BSEB Class 8th Geography भूमि, मृदा एवं जल संसाधन | Bhumi Mrida Evam Jal Sansadhan Notes

इस पोस्‍ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 8 भूगोल के पाठ इकाई 1 (क) भूमि, मृदा एवं जल संसाधन  के अर्थ को पढ़ेंगे। Bhumi Mrida Evam Jal Sansadhan Notes, bihar board class 8th social science solutions, Bhumi Mrida Evam Jal Sansadhan mcq Questions, bhumi mrida evam jal sansadhan question answer, bhumi mrida evam jal sansadhan important questions, class 8 bihar board geography solutions, Bhumi Mrida Evam Jal Sansadhan Notes, Bhumi Mrida Evam Jal Sansadhan Notes

Bhumi Mrida Evam Jal Sansadhan Notes

इकाई 1 (क) भूमि, मृदा एवं जल संसाधन

पाठ के अन्दर आए प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1. भूमि के विविध उपयोग की चर्चा कीजिए ।

उत्तर – भूमि का प्रमुख उपयोग तो कृषि कार्य में है, जिससे सबको अन्न, सब्जी, फल- मूल प्राप्त होते हैं। वन और विभिन्न प्रकार के वृक्ष भूमि पर ही उगते या उगाये जाते हैं। सड़क मार्ग हो या रेल मार्ग — भूमि पर ही बनाये जाते हैं। हवाई जहाज उड़ते तो हवा में हैं, लेकिन हवाई अड्डा भूमि पर ही होता है। यही हाल समुद्री जहाजों का है, जो चलते तो समुद्र के पानी पर हैं, लेकिन इनके बन्दरगाह भूमि पर ही बनते हैं । कल-कारखानों का निर्माण भी भूमि पर ही होता है। आवास के लिए मकान भी भूमि पर ही बनाये जाते हैं। गाँव हो या बाजार या कस्बा चाहे शहर, नगर या महानगर — ये सभी भूमि पर ही बसते हैं। तालाब, नहर, कुआँ आदि भूमि पर ही बनते हैं । इस प्रकार हम कह सकते हैं कि सभी जीव- आदमी हो या पशु-पक्षी, सभी काजीवन जमीन सेजुड़ा है।

प्रश्न 2. नवी मुंबई का विकास कहाँ और कैसे किया गया ?

उत्तर – मुंबई से सटे एक बड़ा क्षेत्र दलदली था । प्रयासपूर्वक उसे सुखाकर ठोस भूमि बनाई गई । उसी भूमि पर नवी मुंबई का विकास हुआ है । उस भूमि को ठोस बनाने के लिए मानव श्रम का उपयोग कर पत्थर और मिट्टी से भरा गया, तब जाकर ठोस भूमि प्राप्त हुई ।

प्रश्न 3. राजस्थान के गंगा नगर क्षेत्र के विषय में आप क्या जानते हैं? उसे उपजाऊ कैसे बनाया गया ?

उत्तर – राजस्थान राज्य का गंगा नगर क्षेत्र पहले बलुई और अनुर्वर था। नदी पर बाँध बनाकर उस क्षेत्र में नहर को विकसित किया गया। इससे सिंचाई की सुविधा प्राप्त. हो गई । फल हुआ कि वह क्षेत्र काफी उपजाऊ हो गया। आज गंगा नगर क्षेत्र भारत के प्रमुख कृषि क्षेत्र में गिना जाने लगा है।

प्रश्न 4. मिट्टी को ही मृदा संसाधन कहा जाता है। क्यों? (पृष्ठ 22)

उत्तर – यह सही है कि मिट्टी को ही मृदा संसाधन कहा जाता है। लेकिन सभी मिट्टी मृदा नहीं है । धरातल के कुल सेमी ऊपरी भाग को ही मृदा कहा जाता है, जितनी गहराई तक कृषि कार्य होता है । इस अर्थ में सभी मृदा मिट्टी तो है, लेकिन सभी मिट्टी मृदा

नहीं है। मृदा के नीचे के भाग को मिट्टी कहते हैं ।

प्रश्न 5. ह्यूमस क्या है? (पृष्ठ 22)

उत्तर – पेड़-पौधों के पत्ते, मृत जन्तुओं के शरीर, सड़े-गले पदार्थ और उनके अवशेष मृदा में मिलकर ह्यूमस बनाते हैं । ह्यूमस खासतौर पर मिट्टी के सबसे ऊपर के स्तर में पाये जाते हैं। इससे मृदा उपजाऊ बनती है।

प्रश्न 6. आपके आस-पास में मिट्टी का क्या उपयोग होता है ? (पृष्ठ 23)

उत्तर – मेरे आस-पास में मिट्टी के अनेक उपयोग हैं । जैसे :

(क) घर की दीवार बनाना, (ख) छप्पर के लिये खपड़ा तथा नरिया बनाना (ग) मिट्टी के बरतन : जैसे घड़ा, सुराही, हांड़ी, ढकना और ढकनी, (घ) ईंटे बनान तथा (ङ) बच्चों के लिए खिलौने बनाना ।

प्रश्न 7. मृदा अपरदन क्या है? (पृष्ठ 26)

उत्तर –आँधी, वर्षा, बाढ़ आदि प्राकृतिक कारणों से मृदा का स्थान परिवर्तन मृत् अपरदन कहलाता है। कभी-कभी मानवीय कारक भी कारण बनते हैं ।’

प्रश्न 8. विभिन्न महासागरों में जल का वितरण दर्शाइए ।  (पृष्ठ 27)

उत्तर – विभिन्न महासागरों का जल वितरण निम्नांकित है :

(i) प्रशांत महासागर 49.9%

(ii) अटलांटिक महासागर 25.7%

(iii) हिन्द महासागर 20.5%

(iv) आर्कटिक महासागर 3.9%.

प्रश्न 9. जलचक्र क्या है ?                                      

उत्तर – महासागर का जल वाष्प बनकर बादल बनता है। कुछ वाष्प वायु में भ मिल जाता है। बादल वर्षा कर पृथ्वी पर जल बरसाते हैं और कुछ वाष्प पहाड़ों प बर्फ बन जाते हैं । बर्षा जल तथा बर्फ से बना जल नदियों में जाते हैं और नदियों वे माध्यम से पुनः समुद्र में पहुँच जाते हैं । यह चक्र सदैव चलते रहता है । इसी को जलचक्र (water cycle) कहते हैं ।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

1. बहुवैकल्पिक प्रश्न :

सही विकल्प को चुनें

1. पृथ्वी का कितना प्रतिशत हिस्सा भूमि के अंतर्गत है ? 
(क) 71
(ख) 29
(ग) 41
(घ) 46

2. विश्व में सघन जनसंख्या कहाँ मिलती है ?
(क) पहाड़ों पर
(ख) पठारों पर
(ग) मैदानों में
(घ) मरुस्थल में

3. भूमि उपयोग के कुल कितने प्रमुख वर्ग हैं ?
(क) 9
(ख) 7
(ग) 5
(घ) 3

4. मृदा में कुल कितने स्तर पाए जाते हैं ?
(क) 2
(ख) 3
(ग) 4
(घ) 7

5. समोच्चरेखीय खेती करना किसका उपाय है ?
(क) जल प्रदूषण को रोकने का
(ख) मृदा अपरदन को रोकने का
(ग) जल संकट को दूर करने का
(घ) भूमि की उर्वरता घटाने का

6. रासायनिक दृष्टि से जल किसका उपाय है ?
(क) हाइड्रोजन एवं नाइट्रोजन का
(ख) ऑक्सीजन एवं नाइट्रोजन का
(ग) हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन का
(घ) ऑक्सीजन एवं कार्बन का

7. इनमें कौन एक महासागर नहीं है ?
(क) अंटार्कटिक
(ख) आर्कटिक
(ग) हिन्द
(घ) प्रशांत

उत्तर : 1. (ख), 2. (ग), 4. (ग), 5. (ग), 6. (ख), 7.(ग), 8. (क)

2. खाली स्थानों को उपयुक्त शब्दों से पूरा करें ।

1. मृदा में जीवों के सड़े-गले अवशेषों को ……………… कहा जाता है ।

2. दक्कन क्षेत्र में ……………….. मृदा पाई जाती है ।

3. लैटेराइट मृदा का निर्माण ……………… प्रक्रिया से होता है ।

4. भूमि एक ……………….. संसाधन है ।

5. महासागरों में जल का ……………भाग पाया जाता है ।

उत्तर : 1. ह्यूमस, 2. लाल-पीली, 3. निक्षालन, 4. महत्वपूर्ण, 5. 97.3 प्रतिशत ।

(अधिकतम 50 शब्दों में)

Bhumi Mrida Evam Jal Sansadhan Notes

III. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें ।

प्रश्न 1. भूमि उपयोग से क्या समझते हैं?

उत्तर—भूमि के अनेक उपयोग हैं। भूमि पर कृषि कार्य होते हैं, जिससे हमें अन्न और सब्जियाँ प्राप्त होती हैं। बाग-बगीचे भूमि पर ही लगाए जाते हैं, जिनसे हमें फल मिलते हैं। मकान, गाँव-नगर, तालाब – नहर, कुआँ और चापाकल, सड़क मार्ग, रेल मार्ग, पाइप लाइन मार्ग, कारखाने, विद्यालय और खेलों के मैदान भूमि पर ही बनते हैं ।

प्रश्न 2. मृदा निर्माण में सहायक कारकों का उल्लेख कीजिए ।

उत्तर – मृदा निर्माण में स्थान विशेष में उपस्थित मौलिक चट्टान, क्षेत्र की जलवायु, वनस्पति, सूक्ष्म जीवाणु, क्षेत्र की ऊँचाई, ढाल तथा समय का योगदान होता है। सर्वप्रथम चट्टानें टूटती हैं। टूटे हुए कण और महीन होने की प्रक्रिया अनवरत चलती रहती है। लाखों-लाख वर्षो बाद चट्टानी टुकड़े भौतिक, रासायनिक एवं जैविक ऋतुक्षरण आदि के फलस्वरूप महीन कणों में बदल जाते हैं, जिनसे मृदा का निर्माण हो जाता है।

प्रश्न 3. भूमि उपयोग को प्रभावित करने वाले कारकों के नाम लिखिए।

उत्तर- भूमि उपयोग को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं :

(i) वन क्षेत्र की भूमि, (ii) कृषि कार्य में प्रयुक्त भूमि, (iii) परती भूमि, (iv) स्थायी चारागाह और बंजर भूमि, (v) शुद्ध बोयी गई भूमि ।

प्रश्न 4. भूमि उपयोग के पाँच वर्गों का उल्लेख कीजिए ।

उत्तर— (i) बंजर एवं व्यर्थ भूमि, (ii) सड़क, मकान और उद्योगों में प्रयुक्त भूमि, (iii) चालू परती भूमि, (iv) स्थाई चारागाह भूमि, (v) कृषि कार्य में लगी भूमि तथा (vi) खनिज संसाधनों की भूमि ।

IV. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें । (अधिकतम 200 शब्दों में)

प्रश्न 1. भूमि उपयोग क्या है ? भूमि उपयोग के विभिन्न वर्गों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए ।

उत्तर—कृषि कार्य करना, बाग-बगीचे लगाना, गाँव और शहर बसाना, तालाब, नहर और कुएँ खुदवाना, सड़क, रेल, पाइप लाईन, कारखानें आदि लगाना कार्य को भूमि उपयोग कहते हैं ।

(i) वन क्षेत्र की भूमि – वन भूमि पर ही उगते हैं और प्राकृतिक रूप से उगते, बढ़ते और फलते-फूलते हैं । जिस क्षेत्र की भूमि पर जितने ही अधिक वन होते हैं, वहाँ की जलवायु उतनी ही अनुकूल होती है ।

(ii) कृषि कार्य में उपयुक्त भूमि- कृषि कार्य भूमि पर ही किए जाते हैं। ऐसा नहीं है कि सभी अन्न या सब्जी सभी भूमि पर उग सकते हैं । कहीं की भूमि चावल के लिए उपयुक्त है तो कहीं की गेहूँ के लिए । अरहर, मसूर, मूँग, उड़द आदि सभी सर्वत्र नहीं उपज पाते। गन्ना और कपास के लिए भूमि अलग प्रकार की होती है ।

(iii) परती भूमि — गाँवों में कुछ-न-कुछ परती भूमि भी होती है। शहरों में परती के स्थान पर बड़े-बड़े मैदान होते हैं। गाँव की परती भूमि चारागाह तथा बच्चों के खेलने- कूदने के काम आती है ।

(iv) अन्य कृषि – अयोग्य भूमि – कुछ गाँवों में स्थायी चारागाह होता है, जहाँ गाँव के लोग गाय-भैंस तथा भेड़-बकरी चराते हैं । इसी कोटि में कुछ बंजर भूमि भी हैं, जिनमें चार-पाँच वर्षों पर कभी-कभार एक फसल उगाई जा सकती है ।

प्रश्न 2. मृदा निर्माण प्रक्रिया को स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर – मृदा निर्माण में स्थानीय मौलिक चट्टान, उस क्षेत्र की जलवायु, वनस्पति, सूक्ष्म जीवाणु, क्षेत्र की ऊँचाई, वहाँ की ढाल तथा वर्षा के परिमाण पर निर्भर है । सबसे पहले मौलिक चट्टानें टूटती हैं। टूटे हुए कणों के और महीन होने की प्रक्रिया सदा चलती रहती है। हजारों-लाखों वर्षों के बाद वह चट्टानी टुकड़ा भौतिक, रासायनिक और जैविक ऋतुक्षरण से महीन कणों में बदल जाता है, जो ‘मृदा’ कहलाता है। सामान्यतः एक से चार सेंटीमीटर ऊपरी मोटी तह को मृदा कहते हैं। एक बात ध्यान रखने योग्य है कि सभी मृदा मिट्टी है, किन्तु सभी मिट्टी मृदा नहीं है। मृदा केवल उसी भाग को कहते हैं, जिनमें कृषि कार्य होते हैं। मृदा के बनने में हजारों-हजार वर्ष लग जाते हैं। मृदा निर्माण को दो भागों में बाँटा गया है। (i) जैविक, और रासायनिक ऋतुक्षरण से तथा (ii) भौतिक ऋतुक्षरण

से ।

(i) जैविक एवं रासायनिक ऋतुक्षरण— पेड़-पौधों, जीव-जंतुओं, मानवीय प्रक्रियाओं तथा वर्षा जल के बहने वाली प्रक्रिया से चट्टानें टूटती, घिसती गलती रहने वाली प्रक्रियाएँ रासायनिक ऋतुक्षरण कहलाती हैं ।

(ii) भौतिक ऋतुक्षरण- तापमान का बढ़ना – घटना, तुषार की क्रिया तथा चट्टानी परतों के फैलने-सिकुड़ने से चट्टानों का टूटना भौतिक ऋतुक्षरण कहलाता है ।

मिट्टी के मुख्यतः चार स्तर होते हैं । नीचे से ऊपर क्रमशः मौलिक चट्टान, ऋतुक्षरित कण, बालू एवं पंक तथा ह्यूमस । ऊपर का ह्यूमस वाला भाग ही मृदा हैं ।

प्रश्न 3. मृदा अपरदन के कारकों का उल्लेख कर इसके बचाव हेतु उपयुक्त सुझाव दीजिए ।

उत्तर—मृदा अपरदन के तीन कारक हैं। (i) वर्षा जल, (ii) पवन तथा (iii) नदियाँ । वर्षा जल अपने साथ मृदा को बहा ले जाता है। दूसरा कारक तेज पवन मृदा को उड़ा कर एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचा देते हैं। नदियों में बाढ़ का पानी जब धीरे- धीरे नदियों में पहुँचता है, तो नदियों के तट को काटकर मिट्टी को बहा ले जाता है । ( हालाँकि बाढ़ वाली नदी अपने किनारों पर नई उपजाऊ मिट्टी फैला भी देती हैं। गंगा- ब्रह्मपुत्र के मैदान इन नदियों द्वारा बाढ़ में लाई मिट्टी द्वारा ही बने हैं ।)

पेड़-पौधे, झाड़ियों तथा घासों की जड़ें मृदा को पकड़े रहती हैं, जिससे वर्षा जल का बहाव या बूँदों की मार से मृदा कटने और बहने नहीं पाती । वास्तव में पेड़-पौधों को जड़ सहित काटने, उखाड़ने तथा घासों को छील देने के कारण वहाँ की भूमि ढीली पड़ जाती है। ऐसी ही मृदा बहकर या उड़कर अपना स्थान परिवर्तित कर लेती है । अतः यदि हम मृदा अपरदन को रोकना चाहते हैं तो पेड़ों, झाड़ियों और घासों को बिल्कुल न काटें और न उखाड़े ।

इसके अलावे पशुचारण, आकस्मिक तेज़ वर्षा, तेज पवन, अवैज्ञानिक कृषि पद्धति भी मृदा अपरदन के कारक बनते हैं । अतः इन बातों की रोकथाम का उपाय करने से मृदा अपरदन नहीं होगा ।

मृदा संरक्षण के निम्नलिखित उपाय हो सकते हैं :

(i) पर्वतीय क्षेत्रों में समोच्चरेखीयं खेतों की जुलाई की जाय ।

(ii) पर्वतीय ढलानों पर वृक्षारोपण किया जाय ।

(iii) ऐसे ढलानों पर घास छिलने या पशुचारण पर रोक लगे ।

(iv) बंजर भूमि पर घास और पेड़ लगाए जाएँ ।

(v) फसल चक्र तकनीक को निश्चय ही अपनाया जाय ।

(vi) खेती के वैज्ञानिक तरीके अपनाए जाएँ ।

(vii) रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कम हो तथा जैविक खाद का उपयोग अधिक से-अधिक हो ।

प्रश्न 4. जल प्रदूषण के कारणों का उल्लेख कर इसको दूर करने के उपारों का वर्णन कीजिए ।

उत्तर— जल प्रदूषण के अनेक कारण हैं । जैसे घरेलू कूड़ा-कर्कट को कुओं के निकट या नदियों के किनारे फेंकना। औद्योगिक कारखानों से निकले तरल अपशिष्ट पदार्थो को नदियों में गिराने से उस नदी का जल उपयोग के काबिल नहीं रहता । नगरों के सीवर तथा नालो का जल नदियों में गिरा दिया जाता है। यह प्रक्रिया पूरे देश में चल रही है । यह जल प्रदूषण का एक अति जिम्मेदार पहलू है। नदियाँ परिवहन का भी कार्य करती हैं। नांविक और यात्री उसी नदी में मल-मूत्र का त्याग करते हैं । इससे भी जल प्रदूषित होता है। गाँवों में कुओं के निकट पखानों का शौक पीट रहने से उसका दूषित जल भौम जल में मिलते रहता है, जिससे जल प्रदूषित हो जाता है ।

जल प्रदूषण को रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं

(i) वर्षा जल संग्रहण की तकनीक अपनाना ।

(ii) छत का वर्षा जल संग्रहित करना ।

(iii) जल स्रोतों के निकट गंदगी नहीं फैलाना ।

(iv) नदी तटों पर कूड़ा-कर्कट नहीं फेंका जाय ।

(v) नगर के सीवर तथा नालों के जल को संसाधित करके ही नदियों में गिराना ।

(vi) कारखाने का अपशिष्ट जल भी संसाधित कर नदियों में गिराया जाय । लोगों को चाहिए कि वे स्वयं उपरोक्त विधियाँ अपनावें तथा दूसरों को भी ऐसा ही करने को प्रेरित करें ।

प्रश्न 5. जल संकट क्या है ? जल संकट के लिए जिम्मेवार कारकों का उल्लेख कर इसे दूर करने के उपायों का विवरण दीजिए ।

उत्तर – जल प्राप्ति में दिक्कत या जल की कमी को जल संकट कहते हैं । पृथ्वी पर पीने योग्य जल की भारी कमी है। यह मात्र कुल जल का मात्र 1% से भी कम है । जितना जल है उसका भी असामान वितरण है। देश में कुछ गाँव ऐसे हैं जहाँ के लोग कई किलोमीटर दूर से जल लाते हैं । इन्हीं सब बातों को मिला-जुलाकर जल संकट कहा जाता है ।

जल संकट के कारक निम्नलिखित हैं :

जनसंख्या में अपार वृद्धि होती जा रही है। 20वीं सदी के चौथे दशक में जहाँ अविभाजित भारत की जनसंख्या जहाँ 35 करोड़ थी वहीं आज पाकिस्तान और बंगलादेश को अलग हो जाने के बावजूद भारत की जनसंख्या सवा अरब हो गई है। अब इतने लोगों को जल तो चाहिए ही चाहिए। नगरों बहुमजली इमारतें बनती जा रही हैं। सभी मंजिलों पर पानी पहुँचाने के लिए बोरिंग का सहारा लिया जा रहा है। इस कारण जल स्तर नीचे भागता जा रहा है। नगरों में जल संकट का यह भी एक कारण है। प्रदूषण के कारण भी जल उपयोग योग्य नहीं रह पाता ।

जल संकट से बचने के लिए जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगानी होगी। इसके लिए प्राकृतिक तथा कृत्रिम उपायों का सहारा लेना होगा । नगरों में भू-जल के परिपूर्णन का उपाय करना होगा। जमीन में पाइप धँसाकर वर्षा जल को उस पाइप के सहारे भूमि के अन्दर पहुँचाना पड़ेगा। इससे जल स्तर अपनी समान सीमा में बना रहेगा । जल प्रदूषण नहीं होने पावे, इस पर भी ध्यान देना होगा ।

प्रश्न 6. भारत में पाई जाने वाली मृदाओं का संक्षिप्त वर्णन कीजिए ।

उत्तर—भारत में निम्नलिखित मृदाएँ पाई जाती हैं :

(i) जलोढ़ मृदा – जलोढ़ मृदा बाढ़ वाले मैदानी भागों में मिलती है। सिंधु, गंगा तथा ब्रह्मपुत्र आदि नदियों ने उत्तर भारत के विस्तृत क्षेत्र में जलोढ़ मृदा को फैला रखा है । इसके अलावा राजस्थान तथा गुजरात में भी एक संकरी पट्टी के रूप में जलोढ़ मृदा पाई जाती है।

(ii) काली मृदा – जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है काली मृदा का रंग काला होता है । ऐसी मृदा में एल्युमीनियम एवं लौह यौगिक पाए जाते हैं । यह मृदा कपास की उपज के लिए काफी उपयुक्त होती है । इस कारण इस मृदा को काली कपासी मृदा भी कहते हैं। खासतौर पर ऐसी मृदा दक्कन पठार के लावा प्रदेशों में पाई जाती है। महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु राज्यों में भी यह पाई जाती है ।

(iii) लाल एवं पीली मृदा- लाल एवं पीली मृदा का विस्तार प्रायद्वीपीय पठार के पूर्वी एवं दक्षिणी हिस्से में ग्रेनाइट तथा नीस जैसे रवेदार आग्नेय चट्टानों के टूटने से हुआ है। खासकर ऐसी मृदा वहाँ पाई जाती है, जहाँ 100 सेमी से कम वर्षा होती है । इसमें लोहा का अंश अधिक मात्रा में रहता है, इसी कारण इसका रंग लाल रहता है । जलयोजन के बाद इसका रंग पीला हो जाता है। ऐसी मृदा का विस्तार तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, छोटानागपुर और मेघालय में है ।

(iv) लैटराइट मृदा – लैटराइट मृदा का विकास उच्च तापमान और अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में हुआ है। खासकर कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, उड़ीसा के कुछ क्षेत्रों में लैटराइट मृदा पाई जाती है। इसमें ह्यूमस की मात्रा कम होती है। अधिक तापमान के कारण अपघटक वैक्टेरिया नष्ट हो गए रहते हैं । अपक्षय के कारण यह मृदा कठोर हो जाती है । इसमें लोहा और एल्युमीनियम के आक्साइड मिले होते हैं, जिससे इसका रंग लाल होता है। यदि तकनीक का सहारा लिया जाय तो चाय, कहवा और काजू उपजाने के लिए यह मृदा उपयुक्त है ।

(v) मरुस्थलीय मृदा – ऐसी मृदा बलूई किस्म की, ह्यूमस रहित, हल्का लाल या भूरे रंग की होती है। इसका विस्तार पूर्वी राजस्थान, सौराष्ट्र, कच्छ, पश्चिम हरियाणा, दक्षिणी पंजाब तक में है। सिंचाई और उर्वरकों की व्यवस्था से ऐसी मृदा में कपास, धान, गेहूँ, तेलहन आदि की अच्छी उपज हो पाती है ।

(vi) पर्वतीय मृदा – अपने नाम के अनुरूप पर्वतीय मृदा पर्वतों और पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती है। यह मृदा जटिल और विविधता वाली होती है। ऊँचे भागों में पाई जाने वाली मृदा मोटे कणों वाली है । जहाँ अधिक वर्षा होती हैं, वहाँ वर्षा वन पाए जाते हैं सदाबहार वन निचले भागों में होते हैं। नदी घाटियों, नदी सोपानों और जलोढ़ पंखों में पर्वतीय मृदा उपजाऊ होती है, जहाँ धान, आलू आदि उपजाए जाते हैं और फलों के बगान लगाए जाते हैं ।

Bhumi Mrida Evam Jal Sansadhan Notes

Read more- Click here
You Tube – Click here

BSEB Class 8th Geography इकाई 1 संसाधन | Sansadhan Solutions and Notes

BSEB Bihar Board Social Science Book Solutions Chapter 1. Ikai Ek Sansadhan mcq questions Class 8th Solutions, Ikai Ek Sansadhan MCQ Questions, Ikai Ek Sansadhanquestion answer, Ikai Ek Sansadhan important question answer, इकाई – 1 संसाधन class 8th question answer, इकाई – 1 संसाधन mcq online test, Ikai Ek Sansadhan Notes

Sansadhan Solutions and Notes

इकाई – 1 संसाधन

पाठ के अन्दर आए प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1. संसाधन क्या है?                      (पृष्ठ 9)

उत्तर- मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने वाले सभी जीव-जंतु वस्तुएँ एवं पदार्थ — चाहे वे प्राकृतिक हो या मानव कृत — संसाधन हैं ।

प्रश्न 2. संसाधनों के मूल्य अभिव्यक्ति के क्या तरीके हैं?

उत्तर – संसाधनों के मूल्य अभिव्यक्ति के निम्नलिखित तरीके हैं :

(क) जंगल की लकड़ी से फर्नीचर बनाना ।

(ख) प्राचीन स्मारक, शैलावास, जल प्रपात जैसे स्थानों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना ।

(ग) विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों को राकेना या कम करना ।

(घ) प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षित एवं संरक्षित रखना ।

प्रश्न 3. प्रतिदिन उपयोग में आने वाले दस संसाधनों की एक सूची तैयार कीजिए । (पृष्ठ 10)

उत्तर- (i) मिट्टी, (ii) जल, (iii) हवा, (iv) सूर्य प्रकाश, (v) कोयला, (vi) लोहा के समान, (vii) चूना, (viii) सीमेन्ट, (ix) किरासन तथा (x) रसोई गैस आदि ये 10 संसाधन प्रतिदिन उपयोग में आते हैं

प्रश्न 4. मानव के अन्दर दिमागी क्षमता का विकास का स्तर कैसे प्रभावित होता है? यह क्यों आवश्यक है?        (पृष्ठ 11 )

उत्तर – मानव के अन्दर दिमागी क्षमता का विकास शिक्षा के स्तर को उच्च करने से प्रभावित होता है। यह इसलिए आवश्यक है क्योंकि राष्ट्र के विकास में शिक्षित व्यक्ति ही योगदान देने में सक्षम हो सकता है

प्रश्न 5. नवीकरणीय संसाधन की पुन: पूर्ति में कौन हस्तक्षेप करता है ? इनकी पुनः पूर्ति कैसे सम्भव है? (पृष्ठ 13)

उत्तर – जल और वन जैसे नवीकरणीय संसाधन की पुनः पूर्ति में मानव हस्तक्षेप करता है, जिससे वे पुनः प्राप्त नहीं हो पाते । यदि मानव का हस्तक्षेप कम हो जाय तो निश्चय ही इनकी पुनः पूर्ति होने लगेगी।

प्रश्न 6. समुद्र तट से कितनी दूरी तक के क्षेत्र को राष्ट्रीय सम्पत्ति मानी जाती है ? (पृष्ठ 14)

उत्तर – किसी देश के समुद्र तट से 19.2 किलोमीटर तक की दूरी तक पाए जाने वाले संसाधनों पर उस देश का अधिकार स्वीकृत है । वैसे तट से 200 किलोमीटर तक के समुद्री क्षेत्र को उस देश के अन्दर माना जाता है ।

प्रश्न 7. अफ्रीका महादेश के कुछ प्रमुख देशों की स्थिति को एटलस से पता करें । वहाँ के प्राकृतिक संसाधनों / खनिज पदार्थों का भी पता करें। (पृष्ठ 15)

उत्तर—अफ्रीका के कुछ प्रमुख देश और वहाँ की स्थिति तथा प्राकृतिक संसाधन/खनिज निम्नलिखित हैं

गायना— गायना अफ्रीका के पश्चिमी तट पर अवस्थित है। यहाँ प्राप्त होने वाला खनिज सोना है ।

सुडान – उत्तरी अफ्रीका के लगभग मध्य में सुडान स्थित है। यहाँ गोंद बहुतायद से प्राप्त होता है ।

आइबरी कोस्ट — आइबरी कोस्ट उत्तरी अफ्रीका के दक्षिण तट पर अवस्थित है । यहाँ कॉफी, खजूर तथा खजूर का तेल प्राप्त होता है ।

गॅबोन— यह मध्य अफ्रीका के पश्चिमी तट पर अवस्थित है। यहाँ मैंगनीज और यूरेनियम का भंडार है । यहाँ पेट्रोलियम भी प्राप्त होता है ।

जेर— जेर दक्षिण अफ्रीका के उत्तर में लगभग समुद्री तट पर अवस्थित है । यहाँ यूरेनियम तथा हीरे की खानें हैं।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

1. बहुवैकल्पिक प्रश्न :

सही विकल्प को चुनें :

2. इनमें से कौन एक प्राकृतिक संसाधन है ?

(क) पंचायत भवन                          (ख) विद्यालय

(ग) भूमि                                         (घ) हवाई अड्डा

3. इनमें कौन प्राकृतिक संसाधन नहीं है ?

(क) सूर्य                                      (ख) मिट्टी

(ग) जल                                      (घ) हवाई जहाज

4. केरल में पाया जानेवाला थोरियम किस प्रकार के संसाधन का उदाहरण है ?

(क) निजी                                    (ख) नवीकरणीय

(घ) अनवीकरणीय                       (ग) संभाव्य

5. संसाधन निर्माण के लिए क्या आवश्यक है ?

(क) तकनीक                              (ख) आवश्यकता

(ग) ज्ञान                                      (घ) उपर्युक्त सभी

उत्तर : 1. (ग), 2. (घ), 3. (घ), 4.⇒ (घ)।

1. खाली स्थान को उपयुक्त शब्दों से पूरा करें :

2. संसाधन के लिए मूल्य की अभिव्यक्ति ………………… प्रकार से की जाती है।

3. ………………….. संसाधन क्षेत्र के विकास के लिए आधार का काम करते हैं ।

4. राजस्थान में पाया जानेवाला ताँबा ………………………. संसाधन का उदाहरण है ।

5.  …………………….. एवं शारीरिक क्षमता मानव को संसाधन बनाने के लिए आवश्यक है।

उत्तर : 1. चार, 2. मानव, 3. प्राकृतिक, 4. शिक्षा ।

III. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें ।

प्रश्न 1. संसाधन की परिभाषा दें । (अधिकतम 50 शब्दों में)

उत्तर – मनुष्य अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए अनेक वस्तुओं का उपयोग करता है । ये उपयोगी वस्तुएँ जिन साधनों से प्राप्त किए जाते हैं वे सभी वस्तुएँ संसाधन कही जाती हैं। भोजन की सामग्री खेतों अर्थात भूमि से प्राप्त होती है । यातायात के साधनों में गदहा, घोड़ा, बैल, गाड़ी बनाने के लिए लकड़ी, लोहा आदि की आवश्यकता पड़ती है। ये सभी वस्तुएँ संसाधन हैं ।

प्रश्न 2. संसाधन का वर्गीकरण करें ।

उत्तर – संसाधन को मुख्यतः तीन रूपों में वर्गीकरण किया जाता है

(i) प्राकृतिक संसाधन, (ii) मानव संसाधन तथा (iii) मानवकृत संसाधन ।

पुनः : विभिन्न आधारों पर संसाधनों का वर्गीकरण किया जाता है। जैसे : (क) विकास एवं उपयोग के आधार पर, (ख) उत्पत्ति के आधार पर, (ग) उपलब्धता के आधार पर, (घ) वितरण के आधार पर तथा (ङ) स्वामित्व के आधार पर | स्वामित्व के आधार पर भी संसाधन तीन प्रकार के हैं : (a) निजी संसाधन, (b) राष्ट्रीय संसाधन तथा (c) अंतर्राष्ट्रीय संसाधन ।

प्रश्न 3. प्राकृतिक संसाधन का संरक्षण क्यों जरूरी है ?

उत्तर – प्राकृतिक संसाधन का संरक्षण इसलिए जरूरी है कारण कि ये असीमित नहीं हैं। इनका भंडार सीमित है । यदि ये एक बार समाप्त हो जाएँ तो पुनः प्राप्त कर पाना सम्भव नहीं है । कारण कि इनको बनने में हजारों-हजार वर्ष लग जाते हैं । फिर भी नहीं कहा जा सकता हजार-हजार वर्ष बाद भी ये प्राप्त हो सकेंगे या नहीं । अतः हमारी अगली पीढ़ी भी इनका लाभ उठा सके, अतः इनका संरक्षण नितांत जरूरी है ।

प्रश्न 4. नवीकरणीय संसाधन किसे कहा जाता है ? उदाहरण के साथ लिखें ।

उत्तर – नवीकरणीय संसाधन उन संसाधनों को कहते हैं कि इनका जितना भी उपयोग कर लिया जाय, ये पुनः प्राप्त हो जाते हैं। उदाहरण में हम (i) सौर ऊर्जा, (ii) पवन ऊर्जा, (iii) जल संसाधन, (iv) मृदा संसाधन, (v) वन संसाधन आते हैं । इनमें से किसी भी संसाधन को हम जितना भी उपयोग कर लें, ये पुनः प्राप्त हो जाएँगे। यह बात अलग है कि बादल लगा रहने पर हम सौर ऊर्जा से वंचित हो जाते हैं ।

प्रश्न 5. प्राकृतिक संसाधन के वितरण में असमानता के कारणों को लिखें ।

उत्तर – प्राकृतिक संसाधनों के वितरण में असमानता के कारण हैं भूमि की बनावट । पहाड़ों से नदियाँ निकलती हैं, जिनके जल के विभिन्न उपयोग हैं । मरुस्थल में केवल बालू ही बालू है, हालाँकि कहीं-कहीं कुछ खनिज भी मिल जाते हैं। मैदान समतल होते. हैं, जहाँ कृषि कार्य आसान होता है, जिससे हमें अन्न और सब्जी प्राप्त होते हैं । इसी प्रकार पठारों पर विविध प्रकार के खनिज पाये जाते हैं ।

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें ।

प्रश्न 1. संसाधन को परिभाषित कर उनका वर्गीकरण प्रस्तुत करें । ( अधिकतम 200 शब्दों में )

उत्तर – मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने वाले सभी जीव-जन्तु, वस्तुएँ, पदार्थ जैसे खनिज आदि संसाधन कहलाते हैं। |

संसाधन को मोटे तौर पर तीन वर्गों में रखा गया है : (1) प्राकृतिक संसाधन, (2) मानव संसाधन तथा (3) मानवकृत संसाधन ।

प्रकृति में पाये जाने वाले सभी जीव-जन्तु, वस्तुएँ एवं पदार्थ प्राकृतिक संसाधन हैं। इस दृष्टि से भूमि, जल, वन, वन्य पशु, पालतू पशु, सूर्य प्रकाश, समुद्र तथा समुद्री जीव-जन्तु सभी प्राकृतिक संसाधन हैं ।

मानव एक ऐसा संसाधन है जो संसाधनों को उपयोग के योग्य बनाता है और स्वयं उनका उपयोग भी करता है । इस अर्थ में मानव निर्माता और उपभोक्ता दोनों है । संसाधनों को उपयोगी बनाने के लिए वह अपनी बुद्धि, अपने दिमाग तथा शैक्षिक क्षमता का उपयोग करता है ।

मनुष्य प्राकृतिक संसाधनों के रूप में बदलाव कर उन्हें मानवीय उपयोग योग्य बनाता है। लोहा को ठोक – पीट कर अनेक वस्तुएँ बनाई जाती हैं। इसके लिए कोयले का उपयोग करना पड़ता है। वनों से प्राप्त लकड़ी को काट-छाँटकर अनेक प्रकार के उपयोगी फर्नीचर बनता है । यह सब मानवीय कौशल से होता है । इससे इन्हें मानवकृत संसाधन कहते हैं ।

विकास और उपयोग के आधार पर संसाधनों के दो प्रकार हैं : (i) वास्तविक संसाधन तथा (ii) संभाव्य संसाधन । ‘ वास्तविक संसाधन वे हैं जो अभी प्राप्य हैं और उनका उपयोग जारी है। संभाव्य संसाधन वे हैं, जिनके भविष्य में प्राप्ति की आशा है ।

उपलब्धता के आधार पर भी संसाधनों के दो प्रकार हैं : एक है अनवीकरणीय तथा दूसरा नवीकरणीय ।

लोहा, कोयला, पेट्रोलियम आदि अनवीकरणीय संसाधन हैं, क्योंकि एक बार समाप्त हो जाने के बाद इनकी प्राप्ति असम्भव है । नवीकरणीय पदार्थ बार-बार उपयोग के बाद भी वे पुनः प्राप्त हो जाते हैं। वन से वृक्ष काट लें तो वहाँ पुनः वे उग आते हैं या उगाए जा सकते हैं । सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा ऐसे ही संसाधन हैं ।

प्रश्न 2. प्राकृतिक संसाधन का वर्गीकरण उपयुक्त उदाहरण के साथ प्रस्तुत कीजिए ।

उत्तर – प्राकृतिक संसाधनों का वर्गीकरण हम अनेक रूपों में कर सकते हैं । जैसे : पहाड़ों पर पाये जाने वाले संसाधन । पहाड़ों पर बर्फ जमता है। ये बर्फ गलकर नदी बनाते हैं, जिनके पानी से सिंचाई कर फसल उगाते हैं। पहाड़ों के कम ऊँचाई वाले भागों में वनों की भरमार होती है, जिनकी लकड़ी का उपयोग औद्योगिक और घरेलू कामों में होता है ।

मैदानों का प्राकृतिक संसाधन मिट्टी या मृदा है। इनमें फसल उगाना आसान होता है। जमीन समतल होने से सड़क, रेल आदि का विकास आसान होता है। ये ही सब कारण हैं कि या मानवों को बंसने में सहायता मिलती है। मैदानों में ही जनघनत्व अधिक पाया जाता है। मानव संसाधन से यह क्षेत्र परिपूर्ण है ।

पठारों पर खनिज रूपी प्राकृतिक संसाधन की भरमार है। चाहे वह कोयला हो या लोहा, यूरेनियम या अभ्रख, सोना-चाँदी हो या हीरा, पठारों पर ही पाये जाते हैं

मरुस्थल में वैसे तो बालू की भरमार है, लेकिन कहीं-कहीं खनिज भी मिल जाते हैं, जैसे थार मरुस्थल में ताँबा मिलता है। मरुस्थलों में पेट्रोलियम भी प्राप्त होते हैं । मध्य एशिया तथा पश्चिम एशिया पेट्रोलियम के लिए विश्व में विख्यात हैं ।

समुद्री जल से नमक प्राप्त होता है । समुद्र में अनेक जलजीव हैं जो प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं। जैसे : मछली, शंख, मोती, मूँगा । इनके अलावे भी कुछ रत्न समुद्र से मिलते हैं, जिस कारण समुद्र को ‘रत्नाकार’ भी कहा जाता है ।

प्रश्न 3. ” संसाधन बनाए जाते हैं ।” उपयुक्त उदाहरणों के साथ स्पष्ट करें ।

उत्तर – हम निश्चित रूप से यह सकते हैं कि “संसाधन बनाये जाते हैं ।” खनिज यदि खानों में पड़ा रहता है तो उसका वहाँ कोई उपयोग नहीं है । वह उपयोगी तभी बनेगा जब उसमें मानव हाथ लगेगा। माना कि खानों से लोहा निकलते हैं । उसे गलाने के लिए कोयला भी खानों से ही मिलते हैं । इन दोनों संसाधनों के सहयोग से अनेक मानवोपयोगी वस्तुएँ बनाई जाती हैं। मकान हो या पुल, रेलगाड़ी चलाने के लिए पटरी तथा स्लीपर हर जगह लोहा की आवश्यकता होती है ।

भूमि को जोता – कोड़ा जाता है और उसमें बीज बोये जाते हैं। खाद और कीटनाशी डाले जाते हैं। फसल को काटा जाता है । दवनी की जाती है।

प्रश्न 4. संसाधन संरक्षण की आवश्यकता पर प्रकाश डालें ।

उत्तर – किसी भी दृष्टि से देखा जाय तो समझ में आता है कि संसाधनों का संरक्षण अति आवश्यक है। वह इसलिए आवश्यक है कि संसाधन सीमित हैं । उनका यदि संरक्षण नहीं किया जाए तो वे शीघ्र समाप्त हो जाएँगे। हमें वे पुनः नहीं मिल सकते । न केवल

अपने लिए बल्कि आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए भी। यदि अभी ही हम सम्पूर्ण संसाधनों का दोहन कर लें तो पृथ्वी खोखली हो जाएगी। कुछ ऐसे संसाधन हैं, जो दोबारे प्राप्त नहीं हो पाएँगे। जैसे : कोयला, लोहा, अभ्रख, ग्रेनाइट, चूना पत्थर, सीसा, बॉक्साइट, टिन, ताँबा, अल्युमिनियम, जिप्सम आदि । कोयला, चूना पत्थर तथा जिप्सम के संयोग से सीमेंट बनाया जाता है ।

वैसे मानें तो जल, वन, वन्यजीव आदि का संरक्षण भी आवश्यक है । जल को उपयोग लायक ही निकाला जाय । यदि सम्भव हो तो नहाने और कपड़ा धोने के बाद जो जल बहा दिया जाता है, उसे अगल एकत्र कर उसका उपयोग बागवानी में किया जा सकता है। लकड़ी का उपयोग तो बन्द कर देना ही अच्छा है। उसके स्थान पर लोहा तथा प्लास्टिक का उपयोग किया जा सकता है। इस प्रकार वन के वृक्ष बचे रह सकते हैं । वन्य जीव-जन्तु वन की शोभा हैं । इनको चिड़ियाँ घरों में रखा जाता है, जिससे वन क्षेत्रों से दूर रहने वाले लोग इन वन्य जीवों को देख सकें।

कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. संसाधन क्या हैं ?

उत्तर – मनुष्य के उपयोग में आनेवाली सभी वस्तुएँ ‘संसाधन’ हैं।

प्रश्न 2. संसाधन मानवोपयोगी कैसे बन जाते हैं ?

उत्तर- मानव के श्रम एवं कौशल से संसाधन उपयोगी बन जाते हैं ।

प्रश्न 3. सामान्यतः संसाधन कितने प्रकार के होते हैं? कौन -कौन ?

उत्तर – सामान्यतः संसाधन दो प्रकार के होते हैं।

(क) प्राकृतिक संसाधन तथा (ख) मानव निर्मित संसाधन |

प्रश्न 4. विकास और उपयोग के आधार पर संसाधनों को कितने वर्गों में रखा जा सकता है ?

उत्तर – दो वर्गों में : (क) वास्तविक संसाधन तथा (ख) संभाव्य संसाधन ।

प्रश्न 5. उत्पत्ति के आधार पर संसाधनों को कितने वर्गों में बाँटा जा सकता है?

उत्तर – उत्पत्ति के आधार पर संसाधनों को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है :

(क) जैव संसाधन तथा (ख) अजैव संसाधन ।

प्रश्न 6. प्राकृतिक संसाधनों को विस्तृत रूप में किन दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है ?

उत्तर- (क) नवीकरणीय संसाधन तथा (ख) अनवीकरणीय संसाधन ।

प्रश्न 7. वितरण के आधार पर संसाधन के कितने प्रकार हैं ?

उत्तर- वितरण के आधार पर संसाधनों के निम्नलिखित दो प्रकार हैं :

(क) सर्वव्यापक संसाधन तथा (ख) स्थानिक संसाधन ।

प्रश्न 8. संसाधनों का संरक्षण क्यों आवश्यक है ?

उत्तर- संसाधनों का संरक्षण इसलिए आवश्यक है ताकि वे अधिक समय तक बचे रहें ताकि हमारी भावी पीढ़ियाँ भी उनका लाभ उठा सकें ।

Read more- Click here
You Tube Click here

BSEB Class 8th Political Science Ch 8. खाद्य सुर‍क्षा| Khadya Suraksha Notes

BSEB Bihar Board Social Science Book Solutions Chapter 8. Khadya Suraksha  mcq questions Class 8th Solutions, Khadya Suraksha MCQ Questions, Khadya Suraksha question answer, Khadya Suraksha important question answer, खाद्य सुर‍क्षा class 8th question answer, खाद्य सुर‍क्षा mcq online test, Khadya Suraksha Notes. 

 

Khadya Suraksha Notes

8. खाद्य सुर‍क्षा

पाठ के अंदर आए प्रश्न तथा उनके उत्तर

(पृष्ठ  –79)

प्रश्न 1. क्या खेतों में काम करके रामू को नियमित आय होती होगी? क्या इस आय से वह पर्याप्त भोजन की व्यवस्था कर पाता.

होगा ? चर्चा करें ।

उत्तर – नहीं, खेतों में काम करके रामू को नियमित आय नहीं होती होगी । इस आय से वह अपने परिवार के लिए पर्याप्त भोजन की व्यवस्था नहीं कर पाता होगा।

प्रश्न 2. कमला की बीमारी और उसके छोटे -से बच्चे की मृत्यु का क्या कारण है ?

उत्तर – कमला की बीमारी और उसके छोटे बच्चे की मृत्यु का कारण कम भोजन का मिलना है । उसे इतना भी भोजन नहीं मिलता कि वह स्वस्थ रह सकती ।

प्रश्न 3. सोमू अपनी उम्र से छोटा क्यों दीखता है ?

उत्तर – पर्याप्त भोजन नहीं मिलने के कारण सोमू अपनी उम्र से छोटा दीखता हैं ।

प्रश्न 4. रामू और उसके परिवार को लम्बे समय तक पर्याप्त भोजन क्यों नहीं मिल पाता है ? ऐसा क्यों है कि पीढ़ी दर पीढ़ी इस परिवार के लोग कमजोर पैदा होते हैं?

उत्तर – रामू और उसके परिवार को लम्बे समय तक पर्याप्त भोजन इसलिए नहीं मिल पाता क्योंकि खेती में सालों भर काम नहीं मिलता। रामू को अब इतनी शक्ति नहीं कि वह ईंट भट्टे पर काम कर सके। आय की कमी के कारण ही रामू के परिवार को लम्बे समय तक पर्याप्त भोजन नहीं मिल पाता है। पर्याप्त भोजन नहीं मिलने अर्थात कुपोषण के कारण पीढ़ी -दर – पीढ़ी इस परिवार के लोग कमजोर पैदा होते हैं ।

प्रश्न 5. सरला जन्म से ही कमजोर क्यों है ?

उत्तर – सरला जब गर्म में थी, उस समय उसकी माँ काफी कमजोर थी । ऐसा इसलिए था कि वह वर्षों से कुपोषण का शिकार चल रही थी । फलतः वह बीमार भी रहने लगी। इसी अवस्था में जब वह चौदह वर्ष की हुई तव से अपने छोटे भाई -बहनों की देखभाल की जिम्मेदारी निभाने लगी ।

(पृष्ठ  –82 )

प्रश्न 1. किन चीजों की कमी के कारण कुपोषण होता है ?

उत्तर – शरीर के लिए आवश्यक एवं पर्याप्त आहार का लम्बे समय तक नहीं मिलने से ‘कुपोषण’ होता है ।

प्रश्न 2. कुपोषण के क्या -क्या लक्षण होते हैं ?

उत्तर  – कुपोषण के निम्नलिखित लक्षण होते हैं :

(i) शरीर की वृद्धि का रूकना, (ii) खून की कमी होना, (iii) माँसपेशियों का ढीला पड़ जाना या सिकुड़ जाना, (iv) शरीर का वजन कम हो जाना, (v) हाथ -पैर का पतला हो जाना, (vi) पेट का बड़ा हो जाना या शरीर में सूजन हो जाना, (vii) कमजोरी महसूस करना ।

प्रश्न 3. पुरुषों के मुकाबले, महिलाएँ अधिकतर कुपोषण से क्यों ग्रसित होती हैं ?

उत्तर – महिलाएँ प्रायः पहले पुरुषों और बच्चों को खिलाती हैं। बाद में बचे -खुचे भोजन को स्वयं खाती हैं । लम्बे समय तक ऐसा होने के कारण उनके शरीर में खून की कमी हो जाती है। यही कारण है कि पुरुषों के मुकावले महिलाएँ अधिकतर कुपोषण का शिकार हो जाती हैं।

प्रश्न 4. कुपोषण जैसे समस्या से निपटने के लिए हमें क्या करना चाहिए? शिक्षिका के साथ चर्चा कीजिए ।

उत्तर – कुपोषण से निपटने के लिए हमें सरकार से गुहार लगानी चाहिए। संविधान सरकारों को निर्देश देता है कि देश या राज्य में कोई कुपोषण का शिकार नहीं होने पावे । बी० पी० एल० परिवारों को निश्चित रूप से अनाज मुहैया कराना सरकार का कर्तव्य है ।

प्रश्न 5. आप अपने पड़ोस के आंगनबाड़ी केन्द्र जाकर निम्न सूचना एकत्र कर एक रिपोर्ट तैयार कीजिए ।

बच्चों एवं महिलाओं का वजन क्यों लिया जाता है ?

वहाँ लोंग किस प्रकार का आहार लेते हैं ?

  • आँगनबाड़ी केन्द्र का मुख्य उद्देश्य क्या है ? संकेत : यह परियोजना कार्य हैं। छात्र स्वयं करें ।

(83)

प्रश्न 1. अपनी शिक्षिका व अपने घर के बड़े -बूढ़ों से जानकारी इकट्ठा करके अपने आसपास की ऐसी योजनाओं के बारे में पता लगाइए जिससे लोगों को रोजगार व आय की प्राप्ति हो रही है ।

संकेत : यह आपको स्वयं करना है ।

प्रश्न 2. बेरोजगारी और कुपोषण का क्या सम्बंध है? आपस में चर्चा कीजिए ।

उत्तर – बेरोजगारी और कुपोषण में घना सम्बंध है। बेरोजगार लोग आय नहीं मिलने के कारण भोजन का सामान नहीं खरीद पाते। लगातार कुछ अवधि तक ऐसा ही होते रहने पर परिवार के लोग कुपोषण का शिकार हो जाते हैं

प्रश्न 3. लोगों को रोजगार दिलाने का दायित्व सरकार का क्यों होना चाहिए? अपने संविधान में दिए गए अधिकारों/प्रावधानों को ध्यान में रखकर इसका उत्तर दीजिए ।

उत्तर – भारतीय संविधान देश में ऐसी सरकारें गठन का आदेश देता है कि वे सामाजिक सुरक्षा की गारंटी दें। सामाजिक सुरक्षा के अन्दर यह बात भी आती है कि सबको इतना भोजन अवश्य मिले कि वह कुपोषित नहीं हो । अतः गरीबों को सरकार के खाद्य मंत्रालय से सम्पर्क करना चाहिए। वह विभाग अवश्य मदद देगा

(पृष्ठ -84)

प्रश्न 1. क्या आपके घरों में अनाज का भंडारण किया जाता है ? अगर हाँ, तो इसका क्या उद्देश्य है ?

उत्तर – हाँ, मेरे घर में तो नहीं, लेकिन बड़े जोतदार किसानों के घर में अनाज का भंडारण होता है। इसका उद्देश्य होता है कि सालों भर तक अपने घर खर्च के लिए अनाज घर में भंडारित करने के बाद शेष अनाज वे बेच देते हैं ।

प्रश्न 2. क्या आपके घरों में भी बाजार से कम मूल्य पर अनाज आता है ? यदि हाँ तो यह कैसे ?

उत्तर – नहीं, मेरे घर में बाजार से कम मूल्य पर अनाज नहीं आता । कारण कि मेरा परिवार वी. पी. एल. परिवार नहीं है ।

प्रश्न 3. सरकार बफर स्टॉक क्यों बनाती है ?

उत्तर – सरकार बफर स्टॉक इसलिए बनाती है कि बाढ़ और सूखा जैसी आपात स्थिति में भी अनाज का वितरण जारी रखा जाय । लेकिन वास्तविकता है कि यही बफर स्टॉक का अनाज सड़ता है ।

प्रश्न 4. उचित मूल्य की दुकानों तक अनाज कैसे पहुँचता है ? अपने शब्दों में लिखिए ।

उत्तर – उचित मूल्य के दुकानदान मंडी से थोक विक्रेताओं के यहाँ से खरीद कर लाते हैं । उसी अनाज को वे उचित मूल्य पर बेचते हैं । उचित मूल्य का मतलब है खरीद की दर में लाभ का अंश जोड़कर उचित दर निश्चित करना। (सार्वजनिक वितरण की दुकान और उचित मूल्य की दुकान में अंतर है 1)

(पृष्ठ  –85 )

प्रश्न 1. क्या आपने कभी इस तरह की परिस्थिति देखी है?

उत्तर – यह मेरे पढ़ने -सीखने का समय है । मुझे घरेलू कार्यों में नहीं लगाया जाता है और न पढ़ाई छोड़कर सामान खरीदने में मेरी रुचि ही है

प्रश्न 2. आपके विचार में क्या दुकानदान सच बोल रहा है?

उत्तर – नहीं, किरासन तेल के मामले में दुकानदार सच नहीं बोल रहा है। वास्तव में किरासन तेल दुकान पर आने के पहले ही काला बाजारी में चला जाता है। जनता मुँह ताकती रह जाती है ।

प्रश्न 3. क्या आपके परिवार के पास राशन कार्ड है ?.

उत्तर – पहले नहीं था। मेरे पिताजी बहुत दौड़ -धूप किये तब उन्हें राशन कार्ड मिला। हाँ. अभी मेरे परिवार में राशन कार्ड है।

प्रश्न 4. इस राशन कार्ड से आपके परिवार ने हाल में कौन -कौन सी चीज खरीदी है ?

उत्तर – अभी हाल में ही मेरे परिवार ने राशन कार्ड से गेहूँ, चावल तथा किरासन तेल खरीदा है । किरासन बहुत महीनों बाद मिला है।

प्रश्न 5. क्या आपके परिवार को राशन की चीजें लेने में कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है? उनसे पता लगाएँ ।

उत्तर – पिताजी से पूछने पर उन्होंने बताया कि राशन की चीजें लेने में कुछ समस्याओं का सामना तो करना ही पड़ता है । मेरे पिताजी कृषि मजदूर हैं। दिन भर काम में लगे रहते हैं। सुबह -शाम जब फुर्सत मिलती है तव दुकान पर जाते हैं तो दुकान बन्द रहती है। दोपहर में दुकान पर भीड़ रहती है । सामान लेने में देर लगता है ।

प्रश्न 6. आपकी समझ से राशन की दुकानें क्यों जरूरी हैं ?

उत्तर – मेरी समझ से राशन की दुकानें इसलिए जरूरी हैं कि इन दुकानों से गरीब परिवारों को अर्थात बी. पी. एल. परिवार को उचित मूल्य पर अनाज मिल जाता है। ये बातें मैं ‘सार्वजनिक वितरण’ की दुकानों के संदर्भ में लिख रहा हूँ ।

(पृष्ठ  –86 )

अपने इलाके के राशन की दुकान पर जाएँ और जानकारी प्राप्त करें :

1. राशन की दुकान कब खुलती है ?

2. वहाँ पर कौन -कौन सी चीजें बेची जाती हैं ?

3. वहाँ किस -किस तरह के कार्डधारी आते हैं ?

4. वहाँ राशन कहाँ से आता है ?

5. क्या इन दुकानों में सभी कार्डधारियों के लिए एक समान मूल्य

होता है ?

6. क्या राशन की दुकान और खुले बाजार की सामग्रियों की गुणवत्ता

एवं मूल्य में अंतर होता है ? पता लगाइए ।

7. लक्षित जन वितरण प्रणाली के अन्तर्गत ए. पी.एल., बी.पी.एल., अन्त्योदय, वृद्ध लोगों के लिए अन्नपूर्णा योजना संचालित की जाती हैं। अपनी शिक्षिका से इस विषय पर जानकारी एकत्रित कीजिए । 8. निर्धन और गैर निर्धन के लिए चीजों को अलग -अलग मूल्य रखने में, क्या कोई व्यवहारिक कठिनाई हो सकती है ? कारण सहित समझाइए ।

पृष्ठ परियोजना कार्य है। छात्र स्वयं करें ।

(पृष्ठ  –87 )

प्रश्न 1. क्या आपको लगता है कि सरकार का गरीबों का स्वास्थ्य सुरक्षित कराने का यह तरीका सही है? कारण सहित समझाइए ।

उत्तर – हाँ, मुझे लगता है कि सरकार का गरीवों का स्वास्थ्य सुरक्षित करने के लिए राशन की दुकानों से सस्ते तूल्य पर अनाज मुहैया करा रही है । इन दुकानों से गरीब अनाज लेकर बहुत हद तक अपने को कुपोषण से वंचा सकता है। कुपोषण से बचा रहकर व्यक्ति निश्चित ही, स्वस्थ रहेगा ।

प्रश्न 2. क्या ऐसा भी किया जा सकता है कि कम दामों पर खाद्य सुरक्षा सार्वजनिक रूप से सभी लोगों को उपलब्ध करायी जाये? इसके लाभ तथा नुकसान पर अपनी शिक्षिका के साथ चर्चा कीजिए ।

उत्तर – हाँ, सभी लोगों को ‘खाद्य सुरक्षा’ का लाभ कम दाम पर किया जा सकता है। लेकिन सरकार को इसमें सवसीडी देना पड़ेगा। सरकार जो सवसीडी देगी उसे कर के रूप में जनता से ही वसूलेगी। सरकार को महँगी दर पर अनाज खरीदकर सस्ती दर पर वेचना होगा। इससे सबको खाद्य सुरक्षा मुहैया होगी लेकिन सरकार को अपनी आर्थिक नीति में कुछ वदलाव करना पड़ेगा ।

प्रश्न 3. क्या कुछ लोग गलत तरीकों से अपने आप को इस रेखा के नीचे प्रमाणित करने की कोशिशें करते होंगे?

उत्तर – हाँ, कुछ लोग गलत तरीकों से अपने आपको बी. पी. एल. रेखा से अधिकाधिक नीचे रखने का प्रयास करते ही हैं । कुछ तो सफल हो जाते हैं और कुछ सफल नहीं हो पाते। इस आपाधापी में जो परिवार बी० पी० एल० का वास्तविक हकदार है, वह छूट जाता है ।

प्रश्न 4. मध्याह्न भोजन योजना क्या है ?

उत्तर – मध्याह्न भोजन योजना सरकार द्वारा उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम हैं। इसके तहत बच्चों में कुपोषण को दूर करने के लिए विद्यालय में पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाता है। जो बच्चे सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने जाते हैं, उनको दोपहर में भोजन कराया जाता है। बच्चों में कुपोषण रोकने की यह एक महत्ती योजना है।

प्रश्न 5. गरीबी रेखा से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर – सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम आर्थिक स्तर से नीचे के परिवार को गरीबी रेखा से नीचे मानती है। इस स्तर से नीचे वाले परिवारों को सरकार कम मूल्य पर अनाज मुहैया कराती है। इसमें गेहूँ और चावल दोनों रहते हैं । इस आधार पर सरकार की समझ है कि इतने अनाज से वह परिवार कुपोषण मुक्त हो जाएगा । कितनी मासिक आय वाले परिवार को गरीबी रेखा (बी.पी.एल.) से नीचे माना जाय – यह हर राज्य में अलग -अलग है। यह रेखा शहर और गाँव में अलग -अलग हैं ।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. ऐसे कौन से लोग हैं जो खाद्य असुरक्षा से सर्वाधिक ग्रस्त हो सकते हैं?

उत्तर – ऐसे वे लोग हैं, जो खाद्य असुरक्षा से सर्वाधिक ग्रस्त हो सकते हैं, जिनकी आय अनियमित है और परिवार में बच्चे अधिक हैं। कम आय और खासकर ‘अनियमित आय के कारण वे अपने परिवार के लिए उचित आहार नहीं खरीद सकते ।

प्रश्न 2. राशन की दुकान होना क्यों जरूरी है? समझाइए ।

उत्तर -‘राशन की दुकान’ से तात्पर्य ‘सार्वजनिक वितरण प्रणाली’ की राशन दुकान से हैं। इनका होना इसलिए जरूरी है, क्योंकि इसी दुकान से बी.पी.एल. परिवारों को राशन और किरासन मिलता है। सरकार इन दुकानों के ही माध्यम से सस्ते में अनाज (गेहूँ, चावल) उपलब्ध कराती है ।

प्रश्न 3. लोगों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली द्वारा खाद्य उपलब्ध कराने के अतिरिक्त खाद्य सुरक्षा के लिए और क्या -क्या उपाय किये जा सकते हैं? शिक्षक के साथ चर्चा कीजिए

उत्तर – लोगों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली द्वारा खाद्य उपलब्ध कराने. के अतिरिक्त खाद्य सुरक्षा के लिए सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से खाद्यान्न खरीदती है और उसे (F.C.I.) के गोदामों में बफर स्टॉक के रूप में सुरक्षित रखती है।

प्रश्न 4. खाद्य सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? यह सभी लोगों के लिए क्यों जरूरी है ?

उत्तर – खाद्य सुरक्षा से हम समझते हैं कि सरकार उचित मात्रा में अनाज का बफर स्टॉक रखेगी और उसे बाजार में उपलब्ध कराएगी। भले ही BPL परिवारों को सस्ता और APL परिवारों को अपेक्षाकृत महँगा खाद्यान्न मिले, लेकिन मिलना सभी को चाहिए। चाहे वह सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दूकानों से हो या उचित मूल्य की दुकानों से चाहें जैसे भी हो। सबको खाद्यान्न मिलना चाहिए। तभी ‘खाद्य सुरक्षा’ का लाभ सबको मिल सकता है ।

प्रश्न 5. कुपोषण क्या है ? कुपोषण से लोगों पर किस -किस तरह के असर पड़ते हैं ?

उत्तर – जब किसी व्यक्ति या उसके परिवार के लोगों को उचित आहार नहीं मिलता है या आहार समयानुकूल नहीं मिलने पर जो प्रभाव व्यक्ति या व्यक्तिों पर पड़ता है, उसे कुपोषण कहते हैं ।

कुपोषण से लोग कमजोर हो जाते हैं । उनके बच्चे भी कमजोर ही पैदा लेते हैं । कमजोरी से माँसपेशियाँ ढीली पड़ जाती हैं या सिकुड़ जाती हैं। थोड़ी मेहनत से ही आदमी थक जाता है। बच्चों के हाथ -पैर पतले हो जाते हैं और पेट फूल जाता है। बदन में सूजन आ जाती है। यदि जल्दी उचित आहार की व्यवस्था हो जाय तो ये असर समाप्त भी हो सकते हैं ।

प्रश्न 6. आपके क्षेत्र में सरकार द्वारा लोगों को रोजगार देने के लिए कौन -कौन सी योजनाएँ चलाई जा रही हैं? आपके विचार में इनमें से किस योजना का लाभ लोगों को सबसे अधिक हो रहा है और क्यों ?

उत्तर – गाँवों में अल्प आय वालों को रोजगार मुहैयार कराने की अनेक योजनाएँ चलाई गई । इधर हाल के वर्षों में ‘नरेगा’ कार्यक्रम चलाया गया । उसी का नाम बदलकर अब ‘महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना’ कर दिया गया है। योजना के तहत काम करने के सभी इच्छुक व्यक्तियों को वर्ष में कम -से -कम 100 दिनों का काम मुहैया कराया जाएगा, और उसकी मजदूरी सरकार द्वारा निर्धारित दर पर दिया जाएगा। ग्रामीण अपने गाँव के निकट ही काम कर सकते हैं । इस योजना से सरकार को ग्रामीण निर्धनता कम करने में कामयाबी मिल सकती है। इस रुपये से वे अपने घरेलू उपयोग के लिए अनाज खरीद सकते हैं और बहुत हद तक कुपोषण से बच सकते हैं ।

प्रश्न 7. भारत में अनाज की मात्रा पर्याप्त होने के बावजूद भी कई लोगों को भरपेट भोजन क्यों नहीं मिल पाता ? अपने शब्दों में

समझाइए ।

उत्तर यह बात सही है कि सरकारी भंडारों में अनाज ठसाठस भरा हुआ है, लेकिन लोगों को भरपेट भोजन नहीं मिलता। इसके अनेक कारण हैं । पहला कारण तो यह है कि लोगों की क्रय शक्ति कम हो गई है । कारण कि खेती में सालों भर काम नहीं मिलता। ‘मनरेगा’ योजना में काम कराकर भुगतान नहीं किया जाता । अनेक सरकारी और अर्द्धसरकारी विभागों में महीनों  – महीने कम वेतन देकर रखा जाता है । अनेक कर्मचारी तो मरते हुए या मृत पाए गए हैं। पता करने पर मालमू हुआ कि इनका वर्षों से वेतन नहीं मिला। इ प्रकार एक ओर लोगों में क्रय शक्ति की कमी और दूसरी ओर सरकार द्वार अनाज वितरण की कुव्यवस्था आदि से पर्याप्त मात्रा में अनाज रहते हुए लोगों ..को भरपेट भोजन नहीं मिलता और वे कुपोषण के शिकार होते हैं। सरकार को चाहिए कि सभी विभागों में समय पर वेतन भुगतान करें और गोदामों से सही ढंग से अनाज दुकानदारों के पास पहुँचाया जाय ।

प्रश्न 8. सार्वजनिक वितरण प्रणाली क्या है? एक उदाहरण देकर समझाइए ।

उत्तर-सरकार BPL तथा APL परिवार के लोगों को अनाज मुहैया कराने के लिए हर ग्राम पंचायत क्षेत्र में एक दुकानदार नियुक्त करती है । उसी दुकानदार को अपने गोदामों से नगद अनाज देती है और वह दुकानदार हरेक कार्डधारी को अनाज देता है। अनाज में गेहूँ और चावल की प्रमुखता रहती है। त्योहारों के समय चीनी भी दिया जा सकता है। इन दुकानदारों को किरासन तेल भी बेचना है। इसी व्यवस्था को ‘सार्वजनिक वितरण प्रणाली कहा जाता है ।

प्रश्न 9. भारत में अपनाई जाने वाली सार्वजनिक वितरण प्रणाली में किस प्रकार की समस्याएँ हैं? आपके विचार में इन्हें हल करने के लिए क्या करना चाहिए ?

उत्तर – सार्वजनिक वितरण प्रणाली के दुकानदारों को हिदायत दिया जाय कि वे दुकान को सुबह 6 बजे से 9 बजे तक तथा शाम में 5 बजे से 8 बजे रात तक खुला रखें। कारण कि मजदूरों को इसी समय फुर्सत मिलती हैं। लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाने का उपाय हो । अनाज भंडार से दुकानदारों को समयानुसार अनाज मुहैया कराते रहा जाय । भंडारों को सुरक्षित बनाया जाय कि अनाज सड़ने नहीं पावें और चूहों की पहुँच रोकी जाय ।

Read more- Click here
You Tube Click here

BSEB Class 8th Political Science Ch 7. स‍हकारिता | Sahkarita Solutions

BSEB Bihar Board Social Science Book Solutions Chapter 7. sahkarita  mcq questions Class 8th Solutions, sahkarita MCQ Questions, sahkarita question answer, sahkarita important question answer, स‍हकारिता class 8th question answer, स‍हकारिता mcq online test, Sahkarita mcq questions. 

 

 

Sahkarita Solutions

7. स‍हकारिता

पाठ के अंदर आए प्रश्न तथा उनके उत्तर

(पृष्ठ  –68 )

ऊपर दिए गए स्थान में दो ऐसे कार्यों को दर्शाएँ जो आप (1) अकेले करते हैं (2) जिसे औरों के साथ मिलकर ज्यादा आसानी से किया जा सकता है।

(पृष्ठ  –71)

प्रश्न 1. मधुरापुर में मधुरापुरा महिला दुग्ध उत्पादक सहयोग समितिबनने से पहले दूध को बेचने व खरीदने की क्या व्यवस्था थी ?

उत्तर – दूध को निकटस्थ बाजार या छोटे शहर के लोगों या चाय और मिठाई के दुकानदारों के हाथ बेचा जाता था। कभी-कभी ‘दुधिया’ लोगों के हाथ भी बेचा जाता था, जो बड़े शहर में ले जाकर बेचते थे ।

प्रश्न 2. सहकारी समिति को चलाने के लिए कार्यकारिणी क्यों बनाई जाती है ?

उत्तर – कार्यकारिणी ही सहकारी समिति का कार्य संचालन करती है । को समय पर खोलती है। आए हुए दूध की जाँच करती है । दूध नापकर दुकान उसे एकत्र करती है, और जिसका जिनता दूध रहता है उसे लिख लेती है । एकत्र सभी दूध को पटना डेयरी में पहुँचाती है। एक महीने में जितना दूध गया रहता है, उसका मूल्य प्राप्त करती है और गाँव भर के दूध उत्पादकों को उनका हिसाब जोड़कर सबको भुगतान कर देती है ।

प्रश्न 3. दुग्ध उत्पादक सहयोग समिति बनने के बाद दूध उत्पादक परिवारों की जिन्दगियों में क्या परिवर्तन आया ?

उत्तर – दुग्ध उत्पादक परिवारों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में निरंतर सुधार दिखने लगा है। अब दूध बेचने की चिंता से वे मुक्त हो गये हैं। अब उन्हें दूध खरीदने वाला निश्चित ग्राहक मिल गया है और वह भी वाजिब सरकारी दर पर ।

प्रश्न 4. क्या आपके आस -पास इस प्रकार की कोई दुग्ध समिति है ? वर्णन करें ।

उत्तर – नहीं, मेरे गाँव या गाँव के आसपास कहीं कोई दुग्ध समिति नहीं है ।

(पृष्ठ  –73  – 1)

प्रश्न 1. पैक्स के सदस्य कौन होते हैं ?

उत्तर – पैक्स का सदस्य कोई भी किसान हो सकता है। बस उसे निश्चित शुल्क देकर सदस्य बनना है और केवल एक शेयर खरीदना है। ये दोनां प्रकियाएँ पूरा होते ही वह पैक्स का सदस्य बन जाता है ।

प्रश्न 2. ऋण देने के लिए पैक्स के पास पैसा कहाँ से आता है ?

उत्तर – पैक्स के सदस्य अपनी बचत राशि पैक्स में जमा रखते हैं । उनके शेयर का रुपया एकत्र रहता है । आवश्यकतानुसार सरकार भी धन मुहैया कराती है। इन्हीं तरहों से एकत्र धन से पैक्स के पास ऋण देने के लिए पैसा आता है

प्रश्न 3. ऋण देने के अलावा पैक्स और कौन से कार्य करती है?

उत्तर – ऋण देने के अलावा पैक्स किसानां को उचित दर पर उत्तम किस्म का उर्वरक, बीज उपलब्ध कराती है। वह किसानों से उनकी उपज को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदती है। इन सब बातों से किसानों को बहुत राहत मिलती है।

प्रश्न 4. पैक्स के कारण किसानों को महाजनों के चंगुल से मुक्ति कैसे मिलती है ?

उत्तर – चूँकि पैक्स किसानों को उचित ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध करा देती है। इस प्रकार पैक्स के कारण किसानों को महाजनों के चंगुल से मुक्ति मिल जाती है। पैक्स से ऋण प्राप्त हो जाने के कारण ये महाजनों की ओर ताकते भी नहीं ।

प्रश्न 5. पैक्स द्वारा फसल खरीदने से किसानों को क्या फायदा होता है ?

उत्तर – पैक्स द्वारा फसल खरीद लेने से किसानों को यह लाभ है कि वे किसी बिचौलिये के चंगुल में नहीं फँसते । सरकार द्वारा निश्चित न्यूनतम दर पर खरीद लेने से तुरत नगद रुपया मिल जाता है। मंडी में ले जाकर औने -पौने भाव पर नहीं बेचना पड़ता ।

प्रश्न 6. पैक्स के सदस्य किस साझा उद्देश्य के लिए एकजुट होते हैं ?

उत्तर – पैक्स के सदस्य के अनेक साझा उद्देश्य होते हैं । वे हैं :

(i) उचित दर पर असली उर्वरक मिलता है।

(ii) उत्तम किस्म का बीज उपलब्ध होता है ।

(iii) आवश्यकता पड़ने पर सस्ती ब्याज दर पर ऋण मिल जाता है ।

(iv) तैयार फसल निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बिक जाते हैं ।

प्रश्न 7. सरकार कमजोर वर्गों को पैक्स में हिस्सेदारी दिलाने के लिए क्या करती है? अपनी शिक्षक/शिक्षिका के साथ चर्चा कीजिए ।

संकेत : शिक्षक/शिक्षिका से बात करें ।.

(पृष्ठ  –73  – II )

प्रश्न 1. उपभोक्ता सहकारी समिति जैसी समितियाँ क्यों बनाई जाती हैं ?

उत्तर – उपभोक्ता सहकारी समिति जैसी समितियाँ इसलिए बनाई जाती हैं ताकि थोक मंडी से उपभोग की वस्तुएँ खरीद कर उचित मूल्य पर अपने सदस्यों को उपलब्ध कराई जायँ ।

प्रश्न 2. इसके सदस्य बनने के लिए क्या अनिवार्य है ?

उत्तर – उपभोक्ता सहकारी समिति का सदस्य बनने के लिए निर्धारित शुल्क देकर सदस्य बनना पड़ता है और कम -से -कम एक शेयर खरीदना पड़ता है ।

प्रश्न 3. थोक व्यापारी या उत्पादक से अधिक मात्रा में सामग्री ख़रीदने के लिए पूँजी कहाँ से आती है ?

उत्तर – उपभोक्ता सहकारी समिति में इसके सदस्य इसमें रुपये जमा करते

हैं। शेयर खरीदते हैं और सदस्यता शुल्क देते हैं । इस प्रकार एक अच्छी पूँजी एकत्र हो जाती है। इसी पूँजी से समिति सामग्री खरीदती हैं !

प्रश्न 4. चर्चा कर पता करें -थोक व्यापारी या उत्पादक से खरीदी गई वस्तु बाजार से सस्ते मूल्य पर क्यों उपलब्ध होती है ?

  • संकेत : छात्रों को स्वयं पता करना है।

(पृष्ठ  –74 )

आपके इलाके में किस प्रकार की सहकारी समितियाँ हैं? एक सूची बनाएँ। फिर टोली बनाकर नीचे दिए गए बिन्दुओं पर इनके बारे में जानकारी ढूँढ़िये और अपनी एक रिपोर्ट बनाकर कक्षा में पेश कीजिए ।

1. आपके इलाके की सहकारी समिति के सदस्य कौन हैं ?

2. सदस्य मिलकर क्या करते हैं ?

3. इससे क्या लाभ होता है ?

4. समिति के सामने किस तरह की समस्याएँ आती हैं ? संकेत : परियोजना कार्य है। छात्र स्वयं करें ।

(पृष्ठ  –76 )

प्रश्न 1. संचित कोष की जरूरत क्यों है ?

उत्तर – संचित कोष की जरूरत इसलिए है कि इसी नीधि से समिति की बेहतरी के लिए मशीनों और उपकरणों का क्रय किया जाता है। कोई आकस्मिक आवश्यकता आ पड़ी तो व्यय किया जाता है। सदस्यों को बोनस देने एवं कल्याणकारी योजनाओं पर व्यय किया जाता है ।

प्रश्न 2. आपके अनुसार दुग्ध उत्पादक समितियाँ किस प्रकार की योजनाओं पर खर्च करती हैं ?

उत्तर – दुग्ध उत्पादक समितियों को जिन योजनाओं पर खर्च करना पड़ता है, वे हैं :

(क) दूध की गुणवत्ता जाँचने का यंत्र,

(ख) बर्तन खरीदने,

(ग) नपना खरीदने,

(घ) बर्तनों और नपना आदि की सफाई आदि पर खर्च करना पड़ता है ।

प्रश्न 3. दूधिया का काम और समिति के काम में क्या अंतर है ?

उत्तर – दूधिया केवल अपने लाभ के लिए काम करते हैं, जबकि समिति उत्पादकों के लाभ और उपभोक्ताओं को शुद्ध दूध पहुँचाने के लिए काम करती है। समिति दूध की गुणवत्ता की जाँच कर लेती है, जबकि दूधिया लोगों को इससे कोई मतलब नहीं होता।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. सहकारी समिति के सदस्य कौन होते हैं? वे मिलकर क्या करते हैं? इससे क्या लाभ होता है ?

उत्तर – सहकारी समिति के सदस्य वे लोग होते हैं, जिनके उद्देश्य को समिति के सदस्य दुग्ध उत्पादक ही हो सकते हैं। समिति के नियम पालन पूरा करने के लिए समिति का गठन किया जाता है । जैसे दुग्ध उत्पादक सहकारी करना अनिवार्य होता है । वे लोग मिलकर कार्यकारिणी समिति का गठन करते हैं । इससे उनको लाभ होता है कि उनका दूध समय पर बिक जाता है और

उन्हें उचित मूल्य मिल जाता है ।

प्रश्न 2. सहकारिता से आप क्या समझते हैं? एक उदाहरण देकर समझाइए । सहकारी समितियाँ बनने से पहले, इनसे सम्बंधित लोगों को किन -किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था ? इनके बनने के बाद, ये कठिनाइयाँ कैसे दूर हो पाईं ?

उत्तर – मिलजुलकर बराबरी के आधार पर जो उत्पादन कार्य किया जाता है, उसे ‘सहकारिता’ कहते हैं ।

उदाहरण में हम मधुरापुर के दुग्ध उत्पादकों को रख सकते हैं । वे अपना दूध औने -पौने भाव में जहाँ -तहाँ बेचा करते थे । इससे इनको अपने दूध का उचित मूल्य नहीं मिलता था ।

इन कठिनाइयों से बचने के लिए दुग्ध उत्पादकों ने मिलकर ‘मधुरापुर महिला दुग्ध उत्पादक सहयोग समिति’ नामक सहकारी समिति का गठन किया। यह समिति जिला स्तर पर वैशाली पाटलिपुत्र दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड के साथ जुड़कर अपना काम करती है । यह संघ ‘पटना डेयरी’ के नाम से प्रसिद्ध है ।

अब मधुरापुर की सहयोग समिति उत्पादकों से दूध लेकर पटना डेयरी को सुरक्षित रूप से पहुँचा देती हैं। इससे दूध उत्पादकों को हर महीने समय पर सही मूल्य मिल जाता है। इस प्रकार इनकी कठिनाइयाँ दूर हो गई हैं

प्रश्न 3. अध्याय में जिन तीन सहकारी समितियों की बात की गई है, उनमें से आप किस सहकारी समिति को सबसे अधिक उपयोगी मानते हैं और क्यों ?

उत्तर -अध्याय में जिन तीन सहकारी समितियों की चर्चा की गई हैं,

वे हैं :

(i) वैशाली  – पाटलिपुत्र दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ, (ii) सहकारी कृषि साख समिति (पैक्स) तथा (iii) उपभोक्ता सहकारी समिति । इनमें से हम वैशाली -पाटलिपुत्र दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ को अधिक उपयोगी मानते हैं।

वह इसलिए कि दूध शीघ्र खराब हो जाने वाला उत्पाद है। दूध को दूध उत्पादक किसानों से एकत्र कर पटना डेयरी में पहुँचाना एक स्तुत्य कार्य है । इससे ‘दो लाभ हैं : एक तो दूध उत्पादक किसानों को दूध बेचने की चिंता नहीं रहती ।

महीने इन्हें उचित मूल्य मिल जाता है और दूसरा कि पटना के दूध उपभोक्ताओं को शुद्ध और सस्ता दूध मिल जाता है। इसलिए यह अत्यन्त उपयोगी है।

प्रश्न 4. सहकारी समितियों के काम -काज में कौन -कौन सी मुश्किलें आती हैं? आपके विचार में इन मुश्किलों को हल करने के लिए क्या -क्या किया जा सकता है? मान लीजिए आप मधुरापुर महिला दुग्ध उत्पादन समिति के अध्यक्ष हैं। अपनी समिति को अच्छी तरह से चलाने और उसमें अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने के लिए आप क्या -क्या कोशिशें करेंगे?

उत्तर – सहकारी समितियों के काम -काज में पहली मुश्किल तो यह आती है कि कार्यकारिणी के सदस्य बैठकों में भाग नहीं लेते। इससे कोई निर्णय लेने में कठिनाई होती है। बर्तन और नपना की नित्य अच्छी तरह सफाई करनी पड़ती है । उस काम के लिए नियुक्त कर्मचारी ढंग से सफाई नहीं करते, जिससे दूध फट जाता है और समिति को घाटा उठाना पड़ता है । अध्यक्ष के नाते मुझे प्रयास करना होगा कि सदस्य बैठकों में भाग लें। कर्मचारी मन लगाकर काम करें। इससे समिति को लाभ होगा ।

 sahkarita Questions

संकेत : परियोजना कार्य है। शिक्षक/शिक्षिका की सहायता से भरें ।

Read more- Click here
You Tube Click here  

BSEB Class 8th Political Science Ch 6. न्‍याय प्रक्रिया | Nyay Prakriya Notes

BSEB Bihar Board Social Science Book Solutions Chapter 6.Nyay Prakriya mcq questions Class 8th Solutions, Nyay Prakriya MCQ Questions, Nyay Prakriya question answer, Nyay Prakriya important question answer, न्‍याय प्रक्रिया class 8th question answer, न्‍याय प्रक्रिया mcq online test, Nyay Prakriya mcq questions, Nyay Prakriya Notes 

Nyay Prakriya mcq questions

6 .न्‍याय प्रक्रिया

पाठ के अंदर आए प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न : आपके अनुसार पुलिस के क्या -क्या काम होते हैं? लिखकर या चित्र बनाकर बताइए ।

( पृष्ठ 56 )

उत्तर – पुलिस का काम होता है अपने थाना क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनाए रखना । यदि दो व्यक्तियों के बीच झगड़ा होता है या मारपीट होती है तो उसका एफ. आई. आर. दर्ज करना । जाँचकर दोषी व्यक्ति को गिरफ्तार करना। यदि मामला जमानत देने लायक रहता है तो थाने से ही जमानत दे दिया जाता है। बाद में मामला सत्र न्यायालय में भेज देता है। यदि मामला गैर जमानती है तो पुलिस गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घंटे के अन्दर उसे मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित कर देती है । मजिस्ट्रेट चाहे तो उसे जमानत दे देता है । बाद में मामला सत्र न्यायालय या फिर उच्च न्यायालय में जाता है । (पृष्ठ  –57 )

प्रश्न 1. ग्राम कचहरी ने अपना फैसला अवधेश के पक्ष में क्यों सुनाया? चर्चा कीजिए ।

उत्तर – ग्राम कचहरी ने जमीन के कागजात के आधार पर अवधेश के पक्ष में फैसला सुनाया। जमीन का मालिकाना हक कागजात से ही स्पष्ट होता है । कागज में जमीन का रकबा और चौहद्दी दी गई रहती है। इसे आसानी से स्पष्ट हो जाता है कि कौन -सी जमीन किसकी है और कितनी है ।

प्रश्न 2. क्या विनोद को अवधेश की पिटाई करनी चाहिए थी ?

उत्तर— नहीं, समाज के किसी व्यक्ति को कानून को अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं है ।

प्रश्न 3. अगर विनोद ग्राम कचहरी के फैसले से संतुष्ट नहीं था तो उसे क्या करना चाहिए था ?

उत्तर – अगर विनोद ग्राम कचहरी के फैसले से संतुष्ट नहीं था तो उसे जिले में सत्र न्यायाधीश के पास अपील दायर करनी चाहिए थी

(पृष्ठ  –59 )

प्रश्न 1. थाने में रिपोर्ट लिखवाना क्यों जरूरी है ?

उत्तर – यदि मारपीट जैसी फौजदारी घटना हुई तो इसका रिपोर्ट थाने में लिखवाना अति आवश्यक है। थाने में रिपोर्ट के आधार पर ही दारोगा जाँच करता है और मामला मजिस्ट्रेट के सुपुर्द करता है जहाँ न्याया किया जाता है ।

प्रश्न 2. अगर आपके घर में चोरी हो जाये तो आप कैसे रिपोर्ट लिखवायेंगे? विवरण लिखिये |

उत्तर – अगर मेरे घर में चोरी हो जाय तो मैं थाने में जाकर रिपोर्ट लिखवाऊँगा। जो -जो वस्तुएँ चोरी गई होंगी, उनका विवरण भी लिखवाऊँगा ।

प्रश्न 3. एफ. आई. आर की कॉपी क्यों जरूरी है ?

उत्तर – एफ. आई. आर. की कॉपी इसलिए जरूरी है, क्योंकि वही प्रमाण है, जिससे पता चलेगा कि चोरी का रिपोर्ट थाने में दर्ज कराया गया है। यह अनेक कामों में उपयोगी होता है ।

प्रश्न 4. अगर कोई थानेदार आपका एफ. आई. आर. दर्ज न करे तो आप क्या कर सकते हैं?

उत्तर – अगर थानेदार मेरा एफ. आई. आर. दर्ज नहीं करता है तो मैं जिला में सत्र न्यायाधीश के यहाँ रिपोर्ट रर्ज कराऊँगा ।

(पृष्ठ  –60)

प्रश्न 1. एफ. आई. आर० की शिकायत के मामले में पुलिस छानबीन से क्या पता लगाने की कोशिश करती है?

उत्तर – एफ. आई. आर की शिकायत के मामले में पुलिस छानबीन से यह पता लगाने का प्रयास करती है कि शिकायत सही है या गलत ।

प्रश्न 2. मामले की छानबीन के लिए पुलिस को मार -पिटाई का प्रयोग क्यों नहीं करना चाहिए?

उत्तर – मामले की छानबीन के लिए पुलिस को मार -पिटाई का प्रयोग इसलिए नहीं करना चाहिए, क्योंकि सजा देने का अधिकार पुलिस को नहीं है । पुलिस अधिक -से -अधिक यही कर सकती है कि मामले को अदालत के सुपुर्द कर सकती है ।

प्रश्न 3. किसी भी अपराधी द्वारा थाने में अपना जुर्म कबूल करने पर उसे वहीं पर ही सजा क्यों नहीं सुनाई जा सकती ?

उत्तर – थाने में जुर्म कबूल लेने के बावजूद वहीं पर उसे इसलिए सजा नहीं दी जा सकती, क्योंकि सजा देना थाना का काम नहीं है । सजा न्यायालय देता है । अतः थानेदार मामले को न्यायालय के सुपुर्द करेगा ।

प्रश्न 4. क्या छानबीन की प्रक्रिया को कोई व्यक्ति प्रभावित कर सकता है? कैसे ? आपस में चर्चा कीजिए ।

उत्तर – हाँ, छानबीन की प्रक्रिया को कोई रसूफ वाला धनी -मानी या बाहुबली या ऊपर सरकार में अपना प्रभाव रखने वाला व्यक्ति छानबीन की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है । लेकिन यह सदैव सम्भव नहीं है । कोई कड़क थानेदार किसी की बातों में नहीं भी आता ।

(पृष्ठ –61)

प्रश्न 1. जमानत का प्रावधान क्यों रखा गया है ?

उत्तर – जमानत का प्रावधान इसलिए रखा गया है कि आरोपी पर जबतक अपराध साबित नहीं हो जाता तबतक नाहक उसको जेल में क्यों रखा जाय । लेकिन छोटे -मोटे मामले में ही जमानत मिलता है। गैर जमानती मामले, जैसे – हत्या, लूट, बलात्कार आदि मामलों में जमानत नहीं मिलता ।

प्रश्न 2. इस कहानी में विनोद का जुर्म जमानती है या गैर -जमानती ?

उत्तर – इस कहानी में विनोद का जुर्म जमानती है ।

प्रश्न 3. चोरी, डकैती, कत्ल जैसे जुर्मों को गैर -जमानती क्यों माना गया है ?

उत्तर – चोरी, डकैती, कत्ल जैसे जुर्म गम्भीर जुर्म की श्रेणी में आते हैं । ऐसे जुर्म करने वालों को यदि जमानत दे दिया जाय तो ये भाग भी सकते हैं। फिर इनको पकड़ पाना कठिन होता है। इसीलिए ऐसे जुर्म को गैर-जमानती रखा गया है।

(पृष्ठ  –62 )

प्रश्न 1. आरोपी को आरोप पत्र की कॉपी मिलना क्यों जरूरी है ?

उत्तर – आरोपी को आरोप पत्र की कॉपी मिलना इसलिए जरूरी है क्योंकि उसके पास यह प्रमाण रहना चाहिए कि उसने आरोप लगाया है और क्या आरापे लगाया है ।

प्रश्न 2. किसी भी मामले में दोनों पक्षों के वकील का होना क्यों आवश्यक है ?

उत्तर – किसी भी मामले में दोनों पक्षों को वकील रखना इसलिए आवश्यक हाता है कि अदालत में कानून के आधार पर निर्णय होता है। कानून की जानकारी वकीलों को ही होती है । वे उसी आधार पर अदालत में बहस करते हैं। आरोपी पक्ष का वकील आरोप सिद्ध करना चाहता है जबकि बचाव पक्ष का वकील अपने मुवकील को निर्दोष साबित करने का प्रयास करता है

प्रश्न 3. किसी भी मुकदमे में गवाहों को पेश करना व उनसे पूछताछ करना क्यों जरूरी है ?

उत्तर – किसी भी मुदकमें में गवाहों को पेश करना और पूछताछ करना इसलिए जरूरी होता है कि गवाहों पर ही अदालत विश्वास करती है । यदि . गवाह गलत बोलता है तो बचाव पक्ष का वकील उससे क्रॉस कर यह सिद्ध करने की कोशिश करता है कि वह झूठ बोलता है । लेकिन यह अदालत पर निर्भर करता है कि वह गवाह पर कितना विश्वास करता है ।

प्रश्न 4. पुलिस और मजिस्ट्रेट के काम में क्या अंतर है ?

उत्तर – पुलिस का काम है कि आरोपी को पकड़े और उसे मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित करे । इस प्रकार स्पष्ट है कि पुलिस आरोपी को पकड़ती है और मजिस्ट्रेट न्याय करता है। कसूर के अनुसार वह आरोपी को सजा देता है । यदि आरोप सिद्ध नहीं हो तो उसे रिहाकर देता है।

(पृष्ठ  –64 )

प्रश्न 1. अपील के प्रावधान का क्या उद्देश्य है ?

उत्तर – अपील का प्रावधान इस उद्देश्य से रखा गया है कि गलती से कोई निपराधी को सजा न हो जाय। इसलिए सजा पाये व्यक्ति को यह अधिकार है कि निर्णय से असंतुष्ट हो तो वह ऊपर की अदालत में अपील कर सकता है। वहाँ कागजातों की फिर से जाँच होती है और पक्ष या विपक्ष में निर्णय दिया जाता है ।

प्रश्न 2. ऊपर की अदालतों द्वारा अपील के मामले में दिए गए फैसले नीचे की अदालत को क्यों मानने पड़ते हैं ?

उत्तर – ऊपर की अदालतें नीचे की अदालतों से अधिक शक्ति सम्पन्न होती हैं। वहाँ सावधानी पूर्वक कागजातों की जाँच की जाती है । निर्णय संविधान के प्रावधानों के विपरीत हुआ तो फैसला बदल भी जाता है और उसे नीचे की अदालत को मानना पड़ता है ।

प्रश्न 3. कई मुकदमे कई साल तक चलते हैं । ऐसा क्यों होता है ?

उत्तर – कुछ तो न्यायाधीश की ढिलाई और कुछ वकीलों की कांईयापनी के कारण भी तारीख पर तारीख पड़ते जाता है और हर तारीख पर वकीलों की आय बढ़ती जाती है । अतः वे ऐसी नीति अपनाते हैं कि मामला लम्बा खींचे।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. इस पाठ को पढ़ने के बाद क्या आपको न्यायिक प्रक्रिया निष्पक्ष लगी ? यदि हाँ तो उन बिन्दुओं की सूची बनाइए जिससे न्यायिक प्रक्रिया की निष्पक्षता पता चलती है ।

उत्तर – मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे देश में न्यायिक प्रक्रिया निष्पक्ष है । निम्नलिखित बिन्दुओं से यह सिद्ध होता है :

(i) विनोद मारपीट करता है और अवधेश का हाथ तोड़ देता है ।

(ii) अवधेश थाने में मुकदमा करता है ।

(iii) गवाहों की गवाही के आधार पर सत्र न्यायाधीश ने सजा दे दी।

(iv) उच्च न्यायालय में अपील के बावजूद विनोद की सजा बहाल रही ।

(v) विनोद को सजा मिली और अवधेश को न्याय मिला ।

प्रश्न 2. क्या न्यायिक प्रक्रिया की निष्पक्षता को प्रभावित किया जा सकता है? अपने उत्तर को कारण सहित लिखिए ।

उत्तर – नहीं, न्यायिक प्रक्रिया की निष्पक्षता को प्रभावित नहीं किया जा सकता । कारण कि एक अदालत के ऊपर भी अदालत है । न्यायाधीश को डर रहता है कि यदि गलत निर्णय दिया गया तो ऊपर की अदालत से वह निरस्त हो जाएगा । 

प्रश्न 3. पाठ के आधार पर निम्नलिखित कामों के बारे में तालिका पूरा कीजिए। आप यह भी बताइए कि न्याय दिलाने के मामले में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका किसकी है और क्यों ?

उत्तर :

दीवानी पुलिस

-प्रथम रिपोर्ट दर्ज करना

अपराधी को पकड़ना

न्यायालय के समक्ष उपस्थित करना

आरोप बताना ।

वकील

-अपने -अपने पक्ष में सबूत पेश करना व उनकी जाँच -पड़ताल करना ।

गवाह उपस्थित करना

गवाही दिलवाना

बचाव पक्ष के वकील का जिरह करना ।

न्यायाधीश

— मुकदमे को सुनना

सबकी तर्कों को सुनना और लिख लेना

अपराध निर्धारित करना

सजा देना या रिहा कर देना ।

प्रश्न 4. अध्याय में दी गई जानकारियों के आधार पर निम्न तालिका को भरिए ।

प्रश्न 5. मान लो आप एक उच्च न्यायालय में न्यायाधीश हैं । न्याय देते समय आप किन -किन बातों को ध्यान रखेंगे ?

उत्तर – उच्च न्याया के न्यायाधीश के रूप में सदा ख्याल रखूँगा कि कोई भी अपराधी सजा से बचने नहीं पाए। उसी तरह यह भी ध्यान रखूँगा कि कोई निरपराध व्यक्ति को सजा नहीं होने पाये ।

प्रश्न 6. भारत में अपनायी जाने वाली न्यायिक प्रक्रिया में क्या – क्या कमियाँ हैं ? इन कमियों को दूर करने के लिए क्या -क्या करना चाहिए?

उत्तर – भारत में अपनाई जाने वाली न्यायिक प्रक्रिया में अनेक कमियाँ हैं। लेकिन सबसे बड़ी कमी है मुकदमों का लम्बे समय तक टालते रहना ।

न्याय में इतना विलम्ब होता है कि न्याय पाने वाला कभी -कभी मृत्यु को प्राप्त हो गया रहता है । यह न्याय न मिलने जैसा हो जाता है ।

इस कमी को दूर करने के लिए यह कानून से निश्चित कर दिया जाय कि किसी मुकदमे की सुनवाई एक सीमित समय के अन्दर पूरी कर ली जाय।

कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. न्यायपालिका के कामों को मोटे तौर पर कितने भागों में बाँटा जा सकता है ?

उत्तर – न्यायपालिका के कामों को मोटे तौर पर तीन भागों में बाँटा जा सकता है :

(i) विवादों का निबटारा,

(ii) न्यायिक समीक्षा तथा

(iii) कानून की रक्षा और मौलिक अधिकारों का संरक्षण और क्रियान्वयन ।

प्रश्न 2. न्यायपालिक की स्वतंत्रता से क्या आशय है ?

उत्तर – न्यायपालिका की स्वतंत्रता से आशय है कि वह व्यवस्थापिका या कार्यपालिका दोनों के दबाव के दायरे से बाहर है।

प्रश्न 3. भारत में अदालतों की संरचना कैसी है ?

उत्तर – भारत में अदालतों की संरचना में सबसे नीचे निचली अदालतें या जिला अदालते हैं। जिला अदालतों के ऊपर प्रत्येक राज्य में उच्च न्यायालय हैं । सबसे ऊपर केन्द्र में सर्वोच्च न्यायालय है । सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली में अवस्थित है ।

प्रश्न 4. ‘अपीलकिसे कहते हैं?

उत्तर – निचली अदालतों के निर्णय से असंतुष्ट पक्ष ऊपर की अदालत में जो बाद उपस्थित करता है उसे ‘अपील’ कहते हैं।

प्रश्न 5. क्या हर व्यक्ति अदालत में जा सकता है ?

उत्तर – हाँ, नियमतः हर व्यक्ति अदालत में जा सकता है।

प्रश्न 6. जो व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह असहाय और गरीब है, वह कैसे अदालत में जा सकता है ?

उत्तर – गरीब और असहाय व्यक्तियों को न्याय दिलाने के लिए अनेक संस्थाएँ हैं जो ‘जनहित याचिका दायर कर गरीब असहायों को न्याय दिला देती हैं।

Read more- Click here
You Tube Click here

BSEB Class 8th Political Science Ch 5.न्‍यायपालिका | Nyaypalika solutions

BSEB Bihar Board Social Science Book Solutions Chapter 5. Nyaypalika mcq questions Class 8th Solutions, Nyaypalika MCQ Questions, Nyaypalika question answer, Nyaypalika important question answer, न्‍यायपालिका class 8th question answer,न्‍यायपालिका mcq online test, Nyaypalika mcq questions. 

Nyaypalika mcq questions

5.न्‍यायपालिका

पाठ के अन्दर आए हुए प्रश्न तथा उनके उत्तर

(पृष्ठ  –50 )

प्रश्न 1. आपकी समझ में कौन सही है ? गीता या उसके भाई ?

उत्तर – मेरे समझ से गीता सही है । कारण कि भारत में यह कानून बन गया है कि पैतृक सम्पत्ति में लड़का हो या लड़की-सबको बराबर -बराबर हिस्सा मिलेगा ।

प्रश्न 2. क्या ग्राम कचहरी के फैसले से दोनों पक्ष सहमत हो रहते हैं ?

उत्तर – नहीं, यह आवश्यक नहीं कि ग्राम कचहरी के फैसले से दोनों पक्ष सहमत ही हों। जो पक्ष सहमत नहीं होता वह जिला अदालत में अपील कर सकता हैं ।

(पृष्ठ  –51 )

प्रश्न 1. अदालत ने गीता के पक्ष में क्या फैसला सुनाया और क्यों ?

उत्तर – अदालत ने फैसला सुनाया कि गीता के भाइयों को अपनी पैतृकसम्पत्ति को चार भागों में बँटवारा करना होगा। उन चार भागों में एक भाग गीता को देना पड़ेगा। यह इसलिए कि भारत में हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत पिता की सम्पत्ति में बेटा हो या बेटी, सभी बराबर के हकदार हैं ।

प्रश्न 2. गीता की कहानी को पढ़ने के बाद न्याय के बारे में आपकी क्या समझ बनती है ?

उत्तर- गीता की कहानी को पढ़ने के बाद न्याय के बारे में मेरी समझ बनती है कि ग्राम कचहरियों में मुँह देखा न्याय होता है । पंच लोग किसी एक पक्ष से प्रभावित हो जाते हैं। लेकिन ऊपर की अदालतें कानून उचित न्याय करती हैं।

प्रश्न 3. जिले को अदालतों को किन -किन नामों से जाना जाता है ?

उत्तर – जिले की अदालतों को कई नामों से जाना जाता है। जैसे (i) ट्रायल कोर्ट, (ii) जिला न्यायालय, (iii) अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, (iv) सत्र न्यायिक मजिस्ट्रेट, (v) सिविल जज आदि। इन जिला न्यायालयों से ऊपर उच्च न्यायालय हैं । उच्च न्यायालयों के ऊपर दिल्ली में एक सर्वोच्च न्यायालय है ।

प्रश्न: अपने शिक्षक की सहायता से इस तालिका में दिए गए खाली स्थानों को भरिए ।

( पृष्ठ 52 )

(पृष्ठ  –53 )

प्रश्न 1. न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाये रखने के लिए क्या – क्या किया गया है ?

उत्तर – न्यायपालिका को स्वतंत्र रखने के लिए शक्तियों का बँटवारा किया गया है । विधायिका और कार्यपालिका ये दोनों न्यायपालिका के काम में हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं। इसका मतलब कि न्यायपालिका को पूर्णतः स्वतंत्र रखा गया है। उच्च न्यायालयों तथा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति सीधे सरकार के हाथ में नहीं । इन नियुक्तियों में सरकार के हाथ बँधे हुए हैं ।

प्रश्न 2. न्यायपालिका की स्वतंत्रता में किस-किस तरह की बाधाएँ आती हैं?

उत्तर – कभी-कभी लगता है धनी -मानी और बाहुबली लोग न्यायपालिका को प्रभावित करने और अपने पक्ष में फैसला कराने की कोशिश करते हैं। कुछ न्यायाधीश धन और प्रोन्नति की लालच में सरकार के पक्ष में फैसला देते हैं । सरकारी पक्ष के लोग परोक्ष रूप से महाभियोग चलाने की धौंस जमाते हैं। वे वैसे सांसद होते हैं, जो संसद को ही सर्वोपरि मानने की भूल कर बैठते हैं। वे भूल जाते हैं या जानते ही नहीं कि जनता सार्वभौम है । देश की संप्रभुता जनता के हाथ में है । ऐसे गैर जिम्मेदार सांसदों के चलते न्यायपालिका पर से जनता का भरोसा कम होने लगता है या होने की आशंका रहती है ।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. क्या आपको ऐसा लगता है कि इस तरह की नई न्यायिक व्यवस्था में एक आम नागरिक किसी भी ताकतवर या अमीर व्यक्ति के विरुद्ध मुकदमा जीत सकता है ? कारण सहित समझाइए ।

उत्तर – नई न्याय व्यवस्था से ऐसा लगता है कि आम नागरिक को ताकतवर या अमीर व्यक्ति के विरुद्ध मुकदमा जीत सकता है। कारण कि नई न्याय व्यवस्था से न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाई जा रही है। इससे न्याय शीघ्र होगा। नये न्यायाधीश अवश्य ही निस्पक्ष होंगे। दूसरी बात है कि गरीबों के लिए मुफ्त कानूनी सहायता देने की व्यवस्था की गई है। इससे ताकतवर या अमीर व्यक्ति के विरुद्ध आम नागरिक मुकदमा जीत सकता है । कुछ असामाजिक और गैर जिम्मेदार लोगों के हुड़दंग से हमें निराश नहीं होना चाहिए। जीत निरपराधी को ही मिलती है ।

प्रश्न 2. हमें न्यायपालिका की जरूरत क्यों है ?

उत्तर – हमें न्यायापालिका की ज़रूरत इसलिए है कि वह हमारे अधिकारों के हनन करने वालों से हमारी रक्षा करती है। यह बाहुबलियों तथा पुलिस की मनमानी से हमारी रक्षा करती है। सरकार भी हमें नाहक परेशान नहीं कर सकती । न्यायपालिका हमारे संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करती है।

प्रश्न 3. निचली अदालत से ऊपरी अदालत तक हमारी न्यायपालिका की संरचना एक पिरामिड जैसी है । न्यायपालिका की संरचना को पढ़ने के बाद उसका एक चित्र बनाए ।

प्रश्न 4. भारत में न्यायपालिका को स्वतंत्र बनाने के लिए क्या – क्या कदम उठाये गए हैं ?

उत्तर – भारत में न्यायपालिका को स्वतंत्र बनाने के लिए यह नियम बनाया गया है कि विधायिका या कार्यपालिका ये दोनों या इन दोनों में कोई न्यायपालिका के काम में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। कोई भी अदालत सरकार के अधीन नहीं है। उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति में सरकार का सीधा हाथ नहीं है । इसमें सर्वोच्च न्यायालय का भी हाथ होता है । 

प्रश्न 5. आपके विचार में भारत में न्याया प्राप्त करने के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा कौन -सी है ?

उत्तर – मेरे विचार से भारत में न्याय प्राप्त करने के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा है फैसला देने में देरी। मुकदमा जितना दिन लम्बा खींचेगा और जितनी अधिक तारीखें पड़ेंगी, उतना ही अधिक धन व्यय होता रहेगा। यह गरीबों के लिए अत्यन्त कष्टदायक है । व्यय से उनकी कमर टूट जाती है । यदि दूसरा पक्ष धनी और बाहुबली हो तो जल्दी न्याय पाना कठिन हो जाएगा। न्याय मिलेगा, किन्तु जमीन -जायदाद बिकवा कर ।

प्रश्न 6. अगर भारत में न्यायपालिका स्वतंत्र न हो तो नागरिकों को न्याय प्राप्त करने के लिए किन -किन मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है ?

उत्तर- अगर भारत में न्यायपालिका स्वतंत्र न हो तो नागरिकों को न्याय प्राप्त करना कठिन हो जाएगा। अमीरों को तो कोई दिक्कत नहीं होगी, लेकिन गरीब तबाह हो जाएँगे । न्याय बिकने लगेगा । वकली और दलाल मालामाल हो जाएँगे । गरीवों को न्याय मिलेगा ही नहीं । धन व्यय होगा सो अलग ।

कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. न्यायपालिका के कामों को मोटे तौर पर कितने भागों में बाँटा जा सकता है ?

उत्तर – न्यायपालिका के कामों को मोटे तौर पर तीन भागों में बाँटा जा सकता है :

(i) विवादों का निबटारा, (ii) न्यायिक समीक्षा तथा (iii) कानून की रक्षा और मौलिक अधिकारों का क्रियान्वयन ।

प्रश्न 2. न्यायपालिक की स्वतंत्रता से क्या आशय है ?

उत्तर – न्यायपालिका की स्वतंत्रता से आशय है कि वह व्यवस्थापिका या कार्यपालिका दोनों के दबाव के दायरे से बाहर है

प्रश्न 3. भारत में अदालतों की संरचना कैसी है?

उत्तर – भारत में अदालतों की संरचना में सबसे नीचे निचली अदालतें या जिला अदालते हैं। जिला अदालतों के ऊपर प्रत्येक राज्य में उच्च न्यायालय हैं। सबसे ऊपर केन्द्र में सर्वोच्च न्यायालय है। सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली में अवस्थित है ।

प्रश्न 4. ‘अपीलकिसे कहते हैं ?

उत्तर – निचली अदालतों के निर्णय से असंतुष्ट पक्ष ऊपर की अदालत में जो बाद उपस्थित करता है उसे ‘अपील’ कहते हैं ।

प्रश्न 5. क्या हर व्यक्ति अदालत में जा सकता है ?

उत्तर – हाँ, नियमतः हर व्यक्ति अदालत में जा सकता है ।

प्रश्न 6. जो व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह असहाय और गरीब है, वह कैसे अदालत में जा सकता है ?

उत्तर  – गरीब और असहाय व्यक्तियों को न्याय दिलाने के लिए अनेक संस्थाएँ हैं जो ‘जनहित याचिका दायर कर गरीब असहायों को न्याय दिला देती हैं ।

Read more- Click here
You Tube Click here  

BSEB Class 8th Political Science Ch 4. कानून की समझ | Kanoon Ki Samajh Notes

BSEB Bihar Board Social Science Book Solutions Chapter 4. Kanoon Ki Samajh Notes Class 8th Solutions, Kanoon Ki Samajh Notes , kanoon ki samajh question answer, kanoon ki samajh important question answer, कानून की समझ class 8th question answer, कानून की समझ mcq online test, Kanoon Ki Samajh mcq questions. 

Kanoon Ki Samajh mcq questions

4. कानून की समझ

पाठ के अंदर आए प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. माना कि किसी का भाई केन्द्रीय मंत्री है और वह धनी – मानी भी है । इस आधार पर उस व्यक्ति को यह अधिकार मिल जाता है कि वह किसी की हत्या कर दे और उसका भाई मंत्री उसे देश से बाहर भाग जाने में मदद करे ?

( पृष्ठ 38 )

उत्तर – नहीं, किसी व्यक्ति का भाई या कोई सम्बन्धी मंत्री ही क्यों न हो, उसे किसी की हत्या करने का अधिकार नहीं है । इस स्थिति में उसका भाई मंत्री यदि उसे देश से बाहर भाग जाने में मदद करता है तब वह मंत्री भी दोषी कहलाएगा। कानून के अनुसार उसपर भी मुकदमा चलाया जाएगा।

(पृष्ठ  – 39 )

प्रश्न 1. कानून बनाते समय संविधान की किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?

उत्तर – कानून बनाते समय संविधान के उन प्रावधानों पर ध्यान रखना चाहिए, जिस आधार पर यह कानून बन रहा हो । यदि कानून संविधान सम्मत नहीं होगा तो सर्वोच्च न्यायालय से वह निरस्त हो जाएगा ।

प्रश्न 2. पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 39 पर छोड़े गए पीले स्थान पर बाल – मजदूरी के विरुद्ध अभियान से सम्बंधित पोस्टर बनाना है ।

संकेत : छात्र स्वयं बनावें ।

(पृष्ठ  – 46 )

प्रश्न 1. अपनी शिक्षिका की मदद से कुछ ऐसे कानूनों की सूची बनाएँ जो जनता के दबाव में वापस ले लिए गए।

संकेत : अपनी शिक्षिका या अपने शिक्षक से मदद लेकर चर्चा कीजिए ।

प्रश्न 2. पता लगाइए कि हमारे देश में प्रेस की स्वतंत्रता पर क्या कभी अंकुश लगाया गया था ?

उत्तर – 1974 और 1976 के बीच हमारे देश में प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया गया था। बिहार में 1980 में ‘बिहार प्रेस बिल’ नाम से राज्य में प्रेस की स्वतंत्रता पर रोक लगी थी ।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. कानून के शासन से आप क्या समझते हैं? एक उदाहरण देकर समझाइए ।

उत्तर – जिस व्यवस्था से समाज या रामाज के समूह को शांतिपूर्ण ढंग से रहने का अधिकार मिलता है, उसे कानून कहते हैं। कानून के कारण ही समाज व्यवस्थित ढंग से जीवन व्यतीत करता है ।

उदाहरण के लिए देश के किसी भी स्थान पर जाकर नागरिकों को अधिकार है कि वे रोजी कमाएँ । कानून से ऐसी मान्यता है। नागरिकों को कहीं जाने, रोजी कमाने या कहीं बस जाने का अधिकार है । इस अधिकार में कोई अड़ंगा नहीं लगा सकता । यदि कोई ऐसा करता है तो सरकार से सजा दिलाएगी ।

प्रश्न 2. भारत में कानून बनाने की प्रक्रिया की मुख्य बातों को अपने शब्दों में लिखिए ।

उत्तर – कानून बनाने के लिए एक मसौदा बनता है, जिसे विधेयक कहते हैं। विधेयक को लोकसभा में पेश किया जाता है। उस विधेयक पर पक्ष और विपक्ष पर बहस होती है। सरकारी पक्ष विधेयक के समर्थन पर बोलते हैं, जबकि विपक्षी दल उसकी खामियों की ओर ध्यान दिलाता है। यदि संशोधन आवश्यक समझा गया तो विधेयक में संशोधन कर दिया जाता है और विधेयक पारित होता है । उस विधेयक को राज्यसभा में भेजा जाता है । वहाँ भी पक्ष – विपक्ष में बहस होती है । वहाँ से पारित विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेज दिया जाता है । राष्ट्रपति का हस्ताक्षर होता है। इसके बाद वह विधेयक कानून का रूप धारण कर लेता है ।

प्रश्न 3. आपके विचार में शिक्षा के अधिकार के कानून में किन – किन बातों को शामिल करना चाहिए और क्यों ?

उत्तर – शिक्षा के अधिकार के कानून के अन्तर्गत यह व्यवस्था होनी चाहिए कि प्राथमिक विद्यालय गाँव से एक किलोमीटर से दूर नहीं हो । कारण किइस विद्यालय में पढ़नेवाले छात्रों की उम्र 14 वर्ष से कम ही होती है। फलतः अधिक दूर चलने से बच्चे कतराते नजर आते हैं। भवन सुरक्षित और हवादार हो । जंगले बड़े हों ताकि प्रकाश मिलता रहे । अध्यापक असालतन हों । कारण कि बच्चों को क्या कैसे पढ़ाया जा रहा है, वह अच्छी तरह समझ चुका होता है । शिक्षकों को अपराह्न भोजन बनाने और खिलाने से मुक्त रखा जाय, ताकि वह पढ़ाने पर अधिक ध्यान दे सकें । सर्व शिक्षा अभियान में मुफ्त मिलने वाली पुस्तकें समय पर पहुँच जायँ। ग्राम पंचायत के मुखिया ध्यान रखें वि 14 वर्ष से कम आयु के सभी बच्चे विद्यालय जायँ ।

प्रश्न 4. अगर किसी राज्य या केन्द्र की सरकार ऐसा कोई कानून बनाती है जो लोगों की जरूरतों के अनुसार न हो, तो आम लोगों को क्या करना चाहिए ?

उत्तर – ऐसी स्थिति में लोगों को चाहिए कि वे अपने प्रतिनिधि से मिलें और उनसे अनुरोध करें कि सदन में इस बात को उठावें। इसके बाद उस कानून के विरोध में सभा करें, प्रदर्शन करें, धरना दें और इतने पर भी सरकार नहीं सुनती तो उपवास पर बैठें। यदि कोई उपाय कारगर न हों तो अगले चुनाव में अपने प्रतिनिधि को बदल दें।

प्रश्न 5. मान लीजिए आप प्रतिरोधनामक महिला संगठन के सदस्य हैं और आप बिहार राज्य में शराब बंदी पर कानून लागू करवाना चाहते हैं । इस विषय में अपने राज्य के मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन लिखिए जिसमें शराब बंदी के कानून की आवश्यकता के बारे में बताया गया हो ।

उत्तर :

सेवा में,

श्रीमान मुख्यमंत्री महोदय,

राज्य सरकार, बिहार

विषय : शराब बन्दी कानून बनवाना

मान्यवर महोदय !

सादर अनुरोध है कि बिहार राज्य में शराब बन्दी कानून बनाना और लागू करवाना आवश्यक हो गया है।

गरीब परिवारों को इससे बड़ी असुविधा हो रही है। घर का मुखिया जो भी आय अर्जित करता है उसको शराब पर व्यय कर देता है । घर में खाने का सामान नहीं खरीदता है, उल्टे रात में नशे की हालत में आता है और खाना माँगता है। मजबूरी में खाना न देने पर पत्नी को पीटता है, पत्नी ही नहीं, कभी -कभी बच्चों को भी पीट देता है । पूरा परिवार बिना कुछ खाए, निराहार सो जाता है। कारण कि घर में खाने के लिए कुछ रहता ही नहीं ।

अतः श्रीमान से सादर प्रार्थना है कि गरीबों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए शराब बंदी कानून बनवाने और यथाशीघ्र उसे लागू करवाने की कृपा करें ।

दिनांक : 19.04.2012

आपका राजीव रंजन राम

सदस्य

‘विरोध’

प्रश्न 6. अगर पटवारी के पास जमीन दर्ज करवाने का कानून न हो, तो आम लोगों को किन -किन असुविधाओं का सामना करना पड़ सकता है?

उत्तर – अगरी पटवारी (कर्मचारी) के पास जमीन दर्ज करवाने का कानून नहीं रहने पर आम लोगों को काफी असुविधा होगी। उन्हें ब्लॉक ऑफिस से लेकर जिलाधीश के कार्यालय तक नक्कर लगाना पड़ेगा। इसके बाद भी दाखिल खारीज हो सकेगा या नहीं, कहा नहीं जा सकता। आम लोगों को काफी कठिनाई होगी ।

कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. कानून का शासनपद से आप क्या समझते हैं ? अपने शब्दों में लिखिए | अपना जवाब देते हुए कानून के उल्लंघन का कोई वास्तविक या काल्पनिक उदाहरण दीजिए ।

उत्तर – ” कानून का शासन” पद एक वैधानिक अवधारणा है। इसका मतलब होता है कि देश के कानून सभी व्यक्तियों पर समान रूप से लागू होते हैं तथा देश के लोग उन कानूनों को सामान्यतः मानने को तत्पर रहते हैं । कानून को स्वभावतः मानना और बलपूर्वक उसे जनता से मनवाना, दोनों दो बातें हैं ।

भारत में स्वतंत्रता संग्राम का बिगुल फूंकते हुए सर्वप्रथम 1857 में मंगल पांडेय ने कानून का उल्लंघन किया था। 1930 में कानून का उल्लंघन दाण्डी में महात्मा गाँधी ने नमक बना कर किया था ।

वैसे देखा जाय तो आज समाज में थोक भाव में कानून का उल्लंघन होने लगा है। ट्रेन लूट, अपहरण, बलात्कार इत्यादि आम बातें हो गई हैं। लगता है कि किसी को किसी कानून का भय ही नहीं है। सरकार और शासन को चेत जाना आवश्यक है। वे अपना आचरण सुधारें और समाज में अमन -चैन कायम करने में सहायता पहुँचाएँ ।

प्रश्न 2. इतिहासकार इस दावे को गलत ठहराते हैं कि कानून का शासन अंग्रेजों ने शुरू किया था । इसके कारणों में से दो कारण बताइए ।

उत्तर – इतिहासकारों द्वारा इस दावे को गलत ठहराना कि भारत में कानून का शासन अंग्रेजों ने शुरू किया था, बहुत ठीक नहीं है। यह सही है कि आरम्भ में अपने को यहाँ स्थापित करने और जनता पर धाक जमाने के लिए कुछ वर्षों तक उन्होंने मनमाना शासन किया, लेकिन उनके ऐसे व्यवहार से थोड़ा भी कम भारत के क्षेत्रीय शासक नहीं थे। कुछ कबिलाई जाति के लोगों का काम ही था राहगीरों की हत्या कर उनका सामान लूट लेना। वैसे भी अंग्रेजों के आने से पूर्व राहजनी आम बात थी । इसी कारण लोग समूह में यात्रा करते थे। तीर्थ यात्री भी समूह में चलते थे । वास्तव में ऐसे दुष्कर्मों को बन्द किया तो अंग्रेजों ने ही वंद किया । अंग्रेजी काल में दिन हो या रात आप कभी भी, कहीं भी अकेले यात्रा कर सकते थे। रास्ते में हिंसक जानवर भले नुकसान पहुँचा सकते थे, लेकिन कोई चोर, उचक्का या वदमाश से आदमी निडर होकर यात्रा करता था। ये देनें अंग्रेजों की ही थीं । आज स्थिति फिर बिगड़ गई है। आज स्वतंत्र भारत में भी अपहरण, हत्या, लूट, वलात्कार आदि का बाजार काफी गर्म है।

प्रश्न 3. घरेलू हिंसा पर नया कानून किस तरह बना, महिला संगठनों ने इस प्रक्रिया में अलग -अलग तरीके से क्या भूमिका निभाई, उसे अपने शब्दों में लिखिए ।

उत्तर – सर्वप्रथम महिलाओं के मन में ही यह बात आई कि हिंसा-मुक्त परिवार सवके हित में है । हिंसा मुक्त परिवार के लोग ही शांतिपूर्ण जीवन जी सकते हैं। हिंसा की शिकार महिलाओं ने उन सभी स्थानों पर जाकर अपना दुखड़ा का रोना रोया । लेकिन किसी ने कोई खास रुचि नहीं दिखाई। अंततः महिलाओं को ही इसका कमान सम्भालना पड़ा। उन्होंने अपने संगठन बनाए । देश में जो भी मंच उन्हें उपलब्ध हुए, उन सभी मंचों से उन्होंने आवाज उठाई । इसका फल हुआ कि देश के अनेक वकील, कानून के विधार्थी और सामाजिक वैज्ञानिकों के संगठन ‘लायर्स कलेक्टिव’ ने देशव्यापी चर्चा की। तब जाकर घरेलू हिंसा (रोकथाम एवं सुरक्षा) विधेयक का मसौदा वना और इसे बहुतों से पढ़वाया गया। घरेलू हिंसा की परिभाषा को व्यापक रूप दिया गया। कई महिला संगठनों को और राष्ट्रीय महिला आयोग ने संसदीय स्थायी समिति को अपने सुझाव सौंपे। तत्पश्चात संसद में एक दीवानी कानून के तहत विधेयक पास कर दिया। महिलाओं ने चैन की सांस ली। यह कानून इतना महत्त्वपूर्ण था कि महिलाओं ने इसे एक नए युग के शुरूआत की संज्ञा दी ।

प्रश्न 4. अपने शब्दों में लिखिए कि इस अध्याय में आए निम्नलिखित वाक्य से आप क्या समझते हैं :

“अपनी बातों को मनवाने के लिए उन्होंने संघर्ष शुरू कर दिया । यह समानता का संघर्ष था। उनके लिए कानून का मतलब ऐसे नियम नहीं थे जिनका पालन करना उनकी मजबूरी हो। वे कानून को उससे अलग ऐसी व्यवस्था के रूप में देखना चाहते थे जो न्याय के विचार पर आधारित हो ।’

उत्तर – प्रश्न में दिए गए अंश से मैं यही समझता हूँ कि अंग्रेजों के मनमाने कानून से भारतीय ऊब गए थे। उन्होंने ऐसे कानूनों का विरोध करना आरम्भ किया। इसके लिए उन्हें संघर्ष का रास्ता अपनाना पड़ा। यह संघर्ष कोई मामूली नहीं था, बल्कि देशव्यापी और समानता पर आधारित था । वास्तव में भारतीय कोई ऐसा कानून नहीं चाहते थे जिसे किसी पर लादा हुआ कानून जैसा लगे वास्तव में वे ऐसे कानून की आवश्यकता महसूस करते थे जो न्याय की दृष्टि से भी वाजिब समझा जाय ।

प्रश्न 5. भारतीय संविधान में सबसे महत्त्व प्रावधान आप किस प्रावधान को समझते हैं?

उत्तर – भारतीय संविधान में सबसे महत्त्वपूर्ण प्रावधान यह प्रावधान है कि स्वतंत्र भारत में सभी लोग कानून की नज़र में बराबर समझे जाते हैं।

प्रश्न 6. संसद के किसी कानून पर दोबारा विचार कब करना पड़ता है ?

उत्तर – कभी-कभी शीघ्रता में कोई ऐसा कानून पास हो जाता है जिसकी देश में आलोचना होने लगती है । इन आलोचनाओं द्वारा जब संसद पर भारी दबाव पड़ता है तो उसे उस कानून पर दोबारा विचार करना पड़ता है।

 

Read more- Click here
You Tube Click here  

BSEB Class 8th Political Science Ch 3. संसदीय सरकार | Sansadiya Sarkar Notes

BSEB Bihar Board Social Science Book Solutions Chapter 3. Sansadiya Sarkar Notes Class 8th Solutions, Sansadiya Sarkar MCQ Questions.  

Sansadiya Sarkar mcq questions

3. संसदीय सरकार (लोग व उनके प्रतिनिधि)

पाठ के अंदर आए प्रश्न तथा उनके उत्तर

( पृष्ठ  –28 )

1. सही विकल्प चुनें :

प्रश्न 1. प्रतिनिधि का अर्थ

(अ) लोगों द्वारा किसी क्षेत्र से चुना गया व्यक्ति

(ब) सरकार द्वारा किसी क्षेत्र से चुना गया व्यक्ति

(स) उस क्षेत्र का जाना -माना व्यक्ति

प्रश्न 2. राज्य विधानसभा के लिए चुने गए व्यक्ति को क्या कहते हैं ?

(अ) वार्ड पंच

(ब) थानेदार

(स) विधायक

उत्तर—  1. (अ), 2. (स) ।

प्रश्न 1. संसदीय सरकार में आम लोगों की भागीदारी किस तरह से होती है?

उत्तर – चूँकि भारत के आम लोगों में ही ‘संप्रभुता’ नीहित है । अतः इन्हीं के द्वारा निर्वाचित व्यक्ति सांसद चुने जाते हैं और वे ही सरकार चलाते हैं । इसीलिए कहा जाता है कि ‘संसदीय सरकार चलाने में आम लोगों की भागीदारी होती है । ‘

प्रश्न 2. प्रतिनिधियों को आम लोगों के साथ सीधा संपर्क रखना क्यों जरूरी होता है?

उत्तर – चूँकि प्रतिनिधि उन्हीं आमलोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं, अतः उनकी आवश्यकताओं को सुनने -समझने के लिए प्रतिनिधियों को उनसे सम्पर्क बनाये रखना जरूरी होता है। कुछ सांसदों को गलतफहमी हो जाती है कि चुनाव जीतने के बाद वे सर्वेसर्वा हो गए । वास्तव में सही यह है कि सर्वेसर्वा तो जनता है, जिनके तहत भारत की संप्रभुता निवास करती है । अत: प्रतिनिधियों को लोगों से मिलते -जुलते रहना ही चाहिए ।

प्रश्न 3. प्रतिनिधियों का चुनाव निश्चित समय के लिए ही क्यों किया जाता है ?

उत्तर – प्रतिनिधियों का चुनाव एक निश्चित समय या कहें कि सीमित समय के लिए इसलिए किया जाता है कि अधिक समय तक यदि वे रह जाएँगे तो आशंका है कि वे निरंकुश हो जाएँ। पाँच वर्षो में ही तो चुनाव जीतने के बाद उनका अंदाज बदल जाता है और अपने को राजा और जनता को प्रजा समझने लगते हैं। अपने को सर्वोपरि मानने लगते हैं। एक सीमित अवधि के लिए चुनाव होने से पुनः चुनाव होने पर यदि उनका काम अच्छा रहा तो उन्हें चुना जाएगा, वरना किसी अन्य को चुन लिया जाएगा ।

प्रश्न 4. क्या आम लोगों की भागीदारी प्रतिनिधियों के चुनाव तक ही सीमित होती है ?

उत्तर – नहीं, आमलोगों की भागीदारी प्रतिनिधियों के चुनाव तक ही सीमित नहीं होती। यदि प्रतिनिधि निरंकुशता करते हैं । जनहित में काम नहीं करते हैं तो सभा कर, प्रदर्शन कर, हड़ताल कर प्रतिनिधियों पर दबाव बनाया जा सकता है और उनको सही राह पर चलने के लिए बाध्य किया जा सकता है

प्रश्न 5. प्रतिनिधि का चुनाव क्यों जरूरी है ? शिक्षक के साथ चर्चा कीजिए ।

उत्तर – प्रतिनिधि का चुनाव इसलिए जरूरी है क्योंकि देश बड़ा है, जनसंख्या अधिक है; जिस कारण सभी एक स्थान पर एकत्र नहीं हो सकते । अतः हर निर्वाचन क्षेत्र के लोग सदन में अपने स्वयं नहीं बैठकर अपने स्थान पर अपना एक ‘प्रतिनिधि’ चुनते हैं । उस प्रतिनिधि के बोलने का अर्थ है कि उस क्षेत्र की सभी जनता बोल रही है ।

(पृष्ठ  –30 )

प्रश्न 1. बिहार के प्रमुख शहरों के चुनाव क्षेत्रों को पहचानकर उसके निर्वाचित प्रतिनिधियों के नाम बताइए ।

संकेत : छात्र अपने  – अपने शहरों के अनुसार नाम लिखें ।

प्रश्न 2. आपके सांसद का क्या नाम है ? वे किस निर्वाचन क्षेत्र चुने गए हैं?

उत्तर -मरे सांसद का नाम माननीय संजय जायसवाल है। वे बेतिया चिन क्षेत्र से चुने गए हैं।

प्रश्न 3. पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 30 पर दिए गए नक्शे को अलग – अलग रंगों से दिखाने का प्रयास क्यों किया गया है ?

उत्तर – नक्शे में अलग -अलग लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों को दिखाने का प्रयास किया गया है। खासकर गोपालगंज, सासाराम, गया और जमुई लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों को प्रमुखता दी गई है ।

प्रश्न 4. बिहार के मुख्य राजनैतिक दलों के नाम पता कीजिए ।

उत्तर – बिहार के मुख्य राजनीतिक दलों के नाम हैं

(क) जनता दल (यूनाइटेड),

(ख) भारतीय जनता पार्टी,

(ग) राष्ट्रीय जनता दल तथा

(घ) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ।

नोट : यह बिहार विधानसभा में संख्या के अनुसार अधिक विधायकों के घटते क्रम के अनुसार लिखा गया है।

प्रश्न 5. किसी भी राजनैतिक दल को आसानी से कैसे पहचाना जा सकता है ?

उत्तर – किसी भी राजनीतिक दल को आसानी से पहचानने के लिए उसके चुनाव चिह्न से पहचाना जा सकता है।

प्रश्न 6. राजनैतिक दलों का मुख्य काम क्या होता है ?

उत्तर – राजनैतिक दलों का मुख्य काम है कि वे :

(i) जनता को राजनीतिक रूप से शिक्षित करें ।

(ii) उन्हें मतदान का महत्व समझावें ।

(iii) चुनावों में किसी लोकप्रिय सदस्य को उम्मीवार बनाएँ ।

(iv) चुनाव जीतने के बाद यदि दल बहुमत में आता है तो सरकार बनावें यदि बहुमत में नहीं है तो विरोधी दल के रूप में सराकर पर अंकुश रखें ।

राष्ट्रपति के निर्वाचन की एक लम्बी प्रक्रियां है। निर्वाचन में लोकसभा, राज्यसभा तथा देश की सभी विधायिकाओं के सदस्य मतदान करते हैं । राज्य की विधायिकाओं के सदस्यों के मतों का मूल्य अलग -अलग होता है। जितने उम्मीदवार होते हैं, सब को प्रमुखता के आधार पर मत देना पड़ता है। अधिक संख्या में प्रथम मत प्राप्त उम्मीदवार ही विजयी होता है।

(पृष्ठ  –33 )

प्रश्न 1. आठवीं लोकसभा चुनावों में किस राजनैतिक दल को सबसे अधिक सीटें प्राप्त हुईं?

उत्तर – आठवीं लोकसभा में सबसे अधिक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 408 सीटें मिली थी।

प्रश्न 2. किस दल को सबसे कम सीटें प्राप्त हुईं?

उत्तर – सबसे कम भारतीय जनता पार्टी को 2 सीटें मिली थी।

(पृष्ठ  –34 )

प्रश्न 1. तेरहवीं लोकसभा चुनाव में कौन -सा दल सबसे बड़े दल के रूप में उभर कर सामने आया ?

उत्तर – तेरहवीं लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 182 सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के रूप में उभरकर सामने आई ।

प्रश्न 2. सबसे बड़ा दल होते हुए भी वह पार्टी अकेले सरकार क्यों नहीं बना सकी ?

उत्तर – सबसे बड़ा दल होते हुए भी वह अकेले सरकार इसलिए नहीं बना सकी क्योंकि अकेले वह बहुमत में नहीं थी। कई दलों को मिलाकर उसे बहुमत बनाना पड़ा, और वह गठबंधन सरकार बना सकी ।

प्रश्न 3. जो गठबंधन सरकार बनाई गई, उस गठबंधन का क्या नाम था ?

उत्तर – उस गठबंधन सरकार का नाम था : एन. डी० ए०

प्रश्न 4. आपकी समझ में क्या बहुमत को सरकार बनाने का आधार रखना चाहिए? कारण सहित समझाइए ।

उत्तर – मेरी समझ से निश्चित ही बहुमत ही सरकार बनाने का आधार रखना चाहिए। वास्तव में बहुमत ही लोकतंत्र की आधारशिला है। चाहे अनेक दलों की सरकार ही क्यों न हो, सभी निर्णय बहुमत से होने चाहिए। तभी लोकतंत्र का सही फल प्राप्त हो सकेगा

प्रश्न 5. क्या इस तरह के गठबंधन से बनी सरकार शक्तिशाली सरकार हो सकती है? कारण सहित समझाइए ।

उत्तर – यदि प्रधानमंत्री बुद्धिमान और राजनीतिक सूझ -बूझ वाला हो तो हम कह सकते हैं गठबंधन सरकार भी शक्तिशाली सरकार बना सकती है । उदाहरण में एन. डी. ए. की सरकार बहुत मजबूत थी, जिसके प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे। तब निश्चित अवधि से एक -डेढ़ वर्ष अधिक ही समय तक वह सरकार चली । इधर उसके बाद बनी ‘यूपीए 1’ गठबंधन की सरकार भी ठीक -ठाक ही रही, लेकिन यू. पी. ए. 2 की सरकार बेहद कमजोर है। आये दिन कोई भी गठबंधन की पार्टी आँखें दिखाती हैं और निर्णय बदलना पड़ता है। गठबंधन दलों के सदस्यों ने खुलकर लूट -पाट मचाया और प्रधानमंत्री चुपचाप देखते रहने को मजबूर रहे । प्रधानमंत्री को तो यहाँ तक कहना पड़ा कि गठबंधन सरकारों की कुछ मजबूरियाँ होती है। अतः गठबंधन की सरकारों सदा मजबूत ही होंगी  – यह नहीं कहा जा सकता ।

(पृष्ठ  –35 )

प्रश्न 1. राष्ट्रपति किस व्यक्ति को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है ?

उत्तर – राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है

प्रश्न 2. क्या प्रधानमंत्री अपनी मर्जी से अपने मंत्रिपरिषद में सहयोगियों को ले सकते हैं ? शिक्षिका की मदद से चर्चा कीजिए ।

उत्तर – सही नियम यही है कि प्रधानमंत्री अपनी मंत्रिपरिषद में अपनी पसन्द के सहयोगियों को लेना चाहिए । लेकिन गठबंधन की सरकारों में वह संवैधानिक नियम ताक पर रख दिया गया है। सहयोगी दल जब चाहें तब मंत्री बदलवा देते हैं । यह प्रधानमंत्री के अधिकार पर भारी कुठाराघात है । यदि सम्मान प्रिय प्रधानमंत्री होगा तो ऐसी स्थिति में त्यागपत्र दे देगा |

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. हमारे यहाँ 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को वोट देने का अधिकार है । आपकी समझ से क्या यह ठीक है ?

उत्तर – हमारे देश में यह माना गया है कि 18 वर्ष या इसके ऊपर आयु के युवक बालिक हो जाते हैं । अतः बालिग मताधिकार कानून के अनुसार 18 वर्ष तक के युवकों को वोट देने का अधिकार देना पूर्णतः ठीक है । इससे देश के अधिक -से -अधिक युवकों को अपनी राजनीतिक सोंच बनाने में मदद मिलती है । अतः यह देशहित में ही है ।

प्रश्न 2. लोकसभा जनभावनाओं और जनता की अपेक्षाओं की अभिव्यक्ति का मंच है । क्या आप इस वाक्य से सहमत हैं ? कारण सहित समझाइए ।

उत्तर – यह कथन पूर्णतः सही है कि लोकसभा जनभावनाओं और जनता की अपेक्षाओं की अभिव्यक्ति का मंच है। संविधान भी यही कहता है और सुनने में भी अच्छा लगता है, लेकिन ऐसा होता नहीं है । जनता द्वारा चुने गए सदस्य सदन में जाकर अपनी जनता को भूल जाते हैं और उनकी पार्टी जो कहती है, वही वे बोलते हैं । कभी -कभी समयानुकूल अपने क्षेत्र के लोगों की आवश्यकताओं को भी उठा देते हैं ।

प्रश्न 3. लोकतांत्रिक शासन में आम लोगों की भागीदारी किस तरह से होती है? एक उदाहरण देकर समझाइए ।

उत्तर – लोकतांत्रिक शासन में आमलोगों की भागीदारी उनके द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से होती है। मान लीजिए कि छपरा लोकसभा का एक निर्वाचन क्षेत्र है । वहाँ के लोग निर्वाचन आयोग द्वारा निश्चित दिन को वोट देकर बहुमत से एक प्रतिनिधि चुनते हैं । वही प्रतिनिधि छपरा वालों की ओर से लोकसभा में बोलेगा । इस प्रकार छपरा लोकसभा क्षेत्र के लोगों

की भागीदारी हो जाती है।

प्रश्न 4. केन्द्र में सरकार बनाने के लिए किसी भी दल या दलों के गठबंधन के पास होने वाले आवश्यक बहुमत का क्या अर्थ है ? एक उदाहरण देकर समझाइए ।

उत्तर – केन्द्र में सरकार बनाने के लिए दल या दलों के गठबंधन के पास लोकसभा के कुल संसद सदस्यों के आधे से अधिकसदस्यों का समर्थन होना आवश्यक बहुमत है। माना हमारे लोकसभा के कुल सदस्यों की संख्या 543 है। अतः किसी दल या दलों के गठबंधन को कुल मिलाकर आधा से अधिक अर्थात कम -से -कम 247 सदस्यों का होना अनिवार्य है । यह तो हुई न्यूनतम सीमा, लेकिन इससे 10 -5 अधिक हों तो अच्छा । कारण कि इन्हीं में से एक सदस्य को अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष चुनना पड़ता है ।

प्रश्न 5: संसद मंत्रिपरिषद पर किन -किन तरीकों से नियंत्रण करती है ? इनमें से आपके कौन सा तरीका सबसे असरदार लगता है और क्यों ?

उत्तर – संसद मंत्रिपरिषद पर कई तरीकों से नियंत्रण करती है । जैसे :

(i) प्रश्न पूछकर, (ii) सरकारी नीतियों की आलोचना कर, (iii) कार्यक्रमों में तथा (iv) अविश्वास का प्रस्ताव लाकर । लेकिन अविश्वास का प्रस्ताव अंतिम हथियार है। बार -बार इसका उपयोग उचित नहीं होता। सदन का बहिष्कार भी एक तरीका है। सबसे अच्छा तरीका मैं प्रश्न पूछना ही मानता हूँ । इससे लाभ है कि क्षेत्र विशेष की कमी जल्दी पूरी हो जाने की आशा की जाती है ।

प्रश्न 6. संसद के मुख्य कार्य कौन -कौन से हैं। अपने शब्दों में लिखिए ।

उत्तर – संसद के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं. :

(i) विधायी कार्य, (ii) वित्तीय कार्य तथा (iii) सरकार पर नियंत्रण रखना । (i) विधायी कार्य – संसद सम्पूर्ण देश या देश के किसी राज्य के लिए कानून बनाती है ।

(ii) वित्तीय कार्य — सरकार के कार्य संचालन के लिए धन की आवश्यकता पड़ती है । संसद अपने विधायी शक्तियों से ही धन की व्यवस्था करती है।

(iii) सरकार पर नियंत्रण रखना – संसद का काम है कि सरकार को निरंकुश होने से रोके । इसके लिए मंत्रियों से प्रश्न पूछकर, कार्यक्रमों में खोट निकालकर अर्थात आलोचना कर तथा सदन का बहिष्कार कर ।

प्रश्न 7. नीचे दी गई तालिका को अध्याय में दी गई जानकारी के आधार पर भरिए ।

Sansadiya Sarkar mcq questions

Read more- Click here
You Tube Click here  

BSEB Class 8th Political Science Ch 2.धर्मनिरपेक्षता और मौलिक अधिकार | Dharmnirpeksh Aur Maulik Adhikar Notes

BSEB Bihar Board Social Science Book Solutions Chapter 2. Dharmnirpeksh Aur Maulik Adhikar Notes Class 8th Solutions, Dharmnirpeksh Aur Maulik Adhikar MCQ Questions. 

Dharmnirpeksh Aur Maulik Adhikar MCQ

2.धर्मनिरपेक्षता और मौलिक अधिकार

पाठ के अंदर आए प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. क्या आपको लगता है कि हमारे देश में लोगों को अपने धर्म को मानने व उसका प्रसार करने की छूट दी गई है ? (पृ॰ 16 )

उत्तर – हाँ, मुझे लगता है कि हमारे देश में लोगों को अपने धर्म को मानने, उसके अनुसार आचरण करने और उसका प्रचार -प्रसार करने की छूट दी गई है।

(पृष्ठ  –17 )

प्रश्न 1. भारत में मुख्य तौर पर किन -किन धर्मों के लोग रहते हैं ?

उत्तर – भारत में मुख्य तौर पर हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, इसाई, बौद्ध और जैन तथा पारसी धर्म के लोग रहते हैं ।

प्रश्न 2. भारत के संविधान निर्माताओं के सामने कानून बनाते समय धर्म सम्बंधित क्या चुनौतियाँ थीं?

उत्तर – भारत के संविधान निर्माताओं के सामने ये चुनौतियाँ थीं कि इस धर्म बहुल देश में कैसा संविधान वनाया जाय कि सभी तुष्ट भाव से मिलजुलकर रहें । धर्म के नाम पर ही देश के टुकड़े हुए थे और लाखों लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ी थी। करोड़ों को निर्धन और निराश्रय होकर अपनी जन्मभूमि छोड़नी पड़ी थी। उस अग्नि को भी शांत करना था। इन्हीं बातों को सोचकर भारत को धर्मनिरपेक्ष देश घोषित करना पड़ा था।

प्रश्न 3. भारत में लोगों के बीच किस तरह की भिन्नताएँ पाई जाती हैं?

उत्तर-भारत एक इतना बड़ा देश है कि यहाँ पर विभिन्न जलवायु के क्षेत्र पाये जाते हैं । जलवायु के अनुसार ही यहाँ के लोगों में भोजन, पहनावा और भाषा आदि की भिन्नताएँ पाई जाती हैं। क्षेत्रवार लोगों के भोजन, पहनावा और रहन -सहन में भिन्नता पाई जाती है। पंजाब और बंगाल के खान -पान में भारी भिन्नता है। साथ ही पहनावा में भी भिन्नता है I

(पृष्ठ  –18 )

प्रश्न 1. एक उदाहरण देकर धर्मनिरपेक्षता का मतलब समझाइए ।

उत्तर – धर्मनिरपेक्षता का मतलब है कि सभी धर्म के लोग परस्पर मिलजुलकर रहें। सबसे बड़ा उदाहरण तो यही है कि भारत में अनेक धर्म के लोग सदियों से मिल-जुलकर रहते आये हैं । भारत का पहला मस्जिद केरल के एक हिन्दू राजा ने बनवाया था ।

प्रश्न 2. एक सरकारी कार्यालय का स्वागत कक्ष किसी एक धर्म की तस्वीरों से सजाया गया है। क्या यह तथ्य धर्मनिरपेक्षता के किसी पहलू का उल्लंघन है ? कारण सहित समझाइए ।

उत्तर – किसी सरकारी कार्यालय के किसी भी भाग में किसी धर्म से सम्बद्ध तस्वीर का रखना सरासर धर्मनिरपेक्षता कानून की अवहेलना है । ऐसा जिसने किया होगा उस अधिकारी को सजा देनी पड़ेगी ।

प्रश्न 3. भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है । फिर भी यहाँ कुछ धर्मों के लोगों को विशेष रियायतें क्यों दी गई हैं?

उत्तर – यह सही है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और संविधान बनाने वालों ने भी यह ध्यान रखा कि यहाँ धर्मनिरपेक्ष और सबों में बराबरी बनी रहे । लेकिन हिन्दू धर्म में कुछ ऐसे दलित लोग थे जिन्हें सदियों से सताया जाते आया गया था । उनको बराबरी पर लाने के लिए मात्र 20 वर्षों के लिए आरक्षण की सुविधा दी गई, जो हनुमानजी की पूँछ की तरह बढ़ाते  – बढ़ाते अभी भी जारी है। हिन्दू धर्म के अलावा कोई ऐसा धर्म नहीं है, जिसमें गैरबराबरी हो । हिन्दू धर्म के अलावा सभी धर्मों में सभी लोगों को बराबर का हक है। उनमें न तो कोई नीचा है और न कोई ऊँचा । इसी कारण संविधान निर्माताओं ने आरक्षण में हिन्दू के अलावे किसी अन्य धर्म वालों को आरक्षण में नहीं रखा। लेकिन वोट लोलुप कुछ नेताओं ने O.B.C. के कोटे से काटकर कुछ प्रतिशत अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को आरक्षण देने का सगूफा छेड़ा है। इतना ही नहीं सरकारी पक्ष ने जहाँ 4.5% कोटा देने की बात कही तो कोई नेता 10% तो कोई 18% तक की बात उड़ाने लगा। अल्पसंख्यक का अर्थ केवल मुसलमान नहीं होता है, जबकि अल्पसंख्यक में सिक्ख, इसाई, पारसी, बौद्ध, जैन, यहूदी आदि अनेक धर्म आते हैं उस प्रतिशत में सभी को वाँटना पड़ेगा। लेकिन मुसलमान समझते हैं या उन्हें समझाया जाता है कि अल्पसंख्यक का अर्थ केवल मुसलमान ही होता है । संविधान निर्माताओं ने धर्म का आधार नहीं रखा और न अभी है। चाहे 4.5% हो या 10% या 18% यह सव हवा में है—कार्य रूप में नहीं। यह धोखा और पाखंड है।

Dharmnirpeksh Aur Maulik Adhikar MCQ

( पृष्ठ  –21 )

प्रश्न 1. समता के मौलिक अधिकार में समता के किन -किन बिन्दुओं को शामिल किया गया है ?

उत्तर – समता के मौलिक अधिकार में समता के निम्नलिखित विन्दुओं को शामिल किया गया है :

(क) धर्म, जाति या लिंग के आधार पर सभी समान हैं 1

(ख) खेल के मैदान, होटल, दुकान आदि स्थानों पर सभी बरावर समो

जाएँगे ।

(ग) रोजगार के अवसरों में सबको समान समझा जाएगा। (योग्यतानुसार) (घ) छुआछूत की वात को पूर्णतः गैर कानूनी माना गया है ।

प्रश्न 2. आप नीचे लिखी बातों में से कौन -कौन सी बातों को समता के अधिकार का हनन मानेंगे? चर्चा कीजिए ।

(क) आप किराए पर मकान लेना चाहते हैं और मकान मालिक आपकी जाति और धर्म जानना चाहते हैं ।

(ख) कुछ समुदायों को गाँव के भीतर नहीं बल्कि गाँव के बाहर घर बनाने को कहा जाता है ?

(ग) कुछ समुदाय के सदस्य कई पूजा स्थानों पर इसलिए नहीं जाते, क्योंकि उन्हें डर है कि उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाएगा या मारा -पीटा जाएगा।

उत्तर – तीनों विन्दु समता के अधिकार का हनन हैं ।

प्रश्न 3. मजदूरों के संगठन क्यों बनाये जाते हैं ?

उत्तर – मजदूरों के संगठन इसलिए बनाए जाते हैं ताकि मिल मालिक उनके साथ शोषण का व्यवहार नहीं करें। उनको उचित वेतन समय पर मिला करे ।

प्रश्न 4. लोग देश के विभिन्न भागों में जाकर क्यों रहना चाहते हैं ?

उत्तर – रोजगार के अवसर प्राप्त होने के कारण लोग देश के विभिन्न भागों में रहना चाहते हैं ।

प्रश्न 5. लोग वंधुआ मजदूर क्यों बनते हैं ?

उत्तर – कुछ लोगों को आर्थिक मजबूरी और महाजनों की मक्कारी के कारण लोग बंधुआ मजदूर बन जाते हैं । होता यह है कि अपनी किसी आवश्यकता की पूर्ति के लिए कोई गरीब किसी महाजन से कर्ज लेता है महाजन मनमाना व्याज (चक्रवृद्धि) जोड़ते जाता है और इतनी रकम हो जाती है, जिसे कर्ज लेने वाला देने में असमर्थ हो जाता है तो उसे केवल भोजन देकर काम कराया जाता है । उसे दिन -रात महाजन के चंगुल में आजीवन फँसा रहना पड़ता है। यही है बंधुआ मजदूर बनने का कारण बौर मजबूरी ।,

प्रश्न 6. किन परिस्थितियों में किसी धार्मिक समुदाय की स्वतंत्रता पर सरकार कानून बनाकर रोक लगा सकती है ?

उत्तर—हिंसा की आशंका पर किसी धार्मिक समुदाय की स्वतंत्रता पर सरकार अस्थायी रोक लगा सकती है। इसके लिए मात्र जिलाधीश का आदेश ही काफी है। कानून बनाना आवश्यक नहीं, बल्कि सरकार कानून बना ही नहीं सकती ।

प्रश्न 7. गरीबी के कारण कम मजदूरी पर काम करने के लिए मजबूर होने और बेगार में क्या अंतर है ?

उत्तर – कम मजदूरी पर काम कराना मजदूर का शोषण है, जबकि बिना कुछ मजदूरी दिए काम कराना बेगारी है। ये दोनों का काम कोई बाहुबली लंठ ही कर सकता है । सामान्य व्यक्ति ऐसा करने का सोच भी नहीं सकता ।

Dharmnirpeksh Aur Maulik Adhikar MCQ

(पृष्ठ  –22 )

प्रश्न 1. संविधान में आरक्षण क्यों और किसके लिए रखा गया है ? क्या यह समानता के सिद्धांत के विरुद्ध नहीं है ? कारण सहित समझाइए ।

उत्तर – संविधान में आरक्षण उन लोगों के लिए रखा गया था जिन्हें सामाजिक तौर पर नीच समझा जाता था। उन्हें गाँव के बाहर झोपड़ी बनाकर रहना पड़ता था। उनसे बदन छू जाना धार्मिक पाप समझा जाता था । उन्हें मैला उठाना और जूठन खाना पड़ता था उन्हीं को संविधान में आरक्षण दिया गया। यह समानता के सिद्धांत के विरुद्ध नहीं है । शुरू में यह मात्र 20 वर्षों के लिए था लेकिन बार -बार उसे बढ़ाया जा रहा है, यही गलत है । अब बहुत हुआ। आरक्षण बन्द होना चाहिए। यदि देना ही है तो अब आर्थिक आधार बनाया जाय। केवल गरीबों को ही आरक्षण मिले, चाहे वे किसी जाति या किसी धर्म के हों।

प्रश्न 2. समता के ऐसे दो प्रावधानों के बारे में बताइए धर्मनिरपेक्षता के महत्व की झलक दिखती है।

उत्तर – किसी भी होटल में सबके साथ बैठकर भोजन करना तथा रेल गाड़ी में एक साथ अगल -बगल में बैठना —ये दो बातें ऐसी हैं, जिनमें धर्मनिरपेक्षता के महत्व की झलक दिखती है।

प्रश्न 1. नीचे लिखी तालिका को शिक्षक/शिक्षिका की सहायता से पूरा करें ।

Bhartiya Samvidhan mcq questions

(पृष्ठ  –25 )

प्रश्न 1. अल्पसंख्यकों को अपनी संस्कृति व शिक्षा के प्रचार -प्रसार के लिए कौन -कौन से अधिकार दिए गए हैं?

उत्तर – अल्पसंख्यकों को संस्कृति के प्रसार -प्रचार के लिए छूट है कि अपने किसी धार्मिक इतिहास पर आधारित नाटक का मंचन कर सकते हैं, कोई सिनेमा बना सकते हैं और देख सकते हैं ।

अल्पसंख्यकों को धार्मिक स्वतंत्रता है कि वे अपने किसी धार्मिक अनुष्ठान कर सकते हैं। बिना हथियार जुलूस निकाल सकते हैं।

प्रश्न 2. अल्पसंख्यकों को दिए गए संस्कृति व शिक्षा के अधिकार से धर्मनिरपेक्षता कैसे मजबूत होगी? उदाहरण देकर समझाइए ।

उत्तर – अल्पसंख्यक अपना सांस्कृतिक विकास कर अपने समाज का उत्थान कर सकते हैं । सांस्कृतिक उत्थान से वे लोग आपसी एकता का प्रदर्शन कर अपनी एकता को बनाए रख सकते हैं। इसी प्रकार शिक्षा के अधिकार से उनको अपने विद्यालय खोलने, उन्हें संचालित करने और अपने नियमों के आधार पर संचालित करने का अधिकार है। इस प्रकार हम देखते हैं कि अल्पसंख्यकों को दिए गए संस्कृति व शिक्षा के अधिकार से धर्मनिरपेक्षता मजबूत होगी।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. भारत में धर्मनिरपेक्षता की आवश्यकता क्यों है? अपने शब्दों में समझाइए ।

उत्तर – भारत में धर्मनिरपेक्षता की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि भारत एक वहुधार्मिक देश है । यहाँ हिन्दुओं के अलावा अनेक ऐसे धर्म हैं जो संख्या में अल्प हैं। चूँकि वे संख्या में कम हैं तो हो सकता है कि उनपर धार्मिक अत्याचार हो । वे निशंक होकर अपना धार्मिक व्यवहार कर सकें इसलिए यहाँ धर्मनिरपेक्षता अति आवश्यक है

प्रश्न 2. धर्मनिरपेक्षता में मुख्य रूप से कौन -कौन सी बातें शामिल हैं?

उत्तर – (क) धर्म के नाम पर किसी को दबाया नहीं जाएगा।

(ख) किसी भी धर्म का व्यक्ति किसी भी अन्य धर्म को अपना सकता है ।

(ग) सभी धर्म के लोगों को समानरूप से शिक्षा प्राप्ति का अधिकार है ।

(घ) राज्य की नजर में सभी धर्म समान हैं ।

(ङ) किसी भी धार्मिक प्रतीक को सरकारी कार्यालयों में नहीं रखा जाएगा 

प्रश्न 3. आपके विचार में भारत में धर्मनिरपेक्षता को लागू करने के लिए कौन -सा मौलिक अधिकार शामिल है और क्यों ?

उत्तर – मेरे विचार से धर्मनिरपेक्षता को लागू करने के लिए ‘धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार’ नामक मौलिक अधिकार शामिल हैं। वह इसलिए कि प्रत्येक नागरिक अपने धर्म के अनुसार आचरण कर सके । कोई व्यक्ति अपनी इच्छा से कोई धर्म अपना सके । वह अपने धर्म के प्रचार -प्रसार के लिए स्वतंत्र रहे।

प्रश्न 4. अगर किसी धर्म के लोग मानते हैं कि नवजात शिशुओं की हत्या करना उनके धर्म का जरूरी हिस्सा है, तो सरकार को ऐसी परम्पराओं को रोकने के लिए दखल देना चाहिए कि नहीं ? कारण सहित समझाइए ।

उत्तर – हाँ, नवजात शिशुओं की हत्या को सरकार नहीं होने देगी, चाहे कोई कितना भी धर्म की दुहाई दे। ऐसे कुकर्म को रोकने के लिए सरकार को दखल देना ही चाहिए। नवजात की हत्या हो या बूढ़े और बीमार की हत्या हो, हत्या हत्या है । कोई भी धर्म इसकी इजाजत नहीं देता और सरकार तो और भी नहीं ।

प्रश्न 5. नीचे दिए गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

कई स्थानों पर हो रहे सांप्रदायिक दंगों के डर से एक गाँव की महिलाओं का समूह पुलिस थाने में गया। वे एक लिखित शिकायत दर्ज करवाना चाहती थीं और रहने के लिए एक सुरक्षित जगह या पुलिस की हिफाजत चाहती थीं। थानेदार जो कि दूसरे धार्मिक संप्रदाय का था, उन महिलाओं की प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखने से इंकार कर दिया। पुलिस ने उनको जरुरी सुरक्षा तक नहीं दी। दूसरे दिन दंगाई भीड़ ने इन महिलाओं के घरों को जला दिया ।

प्रश्न 1. थानेदार ने धर्मनिरपेक्षता के मूल्य का पालन किया है या नहीं? अपने शब्दों में लिखिए ।

उत्तर – यहाँ हम देखते हैं कि थानेदार ने धर्मनिरपेक्षता का पालन नहीं किया । थानेदार को तो पहले ‘प्राथमिक सूचना रिपोर्ट’ (F.I.R.) दर्ज करना चाहिए था और उन महिलाओं के मुहल्ले में सुरक्षा का प्रबंध करना चाहिए था ।

प्रश्न 2. गद्यांश में दी गई परिस्थिति में एक धर्मनिरपेक्ष राज्य को क्या करना चाहिए ।

उत्तर – धर्मनिरपेक्ष राज्य को चाहिए कि कोई भी अल्पसंख्यक वर्ग का व्यक्ति को डर है कि मुझे मार दिया जाएगा तो प्रशासन को तुरत सुरक्षा का प्रबंध करना चाहिए ।

प्रश्न 3. दंगे में महिलाओं का असुरक्षित महसूस करना किस बात की ओर इशारा करता है ?

उत्तर – दंगों में महिलाएँ अपने को इसलिए असुरक्षित महसूस करती हैं कि वे किसी से लड़ाई -झगड़ा नहीं कर सकतीं। दंगाई लोग गुंडे होते हैं, वे महिलाओं को किसी प्रकार भी तंग कर सकते हैं, छेड़ सकते हैं और यहाँ तक कि महिलाओं से बलात्कार तक कर सकते हैं। 1946 के दंगे में यह सब देखा भी गया है ।

कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. धर्मनिरपेक्षता क्या है ?

उत्तर – धर्म को राज्य से अलग रखने की अवधारणा को ‘धर्मनिरपेक्षता’ कहते हैं ।

प्रश्न 2. वह कौन -सा अहम कारण है, जिसके चलते लोकतांत्रिक समाजों में राज्य और धर्म को अलग -अलग रखना महत्त्वपूर्ण माना जाता है ?

उत्तर – बहुमत की निरंकुशता और उसके कारण मौलिक अधिकारों का हनन वह अहम कारण है, जिसके चलते लोकतांत्रिक समाजों में राज्य और धर्म को अलग -अलग रखना महत्वपूर्ण माना जाता है ।

प्रश्न 3. धार्मिक वर्चस्व को रोकने के लिए तीन राजकीय तरीके कौन -कौन हैं?

उत्तर – धार्मिक : वर्चस्व को रोकने के लिए तीन राजकीय तरीके निम्नलिखित हैं :

(i) पहला तरीका यह है कि राज्य स्वयं को धर्म से अलग रखे ।

(ii) दूसरा तरीका है अहस्तक्षेप की नीति को अपनाना ।

(iii) तीसरा तरीका हस्तक्षेप करने का भी है।

Dharmnirpeksh Aur Maulik Adhikar MCQ

Read more- Click here
You Tube Click here  

BSEB Class 8th Political Science Ch 1 भारतीय संविधान | Bhartiya Samvidhan Notes

BSEB Bihar Board Social Science Book Solutions Chapter 1. Bhartiya Samvidhan Notes Class 8th Solutions, BSEB Class 8th Political Science Ch 1 Bhartiya Samvidhan mcq questions. 

Bhartiya Samvidhan Notes

1. भारतीय संविधान

पाठ के अन्दर आए हुए प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. आप अपने विद्यालय में जिन नियमों का पालन करते हैं, उनकी एक सूची तैयार कीजिए । (पृष्ठ  – 1)

उत्तर  –  (i) मैं नित्य समय पर विद्यालया पहुँचता हूँ ।
(ii) प्रार्थना में सम्मिलित होता हूँ ।
(iii) अपने नियत स्थान पर बैठता हूँ ।
(iv) उपस्थिति के बाबत नाम पुकारे जाने पर ‘उपस्थित श्रीमान’ बोलता हूँ ।
(v) जो विषय या पाठ पढ़ाया जाता हैं, उसे ध्यान से सुनता हूँ और उसे पुनः घर पर दुहराता हूँ ।
(vi) विद्यालय से जो गृहकार्य (home work) मिला रहता है, उसे पूरा करता हूँ।
(vii) में विद्यालय के सभी नियमों का पालन करता हूँ ।

प्रश्न 2. आपकी शिक्षिका विद्यालय में किन नियमों का पालन करती हैं? उनकी चर्चा कीजिए और सूची तैयार कीजिए ।

उत्तर – (i) मेरी अध्यापिका समय पर विद्यालय पहुँचती हैं।

(ii) विद्यार्थियों के पहुँचने के पहले वे पहुँची रहती हैं।

(iii) प्रार्थना में भी वे शामिल होती हैं ।

(iv) विद्यार्थियों के वर्ग में बैठ जाने के बाद वे वर्ग में पहुँचती हैं और उपस्थिति पुस्तिका में विद्यारियों की उपस्थिति दर्ज करती हैं । (v) इसके बाद वे निश्चित विषय का पाठ पढ़ाने लगती हैं ।

(vi) मध्याह्न भोजन के समय में छात्रों को खिलाने पर निगरानी रखती हैं ।

(vii) फिर कोई पाठ पढ़ाने लगती हैं। छुट्टी होने के बाद वे भी अपने घर चली जाती हैं ।

प्रश्न 3. जरा सोच कर बताइए कि आपके विद्यालय के प्रधानाध्यापक को विद्यालय चलाने के लिए किन -किन समस्याओं का सामना करना पड़ता होगा ?

उत्तर  – मेरे प्रधानाध्यापक महोदय को इस बात की चिंता सताती है कि सभी शिक्षक समय पर विद्यालय पहुँचें। सभी वर्गो में ढंग से पढ़ाई चलती रहे । विद्यालय भवन की मरम्मती की भी उन्हें चिंता रहती है। मध्याह्न भोजन का अन्न आदि समय पर पहुँचे और उनको सुरक्षित रखा जाय । अध्यापकों को वेतन देने -दिलाने की भी उन्हें चिंता रहती है ।

(पृष्ठ  –3 )

प्रश्न 1. दिए गए उद्देश्यों को पूरा करने के लिए आप नहरवाल इलाके के लिए कौन -से कानून बनाएँगे ?

उत्तर – दिए गए उद्देश्यों को पूरा करने के लिए जिलाधीश से मिलकर

ग्राम -पंचायत कानून के तहत नहरवाल में ग्राम पंचायत की स्थापना कराऊँगा । मुखिया, सदस्य और सरपंच का चुनाव करवाऊँगा ।

प्रश्न 2. यह तो हुई कानून बनाने की बात । अब यह तय कैसे करेंगे कि इन कानूनों को कैसे लागू किया जाय ?

उत्तर – मुखिया जी वार्ड सदस्यों के साथ मिलकर यह निर्णय करेंगे कि गाँव में कैसे अमन -चैन कायम रह सके। गाँव की सड़कों तथा गलियों की साफ -सफाई पर ध्यान दिया जाए । यह ध्यान रखा जाएगा कि 14 वर्ष से कम

के गाँव के सभी बच्चे विद्यालय जायँ ।

(पृष्ठ  –4 )

प्रश्न 1. सरला बहन ने मुन्नी को काम पर क्यों नहीं जाने दिया ?

उत्तर- सरला बहन ने मुन्नी को काम पर इसलिए नहीं जाने दिया क्योंकि उसकी आयु 14 वर्ष से कम है। यह आयु बच्चों के पढ़ने की है। इतने कम आयु के बच्चों से काम करवाना गैरकानूनी है ।

प्रश्न 2. अपने घर के बुजुर्गों से चर्चा कीजिए कि क्या उन्होंने कभी ऐसी घटना देखी है ?

उत्तर- पूछने पर बुजुर्गों ने बताया कि उनके जमाने में ऐसी बात नहीं थी। छोटे -छोटे बच्चों को चाय की दुकानों पर, घरेलू नौकर के रूप में काम करते देखा है । यह बात उनके अभिभावकों की मर्जी से होती थी। कारण कि वे उन्हें ही सोचना था कि वे अपने बच्चों को पढ़ाएँगे या नौकरी कराएँगे । सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं था ।

प्रश्न 3. आपके विचार में छोटी उम्र में बच्चों को काम पर क्यों नहीं लगाना चाहिए ?

उत्तर – मेरे विचार से छोटी उम्र से बच्चों को काम पर नहीं लगाना चाहिए। कारण कि यह उनके पढ़ने की उम्र होती है।

(पृष्ठ  –5 )

प्रश्न 1. संविधान किसे कहते हैं?

उत्तर – जिन नियमों और कानूनों के अनुसार किसी देश का शासन संचालन होता है, उन निमयों कानूनों के संग्रह को संविधान कहते हैं ।

प्रश्न 2. बुनियादी नियम क्या होते हैं?

उत्तर – जिन नियमों के तहत नागरिकों को मौलिक अधिकार प्राप्त होते हैं, वे बुनियादी नियम हैं ।

प्रश्न 3. किसी स्वास्थ्य केन्द्र से पता लगाइए कि सरकार द्वारा लोगों को कौन -कौन सी बुनियादी सुविधाएँ दी जाती हैं ?

उत्तर  – स्वास्थ्य केन्द्र से पता लगा कि वहाँ लोगों को जो बुनियादी

सुविधाएँ दी जाती हैं, वे हैं:

(i) प्राथमिक विद्यालय,

(ii) जच्चा -बच्चा स्वास्थ्य जाँच,

(iii) बच्चों की सभी प्राथमिक टीकाएँ लगवाना ।

(iv) टी. बी. तथा कुष्ठ रोग की मुफ्त दवा वितरण,

(v) सन्तान निरोधक दवाएँ तथा उपकरण देना ।

प्रश्न 4. आपके विद्यालय में दी जाने वाली सरकारी सुविधाओं की सूची बनाइए ।

उत्तर- विद्यालय में दी जानेवाली सरकारी सुविधाएँ हैं :

(i) विद्यालय भवन की मरम्मती,

(ii) प्रधानाध्यापक सहित सभी अध्यापकों का वेतन,

(iii) छात्रों को मुफ्त पुस्तकें,

(iv) पोशाक तथा

(v) मध्याह्न भोजन आदि ।

( पृष्ठ  –6 )

प्रश्न 1. पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 6 के चित्रों को देखकर अंग्रेजी शासन पद्धति के बारे में आपकी क्या सोच बनती है ?

उत्तर- पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 6 के चित्रों को देखकर मेरी सोच बनती है कि अंग्रेजी शासन पद्धति बर्बर और जोर-जबरदस्ती वाली पद्धति थी ।

प्रश्न 2. क्या आपको लगता है कि अंग्रेजी हुकूमत ने हम भारतीयों के अधिकारों का हनन किया है? कैसे?

उत्तर – निश्चित तौर पर हम कह सकते हैं कि अंग्रेजी हुकूमत ने हमारे अधिकारों का हनन किया था । वे हमारी इच्छा के विरुद्ध हमसे जबरदस्ती काम करवाते थे। अपनी धाक जमाने के लिए वे अकारण बन्दूकों का सहारा लेते थे । जालियाँवाला बाग में यही हुआ था ।

प्रश्न 3. किस चीज की खेती के लिए किसानों को मजबूर किया जा रहा था ?

उत्तर – नील की खेती के लिए किसानों को मजबूर किया जा रहा था । ( पृष्ठ  -7 )

प्रश्न 4. अगर हमारा देश आजाद रहता तो क्या इस तरह लोगों को उनकी इच्छाओं के विरुद्ध मजबूर किया जाता ?

उत्तर – नहीं, यदि हमारा देश आजाद होता तो इस तरह लोगों को उनकी इच्छाओं के विरुद्ध कोई काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जाता ।

प्रश्न 5. यदि उस समय भारत आजाद होता और उसका अपना संविधान होता तो क्या इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकता था ?

उत्तर – हाँ, निश्चित ही इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकता था ।

( पृष्ठ  –7 )

प्रश्न 1. भारत के संविधान को बनाने के लिए काँग्रेस ने सबसे स्पष्ट माँग कब पेश की ?

उत्तर -1920 में |

प्रश्न 2. अँग्रेज सरकार भारत के लोगों को स्वतंत्र संविधान सभा की माँग को क्यों नहीं मानना चाहती थी ?

उत्तर – अँग्रेज सरकार भारत के लोगों की स्वतंत्र संविधान सभा की माँग इसलिए नहीं मानना चाहती थी, क्योंकि उसे डर था कि तब भारत के लोग शीघ्र आजादी की माँग शुरू कर देंगे ।

प्रश्न 3. भारत के लोगों ने शुरुआती दौर में क्या -क्या माँगें रखीं ?

उत्तर – भारत के लोगों ने शुरुआती दौर में निम्नलिखित माँगें रखी थीं :

(i) सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार,

(ii) स्वतंत्रता और समानता का अधिकार,

(iii) संसदीय एवं उत्तरदायी सरकार तथा

(iv) अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा ।

( पृष्ठ  –9 )

प्रश्न 1. किसी भी देश के संविधान में आम तौर पर किस तरह के मूल्यों को शामिल किया जाता है ?

उत्तर – किसी भी देश के संविधान में आम तौर पर जिस तरह के मूल्यों को शामिल किया जाता है उन मूल्यों को बुनियादी मूल्य कहा जाता है । वे मूल्य ऐसे होते हैं जो उस देश के समाजों के आदर्श रहे हों और उन लोगों की जिन्दगियों को खुशहाल बनाने में सहायक हो ।

प्रश्न 2. भारत के संविधान के बुनियादी मूल्य कौन -कौन से हैं?

उत्तर – भारत के संविधान में बुनियादी मूल्यों में प्रमुख हैं :

(i) लोकतंत्र,

(ii) स्वतंत्रता,

(iii) समानता,

(iv) न्याय तथा

(v) धर्मनिरपेक्षता ।

( पृष्ठ  – 11 )

प्रश्न 1. संविधान की उद्देशिका को ध्यान से पढ़ें और बताएँ कि संविधान में कौन -कौन सी समानताओं का उल्लेख किया गया है ?

उत्तर – संविधान की उद्देशिका को ध्यान से पढ़ने पर हमें ज्ञात हुआ कि सभी देशवासियों को अवसर की समानता प्राप्त हो । किसी भी कार्य में जाति, लिंग, धन और अन्य किसी भी कारण से किसी को कहीं से छाँटा नहीं जाय ।

प्रश्न 2. नीचे दिए गए उदाहरणों में कौन -कौन सी असमानताएँ दिखाई दे रही हैं ?

(क) अपहरण के मामले में चार लड़के गिरफ्तार होते हैं । उनमें से श्याम एक धनी परिवार का इकलौता लड़का है । मजिस्ट्रेट है । सभी को एक ही सजा सुनाता

(ख) एक गाँव में स्थित मंदिर में कुछ खास समुदाय के लोगों को नहीं जाने दिया जाता ।

(ग) आपके पड़ोस के स्कूल में आपके छोटे भाई का नामांकन नहीं किया जाता क्योंकि आपके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है ।

(घ) किसी निजी नौकरी के लिए आपको इसलिए नहीं लिया जाता क्योंकि आप किसी खास समुदाय के हैं ।

उत्तर – बिन्दु (क) में असमानता दिखाई नहीं देती लेकिन बिन्दु (ख), (ग) तथा (घ) में असमानता दिखाई देती है ।

( पृष्ठ  –12 )

प्रश्न 1. अनुसूचित जातियों और जनजातियों के बच्चों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति समानता के सिद्धांत के विरुद्ध क्यों नहीं मानी जाती? अपनी शिक्षिका की सहायता से इस पर चर्चा कीजिए ।

उत्तर – चूँकि अनुसूचित जनजाति तथा जनजातियों को आरक्षण प्राप्त है, इसलिए उनको दी जानेवाली छात्रवृत्ति समानता के सिद्धांत के विरुद्ध नहीं है ।

प्रश्न 2. अपने स्कूल में चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी एकत्र कीजिए। ये योजनाएँ क्या हैं और क्यों चलाई जाती हैं समूह में चर्चा कीजिए ।

संकेत : छात्र और शिक्षक मिलकर स्वयं चर्चा करें।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. एक नागरिक के रूप में देश के लोगों के लिए संविधान महत्वपूर्ण क्यों है ?

उत्तर – एक नागरिक के रूप में देश के लोगों को संविधान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारे घर के अन्दर या घर के बाहर जो भी कार्यकलाप होता है, वह संविधान के आदेशों के अनुकूल ही होता है। जन्म लेने के साथ ही बच्चों के लिए संविधान ने उन्हें अधिकार दिया है कि माता -पिता उसकी देख -भाल, पालन -पोषण शिक्षा -दीक्षा उचित तरीके से करेंगे। वही बच्चा जव सयाना होता है तो उसका कर्त्तव्य बन जाता है कि वह अपने अभिभावकों की बात माने। संविधान ने उसे जो अधिकार दिए हैं, उनका उपभोग करे और साथ ही उसमें जो कर्त्तव्यों का उल्लेख है, उन कर्त्तव्यों का भी पालन करे । लोगों के जीवन का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जिसका संविधान में उल्लेख न हो । हमारे सभी कार्यकलाप संविधान सम्मत होने चाहिए । इसके लिए हमारा कर्त्तव्य है कि हम संविधान की बातों को जानें और समझें ।

प्रश्न 2. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारत के लोगों ने अपना संविधान बनाने की माँग क्यों रखी होगी ?

उत्तर – स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारत के लोगों ने अपना संविधान बनाने की माँग इसलिए रखी होगी, ताकि लोग समझ सकें कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश की सरकार कैसे चलेगी। सरकार में लोगों की क्या भागीदारी होगी । उनको कौन -से अधिकार मिलेंगे और उनका कर्त्तव्य क्या होगा ।

प्रश्न 3. भारत के संविधान में दिए गए मूल्यों में से आपको कौन – से मूल्य सबसे महत्वपूर्ण लगते हैं और क्यों?

उत्तर-भारत के संविधान में दिए गए मूल्यों में मुझे समानता का अधिकार तथा धर्मनिरपेक्षता के मूल्य महत्वपूर्ण लगते हैं । वह इसलिए कि समानता के अधिकार से कानून के समक्ष सबको बराबर समझा जाता है । इस क्षेत्र में किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं होता । धर्मनिरपेक्षता अर्थात पंथनिरपेक्षता के अधिकार से सभी धर्म के लोगों को अपने -अपने ढंग से उपासना और धार्मिक त्योहार मनाने की छूट है। सरकार न किसी धर्मवालों को कोई आर्थिक मदद देगी और न उनके अनुष्ठानों में कोई अड़ंगा ही लगाएगी।

प्रश्न 4. संविधान में दिए गए समता और सामाजिक न्याय को लागू करने के लिए सरकार द्वारा जो योजनाएँ चलाई जा रही हैं, उन्हें निम्न तालिका में भरिए ।

Bhartiya Samvidhan mcq questions

प्रश्न 5. नीचे दिए गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।

संविधान सभा की बैठक नई दिल्ली के संविधान सभा भवन में 8.30 बजे शुरू हुई। माननीय डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने सभा की अध्यक्षता की। इस सभा में माननीय सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अपने विचार प्रस्तुत किए, “समिति

जो बहुत में दो विचार  – धाराएँ थीं। बड़ी तादाद में विख्यात वकील थे, बारीकी से हर वाक्य, हर शब्द, यहाँ तक की विराम और अल्प विराम की जाँच कर रहे थे। ये दोनों विचार धाराएँ दो अलग -अलग दृष्टिकोणों से मामले को देखती थीं। एक विचारधारा यह मानती थी कि अधिकारों के इस प्रतिवेदन में जितने अधिक से अधिक संभव हों, अधिकार शामिल करने चाहिए जो अदालत में सीधे लागू किए जा सकें। इन अधिकारों को लेकर कोई भी नागरिक बिना किसी कठिनाई के सीधे अदालत जा सके और अपने अधिकार प्राप्त कर सके। दूसरी विचारधारा का मत था कि मूल अधिकारों को कुछ ऐसी बहुत अनिवार्य बातों तक सीमित रखा जाना चाहिए जिन्हें आधारभूत माना जा सके। दोनों विचारधाराओं में काफी बहस हुई और अन्त में एक बीच का रास्ता निकाला गया, जिसे एक अच्छा मध्यम मार्ग माना गया। दोनों विचारधाराओं के लोगों ने सिर्फ एक देश के मूल अधिकारों का अध्ययन नहीं किया बल्कि दुनिया के लगभग हर देश के मूल अधिकारों का अध्ययन किया । वे इस नतीजे पर पहुँचे कि हमें इस प्रतिवेदन में जहाँ तक संभव हो, उन अधिकारों को शामिल करना चाहिए, जिन्हें उचित माना जा सके। इन बातों पर इस सदन में मतभेद हो सकता है, सदन को हर धारा पर आलोचनात्मक तरीके से विचार करने, विकल्प सुझाने, संशोधन के सुझाव देने और निरस्त करने का अधिकार है।”

प्रश्न 1. संविधान सभा के मूल अधिकारों की समिति में कौन -कौन से विचार प्रमुख रूप से उभर रहे थे ?

उत्तर – संविधान के मूल अधिकारों की समिति में पहला विचार व्यक्त किए गए कि लोगों को अधिक -से -अधिक अधिकार दिए जाएँ ताकि वे सीधे अदालत जा सकें । उन अधिकारों पर अदालते सीधी कारवाई कर सकें। दूसरा विचार यह था कि लोगों को अत्यंत आवश्यक अधिकार तक ही सीमित रखा जाय । लोगों को बहुत कम संख्या में मूल अधिकार दिए जाएँ ।

प्रश्न 2. आप इनमें से किस विचार के साथ सहमत हैं। और क्यों ?

उत्तर – मैं पहले विचार से सहमत हूँ। क्योंकि इससे मूल अधिकार का दायरा कुछ बड़ा होगा। इससे नागरिक अधिक -से -अधिक स्वच्छन्द रूप से जीवन व्यतीत कर सकते हैं ।

प्रश्न 3. संविधान सभा में सदस्य किस तरह किसी निर्णय पर पहुँचते थे, गद्यांश के आधार पर अपने शब्दों में लिखिए ।

उत्तर – संविधान सभा के सदस्य काफी विचार -विमर्श के बाद ही किसी निर्णय पर पहुँचते थे। यहाँ तक कि कॉमा, पूर्ण विराम तक पर बहस होती थी। काफी बहस के बाद ही किसी बिन्दु को स्वीकृत किया जाता था ।

कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. संविधान क्या है?

उत्तर – संविधान नियमों का एक ऐसा दस्तावेज है, जिसको एक देश के सभी लोग अपने देश के शासन संचालन की पद्धति के रूप में अपनाते हैं।

प्रश्न 2. संविधान का एक मुख्य उद्देश्य क्या होता है ?

उत्तर – संविधान का एक मुख्य उद्देश्य यह होता है अपने देश की राजनीतिक व्यवस्था को तय करना ।

प्रश्न 3. संविधान में दिए समानता के अधिकारका क्या तात्पर्य है ?

उत्तर – संविधान में दिए समानता के अधिकार का तात्पर्य है कि धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, रंग, जन्म -स्थान आदि के आधार पर किसी नागरिक से कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। संविधान की नजरों में सभी समान समझे जाएँगे ।

Read more- Click here
You Tube Click here