इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड के कक्षा 7 के संस्कृत अमृता भाग 2 पाठ 3 ऋतुपरिचय: (Ritu Parichay Class 7th Solutions) के सभी पाठ के व्याख्या को पढ़ेंगें।
तृतीय: पाठ: ऋतुपरिचय: (ऋतु संबंधी जानकारी)
अभ्यास के प्रश्न एवं उत्तर
मौखिक : प्रश्न 1. अधोलिखितानां पदानाम् उच्चारणं कुरुत: अस्माकम् इच्छन्ति, वृष्टिरपि, तृप्यति, जलप्लावनम्, शरत्काले, तुषारै:, प्रज्वालितः, सेवितश्च ऋतुषु । संकेत : छात्र जोर-जोर से सही उच्चारण करें ।
प्रश्न 2. अधोलिखितानां पदानाम् अर्थं वदतः किसलयानि, पादपः, प्रायेण, विच्छिन्नाः, सर्वत्र, यदा-कदा, पक्वम्, तुषारै:, रोचन्ते । उत्तर— किसलयानि = नये पत्ते । पादपः = पेड़-पौधे । प्रायेण = प्राय: । विच्छिन्ना: टूट जाते हैं । सर्वत्र = सभी जगह । यदा-कदा = कभी-कभी । पक्वम् = पका हुआ । तुषारै: ओस कणों से। रोचन्ते = अच्छे लगते हैं ।
इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड के कक्षा 7 के संस्कृत अमृता भाग 2 पाठ 2 कूर्मशशककथा (Karmassa Katha Class 7th Sanskrit Solutions) के सभी पाठ के व्याख्या को पढ़ेंगें।
द्वितीय: पाठ: कूर्मशशककथा (कछूआ एवं खरहे की कहानी)
अभ्यास के प्रश्न एवं उत्तर
मौखिक :
प्रश्न 1. निम्नलिखित पदानाम् अर्थं वदतः अरण्ये, कूर्मः शशकः परस्परम्, मन्थरगतिः, दीर्घकालम्, शनै: शनै: निरन्तरम् एकदा उत्तर– अरण्ये = वन में । कूर्मः = कछुआ । शशकः = खरहा। परस्परम् = आपस मैं । मन्थरगतिः = धीरे-धीरे चलनेवाला । दीर्घकालम् = बहुत देर तक । शनैः-शनैः = धीरे- धीरे । निरन्तरम् = लगातार । एकदा = एकबार |
प्रश्न 2. इमानि पदानि पठतः प्रथम पुरुषः एकवचन द्विवचन बहुवचन ‘लङ्‘ लकार (भूतकाल ) अभवत् अभवताम् अभवन् अपठत् अपठताम् अपठन्
उत्तर : (क) चम्पारण्ये सरोवरे एकः कूर्मः निवसति स्म । (ख) परस्परम्- आलापेन तयो: मित्रता दृढ़ा जाता । (ग) कूर्मः नियमस्य पालकः सदा परिश्रमी च आसीत् (घ) शशकः लज्जितः जातः । (ङ) निरन्तरं श्रमेण असम्भवम् अपि कार्यं सम्भवति ।
प्रश्न 5. सुमेलनं कुरुतः ‘अ’ ‘आ’ (क) शशकः (i) मेहनत से (ख) कूर्म: (ii) बहुत समय तक (ग) श्रमेण . (iii) तालाब (घ) दीर्घकालम् (iv) खरगोश (ङ) अरण्ये (v) कछुआ (च) सरोवर: (vi) जंगल में
उत्तर : ‘अ‘ ‘आ‘ (क) शशकः (iv) खरगोश (ख) कूर्मः (v) कछुआ (ग) श्रमेण (i) मेहनत से (घ) दीर्घकालम् (ii) बहुत समय तक (ङ) अरण्ये (vi) जंगल में (च) सरोवर: (iii) तालाब
प्रश्न 8. संस्कृते अनुवादं कुरुतः (क) मैं साकिल से (द्विचक्रिकया) घर जाता हूँ । (घ) हम दोनों धीरे-धीरे उद्यान में टहलते हैं। (अट् = टहलना ) (ग) हमलोग संस्कृत लिखते हैं । (घ) खरगोश तेज दौड़ता है । (ङ) कछुआ धीरे-धीरे चलता है। (च) भारत में छह ऋतुएँ होती हैं । (छ) वसन्त ऋतुओं का राजा है ।
इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड के कक्षा 7 के संस्कृत अमृता भाग 2 पाठ 1 वन्दना (Vandana Class 7th Sanskrit Solutions) के सभी पाठ के व्याख्या को पढ़ेंगें।
प्रथम: पाठ: वन्दना (प्रार्थना)
अभ्यास के प्रश्न एवं उत्तर
मौखिक :
प्रश्न 1. उच्चैः वदत (ऊँची आवाज में उच्चारण करें): उत्तर : एकवचन द्विवचन बहुवचन (क) उत्तमपुरुष नमामि नमाव: नमामः वदामि वदाव: वदामः स्मरामि स्मरावः स्मरामः
प्रश्न 9. पाठभिन्नं श्लोकमेकं स्वस्मरणेन लिखत : उत्तर – यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा शास्त्रं तस्य करोति किम् लोचनाभ्यां विहीनस्य दर्पणं किं करिष्यति ॥
प्रश्न 10. संस्कृते अनुवादं कुरुत । (क) वह पिता को प्रणाम करता है । (ख) वे दोनों धन प्राप्त करते हैं । (ग) वे सब सत्य बोलते हैं। (घ) तुम वेद पढ़ते हो । (ङ) देवता को (देवाय) नमस्कार है। (च) तुम दोनों विद्यालय जाते हो । (छ) तुमलोग कार्य करते हो ।
इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड के कक्षा 6 के सामाजिक विज्ञान Bihar Board Class 9th Social Science Solutions All Topics के सभी पाठ के व्याख्या को पढ़ेंगें। यह पोस्ट बिहार बोर्ड के परीक्षा की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।
इसको पढ़ने से आपके किताब के सभी प्रश्न आसानी से हल हो जाऐंगे। इसमें चैप्टर वाइज सभी पाठ के नोट्स को उपलब्ध कराया गया है। सभी टॉपिक के बारे में आसान भाषा में बताया गया है।
यह नोट्स NCERT तथा SCERT बिहार पाठ्यक्रम पर पूर्ण रूप से आधारित है। इसमें समाजिक विज्ञान के प्रत्येक टॉपिक के बारे में जानकारी उपलब्ध कराया गया है, जो परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस पोस्ट को पढ़कर आप बिहार बोर्ड कक्षा 7 के सामाजिक विज्ञान के किसी भी पाठ को आसानी से समझ सकते हैं और उस पाठ के प्रश्नों का उत्तर दे सकते हैं। जिस भी पाठ को पढ़ना है उस पर क्लिक कीजिएगा, तो वह खुल जाऐगा। उस पाठ के बारे में आपको वहाँ सम्पूर्ण जानकारी मिल जाऐगी।
Bihar Board Class 6th Social Science Geography Solutions
Bihar Board Class 6th Social Science Geography Solutions Hamari Duniya Bhag 1 हमारी दुनिया भाग 1
आशा करता हुँ कि आप को सामाजिक विज्ञान के सभी पाठ को पढ़कर अच्छा लगेगा और परीक्षा में काफी अच्छा स्कोर करेंगें। अगर आपको बिहार बोर्ड कक्षा 6 सामाजिक विज्ञान इतिहास, भूगोल, राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र से संबंधित कोई भी टॉपिक के बारे में जानना चाहते हैं, तो नीचे कमेन्ट बॉक्स में क्लिक कर पूछ सकते हैं। अगर आपको और विषय के बारे में पढ़ना चाहते हैं तो भी हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान भूगोल के पाठ 9. मौसम और जलवायु ( Mausam Aur Jalvayu Class 7th Solutions)के सभी टॉपिकों के बारे में अध्ययन करेंगे।
12. मौसम और जलवायु
अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें :
प्रश्न (i) मौसम के अंतर्गत किन-किन तत्वों का अवलोकन किया जाता है ? उत्तर — मौसम के अन्तर्गत निम्नलिखित तत्वों का अवलोकन किया जाता है (i) तामपान, (ii) वर्षा, (iii) आर्द्रता, (iv) वायु का वेग ।
यदि एक वाक्य में कहें तो हम कह सकते हैं कि “किसी निश्चित स्थान पर निश्चित समय में वायुमंडल की तत्कालीन दशा को मौसम कहते हैं । “
प्रश्न (ii) जलवायु को परिभाषित करें । इसका निर्धारण कैसे होता है ? उत्तर — किसी क्षेत्र विशेष में लम्बे समय तक मौसम की औसत दशा को जलवायु कहते हैं ।” मौसम का निर्धारण करने के लिए एक लम्बे समय ( सामान्यतः 33 वर्ष) तक वहाँ के तापमान की स्थिति, वर्षा की मात्रा, पवन की दिशा आदि का आंकड़ा एकत्र कर समय से भाग देकर उसका औसत निकाला जाता है ।
प्रश्न (iii) जलवायु को प्रभावित करने वाले कौन-कौन से कारक हैं ? उत्तर – जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं :
(i) अक्षांश, (ii) समुद्र तट से दूरी, (iii) पर्वत की दिशा और अवरोध, (iv) समुद्री धाराओं की दिशा, (v) पवन की दिशा, (vi) समुद्र तल से ऊँचाई तथा (vii) तापमान ।
प्रश्न (iv) पृथ्वी पर विभिन्न स्थानों का तापमान अलग-अलग क्यों होता है ? उत्तर — किसी भी स्थान का तापमान का आधार वहाँ प्राप्त होने वाली सूर्य की किरणें हैं। जहाँ सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं वहाँ का तापमान अधिक होता है । जहाँ-जहाँ सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं, वहाँ-वहाँ का तापमान कम होते जाता है । अतः स्पष्ट है कि सूर्य की किरणों की कमी – बेसी तथा सीधी-तिरछी पड़ने के कारण पृथ्वी पर विभिन्न स्थानों का तापमान अलग-अलग होता है ।
प्रश्न (v) ” तापमान का प्रभाव मौसम पर पड़ता है ।” उचित उदाहरण सहित पुष्टि कीजिए। उत्तर – ऐसे तो मौसम को प्रभावित करने वाले अनेक कारक हैं । लेकिन उन सभी कारकों में प्रमुख कारक तापमान है। तापमान को बढ़ाने या घटाने में प्रमुख भूमिका सौर ऊर्जा की होती है। कारण कि मुख्य रूप से सौर ऊर्जा जिन स्थानों पर अधिक मिलती है, वहाँ का वातावरण गर्म हो जाता है । जहाँ पर सौर ऊर्जा कम मिलती वहाँ का वातावरण ठंडा हो जाता है | गर्म और ठंडा वातावरण से वहाँ का मौसम प्रभावित होता है ।
प्रश्न (vi) पृथ्वी पर कितने ताप कटिबंध हैं ? इसका क्या महत्त्व है ? उत्तर — पृथ्वी पर कुल पाँच ताप कटिबंध हैं । विषुवत रेखा के दोनों तरफ ऊष्णकटिबंध हैं । यहाँ पर सूर्य की सीधी किरणें पड़ती हैं। इससे उस रेखा के दोनों ओर का क्षेत्र उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में आता है । इसके उत्तर में उत्तरी समशीतोष्ण कटिबंध है। इसे 23 /2 डिग्री कर्क वृत्त के नाम से भी जाना जाता है । इसके उत्तर में उत्तर शीत कटिबंध है । इसे 662 डिग्री उत्तर ध्रुववृत्त के नाम से जानते हैं । विषुवत रेखा के दक्षिण में दक्षिण समशीतोष्ण कटिबंध है। इसे 231, डिग्री मकर वृत्त कहते हैं । इसके दक्षिण में दक्षिण शीतकटिबंध है । इसे 66 1/2 डिग्री दक्षिण ध्रुव वृत्त कहते हैं ।
इन कटिबंधों का महत्व है कि विषुवत रेखा के उत्तर-दक्षिण उष्ण कटिबंध के पास तापमान अधिक रहता है । समशीतोष्ण कटिबंधों के आसपास तापमान सामान्य रहता है। उत्तर-दक्षिण शीत कटिबंधों के पास बर्फ जमी रहती है ।
प्रश्न (vii) वायु में गति के क्या कारण हैं ? उत्तर — पृथ्वी पर जहाँ कहीं तापमान अधिक हो जाता है वहाँ की हवा गर्म होकर ऊपर चली जाती है। इससे वहाँ निम्नदाब का क्षेत्र बन जाता है। इस निम्न दाब को भरने के लिये उच्च दाब के क्षेत्र से हवा चल देती है । जिस चाल से हवा चलती है, की गति कहते हैं । वायु में गति के ये ही कारण हैं ।
प्रश्न (vii) पवन के कितने प्रकार हैं ? प्रत्येक का नाम सहित वर्णन कीजिए। उत्तर- पवन के तीन प्रकार हैं— (क) स्थायी पवन, (ख) मौसमी पवन तथा (ग) स्थानीय पवन ।
(क) स्थायी पवन — स्थायी पवन हमेशा एक निश्चित दिशा में चलता है 1 यह पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण उत्पन्न होता है । स्थायी पवन अधिक दाब पेटियों से कम दाब वाली पेटियों की ओर चलता है । पछुआ पूर्वी तथा व्यापारिक पवन स्थायी पवन के उदाहरण हैं
(ख) मौसमी पवन — जिस पवन की दिशा मौसम के अनुसार बदलती रहती उसे मौसमी पवन कहते हैं । यह पवन ऋतु के अनुसार अपनी दिशा बदल. लेता है भारत में मौसमी पवन से ही वर्षा होती है ।
(ग) स्थानीय पवन – वर्षा के खास समय और खास भू-खंड (स्थान) पर चलने वाली हवाएँ स्थानीय पवन कहलाती हैं । उदाहरण है उत्तर भारत के मैदानी भाग में मई- जून महीनों में चलने वाली गर्म पछुआ पवन । इस पवन के साथ कभी-कभी लू भी चलता है । लू का विभिन्न स्थानों पर विभिन्न नाम हैं ।
प्रश्न (ix) स्थलीय समीर एवं समुद्री समीर में क्या अंतर है ? स्पष्ट कीजिए । उत्तर—जब हवा स्थल की ओर से समुद्र की ओर चलती है तब इस हवा को स्थलीय समीर कहते हैं । ठीक इसके विपरीत जब हवा समुद्र की ओर से स्थल की ओर चलने लगती है तब इसे समुद्री समीर कहते हैं । स्थलीय समीर सदैव रात में चलता है, वहीं समुद्री समीर सदा दिन में चला करता है ।
प्रश्न (x) चक्रवात क्या है ? इसके प्रभावों का वर्णन कीजिए । उत्तर – तूफानी हवाओं के अति शक्तिशाली भंवर को चक्रवात कहते हैं । चक्रवात के प्रभाव से भारी आँधी आती है और जन-जीवन को काफी कुप्रभावित करती हैं । हवा नाचते-नाचते काफी ऊँचाई पर चली जाती है और भारी वर्षा कराती है। चक्रवात यदि जमीन पर आते हैं तो आँधी-वर्षा लाते हैं और यदि समुद्र में आते हैं तो उसकी लहरें काफी ऊँचाई तक उठ जाती हैं।
प्रश्न (xi) वर्षा कैसे होती है ? इसके कितने प्रकार हैं ? उत्तर — ऊँचाई पर जलवाष्प के संघनन होने से वर्षा होती है । यह सदैव चलते रहने वाली प्रक्रिया है । वर्षा होती है। पृथ्वी पर पानी पहुँचता है । फिर ताप प्राप्त कर पानी वाष्प बनकर ऊपर जाता है । संघनन होता है और वर्षा होती है । सदैव चलते रहने वाले इसी प्रक्रम को ‘जलचक्र’ कहते हैं । वर्षा तीन प्रकार की होती है : (क) संवाहनिक वर्षा, (ख) पर्वतीय वर्षा तथा (ग) चक्रवातीय वर्षा ।
प्रश्न (xii) अत्यधिक वर्षा से क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं ? उत्तर— अत्यधिक वर्षा से सबसे पहले तो बाढ़ आ जाती है। बाढ़ में घर के घर ही क्या, गाँव-के-गाँव बह जाते हैं। आदमी के साथ जीव जंतु भी ऊँचे स्थानों की ओर भागते हैं। लगी-लगाई फसल, यहाँ तक कि कभी-कभी तैयार फसल भी बह जाती है। सरकारी तथा गैरसरकारी संस्थाओं को आदमियों के रहने तथा खाने-पीने की व्यवस्था में जुट जाना पड़ता है
प्रश्न (xiii) अधिक वर्षा एवं कम वर्षा वाले क्षेत्रों के जन-जीवन में क्या- क्या अंतर होंगे ? उत्तर – जहाँ अधिक वर्षा होती है वहाँ के लोग घर के छप्पर की ढाल अधिक रखते हैं, ताकि पानी जल्दी बह जाय। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में घर के छप्पर की ढाल कम रहती है या रहती ही नहीं। अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में तरह-तरह के वृक्ष पाये जाते हैं और फसलें भी तरह-तरह की होती हैं और खूब होती हैं। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में मात्र बाजरा जैसे मोटे अनाज ही उपज पाते हैं। अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में पानी की कोई किल्लत नहीं होती, लेकिन कम वर्षा वाले क्षेत्र के लोगों को पीने के पानी के भी लाले पड़े रहते हैं। इन्हें दूर-दूर से पानी लाना पड़ता है। अधिक वर्षा वाले क्षेत्र के लोग अपेक्षाकृत अधिक आराम का जीवन व्यतीत करते हैं जबकि कम वर्षा वाले क्षेत्र के लोगों का जीवन मशक्कत भरा रहता है ।
प्रश्न (xiv) यदि वर्षा कम हो तो क्या-क्या परेशानी होती है ? उत्तर — वर्षा कम होने पर फसलें नहीं उपजतीं । अन्न की कमी हो जाती है। गर्मी आते-आते कुएँ-तालाब सूख जाते हैं। नदियों में भी पानी नहीं रहता । अतः दूर-दूर से पानी लाना पड़ता है। लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है ।
प्रश्न (xv) हमें वर्षा जल का संरक्षण क्यों करना चाहिए ? उत्तर — हमें वर्षा जल का संरक्षण इसलिये करना चाहिए ताकि हमें सालों भर पानी मिल सके। इस संरक्षित जल से पीने से लेकर सिंचाई तक के काम हो सकते हैं ।
प्रश्न 2. पता कीजिए कि ये पवन कहाँ बहते हैं ? लू, चिनूक, गरजता चालिसा, दहाड़ता पचासा, हरिकेन, ऑरनेडो, टाइफून, विलीविली, कैटरिना, काल वैशाखी ।
उत्तर : लू – विशाल मैदान (भारत) चिनूक – दक्षिण कनाडा गरजता चालिसा -मध्य भारत दहाड़ता पचासा – प्रायद्वीपीय भारत हरिकेन -अटलांटिक महासागरीय क्षेत्र टॉरनेडो अटलांटिक महासागरीय क्षेत्र टाइफून – पूर्वी प्रशांत महासागरीय क्षेत्र विलीविली – पूर्वी आस्ट्रेलिया कैटरिना — पश्चिम आस्ट्रेलिया काल वैशाखी – बंगाल की खाड़ी
प्रश्न 3. एक माह तक प्रतिदिन मौसम का अवलोकन कर अभिलेख तैयार कर कक्षा में प्रदर्शित कीजिए । उत्तर- संकेत : . यह परियोजना कार्य है। छात्रों को स्वयं करना है।
कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. वायुदाब को कैसे मापा जाता है ? उत्तर — वायुदाब को ‘मिलीबार प्रतिवर्ग सेंटीमीटर’ में मापा जाता है ।
प्रश्न 2. वायु धाराएँ किसे कहा जाता है ? उत्तर—वायु की ऊर्ध्वाधर गति को वायु धाराएँ (एयर करेंट) कहा जाता है ।
प्रश्न 3. पवन किसे कहते हैं ? उत्तर—उच्च दाब से निम्न दाब की ओर बहने वाली वायु की गति को पवन हते हैं ।
प्रश्न 4. गर्मी के दिनों में बिहार में चलनेवाली पछुआ गर्म हवा को क्या हते हैं ? उत्तर—लू ।
इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान इतिहास के पाठ 9. 18वीं शताब्दी में नयी राजनैतिक संरचनाएँ (18wi Shatabdi me Nai Rajnitik Sanrachna Class 7th Solutions)के सभी टॉपिकों के बारे में अध्ययन करेंगे।
9. 18वीं शताब्दी में नयी राजनैतिक संरचनाएँ
अध्याय में अंतर्निहित प्रश्न और उनके उत्तर
प्रश्न 1. स्वयात्त राज्य किसे कहा जाता है ? (पृष्ठ 147 ) उत्तर- जो राज्य अपना सम्पूर्ण प्रशासनिक निर्णय और नीति-निर्धारण स्वयं करता है, उस राज्य को ‘स्वायत्त राज्य’ कहते हैं ।
प्रश्न 2. नये राज्यों को तीन समूह में विभाजित करने के आधार क्या रहा होगा ? उत्तर— पहले से चले आ रहे केन्द्रीय शासकों का कमजोर हो जाना ही ऐसा प्रमुख कारण रहा होगा, जिससे राज्य तीन राज्यों में विभाजित हो गया ।
प्रश्न 3. तकावी ऋण क्या था ? ( पृष्ठ 148 ) उत्तर— राज्य द्वारा किसानों को दिये गये ऐसे ऋण को तकावी ऋण कहा जाता था, जिस ऋण की रकम का मकसद उपज को बढ़ाना था ।
प्रश्न 4. ठेकेदारी या इजारेदारी व्यवस्था क्या थी? ( पृष्ठ 149 ) उत्तर—राजस्व वसूली के लिये एक निश्चित क्षेत्र पर निर्धारित रकम के लिए कुछ लोगों से शासक द्वारा किए गए समझौता ठेकेदारी या इजारेदारी व्यवस्था थी ।
प्रश्न 5. चौथ किसे कहा जाता था ? उत्तर – मराठों द्वारा पड़ोसी राज्यों पर हमला नहीं किये जाने के बदले किसानों से ली जाने वाली उपज का चौथाई भाग के कर को चौथ कहा गय
प्रश्न 6. सरदेशमुखी क्या था ? उत्तर—मराठों से बड़े जमींदार परिवारों, जिन्हें सरदेशमुख कहा जाता था, इनके द्वारा लोगों के हितों की रक्षा के बदले लिया जाने वाला उपज का दसवाँ भाग होता था। ऐसे कर वसूलने वाले को सरदेशमुख कहा जाता है।
अभ्यास: प्रश्न तथा उनके उत्तर
आइए याद करें :
(i) मुगलों के उत्तराधिकारी राज्य में कौन राज्य आता है ? (क) सिक्ख (ख) जाट (ग) मराठा (घ) अवध
(ii) बंगाल में स्वायत राज्य की स्थापना किसने की ? (क) मुर्शिद कुली खाँ (ख) शुजाउद्दीन (ग) बुरहान-उल-मुल्क (घ) शुजाउद्दौला
(iii) सिक्खों के एक शक्तिशाली राजनैतिक और सैनिक शक्ति के रूप में किसने परिवर्तित किया : (क) गुरुनानक (ख) गुरु तेगबहादुर (ग) गुरु अर्जुनदेव (घ) गुरु गोविन्द सिंह
(iv) शिवाजी ने किस वर्ष स्वतंत्र राज्य की स्थापना की ? (क) 1665 (ख) 1680 (घ) 1674 (घ) 1660
(v) मराठा परिसंघ का प्रमुख कौन था ? (क) पेशवा (ख) भोंसले (ग़) सिंधिया (घ) गायकवाड
उत्तर : (i) → (घ), (ii) → (क), (iii) → (घ), (iv) → (ग), (v) → (क) |
प्रश्न 2. निम्नलिखित में मेल बैठाएँ : (i) ठेकेदारी प्रथा – मराठा (ii) सरदेशमुखी – औरंगजेब का निधन (iii) निजाम-उल-मुल्क – जाट (iv) सूरजमल – हैदराबाद (v) 1707 ई. – भू-राजस्व प्रशासन
उत्तर : (i) ठेकेदारी प्रथा – भू-राजस्व प्रशासन (ii) सरदेशमुखी – मराठा (iii) निजाम-उल-मुल्क – हैदराबाद (iv) सूरजमल – जाट (v) 1707 ई. – औरंगजेब का निधन
आइए विचार करें :
प्रश्न (i) अवध और बंगाल के नवाबों ने जागीरदारी प्रथा को हटाने की कोशिश क्यों की?
उत्तर—अवध और बंगाल के नवाबों ने जागीरदारी प्रथा को हटाने की कोशिश इसलिए की कि वे मुगल प्रभाव को कम करना चाहते थे । यही हाल हैदराबाद का भी था । इस प्रकार धीरे-धीरे ये मुगलों से पूर्णत: मुक्त होकर स्वतंत्र शासक बन बैठे ।
प्रश्न (ii) शिवाजी ने अपने राज्य में कैसी प्रशासनिक व्यवस्था कायम की ?
उत्तर—शिवाजी के काल में प्रशासन का केन्द्र राजा अर्थात स्वयं शिवाजी थे । राजा को सहयोग देने के लिए आठ मंत्री थे जिन्हें ‘अष्ठ प्रधान’ कहा जाता था ।
(i) पेशवा – पेशवा प्रधानमंत्री था। प्रशासन और अर्थ विभाग की देखरेख करता था। राजा के बाद यही सबसे अधिक शक्ति वाला अधिकारी था ।
(ii) सर-ए-नौबत — यह सेनापति की नियुक्ति करता था तथा घोड़ा के साथ ही अन्य सैनिक साजो-सामान की देखरेख करता था ।
(iii) मजुमदार-लेखाकार – इनका काम राज्य के आय-व्यय का लेखा रखना था ।
(iv) वाके नवीस – गृह विभाग के साथ ही गुप्तचर विभाग का यह प्रधान होता था। राज्य के विरोधी शक्तियों का यह विवरण रखता था ।
(v) सुरु नवीस- राजा को पत्र व्यवहार में मदद करना सुरु नवीस का ही काम था ।
(vi) दबीर – दबीर विदेश विभाग का प्रधान होता था । पड़ोसी राज्यों से सम्बंध बनाये रखना इसी का काम था ।
(vii) पंडित राव – पंडित राव धार्मिक मामलों का प्रभारी था । विद्वानों और धार्मिक कार्यों हेतु मिलने वाले अनुदानों का वितरण यही करता था ।
(viii) न्यायाधीश शास्त्री — हिन्दू न्याय प्रणाली का व्याख्याता न्यायाधीश शास्त्री ही हुआ करता था । .
प्रश्न (iii) पेशवाओं के नेतृत्व में मराठा राज्य का विस्तार क्यों हुआ ?
उत्तर – शिवाजी की मृत्यु के बाद और औरंगजेब के जीवित रहने तक मराठा क्षेत्रों पर पुनः मुगलों का अधिकार हो गया । लेकिन जैसे ही 1707 में औरंगजेब की मृत्यु हुई, शिवाजी के राज्य पर चितपावन ब्राह्मणों के एक परिवार का प्रभाव स्थापित हो गया। शिवाजी के उत्तराधिकारियों ने उसे पेशवा का पद दे दिया। इस नये बने पेशवा ने पुणा को मराठा राज्य का केन्द्र बनाया । पेशवाओं ने मराठों के नेतृत्व में सफल सैन्य संगठन का विकास किया, जिसके बल पर उन्होंने अपने राज्य का बहुत विस्तार दिया । मुगलों के कई परवर्ती शासकों ने पेशवाओं का नेतृत्व स्वीकार कर लिया। इसी कारण पेशवाओं के नेतृत्व में मराठा राज्य का विस्तार हुआ ।
प्रश्न (iv) मुगल सत्ता के कमजोर होने का भारतीय इतिहास पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर—मुगल सत्ता के कमजोर होने का भारतीय इतिहास पर दूरगामी प्रभाव पड़ा । छोटे-छोटे राज्यों की भरमार हो गई। छोटे राज्यों के सभी नायक ऐश-मौज का जीवन व्यतीत करते रहे । खर्च को पूरा करने के लिए किसानों पर कर-पर-कर बढ़ाये गये । किसान तबाह होने लगे। इनकी इन कमजोरियों को अंग्रेज पैनी नजर से देख रहे थे । फल हुआ कि अंग्रेजों ने एक-एक कर सभी छोटे राज्यों को अपने अधिकार में कर लिया । इसके लिये इनको बल के साथ छल का भी व्यवहार करना पड़ा। अंततोगत्वा किसी भी रूप में ये पूरे भारत पर अधिकार करने में सफल हो गये ।
प्रश्न (v) अठारहवीं शताब्दी में उदित होने वाले राज्यों के बीच क्या समानताएँ थीं ?
उत्तर — अठारहवीं शताब्दी में उदित होने वाले राज्यों तीन राज्य प्रमुख थे— बंगाल, अवध और हैदराबाद। तीनों मुगल शासन के अधीन रहने वाले सूबे थे। इसका फल हुआ कि बहुत बातों में ये तीनों राज्य समान थे। आय का स्रोत भू-राजस्व वसूली की दिया ताकि राज्य शासन पर इनका आधिपत्य पूरी तरह स्थापित हो जाय। इस प्रकार व्यवस्था तीना ने एक समान ही रखी। इन तीनों ने जागीरदारी व्यवस्था को समाप्त कर तीनों राज्यों के बीच अनेक समानताएँ थीं ।
आइए करके देखें :
इसके तहत प्रश्न परियोजना कार्य हैं। छात्र इन्हें स्वयं करें
कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. अठारहवीं शताब्दी में सिक्खों को किस प्रकार संगठित किया गया?
उत्तर—अठारहवीं शताब्दी में अनेक योग्य नेताओं ने सिक्खों का नेतृत्व किया कुछ सिक्ख पहले तो ‘जत्थों’ के गठन में जुटे रहे और कुछ ने ‘मिस्लों’ का गठन किया। बाद में इन दोनों ने मिलकर एक सेना बनाई, जो ‘दल खालसा’ कहलाती थी । उन दिनों ये बैसाखी और दीवाली के मौकों पर अमृतसर में मिलते थे तथा आगे की योजनाओं पर विचार करते थे । जो सामूहिक निर्णय ले लिए जाते थे उन्हें ‘गुरुमत्ता’ कहा जाता था । इस प्रकार अठारहवीं शताब्दी में सिक्खों ने अपने को पूरी तरह संगठित कर लिया । अब वे एक राज्य के रूप में रहने लगे थे। अब वे किसानों से कर के रूप में उपज का 20 प्रतिशत लेने लगे और बदले में उनको संरक्षण देने का वचन देने लगे । अर्थात स्पष्टतः वे एक राज्य के रूप में संगठित हो गए ।
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प्रश्न 2. मराठा शासक दक्कन के पार विस्तार क्यों करना चाहते थे ?
उत्तर – मराठा शासक दक्कन के पार विस्तार इसलिए करना चाहते थे, जिससे मराठा राज्य की सीमा और बढ़े तो पूर्वी और पश्चिमी दोनों तटों के बन्दरगाहों से कर वसूला जा सके। हालाँकि इसमें उन्हें सफलता भी मिली, लेकिन वहाँ वे स्वयं शासन नहीं कर अपने पर निर्भर राजाओं से शासन चलवाते रहे ।
प्रश्न 3. आसफजाह ने अपनी स्थिति को मजबूत बनाने के लिए क्या- क्या नीतियाँ बनाईं ?
उत्तर — आसफजाह ने पहले तो मुगल दरबार की अस्थिर स्थिति से लाभ उठाकरे मनमाना शासन करने लगा। अब वह मुगल दरबार से न तो कोई आदेश लेता था और न दरबार ही उसको कोई निर्देश देता था । जो भी वह करता, दरबार उसपर अपनी स्वीकृति का मुहर लगा देता था । इधर जैसे-जैसे मुगल दरबार कमजोर पड़ता गया उधर को बुलाकर अपनी सेना में जगह दी और बदले में उन्हें बड़ी-बड़ी जागीरदारी दी। वैसे-वैसे आसफजाह अपने को मजबूत करता गया । उसने उत्तर भारत के वीर योद्धाओं इस प्रकार उसके द्वारा अपनाई गई नीतियों ने उसे एक शक्तिशाली राज्य का मालिक बना दिया ।
प्रश्न 4. सआदत खान के पास कौन-कौन से पद थे ?
उत्तर- सआदत खान के पास कई पद थे। उसके पास अवध की सुबेदारी तो थी ही, उसने दीवानी और फौजदारी महकमे भी अपने हाथ में ले लिए । वह एक साथ ही सूबे के राजनीतिक, वित्तीय और सैनिक मामलों का एकमात्र कर्ता-धर्ता बन गया।
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इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान इतिहास के पाठ 5. शक्ति के प्रतीक के रूप में : वास्तुकला, किले एवं धार्मिक स्थल (Shakti ka Pratik ke Rup me Vastue Kal kile Evam Dharmik Astal Class 7th Solutions)के सभी टॉपिकों के बारे में अध्ययन करेंगे।
5. शक्ति के प्रतीक के रूप में : वास्तुकला, किले एवं धार्मिक स्थल
अध्याय में अंतर्निहित प्रश्न और उनके उत्तर
प्रश्न 1. लिंगराज और महाबोधि मंदिर की संरचना में क्या अंतर दिखता है ? उत्तर – लिंगराज मंदिर का ऊपरी भाग जहाँ कम पतला है वहीं महाबोधि मंदिर का ऊपरी भाग नुकीला होता गया है । लिंगराज मंदिर के पास छोटे मंदिरों का एव समूह दिखाई देता है वहीं महाबोधि मंदिर में मात्र दो ही छोटे मंदिर दिख पाते हैं
प्रश्न 2. कोणार्क का सूर्य मंदिर तथा मीनाक्षी मंदिर के ऊपरी भागों में क्या अंतर है ? उत्तर – कोणार्क का सूर्य मंदिर का शिखर मीनाक्षी मंदिर की अपेक्षा छोटा है । कोणार्क मंदिर का शिखर त्रिकोणकार है जबकि मीनाक्षी मंदिर का शिखर चौकोर है और ऊपर धुनुषाकर होता गया है ।
अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर
आओ याद करें :
1. मध्यकाल में मंदिर निर्माण की कितनी शैलियाँ मौजूद थीं ? (क) चार (ख) पाँच (ग) तीन (घ) दो
2. बिहार में नागर शैली में बने मंदिरों का सबसे अच्छा उदाहरण कौन-सा है ? (क) महाबोधि मंदिर (ख) देव का सूर्य मंदिर (ग) पटना का महावीर मंदिर (घ) गया का विष्णु मंदिर
3. मुसलमानों द्वारा बिहार में बनाई गई सबसे महत्वपूर्ण इमारत कौन है ? (क) मलिकबया का मकबरा (ख) बेगु हजाम की मस्जिद (ग) तेलहाड़ा की मस्जिद (घ) मनेर की दरगाह
4. मुगलकालीन स्थापत्य कला अपने चरम पर कब पहुँचा ? (क) अकबर के काल में (ख) जहाँगीर के काल में (ग) शाहजहाँ के काल में (घ) औरंगजेब के काल में
5. शाहजहाँ ने लाल किला का निर्माण दिल्ली में किस वर्ष करवाया ? (क) 1638 (ख) 1648 (ग) 1636 (घ) 1650
उत्तर : 1. (ग), 2. (क), 3. (घ), 4. (ग), 5. (क) ।
आओ याद करें :
सही और गलत की पहचान करें : (i) उत्तर भारत में मंदिर निर्माण की द्राविड़ शैली प्रचलित थी । (ii) कोणार्क का सूर्य मंदिर बंगाल में स्थित है । (iii) मुगलकालीन वास्तुकला अकबर के शासन काल में अपने चरम विकास पर पहुँचा (iv) शेरशाह का मकबरा सल्तनत काल और मुगल काल की वास्तुकला के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाता है । (v) बिहार में मुस्लिम उपासना स्थल निर्माण का प्रथम उदाहरण बेगुहजाम मस्जिद है।
उत्तर : (i) गलत है। सही है कि ‘नागर शैली’ प्रचलित थी । (ii) गलत है। सही है कि ‘उड़ीसा’ में है । (iii) गलत है। सही है कि ‘शाहजहाँ के शासन काल में । (iv) सही है । (v) गलत है। सही है कि मनेर का दरगाह प्रथम उदाहरण है ।
आइए विचार करें :
प्रश्न 1. मंदिरों के निर्माण से राजा की महत्ता का ज्ञान कैसे होता है ? उत्तर – मध्यकालीन शासकों ने जितने मंदिर बनवाये, यह उनकी आस्था का प्रतीक तो था ही, यह भी सम्भव है कि वे राजा प्रजा को यह दिखाना चाहते हों कि वे उनकी आस्था को भी आदर देना चाहते हैं । वे प्रजा से अपने आदर के भी आकांक्षी थे । वे यह भी दिखाना चाहते थे कि वे न सिर्फ सैनिक शक्ति में, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी मजबूत हैं । वे वास्तुकारों को रोजगार भी मुहैया कराना चाहते थे । इस प्रकार हम देखते हैं कि मंदिरों के निर्माण से राजा की महत्ता का ज्ञान निश्चित ही प्राप्त होता है ।
प्रश्न 2. वर्त्तमान इमारत और मध्यकालीन इमारतों में उपयोग की जाने वाली सामग्री के स्तर पर आप क्या अन्तर देखते हैं? उत्तर — वर्तमान इमारत और मध्यकालीन इमारतों में उपयोग की जाने वाली सामग्री के स्तर पर हम यह अंतर पाते हैं कि वर्तमान में ईंट, बालू, सीमेंट, छड़ की प्रधानता रहती है । कुछ धनी-मानी लोग फर्श बनाने में, संगमरमर का उपयोग भी करते हैं । इसके पूर्व अंग्रेजी काल में ईंट, चूना-सूर्खी का गारा, लकड़ी और छड़ आदि का उपयोग होता था । 1950 के पहले के बने इमारतों में ये ही सामग्रियाँ व्यवहार की जाती थीं । मध्यकालीन इमारतों में मुख्य सामग्री पत्थर थे । पत्थरों को तराशा जाता था । मन्दिरों की बाहरी और भीतरी दीवारों को विभिन्न प्रकार की मूर्तियों से अलंकृत किया जाता था ।
प्रश्न 3. मंदिर निर्माण की नागर और द्रविड़ शैलियों में अंतर बताएँ । उत्तर— मंदिर निर्माण की नागर और द्राविड़ शैलियों का उपयोग साथ-साथ ही हुआ । नागर शैली जहाँ उत्तर भारत में प्रचलित थी वहीं द्राविड़ शैली दक्षिण भारत में प्रचलित थी । नागर शैली के मंदिर आधार से शीर्ष तक आयताकार एवं शंक्वाकार. संरचना से बने होते थे । शीर्ष क्रमशः नीचे से ऊपर पतला होता जाता है, जिसे शिखर कहा जाता था। प्रधान देवता की मूर्ति जहाँ स्थापित होती थी, उसे गर्भ गृह कहते थे । मंदिर अलंकृत स्तंभों पर टिका होता था । चारों ओर प्रदक्षिणा पथ भी होता था ।
द्राविड़ शैली की विशेषता थी कि गर्भ गृह के ऊपर कई मंजिलों का निर्माण होता था जो न्यूनतम 5 और अधिकतम 7 मंजिल तक होते थे। स्तंभों पर टिका एक बड़ा कमरा होता था, जिसे मंडपम कहा जाता था । गर्भ गृह के सामने अलंकृत स्तंभों पर टिका एक बड़ा कक्ष होता था, जिसमें धार्मिक अनुष्ठान किये जाते थे । प्रवेश द्वार भव्य और अलंकृत होता था । इसे गोपुरम कहा जाता था ।
आइए करके देखें
इसके तहत दोनों प्रश्न परियोजना कार्य हैं। छात्र इन्हें स्वयं करें।
कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. ‘शिखर‘ से आपका क्या तात्पर्य है? उत्तर- ‘शिखर’ से तात्पर्य है मंदिर का वह ऊपरी स्थान, जहाँ ‘कलश’ स्थापित किया जाता था। यह मंदिर का सर्वाधिक ऊपरी भाग होता था और दूर से ही देखा जा सकता था ।
प्रश्न 2. ‘पितरा दूरा‘ क्या है? उत्तर- ‘पितरा-दूरा’ एक यूनानी देवता का नाम है । उसका नाम आर्फियस हिंसक जानवर भी शांत हो जाते थे । दिल्ली के लाल किला में अपने सिंहासन के पीछे वह वीणा बजाने में इतना सिद्धहस्त था कि उसके वीणा का संगीत सुनकर आक्रामक और शाहजहाँ ने ‘पितरा-दूरा’ के गीतों को जड़ाऊ रत्नों से सजाकर रखा था।
नोट : पाठ्यपुस्तक में पितरादूरावा जड़ाऊ रत्नों से सजा बताया गया है, जो सही नहीं है।
प्रश्न 3. मुगल चारबाग की क्या खास विशेषताएँ हैं? उत्तर – किसी भी मुगल चारबाग की खास विशेषताएँ हैं कि यह चारों ओर से दीवारों द्वारा घिरा हुआ है । अहाते के अन्दर कृत्रिम नहरों द्वारा यह चार भागों में विभाजित है। नहरों के किनार-किनारे सैलानियों के आने-जाने का रास्ता बना हुआ है। नहरों से चारदीवारी तक तरह-तरह के फूल – फल आदि के पौधे लगे हैं, जो देखने में काफी सुन्दर लगते हैं। श्रीनगर के निशातबाग में एक ओर पहाड़ तथा एक ओर डल झील बाग की शोभा बढ़ाते हैं। पहाड़ पर से गिरता झरने का पानी नहरों से होता हुआ डल झील में पहुँच जाता है। जमशेदपुर का जुबली पार्क इन बागों से भी सुन्दर है, जो 1956 में कारखाने की स्थापना के 50 वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में बनाया गया था।
प्रश्न 4 : मुगल दरबार से इस बात का कैसे संकेत मिलता था कि बादशाह से धनी, निर्धन, शक्तिशाली, कमजोर – सभी को समान न्याय मिलेगा ? उत्तर—शाहजहाँ ने लाल किले में दो तरह के सभा भवन बनवाए थे। एक था दीवाने खास तथा दूसरा था दीवाने आम। दीवाने खास में बादशाह अपने दरबारियों के साथ बैठकर शासन संबंधी राय मशविरा करता था। दीवाने आम में आम जनता को यह छूट थी कि सभा के समय सभी उसमें सम्मिलित हो सकते थे। चाहे वह गरीब हों या धनी, शक्तिशाली हों या शक्तिहीन । वहाँ सभी को अपनी बात रखने का अधिकार था बादशाह उन शिकायतों पर गौर करके उचित निर्णय लेता था। यह इस बात का संकेत था कि बादशाह से धनी, निर्धन, शक्तिशाली, कमजोर सभी को समान न्याय मिलेगा।
प्रश्न 5. शाहजहाँनाबाद में नए मुगल शहर की योजना में यमुना की क्या भूमिका थी? उत्तर- शाहजहाँनाबाद में नए मुगल शहर की योजना में यमुना नदी की भूमिका थ कि इसके तट तक कोई अभिजातवर्ग का व्यक्ति ही पहुँच सकता था या अपना निवास स्थल बना सकता था। यमुना तट केवल बादशाह के लिए सुरक्षित था । अन्य को यमुन तट से दूर शहर में भवन निर्माण करवाना पड़ता था । संभवतः नदी जल को प्रदूषण बचाने के लिए ऐसा किया गया होगा या अपने को सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए।
इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान इतिहास के पाठ 3. तुर्क-अफगान शासन (Turkey Afghanistan Swasan Class 7th Solutions)के सभी टॉपिकों के बारे में अध्ययन करेंगे।
3. तुर्क-अफगान शासन
अध्याय में अंतर्निहित प्रश्न और उनके उत्तर
प्रश्न 1. गंगा-यमुना का दोआब किसे कहा गया है?(पृष्ठ 41 ) उत्तर— गंगा-यमुना के बीच की भूमि को गंगा-यमुना का दोआब कहा गया है ।
प्रश्न 2. बरनी ने सुल्तान की आलोचना क्यों की थी ? ( पृष्ठ 43 ) उत्तर – बरनी ने सुल्तान की आलोचना इसलिये की थी क्योंकि के लोगों को भी उच्च पदों पर आसीन करने लगा था । बरनी का ख्याल था कि निम्न वर्ग के लोग उच्च पदों पर रहकर अपने दायित्वों का निर्वाह नहीं कर सकते ।
प्रश्न 3. अमीर के रूप में किस वर्ग के लोग शामिल थे? ( पृष्ठ 43 ) उत्तर- दिल्ली सल्तनत के विस्तार के कारण सुल्तान को कुछ नये अधिकारियों को नियुक्त करना पड़ा। इसके लिये सुल्तानों ने सूबेदार, सेनापति और प्रशासक नियुक्त किये। इन्हीं तीनों को ‘अमीर’ कहा गया ।
प्रश्न 4. टंका क्या था ? उस समय का एक मन आज के कितने वजन के बराबर था ? ( पृष्ठ 48 ) उत्तर—एक टंका आज के चाँदी के एक रुपये के बराबर था। एक टंका में 48 जितल होता था । उस समय का एक मन आज के 15 किलो वजन के बराबर था ।
प्रश्न 5. आप विचार करें कि अलाउद्दीन खिलजी के मूल्य नियंत्रण की व्यवस्था से जनसाधारण को क्या लाभ हुआ ? ( पृष्ठ 50 ) उत्तर— अलाउद्दीन खिलजी के मूल्य नियंत्रण की व्यवस्था से जन साधारण को यह लाभ हुआ कि उन्हें उचित मूल्य पर सस्ती वस्तुएँ मिलने लगीं ।
प्रश्न 6. दिल्ली से दौलताबाद जाने में लोगों को किन-किन क्षेत्रों से होकर गुजरना पड़ा था ? ( पृष्ठ 53 ) उत्तर- दिल्ली से दौलताबाद जाने में लोगों को रणथम्भौर, मांडू तथा चित्तौड़ क्षेत्र होकर जाना पड़ा होगा। सबसे अधिक कठिनाई चंबल नदी पार करने में हुई होगी।
प्रश्न 7. आपके अनुसार राजधानी परिवर्तन का कौन-सा कारण उपयुक्त होगा ? ( पृष्ठ 53 ) उत्तर – मेरे अनुसार राजधानी परिवर्तन का कोई भी कारण उपयुक्त नहीं होगा । यदि कुछ कारण था भी तो वह मात्र सुल्तान का वहम था और था उसका सनकी मिजाज ।
प्रश्न 8. राजधानी परिवर्तन के दौरान नागरिकों को किस प्रकार के कष्ट हुएहोंगे ? ( पृष्ठ 53 ) उत्तर—राजधानी परिवर्तन के दौरान नागरिकों को अनेक प्रकार के कष्ट हुए होंगे । पैदल चलते-चलते उनके पैरों में फोड़ा हो गया होगा । रास्ते में खाने-पीने की भी असुविधा हुई होगी। अनजान राह में उन्हें यह भी पता नहीं होगा कि कहाँ पानी मिलेगा और कहाँ रात बिताना अच्छा होगा ।
प्रश्न 9. आप वर्तमान समय में प्रचलित सांकेतिक मुद्रा के विषय में जानकारी प्राप्त करें । ( पृष्ठ 54 ) उत्तर—वर्तमान समय में अंग्रेजों के जमाने से ही सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन हो गया था। अंग्रेजों के एक रुपया के सिक्का का वजन एक तोला होता था और एक तोला चाँदी का मूल्य बाजार में तीन आना था। कागज के नोट का मूल्य तो एक पैसा भी नहीं है। आज के सभी सिक्के सांकेतिक हैं, चाहे वह धातुई हो या कागजी मुद्रा ।
प्रश्न 12. “कृषि सुधार एक सरकारी दायित्व है ।” यह बात मुहम्मद तुगलक के समय में उभर कर सामने आई है। क्या आप बता सकते हैं कि वर्तमान सरकार द्वारा किसानों को कृषि के विकास एवं सुधार के लिये क्या सहायता दी जाती है ? ( पृष्ठ 55 ) उत्तर — वर्तमान राज्य सरकारें कृषि के विकास एवं सुधार के लिये बहुत कुछ कर रही हैं । स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अनेक नहरें खोदी गईं। इतनी अधिक नहरें खोदी गईं कि देश में नहरों का जाल बिछ गया । कृषि ऋण के लिये ग्रामीण बैंक लगभग सभी बड़े गाँवों में खुले हैं । कृषि यंत्र खरीद पर भी सरकार कुछ सहायता राशि भी देती है। अच्छे बीज और अच्छी खाद किसानों को मुहैया कराये जा रहे हैं । खेती मारी जाने की अवस्था में किसानों को कुछ भरपायी हो सके इसके लिए कृषि बीमा की प्रथा चलाई गई है ।
प्रश्न 13. सल्तनत काल में साधारण किसान एवं धनी किसान में आप क्या अंतर देखते हैं? (पृष्ठ 57 ) उत्तर—सल्तनत काल में कुछ किसान ऐसे थे जिनके पास भूमि के बड़े-बड़े टुकड़े थे। ये धनी होते थे और इनको ‘खुत’, ‘मुक्कदम’ एवं ‘चौधरी’ कहलाते थे । छोटे किसान के पास जमीन के छोटे-छोटे टुकड़े होते थे और ये प्रायः गरीब हुआ करते थे । इन्हें ‘बलहर’ किसान कहा जाता था और समाज में इनको निम्न स्थान प्राप्त था । बहुत लोग भूमिहीन भी थे, जो बड़े किसानों के खेतों में मजदूरी करते थे ।
अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. दिल्ली की स्थापना किस राजवंश के काल में हुई ? उत्तर- दिल्ली की स्थापना 950 में तोमर राजवंश के काल में हुई । लेकिन 12वीं सदी में अजमेर के शासक चौहानों ने दिल्ली पर अधिकार कर लिया ।
प्रश्न 2. अलाउद्दीन खिलजी के समय किस गुलाम सेना नायक ने दक्षिण भारत पर विजय प्राप्त की थी ? उत्तर—अलाउद्दीन खिलजी ने दक्षिण भारत में तुर्क राज्य के विस्तार के लिये अपने एक गुलाम मलिक काफूर के नेतृत्व में एक विशाल सेना भेजी । उसने देवगिरि, वारंगल, द्वारसमुद्र, मदुरई पर विजय प्राप्त कर दक्षिण के एक बड़े भांग पर सल्तनत राज्य अधीन कर लिया। लेकिन खिलजी ने उन राज्यों पर अधिकार न कर उनसे सालाना कर देने के करार पर उनके राज्य लौटा दिये
प्रश्न 3. मूल्य नियंत्रण की नीति किस सुल्तान ने लागू की थी ? उत्तर — मूल्य नियंत्रण की नीति अलाउद्दीन खिलजी ने लागू की थी। इससे उसका उद्देश्य था कि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके और आम जनता से भी कोई अधिक मूल्य नहीं वसूल सके ।
प्रश्न 4. दिल्ली के किस सुल्तान ने नहरों का निर्माण करवाया था ? उत्तर- दिल्ली के सुल्तान फिरोजशाह तुगलक ने नहरों का निर्माण करवाया था ।
प्रश्न 6. दिल्ली सल्तनत के प्रशासनिक व्यवस्था के अंतर्गत अक्तादारी व्यवस्था पर प्रकाश डालें । उत्तर – दिल्ली के तुर्क शासकों ने अपने अमीरों को विभिन्न आकार के इलाकों में नियुक्त किया । इन इलाकों को ‘अक्ता’ कहा जाता था और अक्ता के अधिकारी ‘मुक्ती’ या ‘वली’ कहे जाते थे । इनका दायित्व था कि अपने अक्ता क्षेत्र में कानून-व्यवस्था को बनाये रखेंगे । कभी आवश्यकता पड़ने पर सुल्तान को सैनिक मदद भी देंगे। इसके लिए घुड़सवार सिपाही रखने पड़ते थे । भूमि कर की वसूली भी ‘वली’ ही करते थे । वसूली का कुछ भाग अपने स्वयं रख लेने की छूट थी ताकि सैनिकों को वेतन दिया जा सके ।
प्रश्न 7. सल्तनत काल में लगान व्यवस्था का वर्णन करें और यह बतावें कि किसानों के जीवन पर इसका क्या प्रभाव था ? उत्तर—सल्तनत काल में लगान व्यवस्था का अपना तरीका था । गाँव के बड़े और धनी किसान, जिन्हें खुत, मुक्कदम और चौधरी कहते थे राज्य की ओर से लगान वसूला करते थे। लगान अर्थात भूमिकर को खराज कहा जाता था । ‘खराज’ की मात्र भूमि पर उपजने वाले अनाज का एक हिस्सा होता था । खराज में वसूला गया अनाज सरकारी गोदामों में रखा जाता था । इस सेवा के बदले खुत, मुक्कदम और चौधरी को खराज का एक हिस्सा मिलता था । ये लोग छोटे किसानों को दबाते भी थे। बाद में अलाउद्दीन खिलजी ने इन ग्रामीणों को हटाकर लगान या खराज वसूलने का काम सरकारी अधिकारियों को सौंप दिया ।
प्रश्न 8. दिल्ली के सुलतानों की प्रशासनिक व्यवस्था में कार्यरत अधिकारियों की सूची बनाएँ और उनके कार्यों का उल्लेख करें । उत्तर- दिल्ली के सुल्तानों की प्रशासनिक व्यवस्था में कार्यरत अधिकारियों की सूची और उनके नाम निम्नांकित थे :
अधिकारी काम सूबेदार सूबे का मुख्य अधिकारी सेनापति सेना पर नियंत्रण रखना प्रशासक प्रशासनिक कार्य को देखना वजीर वित्त विभाग का प्रधान आरिजे ममालिक सुल्तान की सेना का प्रधान वकील-ए-दर राजपरिवार की देखभाल करना काजी न्याय करना मुख्य (न्यायाधीश) दीवान-ए-इंशा राजकीय फरमान जारी करना बरीद-ए-मुमालिक गुप्त सूचना एकत्र करना (गुप्तचर) मुक्ती या बली आक्ता में शांति व्यवस्था बनाये रखना आमिल वसूले गये राजस्व का हिसाब रखना
प्रश्न 9. सल्तनत काल में उपजाये जाने वाले अनाजों को खरीफ एवं रबी फसलों में बाँटकर समझाएँ । उत्तर – सल्तनत काल में उपजाये जाने वाले अनाजों की खरीफ एवं रबी फसल निम्नांकित थे :
खरीफ : धान, ज्वार, बाजरा, तिल, कपास ।
रबी : गेहूँ, जौ, उड़द, मूँग, मसूर ।
गन्ना और अरहर खरीफ और रबी दोनों में आते हैं, क्योंकि ये एक साल का समय ले लेते हैं। अंगूर स्थायी फसल है ।
आइए विचार करें :
प्रश्न 10. अलाउद्दीन खिलजी के मूल्य नियंत्रण पर प्रकाश डालते हुए विचार करें कि क्या वर्तमान समय में सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य पर वस्तुओं की बिक्री की कोई योजना कार्य कर रही है? उत्तर – अलाउद्दीन खिलजी ने मूल्य नियंत्रण इसलिये लागू किया ताकि प्रजा उचित मूल्य पर वस्तुएँ मिल सकें। सुल्तान ने खाद्यान्नों से लेकर वस्त्र तथा दास-दासियों और मवेशियों तक के मूल्य निश्चित कर दिये थे । दास-दासियों और घोड़ों के भी बाजार लगते थे ।
मेरे विचार से वर्तमान समय की सरकारें भी मूल्य निश्चित कर देती है। अनाजा के खरीद के लिये न्यूनतम मूल्य निश्चित कर देती हैं । यदि कोई खरीदे – न खरीदे सरकार उस मूल्य पर स्वयं अनाज खरीद लेती है और अपने गोदामों में रखती है। उन अनाजा को वह सरकारी राशन की दुकानों से बिकवाती है । किरासन, पेट्रोल और डीजल का मूल्य भी सरकार ही निश्चित करती है। दुकानों पर अधिकांश सामानों पर मूल्य अंकित रहते हैं । दवाओं पर तो खास तौर पर दाम अंकित रहता ही है । दास-दासी की बिक्री आज अपराध माना जाता है। पशुओं के मूल्य सरकार निश्चित नहीं करती।
प्रश्न 11. सल्तनत कालीन किसानों एवं आज के किसानों में आप क्या समानता और असमानता देखते हैं ? उत्तर—सल्तनत कालीन किसानों एवं आज के किसानों में हम यह अंतर देखते हैं कि सल्तनत कालीन किसान उपज का एक निश्चित भाग अनाज का लगान में देते थे वहीं आज के किसान एक निश्चित रकम नकद लगान में देते हैं । उस समय किसानों को मजबूर किया जाता था कि वे अपना अनाज सरकारी दर पर व्यापारियों के हाथ बेंचे । लेकिन मूल्य निश्चित होने के बावजूद आज के किसान अपनी उपज बेचने-न- बेचने के लिए स्वतंत्र हैं । सल्तनत काल में सरकारी गोदामों में अनाज रखे जाते थे, आज भी रखे जाते हैं । सल्तनत कालीन किसान केवल हल-कुदाल से खेती करते थे लेकिन आज के किसान यांत्रिक कृषि भी करने लगे हैं ।
आइए करके देखें :
12. मुहम्मद बिन तुगलक की योजनाओं को रेखांकित करते हुये उसकी असफलताओं के कारणों को ढूढ़ें :
उत्तर :
कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. दिल्ली के सुलतानों के शासन काल में प्रशासन की भाषा क्या थी? उत्तर- दिल्ली के सुलतानों के शासन काल में प्रशासन की भाषा फारसी थी ।
प्रश्न 2. किसके शासन के दौरान सल्तनत का सबसे अधिक विस्तार हुआ ? उत्तर—सुलतान अलाउद्दीन खिलजी के शासन के दौरान सल्तनत का सबसे अधिक विस्तार हुआ ।
प्रश्न 3. इब्न बतूता किस देश से भारत में आया था ? उत्तर— इब्न बतूता अफ्रीकी देश मोरक्को से भारत आया था ।
प्रश्न 4. सल्तनत की ‘भीतरी’ और ‘बाहरी’ सीमा से आप क्या समझते हैं? उत्तर—सल्तनत की ‘भीतरी’ सीमा से तात्पर्य राजधानी के आसपास के स्थानों में मजबूत किलेबंदी करनी थी, ताकि बाहर के खतरों से बचा जा सके। बाहरी सीमा से तात्पर्य सुदूर सिंध, बंगाल और दक्षिण भारत के क्षेत्र आते थे, जहाँ पर नियंत्रण रखना कठिन था । उन्हें दबाया तो जाता था, लेकिन वे पुनः अपने को स्वतंत्र घोषित कर लेते थे
प्रश्न 5. मुक्ती अपने कर्तव्यों का पालन करें, यह सुनिश्चित करने के लिए कौन-कौन-से कदम उठाए गए थे? आपके विचार में सुलतान के आदेशों का उल्लंघन करना चाहने के पीछे उनके क्या कारण हो सकते थे ? उत्तर – मुक्ती अपने कर्तव्यों का पालन अच्छी तरह करें इसके लिए उन्हें इक्ता पर वंशगत अधिकार नहीं होने दिया गया । समय-समय पर उन्हें एक इक्ता से दूसरे इक्ता में भेज दिया जाता था। वे मनमाना कर नहीं वसूल सकें, इसके लिए अलग से राजकीय पदाधिकारी नियुक्त थे। उन्हें एक निश्चित संख्या में सेना रखनी पड़ती थी । कर के धन से वे सेना और सैन्य अधिकारियों को वेतन देते थे । युद्ध की स्थिति में इक्तेदार को सैनिक सहायता देनी थी और स्वयं सेनानायक का काम सँभालना होता था ।
कभी-कभी कोई मुक्ती सुलतान के आदेशों का उल्लंघन भी कर दिया करता था । इसका कारण उसकी महत्वाकांक्षा हो सकती है । कोई-कोई मुक्ती अपने इक्ता विशेष का स्वतंत्र शासक घोषित कर लेता था। हालाँकि बाद में वे दबा दिए जाते थे ।
प्रश्न 6. दिल्ली सल्तनत पर मंगोल आक्रमणों का क्या प्रभाव पड़ा ? उत्तर – दिल्ली सल्तनत पर मंगोल आक्रमणों का यह प्रभाव पड़ा कि सुलतानों को अपनी फौजी ताकत बढ़ानी पड़ी, हालाँकि इतनी बड़ी सैन्य शक्ति को सँभालना उनके लिए कुछ कंठिन था, लेकिन सुलतानों ने वैसा किया। मंगोलों ने दो बार दिल्ली पर धावा बोला, लेकिन दोनों बार वे असफल रहे ।
प्रश्न 7. क्या आपको समझ में तवारीख के लेखक, आम जनता के जीवन के बारे में कोई जानकारी देते हैं? उत्तर – नहीं, मेरी समझ में तवारीख के लेखक केवल सुलतानों, उनके सरदारों, सेनानायकों और नौकर-चाकरों तक ही अपने को सीमित रखते थे । उन्हें आम जनता की न तो कोई जानकारी थी और न कोई मतलब था । अतः उन्होंने आम जनता के जीवन के बारे में कोई जानकारी नहीं दी ।
प्रश्न 8. दिल्ली के सुलतान जंगलों को क्यों कटवा देना चाहते थे? क्या आज भी जंगल उन्हीं कारणों से काटे जा रहे हैं? उत्तर- दिल्ली के सुलतान जंगलों को इसलिए कटवा देना चाहते थे ताकि उनकी राज्य सीमा का विस्तार हो । उन्हें खेती योग्य उपजाऊ भूमि की भी आवश्यकता थी । आज वैसी बात नहीं । अब कृषि विस्तार के लिए जंगल नहीं काटे जा सकते। जंगल के किनारे-किनारे धीरे-धीरे पेड़ चोरी-छिपे कट रहे हैं और रिहायशी मकान बन रहे हैं। जनसंख्या में अपार वृद्धि के कारण ऐसा हो रहा है, लेकिन कानूनन यह वर्जित है ।
इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान इतिहास के पाठ 2. नये राज्य एवं राजाओं का उदय (New Raj Avam Rajao ka Uday Class 7th Solutions)के सभी टॉपिकों के बारे में अध्ययन करेंगे।
2. नये राज्य एवं राजाओं का उदय
अध्याय में अंतर्निहित प्रश्न और उनके उत्तर
प्रश्न 1. पृथ्वीराज किस राज्य का राजा था ? उत्तर— पृथ्वीराज ‘दिल्ली’ तथा ‘अजमेर’ राज्य का राजा था ।
प्रश्न 2. उस समय इसके समकालीन और कौन राजा थे? उत्तर— उस समय इसके समकालीन महत्वपूर्ण राजा ‘जयचन्द’ था । भारत के दो गद्दारों में पहला जयचन्द और दूसरा मीरजाफर था ।
प्रश्न 3. उस समय हमारे देश की राजनीतिक स्थिति कैसी थी ? उत्तर— उस समय हमारे देश की राजनीतिक स्थिति द्वेष भावना से ग्रस्त थी । एक राजा दूसरे राजा को सदैव नीचा दिखाने की फिराक में रहा करते थे ।
प्रश्न 4. उपाधि का क्या अर्थ होता है ? उत्तर— नाम के पहले या बाद में लगने वाला प्रतिष्ठा बढ़ाने वाले उपनाम ‘उपाधि’ कहलाती है । जैसे : सामंतों को दी जाने वाली उपाधि राय, राणा, रावत आदि । पराजित राजा विजयी राजा की अंधीनता में उसे उपाधि से अलंकृत करता था ।
प्रश्न 5. इन तीनों के पतन के क्या कारण हो सकते हैं? चर्चा करें । उत्तर— ‘इन तीनों’ से तात्पर्य उन तीन शासकों से है जिन्हें इतिहासकारों ने ‘त्रिपक्ष’ या ‘त्रिपक्षीय’ कहा है । ये थे मध्य एवं पश्चिम भारत के ‘गुर्जर-प्रतिहार’, दक्कन के राष्ट्रकूट और बंगाल के पाल । इन तीनों के पतन के कारण थे कि बिना अपनी आर्थिक तथा सामरिक शक्ति का आकलन किये इन तीनों ने ‘कन्नौज’ पर अधिकार के लिये युद्ध जारी रखा और बहुत दिनों तक लड़ते रहे। अन्ततः परिणाम हुआ कि आर्थिक और सामरिक रूप से तीनों समान रूप से खोखले हो गए। यही कारण था कि इन तीनों का पतन हो गया ।
प्रश्न 6. सोमनाथ मंदिर के बारे में विशेष रूप से वर्ग में चर्चा करें । उत्तर – सोमनाथ का प्रसिद्ध मन्दिर गुजरात राज्य में अवस्थित है । मध्यकाल के अनेक भारतीय मंदिरों में यह भी एक ऐसा मन्दिर था जो धनधान्य से पूर्ण था । महमूद गजनवी ने जब भारत के मंदिरों को लूटा तो उनमें सोमनाथ को उसने विशेष रूप से लूटा। मन्दिर का सारा धन तो उसने लूट ही लिया मन्दिर को भी क्षतिग्रस्त कर दिया । 15 अगस्त, 1947 को भारत के स्वतंत्र होने तक वह वैसे ही खण्डहर के रूप में पड़ा रहा । धन्य कहिए लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल को जिन्होंने सरकारी खर्च पर उसकी मरम्मत करा दी। वे तो चाहते थे कि जितने भारतीय मन्दिरों को आक्रमणकारियों ने तोड़कर उसका रूप बिगाड़ दिया था, सबको उनके पहले के रूप में कर दिया जाय लेकिन पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने को महान धर्मनिरपेक्ष दिखाने के लिये ऐसार नहीं करने दिया। फिर दूसरी बात थी कि सोमनाथ मंदिर की मरम्मती के थोड़े ही महीने के अन्दर सरदार पटेल की सन्देहात्मक मृत्यु हो गई ।
प्रश्न 7. आपके विचार से महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के क्या उद्देश्य हो सकते हैं? उत्तर—हर शासक के आक्रमण का यही उद्देश्य होता है, अपने राज्य का विस्तार करना या पड़ोसी राज्य से अपनी अधीनता स्वीकार कराना, लेकिन हम देखते कि इन दोनों उद्देश्यों से परे गजनवी का उद्देश्य लूट-पाट मचाना था। कुछ अमीरों को तो उसने लूटा ही, खासतौर पर मंदिरों को खूब लूटा। उस काल के प्रसिद्ध और धन-दौलत से सम्पन्न मंदिरों में प्रमुख थे — मथुरा, वृन्दावन, थानेश्वर, कन्नौज और सोमनाथ के मंदिर । इन मंदिरों को गजनवी ने जी भरकर लूटा और इसे ध्वस्त तक कर दिया ।
प्रश्न 8. राजेन्द्र चोल अपनी सेना को गंगा नदी तक क्यों ले गया ? उत्तर – राजेन्द्र चोल एक महत्वाकांक्षी विजेता था, जिसने अपने राज्य को श्रीलंका सहित जावा-सुमात्रा तक फैला रखा था। गंगा नदी तक सेना ले जाने के दिखावे का तात्पर्य था कि वह गंगाजल लेने जा रहा है, लेकिन वास्तविक उद्देश्य था गंगा तट तक अपने राज्य का विस्तार करना और विजय प्राप्त करना जो उसने कर दिखाया। उसने गंगाजल लेकर अपनी राजधानी को ले गया और उसका नाम रखा ‘गंगई – कोण्ड-चोलपुरम’ रख दिया । उसकी राजधानी नगर इसी नाम से प्रसिद्ध हो गया ।
प्रश्न 9. आज की नागरिक सेवा से चोलकालीन नागरिक सेवा की तुलना करें । उत्तर- आज की नागरिक सेवा और चोलकालीन नागरिक सेवा लगभग मिलती- जुलती – सी है । जैसे आज राज्यपालों या राष्ट्रपति के निजी सचिव होते हैं, वैसे ही चोल राजा के भी निजी सचिव होते थे । आज के प्रधान सचिवों की तरह चोल राज्य में भी प्रधान सचिव होते थे। आज के किरानियों की तरह चोल शासन काल में प्रधान और निम्न कर्मचारी हुआ करते थे । इस प्रकार हम देखते हैं कि आज की नागरिक सेवा और चोलकालीन नागरिक सेवा लगभग समान थी ।
प्रश्न 10. क्या आपके विद्यालय या गाँव में चोलकालीन ग्राम स्वशासन की तरह कोई समिति कार्य करती है । यदि हाँ तो कैसे ? उत्तर – हाँ, होती है। स्कूल की समिति में एकराजकीय पदाधिकारी के साथ ग्राम पंचालय के मुखिया तथा गाँव के कुछ संभात पढ़े-लिखे लोग स्कूल समिति में रहते हैं। और स्कूल के संचालन की देख-रेख करते हैं ।
गाँव में वैसी समिति ग्राम पंचायतें हैं। ग्राम पंचायत के मुखिया और सरपंच सहित अनेक सदस्य निर्वाचित किये जाते हैं । मुखिया प्रशासनिक और नागरिक सेवा का काम देखता है तथा सरपंच दो ग्रामीणों के बीच के झगड़े को सुलझाता है ।
प्रश्न 11. भारत के वैसे मंदिरों का पता लगायें, जहाँ आज भी भक्तों द्वारा बहुमूल्य उपहार चढ़ाये जाते हैं । उपहार चढ़ाने के पीछे लोगों की क्या मंशा रहती है ? उत्तर—भारत के सभी मन्दिरों में कुछ-न-कुछ चढ़ावा तो चढ़ता ही है, लेकिन सर्वाधिक मूल्यवान चढ़ावा तीरुपति मन्दिर तथा सिरडी के साईं बाबा मंदिर में चढ़ता है। पटना के महावीर मंदिर में भी चढ़ावा चढ़ता है। लेकिन उतना नहीं, जिनता उपर्युक्त दोनों मंदिरों में चढ़ता है। पटना के महावीर मंदिर की आय से पटना में ही एक कैंसर अस्पताल चलाया जा रहा है ।
अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर
आइए फिर से याद करें
प्रश्न 1. जोड़े बनाइए : सोमनाथ गुर्जर प्रतिहार सेनवंश लोगों द्वारा चयनित शासक गोपाल त्रिपक्षीय संघर्ष कन्नौज गुजरात मध्य भारत बिहार
उत्तर : सोमनाथ गुजरात सेनवंश बिहार गोपाल लोगों द्वारा चयनित शासक कन्नौज त्रिपक्षीय संघर्ष मध्य भारत गुर्जर प्रतिहार
प्रश्न 2. दक्षिण के प्रमुख राज्य कौन-कौन थे ? उत्तर-दक्षिण के प्रमुख राज्य निम्नलिखित थे (i) चोल, (ii) चेर, (iii) पाण्ड्य, (iv) राष्ट्रकूट तथा (v) चालुक्य ।
प्रश्न 3. उस समय के राजा कौन-कौन-सी उपाधियाँ धारण करते थे? उत्तर—उस समय के राजा अनेक और बड़ी-बड़ी उपाधियाँ धारण करते थे, जो उनके द्वारा विजित राजा उनकी अधीनता स्वीकार करते हुए देते थे। जैसे – महाराजाधिराज, परमभट्टारक, परमेश्वर त्रिभुवन-चक्रवर्तिन आदि ।
प्रश्न 4. बिहार और बंगाल में किन वंशों का शासन था ? उत्तर— बिहार और बंगाल में क्रमश सेन तथा पाल वंशों का शासन था ।
प्रश्न 5. तमिल क्षेत्र में किस तरह की सिंचाई व्यवस्था का विकास हुआ ? उत्तर – सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था हेतु डेल्टाई क्षेत्र में तट बनाए गए और पानी को खेतों तक पहुँचाने के लिए नहरें खोदी गईं। सिंचाई के लिये कुँओं की संख्या बढ़ाई गई । वर्षा का पानी बर्बाद न हो, इसलिए उस पानी को एकत्र करने के लिए बड़े- बड़े सरोवर बनाए गए। ये सभी काम योजनाबद्ध तरीके से किए गए। राज कर्मचारियों के साथ स्थानीय किसानों का सहयोग भी लिया गया ।
प्रश्न 6. कन्नौज शहर तीन शक्तियों के संघर्ष का केन्द्र बिन्दु क्यों बना? उत्तर—कन्नौज उत्तर भारत का एक प्रसिद्ध नगर था, जो कभी हर्षवर्द्धन की राजधानी रह चुका था । इस नगर पर अधिकार का तात्पर्य था कि वह शासक गंगा-यमुना दोआब के उपजाऊ मैदान पर अधिकार कर लेता तो राजस्व का एक बड़ा जरिया बनता । यहाँ से तीनों में से किन्हीं दो पर बेहतर ढंग से नियंत्रण रखा जा सकता था । कन्नौज गंगा के किनारे अवस्थित था, अतः वहाँ से अधिक व्यापारिक कर वसूले जाने की आशा थी । इन्हीं कारणों से कन्नौज गुर्जर-प्रतिहार, राष्ट्रकूट और पाल ये तीनों का केन्द्र बिन्दु बन गया। ये तीनों शक्तियाँ लड़ते-लड़ते पस्त हो गईं और तीनों के राज्य समाप्त हो गए ।
प्रश्न 7. महमूद गजनवी अपनी विजय अभियानों में क्यों सफल रहा? उत्तर – महमूद गजनवी अपनी विजय अभियानों में ही लूट अभियानों को अपनाया । उसने जब भी आक्रमण किया तो मंदिरों के साथ बड़े-बड़े नगरों को लूटा। उसने कभी भी भारत में अपने स्थायी शासन की बात नहीं सोची । इन लूट अभियानों में सदैव सफल होते रहने का एकमात्र कारण था कि यहाँ के राजाओं- शासकों में मेल नहीं था । राजपूत यद्यपि शक्तिशाली थे लेकिन उन्होंने आपस में ही लड़ते रहने को अपनी शान समझी। एक राज्य लूटता रहता तो अन्य सभी देखते रहते और अन्दर ही अन्दर प्रसन्न भी होते रहते। उनको इतनी समझ नहीं थी कि यह स्थिति कभी उन पर भी आ सकती है । और यही हुआ और इसी से महमूद गजनवी अपने अभियानों में सफल होता रहा।
उत्तर 8. सामंतवाद का उदय किस प्रकार हुआ ? उत्तर—7वीं से 12वीं शताब्दी के बीच भारत में सामंतवाद का उदय हुआ । उस समय की पुस्तकों तथा अन्य अभिलेखों में सामंत को अनेक नाम दिये गये हैं । जैसे : सामंत, राय, ठाकुर, राणा, रावत इत्यादि । उस समय के राजा जब किसी अन्य राजा को युद्ध में हराता था तो उसके राज्य को अपने राज्य में मिला लेता था। लेकिन लगभग 1000 ई. के आसपास युद्ध में हारे हुए राजा को उस स्थिति में उसके राज्य वापस मिल जाते थे जब वह विजयी राजा की अधीनता मान लेता था । बदले में उसे कुछ शर्तें भी माननी पड़ती थीं । पराजित राजा को यह स्वीकार करना पड़ता था कि विजयी राजा उसका स्वामी है और वह विजयी राजा के चरणों में रहने वाला दास है । पराजित राजा विजयी राजा का ‘सामंत’ कहलाता था । इसी प्रकार सामंतवाद का उदय हुआ ।
प्रश्न 9. तत्कालीन राज्यों की प्रशासनिक व्यवस्था आज की प्रशासनिक व्यवस्था से कैसे भिन्न थी ? उत्तर- तत्कालीन राज्यों की प्रशासनिक व्यवस्था आज की प्रशासनिक व्यवस्था से बहुत अर्थों में भिन्न थी। आज प्रजातांत्रिक व्यवस्था है जबकि उस समय राजतंत्र था । उस समय के अधिकारी राजा की मर्जी से नियुक्त होते थे जबकि आज प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को कड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ता है ।
तत्कालीन केन्द्रीय शासन से सम्बद्ध अनेक पदाधिकारियों का उल्लेख मिलता है । विदेश विभाग के प्रधान को ‘संधि-विग्रहक’ कहा जाता था, जबकि आज केन्द्रीय सरकार में खासतौर में एक विदेश विभाग है, जिसकी देख-रेख प्रधान सचिव के हाथ में होता है। इसके ऊपर एक विदेश मंत्री होता है। आज के राजस्व विभाग को वित्त मंत्री के अधीन रखा गया है। इस विभाग में भी मुख्य सचिव के नीचे अधिकारियों, कर्मचारियों का एक समूह काम करता है । ‘आयकर विभाग राजस्व विभाग का ही एक अंग है । भाण्डारिक जैसा अधिकारी आज नहीं हुआ करते ।
उस समय ‘भांडारिक’ इसलिए हुआ करते थे क्योंकि कर अनाज के रूप में भी वसूला जाता है । उस समय महादण्डनायक होता था जो पुलिस विभाग का प्रधान होता था । लेकिन आज दण्ड देने के लिए न्यायापालिका अलग है और पुलिस विभाग अलग है । आज पुलिस का काम दोषियों को पकड़ना मात्र है । दंड न्यायपालिकाएँ दिया करती हैं । इस प्रकार देखते हैं कि तत्कालीन राज्यों की प्रशासनिक व्यवस्था आज की प्रशासनिक व्यवस्था से कई अर्थों में भिन्न थी ।
प्रश्न 10. क्या आज भी हमारे समाज में सामंतवादी व्यवस्था के लक्षण दिखाई देते हैं ? उत्तर—आज दिखाने के लिये तो सामंती व्यवस्था हमारे सामज में नहीं है, लेकिन मध्यकालीन सामंती व्यवस्था से भी अधिक क्रूर सामंतों- सा राजनीतिक बाहुबलियों का उदय हो गया है। ये कुछ न होकर सबकुछ हैं। सभी बाहुबली किसी-न-किसी राजनीतिक दल के किसी दबंग नेता से जुड़ा है । कुछ बाहुबली तो खास-खास राजनीतिक दलों के किसी-न-किसी पद पर आसीन होकर अपने ओहदे का धौंस दिखाकर जनता का भय दोहन करते हैं ।
प्रश्न 11. मध्यकाल के मंदिर अपने धन-दौलत के लिए काफी प्रसिद्ध थे भव्यता के दृष्टिकोण से आप अपने पास के मंदिर से तुलना करें । उत्तर—धन-दौलत की दृष्टि से आज तिरुपति मंदिर तथा सिरडी का साईं राम मंदिर से हम कर सकते हैं । हमारे आस-पास के मंदिरों से यदि तुलना करें तो पटने का महावीर मंदिर किसी भी दृष्टि से भव्यता और धन-धान्य से किसी प्रकार कम नहीं है । आधुनिक काल में निर्मित इस मंदिर में आधुनिकता के पुट है । दान-दक्षिणा में यहाँ भी भारी चढ़ावा चढ़ता है। मंदिर अपनी आय से अनेक समाज सेवा संस्थान चलाता है
प्रश्न 12. भारत के मानचित्र पर प्रतिहार, पाल और राष्ट्रकूट वंश द्वारा शासित क्षेत्रों को दिखाएँ । वर्तमान समय में भारत के किस भाग में अवस्थित है?
उत्तर :
कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. ‘त्रिपक्षीय संघर्ष’ में तीनों पक्ष कौन-कौन थे? उत्तर— ‘त्रिपक्षीय संघर्ष’ में तीन पक्ष थे— गुर्जर-प्रतिहार, राष्ट्रकूट तथा पाल वंशों के शासक ।
प्रश्न 2. चोल साम्राज्य में सभा की किसी समिति का सदस्य बनने के लिए आवश्यक शर्तें क्या थीं? उत्तर—चोल साम्राज्य में सभा की किसी समिति का सदस्य बनने के लिए आवश्यक शर्तें ये थीं कि : व्यक्ति को ऐसी भूमि का स्वामी होना चाहिए जहाँ से भूराजस्व वसूला जाता हो । उनका अपना स्वयं का घर हो । उनकी उम्र 35 से 70 वर्षों के बीच हो । उन्हें वेदों का ज्ञान हो । उन्हें प्रशासनिक कामों की अच्छी जानकारी हो । उन्हें ईमानदार होना आवश्यक था। यदि कोई पिछले तीन सालों तक किसी समिति की सदस्यता कर चुका हो, वह आगे किसी समिति का सदस्य नहीं बन सकता ।
प्रश्न 3. चौहानों के नियंत्रण में आनेवाले दो प्रमुख नगर कौन-कौन थे? उत्तर— चौहानों के नियंत्रण में आनेवाले दो प्रमुख नगर थे : (i) दिल्ली तथा (ii) अजमेर ।
प्रश्न 4. राष्ट्रकूट कैसे शक्तिशाली बने ? उत्तर—आरंभ में राष्ट्रकूट कर्नाटक के चालुक्यवंशीय राजाओं के अधीनस्थ महासामंत थे । इसी वंश का एक महत्वाकांक्षी सामंत दंती दुर्ग ने आठवीं सदी के मध्य में अपने चालुक्य स्वामी की अधीनता मानने से इंकार कर दिया। धीरे-धीरे दंती दुर्ग ने ब्राह्मणों को प्रसन्न कर क्षत्रिय होने का प्रमाण प्राप्त कर लिया। एक यज्ञ सम्पन्न करा कर ब्राह्मणों ने घोषित किया कि यद्यपि दंती दुर्ग जन्मना क्षत्रिय नहीं है, लेकिन अपने कार्यों के कारण क्षत्रिय वर्ण प्राप्त कर लिया है। इसके बाद दंती दुर्ग और उसके बाद उसके वंशज धीरे-धीरे अपने को शक्तिशाली बनाते रहें और अंततः शक्तिशाली राज्य बनाकर ही उन्होंने दम लिया ।
प्रश्न 5. नये राजवंशों ने स्वीकृति हासिल करने के लिए क्या किया ? उत्तर—अनेक नये राजवंशों ने किसानों, व्यापारियों और ब्राह्मणों को विश्वास में लेकर उनकी मदद से राजा होने की स्वीकृति हासिल कर ली। आरंभिक अवस्था में किसानों, व्यापारियों और ब्राह्मणों को सत्ता में कुछ भागीदारी देकर भी नए राजवंशों ने अपनी शक्ति में विस्तार की ।
प्रश्न 6. चोल मंदिरों के साथ कौन-कौन-सी गतिविधियों से जुड़ीं थीं? उत्तर – चोल मंदिर पूजा-आराधना के केन्द्र तो थे ही, वे आर्थिक, शैक्षिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के भी केन्द्र थे। दान में मिली मंदिरों के पास काफी भूमि हुआ करती थी। उसकी उपज का उपयोग मंदिर की सेवा में लगे लोगों के लिए होता था । अनेक संगीतकार, नर्तक, अध्यापक, यहाँ तक कि छात्र भी मंदिरों में आश्रय पाते थे। केवल चोल मंदिर ही नहीं बल्कि देश भर के मंदिरों में पठन-पाठन होता था ।
इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान इतिहास के पाठ 1. कहाँ, कब और कैसे ? (Kaha Kab Aur Kaise Class 7th Solutions)के सभी टॉपिकों के बारे में अध्ययन करेंगे।
1. कहाँ, कब और कैसे ?
अध्याय में अंतर्निहित प्रश्न और उनके उत्तर
प्रश्न 1. प्रौद्योगिकी किसे कहते हैं? (पृष्ठ 3 ) उत्तर—मानव जीवन को बेहतर और उन्नत बनाने के लिये विज्ञान के सिद्धांत पर आविष्कृत विभिन्न कल-पुर्जों और मशीनों का खेती और कल-कारखानों आदि में उपयोग ‘प्रौद्योगिकी’ कहलाता है 1
प्रश्न 2. आज सिंचाई के लिये किन-किन साधनों का इस्तेमाल किया जाता है ? (पृष्ठ 4 ) उत्तर – आज सिंचाई के लिये नहर, पइन, नलकूप, कुओं आदि का इस्तेमाल किया जाता है । नलकूपों या तालाबों से पानी खींचने के लिये डीजल इंजन या बिजली का उपयोग कर पंप चलाते हैं ।
प्रश्न 3. मानचित्र –2 में दिखाए गए प्रमुख राज्यों की सूची बनाएँ । (पृष्ठ 4 ) उत्तर— मानचित्र -2 में दिखाए गए प्रमुख राज्य हैं: (i) गजनी, (ii) कश्मीर, (iii) सिंध, (iv) मुल्तान, (v) कच्छ, (vi) गुजरात, (vii) अहमदनगर, (viii) बीजापुर तथा (ix) बंगाल ।
प्रश्न 4. मानचित्र – 1 तथा 2, मानचित्रों में आप क्या अंतर पाते हैं ? ( पृष्ठ 4 ) उत्तर- दोनों मानचित्रों के अवलोकन के बाद हम यह अन्तर पाते हैं कि मानचित्र | में जहाँ शासक वंशों को प्रमुखता दी गई है तो मानचित्र 2 में राज्यों को प्रमुखता दी गई है। मानचित्र 1 में श्रीलंका को दिखाया गया है । उसके बदले मानचित्र 2 में अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों को दिखाया गया है ।
प्रश्न 5. मध्काल में कौन-कौन से खाद्य-पदार्थ हम आज भी खाते हैं? उस दौर में आम लोग क्या पहनते होंगे ? उत्तर- शासक और उनके करीन्दे, धनी व्यापारी और ग्रामीण लोगों के खान-पान में सदा से अंतर रहा है । वह मध्यकाल में भी था और आज भी है। मध्य काल के राज्य परिवार तथा सम्पन्न लोग जहाँ पोलाव, बिरयानी, कोरमा, फिरनी, अंगूर आदि खाते थे, सो आज भी खाते हैं.
गाँवों में खाने की वे ही वस्तुएँ होती थीं, जो लोग उपजाते थे। चावल का मौसम रहा तो चावल और गेहूँ का मौसम रहा तो रोटी खाना मध्यकाल में भी था और आज भी है । आम, अमरूद, केला, शकरकंद तब भी खाते थे और आज भी खाते हैं
उस दौर में हिन्दू और मुसलमानों के पहनावे में अन्तर था । हिन्दू जहाँ धोती पहनते थे, वहीं मुसलमान लूँगी पहनते थे। गंजी, कुरता दोनों धर्म के लोग पहनते थे । आज वह भेद मिट चुका है । हिन्दू भी लूँगी पहनने लगे हैं और ग्रामीण मुसलमान धोती पहनते हैं। बहुत दिनों तक साथ-साथ रहने के कारण दोनों के खान-पान और पहनावा में बहुत अंतर नहीं रह गया है ।
प्रश्न 6. क्या कारण रहा होगा कि भारत अतीत से ही संसार के लिये आकर्षण का केन्द्र रहा होगा ? उत्तर—भारत आदि काल से चिंतकों और मनीषियों का देश रहा है । तप और योग यहाँ की खास बात थी और आज भी है। योगी संतों का सम्मान राजा-महाराजा तक करते थे। यहाँ के विद्वानों की धाक विश्व भर में थी। ऋषि दाण्डयायन से बात करके सिकन्दर आवाक रह गया था । सिकन्दर का गुरु अरस्तू ने उसे बताया था कि भारत विजय को जा रहे हो तो वहाँ के ऋषियों से आशीर्वाद लेना। लौटते समय मेरे लिये तुलसी का पौधा तथा गंगा जल अवश्य लाना । विश्व में गंगा ही एक ऐसी नदी है जिसके जल में कभी कीड़े नहीं पनपते चाहे वर्षों वर्ष रखे रहो । भारत के प्रायः हर सभ्रांत घर में हरिद्वार-ऋषिकेश से लाया गंगा जल संजोकर रखा जाता है । मरते समय लोगों के मुँह में गंगाजल-तुलसी पत्ता देना लोग आवश्यक मानते हैं ।
‘यहाँ की भूमि उपजाऊ है । एक ही देश में सभी मौसमों का आनन्द लिया जा सकता है। वह भी एक ही समय में । खाने की कोई ऐसी वस्तु नहीं है जो भारत में नहीं उपजती हो । कुछ फल और वन्य पशु ऐसे हैं जो केवल भारत में ही मिलते हैं ।
प्रश्न 7. वैसी वस्तुओं की सूची बनाएँ, जिसे हवन में डाला जाता है? उत्तर – मुख्य रूप से हवन में धूप, जव, तील, घी मिलाया जाता है । लेकिन यह आम है। खास तौर पर हवन में अनेक अन्य वनस्पतियाँ भी डाली जाती हैं ।
प्रश्न 8. हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं के प्रति आस्था व्यक्त करने की अलग- अलग तरीके या पद्धति सम्प्रदाय कहलाती है । व्याख्या करें । उत्तर- हिन्दू धर्म कालान्तर में तीन सम्प्रदायों में बँट गया और तीनों के आराध्य देवी दवता में भिन्नता आ गई । इनके तीन संम्प्रदाय थे : वैष्णव, शैव तथा शाक्त । वैष्णव विष्णु और लक्ष्मी को अपना आराध्य मानते हैं। राम और सीता तथा कृष्ण और राधा को ये क्रमशः विष्णु और लक्ष्मी के अवतार मानते हैं । इस सम्प्रदाय वाले रामलीला और कृष्णलीला कर अपना मनोरंजन करते हैं । शैव सम्प्रदाय वाले शिव को पूजते हैं । शाक्त सम्प्रदाय वाले शक्ति के रूप में दुर्गा और काली की पूजा करते हैं । बलिदान देकर बलि के पशु का मांस खाना और मदिरा पीना ये गलत नहीं मानतें । ये मछली भी खाते हैं, जबकि वैष्णव और शैव मांस-मछली और मदिरा से दूर रहते हैं ।
प्रश्न 9. भक्त संत के वैसे दोहों पर चर्चा करें, जिसे आपने हिन्दी की पुस्तक में पढ़ा है । उत्तर : जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजियो ग्यान । मोल करो तरवार का, पड़ा रहने दो म्यान ।। माला तो कर में फिरै, जीभि फिरै मुख माँहिं । मनुआ तो चहुँ दिसि फिरै, यह तो सुमिरन नहिं ।।
प्रश्न 10. अभिलेखागार क्या है ? (पृष्ठ 9 ) उत्तर— अभिलेखों को जहाँ सुरक्षित रखा जाता है, उसे अभिलेखागार कहते हैं । खासतौर पर अभिलेखागार से तात्पर्य यह लगाया जाता है जहाँ सरकारी अभिलेख रखे जाते हैं। लेकिन कभी-कभी महत्वपूर्ण पाण्डुलिपि भी यहाँ रखी जाती है, जो सरकारी न होकर शैक्षिक और सामाजिक होती है। अभिलेखागार राष्ट्रीय भी होता है और राज्यों का भी । अकबर के बाद से अभिलेख रखने की परम्परा चली ।
प्रश्न 11. ‘न्यूमेसमेटिक्स‘ किसे कहते हैं?( पृष्ठ 12 ) उत्तर- सिक्कों के अध्ययन को ‘न्यूमेसमेटिक्स’ कहते हैं ।
अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर
आइए फिर से याद करें :
प्रश्न 1. रिक्त स्थानों को भरें : (क) सोलहवीं सदी के आरम्भ में …………ने हिन्दुस्तान शब्द का प्रयोग ………किया । (ख) ……… एक विशेष प्रकार का फारसी इतिहास है । (ग) ………… लोगों द्वारा भारत में एक नये धर्म का आगमन हुआ । (घ) भारत में कागज का प्रयोग ……..शताब्दी के आस-पास हुआ ।
उत्तर : (क) बाबर; वस्तुतः सम्पूर्ण उपमहाद्वीप के लिये, (ख) तारीख – उल – हिन्द, (ग) इन्हीं अरबों के साथ, (घ) तेरहवीं ।
प्रश्न 2. जोड़े बनाइए : राजतरंगिनी दरिया साहब भक्ति संत सासाराम तबकात-ए-नासिरी बैकटपुर का शिव मंदिर शेरशाह का मकबरा कश्मीर का इतिहास मानसिंह मिनहाज-उस- सिराज
उत्तर : राजतरंगिनी कश्मीर का इतिहास भक्ति संत दरिया साहब तबकात-ए-नासिरी मिनहाज -उस- सिराज शेरशाह का मकबरा सासाराम मानसिंह बैकटपुर का शिव मंदिर
प्रश्न 3. मध्य काल के वैसे वस्त्रों की सूची बनाइए, जिसका व्यवहार हम आज भी करते हैं । उत्तर—मध्यकाल में सिले हुए वस्त्र बहुत कम लोग ही पहनते थे । कमर के नीचे धोती, कंधे से लेकर कमर के नीचे तक चादर तथा सर पर मुरेठा बाँधने का रिवाज रहा होगा। आज भी उत्तर प्रदेश के अधिकांश ब्राह्मण सिला हुआ वस्त्र पहनकर भोजन नहीं करते। इसी से अनुमान लगता है कि मध्य युग के लोग सिला हुआ वस्त्र नहीं पहनते होंगे। उनके वस्त्रों में से धोती, चादर और मुरेठा का व्यवहार आज भी लोग करते हैं। सिला हुआ वस्त्र पहनने का रिवाज बहुत बाद में आरम्भ हुआ होगा ।
प्रश्न 4. वस्त्र उद्योग के क्षेत्र में हुए प्रमुख प्रौद्योगिकीय परिवर्तनों को बताएँ । उत्तर—प्राचीन भारत में वस्त्र उद्योग के लिए सूत तकली पर काते जाते थे, जिसमें काफी समय लगता था । कारण कि तकली को हाथ से नचाना पड़ता था । बाद में 13वीं सदी में परिवर्तन यह आया कि तकली का स्थान चरखे ने ले लिया । अब सूत तेजी से अधिक मात्रा में और कम समय में ही बन सकते थे । पहले सीधे कपास से सूत काता जाता था। बाद में इसमें बदलाव आया धुनिया लोगं धनुकी पर रूई धुनने लगे। अब धुनी हुई रूई से सूत कातना आसान हो गया ।
प्रश्न 5. कागज का आविष्कार सर्वप्रथम कहाँ हुआ ? उत्तर—कागज का आविष्कार सर्वप्रथम चीन में हुआ ।
प्रश्न 6. वनवासियों को जंगल क्यों छोड़ना पड़ा ? उत्तर—प्रौद्योगिकी में परिवर्तन के फलस्वरूप खेती योग्य भूमि की तलाश हो रही थी। बाहर से आये लोगों के लिये अधिक अन्न की भी आवश्यकता बढ़ी होगी । खेती बढ़ाने के लिए जंगल काटे जाने लगे । फलस्वरूप वनवासियों को जंगल छोड़ने पर विवश होना पड़ा। हालाँकि अनेक वनवासी खेती के काम में लग गए और ग्रामवासी बन गये ।
प्रश्न 7. गंगा-यमुनी संस्कृति से आप क्या समझते हैं? उत्तर—दो संस्कृतियों के मेल से जो संस्कृति विकसित हुई, उस संस्कृति को गंगा- यमुनी संस्कृति कहते हैं ।
प्रश्न 8.आठवीं शताब्दी के आस-पास हुए परिवर्तनों को लिखिए । उत्तर—आठवीं शताब्दी के आस- पास पहला परिवर्तन तो देश के नाम बदलने के रूप में हुआ । अब ‘भारत’ को हिन्दुस्थान भी कहा जाने लगा । यह बदलाव 13वीं शताब्दी में तुर्क – सत्ता की स्थापना के बाद प्रचलित हुआ । उस समय हिन्दुस्थान की भौगोलिक सीमा उतनी ही थीं, जितनी पर तुर्कों का अधिकार था। मुगल काल में अकबर से लेकर 17वीं शताब्दी तक औरंगजेब ने हिन्दुस्थान की सीमा में काफी विस्तार किया । कृषि के साथ-साथ उद्योग-धंधों में भी बदलाव आए ।
प्रश्न 9. क्या प्राचील काल की तुलना में मध्य काल के अध्ययन के लिये ज्यादा स्रोत उपलब्ध हैं? उत्तर- हाँ, प्राचीन काल की तुलना में मध्य काल के अध्ययन के लिए आज ज्यादा स्रोत उपलब्ध है। ये स्रोत अनेक लेखकों और इतिहासकारों द्वारा लिखे गये लेख और इतिहास हैं । सर्वप्रथम इतिहासकार मिन्हाज-ए-सिराज ने 13वीं शताब्दी में इतिहास लिखा, जिसमें उन्होंने बिहार के विषय में लिखा कि इसका नाम ‘बिहार’ क्यों पड़ा ? प्रसिद्ध विद्वान सैयद सुलेमान नदवी ने, एक. अरबी गीत का उद्धरण दिया है, जो भारत के लिये प्रमुख. है । भक्त कवियों और सूफी संतों ने भी भारत के सम्बंध में बहुत कुछ लिखा है। राजपूत राजाओं के दरबारी कवियों ने भी उस समय के सामाजिक जीवन के विषय मे लिखा है । लिखित रचनाएँ या पाण्डुलिपियाँ, अभिलेख, सिक्के, भग्नावशेष, चित्र आदि विविध स्रोत हैं, लेकिन प्रधानता लिखित सामग्री को ही दी जाती है । 13वीं शताब्दी में कागज का उपयोग शुरू हो जाने के बाद लिखने का काम व्यापक रूप से होने लगा । इस काल में लिखी गई पाण्डुलिपियाँ एवं प्रशासनिक प्रपत्र अभिलेखागारों और पुस्तकालयों में सुरक्षित हैं । इस काल की अनेक घटनाओं की जानकारी हमें इन्हीं अभिलेखों से प्राप्त होती है । अन्य अभिलेख पत्थरों, चट्टानों और ताम्र पत्रों पर लिखे गये थे । बहुत-से अभिलेख मन्दिरों और मस्जिदों और गाँवों में भी सुरक्षित हैं । कल्हण की राजतरंगिणी, अलबेरूनी की पुस्तक तहकीक-ए-हिन्द, मिन्हाज उससिराज कृत तबकात-ए-नासिरी, जियाउद्दीन बरनी की पुस्तक तवारीख-ए-फिरोजशाही । अबुल फजल ने अकबरनामा लिखा । इसके पहले बाबर ने बाबरनामा लिखा था । इनके अलावा अनेक यात्रियों ने अपने यात्रा वृत्तांत लिखा जो इतिहास से कम नहीं हैं। इससे स्पष्ट होता है कि प्राचीन काल की तुलना में मध्य काल के अध्ययन के लिये ज्यादा स्रोत उपलब्ध हैं ।
प्रश्न 10. जब एक ही व्यक्ति या घटना के सम्बंध में अलग-अलग मत आते हैं, तो ऐसी परिस्थितियों में इतिहासकार क्या करते होंगे ? उत्तर — प्रश्न में बताई गई परिस्थिति में इतिहासकार समान विशेषता वाले बड़े- बड़े हिस्सों, युगों या कालों में बाँट देते हैं। फिर अनुमान से स्थिति का अवलोकन कर स्वयं जो वे उचित समझते हैं, लिख देते हैं ।
आइए करके देखें :
इसके अन्तर्गत प्रश्नों को छात्रों को स्वयं करना है।
कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. पिछली कई शताब्दियों में ‘हिंदुस्तान‘ शब्द का अर्थ कैसे बदला है ? स्पष्ट कीजिए । उत्तर – वास्तव में आज के भारतीय उपमहाद्वीप को आर्यावर्त नाम से जाना जाता था, जिसमें भारत भी एक देश था। कहा भी गया है— ‘जम्बू द्वीपे आर्यावर्ते भारत खण्डे’। जम्बू द्वीप सम्भवतः एशिया के लिए प्रयुक्त था और आर्यावर्त भारतीय उपमहाद्वीप के लिए । भारतीय उपमहाद्वीप में भारत एक देश था। सिकंदर ने सर्वप्रथम ‘इण्डस’ नाम से इसे सम्बोधित किया, जो सिन्धु नदी के नाम से निकला है । मुसलमान जब इस देश में आए, तब उन्होंने भी सिन्धु को ध्यान में रखकर हिन्दू शब्द का व्यवहार किया । इस देश में रहनेवाले हिन्दुओं के कारण वे इसे भारत के स्थान पर हिन्दुस्थान कहने लगे और क्रमशः हिन्दू स्थान से हिन्दुस्तान बन गया । अंग्रेज जब आए तब उन्होंने भी सिन्ध को ही पकड़ा । सिन्धु को इण्डस नाम दिया। फिर इण्डस इंडिया बन गया । इस प्रकार इस देश का नाम भारत, हिन्दुस्तान और इण्डिया तीनों का व्यवहार एक साथ होने लगा । आज भी ये तीनों नाम प्रचलन में हैं ।
प्रश्न 2. जातियों के मामले कैसे नियंत्रित किए जाते थे? उत्तर- हर जाति के कुछ बड़े-बूढ़े अपनी जाति पर नियंत्रण रखते थे । हर जाति के अपने कुछ नियम-कायदे होते थे और उनका कड़ाई से पालन कराया जाता था। अपनी जाति का कोई व्यक्ति कोई गलत काम न कर बैठे, इसकी देख-रेख उस जाति के मुखिया करते थे। तब समाज में आज जैसी उच्छृंखलता नहीं थी ।
प्रश्न 3. सर्वक्षेत्रीय साम्राज्य से आप क्या समझते हैं? उत्तर – जिस शासक का साम्राज्य जितनी दूरी में फैला होता था उसके अधीन सम्पूर्ण क्षेत्रों को मिलाकर सर्वक्षेत्रीय साम्राज्य कहते थे। भारत में सर्वप्रथम साम्राज्य कायम करनेवाला चन्द्रगुप्त मौर्य था । फिर दिल्ली के सुल्तानों ने साम्राज्य स्थापित किये। लेकिन इनसे भी बड़ा साम्राज्य मुगल बादशाह अकबर का था ।
प्रश्न 4. पांडुलिपियों के उपयोग में इतिहासकारों के सामने कौन-कौन-सी समस्याएँ आती हैं? उत्तर – पांडुलिपियों के उपयोग में इतिहासकारों के सामने अनेक समस्याएँ आती हैं। उनके रख-रखाव का कोई उचित प्रबंध नहीं होने से वे नष्ट हो जाती हैं। दूसरे, लिखावट में अस्पष्टता के चलते कुछ शब्दों को उन्हें स्वयं गढ़ना पड़ता है । इस कारण कालक्रम से एक ही अर्थ के लिए अनेक शब्दों का व्यवहार करना पड़ता था । बाद में मठ, मंदिरों और विहारों में अभिलेख सुरक्षित रखे जाने लगे। नालन्दा विश्वविद्यालय में पांडुलिपियों का अपार भंडार था जो किसी आतताई आक्रमणकारी द्वारा जला दिया गया। बाद में उन अधजले पांडुलिपियों से ही काम चलाया गया । इतिहासकारों को पांडुलिपियों के उपयोग में ये ही समस्याएँ आती हैं ।
प्रश्न 5. इतिहासकार अतीत को कालों या युगों में कैसे विभाजित करते हैं? उत्तर—इतिहासकार कालों या युगों को विभाजित करते समय उस काल के कोई एक महत्वपूर्ण पहलू को पकड़ते हैं और उसके आधार पर कालों या युगों को विभाजित करते हैं। अभी ताजा वर्गीकरण अंग्रेजों द्वारा किया गया वर्गीकरण है, जैसे— हिन्दू युग, मुस्लिम युग, ब्रिटिश युग । आज हम जनतांत्रिक युग से गुजर रहे हैं। इससे पहले प्राचीन काल, मध्य काल और आधुनिक काल में समय को बाँटा गया था। इससे भी पहले पत्थर युग, ताम्र युग, लौह युग में बँटवारा हुआ था। उस हिसाब से आज हम प्लास्टिक युग से गुजर रहे हैं ।