरोध पर चेकोस्लोकिया ने सुडेटनलैंड को जर्मनी के हवाले कर दिया । (8) पोलैंड पर आक्रमण – पोलैंड को बाल्टिक सागर तक पहुँचाने के लिए जर्मनी का कुछ भू-भाग उसे दिया जा चुका था। हिटलर उसकी वापसी चाहता था । इंकार करने पर जर्मनी ने पोलैंड पर 1 सितंबर, 1939 को आक्रमणकर दिया, जिससे विश्वयुद्ध आरंभ हो गया ।
प्रश्न 3. “नाजीवादी दर्शन निरंकुशता का समर्थक और लोकतंत्र का विरोधी था ।” विवेचना कीजिए ।
उत्तर- ‘नाजीवादी दर्शन निरंकुशता का समर्थक और लोकतंत्र का विरोधी था ।” यह निम्नलिखित बातों से सिद्ध होता है : 1. हिटलर ने सत्ता प्राप्त करते ही प्रेस तथा बोलने की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगा दिया । अब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जाती रही। वह विरोधी दलों का सफाया करने लगा । 2. यह दर्शन समाजवाद का विरोधी था । कम्युनिस्टों की बढ़ोत्तरी से डराकर हिटलर पूँजीपतियों को अपने पक्ष में करने में सफल हो गया। इसमें उसे इंग्लैंड एवं फ्रांस का भी मौन समर्थन था । 3. नाजीवादी दर्शन सर्वसत्तावादी राज्य की एक संकल्पना है। इसके अनुसार राज्य के भीतर ही सबकुछ है, राज्य के विरुद्ध या बाहर कुछ नहीं है । 4. यह दर्शन उग्र राष्ट्रवाद पर बल देता था। चूँकि जर्मनी में पहले से ही उग्र राष्ट्रवाद और सैनिक तत्व की परंपरा रही थी, अतः हिटलर को इसमें काफी सफलता मिली । देश में कहीं से कोई विरोध नहीं हुआ । 5. नाजीवाद राजा की निरंकुशता का समर्थक था । जर्मनी में उसी का सहारा लेकर हिटलर ने निरंकुश शासन की शुरुआत कर दी। उसने गुप्तचर पुलिस ‘गेस्टापो’ का गठन किया और पूरे जर्मनी में आतंक फैला दिया । सम्पूर्ण देश में इसने इस सिद्धांत का प्रचार किया कि “एक देश एक पार्टी और एक नेता ।” इसके अलावा कुछ नहीं । 6.नाजीवादी दर्शन में सैनिक शक्ति एवं हिंसा को महिमा मंडित किया जाता था । इससे यूरोप के अन्य देशों में स्वतंत्रता विरोधी भावनाओं को प्रोत्साहन मिला। विश्व में शांति विरोधी वातावरण का निर्माण हुआ। पूरे विश्व में साम्यवादी विरोध के आन्दोलन जोर पकड़ने लगे। यूरोप में तुष्टिकरण की नीति का प्रचलन बढ़ गया ।
इस लेख में बिहार बोर्ड कक्षा 9 इतिहास के पाठ 4 ‘विश्व युद्धों की इतिहास (vishwa yudh ki itihas 9th History Notes)’ के नोट्स को पढ़ेंगे।
पाठ-4
विश्व युद्धों की इतिहास
1. प्रथमविश्वयुद्ध के उत्तरदायी किन्ही चार कारणों का उल्लेख करें उत्तर- प्रथम विश्व युद्ध के निम्नलिखित कारण है।
(i) सम्मज्यवादी प्रतिस्पर्द्धा – कुछ देश पहले ही उपनिवेश बना चुके थे और कुछ देश बाद में आए। अतः इनके बिच युद्ध अवश्यम्भावी हो गया। (ii) उग्र राष्ट्रवाद – युरोपीय देशों में राष्ट्रीयता की भावना उग्र होने लगी। (iii)सैन्यवाद – युरोपीय देशो एक-दूसरे को निचा दिखाने के लिए सेना में वृद्धि करने लगे। (iv) गुटो का निर्माण- युरोपीय देश गुटो में बँटने लगे गुट बनाने को उन देशों की प्रमुखता थी, जो उपनिवेश कायम करने में पिछडे हुए थे।
2. त्रिगुट तथा त्रिदेशीय संधि में कौन-कौन देश सामिल थे इस गुटो का उदेश्य क्या था उत्तर-त्रिभुट में जर्मनी, इटली, अस्ट्रिया-हंगेरी आदि तो देश थे। त्रिदेशीय में फ्रांस, इंग्लैड तथा रुस । इस गुटो की स्थापना का उद्देश्य था की युद्ध कि स्थित में एक गुट दुसरे गुट की सहायता करें।
3. प्रथम विश्व युद्ध का तात्कालिन कारण क्या था? उत्तर-प्रथम विश्व युद्ध की कारण ऑस्ट्रीया के राजकुमार आर्कड्यूक फोडनेण्ड की हत्या बोस्निय की राजधानी साराजेवों में होगई। इस घटना के लिए सार्विय को जिम्मेदार ठहराया गया। उसने सर्बिया के समक्ष अनेक माँगे रखा। सर्विया नेचसे मानने से इनकार कर दीया28- जुलाई 1914 को ऑस्ट्रीया किं सर्विय के खिलाफ युद्ध कि घोषना कर दी।रूस सर्विया को मदद किया जर्मनी ने ऑस्ट्रिया के पक्ष में रूस और फ्रांस के विरूद्ध युद्ध को घोषण कर दी जिसे प्रथम विश्व युद्ध आरंभ हो गया।
4. सर्वस्लाव आंदोलन का क्या तान्पर्य हैं? उत्तर– सर्वस्लाव आंदोलन का तान्तर्य था स्लाव लोगो को एकत्र कर राष्ट्र के रूप में स्थापित करना तुर्की सामाज्य में तथा ऑस्ट्रीया हंगरी में स्लाव जातियों की बहुलता थी उन्होंने सर्वस्लाव आंदोलन आरंभ किया आंदोलन इस सिद्धांत पर आधारित था कि स्लाव जाति के लोग एक राष्ट्र के रूप में रहेगें।
5. उग्र राष्ट्रीयता प्रथम विश्व युद्ध का किस प्रकार एक कारण थी? उत्तर- राष्ट्रवाद इस प्रकार लोगों में समा गया था कि एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र को हमेशा नीचा दिखाने का प्रयास करने लगा जिन जातियों का कोई राष्ट्र नहीं था वे भी अपने को राष्ट्र के रूप में स्थापित करना चाहते थे राष्ट्रवाद के चलते ही सैन्यवाद की भावना बढ़ने लगी फिर सैन्यवाद का परिणाम हुआ कि राष्ट्र गुटों में बटने लगा छोटी-मोटी घटना को कोई राष्ट्र बददश्त करने की स्थित में नहीं था जिसका परिणाम 1914 में प्रथम विश्व युद्ध आरंभ हो गया इस प्रकार उग्र राष्ट्रवाद ही प्रथम विश्व युद्ध का कारण था।
6. द्वितीय विश्वयुद्ध प्रथम विश्वयुद्ध की ही परिणति थी कैसे? उत्तर- द्वितीय विश्वयुद्ध के बीच वसार्य की संधि में द्विपे को विजयी देशों पराजित देशों को ऐसी-ऐसी संधियों में बांधा गया की वे खुन का घुट पिने लगे पराजीत राष्ट्रो पर वर्साय के निर्याय को थोपा गया जिसमें जर्मनी को उसके द्वारा जीते गए क्षेत्रों से बदखल कर दिया गया, इसके अलाव उसपरउ भारी जुर्मना थोपा गया जिसे देना उसकी क्षमता से बाहर था जर्मनी की जनता अपनानीत महशुस कर रही थी इसी समय जर्मनी में हिटलर का उदय हुआ उसने जुर्माने को मानने से इनकार कर दीया और युद्ध छेड़ दिया विश्व दो गुटो में बट गई जिसे द्वितीय विश्व युद्ध आरंभ हो गया
7. द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए हिटलर कहाँ तक उत्तरदायी था? उत्तर-द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए हिटलर किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं था उसे उत्तरदायी ठहराने वाले वे ही लोग है जिन्होंने जर्मनी को अपमानीत किया था कोई भी देश अपना बरदशत नहीं कर सकता था अपमान का बदला लेने के लिए हिटलर ने जो किया वह सही था वास्तव में उसे उत्तरदायी ठहराने वाले वही मुठ्ठी भी कम्युनिष्ट तथा गारी चमड़ी वाले फिरंगियों की हाँ में हाँ मिलाने वाले है। वह भी अपने लाभ के लिए।
8. द्वितीय विश्व युद्ध के किन्ही पाँच कारणों का उल्लेख करें। उत्तर-(1) धन-जन की अपार हानि (2) यूरोप में उपनिवेशों का अंत (3) इंग्लैंड की शक्ति का ह्रास तथा रूस और अमेरिका के वर्चस्व की स्थापना (4) संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना (5) विश्व में गुटों का निर्माण तथा निगुट देशों में एकता।
9. तुष्टिकारण की नीति क्या हैं? उत्तर– तुष्टिकरण की निति यह है कि अपने विरोधी को दबाने के लिए अपने ही किसी दुश्मन को सहायता देना और उसके करतुतो को ओर से आँख मुंढे रहना र्इग्लैंड जर्मनी को इसलिए बढ़ने का अवसर देता रहा ताकि साम्वादी देश रूस को हरा दे लेकिन एैसा नहीं हुआ तुष्टिकरण की नीति का परिणाम हमेशा बुरा होता है।
10. राष्ट्रसंघ क्यों असफल रहा? उत्तर-राष्ट्रसंघ की शक्तियों और सदस्य के सहयोग का अभाव राष्ट्रसंघ ने छोटे-छोटे राज्यों के मामलों को असानी से सुलक्षा दिया लेकिन बड़े राष्ट्रों के मामले में उसने अपने को अक्षम पाया इस कार्य के लिए शक्तिशाली देशों का समर्थन नहीं मिला शक्तिशाली देस हर नियम को व्यस्य अपने हक में करने लगे हिटलर ने राष्ट्र संघ को बात मानने से इनकार कर दिया इस प्रकार राष्ट्रसंघ असफल रहा।
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दिर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. प्रथम विश्व युद्ध के क्या कारण थे संक्षेप में लिखें। उत्तर-प्रथम विश्व युद्ध के निम्नलिखित कारण थे:-
(1) प्रथम विश्व युद्ध के निम्नलिखित कारण थे उत्तर- प्रथम विश्वयुद्ध का सबसे प्रमुख कारण था सम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा प्रय: सभी यूरोपीय देश अपने-अपने उपनिवेशों को बढ़ाने में लगे थे दूसरा कारण था उग्रराष्ट्रवाद यूरोपीय देशों में राष्ट्रीयता का संचार उग्र रूप से होने लगा था तीसरा कारण सैन्यवाद की प्रवृतियों अपने उपनिवेशों को बनाए रखने के लिए सैन्य का विकास किया गया यूरोपीय देश दो गुटों में बट गया था जिसका अगुआ जर्मनी चांसलर बिस्मार्क था जो दो प्रमुख गुट थे वे थे (1) त्रिगुट जिसमें जर्मनी, इटली और ऑस्ट्रिया-हंगरी प्रमुख भूमिका निभा रहे थे दुसरा गुट त्रिदेशीय इसमें भी तीन ही देश थे ब्रिटेन, फ्रांस और रूस ऐ सभी बाते ने ऐसी स्थिति बना दी की युद्ध कभी भी किसी भी समय हो सकता था ऐसा ही हुआ एक छोटी सी घटना ने युद्ध को भड़का दिया।
2. प्रथम विश्व युद्ध के क्या परिणाम हुए? उत्तर- प्रथम विश्व युद्ध कामुख्य परिणाम हुआ कित्रिगुट देशों की हार हुई विश्व में कभी भी ऐसा युद्ध न हो इसके लिए राष्ट्रसंघ का स्थापना हुआ। लेकिन इसमें भी कुछ दोष थेइसके गठन में मुख्य हाथ अमेरिका का था स्वयं इसका सदस्य नहीं बना। सबसे महत्वपूर्ण तो थी वर्साय की संधी इस संधि के तहत हारे हुए देशों को सभी तरह से दबाया गया। सबसे अधिक जर्मनी पर प्रतिबंध लगा । एक तो उसके जिते गए क्षेत्र की छिन लिया गया। स्वयं उसके अपने देश के कुछ भाग पर विजयी देशो ने कब्जा कर लिया। ऐ भाग ऐसे थे जो खनिजों में धनी थे। उस संधि पर उससे जबरदस्ती हस्ताक्षर कराया गया था। उसके सैन्य शक्ती को शिमित कर दीया गया था उस पर भारी जुर्माना लगाया गया। जुर्मना इतना अधिक काकी बह उसे चुका नही सकता था सबसे अधिक लाभ में फ्रांस था। जर्मनी के सारे क्षेत्र के कोयला खादानो को 15 वर्षो के लिए फ्रांस को दिया गया था। जर्मनी के सभी उपनिवेश विजयी देशों ने आपस में बाँट लिया। इस अपमानजनक संधि का परिणाम था की जर्मनी में हिटलर और इटली में मुसोलीन का उदय हुआ और देश की जनता नें इसका सम्मान मिला जिसका मुख्य परिणाम यह हुआ कि दुतिय विश्व युद्ध आरंभ हो गया
3. क्या वर्साय की संधि एक आरोपीत संधी थी? उत्तर-हाँ वर्साय की संधि एक आरोपीत संधि थी इसका प्रमाण है कि संधि के प्रावधानों को निश्चित करते समय विजीत देशी विजीत देशी के किसी भी प्रतिविधि को नही बुलाया गया था प्रावधान निश्चित करते समय निर्णयी देश अपनी मनमानी प्रावधान निश्चित किया। जर्मनी के जीते गए क्षेत्रो को तो लेही लिया गया उसके कोयला क्षेत्र को 15वर्षों के लिए फ्रांस को देदिया गया। उसके सैन्य सक्ती को सीमीत कर दीया गया और उसके उपनिवेशो फ्रांस और ब्रिटेन आपस में बाटलीया था। जर्मनी पर भारी जुर्मना लगया गया। जर्मनी को उसके खनिज क्षेत्र से बेदखल कर दिया गया था यह एक आरोपीत संधी थी जिसे हिटलरने मानने से इनकार कर दिया। वर्साय की संधी सहमतीवाली संधी न होकर एक आरोपीत संधि थी।
4. प्रथम विस्मार्क की व्यवस्था ने प्रथम विश्वयुद्ध का मार्ग किस तरह प्रशस्त किया? उत्तर-विस्मार्क की व्यवस्था ने प्रथम विश्व युद्ध का मार्ग प्रसस्त किया।जब इटली में वहाँ के जनता लुई 16 के खिलाफ थी। तो इसका लाभ उठाकर ईटली जर्मनीऔर ऑस्ट्रीया के बीच 882 में त्रिगुट (ट्रिपल एलएस)बना दियाइसकागठनफ्रांस के विरोधमें किया था। यह आगे चलकर प्रथमविश्व युद्ध का एक कारण बना। इस प्रकार बिस्मार्क की व्यवस्था ने ही प्रथम विश्व युद्ध के विरोध में फ्रांस, रूस और ब्रिटेन ने भी त्रिदेशीय संधि के नाम से अलग एकगुटबनाया।
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5. द्वितिय विश्व युद्ध के क्याकारण थे? उत्तर-द्वितीय विश्व युद्ध के प्रमुख कारण थे जिसकी नींव प्रथम विश्वयुद्ध की सम्माप्तीके बाद ही पड़ गई थी। वर्साय की संधि के द्वारा जर्मनी की पुरी खनिज और कोयला क्षेत्र को बिजयी देशों को दे दिया गया थाइसपर भारी कर थोपा गयाजिसे यह चूकाने में असक्षम था।आर्थिक मंद्दी 1929 मेंविश्व व्यापीमंदी नेंराष्ट्रो की कमर तोड़कर रख दी थी। तुष्टीकरण की नीति जिसमें अपनेविद्रोही को दबाने के लिएअपने किसी दुश्मन को सह देनाही तुष्टीकर की नीती हैजर्मनी और जपान में सैन्यवाद संधिनेद्वितीय विश्वयुद्धको भड़काने में सहायता की,
राष्ट्र संघ की विफलता शक्तीशाली देउनकी बात मानने को तैयार नही थे। शक्तीशाली देशो से बातमनवाने में राष्ट्र संघविफल रहा।
6. द्वितीयविश्वयुद्धके परिणामों का उल्लेख करे। उत्तर- द्वितीय विश्वयुद्ध का निम्नलिखत परिणमहुए: (1) जन-धन की अपार हानि- युरोपीय देशों की जन-धन की बहुत ही नुकसान पहुंची। जर्मनी में60 लाख से अधिक लोग मारे गए। अमेरिका द्वाराएटम बम के प्रयोग से जपानी नागरीक को बहुत ही हानि हुआ। सबसे अधिक नुकसान सोवियत संघकोहुआ। युद्ध का कुल लागत 13खरब84 अरब 90 करोड़ डॉलर। (2) उपनिवेश की स्वतंत्रता- उनके अफ्रिकी और एशियाई देश स्वतंत होने लगे। (3) इंग्लैड़ की शक्ती में ह्रास तथा रूस और अमेरिकी शक्ति के रूप उभरना – दृतिया विश्व युद्ध में इंग्लैंड की शक्ति का अंत हो गया तथा रूस और अमेरिकी दोनों देश विश्व शक्ति के रूप में उपभरे (4)संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना – द्वितीय विश्व युद्ध के बाद शांति स्थापीत करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना किया गया। (5) विश्व में गुटों का निर्माण – द्वितीय विश्व बाद विश्व साम्यवादी रूस तथा पुँजीवादी अमेरिकादो गुटो में बट गया। इन दोनों से पुरे भारत के प्रयास से एक तीसरा भी सामने आया जिसे निर्गुट कहा जाता है। 6. तानाशाह- संसद इत्यादि के रहते हुए जो भीशासक मनमानी शासन करे उसेतानाशाह कहा जाता हैा 7.वर्साय संधि-प्रथम विश्व युद्ध के बादविजेता देशों के बताएबिना वर्साय मेंजो गुप-चुप संधि का मशविदा तैयार किया गया और उन देशों से जबदस्ती हस्ताक्षर कराया गया वही थी ‘वर्साय की संधि। 8. तुस्टीकरण की नीती- अपने ही किसी दुश्मन को सह देना तुस्टीकरन की नीती कहलाता है। 9.वाइमर गणराज्य-जर्मनी का संविधान वाइपरनगर में बना था। इसी कार उसे वाइमर गणराज्य कहा जाता है। 10. साम्यवाद-जिस शासन में पूरी शक्ती सरकार के पास रहती है और देशवासियों को उनके काम के अनुसार मजदुरी दिया जाता था जिसे साम्यवाद कहते हैं। 11. तृतीय राइख-जर्मन गणतंत्र की सम्पाती के बाद नान्सी क्रांति के सुरूआत को हीटलर तृतीय राइख नाम दिया
1. वर्साय संधि ने हिटलर के उदय की पृष्टभुमी तैयार की कैसे ? उत्तर- वर्साय की संधि ने हिटलर के उदय की पृष्टभुमि तैयार की। यह एक संधि जबरदस्ती थोपा गया एकदस्तावेज थी जिसके प्रावधानी को निश्तिकरते समय जर्मनी को अंधकार में रखा गया उसे जबरदस्ती हस्ताक्षर कराया गया। उसे उसके खनिज क्षेत्रों से बेदखल कर दिया गया। सेना कोसमीत कर दिया गया उसपर भारी जुर्मना लगाया गया। जीसे वहां की जनता अपमानित महसुस कर रही थी इसी समय हिटलर का उदय हुआ।
2.वाइमर गणतंत्र नाजीवाद केउदय में सहायक बनाकैसें? उत्तर-वाइमर गणतंत्र में संघीय शासन व्यवस्था की स्थापना की तथा राष्ट्रपति को आपतकालीन शक्तियाँ प्रदान कर दी। यही शक्ती, हीटलर के लिए वरदान साबित हुई । संसद का बहुमत प्राप्त करने के बाद अपनी मनमानी निर्णय लेने लग आगे चलकर जर्मनी में नाजीवाद को बढ़ावा देने लगा वाइमर गणतंत्र नाजीवाद के उदय में काफी सहायक बना
3.नाजीवादकार्यक्रम ने द्वितीय विश्व युद्धकी पृष्टभुमि तैयार की कैसे? उत्तर-नाजीवाद कार्यक्रम ने द्वितीय विश्वयुद्ध की पृष्टभुमि तैयार कीया। देश भर में उससे आतंक का शासन स्थापित किया। हीटलरवर्साय की संघी को मानने से इनकार कर दीया नाजीवाद साम्यवाद का कटर विरोधी था। उसने जर्मनी से या तो कम्युनिष्ट को भागा दिया! जर्मनी को आगे बढ़ाने का प्रयास किया । उसे सफता भी मिली। लेकिन उसने पोलैंड पर आक्रमण किया जिसे विश्व युद्ध आरंभ हो गया नाजीबाद कार्यक्रम ने द्वितीय विश्व युद्ध को पृष्टभूमि तैयार की
4.क्यासाम्यवाद हिटलर के भय ने जर्मन पुँजीपतियों को हिटलर का समर्थक बनाया? उत्तर-हाँसाम्यवादके भय ने जर्मनी के पुजीपतियों को हिटलर का समर्थक बना दिया। हिटलर पुँजीवादी नही था, लेकीन कम्युनिटों का कटर विरोधी था। जर्मनी की संसद में जब बिद्रोह होने लगी तो हिटलर ने इसका सारा दोष कम्युनिष्टों के सर पर डाल दिया। जिसके प्रचार में पूँजीपतियों ने काफी प्रयास कीया। इन्ही के प्रयास से कम्युनिष्ट पार्टी पर प्रतिबंध लगा।
5.रोम -बेलिन टोकियों धुरी क्या हैं? उत्तर-इटली की राजधानी रोम, जर्मनी की राजधानी बेलिन तथा जापान की राजधानी टोकियों थी। अतः इन तिनों देशो को मित्रता को रोम-बेलिन- टोकीयों धुरी कहा जाया। द्वितिय विश्वयुद्धं के समय इन्हीं तीनों देशों को धुरी राष्ट्रकहा जाता था।
vishwa yudh ki itihas 9th History Notes
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1.हिटलर के व्यक्तिव पर प्रकाश डाले। उत्तर-हिटलर एक प्रसिद्ध जर्मन राजनेता, और तानाशाह था इसका जन्म 20 अप्रैल 1889 को हुआ था।इनका जन्म अस्ट्रिया में हुआ था। 16 साल कि उम्र में इन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पढाई छोड़करपोस्टकार्यपर चित्र बनाकर अपना जिवन यापन करने लगा वह सेना में भर्ती हो गया।प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी की ओर से लड़ते हुऐ विरता का प्रदर्शन किया। वर्साय की संधि में जर्मन की जो दुर्गति हुई थी। उसके विरूध यह खड़ा हुआउसने वाइमर गणतंत्र का बिद्रोह किया। और खुद उसका नेता बना। अतः 1934 ई. हिडेने बर्ग की मृत्यु के बाद हिटलर ने राष्ट्रपति जर्मनी का बना, अपने व्यक्तीयों का उपयोग कर उन्होने वर्साय संधि की त्रुतियो से जनता के अवगत कराया उन्हे अपना सर्मथक बना लिया यह ठीक है की युद्धोतर जर्मन आर्थिकदृष्टि से बिल्कुल पगुं हो गया था वहाँ बेकारी और भुखमरी आ गई थी। हिटलर एक दुरदर्शी राजनीति था उसने परिस्थिति का लाभ उठाकर राजसत्तपर अधिपत्य कायम किया
2.हिटलर की विदेश नीति जर्मनी की खोई प्रतिष्ठा को प्राप्त करने का एक साधन था कैसे? उत्तर-वर्साय की संधी ने जर्मनी को पंगु बना दिया था। इससे जर्मनीवासीयों को अपनीत महसुस होता था। हिटलर ने इसका लाभउठाया और जनताकेअनुरूप अपनी विदेशी तय की जिसके आधार पर उसने निम्नलिखितकदम उठाए:
(1) राष्ट्रसंघ से पृथ्कहोना – सर्वप्रथम हिटलर ने 1933 में जेनेवा निः शस्त्रीकरण की माँग की कि लेकिन नही माने जाने पर राष्ट्रसंघ से अलग हो गया (2) वर्साय की संधी को भंग करना– 1935 में हिटलर ने वर्साय की संधी को मानने से इनकार दीया और जर्मनी में सैन्यशक्ती लागू का दीया, (3) पोलैंड के साथ समझौता – हिटलर ने 1934 में पौलैंड के साथ दस बर्षीय आक्रमणसंधी समझौता कर लिया। (4) ब्रिटेन से समझौता 1935 में ब्रिटेन से एक समझौता किया जिसके तहत अपनी सैन्य क्षमता बढ़ा सकता है। (5) रोम – बेलिन धुरी- हिटलर ने इटली से समझौता कर लिया। इस प्रकार रोमन बेलिन धुरीकी नीव पड़ गई। (6) कामिन्टर्न विरोध समझौता – सम्यवादी खतरा से बचने के लिए कामिन्टर्न विरोधी समझौता हुआ। (7) पोलैंड पर आक्रमण- जर्मनी ने पौलेड परसितंबर 1939को आक्रमण कर दिया। जिससे विश्व युद्ध आरभ हो गया।
3.नाजीवाद दर्शन निरकुशता का समर्थन और लोकतंत्र का विरोधी था। विवेचना कीजिए। उत्तर-नाजीवाद दर्शन निरंकुशता का समर्थन, और लोकतंत्र का बोरोधी था यह निम्नलिखित बातो से सिद्धहोता है: (1) हिटलर ने सत्ता प्राप्त करते ही प्रस तथा बोलने पर प्रतिबंध लगा दिया। (2) यह दर्शन समाजवाद का विरोधी था। कम्युनीष्टों की बढ़ोत्तरी से डाराकर हिटलर पुजीपतियों को अपने पक्ष में करने में सफल हो गया (3) नाजीवादी दर्शन सर्वसत्तावादी राज्य की एक संकल्पना है। (4) यह दर्शन उग्र राष्ट्रवाद पर बल देता था। (5) नाजीवाद राजा की निरंकुशता का समर्थन था (6) नाजीवादी दर्शन में सैनिक शक्ती एवं हिसा को महिमा मंडित किया जाता था। इसे युरोप के अन्य देशो में स्वंत्रता विरोधी भावनाओ को प्रोतसाहीत मिला।
अभ्यास के प्रश्न तथा उनके उत्तर
I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
निर्देश : नीचे दिए गए प्रश्नों में चार संकेत चिह्न हैं, जिनमें एक सही या सबसे उपयुक्त है। प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रश्न संख्या के सामने वह संकेत चिह्न (क, ख, ग, घ) लिखें, जो सही अथवा सबसे उपयुक्त हो ।
1. प्रथम विश्वयुद्ध कब आरंभ हुआ ? (क) 1941 ई. (ख) 1952 ई. (ग) 1950 ई. (घ) 1914 ई.
2. प्रथम विश्वयुद्ध में किसकी हार हुई ? (क) अमेरिका की (ख) जर्मनी की (ग) रूस की (घ) इंग्लैंड की
3. 1917 ई. में कौन देश प्रथम विश्वयुद्ध से अलग हो गया ? (क) रूस (ख) इंग्लैंड (ग) अमेरिका (घ) जर्मनी
4. वर्साय की संधि के फलस्वरूप इनमें किस महादेश का मानचित्र बदल गया ? (क) यूरोप का (ख) आस्ट्रेलिया का (ग) अमेरिका का (घ) रूस का
5. त्रिगुट समझौते में शामिल थे : (क) फ्रांस, ब्रिटेन और जापान (ख) फ्रांस, जर्मनी और आस्ट्रिया (ग) जर्मनी, आस्ट्रिया और इटली (घ) इंग्लैंड, अमेरिका और रूस
6. द्वितीय विश्वयुद्ध कब आरंभ हुआ ? (क). 1939 ई. में (ख) 1941 ई. में (ग) 1936 ई. में (घ) 1938 ई. में
7. जर्मनी को पराजित करने का श्रेय किय देश को है ? (क) फ्रांस को (ख) रूस को (ग) चीन को (घ) इंग्लैंड को
8. द्वितीय विश्वयुद्ध में कौन-सा देश पराजित हुआ ? (क) चीन (ख) जापान (ग) जर्मनी (घ) इटली
9. द्वितीय विश्वयुद्ध में पहला एटम बम कहाँ गिराया गया था ? (क) हिरोशिमा पर (ख) नागासाकी पर (ग) पेरिस पर (घ) लन्दन पर
10. द्वितीय विश्वयुद्ध का कब अंत हुआ ? (क) 1939 ई. को (ख) 1941 ई. को (ग) 1945 ई. को (घ) 1938 ई. को
II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें : 1. द्वितीय विश्वयुद्ध के फलस्वरूप …………. साम्राज्यों का पतन हुआ । 2. जर्मनी का ………… पर आक्रमण द्वितीय विश्वयुद्ध का तात्कालिक कारण था । 3. धुरी राष्ट्रों में ………. ने सबसे पहले आत्मसमर्पण किया । 4. ………….. की संधि की शर्तें द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए उत्तरदायी थीं । 5. अमेरिका ने दूसरा एटम बम जापान के …………. बन्दरगाह पर गिराया था । 6. ………….. की संधि में ही द्वितीय विश्वयुद्ध के बीज निहित थे । 7. प्रथम विश्वयुद्ध के बाद …………… एक विश्व शक्ति बनकर उभरा । 8. प्रथम विश्वयुद्ध के बाद मित्रराष्ट्रों ने जर्मनी के साथ ………….. की संधि की । 9. राष्ट्रसंघ की स्थापना का श्रेय अमेरिका के राष्ट्रपति ……………. को दिया जाता है । 10. राष्ट्रसंघ की स्थापना …………….. ई. में की गई ।
उत्तर – 1. यूरोपीय, 2. पोलैंड, 3. इटली, 4. वर्साय, 5. नागासाकी, 6. वर्साय, 7. संयुक्त राज्य अमेरिका, 8. वर्साय, 9. वुडरो विल्सन, 10. सन् 1918.
III. लघु उत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1. प्रथम विश्वयुद्ध के उत्तरदायी किन्हीं चार कारणों का उल्लेख करें । उत्तर – प्रथम विश्वयुद्ध के लिए उत्तरदायी प्रमुख चार कारण निम्नलिखित थे
(i) साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्द्धा—कुछ देश पहले ही अनेक उपनिवेश कायम कर चुके थे और कुछ देश बाद में आए। अतः इनके बीच युद्ध अवश्यम्भावी हो गया ।
(ii) उग्र राष्ट्रवाद – 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध में यूरोपीय देशों में राष्ट्रीयता की भावना उग्र रूप लेने लगी । जिस देश के जितने अधिक उपनिवेश होते वहाँ के नागरिक उतने ही गौरवान्वित महसूस करते थे
(iii) सैन्यवाद – यूरोपीय देश एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए सेना में वृद्धि करने पर उतारू हो गए। कुल राष्ट्रीय आय का 85% तक सैनिक तैयारियों पर व्यय करने लगे। 1912 में जर्मनी ने इम्परेटर नामक एक विशाल जहाज बना लिया ।
(iv) गुटों का निर्माण – साम्राज्यवादी लिप्सा में लिप्त यूरोपीय देश विभिन्न गुटों में बँटने लगे। गुट बनाने में उन देशों की प्रमुखता थी, जो उपनिवेश कायम करने में पिछड़े हुए थे ।
प्रश्न 2. त्रिगुट (Triple Alliance) तथा त्रिदेशीय संधि (Triple Entente ) में कौन-कौन देश शामिल थे? इन गुटों की स्थापना का उद्देश्य क्या था ? उत्तर — त्रिगुट (Triple Alliance) में जर्मनी, इटली और आस्ट्रिया-हंगरी आदि तीन देश थ। इसी प्रकार त्रिदेशीय संधि (Triple Entente ) में भी तीन ही देश थे – फ्रांस, इंग्लैंड तथा रूस । इन गुटों की स्थापना का उद्देश्य था कि युद्ध की स्थिति में एक गुट दूसरे गुट की सहायता करेगा । यदि आवश्यकता पड़ी तो युद्ध में भी वे भाग लेंगे ।
प्रश्न 3. प्रथम विश्वयुद्ध का तात्कालिक कारण क्या था ? उत्तर – प्रथम विश्वयुद्ध की शुरुआत एक मामूली घटना से हुई । आस्ट्रिया का राजकुमार आर्कड्यूक फर्डिनेण्ड बोस्निया की राजधानी सेराजेवो गया था। वहीं 28 जून, 1914 को उसकी हत्या हो गई । आस्ट्रिया ने इसका सारा दोष सर्बिया के ऊपर मढ़ दिया । उसने सर्बिया के समक्ष अनेक माँगें रख दीं। सर्बिया ने इन माँगों को मानने से इंकार कर दिया। उसका कहना था कि इस हत्याकांड में उसका कोई हाथ नहीं है । फल हुआ कि 28 जुलाई, 1914 को आस्ट्रिया ने सर्बिया के विरुद्ध युद्ध आरम्भ कर दिया। रूस, ने० सर्बिया को मदद का आश्वासन दिया । फलतः जर्मनी ने आस्ट्रिया के पक्ष में रूस और फ्रांस दोनों के विरुद्ध युद्ध की घोषण कर दी । तुरत ब्रिटेन भी जर्मनी के विरुद्ध मैदान में उतर आया और प्रथम विश्वयुद्ध आरम्भ हो गया ।
प्रश्न 4. सर्वस्लाव आंदोलन का क्या तात्पर्य है ? उत्तर—सर्वस्लाव आंदोलन का तात्पर्य था स्लाव लोगों को एकत्र कर एक राष्ट्र के रूप में स्थापित करना । तुर्की साम्राज्य में तथा आस्ट्रिया हंगरी में स्लाव जातियों की बहुलता थी। उन्होंने सर्वस्लाव आन्दोलन आरंभ कर दिया । आन्दोलन इस सिद्धांत पर आधारित था कि यूरोप की सभी स्लाव जाति के लोग एक राष्ट्र हैं। इनका एक अलग देश बनाना चाहिए। वास्तव में यह यूरोप में उग्र राष्ट्रवाद का एक प्रतिफल था ।
प्रश्न 5. उग्र राष्ट्रीयता प्रथम विश्वयुद्ध का किस प्रकार एक कारण थी ? उत्तर – उग्र राष्ट्रीयता यूरोप की ही देन थी । राष्ट्रवाद इस प्रकार लोगों के जेहन में समा गया था कि एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र को सदा नीचा दिखाने का प्रयास करने लगा। जिन जातियों का कोई राष्ट्र नहीं था और वे इधर-उधर कई देशों में फैले हुए थे, वे भी एक राष्ट्र के रूप में अपने को स्थापित करना चाहते थे । राष्ट्रवाद के चलते ही सैन्यवाद की भावना बढ़ने लगी । फिर सैन्यवाद का परिणाम हुआ कि राष्ट्र गुटों में बँटने लगे । छोटी-मोटी घटना को भी कोई राष्ट्र बरदाश्त करने की स्थिति में नहीं था । जिसका परिणाम हुआ कि प्रथम विश्वयुद्ध अवश्यम्भावी लगने लगा और 1914 में आरम्भ भी हो गया । इस प्रकार हम देखते हैं कि उग्र राष्ट्रवाद ही प्रथम विश्वयुद्ध का कारण था ।
प्रश्न 6. ‘द्वितीय विश्वयुद्ध प्रथम विश्वयुद्ध की ही परिणति थी ।’ कैसे ? उत्तर—प्रायः यह कहा जाता है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बीज वर्साय की संधि मे ही छिपे थे । विजयी देशों ने विजित देशों को ऐसी-ऐसी संधियों में बाँधा की कि वे खून का घूँट पीकर रह गए। जिस प्रकार पराजित राष्ट्रों पर वर्साय की संधि के निर्णय थोपे गए, इससे स्पष्ट था कि जल्द एक और युद्ध होकर रहेगा। छोटे-छोटे पराजित राज्यो से अलग-अलग संधियाँ की गईं। लेकिन जर्मनी को तो पंगु बनाकर छोड़ा गया था । उसके द्वारा जीते गए क्षेत्रों से तो उसे बेदखल किया ही गया, उसके अपने देश के एक बड़े भाग से भी उसे वंचित कर दिया गया। इसके अलावा उसपर भारी जुर्माना भी थोपा गया जिसे देना उसकी क्षमता के बाहर था । जर्मनी की जनता अपने को अपमानित महसूस कर रही थी। इसी समय हिटलर नामक एक विलक्षण पुरुष का वहाँ प्रादुर्भाव हुआ । उसने जुर्माने की रकम देने से इंकार कर दिया । धीरे-धीरे अपने देश के भागों पर अधिकार भी जमाने लगा। फिर विश्व दो गुटों में बँट गया और जैसे ही जर्मनी ने पोलैंड पर आक्रण किया कि द्वितीय विश्वयुद्ध आरम्भ हो गया ।
प्रश्न 7. द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए हिटलर कहाँ तक उत्तरदायी था ? उत्तर — द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए हिटलर किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं था । उसे उत्तरदायी ठहरानेवाले वे ही लोग हैं, जिन्होंने जर्मनी को अपमानित किया था । कोई भी देश इतना अपमान बरदाश्त नहीं कर सकता था । अतः अपने अपमान का बदला लेने के लिए हिटलर ने जो किया, वह पूर्णतः सही था । यदि मेरे देश को कोई इतना अपमानित करे तो मैं भी वही करूँगा जो हिटलर ने किया । वास्वत में उसे उत्तरदायी ठहरानेवाले वही मुट्ठी भी कम्युनिस्ट तथा गोरी चमड़ीवाले फिरंगियों की हाँ में हाँ मिलानेवाले हैं। वह भी अपने लाभ के लिए । यदि ऐसी बात नहीं थी तो पूर्वी जर्मनी से क्यों रूस को भागना पड़ा ? बर्लिन की दीवार क्यों तोड़नी पड़ी ?
प्रश्न 8. द्वितीय विश्वयुद्ध के किन्हीं पाँच परिणामों का उल्लेख करें । उत्तर- द्वितीय विश्वयुद्ध के पाँच प्रमुख परिणाम निम्नांकित थे : (i) धन-जन की अपार हानि, (ii) यूरोपीय श्रेष्ठता और उपनिवेशों का अन्त, (iii) इंग्लैंड की शक्ति का ह्रास तथा रूस और अमेरिका के वर्चस्व की स्थापना, (iv) संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना, जिसे आजकल ‘संयुक्त राष्ट्र’ कहते हैं । (v) विश्व में गुटों का निर्माण तथा निर्गुट देशों में एकत्व ।
प्रश्न 9. तुष्टिकरण की नीति क्या है ? उत्तर — तुष्टिकरण की नीति यह है कि अपने विरोधी को दबाने के लिए अपने ही किसी दुश्मन को सह देना और उसके करतूतों की ओर से आँखें मूँदे रहना । इंग्लैंड ने जर्मनी को इसलिए बढ़ने का अवसर देता रहा ताकि साम्यवादी देश रूस को वह हरा दे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। जर्मनी ने ब्रिटिश सह प्राप्तकर रूस की ओर तो बढ़ता ही रहा, इंग्लैंड को भी कम तबाह नहीं किया। तुष्टिकरण एक देश का दूसरे देश के. साथ भी हो सकता है और एक देश के अन्दर वोट की लालच में किसी खास गुट को बढ़ावा देकर भी हो सकता है। लेकिन इतना सही है कि तुष्टिकरण की नीति का परणाम सदैव बुरा ही होता है ।
प्रश्न 10. राष्ट्रसंघ क्यों असफल रहा ? उत्तर—राष्ट्रसंघ की स्थापना तो हुई, लेकिन उसकी शक्तियाँ भ्रामक थीं। उसके सदस्य राष्ट्र उसे उचित सहयोग नहीं देते थे । अमेरिका ने ही राष्ट्रसंघ की स्थापना करायी थी, लेकिन वह सदस्य नहीं बना। आरम्भ में छोटे-छोटे राज्यों के मनमुटावों को तो सुलझा लिया, लेकिन जब बड़े शक्तिशाली देशों का सवाल उठा तो राष्ट्रसंघ ने हाथ खड़े कर दिए । शक्तिशाली देश हर नियम की व्याख्या अपने हक में करने लगे। बाद में जब हिटलर का समय आया तो उसने तो राष्ट्रसंघ को ठेंगा तक दिखाना शुरू कर दिया । वह उसके किसी बात को मानने से इंकार करने लगा । फल हुआ कि राष्ट्रसंघ पंगु हो गया और अंततः वह असफल सिद्ध हो गया ।
IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1. प्रथम विश्वयुद्ध के क्या कारण थे ? संक्षेप में लिखें । उत्तर—प्रथम विश्वयुद्ध के निम्नलिखित कारण थे : प्रथम विश्वयुद्ध का सबसे प्रमुख कारण था साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा । प्रायः सभी यूरोपीय देश अपने – अपने उपनिवेशों को बढ़ाने और उसे स्थायीत्व देने के प्रयास में लगे थे । दूसरा कारण था उग्र राष्ट्रवाद । 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध में यूरोप के देशों में राष्ट्रीयता का संचार उग्र रूप से होने लगा था। सभी एक-दूसरे से आगे निकल जाने का प्रयासरत रहने लगे थे। तीसरा कारण सैन्यवाद की प्रवृत्ति थी। अपने उपनिवेश के प्रसार के लिए और उसे बनाए रखने के लिए सेना ही नितांत आवश्यक थी। फलतः यूरोप में सैन्यवाद जोरों पर था। एक कारण गुटों का निर्माण भी था । संपूर्ण यूरोप गुटों में बँटने लगा । ऐसा कोई देश नहीं था जो किसी-न-किसी गुट से जुड़ा नहीं था । लेकिन गुटों का निर्माणक पद्धति का अगुआ जर्मनी का चांसलर बिस्मार्क था । जो दो प्रमुख गुट थे वे थे— (i) ट्रिपल एलायन्स और (ii) ट्रिपलएतांत | सब यूरोपीय देश इनमें से किसी न किसी एक गुट से जुड़ा था । ट्रिपल एलायन्स को हिन्दी में त्रिगुट कहते थे, जिसमें जर्मनी, इटली और आस्ट्रिया-हंगरी प्रमुख भूमिका निभा रहे थे तो ट्रिपल एतांत को हिन्दी में त्रिदेशीय संधि कहते थे। इसमें भी तीन ही देश थे, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस । उपर्युक्त सारी बातों ने ऐसी स्थिति बना दी कि युद्ध कभी भी, किसी भी समय भड़क सकता था। हुआ भी ऐसा ही। एक छोटी-सी घटना ने युद्ध को भड़का दिया ।
प्रश्न 2. प्रथम विश्वयुद्ध के क्या परिणाम हुए ? उत्तर – प्रथम विश्वयुद्ध का मुख्य परिणाम हुआ कि त्रिगुट देशों’ की करारी हार हुई । विश्व में ऐसे भयानक युद्ध फिर कभी नहीं हो, इसके लिए राष्ट्रसंघ नामक विश्व संगठन की स्थापना की गई। लेकिन इस विश्व संस्था में कुछ विसंगतियाँ भी थीं। इसके गठन में मुख्य हाथ अमेरिका का था, लेकिन वह स्वयं इसका सदस्य नहीं बना। सबसे महत्वपूर्ण तो थी वर्साय की संधि । इस संधि के तहत हारे हुए देशों को तरह-तरह से दबाया गया। सबसे अधिक जर्मनी पर प्रति लगा। एक तो उसे जीते हुए सभी क्षेत्र उससे छिन लिए गए और दूसरे कि स्वयं उर के अपने देश के कुछ भागों पर भी विजयी राष्ट्रों ने अधिकार जमा लिया। ये भाग ऐसे थे जो खनिजों में धनी थे । वर्साय की संधि में ऐसी-ऐसी बातें थीं कि भविष्य में जर्मनी कभी सर उठाने का साहस ही न कर सके । उस संधि पर उससे जबरदस्ती हस्ताक्षर कराया गया था । संधि के अनुसार उसकी सैन्य शक्ति को सीमित कर दिया गया। उस पर भारी जुर्माना लगाया गया। जुर्माना इतना अधिक था कि वह उसे अदा ही नहीं कर पा सकता था। सबसे अधिक लाभ में फ्रांस था । फ्रांस को उसका अल्सास- लारेन क्षेत्र तो लौटा ही दिया गया जर्मनी के सार क्षेत्र के कोयला खदानों को 15 वर्षों के लिए फ्रांस को दे दिया गया। डेनमार्क, बेल्जियम, पोलैंड, चेकोस्लोवाकिया, जिसे जर्मनी ने जीत रखा था, सब उसके हाथ से निकल गए। जर्मनी के सम्पूर्ण उपनिवेशों को विजयी देशों ने आपस में बाँट लिया। एक प्रकार से जर्मनी की कमर ही तोड़कर रख दी गई। अपमानजनक संधि का ही परिणाम था कि जर्मनी में हिटलर और इटली में मुसोलिनी जैसे कठोर मिजाज शासकों का उदय हुआ और देश की जनता से उन्हें सम्मान भी मिला। मुख्य परिणाम यह हुआ कि प्रथम विश्वयुद्ध का बदला चुकाने के लिए ही द्वितीय विश्वयुद्ध का आरम्भ हुआ ।
प्रश्न 3. क्या वर्साय की संधि एक आरोपित संधि थी ? उत्तर – हाँ, यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि वर्साय की संधि एक आरोपित संधि थी । इसका प्रमाण है कि संधि के प्रावधानों को निश्चित करने के समय विजीत देशों के किसी भी प्रतिनिधि को नहीं बुलाया गया । प्रावधान निश्चित करते समय निर्णयी देशां ने मनमाना प्रावधान निश्चित किए । जर्मनी के विजित देशों को तो ले ही लिया गया, उसके अपने कोयला क्षेत्र को 15 वर्षों के लिए फ्रांस को दे दिया गया। उसके राइन क्षेत्र को सेना – मुक्त क्षेत्र बना दिया गया। उसकी सैनिक क्षमता में भी कटौती कर दी गई । उसके उपनिवेशों को फ्रांस और ब्रिटेन दोनों ने मिलकर आपस में बाँट लिए । दक्षिण- पश्चिम अफ्रीका और पूर्वी अफ्रीका स्थित जर्मन-उपनिवेश ब्रिटेन, बेल्जियम, दक्षिण अफ्रीका और पुर्तगाल को दे दिए गए । युद्ध में त्रिदेशीय संधि के देशों के जो व्यय हुए थे, वे सब जुर्माना के रूप में जर्मनी से वसूला गया। 6 अरब 10 करोड़ पौंड उस पर जुर्माना लगाया गया। जर्मनी के सहयोगियों के साथ अलग से संधियाँ की गई । आस्ट्रिया-हंगरी को बाँटकर अलग-अलग दो देश बना दिया गया । आस्ट्रिया से जबरदस्ती हंगरी, चेकोस्लोवाकिया, यूगोस्लाविया और पोलैंड की स्वतंत्रता को मान्यता दिलवाई गई । तुर्की साम्राज्य को बुरी तरह छिन्न-भिन्न कर दिया गया। यह बात अलग है कि तुर्की के मुस्तफा कमाल पाशा तथा जर्मनी के हिटलर ने इन संधियों को मानने से इंकार कर दिया। इन सब बातों से स्पष्ट होता है कि वर्साय की संधि सहमतिवाली संधि न होकर जबदरदस्ती आरोपित की गई संधि थी ।
प्रश्न 4. बिस्मार्क की व्यवस्था ने प्रथम विश्वयुद्ध का मार्ग किस तरह प्रशस्त किया ? उत्तर- यूरोप के देश अपने उपनिवेशों के विस्तार तथा स्थायित्व के लिए चिंतित रहा करते थे । इसके लिए शक्तिशाली देश अपने-अपने हितों के अनुरूप गुटों के गठन में लग गए। फल हुआ कि पूरा यूरोप दो गुटों में बँट गया। यूरोप का रूप सैनिक शिविरों में बदलने लगा । लेकिन सही पूछा जाय तो यूरोप में गुटों को जन्मदाता जर्मनी के चांसलर बिस्मार्क को मानना पड़ेगा। इसी ने सर्वप्रथम 1879 में आस्ट्रिया-हंगरी से द्वेध संधि की थी। यह क्रम यहीं नहीं रुका। 1882 मे क त्रिगुट (ट्रिपल एलाएंस) बना जिसको गठित करनेवाला बिस्मार्क ही था । इस त्रिगुट थे तो अनेक देश लेकिन प्रमुख जर्मनी, इटली और आस्ट्रिया-हंगरी थे। बिस्मार्क ने इसका गठन फ्रांस के विरोध में किया था । त्रिगुट में शामिल इटली पर बिस्मार्क कम विश्वास करता था, क्योंकि वह जनाता था कि वह त्रिगुट में केवल इसलिए सम्मिलित हुआ है कि उसकी मंशा मात्र आस्ट्रिया-हंगरी के कुछ भागों पर अधिकार तक सीमित थी । फिर त्रिपोली को भी वह जीतना चाहता था, लेकिन इसके लिए उसे फ्रांस की मदद की आवश्ययकता थी । इस कारण बिस्मार्क उस पर कम विश्वास करता था, फिर भी वह गुट का एक प्रमुख सदस्य था। सबको समेट कर साथ रखना बिस्मार्क की ही जिम्मेदारी थी । वह समझता था कि त्रिगुट बना तो है, लेकिन यह एक ढीला-ढाला संगठन ही था। यह सब समझते हुए भी बिस्मार्क को अपनी शक्ति पर भरोसा था। इस प्रकार हम देखते हैं कि बिस्मार्क की व्यवस्था ने ही प्रथम विश्वयुद्ध के विरोध में फ्रांस, रूस और ब्रिटेन ने भी त्रिदेशीय संधि के नाम से अलग एक गुट की स्थापना कर ली ।
प्रश्न 5. द्वितीय विश्वयुद्ध के क्या कारण थे ? विस्तारपूर्वक लिखें । उत्तर- द्वितीय विश्वयुद्ध के निम्नलिखित कारण थे : (i) वर्साय संधि की विसंगतियाँ- वर्साय की संधि में ऐसी-ऐसी शर्तें थीं जिन्हें मानना किसी भी देश के बस की बात नहीं थी । 1936 तक तो जैसे-तैसे चलता रहा लेकिन उसके बाद उल्टे विजीत राज्य ही अबतक हुई अपनी हानि की क्षति पूर्ति की माँग रखने लगे । खासकर जर्मनी के कोयला खदानों का फ्रांस ने जो दोहन किया था, उसके लिए जर्मनी हर्जाना माँगने लगा। पूरा जर्मनी तो अपमानित हुआ ही था लेकिन जैसे ही हिटलर जैसा जुझारू नेता मिला, उसका मनोबल बढ़ गया । (ii) वचन विमुखता – राष्ट्रसंघ के विधान पर जिन सदस्य राज्यों ने जो वादा किया था, एक-एककर सभी मुकरने लगे । उन्होंने सामूहिक रूप से सबकी प्रादेशिक अखंडता और राजनीति स्वतंत्रता की रक्षा करने का वचन दिया था लेकिन अवसर आने पर पीछे हटने लगे। जापान ने चीन के क्षेत्र मंचूरिया को शिकार बना लिया और दूसरी ओर इटली अबीसीनिया पर ताबड़-तोड़ हमला करता रहा । फ्रांस चेकोस्लोवाकिया का विनाश करता रहा । जब जर्मनी ने पोलैंड पर चढ़ाई कर दी तब फ्रांस और ब्रिटेन की आँखें खुलीं । उन्होंने हिटलर को रोकना चाहा, फलतः द्वितीय विश्वयुद्ध का आरंभ हो गया । (iii) गुटबंदी और सैनिक संधियाँ – गुटबंदी और सैनिक संधियों ने भी द्वितीय विश्वयुद्ध को भड़काने में सहायता की। यूरोप पुनः दो गुटों में बँट गया। एक गुट का नेता जर्मनी और दूसरे गुट का नेता फ्रांस बना । जर्मनी इटली और जापान एक ओर थे तो फ्रांस, इंग्लैंड तथा रूस और बाद में अमेरिका भी दूसरी ओर थे । पहले गुट को धुरी राष्ट्र तथा दूसरे गुट को मित्र राष्ट्र कहा जाता था। इन गुटों के कारण यूरोप का वातावरण विषाक्त बन गया । (iv) हथियारबंदी—गुटबंदी और सैनिक संधियों ने सभी राष्ट्रों को संशय में डाल दिया । सशस्त्रीकरण को बढ़ावा मिला। इंग्लैंड ऋण लेकर भी अपने शस्त्रों में विस्तार करता रहा । बहाना आक्रमणों को रोकना था। सभी देशों ने अपने रक्षा व्यय को बढ़ाते जाने में वायु सेना अपना शान समझते थे। नवीन हथियारों का आविष्कार हाने लगा। नौ सेना और में भी बढ़ोत्तरी की जाने लगी। सभी देश अपने को असुरक्षित महसूस करने लगे । (v) राष्ट्रसंघ की असफलता- राष्ट्रसंघ निकम्मा साबित होने लगा । कोई भी शक्तिशाली देश उसकी बात मानने को तैयार नहीं था । अनेक छोटे-छोटे राज्यों ने तो उसकी बात मानी और समझौतों का पालन किया लेकिन शक्तिशाली देशों से अपनी बात मनवाने में राष्ट्रसंघ विफल साबित हुआ। हर निर्णायक घड़ी में शक्तिशाली देश राष्ट्रसंघ को अँगूठा दिखाने लगे । इस प्रकार राष्ट्रसंघ की असफलता भी द्वितीय विश्वयुद्ध का कारण बना । (vi) विश्वव्यापी आर्थिक मंदी तथा हिटलर – मुसोलिनी का उदय – 1929-31 की विश्वव्यापी मंदी ने राष्ट्रों की कमर तोड़कर रख दी थी। इसी समय जर्मनी में हिटलर तथा इटली में मुसोलिनी जैसे जुझारू नेताओं का उदय हुआ । इन्होंने अपने देशवासियों को दिलासा दी की वे देश की खोई हुई प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त कर देश को गौरवान्वित कर देंगे। फलतः लोगे ने इनका साथ दिया, जिससे द्वितीय विश्वयुद्ध को काफी बल मिला ।
प्रश्न 6. द्वितीय विश्वयुद्ध के परिणामों का उल्लेख करें । उत्तर- द्वितीय विश्वयुद्ध के निम्नलिखित परिणाम हुए : (i) जन-धन की अपार हानि-इतिहास का यह सबसे विनाशकारी युद्ध सिद्ध हुआ । यूरोप का एक बड़ा भाग कब्रिस्तान में बदल गया। जर्मनी में 60 लाख से अधिक यहूदी यातनापूर्ण ढंग से मारे गए । अमेरिका द्वारा एटम बम के प्रयोग ने दो जापानी नगरों को खाक में मिला दिया। सबसे अधिक नुकसान सोवियत संघ का हुआ । जर्मनी के भी 60 लाख लोग मारे गए। युद्ध का कुल लागत 13 खरब 84 अरब 90 करोड़ डालर का अनुमान लगाया गया । (ii) यूरोपीय श्रेष्ठता का अंत तथा उपनिवेशों की स्वतंत्रता – द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यूरोपीय श्रेष्ठता खाक में मिल गई। उनके अफ्रीकी और एशियाई उपनिवेश एक- एक कर स्वतंत्र होते गए । भारत, श्रीलंका, बर्मा, मलाया, हिन्देशिया, मिस्र आदि स्वतंत्र हो गए। यह कहावत कि इंग्लैंड के राज्य में कभी सूर्य नहीं डूबता, द्वितीय विश्वयुद्ध ने इसे झूठा साबित कर दिया । (iii) इंग्लैंड की शक्ति में ह्रास तथा रूस और अमेरिका का विश्व शक्ति में रूप में उभरना — द्वितीय विश्वयुद्ध का एक परिणाम यह हुआ कि इंग्लैंड शक्तिहीन हो गया और रूस और अमेरिका दोनों देश विश्व शक्ति के रूप में सामने आए। एक समाजवादी था तो दूसरा पूँजीवादी । अतः दोनों में प्रतियोगिता आरंभ हो गई । (iv) संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना – द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद विश्व शांति को कायम रखने के लिए ‘संयुक्त राष्ट्रसंघ’ नाम से एक शक्तिशाली संस्था का गठन किया गया । सम्पूर्ण विश्व के लगभग सभी छोटे-बड़े देश इसके सदस्य बनाए गए । परमाणु बम को शांति और अशांति का निर्णायक केन्द्र माना गया । राष्ट्रसंघ के जिम्मे लगाया गया कि कोई देश इसका विकास न कर सके । (v) विश्व में गुटों का निर्माण— राजनीति में पहले इंग्लैंड का बोलबाला रहा करता था। अब उसकी शक्ति क्षीण हो गई । अब विश्व – साम्यवादी रूस तथा अमेरिक—दो गुटों में बँट गया। इन दोनों से परे भारत के प्रयास से एक तीसरा गुट भी सामने आया, जिसे ‘निर्गुट’ कहा गया ।
इस लेख में बिहार बोर्ड कक्षा 9 इतिहास के पाठ 1 ‘भौगोलिक खोजें (Bhaugolik khoj class 9th History Notes)’ के नोट्स को पढ़ेंगे।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
बहुविकल्पीय प्रश्न :
निर्देश : नीचे दिये गये प्रश्न में चार संकेत चिह्न हैं जिनमें एक सही या सबसे उपयुक्त हैं । प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रश्न संख्या के सामने वह संकेत चिह्न (क, ख, ग, घ) लिखें जो सही अथवा सबसे उपयुक्त हों।
प्रश्न 1. वास्कोडिगामा कहाँ का यात्री था ? (क) स्पेन (ख) पुर्तगाल (ग) इंग्लैण्ड (घ) अमेरिका
उत्तर- (ख) पुर्तगाल
प्रश्न 2. यूरोपवासियों ने दिशासूचक यंत्र का प्रयोग किनसे सीखा? (क) भारत से (ख) रोम से (ग) अरबों से (घ) चीन से उत्तर- (ग) अरबों से
Bhogolik Khoj 9th Class Bihar Board प्रश्न 3. उत्तमाशा अंतरीप (Cape of good hope) की खोज किसने की? (क) कोलम्बस (ख) वास्कोडिगामा (ग) मैग्लेन (घ) डियाज बार्थोलोमियो उत्तर- (घ) डियाज बार्थोलोमियो
Bihar Board Class 9th History Solution प्रश्न 4. अमेरिका की खोज किस वर्ष की गई ? (क) 1453 (ख) 1492 (ग) 1498 (घ) 1519 उत्तर- (ख) 1492
Bihar Board Solution Class 9 Social Science प्रश्न 5. कुस्तुनतुनिया का पतन किस वर्ष हुआ? (क) 1420 (ख) 1453 (ग) 1510 (घ) 1498 उत्तर- (क) 1420
Bihar Board Solution Class 9 History प्रश्न 6. विश्व का चक्कर किस यात्री ने सर्वप्रथम लगाया ? (क) मैग्लेन (ख) कैप्टनं कुक (ग) वास्कोडिगामा (घ) मार्कोपोलो उत्तर- (क) मैग्लेन
सही और गलत
Bihar Board Class 9 Social Science Solution प्रश्न 1. भारत के मूल निवासियों को रेड इंडियन कहा जाता है। उत्तर- गलत
Bihar Board Class 9 History Chapter 1 प्रश्न 2. उत्तमाशा अंतरीप की खोज ने भारत तक पहुँचने का मार्ग प्रशस्त किया। उत्तर- सही
Bihar Board 9th Class Social Science Book Pdf प्रश्न 3. भारत अटलांटिक महासागर के पूर्वी तट पर स्थित है। उत्तर- गलत
Bihar Board Solution Class 9 प्रश्न 4. मोर्कोपोलो ने भारत की खोज की। उत्तर- गलत
Bihar Board Class 9 History Solution प्रश्न 5. जेरूशलम वर्तमान ‘इजरायल’ में है। उत्तर- सही
प्रश्न 6. लिस्बन दास-व्यापार का बहुत बड़ा केन्द्र था। उत्तर- सही
प्रश्न 7. अमेरिगु ने नई दुनिया को विस्तार से खोजा । उत्तर- सही
1. भौगोलिक खोजें
1. भारत आने में किस भारतीय व्यापारी ने वास्कोडिगामा की मदद की?
उत्तर- भारत आने में भारतीय व्यापारी अब्दुल मजीद ने वास्कोडिगामा की मदद की।
2. न्यूफाउन्डलैंड का पता किसने लगाया?
उत्तर- सर जॉन और सेवास्टिन ने न्यूफाउन्डलैंड का पता लगाया।
3. यूरोपीयों द्वारा निर्मित तेज चलने वाले जहाज को क्या कहाँ जाता था?
उत्तर- यूरोपीयों द्वारा निर्मित तेज चलने वाले जहाज को कैरावल कहा जाता है।
4. दक्षिण अफ्रिका का दक्षिणतम बिंदु कौन सा स्थल हैं?
उत्तर- दक्षिण अफ्रिका का दक्षिणतम बिंदु उत्तमआशा अंतरीप है।
5. 11वीं-12वीं शताब्दी में ईसाई एवं मुसलमानों के बीच धर्मयुद्ध हुआ था?
उत्तर- जेरूसलम पर अधिकार करने के कारण ईसाई एवं मुसलमानों के बीच धर्मयुद्ध हुआ था।
6. 1453 ई. में कुस्तुनतुनीया पर किसने अधिपन्य जमाया?
उत्तर- 1453 ई. में कुस्तुनतुनीया पर तुर्की ने अधिपन्य जमाया।
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7. पूर्त्तगाल एवं स्पेन किस महासागर के पास अवस्थीत है?
उत्तर- पूर्तगाल अटलांटिका महासागर एवं स्पेन अटलांटिका और भुमध्य सागर के पास अवस्थीत है।
लघु उत्तरीय प्रश्न:
1. यूरोप में मध्यकाल को अंधकार का युग क्यों कहाँ जाता हैं?
उत्तर- यूरोप में मध्यकाल समांती काल था इस युग में वाणिज्य-व्यापार विकसित नहीं था मध्ययुग यूरोपियनों का विश्वास था कि पृथ्वी चपटी है। चर्च के पादरियों लोगों को द्विग्भ्रमित कर रखा था इससे यूरोप के लोग अंधविश्वास में जकड़े हुऐ थे। शिक्षा केवल चर्च के पादरियों तक सीमीत रही। जिसे मध्ययुगीय यूरोपीय लोगों में शिक्षा का आभाव था इसी कारण मध्यकाल को अंधकार का युग कहा जाता है।
2. भौगोलिक खोजों में वैज्ञानिक उपकरणों का क्या योगदान था।
उत्तर- भौगोलिक खोजो में वैज्ञानिक उपकरणो का महत्वपूर्ण योगदान था उसी की सहायता से समुद्री यात्रा असान हो गई। इसमें कम्पास अर्थात दिशासुचक वैज्ञानीक उपकरण का बहुत बड़ा योगदान था यूरोपवालों ने इसका ज्ञान अरबवालो से सीखा था। अब पहले से बहुत मजबूत और बड़े जहाज बने लगे। जिसमें कैरावल नामक जहाज बहुत मजबूत और तेज चलने वाला था यह वैज्ञानिक अधार पर बना था वैज्ञानिक उपकरण के अविस्कार से आक्षांश जाने में आसानी हुई। दुरबीन की सहायता से समुद्ररी मार्ग खोजने में सहायता मीली। यह सब वैज्ञानिक उपकरणों के कारण संभव हुआ।
3. भौगोलिक खोजों ने व्यापार-वाणिज्य पर किस प्रकार प्रभाव डाले?
उत्तर- भौगोलिक खोजो ने व्यापार-वाणिज्य पर किस क्रांतिकारी प्रभाव डाले। भौगोलिक खोजो द्वारा नये-नये देशों और समुद्री मार्गो का पता लगा। जिसे इन देशो से व्यापार करना सुरू किया गया इसे व्यापार की बढ़ावा मिला पहले यूरोपीय व्यापार जो भुमध्यसागर और बल्कि सागर तक सीमित था। भौगोलिक खोंज के बाद अटलांटिका, हिन्द तथा प्रशांत महासागर तक फैल गया। इसी कारण पेरिस, लंदन और बहुत से नगर विश्व स्तर पर व्यापार के केन्द्र बन गए। अब व्यापार पर इटली का अधिकार समाप्त हुआ और नऐ देनो जैसे स्पेन, पूर्तगाल आदि अपना अधिकार जमा बैठा।
4. भौगोलिक खोजों ने किस प्रकार भ्रांतियो को तोड़ा?
उत्तर- भौगोलिक खोजो ने यूरोपियनो की भ्रांतियों का अंतकर दीया। चर्च द्वारा फैलाए गए अवधारणाओं को लोग संदेह की दृष्टि से देखने लगे। आगे यह यूरोप में धर्म सुधार आंदोलन का कारण बना। भौगोलिक अविस्कार से यूरोप की पूर्ण जानकारी मिला। दुनिया की महत्वपूर्ण जानकारी ने उनकी आँखे खोल दी। यही कारण था कि नए-नए अविष्कारों के लिए प्रयत्नशील हुए। इस प्रकार भौगोलि खोजो ने उनकी भ्रांतियों को तोड़ा।
5. भौगोलिक खोजो ने किस प्रकार विश्व के मानचीत्र में पविर्तन लया?
उत्तर- भौगोलिक खोजों से कई नये देश-महादेश का पता चला। इसके पहले किसी को जानकारी नहीं थी। भौगोलिक खोज से अमेरिक अफ्रीका और अस्ट्रेलिया की खोज हुई। इन देशों के खोज के बाद विश्व को पाँच महादेशों में बटाँ गया। और विश्व को एक न्या नक्सा बनाया गया। इस प्रकार भौगोलिक खोजो ने विश्व को पुरी तरह बदल दीया।
दीर्घ उतरीय प्रश्न
1. भौगोलिक खोजों का क्या तान्पर्य है इसने किस प्रकार विश्व की दुरीयाँ घटाई?
उत्तर-भौगोलिक खोजो का उद्देश्य नऐ-नऐ यत्रों का अवीष्कार और समुद्री मार्गो से नए-नए देशो अर्थात अनजान देशो का पता चला। भौगोलिक खोजो के द्वारा नए-नए समुद्री मार्गे और देशो का पता चला। भौगोलिक खोजो निम्नलिखित प्रकार से विश्व की दुरीयाँ घटाई: विश्व में बहुत पहले से ही व्यापार वाणिज्य के द्वारा एक देश दुसरे देशो से जुडे थे। लेकिन उस समय बहुत कम देशो के साथ व्यापारीक सम्बंध था। उस समय के जहाज भी छोटे हुआ करते थे। उन्हें अपना रास्ता तय करने में हवा का सहारा लेना पड़ता था। लेकिन भौगोलिक खोजो बढ़ती गई वैसे-वैसे बड़े और तेज चलने वाले जहाज का अविष्कार हुआ। जिसके कारण एक देश दूसरे से व्यापार करने में समय भी कम लगता और समानोका व्यापार बड़ गया यूरोप से भारत आने का नाया रास्ता वास्कोडिग्मा ने खोज निकाला इससे कम समय में ही आया जाया जा सकता था। इन देशों और मार्गो को खोजने में यूरोप के कई देश लगे हुए थे। इसी कारण कुछ वर्षो के अंदर ही नऐ देशो पता चला वहाँ के लोगो से सर्म्पक हुआ। वहाँ से व्यापार करने के लिए मजबूत और तेजचलने वाले जहाज कैराव का निर्माण किया गया। इस प्रकार भौगोलिक खोजो ने विश्व की दुरियाँ कम कर दी।
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2. भौगोलिक खोजो के कारणो की व्याख्या करें।
उत्तर-भौगोलिक खोजों का मुख्य कारण 1453 कुस्तुनतुनीया पर तुर्की के अधिकार कर लेने के कारण यूरोपीय देशो के व्यापार का मार्ग बंध हो गया। क्योंकि तुर्की ने इस मार्ग से व्यापार करने के बदले भारी कर वसुलना सुरू कर दिया था। जिसके कारण यूरोपीयनों व्यापार करने के लिए मार्ग ढुढ़ना आवश्यक था। भौगोलिक खोजो में हुए नए-नए यंत्रों का अविस्कार ने समुद्री यात्रा एवं नौसेना के विकास को असान बना दिया। यूरोप वालों ने कम्पास और दिशासुचक यंत्र बनाने का ज्ञान अरबो से सिखा था। जिसके कारण समुद्री यात्रा असान हो गई। पूर्तगालियों ने एक नई प्रकार के हलके और तेज चलने वाले जहाज कैरावल का निर्माण कर लिया था। इसी नये उपकरणों और साहस के पर यूरोपीय नांविको ने अटलांटिक एवं भूमध्य सागर में अपना जहाज उतारे इसी क्रम में बार्थोलिमीयों ने अफ्रीका के पश्चिमी तट से गुजरात होते हुए दक्षिण अफ्रिका के दक्षिणी बिंदु उतम आंशा अंतरीप तक पहुचे। अब उन्हे भारत पहुचने का असान मार्ग मिला गया। वे अफ्रीका के उस जगह पर पहुचे जहाँ उनको खनिज सम्पदा मानव श्रम मिल गए। इसका परिणाम हुआ की यूरोपीय लोगो और भी भौगोलिक खोज में एक जुट हो गए।
3. नए अन्वेषित भू-भागो को विश्व के मानचित्र पर अंकित करे। और यह बतावें कि भौगोलिक खोजो से पूर्व आप यदि यूरोप में होते तो भारत से किस प्रकार व्यापार करते।
उत्तर-भौगोलिक खोज के पहले अगर हम यूरोप में होते तो भारत से व्यापार करने के लिए मुमध्य सागर से अफ्रिका के दक्षिण भाग से होते हुए भारत के पश्चिमी तट केरल तट पर पहुच जाते।
4. अंधकार युग से आप क्या समझते है? अंधकार युग से बाहर आने में भौगोलिक खोजो ने किस प्रकार मदद की?
उत्तर-मध्यकाल में यूरोप में सांमती काल था। इस समय वाणिज्य-व्यापार विकसित नहीं था धर्म का स्वरूप भी मानवीय नहीं था। पृथ्वी के बारे में जानकारी नहीं थी। अशीक्षीत होने के कारण उनमें अंधवीश्वास भरा हुआ था। अंधवीश्वास को चर्च और चर्च के पादरी बड़ा दे रहे थे। इसे ही अंधकार का युग कहते है। अंधकार युग से बाहर आने में भौगोलिक खोजों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यूरोप वाले अंधकार युग से तक बाहर आए जब भौगोलिक खोजो के द्वारा भारत और चीन जैसे सभ्य देशो के साथ सम्पर्क में आए। यूरोप के सामंत काल को पहले ही मिटाया जा चूका था नये सभ्य देशो सम्पर्क से उनमें भी समय बनने की उत्साह आई भारत, अरब और चीन के विद्ववानो द्वारा यूरोप में शिक्षा को बढ़ावा दिया गया था। इसी कारण यूरोप में छापाखाना का स्थापना होने लगा यूरोपीय समाज में नऐ विचारो का उदय और यूरोप में शिक्षा को बढ़ाया गया भौगोलिक खाजों द्वारा उपनिवेश बसाने का मार्ग प्रसस्त किया इसी कारण उपनिवेशो के साथ-साथ शिक्षा, ज्ञान और विद्या के साथ-साथ संस्कृति, धर्म को भी आदान-प्रदान होने लगा यह सब भौगोलिक खोजों से ही संभव था।
5. भौगोलिक खोजों के परिणामों का वर्णन करें। इसने विश्व पर क्या प्रभाव डाला?
उत्तर-भौगोलिक खोजों का निम्नलिखित परिणाम है:- व्यापार-वाणिज्य पर प्रभाव-भौगोलिक खोजो ने व्यापार-वाणिज्य में क्रांतिकारी परिर्वतन लाऐ उपनिवेशो के अधिक शोसन से यूरोपीय देश समृद्ध होने लगे इसे यूरोपीय व्यापार को बढ़ावा मिला। फलस्वरूप मुद्रा व्यवस्था का विकास हुआ। ऑपनिवेशिक साम्राज्यो का विकास-भौगोलिक खोजो के परिणाम स्वरूप औपनिवेशिक सम्राज्य का विकास हुआ। अमेरिका, अफ्रिका, ऑस्ट्रेलिया तथा अन्य द्वीप समूहो में उपनिवेश की स्थापना की गई भौगोलिक खोज उपनिवेशवाद को बढ़ावा दिया वाणिज्यवाद का विकास-वाणिज्यवाद में पूँजी को बढ़ावा दिया गया अंतर्राट्रीय स्तर पर सोने एवं चाँदी की लुट हुई। ईसाई धर्म एवं पश्चिमी सभ्यता का प्रचार-ईसाई धर्म प्रचारों ने अफ्रिका, एशिया तथा अमेरिका के दुर्गम स्थलो में जाकर अपना धर्म प्रचार किया दास व्यापार का विकास-जिसमें अमेरिका ऑस्ट्रीया के मुल निवासी को यूरोप के बाजारों में दास के रूप में बेचा जाता था। भ्रंतियों का अंत एवं भौगोलिक ज्ञान में वृद्धि चर्च के पादरियो द्वारा फैलाए गए अंधवीश्वास को दूर कर शिक्षा को बढ़ावा दिया गया। भौगोलिक खोजों विश्व में उपनिवेश वाद को बढ़ावा दिया जिसे गरीब देशो का शोशन होने लगा उस देश के नागरी को दास के रूप में बेचा जानेलगा उपनिवेशित देशो में अपने लाभ के लिए कुछ विकास काम किए जिनका लाभ अपनिवेशवासियों को भी मिला। भौगोलिक खोजों के द्वारा विश्व पर कुछ अच्छा और कुछ बुरा प्रभाव पड़ा।
इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 इतिहास के पाठ 8 ‘अर्थव्यवस्था और आजीविका (Press Sanskriti aur Rashtravad Objective)’ के महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्नों को पढ़ेंगे। जो दसवीं बोर्ड परीक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
Press Sanskriti aur Rashtravad Objective इतिहास पाठ 8 प्रेस-संस्कृति एवं राष्ट्रवाद
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
नीचे दिये गए प्रश्नों के उत्तर के रूप में चार विकल्प दिये गये हैं। जो आपको सर्वाधिक उपयुक्त लगे उनमें सही का चिह्न लगायें।
प्रश्न 1. महात्मा गाँधी ने किस पत्र का संपादन किया? (क) कामनबील (ख) यंग इंडिया (ग) बंगाली (घ) बिहारी
उत्तर- (ख) यंग इंडिया
प्रश्न 2. किस पत्र ने रातों-रात वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट से बचने के लिए अपनी भाषा बदल दी ? (क) हरिजन (ख) भारत मित्र (ग) अमृतबाजर पत्रिका (घ) हिन्दुस्तान रिव्यू
उत्तर- (ग) अमृतबाजर पत्रिका
प्रश्न 3. 13वीं सदी में किसने ब्लॉक प्रिंटिंग के नमूने यूरोप में पहुँचाए ? (क) मार्कोपोलो (ख) निकितिन (ग) इत्सिंग (घ) मेगास्थनीज
उत्तर- (क) मार्कोपोलो
प्रश्न 4. गुटेनबर्ग का जन्म किस देश में हुआ था? (क) अमेरिका (ख) जर्मनी (ग) जापान (घ) इंगलैंड
उत्तर- (ख) जर्मनी
प्रश्न 5. गुटेनबर्ग ने सर्वप्रथम किस पुस्तक की छपाई की ? (क) कुरान (ख) गीता (ग) हदीस (घ) बाइबिल
उत्तर- (घ) बाइबिल
प्रश्न 6. इंगलैंड में मुद्रणकला को पहुँचाने वाला कौन था ? (क) हैमिल्टन (ख) कैक्सटन (ग) एडिसन (घ) स्मिथ
उत्तर- (ख) कैक्सटन
प्रश्न 7. किसने कहा “मुद्रण ईश्वर की दी हुई महानतम् देन है, सबसे बड़ा तोहफा”? (क) महात्मा गाँधी (ख) मार्टिन लूथर (ग) मुहम्मद पैगम्बर (घ) ईसा मसीह
उत्तर- (ख) मार्टिन लूथर
प्रश्न 8. रूसो कहाँ का दार्शनिक था? (क) फ्रांस (ख) रूस (ग) अमेरिका (घ) इंगलैंड
उत्तर- (क) फ्रांस
प्रश्न 9. विश्व में सर्वप्रथम मुद्रण की शुरूआत कहाँ हई? (क) भारत (ख) जापान (ग) चीन (घ) अमेरिका
उत्तर- (ग) चीन
प्रश्न 10. किस देश की सिविल सेवा परीक्षा ने मुद्रित पुस्तकों (सामग्रियों) की माँग बढ़ाई? (क) मिस्र (ख) भारत (ग) चीन (घ) जापान
उत्तर- (ग) चीन
प्रश्न 11. 1904-05 के रूस-जापान युद्ध में किसकी की पराजय हुई? (क) रूस (ख) जापान (ग) इटली (घ) काई भी नहीं
उत्तर- (क) रूस
प्रश्न 12. फिरोजशाह मेहता ने किस पत्र का संपादन किया? (क) अल-हिलाल (ख) संवाद कौमुदी (ग) बाम्बे क्रॉनिकल (घ) मिरातुल अखबार
उत्तर- (ग) बाम्बे क्रॉनिकल
प्रश्न 13. वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट किस सन् में पास किया गया? (क) 1910 (ख) 1883 (ग) 1878 (घ) 1905
उत्तर- (ग) 1878
प्रश्न 14. भारतीय समाचार पत्रों के मुक्तिदाता के रूप में किस को विभूषित किया गया? (क) विलियम बैटिंग (ख) चार्ल्स मेटकॉफ (ग) रीडिंग (घ) कार्नवालिस
उत्तर- (ख) चार्ल्स मेटकॉफ
प्रश्न 15. अल-हिलाल का सम्पादन किसने किया था? (क) महात्मा गाँधी (ख) अल्लामा इकबाल (ग) सर सैय्यद अहमद खाँ (घ) मौलाना आजाद
उत्तर- (घ) मौलाना आजाद
प्रश्न 16. जे० के० हिक्की ने किस पत्र का संपादन किया था ? (क) संवाद कौमुदी (ख) बंगाल गजट (ग) सुलभ समाचार (घ) यंग इंडिया
उत्तर- (ख) बंगाल गजट
प्रश्न 17. राजा राममोहन राय ने किस पत्र का संपादन किया था ? (क) संवाद कौमुदी (ख) बंगाल गजट (ग) सुलभ समाचार (घ) यंग इंडिया
उत्तर- (क) संवाद कौमुदी
प्रश्न 18. केशव चन्द्र सेन ने किस पत्र का संपादन किया था ? (क) संवाद कौमुदी (ख) बंगाल गजट (ग) सुलभ समाचार (घ) यंग इंडिया
उत्तर- (ग) सुलभ समाचार
प्रश्न 19. सोम प्रकाश का प्रकाशन किसने शुरू किया ? (क) राजा राममोहन राय (ख) ईश्वरचन्द्र विद्यासागर (ग) सुरेन्द्र नाथ बनर्जी (घ) मनमोहन घोष
उत्तर- (ख) ईश्वरचन्द्र विद्यासागर
प्रश्न 20. इंडियन मिरर का प्रकाशन किसने शुरू किया था ? (क) सुरेन्द्रनाथ बनर्जी (ख) मनमोहन घोष (ग) क और ख दोनों (घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर- (ग) क और ख दोनों
प्रश्न 16. टस-लाई लून के किस वर्ष कपास एवं मलमल की पट्टी से कागज बनाया ? (क) 44 ई० पूर्व (ख) 78 ई० (ग) 105 ई० (घ) 115 ई०
उत्तर- (ग) 105 ई०
प्रश्न 17. मुद्रण की सबसे पहले तकनीक कहाँ विकसित हुई ? (क) चीन (ख) भारत (ग) फ्रांस (घ) जर्मनी
उत्तर- (क) चीन
प्रश्न 18. प्रथम पेपर मिल की स्थापना कहाँ हुई ? (क) जर्मनी (ख) लंदन (ग) अमेरिका (घ) चीन
उत्तर- (क) जर्मनी
प्रश्न 19. भारतीयों द्वारा प्रकाशित प्रथम समाचार पत्र साप्ताहिक था ? (क) बंगाल गजट (ख) इंडिया गजट (ग) बंबई गजट (घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर- (क) बंगाल गजट
प्रश्न 20. टाइम्स ऑफ इंडिया का प्रकाशन किस वर्ष आरंभ हुआ ? (क) 1861 (ख) 1872 (ग) 1885 (घ) 1906
उत्तर- (क) 1861
प्रश्न 21. 1922 में हिन्दुस्तान टाइम्स का संपादन किसने आरंभ किया ? (क) जवाहर लाल नेहरू (ख) के०एम० पण्णिकर (ग) शिवप्रसाद गुप्त (घ) महात्मा गाँधी
उत्तर- (ख) के०एम० पण्णिकर
प्रश्न 22. चीनी व्यक्ति दि-शेंग ने किस वर्ष मिट्टी के मुद्रा बनाए ? (क) 105 ई० (ख) 655 ई० (ग) 1041 ई० (घ) 1561 ई०
उत्तर- (ग) 1041 ई०
प्रश्न 23. ब्लॉक प्रिंटिग द्वारा मुद्रा पत्र छापे गए ? (क) 10वीं सदी के पूर्वार्द्ध तक (ख) 12वी सदी के उत्तरार्द्ध तक (ग) 15वीं सदी के उत्तरार्द्ध तक (घ)
उत्तर- (क) 10वीं सदी के पूर्वार्द्ध तक
प्रश्न 24. गोफ्तार और अखबारे सौदागर का प्रकाशन कब आरंभ हुआ ? (क) 1851 ई० (ख) 1860 ई० (ग) 1870 ई० (घ) 1880 ई०
उत्तर- (क) 1851 ई०
प्रश्न 25. बंगाली में संवाद कौमुदी किस वर्ष प्रकाशित हुआ ? (क) 1800 ई० (ख) 1821 ई० (ग) 1860 ई० (घ) 1890 ई०
उत्तर- (ख) 1821 ई०
प्रश्न 26. ‘कविवचन सुधा‘ का प्रकाशन किसने शुरू किया ? (क) हरिश्चंद्र वर्मा (ख) भारतेंदु हरिश्चन्द्र (ग) महादेवी वर्मा (घ) रामधारी सिंह दिनकर
उत्तर- (ख) भारतेंदु हरिश्चन्द्र
प्रश्न 27.पुर्तगाल में मुद्रण की शुरूआत कब हुई थी ? (क) 1544 ई० (ख) 1766 ई० (ग) 1780 ई० (घ) 1885 ई०
उत्तर- (क) 1544 ई०
प्रश्न 28. इंडियन प्रेस एक्ट कब लाया गया ? (क) 1878 (ख) 1980 (ग) 1910 (घ) 1833
उत्तर- (ग) 1910
प्रश्न 29. वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट किस वायसराय के शासन काल में आया था ? (क) लिटन (ख) रिपन (ग) इरविन (घ) माउण्टबेटन
उत्तर- (क) लिटन
प्रश्न 30. पायनियर का प्रकाशन कहाँ से शुरू किया गया था ? (क) लाहौर (ख) बंगाल (ग) मुम्बई (घ) लखनऊ
उत्तर- (घ) लखनऊ
प्रश्न 31. सुलभ समाचार पत्र का संपादन किसने शुरू किया था ? (क) राजामोहन राय (ख) मोतिलाला घोष (ग) केशवचन्द्र सेन (घ) इनमें काई नहीं
इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 इतिहास के पाठ 7 ‘व्यापार और भूमंडलीकरण (Vyapar aur Bhumandalikaran Objective)’ के महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्नों को पढ़ेंगे। जो दसवीं बोर्ड परीक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
Class 10 History Chapter 7 व्यापार और भूमंडलीकरण
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
नीचे दिये गए प्रश्नों के उत्तर के रूप में चार विकल्प दिये गये हैं। जो आपको सर्वाधिक उपयुक्त लगे उनमें सही का चिह्न लगायें।
प्रश्न 1. प्राचीन काल में किस स्थल मार्ग से एशिया और यूरोप का व्यापार होता था ? (क) सूती मार्ग (ख) रेशम मार्ग (ग) उत्तरा पथ (घ) दक्षिण पथ
उत्तर- (ख) रेशम मार्ग
प्रश्न 2. पहला विश्व बाजार के रूप में कौन-सा शहर उभर कर आया ? (क) अलेक्जेन्ड्रिया (ख) दिलमून (ग) मैनचेस्टर (घ) बहरीन
उत्तर- (ख) दिलमून
प्रश्न 3. आधुनिक युग में अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में होने वाली सबसे बड़ी क्रांति कौन सी थी? (क) वाणिज्यिक क्रान्ति (ख) औद्योगिक क्रान्ति (ग) साम्यवादी क्रान्ति (घ) भौगोलिक खोज
उत्तर- (ख) औद्योगिक क्रान्ति
प्रश्न 4. “गिरमिटिया मजदूर’ बिहार के किस क्षेत्र से भेजे जाते थे? (क) पूर्वी क्षेत्र (ख) पश्चिमी क्षेत्र (ग) उत्तरी क्षेत्र (घ) दक्षिणी क्षेत्र
उत्तर- (ख) पश्चिमी क्षेत्र
प्रश्न 5. विश्व बाजार का विस्तार आधुनिक काल में किस समय से आरंभ हुआ? (क) 15वीं शताब्दी (ख)-18वीं शताब्दी (ग) 19वीं शताब्दी (घ) 20वीं शताब्दी
उत्तर- (ख)18वीं शताब्दी
प्रश्न 6. विश्वव्यापी आर्थिक संकट किस वर्ष आरंभ हुआ था? (क) 1914 (ख) 1922 (ग) 1929 (घ) 1927
उत्तर- (ग) 1929
प्रश्न 7. आर्थिक संकट (मंदी) के कारण यूरोप में कौन सी नई शासन प्रणाली का उदय हुआ? (क) साम्यवादी शासन प्रणाली (ख) लोकतांत्रिक शासन प्रणाली (ग) फासीवादी-नाजीवादी शासन प्रणाली (घ) पूँजीवादी शासन प्रणाली
उत्तर- (ग) फासीवादी-नाजीवादी शासन प्रणाली
प्रश्न 8. ब्रेटन वुड्स सम्मेलन किम वर्ष हुआ? (क) 1945 (ख) 1947 (ग) 1944 (घ) 1952
उत्तर- (ग) 1944
प्रश्न 9. भूमंडलीकरण की शुरूआत किस दशक में हुआ? (क) 1990 के दशक में (ख) 1970 के दशक में (ग) 1960 के दशक में (घ) 1980 के दशक में
उत्तर- (क) 1990 के दशक में
प्रश्न 10. द्वितीय महायुद्ध के बाद यूरोप में कौन सी संस्था का उदय आर्थिक दुष्प्रभावों को समाप्त करने के लिए हुआ? (क) सार्क (ख) नाटो (ग) ओपेक (घ) यूरोपीय संघ
उत्तर- (घ) यूरोपीय संघ
प्रश्न 11. दिलमुन व्यापारिक केन्द्र कहाँ स्थित था ? (क) पाकिस्तान (ख) बहरीन (ग) कुवैत (घ) इराक
उत्तर- (ख) बहरीन
प्रश्न 12. 19वीं शताब्दी के विश्व बाजार का आधार क्या था ? (क) कपड़ा उद्योग (ख) चमड़ा उद्योग (ग) खनन उद्योग (घ) इनमें काई नहीं
उत्तर- (क) कपड़ा उद्योग
प्रश्न 13. गिरमिटिया मजदूर को निम्न में किसके उत्पादन में लगाया जाता था ? (क) नगदी फसल (ख) खाद्यान्न फसल (ग) चाय (घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर- (क) नगदी फसल
प्रश्न 14. भारत के भोजपूरी भाषी क्षेत्र है ? (क) पूर्वी उत्तर प्रदेश (ख) पश्चिमी बिहार (ग) दोनों (घ) मध्य प्रदेश
उत्तर- (ग) दोनों
प्रश्न 15. गिरमिटिया मजदूर को निम्न में से कहाँ ले जाया जाता था ? (क) मॉरीशस (ख) टोबैगो (ग) फिजी (घ) सभी
उत्तर- (घ) सभी
प्रश्न 16. ‘द कॉमर्स ऑफ नेशन‘ किसकी रचना है ? (क) कीन्स (ख) मिल्टन (ग) काउलिफ (घ) कार्ल मार्क्स
उत्तर- (ग) काउलिफ
अलेक्जेन्ड्रीया नामक पहला विश्व बाजार किसके द्वारा स्थापित किया गया था ?
(क) मुसोलिनी (ख) हिटलर (ग) सम्राट सिकंदर (घ) अकबर
उत्तर- (ग) सम्राट सिकंदर
प्रश्न 18. विश्वव्यापी आर्थिक संकट किस देश से प्रारंभ हुआ था ? (क) ब्रिटेन (ख) भारत (ग) चीन (घ) अमेरिका
उत्तर- (घ) अमेरिका
प्रश्न 19. किस सम्मेलन के द्वारा विश्व बैंक और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना हुई ? (क) वियना सम्मेलन (ख) क्योटो सम्मेलन (ग) गोलमेज सम्मेलन (घ) ब्रेटन वुड्स सम्मेलन
उत्तर- (घ) ब्रेटन वुड्स सम्मेलन
प्रश्न 20. आर्थिक संकट से विश्व स्तर पर कौन सी बड़ी आर्थिक संकट उत्पन्न हुई ? (क) भूखमरी (ख) महँगाई (ग) बेरोजगारी (घ) पूँजीवाद
उत्तर- (ग) बेरोजगारी
प्रश्न 21. विश्व आर्थिक मंदी कब हुआ था ? (क) 1920 (ख) 1944 (ग) 1990 (घ) 1929
उत्तर- (घ) 1929
प्रश्न 22. विश्व बैंक की स्थापना कब की गई ? (क) 1920 (ख) 1944 (ग) 1990 (घ) 1929
उत्तर- (ख) 1944
प्रश्न 23. विश्व बाजार की शुरूआत कब हुई ? (क) आधुनिक काल (ख) प्राचीन काल (ग) मध्य काल (घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर- (ख) प्राचीन काल
प्रश्न 24. किसने 1990 के बाद भूमंडलीकरण की प्रक्रिया तेज कर दिया ? (क) समाजवाद (ख) साम्यवाद (ग) पूँजीवाद (घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर- (ग) पूँजीवाद
प्रश्न 25. नकदी फसल के अन्तर्गत आते हैं – (क) चाय (ख) गन्ना (ग) कॉफी (घ) सभी