Bharat Mahima VVI Subjective Questions – संस्‍कृत कक्षा 10 भारतमहिमा

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 संस्‍कृत के पाठ पाँच भारतमहिमा (Bharat Mahima VVI Subjective Questions)’ के महत्‍वपूर्ण विषयनिष्‍ठ प्रश्‍नों के उत्तर को पढ़ेंगे।

Bharat Mahima VVI Subjective Questions

 Chapter 5 Bharat Mahima VVI Subjective Questions भारतमहिमा (भारत की महिमा)

लघु-उत्तरीय प्रश्‍नोत्तर (20-30 शब्‍दों में) ____दो अंक स्‍तरीय
1. भारत भूमि कैसी है तथा यहाँ किस प्रकार के लोग रहते हैं ?
अथवा, भारत महिमा के अनुसार बतायें कि हमारी मातृभूमि कैसी है?
अथवा, ‘भारतमहिमापाठ के आधार पर भारत भूमि कैसी है?      (2012C)
अथवा, हमारी मातृभूमि कैसी है?
उत्तर- भारतवर्ष अति प्रसिद्ध देश है तथा यहाँ की भूमि सदैव पवित्र और ममतामयी है। यहाँ विभिन्न जातियों और धर्मों के लोग एकता भाव को धारण करते हुए निवास करते हैं।

2. देवगण भारत के गीत क्यों गाते हैं? पठित-पाठ के आधार पर उत्तर तीन से पाँच वाक्यों में लिखें। (2017A)
उत्तर- देवगण भारत देश का गुणगान करते हैं। क्योंकि, भारतीय भूमि स्वर्ग और मोक्ष प्राप्त करने का साधन है। मनुष्य भारत भूमि पर जन्म लेकर भगवान हरि की सेवा के योग्य बन जाते हैं।

3. देवता लोग किस देश का गुणगान करते हैं और क्यों ?
उत्तर- देवता लोग भारत देश का गुणगान करते हैं, क्योंकि भारतीय भूमि स्वर्ग और मोक्ष प्राप्त करने का साधन है। मनुष्य भारत भूमि पर जन्म लेकर भगवान हरि की सेवा के योग्य बन जाते हैं।

4. भारतीयों की विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर- भारत में जन्म लेकर लोग धन्य होते हैं और हरि की सेवा करते हैं। उन्हें स्वर्ग और मोक्ष प्राप्त होता है। भारतीय धर्म और जाति के भेदभावों को न मानते हुए एकता के भाव से रहते हैं। सभी भारतीयों की देशभक्ति आकर्षक है और दूसरों के लिए आदर्श रूपी है।

5. भारतमहिमा पाठ से हमें क्या संदेश मिलता है ? अथवा, ‘भारतमहिमापाठ से क्या शिक्षा मिलती है ? पाँच वाक्यों में उत्तर दें। (2011C)
उत्तर- भारतमहिमा पाठ से यह संदेश मिलता है कि हमें भारतीय होने पर गर्व होना चाहिए। हम भारतीयों को हरि की सेवा करने का मौका मिला है, और मोक्ष की प्राप्ति का भी अवसर मिला है। हमें देशभक्त होना चाहिए और अन्य भारतीयों से मिल-जुलकर रहना चाहिए।

6. भारतमहिमा पाठ का क्या उद्देश्य है?
उत्तर- भारतमहिमा पाठ में पौराणिक और आधुनिक पद्य संकलित हैं, इन सभी पद्यों का उद्देश्य भारत और भारतीयों की विशेषताओं का वर्णन करना है। इनमें भारत की सुंदरता एवं भव्यता और भारतीयों की देशभक्ति आदि की ओर पाठक का ध्यान आकर्षित किया गया है।

7. भारत महिमा पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।
उत्तर- इस पाठ में भारत के महत्त्व के वर्णन से सम्बद्ध पुराणों के दो पद्य तथा तीन आधुनिक पद्य दिए गए हैं। हमारे देश भारतवर्ष को प्राचीन काल से इतना महत्त्व दिया गया है कि देवगण भी यहाँ जन्म लेने के लिए तरसते हैं। इसकी प्राकृतिक सुषमा अनेक प्रदूषणकारी तथा विध्वंसक क्रियाओं के बाद भी अनुपम है। इसका निरूपण इन पद्यों में प्रस्तुत है।

Sanskrit Sahitya Lekhika VVI Subjective Questions – संस्‍कृत कक्षा 10 संस्कृतसाहित्ये लेखिका:

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 संस्‍कृत के पाठ चार संस्कृतसाहित्ये लेखिका: (Sanskrit Sahitya Lekhika VVI Subjective Questions)’ के महत्‍वपूर्ण विषयनिष्‍ठ प्रश्‍नों के उत्तर को पढ़ेंगे।

Sanskrit Sahitya Lekhika VVI Subjective Questions

Sanskrit Sahitya Lekhika VVI Subjective Questions संस्कृतसाहित्ये लेखिका: (संस्कृत साहित्य की लेखिकाएँ)

लघु-उत्तरीय प्रश्‍नोत्तर (20-30 शब्‍दों में) ____दो अंक स्‍तरीय
1. उपनिषद् में नारियों के योगदान का उल्लेख करें। (2018C)
उत्तर- वृहदारण्यकोपनिषद् में याज्ञवल्क्य की पत्नी मैत्रेयी की दार्शनिक रुचि का वर्णन है। जनक की सभा में गार्गी प्रसिद्ध थी।

2. संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः पाठ से हमें क्या संदेश मिलता है?
उत्तर- इस पाठ के द्वारा संस्कृत साहित्य के विकास में महिलाओं के योगदान के बारे में ज्ञात होता है। वैदिक युग से आधुनिक समय तक ऋषिकाएँ, कवयित्री, लेखिकाएँ संस्कृतसाहित्य के संवर्धन में अतुलनीय सहभागिता प्रदान करती रही हैं। संस्कृत लेखिकाओं की सुदीर्घ परम्परा है। संस्कृत भाषा के समृद्धि में पुरुषों के समतुल्य महिलाएँ भी चलती रही हैं।

3. विजयनगर राज्य में संस्कृत भाषा की क्या स्थिति थी? तीन वाक्यों में उत्तर दें। (2012C)
उत्तर- विजयनगर में सम्राट् संस्कृत भाषा के संरक्षण के लिए किए गए प्रयास सर्वविदित है। उनके अन्तःपुर में भी संस्कृत रचना में निष्णात रानियाँ थीं। महारानी विजयभट्टारिका ने बहुत सारे संस्‍कृत साहित्‍य रचना की।

4. ‘संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः’ पाठ में लेखक ने क्या विचार व्यक्त किए हैं?
उत्तर- ‘संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः’ पाठ में लेखक का विचार है कि प्राचीन काल से लेकर आज तक महिलाओं ने संस्कृत साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। दक्षिण भारत की महान साहित्यकार महिलाओं ने भी संस्कृत साहित्य को समृद्ध बनाया।

5. संस्कृत में पण्डिता क्षमाराव के योगदान का वर्णन करें। (2018A)
उत्तर- संस्कृत साहित्य में आधुनिक समय की लेखिकाओं में पण्डिता क्षमाराव अति प्रसिद्ध हैं। शंकरचरितम् उनकी अनुपम रचना है। गाँधी दर्शन से प्रभावित होकर उन्होंने सत्याग्रहगीता, मीरालहरी, कथामुक्तावली, ग्रामज्योति आदि रचनाएँ की हैं।

6. संस्कृतसाहित्य में दक्षिण भारतीय महिलाओं के योगदानों का वर्णन करें।
उत्तर- चालुक्य वंश की महारानी विजयभट्टारिका ने लौकिक संस्कृत साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। लगभग चालीस दक्षिण भारतीय महिलाओं ने एक सौ पचास संस्कृत-काव्यों की रचना की है। इन महिलाओं में गंगादेवी, तिरुमलाम्बा, शीलाभट्टारिका, देवकुमारिका, रामभद्राम्बा आदि प्रमुख हैं।

7. संस्कृतसाहित्य में आधुनिक समय के लेखिकाओं के योगदानों की चर्चा करें।
उत्तर- संस्कृतसाहित्य में आधुनिक समय की लेखिकाओं में पण्डिता क्षमाराव अति प्रसिद्ध हैं। उन्होंने शंकरचरितम्, सत्याग्रहगीता, मीरालहरी, कथामुक्तावली, विचित्र-परिषदयात्रा, ग्रामज्योति इत्यादि अनेक गद्य-पद्य ग्रन्थों की रचना की। वर्तमान काल में लेखनरत कवत्रियों में पुष्पा दीक्षित, वनमाला भवालकर, मिथिलेश कुमारी मिश्र आदि प्रतिदिन संस्कृत साहित्य को समृद्ध कर रही हैं।

8. संस्कृत साहित्य के संवर्धन में महिलाओं के योगदान का वर्णन करें। (2015A, 2016C)
उत्तर- वैदिक काल से महिलाओं ने संस्कृत साहित्य की रचना एवं संरक्षण में काफी योगदान दिया है। ऋग्वेद में चौबीस और अथर्ववेद में पाँच महिलाओं का योगदान है। यमी, अपाला, उर्वशी, इन्द्राणी और वागाम्भृणी मंत्रों की दर्शिकाएँ थीं। गंगादेवी, तिरुमलाम्बा, शीलाभट्टारिका, देवकुमारिका आदि दक्षिण की महिलाओं ने भी साहित्य की रचना में योगदान दिया है। पंडिता क्षमाराव, पुष्पादीक्षित, वनमाला भवालकर आदि जैसी अनेक आधुनिक महिलाओं ने भी अपना योगदान दिया है। इस प्रकार, भारत में हमेशा संस्कृत साहित्य में महिलाओं का योगदान रहा है।

Patliputra Vaibhavam VVI Subjective Questions – संस्‍कृत कक्षा 10 पाटलिपुत्रवैभवम्

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 संस्‍कृत के पाठ एक पाटलिपुत्रवैभवम् (Patliputra Vaibhavam VVI Subjective Questions)’ के महत्‍वपूर्ण विषयनिष्‍ठ प्रश्‍नों के उत्तर को पढ़ेंगे।

Patliputra Vaibhavam VVI Subjective Questions

chapter 2 Patliputra Vaibhavam VVI Subjective Questions – 2. पाटलिपुत्रवैभवम् (पाटलिपुत्र का वैभव)
-निबंध
वैभव – ऐश्‍वर्य, धन-दौलत, सुख-शांति

लघु-उत्तरीय प्रश्‍नोत्तर (20-30 शब्‍दों में) ____दो अंक स्‍तरीय
1. पटना के मुख्य दर्शनीय स्थलों का उल्लेख करें। (2018A,2020A ІІ)
उत्तर- संग्रहालय, उच्च न्यायालय, सचिवालय, गोलघर, तारामण्डल, जैविक उद्यान, मौर्यकालिक अवशेष,महावीर मन्दिर, गुरुद्वारा आदि पटना के मुख्य दर्शनीय स्थल हैं।

2.पाटलिपुत्र शब्द कैसे बना ?
उत्तर- पाटलिपुत्र शब्‍द गुलाब फुलों के नाम का आश्रय लेकर रखा गया, ऐसा पुत्तलिका रचना में वर्णित है। पाटलिग्राम ही आगे चलकर पाटलिपुत्र नाम से प्रसिद्ध हुआ। कुछ प्राचीन संस्कृत ग्रंथों एवं पुराणों में पाटलिपुत्र का दूसरा नाम पुष्पपुर, कुसुमपुर प्राप्त होता है।

3. सिख संप्रदाय के लोगों के लिए पटना नगर क्यों महत्त्वपूर्ण है? (2013A)
अथवा, पटना का गुरुद्वारा किसके लिये और क्यों प्रसिद्ध है ? (तीन वाक्यों में उत्तर दें।)                                           (2014C)
उत्तर- सिख संप्रदाय के लोगों के लिए पटना नगर में पूजनीय स्थल अवस्थित है। यहाँ उनके दसवें गुरु गोविंद सिंह का जन्म स्थान है। यह स्थल गुरुद्वारा के नाम से जाना जाता है।

4. प्राचीन ग्रंथों में पटना के कौन-कौन से नाम मिलते हैं?  (2018A)
उत्तर- प्राचीन ग्रंथों में पटना के नाम पुष्पपुर, कुसुमपुर, पाटलिपुत्र आदि मिलते हैं।

5. कवि दामोदर गुप्त के अनुसार पाटलिपुत्र कैसा नगर है?
अथवा, दामोदर गुप्त ने पटना के संबंध में क्या लिखा है ? (2018C)
उत्तर- कवि दामोदर गुप्त के अनुसार पाटलिपुत्र (पटना) महानगर पृथ्वी पर बसे नगरों में श्रेष्ठ है। यहाँ विद्वान लोग बसते हैं। कवि ने इस महानगर की तुलना इन्द्रलोक से की है।

6. कौन-कौन से विदेशी यात्री पटना आये थे? (2018A)
उत्तर- मेगास्थनीज, फाह्यान, ह्वेनसांग और इत्सिंग आदि विदेशी यात्री पटना आये थे।

7. चंद्रगुप्त मौर्य तथा अशोक के समय पाटलिपुत्र कैसा नगर था ?
उत्तर-चन्द्रगुप्त मौर्य के समय पाटलिपुत्र की रक्षा-व्यवस्था काफी मजबूत थी। यह सुंदर नगर था। अशोक के शासनकाल में इस नगर का वैभव और अधिक समृद्ध था।

8. पाटलिपुत्र के प्राचीन महोत्सव का वर्णन करें।
उत्तर- पाटलिपुत्र में शरतकाल में कौमुदी महोत्सव बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता था। सभी नगरवासी आनंदमग्न हो जाते थे। इस समारोह का विशेष प्रचलन गुप्तवंश के शासनकाल में था। आजकल, जिस तरह दुर्गापूजा मनाई जाती है, उसी प्रकार प्राचीनकाल में कौमुदी महोत्सव मनाया जाता था।

9. राजशेखर ने पटना के सम्बन्ध में क्या लिखा है ? (2018A)
उत्तर- राजशेखर ने अपने काव्यमीमांसा में लिखा है कि पाटलिपुत्र शिक्षा का एक प्राचीन केन्द्र था। यहाँ अनेक संस्कृत विद्वान हुए हैं। यहाँ पाणिनी, पिंगल, व्‍याडि, वररूचि, पतञ्जलि आदि ख्‍याति पाई थी।

10. प्राचीन पाटलिपुत्र में शिक्षा के संबंध में लेखक के क्या विचार हैं?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ में लेखक ने बताया है कि दामोदर नामक कवि से हमें जानकारी मिलती है कि सरस्वती के वंशज यहाँ रहते थे। राजशेखर कवि के अनुसार पाणिनी, पिंगल, व्‍याडि, वररूचि, पतञ्जलि आदि यहाँ ख्‍याति पाई थी। इससे ज्ञात होता है कि प्राचीन पाटलिपुत्र शिक्षा का एक महान केंद्र था।

11. भगवान् बुद्ध ने पाटलिपुत्र नाम के बारे में क्या कहा था ?
अथवा, भगवान बुद्ध ने पटना के संबंध में क्या कहा था ? (2018A 2020A ІІ)
उत्तर- भगवान् बुद्ध प्राचीन काल में अनेक बार पाटलि ग्राम आये थे। यहाँ आकर इस गाँव के महत्त्व को बढ़ाया था और उसी समय उन्होंने कहा था-‘यह गाँव कालान्तर में एक दिन महानगर होगा, परन्तु यह नगर को आग, जल और कलह के भय से हमेशा घिरा रहेगा।

12. पटना में कौमदी महोत्सव कब मनाया जाता था? (2018C)
उत्तर- पाटलिपुत्र में शरत्काल में कौमुदी महोत्सव मनाया जाता था। इस समारोह का विशेष प्रचलन गुप्तवंश के शासनकाल में था।

13. पाटलिपुत्रवैभवम् पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।
अथवा, ‘पाटलिपुत्रवैभवम्पाठ के आधार पर पटना के वैभव का वर्णन पाँच वाक्यों में करें। (2016A)
अथवा, पाटलिपुत्र के वैभव पर प्रकाश डालें। (2020A, І)
उत्तर- पाटलिपुत्रवैभवम् पाठ में बिहार की राजधानी पटना के प्राचीन महत्त्व का निरूपण है। ऐतिहासिक परम्परा से आधुनिक राजधानी के प्रसिद्ध स्थलों का निरूपण किया गया है। चन्द्रगुप्त मौर्य के समय यहाँ की शोभा तथा रक्षा व्यवस्था उत्कृष्ट थी। अशोक के समय यहाँ समृद्धि थी । यहाँ बड़े-बड़े कवि, वैयाकरण तथा भाष्यकार परीक्षित हुए और संग्रहालय, गोलघर जैविक उद्यान
आदि दर्शनीय स्थल हैं।

14. पाटलिपुत्रनगर के वैभव का वर्णन करें। (2013C, 2014A, 2016C)
उत्तर- पाटलिपुत्र प्राचीनकाल से ही अपने वैभव परम्परा के लिए विख्यात रहा है। विदेशी यूनानी लोगों ने आकर अपने संस्मरणों में यहाँ की अनेक उत्कृष्ट सम्पदाओं का वर्णन किया है। मेगास्थनीज ने लिखा है कि चन्द्रगुप्तमौर्य काल में यहाँ की शोभा और रक्षा व्यवस्था अति उत्कृष्ट थी। अशोक काल में यहाँ निरन्तर समृद्धि रही। कवि राजशेखर ने अपनी रचना काव्यमीमांसा में ऐसी ही बात लिखी है कि यहाँ बड़े-बड़े कवि-वैयाकरण-भाष्यकार परीक्षित हुए। आज पाटलिपुत्रनगर “पटना’ नाम से जाना जाता है जहाँ संग्रहालय, गोलघर, जैविक उद्यान इत्यादि दर्शनीय स्थल हैं। इस प्रकार पाटलिपुत्र प्राचीनकाल से आज तक विभिन्न क्षेत्रों में वैभव धारण करता रहा है जिसका संकलित रूप संग्रहालय में देखने योग्य है।

15. लेखक पाटलिपुत्रवैभवम्पाठ से हमें क्या संदेश देना चाहते हैं?
उत्तर- लेखक का कहना है कि प्राचीन काल में पाटलिपुत्र एक महान नगर था, जहाँ शिक्षा, वैभव और समृद्धि थी। मध्यकाल में इसकी स्थिति ठीक नहीं थी। मुगलकाल में इस नगर का पुन: उद्धार हुआ तथा अंग्रेज के शासन काल से लेकर वर्तमान में इस नगर का अत्यधिक विकास हो रहा है।

Manglam Class 10 Sanskrit Subjective Questions – संस्‍कृत कक्षा 10 मङ्गलम्

Manglam Class 10 Sanskrit Subjective Questions

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 संस्‍कृत के पाठ एक मङ्गलम् (Manglam Class 10 Sanskrit Subjective Questions)’ के महत्‍वपूर्ण विषयनिष्‍ठ प्रश्‍नों के उत्तर को पढ़ेंगे।

Manglam Class 10 Sanskrit Subjective Questions

1. मंगलम् (शुभ या कल्याणकारी)
लेखक-महर्षि वेद
chapter 1 Manglam Class 10 Sanskrit Subjective Questions

लघु-उत्तरीय प्रश्न (20-30 शब्दों में)___दो अंक स्तरीय
प्रश्न 1. नदी और विद्वान में क्या समानता है ? (2020A)
उत्तर- जिस प्रकार बहती हुई नदियाँ अपने नाम और रूप को त्यागकर समुद्र में विलीन हो जाती है, उसी प्रकार विद्वान भी अपने नाम और रूप के प्रवाह किए बिना ईश्वर की प्राप्ति करते हैं।

2. ‘सत्य का मुँह‘ किस पात्र से ढंका है?
उत्तर- सत्य का मुँह सोने जैसा पात्र से ढंका हुआ है।

3. नदियाँ क्या छोड़कर समुद्र में मिलती हैं?
उत्तर- नदियाँ नाम और रूप को छोड़कर समुद्र में मिलती हैं।

4. मङ्गलम् पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।
उत्तर- इस पाठ में पाँच मन्त्र ईशावास्य, कठ, मुण्डक तथा श्वेताश्वतर नामक उपनिषदों से संकलित है। ये मंगलाचरण के रूप में पठनीय हैं। वैदिकसाहित्य में शुद्ध आध्यात्मिक ग्रन्थों के रूप में उपनिषदों का महत्‍व है। इन्हें पढ़ने से परम सत्ता (मुख्य शक्ति अर्थात् ईश्वर) के प्रति आदरपूर्ण आस्था या विश्वास उत्पन्न होती है, सत्य के खोज की ओर मन का झुकाव होता है तथा आध्यात्मिक खोज की उत्सुकता होती है। उपनिषदग्रन्थ विभिन्न वेदों से सम्बद्ध हैं।

5. मङ्गलम् पाठ के आधार पर सत्य की महत्ता पर प्रकाश डालें।
उत्तर- सत्य की महत्ता का वर्णन करते हुए महर्षि वेदव्यास कहते हैं कि हमेशा सत्य की ही जीत होती है। झुठ की जीत कभी नहीं होती है । सत्य से ही देवलोक का रास्ता निकलता है । ऋषिलोग देवलोक को प्राप्त करने के लिए उस सत्य को प्राप्त करते हैं । जहाँ सत्य का भण्डार है ।

6. मङ्गलम् पाठ के आधार पर आत्मा की विशेषताएँ बतलाएँ।
उत्तर- मङ्गलम् पाठ में संकलित कठोपनिषद् से लिए गए मंत्र में महर्षि वेदव्यास कहते हैं कि प्राणियों की आत्मा हृदयरूपी गुफा में बंद है। यह सूक्ष्म से सूक्ष्म और महान-से-महान है । इस आत्मा को वश में नहीं किया जा सकता है। विद्वान लोग शोक-रहित होकर परमात्मा अर्थात् ईश्वर का दर्शन करते हैं।
Chapter 1 Manglam Class 10 Sanskrit Subjective Questions – मंगलम् (शुभ या कल्याणकारी)

7. मङ्गलम् पाठ के आधार पर आत्मा की विशेषताएँ बतलाएँ।
उत्तर- मङ्गलम् पाठ में संकलित कठोपनिषद् से लिए गए मंत्र में महर्षि वेदव्यास कहते हैं कि मनुष्य के हृदयरूपी गुफा में अणु से भी छोटा और महान से महान आत्मा विद्यमान है। विद्वान शोक रहित होकर उस श्रेष्ठ परमात्मा को देखता है ।

8. आत्मा का स्वरूप क्या है ? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।
उत्तर- कठोपनिषद में आत्मा के स्वरूप का बड़ा ही अच्छा तरिका से विश्लेषण किया गया है । आत्मा मनुष्य की हृदय रूपी गुफा में अवस्थित है। यह अणु से भी सूक्ष्म है। यह महान् से भी महान् है। इसका रहस्य समझने वाला सत्य की खोज करता है। वह शोकरहित उस परम सत्य को प्राप्त करता है।

9. महान लोग संसाररूपी सागर को कैसे पार करते हैं ?
उत्तर- श्वेताश्वतर उपनिषद् में ज्ञानी लोग और अज्ञानी लोग में अंतर स्पष्ट करते हुए महर्षि वेदव्यास कहते हैं कि अज्ञानी लोग अंधकारस्वरूप और ज्ञानी प्रकाशस्वरूप हैं । महान लोग इसे समझकर मृत्यु को पार कर जाते हैं, क्योंकि संसाररूपी सागर को पार करने का इससे बढ़कर अन्य कोई रास्ता नहीं है।

10. महान लोग संसाररूपी सागर को कैसे पार करते हैं ?
उत्तर- श्वेताश्वतर उपनिषद् में ज्ञानी लोग और अज्ञानी लोग में अंतर स्पष्ट करते हुए महर्षि वेदव्यास कहते हैं कि ईश्वर ही प्रकाश का पुंज है। उन्हीं के भव्य दर्शन से सारा संसार आलोकित होता है। ज्ञानी लोग उस ईश्वर को जानकर सांसारिक विषय-वासनाओं से मुक्ति पाते हैं। इसके अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं है। Chapter 1 Manglam Class 10 Sanskrit Subjective Questions – मंगलम् (शुभ या कल्याणकारी)

11. विद्वान पुरुष ब्रह्म को किस प्रकार प्राप्त करता है?
उत्तर- मुण्डकोपनिषद् में महर्षि वेद-व्यास का कहना है कि जिस प्रकार बहती हुई नदियाँ अपने नाम और रूप अर्थात् व्यक्तित्व को त्यागकर समुद्र में मिल जाती हैं उसी प्रकार महान पुरुष अपने नाम और रूप, अर्थात् अपने व्यक्तित्व को त्यागकर ब्रह्म को प्राप्त कर लेता है।

12. उपनिषद् को आध्यात्मिक ग्रंथ क्यों कहा गया है?
उत्तर- उपनिषद् एक आध्यात्मिक ग्रंथ है, क्योंकि यह आत्मा और परमात्मा के संबंध के बारे में विस्तृत व्याख्या करता है। परमात्मा संपूर्ण संसार में शांति स्थापित करते हैं। सभी तपस्वियों का परम लक्ष्य परमात्मा को प्राप्त करना ही है।

13. उपनिषद् का क्या स्वरूप है? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।
उत्तर- उपनिषद् वैदिक वाङ्मय का अभिन्न अंग है। इसमें दर्शनशास्त्र के सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया गया है। सभी जगह परमपुरुष परमात्मा का गुणगान किया गया है। परमात्मा के द्वारा ही यह संसार व्याप्त और अनुशासित है। सबों की तपस्या का लक्ष्य उसी को प्राप्त करना है।

Bihar Board Class 10th Sanskrit Solutions Notes पीयूषम् द्वितीयो भाग: (भाग 2)

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Class 10th Sanskrit Solutions Notes संस्‍कृत के सम्‍पूर्ण पाठ का व्‍याख्‍या

Bihar Board Class 10th Sanskrit Solutions संस्‍कृत पीयूषम् द्वितीयो भाग: (भाग 2)

Bihar Board Class 10th Sanskrit Piyusham Bhag 2

Bihar Board Class 10th Sanskrit Solutions संस्‍कृत पीयूषम् द्वितीयो भाग: (भाग 2) (अनुपूरक पुस्तक)

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यह नोट्स NCERT तथा SCERT बिहार पाठ्यक्रम पर पूर्ण रूप से आ‍धारित है। इसमें समाजिक विज्ञान के प्रत्‍येक टॉपिक के बारे में जानकारी उपलब्‍ध कराया गया है, जो परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही महत्‍वपूर्ण है। इस पोस्‍ट को पढ़कर आप बिहार बोर्ड कक्षा 10 के सामाजिक विज्ञान के किसी भी पाठ को आसानी से समझ सकते हैं और उस पाठ के प्रश्‍नों का उत्तर दे सकते हैं। जिस भी पाठ को पढ़ना है उस पर क्लिक कीजिएगा, तो वह खुल जाऐगा। उस पाठ के बारे में आपको वहाँ सम्‍पूर्ण जानकारी मिल जाऐगी।

Class 10th Social Science Solutions Notes सामाजिक विज्ञान प्रत्‍येक पाठ की सम्‍पूर्ण जानकारी

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आशा करता हुँ कि आप को सामाजिक विज्ञान के सभी पाठ को पढ़कर अच्‍छा लगेगा और परीक्षा में काफी अच्‍छा स्‍कोर करेंगें। अगर आपको बिहार बोर्ड कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान इतिहास, भूगोल, राजनीति विज्ञान और अर्थशास्‍त्र से संबंधित कोई भी टॉपिक के बारे में जानना चाहते हैं, तो नीचे कमेन्‍ट बॉक्‍स में क्लिक कर पूछ सकते हैं। अगर आपको और विषय के बारे में पढ़ना चाहते हैं तो भी हमें कमेंट बॉक्‍स में बता सकते हैं। आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

Bihar Board 12th Scrutiny Result 2021 – बिहार बोर्ड ने जारी किया 12वीं की स्‍क्रूटनी परीक्षा का परिणाम, यहाँ चेक करें।

जिन छात्रों ने अपनी कक्षा 12वीं के रिजल्ट की स्क्रूटनी के लिए आवेदन किया था, वे अब  ऑनलाइन रिजल्ट नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर चेक कर सकते हैं।

Bihar Board 12th Scrutiny Result 2021 – Direct Link

Bihar Board 12th Scrutiny Result 2021

बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड यानी बीएसईबी ने कक्षा 12वीं बोर्ड यानी इंटर परीक्षा 2021 के स्क्रूटनी का परिणाम जारी कर दिया है। जिन छात्रों ने अपनी कक्षा 12वीं के रिजल्ट की स्क्रूटनी के लिए आवेदन किया था, वे अब biharboardonline.com पर रिजल्ट ऑनलाइन चेक कर सकते हैं। आपकी सुविधा के लिए सीधा लिंक नीचे दे दिया गया है जिस पर क्लिक कर आसानी से रिजल्‍ट देख सकते हैं।

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गौरतलब है कि बिहार बोर्ड 12वीं कक्षा का परिणाम 26 मार्च, 2021 को घोषित किया गया था। इस वर्ष कुल लगभग 78% छात्र उत्तीर्ण हुए थे। स्क्रूटनी के लिए विंडो 01 अप्रैल, 2021 को खुली थी। हालांकि, कोरोना महामारी के कारण विभिन्‍न स्‍तरों के लॉकडाउन से स्क्रूटनी के रिजल्‍ट प्रकाशित करने में देरी हुई। स्क्रूटनी परिणाम अब आधिकारिक वेबसाइट के उपलब्ध कराए गए ऑनलाइन लिंक पर उपलब्ध है। हालांकि, अभी कक्षा 10वीं कक्षा के परीक्षा परिणाम 2021 की स्क्रूटनी के लिए बिहार बोर्ड के लिए अभी तक कोई अपडेट नहीं है। अभी इसमें थोड़ा देर हो सकती है। संभावना है कि कक्षा 10 का परिणाम भी जल्द ही जारी किया जा सकता है।

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संस्कृत कक्षा 10 ध्रुवोपाख्‍यानम् ( ध्रुव की कहानी ) – Dhruvopakhyanam in Hindi

Dhruvopakhyanam

इस पोस्‍ट में हम बिहार बोर्ड के वर्ग 10 के संस्कृत द्रुतपाठाय (Second Sanskrit) के पाठ 25  (Dhruvopakhyanam) “ध्रुवोपाख्‍यानम्” के अर्थ सहित व्‍याख्‍या को जानेंगे।

Dhruvopakhyanam
Dhruvopakhyanam

पुरा उत्तानपादो नाम राजा आसीत् । तस्य द्वे पल्यौ आस्ताम्-सुनीतिः सुरुचिश्च । सनीति: ज्येष पत्नी आसीत्, सुरुचिः तु कनिष्ठा आसीत् । सुरुचिः पत्युः अतीव प्रियासीत् । सुनीतेः पुत्रस्य नाम ध्रुवः सुरूचे पुत्रस्य च नाम उत्तमः आसीत् । तयोः सुरुचेः पुत्रः उत्तमः नृपस्य प्रियतरः आसीत् ।
एकदा राज्ञः उत्तानपादस्य क्रोडे उत्तमः आसीनः आसीत् । उत्तमं दृष्ट्वा शुवास्यापि इच्छा पितुः अङ्कम् आरोढुं सजाता । किन्तु तत्र स्थिता विमाता सुरुचिः तं न्यवारयत् अवदत् च-कुमार ! त्वं पितुः अङ्कमारोढुं योग्यः नासि यतो हि त्वं मम पुत्रः नासि । मम पुत्र एव अस्य योग्यः ।

विमात्रा अनादृतः धुवः दुःखितः अभवत् । असी स्वमातुः सुनीतेः सपीमप् अगच्छत् । तं दुःखितं दृष्ट्वा सुनीतिः दुःखस्य कारणम् अपृच्छत् । धुवः सर्वं वृत्तान्तम् अकथयत् । पुत्रस्य वचनं श्रुत्वा सुनीति अवदत् -पुत्र ! तव विमाता सत्यं वदति । तथापि दुःखितः मा भद। तपसा पितुरडू लभस्व । वनं गच्छ, भक्तवत्सलं भगवन्तं सेवस्य इति । अम्ब, भक्तवत्सलं भगवन्तं सेविष्ये अभीष्टं च प्राप्स्यामि इत्युक्त्वा मातरं प्रणम्य च पञ्चवर्षीय: बालकः धुवः तपोवनम् अगच्छत् । मार्गे देवर्षिः नारदः तम् अपृच्छत्-वत्स, त्वं कुत्र किमर्थञ्च गच्छ? ध्रुवोऽवदत्-भगवन्, तपसा भगवन्तं तोषयितुं वनं गच्छामि । अहम् ऐश्वर्य राज्यसुखानि वा न अभीप्सामि । अहं पितुरई इच्छामि । कृपया तपोमार्गम् उपदिशतु भवान्। वस्य दृढ निश्चयं दृष्ट्वा देवर्षिः नारदः अवदत्-वत्स, यमुनातदस्थितं मधुसंज्ञं वनं गच्छ, तत्र वासुदेवम् आराधय । हरिः एव तव मनोरथ पूरयिष्यति । इत्युक्त्वा नारदः ततोऽगच्छत्।      अथ ध्रुवः मधुकाननं प्राप्य विष्णुं ध्यातुम् आरब्धवान् । प्रथमं तु अनेके देवाः इन्द्रेण सह तस्य ध्यानभङ्ग कर्तुं प्रयासमकुर्वन् । किन्तु सर्वे ते विफलप्रयलाः जाताः । षट् मासानन्तरं छुवस्य तपसः भीताः विष्णोः समीपमयच्छन् अवदन् च-प्रभो, ध्रुवस्य तपसा तप्ताः भीताश्च ययं त्वां शरणमागताः । तं तपसः निवर्तय इति । हरिः अवदत्-सुरा, धूवः इन्द्रत्वं धनाधिक्यं वा नेच्छति । भवन्तः स्वस्थानं गच्छत” इति । तदनन्तरं श्रीहरिः धुवस्य पुरः आविरभवत् तं करेण अस्पृश्यत् च। श्रीहरिः अवदत्-पुत्र, वरं वरय । ध्रुवोऽवदत्भगवन्, मे तपसा यदि परमं तोषं गतोऽसि तदा मे प्रज्ञां देहि पितुरङ्कञ्च प्रयच्छ । सन्तुष्टः हरिः तस्मै प्रज्ञां दुर्लभं ध्रुवपदञ्च प्रायच्छत् । गृहं प्रतिनिवृत्तं ध्रुवं प्रति पितुः उत्तानपादस्य विमातुः सुरुचैः च चित्ते निर्मले अभवताम् । इत्थं पञ्चवर्षीयोऽपि बालकः ध्रुवः भगवतः प्रसादात् अचलम् उच्‍चस्‍थानम् ध्रुवपदं प्राप्‍नोत्।

दृढेन मनसा कार्य चिन्तयित्वा नरो व्रती।
कठोरतपसा सिद्धिं लभते नात्र संशयः ॥

अर्थ : पुराने जमाने में उत्तानपाद नामक राजा थे। उनकी दो पत्‍नीयाँ थीं सुनीति और सुरुचि । सुनीति बड़ी पत्‍नी थी, सुरुचि छोटी पत्नी थी। सुरुचि पति का बहुत प्रिय थी। सुनीति के पुत्र का नाम ध्रुव और सुरुचि के पुत्र का नाम उत्तम था। उन दोनों में सुरुचि का पुत्र उत्तम राजा का अत्यन्त प्रिय था।

एक दिन राजा उत्तानपाद की गोद में उत्तम बैठा था। उत्तम को देखकर ध्रुव की भी इच्छा पिता की गोद में चढ़ने की हुई। किन्तु वहाँ पर बैठी सौतेली माता सुरुचि उसको मना करते हुए बोली कुमार ! तुम पिता की गोद में चढ़ने योग्य नहीं हो क्योंकि तुम मेरा बेटा नहीं हो । मेरा बेटा ही इसके योग्य है।

सौतेली माता के द्वारा अनादर पाकर ध्रुव दुःखी हो गया । वह अपने माता सुनीति के निकट गया । उसको दुःखी देखकर सुनीति दुःख का कारण पूछती है। ध्रुव ने सारी कहानी सुना दी। पुत्र के वचन को सुनकर सुनीति बोली- पुत्र ! तुम्हारी सौतेली माँ सत्य बोली। इसके बाद भी दु:ख मत करो। तपस्या से पिता की गोद प्राप्त करो। वन जाओ। भक्तवत्सल भगवान को सेवा करो । माँ. भक्तवत्सल भगवान की सेवा करूँगा और अपने अभीष्ट को प्राप्त करूँगा, यह कहकर माता को प्रणाम कर पाँच वर्ष का बालक ध्रुव तपस्या के लिए वन चला गया। रास्ते में देवर्षि नारद ने उससे पूछा- वत्स तुम कहाँ और क्यों जा रहे हो? ध्रुव ने कहा-भगवन् तपस्या से भगवान को प्रसन्न करने जा रहा हूँ। मैं ऐश्वर्य या राज्य सुख की अभिलाषा नहीं रखता हुँ। मैं पिता की गोद पाना चाहता हूँ। कृपया आप मुझे तपस्या के विषय में उपदेश दें। ध्रुव का दृढ निश्चय देखकर देवर्षि नारद ने कहा- वत्स ! यमुना नदी के किनारे का स्थित मधु नामक वन में जाओ और वहाँ भगवान विष्णु की आराधना करो। भगवान विष्णु ही तुम्हारा मनोरथ पूरा करेंगे। यह कहकर नारद वहाँ से चले गये।

इसके बाद ध्रुव मधु नामक जंगल में जाकर विष्णु का ध्यान लगाना प्रारम्भ कर दिया । पहले तो अनेक देवता लोग इन्द्र के साथ होकर उसका ध्यान भंग करने का प्रयास किया। लेकिन वे सभी विफल हो गये। वे सभी छ: मास के अन्दर ध्रुव की तपस्या से भयभीत होकर विष्णु के समीप गये और बोले— प्रभु, ध्रुव की तपस्या से दग्ध होकर और भयभीत होकर हम सभी आपकी शरण में आये हैं। उसको तपस्या से अलग करें। भगवान हरि ने कहा-देवता लोग, ध्रुव इन्द्र के पद के लिए या अधिक धन की इच्छा नहीं रखता है। आप लोग अपने-अपने स्थान को जाइये। इसके बाद श्रीहरि ध्रुव के सामने आ गये और उसको अपने हाथ से स्पर्श किया। श्रीहरि ने कहा- पुत्र, वरदान माँगो । ध्रुव ने कहा- भगवान्, मेरी तपस्या से यदि आप बहुत संतुष्ट हैं तो मुझको बुद्धि और पिता की गोद दें। सन्तुष्ट भगवान हरि ने उसको बुद्धि और दुर्लभ ध्रुवपद प्रदान किया । घर लौटकर आने पर ध्रुव ने देखा कि पिता उत्तानपाद और विमाता सुरुचि का चित्त निर्मल हो गया है। इस प्रकार पाँच साल का बालक ध्रुव भगवान की कृपा से अचल और उच्च स्थान ध्रुव पद को प्राप्त किया।

जो व्यक्ति मनसे दृढ़तापूर्वक कार्य का चिन्तन करता है वही व्यक्ति कठोर तपस्या से सिद्धि प्राप्त करता है, इसमें संशय नहीं।

अभ्यास

प्रश्न: 1. ध्रुवोपाख्यानं का शिक्षा ददाति?

उत्तरम्-ध्रुवोपाख्यानं शिक्षा ददाति यत्-मनुष्य दृढ़ संकल्पेन सर्व प्राप्नोति ।

प्रश्न: 2. स्वदृढ़निश्चयेन पञ्चवर्षीयः ध्रुवः किं लब्धवान् ?

उत्तरम् स्वदृढ निश्चयेन पञ्चवर्षीयः ध्रुव: प्राज्ञां अचलपदं च ध्रुवपदं लब्धवान् ।

प्रश्न: 3. सुरुचेः पुत्रः कः आसीत् ? सुनीतेः पुत्रः कः आसीत् ?

उत्तरम् सुरुचेः पुत्रः उत्तमः आसीत् । सुनीतेः पुत्रः ध्रुवः आसीत् ।

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संस्कृत कक्षा 10 नरस्‍य ( नर का ) – Narasya in Hindi

Narasya

इस पोस्‍ट में हम बिहार बोर्ड के वर्ग 10 के संस्कृत द्रुतपाठाय (Second Sanskrit) के पाठ 24 (Narasya) “नरस्‍य ( नर का )” के अर्थ सहित व्‍याख्‍या को जानेंगे।

Narasya
Narasya

मित्रम् – धर्मः
शत्रुः – दोषः (अवगुणः)
आभूषणम् – सद्वाणी
गुरुः – पितरौ
ज्ञानम् – तत्त्वार्थसम्बोधः
दया सर्वसुखैषित्वम्
धर्मः – कर्तव्यपरायणता
कार्यम् – सर्वजीवकल्याणम्
अमूल्यं वस्तु  – समय:
पूजास्थलम् – स्वकर्मस्थलम्
रक्षकः – स्वकर्म
हन्ता – स्वकर्म
ध्रुवसत्यम् – मृत्युः
आलोचनम् आत्मालोचनम्
पुस्तकम् – संसारः
उपलब्धिः – परहितरक्षा
व्याधिः हृदयपरितापः
अर्थ (Narasya)- मित्र धर्म है।
शत्रु – दोष (अवगुण) है।
आभूषण – सुन्दर वाणी है।
गुरु – माता-पिता हैं।
ज्ञान – तत्वार्थ की जानकारी है।
दया – सभी को सुखी देखने की भावना है।
धर्म – अपने कर्तव्य में लगा रहना है।
कार्य – सभी जीव के कल्याण में लगे रहना है।
अमूल्य वस्तु – समय है।
पूजा स्थल – अपना कर्म-स्थल है।
रक्षक – अपना कर्म है।
हत्यारा – अपना कर्म है।
अचल सत्य – मृत्यु है।
आलोचना योग्य – अपनी आलोचना करने योग्य है।
पुस्‍तक – संसार है।
उपलब्धि – दूसरों की हित की रक्षा करना है।
रोग – हृदय का पश्चाताप है।
अभ्यास

प्रश्न: 1. नरस्य आभूषणं किम् अस्ति?

उत्तरम्-नरस्य आभूषणं सदवाणी अस्ति ।

प्रश्न: 2. नरस्य को धर्मः?.

उत्तरम् नरस्य मित्रम् धर्मः।

प्रश्न: 3. नरस्य किं कार्यम् ?

उत्तरम् नरस्य सर्वजीव कल्याणम कार्यम् ?

प्रश्न: 4. नरस्य की शत्रुः?

उत्तरम्-नरस्य अवगुणः शत्रुः।

प्रश्न: 5. अनेन पाठेन का प्रेरणा प्राप्यते ?
उत्तरम् अनेन पाठेन प्रेरणा प्राप्यते यत्-मानवस्य धर्मः एव मित्रम् अवगुणः एव शत्रुः सवाणी एव आभूषणं अस्ति इत्यादि।

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