Bihar Board Class 7th Social Science Solutions All Topics सामाजिक विज्ञान

Bihar Board Class 7th Social Science Solutions All Topics सामाजिक विज्ञान

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड के कक्षा 7 के सामाजिक विज्ञान Bihar Board Class 7th Social Science Solutions All Topics के सभी पाठ के व्‍याख्‍या को पढ़ेंगें। यह पोस्‍ट बिहार बोर्ड के परीक्षा की दृष्टि से काफी महत्‍वपूर्ण है।

इसको पढ़ने से आपके किताब के सभी प्रश्‍न आसानी से हल हो जाऐंगे। इसमें चैप्‍टर वाइज सभी पाठ के नोट्स को उपलब्‍ध कराया गया है। सभी टॉपिक के बारे में आसान भाषा में बताया गया है।

यह नोट्स NCERT तथा SCERT बिहार पाठ्यक्रम पर पूर्ण रूप से आ‍धारित है। इसमें समाजिक विज्ञान के प्रत्‍येक टॉपिक के बारे में जानकारी उपलब्‍ध कराया गया है, जो परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही महत्‍वपूर्ण है। इस पोस्‍ट को पढ़कर आप बिहार बोर्ड कक्षा 7 के सामाजिक विज्ञान के किसी भी पाठ को आसानी से समझ सकते हैं और उस पाठ के प्रश्‍नों का उत्तर दे सकते हैं। जिस भी पाठ को पढ़ना है उस पर क्लिक कीजिएगा, तो वह खुल जाऐगा। उस पाठ के बारे में आपको वहाँ सम्‍पूर्ण जानकारी मिल जाऐगी।

Class 7th Social Science Solutions Notes सामाजिक विज्ञान प्रत्‍येक पाठ की सम्‍पूर्ण जानकारी

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आशा करता हुँ कि आप को सामाजिक विज्ञान के सभी पाठ को पढ़कर अच्‍छा लगेगा और परीक्षा में काफी अच्‍छा स्‍कोर करेंगें। अगर आपको बिहार बोर्ड कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान इतिहास, भूगोल, राजनीति विज्ञान और अर्थशास्‍त्र से संबंधित कोई भी टॉपिक के बारे में जानना चाहते हैं, तो नीचे कमेन्‍ट बॉक्‍स में क्लिक कर पूछ सकते हैं। अगर आपको और विषय के बारे में पढ़ना चाहते हैं तो भी हमें कमेंट बॉक्‍स में बता सकते हैं। आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

Bihar Board Class 7 Social Science Ch 11 समानता के लिए संघर्ष | Samanta ke Liye Sangharsh Class 7th Solutions

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान के पाठ 11. समानता के लिए संघर्ष (Samanta ke Liye Sangharsh Class 7th Solutions)के सभी टॉपिकों के बारे में अध्‍ययन करेंगे।

Samanta ke Liye Sangharsh Class 7th Solutions

11. समानता के लिए संघर्ष

पाठ के अंदर आए प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. मछुआरे किन बातों से परेशान थे ? इसे दूर करने के लिए उन्होंने क्या किया?  ( पृष्ठ 110 )
उत्तर – मछुआरे इन बातों से परेशान थे क्योंकि गंगा में मछली पकड़ने के लिए ठेकेदारी चालू हो गई जो आजादी के पहले से ही चली आ रही थी । लेकिन अंग्रेज़ी जमाने के ठेकेदारी के बजाय आजाद भारत के ठेकेदार अधिक शोषण करने लगे । मछुआरों को अपने परिवार का भरण-पोषण करना कठिन हो गया। इससे बचाव के लिये मछुआरों ने सहकारी समिति गठित की, जिसने बन्दोबस्ती ली। अब मछुआरों की कठिनाइयाँ और बढ़ गई । सहकारी समिति में भी बाहुबलियों की पैठ बढ़ गई ।

इससे बचाव के लिए मछुआरों ने 1982 में कहलगाँव से शांतिपूर्ण संघर्ष का एलान कर दिया। इनकी माँग थी कि गंगा से जलकर समाप्त किया जाय । जाति प्रथा तोड़ी जाय, शराबखोरी पर पाबंदी लगाई जाय। महिलाओं को बराबरी का हक मिले। संघर्ष को तेज करने के लिए मछुआरों ने अनेक संगठन कायम किये । धरना और प्रदर्शन का दौर चला। संघर्ष का विस्तार होता गया। संघर्ष ने रंग दिखाया। 1991 में सरकार ने गंगा में जलकर समाप्त कर दिया । इससे मछुआरों को जीविका का अधिकार प्राप्त हो गया।

प्रश्न 2. क्या आज भी कुछ समस्याएँ बनी हुई हैं ? इनके हल के लिये क्या करना चाहिए ? ( पृष्ठ 110 )
उत्तर – गंगा पर फरक्का बाँध बन जाने के कारण समुद्री मछलियाँ या इनके जीरों (बीजों या अंडों) का आना बन्द हो गया। इससे फरक्का के पश्चिम गंगा में मछलियों की कमी होने लगी। गंगा के दोनों तटों पर अनेक नगर और कारखाने हैं। नगरीय नालों का गंदा जल तथा कारखानों के अवशिष्ट गंगा में बहाए जाने में बढ़ोत्तरी होने लगी। इससे गंगा जल प्रदूषित होने लगा । फलस्वरूप मछलियों के प्रजनन तथा विकास पर बुरा प्रभाव पड़ा। ये समस्याएँ आज भी बनी हुई हैं, जिससे मछलियों के उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ा है। ये ही समस्याएँ आज भी बनी हुई हैं।

इसके सुधार के लिये करना यह होगा कि बिना साफ किये कारखानों के कचरे गंगा में नहीं बहाया जाय। नगर के नालों के पानी की भी सफाई की जाय साफ पानी को ही गंगा में बहाया जाय। इससे प्रदूषण रुकेगा और अधिक मछलियाँ मिल सकेंगी।

अभ्यास: प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. अपने विद्यालय या आसपास में समानता तथा असमानता दर्शाते दो-तीन व्यवहारों को लिखें।
उत्तर – हमारे विद्यालय में हर तरह से सभी छात्रों के साथ समानता का व्यवहार हैं। सभी एक तरह की पोशाक पहनते हैं तथा सभी एक पंक्ति में बैठकर खाते हैं ।

हमारे गाँव में कुछ असमानता है। किसी के यहाँ प्रतिभोज में सवर्णों के लिए अलग पांत होता है तथा दलितों या महादलितों के लिए अलग। कुछ मंदिरों में दलितों का प्रवेश वर्जित है। हालाँकि यह कानून के विरुद्ध है

प्रश्न 2. क्या साइकिल वितरण, पोशाक वितरण, मध्याह्न भोजन वितरण, छात्रवृत्ति वितरण के समय असमान व्यवहार का भेद झलकता है ?
उत्तर— नहीं, हमारे विद्यालयों में साइकिल वितरण, पोशाक वितरण, मध्याह्न भोजन वितरण या छात्रवृत्ति वितरण में किसी प्रकार असमान व्यवहार का भाव नहीं झलकता है। सभी कामों में सबके साथ समानता का व्यवहार होता है ।

प्रश्न 3. अपने इलाके के संदर्भ में कुछ संघर्ष के मुद्दों को बताएँ ।
उत्तर — भूमि सुधार कार्यक्रम के तहत भूमि के बँटवारे को लेकर यदा-कदा संघर्ष होते ही रहता है। होता यह है कि भूपतियों के उनके हक से अधिक जमीन को सरकार अपने स्तर से भूमिहीनों को देती है । इसके लिये सरकार द्वारा पर्चा वितरित कर देने के बावजूद भूपति उसपर अधिकार होने नहीं देते। इसके लिए मारपीट, गोली- बन्दूक आदि तरह-तरह के संघर्ष आए दिन होते रहते हैं ।

प्रश्न 4. अपने क्षेत्र के कुछ प्रदर्शनों या आन्दोलनों में से किसी एक पर चर्चा करें ।
उत्तर—हमारे क्षेत्र में महिलाओं द्वारा नशा विरोधी प्रदर्शन हुआ था। महिलाएँ झाड़ू हाथ में थामें प्रदर्शन कर रही थीं और पुरुषों द्वारा शराब पीने के विरुद्ध नारे लगा रही थीं। धीरे-धीरे उनके प्रदर्शन ने पूरे इलाके में फैलकर एक आन्दोलन का रूप धारण कर लिया । वे शराब की दुकानें बन्द करवाने की बात भी कहने लगी हैं। आन्दोलन अभी जारी है ।

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Bihar Board Class 7 Social Science Ch 10. चले मंडी घुमने | Chale Mandi Ghumne Class 7th Solutions

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान के पाठ 10. चले मंडी घुमने (Chale Mandi Ghumne Class 7th Solutions)के सभी टॉपिकों के बारे में अध्‍ययन करेंगे।

Chale Mandi Ghumne Class 7th Solutions

10. चले मंडी घुमने

पाठ के अन्दर आए प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 93 के रेखा चित्र के अनुसार बड़े शहर की मंडी तक चावल पहुँचने के क्या-क्या तरीके हैं ? ( पृष्ठ 93)
उत्तर – चित्र के अनुसार किसान का धान दो स्तर से मिलों तक पहुँचता है। पहला स्तर है कि किसान से धान बड़े मिलों में जाता है । वहाँ से चावल बड़े शहरों के थोक विक्रेता को जाता है और वहाँ से खुदरा विक्रेता चावल ले जाते हैं । दूसरा स्तर है कि किसान से धान छोटे चावल मिलों में जाता है। वहाँ से स्थानीय छोटे व्यापारी खरीद लेते हैं और उसे स्थानीय मंडी के थोक व्यापरी के हाथ बेचते हैं। स्थानीय मंडी के थोक व्यापारी उस चावल को बड़े शहर के थोक विक्रेता के हाथ बेच देते हैं । वहाँ से खुदरा विक्रेता चावल ले जाकर छोटे बाजारों में बेचते हैं । यहाँ हम देखते हैं कि दोनों स्तर का चावल शहर के थोक विक्रेता के पास ही पहुँचता है, जहाँ से खुदरा विक्रेता ले जाते हैं ।

प्रश्न 2. थोक और खुदरा बाजार में क्या अन्तर है ? ( पृष्ठ 93 )
उत्तर- थोक बाजार में थोक माल बेचे जाते हैं। कम-से-कम एक बद बोरा चावल या गेहूँ तो लेना ही पड़ेगा। इसके विपरीत खुदरा बाजार में खरीददार अपनी जरूरत के मुताबिक ही सामान ख़रीद सकता है। एक किलो, दो किलो, पाँच किलो, दस किलो जितना भी ।

प्रश्न 3. थोक बाजार की जरूरत क्यों होती है ? चर्चा करें। ( पृष्ठ 93 )
उत्तर—थोक बाजार की जरूरत इसलिए होती है ताकि जो माल उसके पास आए उसका वह तुरंत भुगतान कर सके । छोटे शहर या ग्रामीण दुकानदार भी जितना चाहे उतना माल खरीद सकें। इस प्रकार हम देखते हैं कि विक्रेता और क्रेता दोनों के लिए थोक बाजार की जरूरत होती हैं ।

प्रश्न 4. छोटे किसान को चावल का कम मूल्य क्यों मिलता है ? (पृ. 93 )
उत्तर—चूँकि छोटे किसान से स्थानीय छोटे व्यापारी खरीदते हैं । वे अपना लाभ कम कर ही चावल का मूल्य देते हैं। इसी कारण छोटे किसान को चावल का कम मूल्य मिलता है ।

प्रश्न 1. आपके आस-पास कोई मिल है क्या? वहाँ फसल कैसे पहुँचता है ? पता लगाइए।  (पृष्ठ 97 )
उत्तर— हाँ, मेरे आस-पास अनेक चीनी मिलें हैं। मेरे सर्वाधिक निकट नरकटियागंज चीनी मिल तथा समनगर चीनी मिलें हैं ।
चीनी का मुख्य कच्चा माल गन्ना है। गन्ना किसान अपने खेतों में उपजाते हैं। किसान ही गन्ना को मिलों में पहुँचाते हैं। प्रक्रिया है कि पहले मिल से गन्ना देने का आदेश पत्र लेना पड़ता है। आदेश मिलने पर ही गन्ना को बैलगाड़ी, ट्रैक्टर या ट्रक द्वारा मिल में पहुँचाया जाता है । पहले आओ पहले तौलवाओं की विधि से गन्ने की तौल होती है। कभी-कभी कतार बहुत लम्बा हो जाता है। गन्ने का मूल्य मिल किसान को बाद में देता है।

प्रश्न 2. सरकार द्वारा चलायो गयो नियंत्रित मंडी क्या है ? शिक्षक के साथ चर्चा करें । ( पृष्ठ 97 )
उत्तर- सरकार द्वरा चलायी गयी नियंत्रित मंडी बाजार समितियाँ है। बाजार समिति में सरकारी गोदाम होतें हैं। व्यापारी किसानों से अनाज खरीद कर वहीं रखते हैं जहाँ से खुदरा विक्रेता खरीद कर ले जाते हैं और खुदरा विक्रेता से उपभोक्ता खरीदते हैं।

प्रश्न 3. बिहार में प्रक्का उद्योग लगाने की काफी संभावनाएँ हैं। इन इकाइयों द्वारा मक्के के विभिन्न उत्पाद, जैसे- स्टार्च, बेबी कार्न, पाप कर्न, कर्न फ्लैक्स, मक्के का आटा, मुर्गियों का चारा, मक्के का तेल अदि बनाया जा सकता है। इनके क्या फायदे-नुकसान हैं ? चर्चा करें ।
उत्तर-मक्के के उद्योग से किसानों को फायदा यह है कि कारखानेदार उन्हें तुरंत भुगतान कर देते हैं। यदि किसानों की पहुँच मंडियों तक हो जाय तो उन्हें अधिक लाभ हो। कारखानेदारों को ये मंडी वाले ही मक्का पहुँचाते हैं। ये लोग बंग्लादेश, अर्जेन्टीना और मलेशिया तक कच्चे माल का निर्यात करते हैं। देश के आंतरिक राज्यों— पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश को भी जाता है । यदि सही समर्थन मूल्य पर किसानों से मक्का खरीदा जाय तो किसानों को लाभ ही लाभ है। लेकिन निर्यात कर देने से देश के लोगों का मक्का महँगा मिलने लगता है । यह देशवासियों के लिए नुकसान है ।

प्रश्न 1. शीत गृहों के निर्माण में किसे फायदा हो सकता है ? ( पृष्ठ 102 )
उत्तर- शीतगृहों के निर्माण से फलों और सब्जियों के थोक व्यापारियों को फायदा हो सकता है। बड़े किसान को भी इससे लाभ हो सकता है।

प्रश्न 2. अपने घर के आसपास सर्वे करें कि पिछले 15 वर्षों में लोगों को फल की खपत में क्या-क्या परिवर्तन आए और क्यों ?
उत्तर—हमने अपने आस-पास पता लगाया अर्थात् सर्वे किया । ज्ञात हुआ कि पिछले 15 वर्षों की खपत में कोई खास अन्तर नहीं आया है। कहीं-कहीं जैम और जेली तक जूस के कारखाने खुल जाने से बाहर भेजने के लिए कम ही फल बच पाता है। वरना और खपत पहले जैसा ही है ।

प्रश्न 3. बिहार के फल प्रसंस्करण आधारित उद्योग लगाने की क्या-क्या सम्भावनाएँ हैं ? चर्चा करें ।   ( पृष्ठ 97 )
उत्तर- बिहार में फल प्रसंस्करण आधारित उद्योग लगाने की अच्छी सम्भावनाएँ हैं। मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर आदि स्थानों पर ऐसे उद्योग खड़े किये जायँ तो किसानों को अच्छा लाभ हो ।

प्रश्न 4. ” स्वतंत्रता के पूर्व बिहार को देश का चीनी का कटोरा कहा जाता था। 1942-43 में राज्य में कुल 32 चीनी मिलें थीं, जबकि देश भर में सिर्फ 140 चीनी मिलें थी । वहीं 2000 तक राज्य के चीनी मिलों की संख्या घटकर सिर्फ 10 रह गयीं, जबकि भारत भर में चीनी मिलों की संख्या 495 हो गयी । ” पता करें कि यह बदलाव कैसे हुआ ? ( पृष्ठ 102 )
उत्तर—प्रश्न में दिये गए बदलाव पर हम विचार करते हैं तो पाते हैं कि बिहार में जितनी मिलें थीं उनकी मशीन पुराने जमाने की थीं और चलते-चलते घिस कर उत्पादन कम देने लगी थीं। दूसरी मार मिल मालिकों पर कर्मचारी संघों का पड़ा । धीरे-धीरे मिल मालिकों ने अपनी पूँजी निकाल कर दूसरे उद्योगों में लगा दिया और चीनी मिलों को बन्द कर भाग खड़े हुए। बहुतों ने तो किसानों का और मजदूरों का भी रुपया मार लिया। जो मिल मालिक कर्मचारी संघों से निबट सकते थे, वे धीरे-धीरे मिलों का नवीनीकरण करते रहे और उनका मिल चालू रहा। बिहार में आज जो 10 मिलें बची हुई हैं, उन्हीं जबरदस्त मिल मालिकों की हैं जो जैसा को तैसा जवाब दे सकते थे । अब इधर 2010 में आकर बिहार सरकार और नई मिलें खोलवाने का प्रयास कर रही है । पहले जैसी स्थिति तो नहीं होगी, लेकिन राज्य में मिलें बढ़ेगी और कुछ-न-कुछ उत्पादन भी अवश्य बढ़ेगा ।

प्रश्न 5. बिहार में पश्चिम चम्पारण, पूर्वी चम्पारण, सारण, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, शाहाबाद, पूर्णिया, पटना एवं सहरसा प्रमुख गन्ना उत्पदक जिले हैं । इन्हें मानचित्र में दिखाएँ ।
उत्तर :

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न – 1. आपके अनुसार अरहर किसान से किस प्रकार आपके घरों में दाल के रूप में पहुँचता है। दिये गये विकल्पों में से खाली बॉक्स भरें ।
उत्तर :
किसान → (i) → (iv) → (v) → (iii) → (ii) → उपभोक्ता

विकल्प :
(i). दाल मिल
(ii) खुदरा व्यवसायी
(iii) स्थानीय छोटे व्यवसायी
(iv) बड़ी मंडी के थोक व्यवसायी
(v) स्थानीय मंडी के थोक व्यवसायी

प्रश्न 2. स्तंभ को स्तं भ से मिलान करें ।
स्तंभ क                               स्तंभ ख
(i) शाही लीची                     (क) भागलपुर
(ii) दुधिया मालदह               (ख) मुजफरपुर
(iii) मखना-                         (ग) दीघा (पटना)
(iv) जर्दालु आम                   (घ) दरभंगा

उत्तर :
स्तंभ क                                स्तंभ ख
(i) शाही लीची                      (ख) मुजफ्फरपुर
(ii) दुधिया मालदह                (ग) दीघा (पटना)
(iii) मखाना                           (घ) दरभंगा
(iv) जर्दालु आम                    (क) भागलपुर

प्रश्न 3. कृषि उपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य से आप क्या समझते हैं ? इससे किसानों को क्या फायदा होता है ?
उत्तर—कृषि उपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य से तात्पर्य है कि जो मूल्य सरकार निश्चित करती है और उस मूल्य पर स्वयं खरीदने का वादा करती है। यदि अन्य व्यापारी भी खरीदेंगे तो उस मूल्य से कम मूल्य पर नहीं खरीदेंगे। भले ही अधिक मूल्य दे दें ।
इससे किसानों को यह फायदा होता है कि व्यापारी उनका शोषण नहीं कर पाते । किसान खुशहाल रहते हैं ।

प्रश्न 4. निम्नलिखित फसलों से बनाये जाने वाले विभिन्न उत्पादों को लिखें। इन उत्पादों को बनाने के लिए क्या किया जाना चाहिए ?

उत्तर :

प्रश्न 5. निम्नलिखित फसलों के सामने के खाली बॉक्स को भरें। अपने आस-पास के अनुभव के आधार पर

उत्तर :

प्रश्न 6. पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 104 पर दिये गये चित्र में गुप्त रूप से आम का भाव तय किया जा रहा है। खुली नीलामी प्रक्रिया इससे कैसे भिन्न है ? चर्चा करें ।
उत्तर — गुप्त रूप से आम का भाव तय करने में केवल दो व्यक्ति ही भाव समझ पाते हैं। लेकिन खुली निलामी में सभी व्यापारी आम का भाव जान जाते हैं। जिसकी बोली सबसे अधिक भाव की होती है, उसी को दर माना जाता है। अधिक बोली लगाने वाले को सारा आम खरीदना पड़ जाता है। फिर वह अपना मुनाफा रख कर खुदरा व्यापारियों के हाथ बेचता है।’

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Bihar Board Class 7 Social Science Ch 9. बाजार श्रृंखला : खरीदने-बेचने की कडि़याँ | Bajar Shrinkhala Kharidne ka Karya Class 7th Solutions

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान के पाठ 9 बाजार श्रृंखला : खरीदने-बेचने की कडि़याँ (Bajar Shrinkhala Kharidne ka Karya Class 7th Solutions)के सभी टॉपिकों के बारे में अध्‍ययन करेंगे।

Bajar Shrinkhala Kharidne ka Karya Class 7th Solutions

9. बाजार श्रृंखला : खरीदने-बेचने की कडि़याँ

पाठ के अन्दर आए हुए प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. सलमा को सहकारी समिति से मखाना उपजाने के लिए तालाब क्यों नहीं मिल सका ? ( पृष्ठ 82 )
उत्तर— सहकारी समिति छोटे किसानों को तालाब नहीं देती। किसानों के बड़े तालाबों का हिस्सा खरीदना पड़ता है । इधर सलमा के पास पूँजी की कमी थी। उसे तो 15 कट्ठे के तालाब के लिये रिश्तेदारों से कर्ज लेना पड़ा। इस प्रकार पूँजी की कमी के कारण सलमा को सहकारी समिति से तालाब नहीं मिल सका ।

प्रश्न 2. सलमा सहकारी समिति से यदि तालाब लेती तो क्या फर्क पड़ता ?  ( पृष्ठ 82 )
उत्तर—यदि सलमा सहकारी समिति से तालाब लेती तो तालाब प्रति एकड़ बहुत सस्ता पड़ता। गुड़ी रोपने और तैयार गुड़ी निकालने में भी उसका कम खर्च पड़ता । लावा बनाने की मजदूरी भी उसे कम देनी पड़ती । कारण कि सहकारी समिति वाले ये सभी काम थोक में करवाते हैं, जो सस्ता पड़ता है । एक बार तालाब मिल जाता तो 5 से 7 वर्षों तक उस पर सलमा का अधिकार बना रहता है। एक साल फसल काटी जाने पर दूसरे साल उसका घाटा निकल जाता। लेकिन सलमा के पास इतनी पूँजी नहीं थी ।

प्रश्न 3. सलमा को इस बार अच्छी फसल की उम्मीद क्यों थी ? (पृ. 82 )
उत्तर- सलमा को इस बार अच्छी फसल की उम्मीद इसलिये थी क्योंकि इस बार बाढ़ नहीं आयी थी । उसने मेहनत भी काफी की थी। उसने समय पर खाद, कीटनाशक तथा पर्याप्त पानी का प्रबंध कर रखा था ।

प्रश्न 4. सलमा ने मखाने की फसल के लिये क्या-क्या तैयारी की ?
उत्तर— सलमा ने मखाने की फसल की तैयारी में सर्वप्रथम राजकिशोर से 15 कट्ठे का तालाब 4000 रुपया सालाना पर किराया पर लिया। पूँजी के लिये रिश्तेदारों से कर्ज की उगाही की । आवश्यक मात्रा में बीज का प्रबंध किया । समय पर खाद दी, कीटनाशक दवा दी और पर्याप्त पानी का प्रबंध किया ।

प्रश्न 1. तालाब से गुड़ी निकालने का काम कौन करता है ? ( पृष्ठ 84 )
उत्तर—गुड़ी निकालने में पारंगत कुशल मजदूर गुड़ी निकालने का काम करते. हैं। ये अच्छे तैराक होते हैं । इन्हें सांस रोके रखने का अभ्यास करना पड़ता है ताकि ये तालाब की तली से गुड़ी’ निकाल सकें। गुड़ी निकालने के लिए कुछ देर तक सांस रोके रखना पड़ता है ।

प्रश्न 2. गुड़ी से मखाना कैसे बनाया जाता है ? समझाइए । (पृष्ठ 84 )
उनर—गुड़ी से मखाना उसी तरह बनाया जाता है जिस तरह ग्रामीण क्षेत्रों में भूंजा भूंजने का काम किया जाता है । पहले बालू को गर्म करते हैं । उस गर्म बालू को गुड़ी पर डाल कर खूब मिलाते हैं। इससे गुड़ी से लाता है। अभी भी लावा के ऊपर छिलका की एक परत जमी रहती है । उस परत को हटाने के लिए लकड़ी के तक्थे पर लावा को रख कर लकड़ी के हथौड़े से पीटते हैं। इससे साफ लांवा अलग हो जाता है, जिसे बाजार में भेजने के लिए बोरे में भर लेते हैं।

प्रश्न 3. मखाना बनाने तक सलमा ने किन-किन चीजों पर खर्च किया ? सूची बनाइए । ( पृष्ठ 84 )
उत्तर—मखाना बनाने तक सलमा ने जिन-जिन चीजें पर खर्च किया उनकी सूची निम्नलिखित हैं :
(i) तालाब का किराया, (ii) बीज पर व्यय, (iii) खाद पर व्यय, (iv) कीटनाशक पर खर्च, (v) पर्याप्त पानी का प्रबंध, (vi) गुड़ी निकालने पर खर्च, (vii) लावा बनवाने पर व्यय ।

प्रश्न 1. सलमा को मखाना बेचने की जल्दी क्यों थी ? (पृष्ठ 86)
उत्तर—सलमा को मखाना बेचने की जल्दी इस लिये थी क्योंकि इसके पास रखने की जगह नहीं थी । सबसे बड़ी बात कि उसे अपने रिश्तेदारों का कर्ज लौटाना था। तालाब का किराया भी देना था । यदि ये बातें नहीं रहतीं तो सलमा कुछ दिनों तक मखाना को रखे रहती और भाव बढ़ने पर उसे बेचती । तब उसे अच्छा मुनाफा होता ।

प्रश्न 2. सलमा ने जो सोचा था क्या उसे वह पूरा कर सकती है ? चर्चा करें । ( पृष्ठ 86 )
उत्तर — सलमा ने सोचा था कि इस बार के लाभ से वह अपने टूटे घर की  मरम्मत करा लेगी। लेकिन इतने कम लाभ में वह मकान की मरम्मत नहीं करा पाएगी। इस प्रकार स्पष्ट है कि सलमा ने जो सोचा था उसे वह पूरा नहीं कर सकती है ।

प्रश्न 3. अपने आस-पास के अनुभवों द्वारा पता करें कि छोटे किसान अपना उत्पाद किन्हें बेचते हैं ? उन्हें किन समस्याओं का सामना करना होता है ? ( पृष्ठ 86 )
उत्तर— हमारे आस-पास अनेक छोटे किसान हैं । वे खेती तो करते हैं, लेकिन उनकी मेहनत के मुकाबले उन्हें लाभ नहीं हो पाता। वे महँगे खाद, बीज़ और पानी पर व्यय करते हैं । पूँजी नहीं रहने की स्थिति में इन सब कामों के लिये के साहूकारों से कर्ज लेते हैं जिस पर उन्हें अधिक ब्याज देना पड़ता है । उपज हुई तो उसे बेचने की जल्दी रहती है, क्योंकि कर्ज वापस करना रहता है। नतीजा होता है कि स्थानीय अढ़तिया के हाथ उपज को औने-पौने भाव पर बेच देते हैं। इस कारण उन्हें कोई मजदूरी नहीं करें तो भोजन खास लाभ नहीं हो पाता । यदि वे दूसरों के खेत में पर भी लाले पड़ जायँ ।
हो गया था और खरीददार कम थे। इस कारण कम ही भाव पर सलमा को अपना मखाना बेच देना पड़ा ।

प्रश्न 4. मखाने की खेती करने वाले किसान अपनी फसल को मंडी में खुद ले जाकर क्यों नहीं बेचते ? (पृष्ठ 86 )
उत्तर— मखाने की खेती करनेवाले किसानों को अपना तैयार मखाना बेचने की जान्दी रहती है। जैसे-जैसे मखाना तैयार होता है, वैसे-वैसे के बेचते जाते हैं। सभी उपज को वे एकत्र नहीं कर पाते। यही कारण है कि वे उसे मंडी में नहीं ले जा पाते यदि कोई ले भी गया तो मंडी के खरीददार उनके साथ वही रवैया अपनाते हैं जो स्थानीय खरीददार अपनाते हैं। इसी कारण वे अपनी फसल मंडी में नहीं ले जाते ।

प्रश्न 1. थोक व्यापारी और खुदरा व्यापारी में क्या अंतर है? (पृ. 87)
उत्तर— थोक व्यापारी खास-खास शहरों में एक स्थान पर होते हैं जबकि खुदरा व्यापारी शहरों से लेकर गाँवों तक में बिखरें होते हैं। थोक व्यापरी के पास जगह भी अधिक होती है और पूँजी भी । जबकि खुदरा व्यापारियों के पास जगह कम होती है और पूँजी भी कम होती है। थोक व्यापारी अपना माल थोक भाव में खुदरा व्यापारियों के हाथ बेचते हैं, जबकि खुदरा व्यापारी थोड़ा-थोड़ा अपने ग्राहकों के हाथ बेचते हैं, जिन्हें उपयोग करना होता है ।

प्रश्न 2. थोक व्यापारी और खुदरा व्यापारी में कौन अधिक कमाता है और क्यों ? ( पृष्ठ 87 )
उत्तर—थोक व्यापारी और खुदरा व्यापारी में थोक व्यापारी अधिक लाभ कमाता है। क्योंकि थोक व्यापारी पूँजी फँसाकर अधिक माल रखता है जबकि खुदरा व्यापारी थोड़ा-थोड़ा माल ले जाकर खुदरा ग्राहकों के हाथ बेचता है। थोक व्यापारी जहाँ महीना में लाखों का माल बेच लेता है वहीं खुदरा व्यापारी महीना में मुश्किल से हजार-पाँच सौ रुपये का माल बेच पाता है ।

प्रश्न 1. क्या इस बेहतर भाव का लाभ उत्पादक को प्राप्त हो सकता है ? यदि हाँ तो कैसे ? ( पृष्ठ 88 )
उत्तर — जिस बेहतर भाव पर बड़े शहरों के व्यापारी या मॉल है मालिक सामान बेच लेते हैं, इस बेहतर भाव पर उत्पादक किसी भी तरह नहीं बेच सकते हैं। कारण कि शहरों और मॉलों तक पहुँचने के पहले उत्पाद कई हाथों से गुजरता है । उत्पादक वहाँ और उस स्थिति में पहुँच ही नहीं सकता । हाँ की तो कोई कुंजाइश ही नहीं है ।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. क्या सलमा को अपने मेहनत का उचित पारिश्रमिक प्राप्त हुआ ?यदि नहीं तो क्यों ?
उत्तर—नहीं, सलमा को अपने मेहनत का उचित पारिश्रमिक प्राप्त नहीं हुआ ? वह इसलिए क्योंकि जिस समय सलमा का मखाना तैयार हुआ उस समय उसका भाव बहुत गिर गया था। इसका एक कारण यह भी था कि अनुमान से अधिक उत्पादन

प्रश्न 2. आर्थिक रूप से सम्पन्न बड़े मखाना किसान अपनी फसल को कहाँ बेचेंगे ?
उत्तर – आर्थिक रूप से सम्पन्न बड़े मखाना उत्पादक किसान अपनी फसल को मंडी में ले जाकर बेचेंगे। वहाँ उन्हें ऊँचा भाव मिल जाएगा ।

प्रश्न 3. मखाना उत्पादक किसान एवं उनसे जुड़े मजदूरों के काम के हालात और उन्हें प्राप्त होने वाले लाभ या उनकी मजदूरी का वर्णन करें। क्या आप सोचते हैं कि उनके साथ न्याय होता है ?
उत्तर—मखाना उत्पादक किसान एवं उनसे जुड़े मजदूरों के काम के हालात बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता। दिन-दिन भर पानी में रहकर गुड़ी निकालना पड़ता है । इसके विपरीत गुड़ी से लावा निकालने के समय मजदूरों को आग के सामने रहकर ताप सहन करना पड़ता है। किसान पूँजी लगाते हैं। तालाब का किराया देते हैं। फसल खराब होने की जोखिम उठाते हैं। किसी-किसी काम में मेहनत भी करते हैं । इन सब बातों को देखते हुए उनके काम के हालात और मेहनत के अनुसार न तो उत्पादक किसानों को उतना लाभ प्राप्त होता है और न मजदूरों को ही कोई खास लाभ होता है ।

प्रश्न 4. पीने के लिये चाय बनाने में चीनी, दूध तथा चाय पत्ती का उपयोग होता है । आपस में चर्चा करें कि ये वस्तुएँ बाज़ार की किस श्रृंखला से होते हुए आप तक पहुँचती हैं ? क्या आप उन सब लोगों के बारे में सोच सकते हैं, जिन्होंने इन वस्तुओं के उत्पादन और व्यापार में मदद की होगी ?
उत्तर—चीनी तैयार करने में एक बड़ी श्रृंखला लगी होती है । किसान अपने खेतों में स्वयं या मजदूरों की सहायता से गन्ना के बीज बोते हैं । आवश्यकतानुसार खेतों की निकाई- गोढ़ाई और सिंचाई करनी पड़ती है। गन्ना तैयार होने पर उसे चीनी मिल में भेजना पड़ता है। मिल मालिक गन्ना का मूल्य चुकाते हैं ।
कारखाने में गन्ने की पेराई कर रस निकाला जाता है । फिर अनेक प्रक्रम कर चीनी बनाई जाती है। चीनी मिलों में हजारों मजदूर दिन-रात काम करते हैं। चीनी तैयार होने पर इसे बोरे में भरकर थोक विक्रेताओं के हाथ बेचा जाता है। थोक बिक्रेता खुदरा बिक्रेता चीनी ले जाते हैं, जिनसे हम खरीदकर उपयोग करते हैं।
दूध का उत्पादन ग्रामीण पशुपालक करते हैं। उनसे दूध की खरीद सहकारी समितियाँ करती हैं और शहर भेजती हैं । यहाँ इसका पैकेट बनाया जाता है और विभिन्न बूथों पर बेचा जाता है, जिनसे हम दूध खरीद कर अपने घरों में ले जाते हैं ।
चाय पत्ती बगानों में तैयार होती है। बगान मालिक पूँजीपति और उद्योगपति होते हैं । एक विशेष प्रक्रिया से चाय के पौधे उपजाए जाते हैं। एक बार पौधा लग
जाय तो सालों-साल उनसे पत्तियाँ तोड़ी जाती हैं। बागान में या उसके निकट ही पत्तियों को संसाधित किया जाता है। बिना संसाधित पत्ती किसी काम की नहीं होती ।
संसाधित हो जाने पर चाय पत्ती बाजार में थोक विक्रेताओं के पास भेजी जाती है। थोक विक्रेता उसे देश के बाजारों में भेजते हैं। खुदरा व्यापारी वहीं से चाय पत्ती लेते हैं, जिन्हें हम खरीद कर घरों में उपयोग करते हैं ।
इस प्रकार हम देखते हैं कि हमारे एक कप चाय के लिए कितनी लम्बी श्रृंखला की आवश्यकता है ।

प्रश्न 5. यहाँ दिये गये कथनों को सही क्रम में सजाएँ और फिर नीचे बने गोलों में सही क्रम के अंक भर दें । प्रथम दो गोलों में आपके लिए पहले से ही अंक भर दिये गये हैं ।
1. सलमा मखाना उपजाती है ।
2. स्थानीय अढ़तिया पटना के थोक व्यापारी को बेचता है ।
3. आशापुर में मखाना का लावा बनवाने लाती है ।
4. खाड़ी के देशों को निर्यात करते हैं ।
5. दिल्ली के व्यापारियों को बेचते हैं।
6. मजदूर गुड़ियों को इकट्ठा करते हैं ।
7. सलमा आशापुर के आढ़तियों को मखाना बेचती है ।
8. आशापुर में गुड़ियों से लावा बनाया जाता है
9. खुदरा व्यापारी को बचेते हैं
10. उपभोक्ता को प्राप्त होता है ।

कुछ अन्य प्रमुख प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. ब्यापारी ने छोटे किसान को कम मूल्य क्यों दिया ?
उत्तर – व्यापारी ने छोटे किसान को कम मूल्य इसलिए दिया क्योंकि उसने स्वप्ना को कृषिकार्य के लिए कर्ज दिया था और उसने वादा करा लिया था कि उपज होने पर रूई उसी के हाथों उसे बेचना पड़ेगा। फलतः स्वप्ना बातों से बंधी हुई थी अतः व्यापारी ने मनमाना भाव लगा दिया ।

प्रश्न 2. आपके विचार से बड़े किसान अपनी रूई कहाँ बेचते होंगे ? उनकी स्थिति किस प्रकार छोटे किसानों से भिन्न है ?
उत्तर – मेरे विचार से बड़े किसान अपने रूई शहर के बड़े व्यापारियों के हाथ बेचते होंगे ताकि उन्हें बाजार भाव के अनुसार उचित मूल्य मिल सकेगा । बड़े किसानों की स्थिति छोटे किसानों से भिन्न इस प्रकार है कि बड़े किसानों के पास अपनी पूँजी होती है । उन्हें किसी से उधार लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती। यदि पड़ती भी है तो बैंक उन्हें ऋण मुहैया कर देते हैं, जिसे कम ब्याज देना पड़ता है। दूसरी ओर छोटे किसानों को साहूकारों से उनकी मनमानी शर्तों पर ऋण लेना पड़ता है ।

प्रश्न 3. कपड़ा बाजार में अग्रलिखित लोग क्या-क्या काम कर रहे हैं : व्यापारी, बुनकर, निर्यातक ।
व्यापारी–व्यापारी बुनकरों से कपड़ा लेते हैं और उन्हें सूत देते हैं । कपड़ा बनाने वाले बुनकरों को कपड़ा तैयार करने की मजदूरी भर मिलती है ।
बुनकर – कुछ बुनकर अपने सूत का बनाया कपड़ा भी लाते हैं, जिन्हें थोक व्यापारी खरीदते हैं । कुछ बुनकर सूत लेने और कपड़ा देने का काम करते हैं । ‘निर्यातक
निर्यातक व्यापारियों से कंपड़ा खरीदते हैं और उनसे वस्त्र सिलवा कर निर्यात कर देते हैं या अपने देश के व्यापारियों के हाथों बेचते हैं ।

प्रश्न 4. बुनकर व्यापारियों पर किस-किस प्रकार से निर्भर होते हैं ?
उत्तर— बुनकर व्यापारियों पर इस प्रकार निर्भर होते हैं कि उनको सूत और डिजाइन का ऑर्डर व्यापारी ही देते हैं तथा तैयार कपड़े खरीदते हैं। जो बुनकर अपने सूत से कपड़े तैयार करते हैं, उन्हें भी व्यापारियों पर ही निर्भर रहना पड़ता है। कारण कि उनका बुना कपड़ा व्यापारी ही खरीदते हैं

प्रश्न 5. यदि बुनकर सूत खरीदकर बुने हुए कपड़े बेचते हैं तो उन्हें तीन गुना अधिक कमाई होती है। क्या यह संभव है ?
उत्तर—यदि बुनकर सूत खरीदकर बुने हुए कपड़े बेचते हैं तो उन्हें तीन गुना अधिक कमाई होती है, यह संभव है। कारण कि जो बुनकर व्यापारियों से सूत लेकर उनके ऑर्डर के अनुसार कपड़े बुनते हैं तो उन्हें उनके द्वारा लगाए मूल्य पर कपड़े बेचने पड़ते हैं । इन्हें अपने मूल्य पर बेचने का अधिकार नहीं होता । वहीं जो बुनकर अपने सूत से कपड़े तैयार करता है तो उचित बाजार भाव पर बेचने का उसे अधिकार रहता है। अतः निश्चित ही उसे कमाई अधिक होती है भले ही वह तीन गुना नहीं हो, लेकिन कमाई अधिक होती अवश्य है

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Bihar Board Class 7 Social Science Ch 7. विज्ञापन की समझ | Vigyapan Ki samaj Class 7th Solutions

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान के पाठ 7 विज्ञापन की समझ (Vigyapan Ki samaj Class 7th Solutions) के सभी टॉपिकों के बारे में अध्‍ययन करेंगे।

Vigyapan Ki samaj Class 7th Solutions

7. विज्ञापन की समझ

पाठ के अंदर आए प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. विज्ञापन कौन देता है ? संचार माध्यम इसपर क्यों निर्भर है ?
उत्तर – विज्ञापन वस्तुओं या सेवाओं के उत्पादक देते हैं ताकि उनकी वस्तुएँ बिक सकें और लोग सेवाएँ खरीद सकें ।
संचार माध्यम विज्ञापन पर इसलिये निर्भर हैं क्योंकि पट्टी इनकी आय का मुख्य स्रोत है। यदि संचार माध्यमों को विज्ञापन नहीं मिले तो इनका संचालन ही कठिन हो जाय ।

प्रश्न 2. आपके पसंदीदा विज्ञापन कौन-कौन से हैं ? वे आपको किस तरह आकर्षित करते हैं ? शिक्षक के साथ चर्चा करें । ( पृष्ठ 63)
उत्तर- मेरा पसंदीदा विज्ञापन स्वास्थ्य विभाग और शिक्षा विभाग द्वारा विज्ञापित विज्ञापन है। इनसे हमें अनेक लाभ होते हैं। वास्तव में सरकारी विज्ञापन जनहित में ही होते हैं । निजी कम्पनी के विज्ञापनों में मुझे डाबर च्यवनप्राश या श्री वैद्यनाथ च्यवनप्राश पसंदीदा विज्ञापन है । कारण कि ये दोनों काफी पुराने देशी संस्थान हैं। ये दोनों देशी दवाएँ हैं जो स्वास्थ्य के लिये काफी लाभदायक हैं ।

प्रश्न 1. गोरेपन या सांवलेपन से सुन्दरता को आँकना क्या आपको सही ( पृष्ठ 65 ) लगता है ?
उत्तर— नहीं, केवल गोरेपन या सांवलेपन से सुन्दरता को आँकना सही नहीं है । सुन्दरता के अनेक तत्व हैं। ओठ, नाक, आँख, दाँत और रंग सब मिलकर सुन्दरता को मूर्त रूप देते हैं । सांवलापन लिया व्यक्ति भी सुन्दर हो सकता है और गोरा व्यक्ति भी बदसूरत हो सकता है। जहाँ तक शादी-विवाह की बात है तो लड़की और लड़का में समानता हो तो बहुत अच्छा, थोड़ा कम बेस चल सकता है।

प्रश्न 1. पृष्ठ 67 पर के विज्ञापनों और पूर्व के दोनों विज्ञापनों में क्या अंतर है ?
उत्तर- पृष्ठ 67 पर के विज्ञापन जनहित में प्रकाशित कराये गये हैं । इन विज्ञापनों में जनहित की बात छिपी है। बच्चों को पोलियो मुक्त रखने तथा रक्त की कमी वाले रोगियों और दुर्घटना के शिकार रोगियों को रक्त पहुँचाने के लिए रक्तदान आवश्यक है। विज्ञापन में लोगों को इस ओर अग्रसर होने की अपील की गई है। इसे भी जनहित का विज्ञापन ही कहा जायेगा। इन विज्ञापनों के पूर्व के विज्ञापनों में उपभोक्ता वस्तुओं का प्रचार किया गया है। इन विज्ञापित वस्तुओं – सत्तू और क्रीम से जनता को लाभ हो या न हो, लेकिन उनकी जेब जरूर हल्की होगी और उत्पादकों अर्थात् विज्ञापनकर्ताओं की आय अवश्य बढ़ेगी।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. विज्ञापन से हम किस प्रकार प्रभावित होते हैं ?
उत्तर— बार-बार एक ही बात आँखों के सामने तथा कानों में आने के कारण व्यक्ति कुछ-न-कुछ प्रभवित हो ही जात है। ऐसे में किसी दुकान पर किसी अन्य वस्तु खरीदने के लिये जाने पर यदि विज्ञापित वस्तु सामने पड़ जाय तो आवश्यकता न होने पर भी उसे हम खरीद लेते हैं। यह सिद्धांत इटली का फासीवादी मुसोलिनी तथा जर्मनी का नाजीवादी हिटलर ने दिया था किसी एक झूठ को सौ बार विभिन्न आदमियों द्वारा किसी के कान में पड़े तो वह व्यक्ति उस झूठ को सच मान लेता है । किसी विज्ञापन से भी हम इसी प्रकार प्रभावित होते हैं ।

प्रश्न 2. पैकेट वाली वस्तु और खुली वस्तु में से आप किसे खरीदना पसन्द करते हैं ? क्यों ?
उत्तर- आज के फैशनेबुल युग में तो चावल और आटा-दाल तक पैकेट में मिलने लगे हैं। शहरों में बहुमंजिली इमारतों में रहने वाले लोग तो हल्दी मिरचाई तक का पाउडर पैकेट में खरीदने लगे हैं। पैकेट में नमक तो मिलता ही है. सभी मसाले भी पैकेट में मिलते हैं। डेढ़ या अढ़ाई कमरे में रहनेवालों, जिनके पास न सिल बट्टा है और न सूप, उनके लिए तो पैकेट वाला सामान खरीदना मजबूरी है । हम तो ग्रामीण लोग हैं । सब वस्तु खुला ही खरीदते हैं, जो पैकेट वाले सामान से सस्ता भी होता है और साफ भी । इस प्रकार समाज में पैकेट वाली वस्तु खरीदनेवाले भी मौजूद हैं और खुली वस्तु भी। खुली वस्तु खरीदने पर उसकी पैकिंग चार्ज तो बच ही जाता है ।

प्रश्न 3. विज्ञापन को बार-बार प्रसारित क्यों किया जाता है ?
उत्तर – विज्ञापन को बार-बार प्रसारित इसलिये किया जाता है कि इटली के मुसोलिनी तथा जर्मनी के हिटलर द्वारा आजमाये इस सिद्धांत का उपयोग किया जाय कि यदि एक झूठ को सौ बार सौ व्यक्तियों से बोलवाया जाय तो उसे आम जन सच मानने लगता है। तात्पर्य कि झूठ को सच बनाने के लिए विज्ञापन को बार- बार प्रसारित किया जाता है। बार-बार आँख और कान में आने पर वास्तव में व्यक्ति प्रभावित हो जाता है ।

प्रश्न 4. आप विज्ञापन से प्रेरित होकर कौन-सी वस्तुएँ खरीदते हैं ? किन्हीं पाँच वस्तुओं के नाम लिखें।
उत्तर— हमने विज्ञापन से प्रेरित होकर निम्नलिखित वस्तुएँ खरीदी हैं :
(i) लक्स अण्डरवियर, (ii) टाटा नमक, (iii) ब्रुक बांड ग्रीन लेवल चाय पत्ती, (iv) लिरिल सर्फ पाउडर, (v) हेयर केयर तेल ।
ये कभी-कभी ही विज्ञापित किये जाते हैं, लेकिन खूब बिकते हैं, क्योंकि ये वास्तव में गुणवान भी हैं ।

प्रश्न 5. विज्ञापित वस्तु की कीमत गैर- विज्ञापित वस्तु की तुलना में अधिक क्यों होती है ?
उत्तर – विज्ञापन देना मामूली बात नहीं है। यह काफी महँगा होता है । एक छोटे विज्ञापन के लिये भी अखबार वाले या टी. वी. वाले हजारों-हजार रुपये वसूलते हैं। एक रुपये के एक दाढ़ी बनाने के ब्लेड का विज्ञापन का वार्षिक व्यय लाखों- लाख रुपया होता है। विज्ञापन के इस व्यय को उत्पादक उसकी लागत में जोड़ देते हैं । इसी कारण विज्ञापित वस्तु की कीमत गैर- विज्ञापित वस्तु की तुलना में अधिक होती है। अब खरीदार पर निर्भर करता है कि वह विज्ञापित अधिक मूल्य की वस्तु खरीदते हैं या कि गैर- विज्ञापित कम मूल्य की अच्छी वस्तु खरीदते हैं ।

प्रश्न 6. इनमें से कौन से विज्ञापन सार्वजनिक हैं और कौन-से अनुभव के आधार व्यावसायिक ? नीचे दी गयी तालिका में भरें। फिर अपने पर कुछ और उदाहरण जोड़ें ।
उत्तर – कोल्ड ड्रिंक्स का विज्ञापन, पल्स पोलियो का विज्ञापन, मोबाइल फोन का विज्ञापन तथा असुरक्षित रेलवे क्रॉसिंग को पार करने का विज्ञापन |

कुछ अन्य प्रमुख प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. उत्पादक विज्ञापन क्यों देते है ? विज्ञापन लोकतंत्र में समानताको किस प्रकार कुप्रभावित करता है ?
उत्तर—उत्पादों को बेचने का एक आसान तरीका विज्ञापन हो गया है। विज्ञापन द्वारा घटिया वस्तु को भी उच्च किस्म का बता कर बेच देने में संचार माध्यम बहुत सहायक बन रहे हैं। मूल्य चाहे जो हो ब्राण्ड का नाम और पैकिंग आकर्षक होना चाहिए। यदि ग्राहक के दिमाग में ब्रांड का नाम घुस गया तो वह मूल्य की परवाह नहीं करता। जब दाल और चावल तक को ब्रांडेड कर दिया गया तो और क्या कहा जाय । ब्राण्डेड करनेवाली कम्पनियों का मन बढ़ा रहे हैं नवधनाढ्य और घुसखोर अफसर लोग । देश के अधिकांश लोग गरीब हैं, अतः उन्हें इन ब्रांडों और प्रचार से कोई मतलब नहीं रहता। लेकिन यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि ये ब्रांड और प्रचार माध्यम हमारे सामाजिक मूल्यों को भी तहस-नहस कर रहे हैं । जिन लोगों में ब्रांडेड माल खरीदने की क्षमता नहीं होगी उनमें हीनता की भावना पैदा होने लगती है। विज्ञापन अमीरों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। बात वहाँ से शुरू होती है, जहाँ विज्ञापन बनाए जाते हैं। विज्ञापन बनाने में ही लाखों-लाख रुपये व्यय हो जाते हैं | विज्ञापन लोकतंत्र की मूल भावना ‘समानता’ को बुरी तरह कुप्रभावित करते हैं । अमीर और गरीब में वे भेद पैदा करते हैं ।

प्रश्न 2. ब्रांडशब्द से आप क्या समझते हैं ? विज्ञापन के लिए ब्रांड निर्मित करने के दो मुख्य कारण बताइए ।
उत्तर— ‘ब्रांड’ शब्द का अर्थ है एक ऐसा नाम, जिसे दूसरी कम्पनी उस नाम का उपयोग नहीं कर सकती ।
विज्ञापन के लिए ब्रांड निर्मित करने के दो कारण हैं कि :
(i) ग्राहक के मन-मस्तिष्क में वह नाम घर कर ले ।
(ii) दुकानदार से वह उसी ब्रांड का नाम लेकर सामान माँगे ।

प्रश्न 3. यदि आपके पास विज्ञापित उत्पादों को खरीदने के लिए पैसा हो तो आपको इन्हें देखकर क्या महसूस होगा? यदि आपके पास पैसा न हो तो कैसा अनुभव होगा ?
उत्तर – यदि मेरे पास विज्ञापित उत्पादों को खरीदने के लिए पैसा होगा तो इन्हें देख मुझे खरीदने का मन होगा और खरीद कर मुझमें आत्मसंतुष्टि महसूस होगी । यदि मेरे पास पैसा नहीं होगा तो न खरीद पाने का पछतावा होगा तथा मुझे आत्मग्लानि महसूस होगी ।

प्रश्न 4. क्या आप ऐसे दो तरीके बता सकते हैं, जिनके द्वारा आप सोचते हैं कि विज्ञापन का प्रभाव लोकतंत्र में समानता के मुद्दे पर पड़ता है ?
उत्तर— विज्ञापन का प्रभाव लोकतंत्र के मूलमंत्र समानता के मुद्दे पर निश्चित रूप से पड़ता है। कारण कि (i) विज्ञापित ब्रांडों को केवल धनी व्यक्ति ही खरीद सकते हैं, जिससे उनका आत्मसम्मान बढ़ता है। (ii) गरीब चूँकि विज्ञापितं ब्रांडों को खरीदने में असमर्थ रहते हैं, अतः उनमें आत्मग्लानि होती है तथा कुंठा के भाव पैदा होते हैं ।

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Bihar Board Class 7 Social Science Ch 8 हमारे आस-पास के बाजार | Hamare Aas Paas ke Bajar Class 7th Solutions

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान के पाठ 8 हमारे आस-पास के बाजार (Hamare Aas Paas ke Bajar Class 7th Solutions) के सभी टॉपिकों के बारे में अध्‍ययन करेंगे।

Hamare Aas Paas ke Bajar Class 7th Solutions

8. हमारे आस-पास के बाजार

पाठ के अंदर आए प्रश्न तथा उनके उत्तर 

प्रश्न 1. रामजी की दुकान से लोग किन-किन कारणों से सामान खरीदते हैं । संक्षेप में लिखिए । ( पृष्ठ 7.1 )
उत्तर- रामजी की दुकान घर के निकट है। वहाँ जरूरत की छोटी-मोटी सभी वस्तुएँ मिल जाती हैं। चूँकि सभी ग्राहक जान-पहचान के ही होते हैं, अतः उधार- बाकी भी चलता रहता है। रामजी की दुकान पर वस्तु के बदले वस्तु देने का भी रिवाज है। किसान अपनी उपज की वस्तु देकर जरूरत की वस्तुएँ जैसे― चाय, चीनी, माचिस, गुड़ आदि ले लेते हैं। इन्हीं सब कारणों से गाँव के लोग रामजी की दुकान से सामान खरीदते हैं ।

प्रश्न 2. किराने के सामान के लिये जलहरा के कुछ लोग ही रामजी की दुकान पर बार-बार आते हैं। ऐसा क्यों ( पृष्ठ 71 )
उत्तर – जिन लोगों का घर रामजी की दुकान के निकट है, वे ही लोग दुकान पर आते हैं । वे बार-बार इसलिए आते हैं कि जब जिस वस्तु की आवश्यकता हुई, तब दुकान पर पहुँच जाते हैं। शहरों जैसा वे एक साथ सामान नहीं खरीदते । इसलिए उन्हें बार-बार आना पड़ता है ।

प्रश्न 3. बहुत कम मात्रा में सामान खरीदने पर महँगा मिलता है । उदाहरण देते हुए अपने मत रखिए । ( पृष्ठ 71 )
उत्तर – हाँ, यह सही है कि बहुत कम मात्रा में सामान खरीदने पर महँगा मिलता है । कारण कि दुकानदर को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में सामान बेचना पड़ता है और इसके लिये वह इस पर आय बढ़ाने के लिये उसे कुछ महँगा बेचेगा ही। दो रुपये की चाय खरीदनी महँगी तो पड़ेगी ही । होना तो यह चाहिए भाव पूछकर 100 ग्राम, 200 ग्राम करके खरीदी जाय तो कुछ सस्ती पड़ सकती थी। लेकिन गाँव में भाव नहीं पूछा जाता। एक रुपये की गोलमिर्च दे दो । पचास पैसे का गुड़ दे दो। ऐसे तो सामान महँगा होगा ही ।

प्रश्न 1. जलहरा की दुकान तथा तियरा के बाजार वाली दुकानों में क्या अंतर है ?  ( पृष्ठ 71)
उत्तर—जलहरा की दुकान गाँव में एक मात्र दुकान हैं, वहीं तियरा 500 घरों के बीच बसा एक बाजार है। तियरा बाजार में 20 के लगभग किराने की दुकानें हैं। कपड़े की दुकानें हैं। दर्जी हैं। चाय-नाश्ता की दुकानें हैं। दूध भी मिल जाता है। सब्जियों की भी दुकाने हैं। ठेले पर नमकीन जैसे छोले, गोलगप्पे मिल जाते हैं । तियरा की दुकानें अलग-अलग हैं। इस बाजार में तियरा गाँव के अलावा आस पास के गाँव के लोग भी सामान खरीदने आ जाते हैं । यहाँ कॉपी-किताबें भी मिल जाती हैं। साइकिल मरम्मत की दुकाने हैं, जहाँ उनके पार्ट-पुर्जे भी रहते हैं। कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि जलहरा में केवल घरेलू उपयोग के सामान मिलते हैं जबकि तियरा बाजार में लम्बी अवधि तक काम में आने वाले सामानों के साथ नाश्ता – पानी भी मिल जाते हैं ।

प्रश्न 2. आस-पास के गाँवों के लोग किन कारणों से तियरा के बाजार में आते हैं ?  ( पृष्ठ 71 )
उत्तर – चूँकि तियरा बाजार में तरह-तरह की वस्तुएँ मिल जाती हैं, जिनकी आवश्यकता गाँव वालों को गाहे – बिगाहे पड़ती है। कपड़े रोज नहीं खरीदे जाते और न कुरता – कमीज रोज सिलवाये जाते हैं। साइकिल की मरम्मती भी कभी-कभी ही होती है । दूसरी बात कि किराने का सामान एक साथ अधिक लेना हो तो तियरा की दुकानों पर ही आना पड़ेगा। शाम को घूमने टहलने भी लोग बाजार आ जाते हैं और चाय-नाश्ता कर लेते हैं । इस कारण शाम के समय बाजार कुछ गुलजार हो जाता है । कारण कि इस समय आस-पास के गाँव वाले सब्जी लेकर चले आते हैं । फलतः लोग ताजी हरी सब्जियाँ भी खरीदते हैं। वास्तव में संध्या समय हर वस्तु की बिक्री बढ़ जाती है ।

प्रश्न 3. उधार लेना कभी तो मजबूरी है तो कभी सुविधा । उदाहरण देकर समझाइए । ( पृष्ठ 71 )
उत्तर — ग्राहकों को कभी-कभी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता है जब कोई वस्तु खरीदनी आवश्यक हो जाती है और हाथ में रुपया नहीं रहता । ऐसी स्थिति में उधार लेना मजबूरी हो जाती है । कभी-कभी बाजार में कोई ऐसी वस्तु आ गई कि उसे खरीद लेने का मन हो गया और पास में रुपया नहीं है। ऐसी स्थिति में उधारी लेना सुविधा कहलाएगी। लेकिन यह तभी सम्भव होगा जब दुकानदर को आप पर भरोसा हो, बाजार में आपकी साख हो ।

प्रश्न 1. लोग साप्ताहिक बाजार क्यों आना पसन्द करते हैं ? ( पृ० 72 )
उत्तर — खासकर हरी साग-सब्जियाँ खरीदने की गरज से लोग साप्ताहिक बाजार में जाते हैं। वहाँ गृहस्थी के सभी सामान मिल जाते हैं। हँसुआ, खुरपी, पहसुल, हल, हल के फाल, मिट्टी के बरतन, खिलौने, अनाज, चावल, दाल, किरासन तेल इत्यादि सभी साप्ताहिक बाजार में मिल जाते हैं। बाजार में सरसों, तीसी, मकई, महुआ खरीदने वाले भी होते हैं । जिन ग्रामीणों के पास नगद पैसा नहीं है और अपनी उपज की वस्तु है तो वहाँ बेचकर नगद रुपया खड़ाकर लेते हैं और उसी से अपनी जरूरत के सामान खरीद लेते हैं । ये ही सब कारण है कि लोग साप्ताहिक बाजार में आना पसन्द करते हैं ।

प्रश्न 2. साप्ताहिक बाजार में वस्तुएँ सस्तो क्यों होती हैं ? (पृष्ठ 72 )
उत्तर – साप्ताहिक बाजार में वैसी ही वस्तुएँ होती है जो स्थानीय लोगों या आस-पास के ग्रामीण द्वारा उपजाई या बनाई हुई होती हैं । इस कारण वे सस्ते में ही बेंच कर पैसा खड़ा कर लेना चाहते हैं । खरीदी गई वस्तुओं को भी बिक्रेता कम लाभ पर ही बेचकर केवल रुपया लेकर घर जाना चाहते हैं । यदि वे बेच न दें तो ढोकर वस्तु उन्हें घर ले जाना पड़ेगा। इसी कारण साप्ताहिक बाजार में वस्तुएँ सस्ती होती हैं ।

प्रश्न 3. मोल-भाव कैसे और क्यों किया जात है। अपने अनुभव के आधार पर टोलियाँ बनाकर नाटक करें ।
उत्तर- मोल-भाव करते समय दुकानदार अधिक-से-अधिक मूल्य वसूलना चाहता है जबकि ग्राहक कम-से-कम मूल्य देना चाहता है । ऐसे ही मोल भाव करते- करते जिस मूल्य पर दोनों पक्ष सहमत हो जाते हैं, उस मूल्य पर खरीद-बिक्री हो जाती है ।

                                   नाटक

रमेश ( दुकानदार से कहता है) इस स्वेटर का कितना मूल्य है ?
दुकानदार इस स्वेटर का मूल्य 200 रुपया है ।
रमेश ऐसे ही स्वेटर तो दिल्ली में 125 रुपया में मिल रह था ।
दुकानदार दिल्ली की बात दिल्ली में, यहाँ तो 200 रु. ही लगेगा ।
रमेश भाई इतना नफा क्यों रखते हैं 150 रु. में दे दीजिए ।
दुकानदार नहीं, 200 से कम में नहीं मिलेगा ।
रमेश तब आपकी मर्जी ( कहकर रमेश चलने लगता है)
दुकानदार आइए 175 रुपया दे दीजिए ।
रमेश नहीं, 160 रु. से अधिक नहीं दूँगा, देना हो तो दे दीजिए
दुकानदर –  ठीक है, लाइए, सुबह-सुबह की बोहनी है । मैं आपको वापस जाने देना नहीं चाहता ।
( रमेश 160 रुपया देता है और स्वेटर लेकर चल देता है ।)

प्रश्न 4. साप्ताहिक बाजार में जाने का अनुभव लिखिए ।
उत्तर—गर्मी की छुट्टी में मैं अपने सहपाठी सुरेन्द्र के यहाँ गया था । उसने एक सोमवार को कहा कि चलो आज साप्ताहिक हाट घूमने चलते हैं। हाट में पहुँचने पर हमनें पाया कि हाट का हो हल्ला दूर से ही सुनाई पड़ रहा था। हाट में घुसने के पहले मिले वे अनाज खरीदने वाले जो ग्रामीणों से अनाज खरीद कर उन्हें नगद पैसे दे रहे थे । फिर मिले किरासन बेचने वाले चार-पाँच दुकानदर जो ग्राहकों से बोतल लेकर अपने-अपने कब्जे में कर रहे थे, जिससे वे उन्हीं के यहाँ से किरासन लेवें। हर दुकानदार के पास दस से पन्द्रह बोतल देखने को मिले। अब हम बाजार में प्रवेश कर चुके थे। एक और अनाज, चावल आदि बेचनेवाले बैठे थे और ग्राहकों की माँग के मुताबिक तौल रहे थे। हर दुकानदार के पास दो-तीन ग्राहक खड़े मिले। हरी सब्जियाँ बिक रही थीं। अधिक हल्ला सब्जी बाजार में ही हो रहा था । इधर- उधर खैनी- चूना बेचने वाले बैठे थे। हाट के बाहर छोटी-छोटी मछलियाँ बिक रही थीं, जो ग्रामीण गड्ढों से निकाली गई थीं । एक तरफ मांस बिक रहा था। बड़ी भीड़ थी। पूरा हाट घूमते-घूमते संध्या हो गई । बिक्री करने वालों के सामान भी समाप्ति पर थे। हम लोग घूम-फिर कर घर को लौट चले । ग्राहक भी सामान लिए अपने- अपने घर लौट रहे थे। हम लोगों के साथ तो वही कहावत लागू हो रही थी कि : “पैसा न कौड़ी बीच बाजार में दौड़ा-दौड़ी। “

प्रश्न 1. अपने घर के आस-पास या किसी शहर के मुहल्ले की दुकान का विवरण लिखें ।  ( पृष्ठ 74 )
उत्तर – मेरे घर के पास रामजी की दुकान है । उस दुकान पर घरेलू उपयोग की जरूरी वस्तुएँ मिलती है । वहाँ बच्चों के लिये बिस्कुट और टॉफियाँ भी बिकती है। चाय, चीनी, गुड़, तम्बाकू, खैनी, चावल, दाल, मसाला, नमक आदि सभी वस्तुएँ रामजी की दुकान पर रहती हैं और बिकती है। रामजी खरीद-बिक्री का सारा काम अकेले करते हैं।

प्रश्न 2. साप्ताहिक बाजार और गाँव को दुकानों में क्या अंतर है ? (पृष्ठ 74 )
उत्तर— साप्ताहिक बाजार में आवश्यकता की सभी वस्तुएँ एक ही स्थान पर मिल जाती हैं। चाहे वह घरेलू सामान हो या खेती के सामान । मीट-मछली भी मिल जाती है। हर प्रकार की ताजी हरी सब्जियाँ मिल जाती हैं । लेकिन गाँव की दुकानों में मात्र कुछ ही घरेलू सामान मिलते हैं । साप्ताहिक बाजार में उधारी नहीं चलता लेकिन गाँव की दुकान में उधारी भी मिल जाता है ।

प्रश्न 3. पूरन और जूही उस रामजी की दुकान से ही सामान क्यों खरीदते हैं ?
उत्तर — पूरन और जूही उस रामजी की दुकान से ही सामान इसलिए खरीदते ( पृष्ठ 74 ) हैं क्योंकि वह दुकान उनके घर के निकट है। एक कारण यह भी है कि उस दुकान से पूरन और जूही का उधार – बाकी भी चलता है। भुगतान महीने के अंत में पिताजी का वेतन मिलने के बाद होता है।

प्रश्न 1. शहरों के कॉम्प्लेक्स या मॉल में लोग मोल-भाव क्यों नहीं करते हैं? ( पृष्ठ 75 )
उत्तर — शहरों के कॉम्प्लेक्स या मॉल में अधिकतर ब्राण्डेड वस्तुएँ ही रहती । यहाँ तक कि चावल-दाल से लेकर फलों तक को ब्राण्डेड किया हुआ रहता है । सभी वस्तुओं पर मूल्य अंकित रहता है । वहाँ बिक्री करने वाले मालिक नहीं, सेवक होते हैं। उन्हें मूल्य में पैसा दो पैसा भी कम करने का अधिकार नहीं । इसी कारण कॉम्पलेक्स या मॉल में लोग मोल-भाव नहीं करते ।

प्रश्न 2. मॉल के दुकानदार और मोहल्ले के दुकानदार में क्या-क्या अंतर है ? सोच कर उत्तर लिखिए । ( पृष्ठ 75 )
उत्तर- मॉल के दुकानदार जहाँ वैतनिक कर्मचारी होते हैं वहीं मोहल्ले के दुकनदार स्वयं मालिक होते हैं। एक तो कोई मॉल में मोल-भाव नहीं करता और यदि करे भी तो उस कर्मचारी को एक पैसा भी छोड़ने का अधिकार नहीं होता । लेकिन मोहल्ले के दुकानदार से लोग खुल कर मोल-भाव करते हैं । चूँकि दुकानदार स्वयं मालिक होता है, वह अपने मुनाफे में से कुछ अंश छोड़ भी देता है । वह इस प्रकार कुछ छूट देकर अपनी ग्राहक संख्या बढ़ाना चाहता है । वह यह भी चाहता है कि ग्राहक उससे प्रसन्न रहें। मॉल वालों को इससे कोई मतलब नहीं होता । इसलिए वहाँ मोल भाव नहीं होता ।

प्रश्न 3. ब्राण्डेड सामान किन कारणों से महँगा होता है ? ( पृष्ठ 75 )
उत्तर – ब्राण्ड को रजिस्टर्ड कराने में व्यय करना पड़ता है। ऐसे सामानों की पैकिंग भी सुन्दर और महँगी होती है। इनका खर्च भी सामानों के मूल्य में जुड़ा रहता है। ऐसे सामान बड़ी-बड़ी दुकानों या मॉलों में बिकते हैं। वहाँ दुकान का किराया, बिजली पर खर्च, कर्मचारियों पर खर्च आदि भी जोड़ा जाता है । इन्हीं सब कारणों से ब्राण्डेड सामान महँगा होता है ।

प्रश्न 4. दुकान या बाजार एक सार्वजनिक जगह है। शिक्षक संग चर्चा करें ।
उत्तर – दुकान निजी होती है लेकिन बाजार सार्वजनिक होते हैं। सार्वजनिक का अर्थ होता है सरकारी । सरकार चूँकि जनता की है और बाजार सरकार का है, फलतः बाजार को स्पष्टतः सार्वजनिक कह सकते हैं । अतः एक वाक्य में हम कहें तो कह सकते हैं कि दुकान निजी स्थान है तथा बाजार सार्वजनिक स्थान हैं ।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. पाठ एवं अपने अनुभव के आधार पर इन दुकानों की तुलना करें । निम्नांकित खाली जगहों को भरें ।

प्रश्न 2. बाजार क्या है ? यह कितने प्रकार का होता है ?
उत्तर—जहाँ तरह-तरह की वस्तुएँ बेचने की दुकानें होती हैं और खरीददार अपनी आवश्यकता की वस्तुएँ खरीदते हैं । अर्थात् जहाँ क्रेता तथा विक्रेता दोनों होते हैं, उसे बाजार कहते हैं ।
बाजार अनेक प्रकार के होते हैं । जैसे—स्थानीय बाजार, प्रखंड के बाजार, जिलों के बाजार, बड़े शहरों के बाजार आदि । स्थानीय बाजार में स्थान विशेष के खरीददार होते हैं। प्रखंड स्तर के बाजार में प्रखंड भर के लोग खरीददार होते हैं। जिले के बाजार में जिले भर के खरीददार आते हैं। वैसे ही बड़े बाजारों में राज्य भर के और कभी-कभी दूसरे राज्यों के खरीददार भी खरीददारी करने आ जाते हैं।

प्रश्न 3. ग्राहक सभी बाजारों से समान रूप से खरीददारी क्यों नहीं कर पाते ?
उत्तर— ग्राहक सभी बाजारों से समान रूप से खरीददारी इसलिये नहीं कर पाते क्योंकि जहाँ से जिस खरीददार को खरीददारी करने में सुविधा होती है, वे उसी बाजार से खरीददारी करते हैं । बहुत खरीददारों को वस्तु के बदले वस्तुएँ खरीदनी होती हैं, बहुतों को उधारी लेनी होती है, कुछ मासिक भुगतान करते हैं। कुछ सामान नजदीकी बाजार में नहीं मिलने की स्थिति में खरीददार को दूर के बाजार में जाना पड़ता है। टेलिविजन और मोटरकार सर्वत्र नहीं मिल सकते। अतः इनके लिए उसे बड़े शहर के बाजार में जाना पड़ता है ।

प्रश्न 4. बाजार में कई छोटे दुकानदार से बातचीत कर के उनके काम और आर्थिक स्थिति के बारे में लिखें ।
उत्तर— बाजार के कई छोटे दुकानदारों से बातचीत करने पर पता चला कि उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं होती। पूँजी की कमी के कारण उन्हें थोक विक्रेताओं से उधारी लेने के कारण वस्तुएँ महँगी मिलती हैं, जिससे उनका लाभ कम हो जाता है। वे उधारी देते हैं। खरीददार समय पर चुकता नहीं करते। इस कारण उन्हें सदैव कमी से जूझना पड़ता है । किसी-किसी प्रकार घर का खर्चा भर निकल पाता है । वार्षिक बचत नगण्य होती है ।

प्रश्न 5. बाजार को समझने के लिये अपने माता-पिता के साथ आसपास के बाजारों का परिभ्रमण करके संक्षिप्त लेख लिखिए ।
उत्तर— मैं अपने पिताजी के साथ गाँव के साप्ताहिक हाट से लेकर गाँव की दुकान तथा शहर तक के बाजारों में घूसा। सभी बाजारों के सामानों, खरीददारों, दुकानदारों को समझा। सर्वत्र अनेक अंतर देखने को मिले। हमारे गाँव की दुकानों पर जहाँ वस्तु के बदले वस्तु मिल जाती है तो दूर के बाजारों में केवल नकद खरीद- बिक्री होते देखा ।
बड़े शहरों में तो वस्तु के बदले चेक से लेन-देन होते देखा । क्रेडिट कार्ड भी शहरों की एक खास सुविधा है। बड़ी दुकानें अपनी बिक्री के फैक्स या इन्टरनेट से देते हैं और इसका भुगतान भी बैंक के जरिये इन्टरनेट से  ही कर देते हैं । वहाँ माल या ट्रांसपोर्ट से आता है और बाजार में सज जाता है, जहाँ से ग्राहक नगद रुपया या ड्राफ्ट या चेक देकर खरीदते हैं ।
इस प्रकार हमने देखा कि बाजार सामानों के उत्पादन और बिक्री का अवसर देता है । गाँव की छोटी दुकान, साप्ताहिक हाट, मुहल्ले की दुकान से लेकर शॉपिंग कम्पलेक्स तथा मॉल के व्यापारियों के साथ ही खरीददारों की एक जमात होती है । उत्पादक से लेकर छोटे दुकानदार सभी एक-दूसरे से जुड़े होते हैं । वास्तव में इन सभी लोगों के मिले-जुले रूप को बाजार कहते हैं ।

प्रश्न 6. आप भी बाजार जाते होंगे। अपने अनुभव के अधार पर इस तालिका को भरें ।

प्रश्न 7. किसी साप्ताहिक बाजार में दुकानें लगाने वालों से बातचीत करके अनुभव लिखें कि उन्होंने यह काम कब और कैसे शुरू किया ? पैसों की व्यवस्था कैसे की ? कहाँ-कहाँ दुकानें लगाता/लगाती है ? सामान कहाँ से खरीदता/खरीदती है ?

उत्तर – मैंने साप्ताहिक बाजार (हाट) में दुकान लगानेवाले तीन लोगों से बातें की। इनमें एक दुकानदार अनाज बेचते हैं, एक दुकानदार सब्जियाँ बेचते हैं । एक दुकानदार खैनी बेचते हैं।

अनाज बेचने वाले दुकानदार ने बताया कि यह मेरी पुश्तैनी धंधा है। मैंने अपनी बैलों की जोड़ी तथा बैलगाड़ी रखी है। बाजार लगने के एक दिन पहले मैं जिले के थोक बाजार में जाकर अढ़तिये से बिक्री लायक अनाज खरीदता हूँ । अनाजों में मकई, चना, चावल, जौ, जो मिल गया एक बैल गाड़ी भर कभी छः बोरे और कभी सात बोरे माल लेता हूँ । चावल अधिक लाता हूँ । माल खरीदते लदवाते संध्या हो जाती है। रात की यात्रा करके सुबह तक हाट में पहुँच जाता हूँ । बैलों को भूसा- पानी देकर स्वयं स्नानादि कर कभी दही चिउड़ा और कभी सत्तू खाकर सो जाता हूँ। दो बजे उठता हूँ और अपने स्थान पर करीने से सभी अनाज सजा देता हूँ । . लगभग तीन बजे से बिक्री शुरू हो जाती है। कुछ बोरे तो थोक में ही बेच देता हुँ । और कुछ अनाज खुदरा बेचता हूँ । संध्या होते-होते खाली बोरों और बाट- बटखरों के साथ घर के लिये रवाना हो जाता हूँ। एक डेढ़ घंटे में घर पहुँच जाता हूँ। बैलों को खाना-पानी देकर स्वयं फ्रेश होता हूँ और खाकर सो जाता हूँ। बैलों को भी आरामदेह स्थान पर बाँध देता हूँ । पुनः एक दिन बीच देकर दूसरे बाजार के लिए जोगाड़ करता हूँ । यही धंधा मेरा सालों भर का है

 सब्जी बेचने वाले एक दुकानदार से पूछने पर उन्होंने बताया कि कुल मिलाकर हमारे आस-पास तीन साप्ताहिक हाट लगते हैं। सभी हाट अलग-अलग दिनों पर दो-दो दिन बीच देकर लगते हैं। मैं गाँवों में घूम कर देखता हूँ कि वहाँ कौन सब्जी तैयार है। किसानों से मोलभाव करके जो सब्जी मिली, खरीदता हूँ। अपने सर पर लेकर हाट पहुँचता हूँ । संध्या तक सभी सब्जियाँ बिक जाती हैं और रात में घर पहुँच जाता हूँ। इसमें अधिक पूँजी की जरूरत नहीं पड़ती। कुछ अपना पैसा लगाता

और अधिकतर उधारी मिल जाता है, जिसका भुगतान हाट के दूसरे दिन दे देता हूँ। यह काम मैं दो वर्षों से करता हूँ । अब लगता है कि अपनी पूँजी तैयार हो जाएगी। यदि घर खर्च नहीं चलाना रहता तो कब का कितना रुपया मेरे पास हो गया रहता ।

खैनी वाले दुकानदार ने मुझे बताया कि मैं अपने आस-पास के थोक विक्रेता. से खैनी थोक में खरीदता हूँ और सभी हाटों में जाकर एक जगह बैठ जाता हूँ और खुदरा में बेचता हूँ । साथ में चूना तो रखता ही हूँ, तक्था तथा कटर भी रखता हूँ । जिस पत्ते को ग्राहक पसंद करता है, उसे कतरकर उसके डिबिया में भर देता हूँ तथा चूना मुफ्त से दे देता हूँ। इस व्यापार से मुझे लगभग 25% का लाभ हो जाता है। पूँजी मुझे अपने घर से मिली थी ।

कुछ अन्य प्रमुख प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. एक फेरी वाला, किसी दुकानदार से कैसे भिन्न है ?
उत्तर- एक फेरी वाला एक दुकानदार से इस प्रकार भिन्न है कि फेरी वाला कुछ वस्तु या वस्तुओं को गली-गली में घूम कर बेचता है। जबकि दूकानदार एक जगह स्थायी रूप से रह कर बेचता है। फेरी वाले खास-खास वस्तुएँ ही रखते हैं जबकि दुकानदार प्रायः जरूरत के सभी सामान रखते हैं। कुछ लोग ठेले पर घूमकर सब्जियाँ बेचते हैं, लेकिन ग्राहक को उनसे विकल्प की आशा नहीं रहती । बाजार में जाने पर घूम कर ताजी और अच्छी सब्जियाँ खरीदी जा सकती हैं। आजकल तो सब्जी की दुकानें भी होने लगी हैं।

प्रश्न 2. स्पष्ट कीजिए कि बाजारों की श्रृंखला कैसे बनती है ? इससे किन उद्देश्यों की पूर्ति होती है ?
उत्तर—उत्पादक और उपभोक्ता के बीच जितने लोग आते हैं उन्हीं को मिलाकर बाजार की शृंखला बनती है। आप हिन्दुस्तान लीवर से एक साबुन नहीं खरीद सकते और न किसी किसान से एक किलो आलू । वास्तव में ये लोग अपना उत्पादन थोक व्यापारियों के हाथ बेचते हैं। थोक व्यापारी उपव्यापारियों के हाथ और फिर उनसे खुदरा व्यापारी माल खरीदते हैं और बाजारों में या गाँव के मोहल्लों या गुमटी जैसे दुकानदारों के पास वस्तुएँ पहुँचती हैं, जहाँ से हमारे आपके जैसे उपभोक्ता सामान खरीदते हैं।

प्रश्न 3. सब लोगों को बाजार में किसी भी दुकान पर जाने का समान अधिकार है । क्या आपके विचार से महँगे उत्पादों की दुकानों के बारे में यह बात सत्य है ? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – प्रश्न का यह वाक्य लोकतंत्र में समानता के अधिकार को व्यक्त करता है। कोई दुकानदार जाति, धर्म, लिंग, धनी, निर्धन आदि के आधार पर किसी नागरिक को अपनी दुकान पर आने से नहीं रोक सकता । बस उस आदमी को चोर उचक्का, या लूटमार करनेवाला नहीं होना चाहिए।
जहाँ तक महँगे उत्पाद का प्रश्न है वहाँ कोई जाएगा ही नहीं, यदि उस वस्तु को खरीदने की यदि उसमें क्षमता नहीं होगी। इसके बावजूद उस दुकान में जाकर वह वस्तु को देख ले और दाम पूछ ले तो इसमें हर्ज क्या है ? दूकानों में ऐरा – गैरा कोई जाएगा ही नहीं और यदि चला भी गया कोई एतराज नहीं होना चाहिए

प्रश्न 4. बाजार में गए बिना भी खरीदना और बेचना हो सकता है। उदाहरण देकर इस कथन की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर – यह बात बिलकुल सही है कि बाजार में गए बिना भी खरीदना और बेचना हो सकता है । आजकल बड़े शहरों में दुकानदार को टेलीफोन करके आवश्यकता की वस्तुओं के नाम और परिमाण लिखा देने पर दुकानदार स्वयं सामान पहुँचा देता है और मूल्य ले जाता है। ऐसी दुकानों पर उधार – बाकी भी चलता यदि दोनों पूर्व परिचित हो ।

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Bihar Board Class 7 Social Science Ch 6 मीडिया और लोकतंत्र | Media Aur Loktantra Class 7th Solutions

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान के पाठ 6 समनता के लिये महिला संघर्ष (Media Aur Loktantra Class 7th Solutions) के सभी टॉपिकों के बारे में अध्‍ययन करेंगे।

Media Aur Loktantra Class 7th Solutions

6. मीडिया और लोकतंत्र

पाठ के अंदर आए प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. आप पाँच ऐसी खबरों की सूची बनाएँ जो भारत के किसी अन्य राज्यों (बिहार को छोड़कर) की हैं और इसकी जानकारी आपको टी०वी०से प्राप्त हुई है । ( पृष्ठ 53 )
उत्तर :
(i)नैनो कार का कारखाना बंगाल से हटाकर गुजरात चला गया ।
(ii) उड़ीसा का नाम बदलकर ‘ओड़िसा’ कर दिया गया।
(iii) झारखंड में अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में राज्य सरकार का गठन हुआ ।
(iv) संचार मंत्री ए. राजा ने संचार घोटाले में फंसने के आरोप में इस्तीफा दिया ।
(v) उत्तर प्रदेश के एक गाँव में कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गाँधी खाट पर बैठ गईं ।

प्रश्न 2. पृष्ठ 53 पर दिये गये चित्र को देखकर यह बताइए कि मीडिया के तकनीक में क्या बंदलाव आए हैं और इनका क्या प्रभाव पड़ा है ? ( पृष्ठ 53 )
उत्तर- ऊपर के चित्रों को देखने से स्पष्ट होता है कि मीडिया के तकनीक में काफी बदलाव आया है। पहले जहाँ लेटर प्रेस में अक्षर बैठा कर अखबार छापते थे, वहीं अब बिना टाईप बैठाए फोटो कर के अखबार छापा जाता है। आज के प्रेस को ऑफसेट प्रेस कहते हैं। पहले समाचार एकत्र कर प्रेस में डाक द्वारा भेजा जाता था, वहीं अब फैक्स और इन्टरनेट पर समाचार भेजे जाते हैं । पहले समाचार विलम्ब से मिलता था, लेकिन अब आनन-फानन में समाचार मिल जाता है। विश्व के किसी भी कोने का समाचार दूसरे दिन अखबार में छप जाता है ।

प्रश्न 3. आपके क्षेत्र में केबल टी.वी. का प्रयोग कब शुरू हुआ ? इससे क्या फर्क पड़ा ? ( पृष्ठ 53 )
उत्तर – हमारे क्षेत्र में केबल टी.वी. का प्रयोग 1985 ई. में शुरू हुआ। इससे फर्क पड़ा कि विश्व का कोई भी मनचाहा चैनल हम देख सकते हैं ।

प्रश्न 1. पिछले पन्ने (पृष्ठ 54) पर के चित्र में आप किन-किन तरह के विरोध करने के तरीके पहचान सकते हैं? इनका मीडिया के साथ क्या सम्बंध है ? ( पृष्ठ 55 )
उत्तर – पिछले पन्ने (पृष्ठ 54) पर दिये गये चित्र में हम देख रहे हैं कि जुलूस, प्रदर्शन, धरना, अनशन आदि के द्वारा विरोध किया जा रहा है । यह सरकार के विरुद्ध भी हो सकता है या किसी गैर-सरकारी कारखानों के मालिकों के विरुद्ध भी ।
मीडिया के साथ इनका सम्बंध इस प्रकार है कि मीडिया में कार्यरत पत्रकार इन सब बातों को समाचार के रूप में एकत्र करते हैं। फोटोग्राफर चित्र उतारते हैं और समाचार पत्रों में छापते हैं। टी. वी. वाले भी सचित्र समाचार प्रसारित करते हैं । इस प्रकार मीडिया से यह सम्बंध है कि वह इन बातों को जनता के समक्ष रखते हैं ताकि देश में स्वस्थ जनमत बन सके ।

प्रश्न 2. पटना के समीप गाँव में मनरेगाकार्यक्रम के तहत चल रहे काम में मीडिया द्वारा क्या किया गया और इसका क्या प्रभाव पड़ा ? (पृष्ठ 55 )
उत्तर- पटना के समीप गाँव में मनरेगा कर्यक्रम में मजदूरों के बजाय मशीन से मिट्टी की कटाई की जा रहीं थी । मीडिया को जैसे ही पता चला, वह वहाँ जाकर वहाँ की स्थिति का अवलोकन किया और समाचार प्रसारित किया । फलतः प्रशासन के लोग वहाँ पहुँचे और मशीन से चल रहे काम बन्द कराकर मजदूरों से काम करवाने का आदेश दिया। इसके पहले तक जाली रसीद पर जो मजदूरों की मजदूरी देने का नाटक किया गया था, इस पर भी जाँच कमिटि बनाई गई ।

प्रश्न 3. क्या कभी मीडिया द्वारा गलत खबरें भी पहुँचायी जाती हैं ? संक्षेप में चर्चा कीजिए । ( पृष्ठ 55 )
उत्तर- हम जानते हैं कि मीडिया प्रसारण के साधनों के मालिक खास-खास राजनीतिक विचारों के होते हैं। इसी कारण किसी समाचार को ऐसा तोड़-मरोड़ कर प्रसारित करते हैं कि उन्हीं के मत का प्रचार हो । झूठे समाचार झूठे लगे भी नहीं और जनता तक गलत संदेश पहुँच जाय । सच को झूठ के समान और झूठ को सच के समान बनाकर समाचार प्रसारित किया जाता है। पूर्णतः झूठ या गलत खबरें नहीं पहुँचाई जातीं ।

प्रश्न 1. पृष्ठ 56 पर न्यूज ऑफ बिहारकी खबर में किस बात को प्रमुखता दी गई है ? ( पृष्ठ 57
उत्तर – पृष्ठ 56 पर दिये ‘न्यूज ऑफ बिहार’ की खबर में मौसम की पहली वर्षा से गर्मी झेल रहे लोगों को मिल रहे आराम की बात की प्रमुखता दी गई है काले-काले बादल, बिजली की चमक, बादलों की गरज, तेज हवा, झमाझम बारिश जैसे समाचार नहीं कविता लिखी जा रही है। इस बारिश से लोगों को हुई परेशानियों की चर्चा तक नहीं है । इस समाचार में आंधी से पेड़ गिरने की बात अवश्य लिखी गई है, जिससे मात्र आवागमन बाधित हो रहा है ।

प्रश्न 2. दोनों रपटों में क्या अंतर है ? चर्चा कीजिए ।       (पृष्ठ 57 ).
उत्तर—रोनों रपटों में अंतर यह है कि एक में मौसम के सुहावना होने और लोगों को आनन्दित होने की बात है तो दूसरे में नाले के पानी का सड़कों पर बहने और घरों में घुसने की बात कहीं गई है । इसमें नगर निगम की पोल खुलने की बात कही गई है। लाखों-करोड़ों खर्च कर नाला सफाई की बात छाप कर रपटकर्ता कहना चहता है कि निगम के लोग सफाई के नाम पर खर्च की गई राशि के गबन का परोक्षतः आरोप भी लगाया है ।

प्रश्न 1. संचार के वैकल्पिक माध्यमों में हस्तलिखित अखबार सामुदायिक रेडियो, लघु पत्रिका इत्यादि का चलन बढ़ा है। अपने शिक्षक की मदद से चर्चा करें       ( पृष्ठ 60 )
उत्तर — ग्रामीण पुस्तकालय में एकत्र होने वाले युवक किताबें तो पढ़ते ही हैं हस्तलिखित अखबार तैयार करने में भी मदद करते हैं । कभी-कभी अखबार पूरा होने में एक-दो दिन का गैप भी हो जाता है । पुस्तकालय टेबुल पर यह अखबार रख दिया जता है और आनेवाले लोग पढ़ते हैं ।
सामुदायिक रेडियो ग्राम पंचायत के मैदान में रख दिया जाता है । गाँव के लोग वहाँ सांध्य समाचार तथा रात्रि समाचार आदि सुनकर लाभान्वित होते हैं । कृषि सम्बंधी कार्यक्रम को वे चाव से सुनते हैं ।
लघु पत्रिका भी हाथ से ही लिखी जाती है। गाँव के युवकों द्वारा लिखी कहानियाँ, कविताएँ, चुटकुले आदि लिखे जाते हैं। पिछले महीनों के मुख्य समाचार, गाँव के जन्म-मृत्यु का विवरण दिया जाता है। यह जन्म-मृत्यु के रिकार्ड का काम करता है 1

प्रश्न 2. कुछ अखबारों को पढ़कर समझाइए कि आपके इलाके के बारे में छपी खबरों में किन बातों पर ध्यान दिया जा रहा है ? (पृष्ठ 60)
उत्तर — मैं प्रतिदिन अखबार पढ़ता हूँ। मैंने ध्यान दिया है कि मेरे गाँव का तो नहीं, जिले भर के गाँवों के विषय में कुछ-न-कुछ छपा ही रहता है । किस गाँव में किस मंत्री ने दौरा किया । किसने क्या कहा । किसको गोली मारी गई। किस बैंक में डाका पड़ा आदि समाचार छपते ही रहते हैं ।

प्रश्न 3. आपके विचार से क्या कुछ बातों पर मीडिया वालों का कम ध्यान रहता हैं ? ( पृष्ठ 60 )
उत्तर— मेरे विचार से मीडिया का ध्यान कृषि कार्यों पर कुछ कम होता है । किसान गाँव के साहुकारों से बचकर बैंकों से किस प्रकार जुड़ सकते हैं, उन्हें अच्छा बीज और अच्छी खाद कहाँ मिल सकती है— इन बातों की चर्चा मीडिया कम करती है ।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. अगर आपको कैमरा दे दिया जाय तो आप इसका कैसे उपयोग करेंगे ?
उत्तर- अगर मुझे कैमरा मिल जाय तो मैं इसका उपयोग सार्वजनिक कामों के लिये करूँगा | ग्राम सभा के साथ ही ग्राम पंचायत के कार्यक्रमों का फोटो खींचूँगा । गाँव में आये किसी नेता और उनके दिये भाषण का फोटो खींचूँगा। गाँव में जो भी प्रमुख कार्यक्रम होंगे, उन सबका फोटो उतारूंगा । उन चित्रों को मैं मीडिया के हवाले कर दूँगा । जिस फोटो को वे महत्व का समझेंगे, उसे छापेंगे ।

प्रश्न 2. अपने विद्यालय में होनेवाले किसी कार्यक्रम पर एक खबर तैयार कीजिए ।
उत्तर—विद्यालय में विधायक का सम्मान मध्य विद्यालय, शेखपुरा। आज दिनांक 20 दिसम्बर, 2012 को हमारे विद्यालय में नव निर्वाचित विधायक के सम्मान में एक सभा आयोजित की गई। विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने विधायक जी के सम्मान में संक्षिप्त भाषण दिया। अंत में विधायक जी का भाषण हुआ । अपने भाषण में उन्होंने छात्रों को समय पर पुस्तक नहीं मिलने पर दुःख प्रकट किया और इस बात को शिक्षा मंत्री तक पहुँचाने की बात कही । मध्याह्न भोजन में घटिया अनाज पर भी उन्होंने ध्यान दिया और उसे भी सुधरवाने का आश्वसान दिया । अंत में प्रधानाध्यापक महोदय ने धन्यवाद ज्ञापन किया और सभा विसर्जित हो गई ।

प्रश्न 3. आपके विचार से संचार का कौन-सा माध्यम ज्यादा लोकप्रिय है ? कारण सहित बताएँ ।
उत्तर— मेरे विचार से संचार का सबसे ज्यादा लोकप्रिय माध्यम मोबाइल फोन है। मोबाइल फोन एक ऐसा विद्युतीय उपकरण है जिसके द्वारा सुदूर ग्रामीण क्षेत्र से लेकर देश को कौन कहे, विश्व के किसी भी कोने से संपर्क साधा जा सकता है। वहाँ का समाचार लेना हो या यहाँ का समाचार देना हो, मिनटों में मंगाया जा सकता है या भेजा जा सकता है। इससे सस्ता और सरल माध्यम कोई नहीं है। मोबाइलधारक के घर में बिजली रहे या न रहे, कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है ।

प्रश्न 4. किसी बड़ी घटना की जानकारी आपको किन-किन माध्यमों से हो सकी ? चर्चा करें ?
उत्तर—किसी बड़ी घटना की जानकारी हमें टेलीविजन के माध्यम से हुई। वहीं समाचार दूसरे दिन अखबार में विस्तार से छप गया है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि किसी भी बड़ी घटना की जानकारी हमको दो माध्यमों – टेलीविजन तथा अखबार से हो सकी। इसमें एक माध्यम रेडियो को भी बढ़ा सकते हैं ।

प्रश्न 5. सूचना के आधुनिक संचार माध्यमों से क्या फर्क पड़ा है ?
उत्तर – सूचना के आधुनिक संचार माध्यमों से यह फर्क पड़ा है कि व्यापार में अपार वृद्धि हुई है। इंटरनेट के माध्यम से आर्डर के साथ-साथ बिल का भुगतान भी भेजा जा सकता है। इस प्रकार घर बैठे हम विश्व भर के किसी भी देश से व्यापार कर सकते हैं। सरकारी कार्यों के साथ-साथ बैंकिंग के कार्य भी अब आसान हो गए हैं। पुलिस को यह सुविधा प्राप्त हो गई है कि वह असामाजिक तत्वों पर नजर रख सके, जबकि ये सब सुविधाएँ पहले प्राप्त नहीं थीं ।

प्रश्न 6. किन्हीं दो प्रमुख समाचार पत्रों के प्रथम पृष्ठ पर दिये गये शीर्षकों की खबर का विवरण तैयार करें और देखें कि उनकी खबरों में क्या समानता है और क्या भिन्नता है ?
उत्तर – अभी मेरे सामने ‘हिन्दुस्तान’ तथा ‘दैनिक जागरण’ दोनों समाचार पत्रों के 12 दिसम्बर, 2010 के नगर संस्करण मौजूद हैं। हिन्दुस्तान ने बिहार से सम्बंधित ‘सुस्त पुलिसवालों’ से सम्बंधित मुख्य समाचार बनाया है, वहीं दैनिक जागरण ने ‘खाद्य सुरक्षा’ को मुख्य समाचार बनाया है । यदि राष्ट्रीय समाचार की ओर ध्यान दें तो दोनों अखबारों ने दिग्विजय नारायण सिंह के उस खुलासे को प्रमुखता दी है जिसमें उन्होंने कहां था कि महाराष्ट्र एटीएस के प्रमुख शहीद हेमंत करकरे के हिन्दू आतंकवादियों से खतरा था। उनके इस वक्तव्य को लेकर काफी छीछालेदर हुई है । करकरे की पत्नी श्रीमती कविता ने दिग्गी राजा के वक्तव्य का विरोध करते हुए कहा है कि ‘उनका ऐसा कहना मेरे पति के शहादत का मजाक है और इस मुद्दे पर राजनीति की जा रही है। मेरे पति को पाकिस्तानी आतंकवादियों नेमारा था ।

कुछ अन्य प्रमुख प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. प्रजातंत्र में संचार माध्यम किस प्रकार महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ?
उत्तर—जैसा कि हम जानते हैं कि प्रजातंत्र में प्रजा ही अप्रत्यक्ष रूप से सरकार का गठन करती है या गठन करने में सहायक होती है । अतः उसे इस बात जानकारी मिलती रहनी चाहिए कि सरकार क्या कर रही है या क्या करना चाहती है । फिर सरकार को भी यह जानना चाहिए कि प्रजा अर्थात् जनता क्या चाहती है। इस प्रकार सरकार की बात जनता तक तथा जनता की बात सरकार तक संचार माध्यम ही पहुँचाते हैं या पहुँचा सकते हैं। इस प्रकार प्रजातंत्र में संचार माध्यम महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रश्न 2. संचार माध्यम और बड़े व्यापारिक घराने में परस्पर कैसे सम्बंध है ?
उत्तर—संचार माध्यम तथा बड़े व्यापारिक घरानों का परस्पर घना सम्बंध है । अधिकांश संचार माध्यम, चाहे वे टेलीविजन के चैनल हों या समाचारपत्र पत्रिका, सभी किसी-न-किसी व्यापारिक घराने से किसी-न-किसी प्रकार जुड़े हुए हैं, बल्कि ये व्यापारिक घराने ही उन संचार माध्यमों के मालिक हैं। जिन उत्पादों का विज्ञान इन संचार माध्यमों में होता है, उनके उत्पादक भी ये व्यापारिक घराने ही हैं । अतः विज्ञापन पर किया गया व्यय हो या उस उत्पाद की बिक्री, दोनों का पैसा उन व्यापारियों को ही मिलता है । इस प्रकार व्यापारी आज दोनों ओर से धन बना रहे हैं। इसीलिए कहा गया है कि संचार माध्यम तथा व्यापारियों में परस्पर घना सम्बंध है ।

प्रश्न 3. संचार माध्यम किस प्रकार एजेंडा बनाते हैं? इनका प्रजातंत्र में क्या प्रभाव पड़ता है ? अपने विचारों के पक्ष में दो उदाहरण दीजिए ।
उत्तर – संचार माध्यम जो एजेंडा बनाते हैं, और अपने माध्यमों में स्थान देते हैं, उनसे जनता कभी तो प्रभावित होकर लाभ उठाती है और कभी-कभी कुप्रभावित होकर हानि भी उठाती है ।

दो उदाहरण :
(i) कभी – कभी संचार माध्यम ऐसे मुद्दे उठा देते हैं, जिसका कोई आधार ही नहीं होता। ऐसा वे अपने विचारों का प्रचार कर सरकार को प्रभावित कर देते हैं । जनता इनसे अच्छी सोच भी बना सकती है या गलत सोच भी बना सकती है।
(ii) एक बार कोकाकोला या ऐसे ही अनेक ठंडे पेयों के विरुद्ध इतनी बातें: संचार माध्यमों ने जनता के सामने परोसा की उसकी बिक्री ही बन्द हो गई। लेकिन कम्पनी के प्रयासों द्वारा फिर उसकी बिक्री पहले की स्थिति में आ गई है। संचार माध्यमों को गलत बातों को अधिक तूल नहीं देना चाहिए।

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Bihar Board Class 7 Social Science Ch 5 समनता के लिये महिला संघर्ष | Samanta ke Liye Mahila Sangharsh Class 7th Solutions

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान के पाठ 5 समनता के लिये महिला संघर्ष (Samanta ke Liye Mahila Sangharsh Class 7th Solutions) के सभी टॉपिकों के बारे में अध्‍ययन करेंगे।

Samanta ke Liye Mahila Sangharsh Class 7th Solutions

5. समनता के लिये महिला संघर्ष

पाठ के अंदर आए प्रश्‍न तथा उनके अत्तर

प्रश्न 1. तालिका देखकर बताएँ कि किन कामों के लिए महिलाओं के चित्र ज्यादा संख्या में है और किन कामों के लिए पुरुषों के ।
उत्तर – तालिका में पुरुष अधिक संख्या में काम कर रहे हैं और महिलाएँ कम संख्या में ।

प्रश्न 2. ऊपर दिए गए कामों के अलावा ऐसे कौन से काम हैं, जो महिलाएँ पुरुषों की तुलना में ज्यादा करती हैं और कौन से काम महिला की तुलना में पुरुष ज्यादा करते हैं ? ऐसे 5-6 उदाहरण दें।
उत्तर- 1. वैज्ञानिक के काम में महिलाएँ अधिक हैं ।
2. ऊपर के चित्रों के अलावे घर के अन्दर के काम में महिलाएँ पुरुषों की तुलना में अधिक करती हैं जैसे— (i) घर की साफ-सफाई, (ii) पानी लाना, (iii) भोजन बनाना, (iv) भोजन परोसना तथा (v) बर्तन साफ करना ।
घर से बाहर के काम महिलाओं की तुलना में पुरुष अधिक करते हैं । जैसे (i) खेत कोड़ना, (ii) सिंचाई के लिये कुएँ से पानी निकालना, (iii) शहर में जाकर व्यापार करना, (iv) कारखानों में काम करना, (v) घर के बाहर के काम करना

क्या महिलाएँ योग्य नहीं ?

रीता मैडम की कक्षा में तीस बच्चे हैं । उन्होंने अपनी कक्षा में इसी तरह का अभ्यास कराया और परिणाम इस प्रकार रहे :

प्रश्न 1. आपके ख्याल से वे काम, जिन्हें आमतौर पर पुरुष करते हैं, क्या महिलाएँ नहीं कर सकती हैं ? और जो कम आमतौर पर महिलाएँ करती हैं, क्या पुरुष नहीं कर सकते ? चर्चा करें। ऐसा बँटवारा क्यों है ? इसका उनके जीवन पर किस तरह का प्रभाव पड़ता है ? ( पृष्ठ 34 )
उत्तर – मेरे ख्याल से वे काम जिन्हें आमतौर पर पुरुष करते हैं उन्हें महिलाएँ भी कुशलता के साथ कर सकती हैं। और जो काम आम तौर पर महिलाएँ करती हैं उन्हें पुरुष भी कर सकते हैं । तात्पर्य कि कोई भी काम जो पुरुष कर सकता है व महिला भी कर सकती है, और जो काम महिला कर सकती है वह पुरुष भी कर सकता है।
कोई खास काम केवल पुरुष करेगा और कोई खास काम केवल महिला करेगी — यह हमारी परम्परागत सोच का परिणाम है। कारण कि सदा से यही होता चला आया है। लेकिन अब समय बदल गया है। अब महिलाएँ भी योग्यता प्राप्त कर ऊँचे-ऊँचे पदों पर काम करने लगी हैं । होटलों में पुरुष ही भोजन बनाते और खिलाते हैं। अब
कोई काम किसी के लिये आरक्षित नहीं है। महिलाएँ पंचायत से लेकर लोक सभा तक में जाने लगी हैं। प्रधानमंत्री तक का पद महिलाएँ सुशोभित कर रही हैं । सुचेता कृपलानी उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं तो इन्दिरा गाँधी देश की प्रधान मंत्री थीं ।

प्रश्न 2. भारत में 83 प्रतिशत ग्रामीण महिलाएँ खेतों में काम करती हैं । उनके कामों में बिचड़े (पौधे रोपना, निकौनी करना (खर-पतवार निकालना), फसल काटना, धान की पिटाई करना है । अरहर, मटर, चना, सरसों, तीसी आदि को पीट झाड़कर दाने अलग करना आदि महिलाएँ ही करती हैं । कटे अनाज के बोझों को ढोकर खलिहान में पहुँचाना, ओसौनी करना जैसे अनेक काम महिलाएँ बखूबी करती हैं। फिर भी जब किसान के बारे में सोचते हैं तो हम एक पुरुष के बारे में ही सोचते हैं ? ऐसा क्यों ? शिक्षक के साथ चर्चा करें ।   ( पृष्ठ 44 )
उत्तर — ऐसा क्यों पर यदि हम विचार करें तो यह हमारी सोच का फर्क है ‘किसान’ शब्द सुनते ही हमारे मन में हल चलाना, कुदाल से खेत कोड़ना और कुआँ से पानी निकालना आदि आ जाता है। इसी कारण किसान के रूप में पुरुष ही लोगों के दिमाग में आ जाता है। जबकि खेतों में तीन-चौथाई से अधिक काम महिलाएँ ही करती हैं ।
किसान के रूप में हमारी एक सोच और भी है । किसान पर लेख लिखते समय अधिकांश लेखक किसान का वर्णन करते हुए यही लिखते हैं कि किसानों की हालत काफी दयनीय है। वे जाड़ा हो या गरमी या हो बरसात – हर मौसम का मुकाबला करते हुए उसे खेतों में खटना पड़ता है । वह सदा कर्ज में डूबा रहता है । कर्ज में ही उसका जन्म होता है और अपने वारिसों पर वह कर्ज छोड़कर ही मर जाता है।
लेकिन यहाँ लोग किसान और मजदूर में अंतर नहीं समझते । भारत में अमिताभ बच्चन जैसे किसान भी है। ग्रामीण क्षेत्रों के कुछ किसान ऐसे हैं जो मोटर कार मैंटल करते हैं। वास्तव में किसान का वर्णन करते हुए हम मजदूर का वर्णन कर देते हैं और यही चलन में भी है ।

प्रश्न 1. गुड़िया और पूजा क्या चाहती थीं और इसे पूरा करने के लिये उन्होंने क्या किया ? ( पृष्ठ 44 )
उत्तर – गुड़िया और पूजा दोनों पढ़ना चाहती थीं। इसे पूरा करने के लिए उन्होंने निम्नलिखित काम किया :

गुड़िया — गुड़िया दिलोजान से पढ़ना चाहती थी। लेकिन उसके पिता उसे पढ़ाना नहीं चाहते थे। एक दिन मौका देख वह घर से भाग चली और 13 किलोमीटर पैदल चलकर रोहतास जिले के नोखा अवस्थित उत्प्रेरण केंद्र में पहुँच गई। उसने वहाँ अपना नामांकन करा लिया। यह उत्प्रेरण केन्द्र एक आवासीय विद्यालय है । उसके अभिभावक इसे दो दिनों बाद जान सके । उसके पिता उसे वहाँ से वापस घर ले जाना चाहते थे। लेकिन गुड़िया इसके लिये राजी नहीं हुई । गुड़िया के पिता को समाज के बंदिशों का डर था । लेकिन गुड़िया की जिद्द ने बंदिश को तोड़ दिया। अब गाँव की अन्य लड़कियाँ भी स्कूल जाने लगीं। लोगों में लड़कियों को पढ़ाने के प्रति रुचि जागृत हो गई ।

पूजा — पूजा पूर्णिया जिले के एक गरीब घर की लड़की है । वह रोज अपने उम्र की लड़कियों को विद्यालय आते-जाते देखती थी । उसके मन में भी पढ़ने की उत्कंठा जग गई । लेकिन उसके पिता उसे विद्यालय भेजना नहीं चाहते थे । कारण कि वह घर का काम संभालती थी। घर का काम पूरा कर वह विद्यालय जाने लगी उसके माता-पिता बहुत दिन बाद जान सके कि वह चोरी-छिपे विद्यालय जाया करती है। उसके पिता उसकी पढ़ाई रोकवाना चाहे, किन्तु उसने समझा-बुझा कर उनको राजी कर लिया और अपनी पढ़ाई जारी रखी। अंततः उसके पिता को विद्यालय में उसका नामांकन करवाना पड़ा। इसी को कहते हैं “जहाँ चाह वहाँ राह।”

प्रश्न 2. अपने आस-पास के कुछ महिलाओं से बात करके इनके अनुभव लिखिए। उन्होंने स्कूल की पढ़ाई कहाँ तक की ? उन्हें किन समस्याओं का सामना करना पड़ा और किस तरह का उन्हें प्रोत्साहन मिला ? (पृष्ठ 46 )
उत्तर— मेरे पड़ोस की एक महिला प्राथमिक विद्यालय में शिक्षिका हैं। उनसे मैंने पूछा कि आप किस वर्ग तक पढ़ी हैं। उन्होंने बताया कि मैं बारहवीं कक्षा तक पढ़ी हूँ और आगे की पढ़ाई चूँकि शहर में रहकर करनी पड़ती, लेकिन मेरे अभिभावक इसके लिये तैयार नहीं हुए। शुरू में तो वे मुझे प्राथमिक पाठशाला में भी नहीं जाने देना चाहते थे, लेकिन विद्यालय के एक शिक्षक के समझाने पर वे मान गये । मुझ पर खास ख्याल रखते थे । विद्यालय में पाँचवे वर्ग तक की ही पढ़ाई होती थी । लेकिन शीघ्र ही उस विद्यालय को प्रोन्नत कर सरकार ने वर्ग 8 तक कर
शिक्षक वे दिया । धीर-धीरे मैं आठवें वर्ग तक पहुँची । अब आगे की पढ़ाई के लिये मुझे घर से 7 किलोमीटर दूर द्वादशीय विद्यालय में जाना पड़ता । इसी बीच बिहार सरकार ने लड़कियों के लिये साइकिल योजना लागू कर दी। मैंने आठवीं पासकर वहाँ वर्ग 9 में नाम लिखा लिया और मुफ्त में मिली साइकिल से विद्यालय जाने लगी। वहीं से मैंने 12वीं कक्षा की परीक्षा दी और पास कर गई। साइकिल मिल जाने से मुझे बहुत प्रोत्साहन मिला। उसी का फल है कि आज मैं प्राथमिक पाठशाला में शिक्षिका हूँ ।

प्रश्न 3. शाहुबनाथ को बस चालक बनने के लिए कठिनाइयाँ क्यों आईं ? शिक्षक के साथ चर्चा करें । ( पृष्ठ 46 )
उत्तर—शाहुबनाथ यद्यपि दक्षतापूर्वक बस चला लेती थी, लेकिन यात्रियों को उसकी दक्षता पर विश्वास नहीं होता था । इसके अलावे उसे अपने अधिकारियों कों भी अपनी दक्षता के लिये संतुष्ट करना आवश्यक था। महिला चालक को देखकर टिकटधारी यात्री भी बस से उतर जाते थे। एक बार तो उसे मात्र एक यात्री को लेकर बस को गंतव्य तक ले जाना पड़ा। इतने पर भी शाहुबनाथ निराश नहीं हुई । धीरे-धीरे यात्रियों का विश्वास बढ़ता गया और क्रमशः यात्रियों की संख्या बढ़ती गई। अब वह एक दक्ष बस चालिका के रूप में प्रसिद्ध हो चुकी हैं ।

प्रश्न 1. पृष्ठ 48 की बायीं ओर के चित्र में क्या दिख रहा है ? ( पृ० 48 )
उत्तर — इस चित्र में मुझे दिख रहा है कि बड़ी संख्या में महिलाएँ शराब विरोधी आंदोलन में जुट गई हैं। अभी वे धरना कार्यक्रम चला रही हैं। झारखंड राज्य के अनेक गाँवों में अभी हाल में ही झाडू लेकर प्रदर्शन कर चुकी हैं। महिलाएँ नहीं चाहतीं कि पुरुष शराब पीयें। एक तो ये अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा शराब पर खर्च कर देते हैं और घर आकर नशे की हालत में औरत – बच्चों को मारते-पीटते हैं। घर में अनाज नहीं रहता लेकिन वे शराब पर खर्च अवश्य करते हैं । इसी कुप्रथा को वे रोकना चाहती हैं।

प्रश्न 2. क्या आपके इलाके मैं ऐसी समस्या है ? ( पृष्ठ 48 )
उत्तर — हाँ, मेरे गाँव के किसी-किसी टोले में ऐसी समस्या है। पति रात में पीकर आता है और घर में हो-हल्ला मचाता है । कभी-कभी उन्हें सड़क पर भी गिरते हुए देखा गया है । वास्तव में इस पर रोक का कोई उपाय होना चाहिए ।

प्रश्न 3. पृष्ठ 48 के नीचे दाहिनी ओर की औरतें ऐसा क्यों कर रही हैं ? शिक्षक के साथ चर्चा करें।  ( पृष्ठ 48 )
उत्तर — इस चित्र में ‘चिपको आन्दोलन’ का एक दृश्य दिखाया गया है । चिपको आन्दोलन की शुरुआत राजस्थान से हुई थी । वहाँ का राजा अपना भवन बनवाने के लिए ‘खिजड़ी’ के पेड़ कटवाना चाहता था। लेकिन विश्नोई जाति के लोग खिजड़ी पेड़ को पूज्य मानते हैं । उन्होंने चिपको आन्दोलन चलाया। होता यह था कि लोग, खास कर महिलाएँ पेड़ा से चिपक जाती थीं और पेड़ काटने नहीं देती थीं । अन्त मं राजा को उनकी बात माननी पड़ी और पेड़ कटने से बच गए।
अभी हाल में टिहड़ी बाँध बनने के समय बहुगुणा जी ने चिपको आन्दोलन चलाया, क्योंकि बाँध के बनने से बहुतेरे वन्य वृक्ष नष्ट हो जाने वाले थे। लेकिन उनका आन्दोलन असफल रहा और सरकार ने बाँध बना दिया। बाँध के पीछे एकत्र पानी में कितने गाँव डूब गए, जंगल के जंगल सूख गये। गंगा में पानी की कमी भी खलने लगी है।

प्रश्न 1. पृष्ठ 49 पर दिखाए गये पोस्टर द्वारा क्या कहने की कोशिश की जा रही है ? ( पृष्ठ 49
उत्तर – पृष्ठ 49 पर के पोस्टर में ‘लिंग जाँच विरोधी आंदोलन’ का दृश्य दिखाया गया है। इधर हाल में एक परम्परा चल पड़ी है कि बच्चियों के विवाह पूर्व लिंग जाँच कराई जाती है। उद्देश्य यह जानना होता है कि इस लड़की में म बनने की क्षमता है या नहीं। लेकिन समाज इसे आसानी से स्वीकार नहीं कर रहा है । इसी के विरोध में औरतें प्रदर्शन कर रही हैं। वास्तव में यह एक घिनौना कार्य है । इसपर रोक लगना ही चाहिए। लड़की वालों को ऐसे लड़के वालों से साफ जवाब दे देना चाहिए कि आपके यहाँ मुझे सम्बंध नहीं बनाना है

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. आपके विचार से महिलाओं के बारे में यह प्रचलित धारणा है कि पुरुषों के समान वे कार्य नहीं कर सकती हैं। आपके विचार से यह महिलाओं के अधिकार को कैसे प्रभावित करता है ।
उत्तर – मेरे विचार से महिलाओं के बारे में यह प्रचलित धारणा कि पुरुषों के समान वे कार्य नहीं कर सकती, उनके प्रति सरासर अन्याय है। यह महिलाओं की कार्य क्षमता को कुप्रभावित करने वाला विचार है। इससे उनकी क्षमता का शोषण होता है। सब तरह से योग्य होने के बावजूद उन्हें कुंठा का जीवन व्यतीत करना पड़ता है। इसका दोषी समाज तो है ही, परिवार के सदस्यों का भी कम दोष नहीं है, खासकर बिहारी परिवारों का ।

प्रश्न 2. महिला अंदोलन द्वारा अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिये किये जाने वाले किन्हीं दो प्रयासों का उल्लेख करें ।
उत्तर—बहुत पहले से महिलाओं ने अपने पक्ष में आदोलन चलाया है और सफलता पायी है। अभी तत्कालिक महिला आन्दोलनों में दो प्रमुख आन्दोलन है- (क) घरेलू हिंसा के खिलाफ आन्दोलन तथा (ख) शराब विरोधी आन्दोलन ।
(क) घरों में बहुओं को तरह-तरह से सताया जाता है। उन्हें मार-पीटकर शारीरिक चोट तो पहुँचाई हो जाती है, मानसिक यातनाएँ भी दी जाती है। महिलाओं ने इसपर रोक के लिये आंदोलन छेड़ रखा हैं। सरकार को इस ओर ध्‍यान देना चाहिए ।
(ख) शराब के चलते कितने घर बरबाद हो चुके हैं। शराब के नशे में पत्नी और बच्चों को मारना पीटना आम बात सी है। आमदनी का अधिकांश शराब पर ही खर्च कर दिया जाता है । फलतः परिवार में खाने को लाले पड़े रहते हैं । पति शराब के नशे में रात को घर पहुँचता है और भोजन माँगता है। अब पत्नी कहाँ से खाना दे ? कारण कि पति घर में तो कुछ लाता नहीं । अतः शराब विरोधी आन्दोलन को भी महिलाओं ने चला रखा है ।

प्रश्न 3. समाज में महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने के लिये कौन- कौन से कदम उठाये जा सकते हैं ? उल्लेख करें ।
उत्तर- समाज में महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने के लिये निम्नलिखित कदम उठाये जा सकते हैं।
(i) पाँच-छः वर्ष की अवस्था से ही बच्चियों को स्कूल भेजा जाय ।
(ii) माँ-बाप को चाहिए कि घर के काम वे स्वयं निबटा लें और शिशुओं को आँगनबाड़ी में दे दें ।
(iii) लड़कियों की इच्छा का अध्ययन किया जाय कि बड़ा होकर वे क्या करना चाहती हैं। उन्हें आगे बढ़ने से रोका नहीं जाय ।
(iv) यह बिल्कुल नहीं सोचा जाय कि लड़कियाँ वे सब काम नहीं कर सकतीं, जो पुरुष करते हैं। आज लड़कियाँ सभी काम कर लेती हैं ।
(v) लड़कियों और लड़कों में कोई भेद न किया जाय ।

प्रश्न 4. किसी ऐसी महिला की कहानी लिखें, जिसने अपनी इच्छा की पूर्ति के लिए विशेष प्रयास किया हो ?
उत्तर — मुनिया रोजदारी पर काम करने वाले एक मजदूर की पुत्री थी । उसकी माँ कई घरों में दाई का काम करती थी । मुनिया जब तीन वर्ष की थी। तभी से उसमें पढ़ने की लालसा जग गई थी। जब वह पाँच वर्ष की हुई तो स्कूल जाने की जिद्द करने लगी। उसकी माँ ने समझाया कि तुम स्कूल चली जाओगी तो तुम्हारे छोटे भाई की देखभाल कौन करेगा। इस पर एक पड़ोसी ने बताया कि इसके छोटे भाई को आँगनबाड़ी के हवाले करती रहो। इस प्रकार मुनिया के माता-पिता काम पर चले जाते थे और मुनिया स्कूल चली जाती थी तब मुनिया का छोटा भाई जो दो वर्ष का था, आँगनबाड़ी में रखा जाने लगा ।
निकट के मध्य विद्यालय के वर्ग 1 में मुनिया का नामांकन हो गया । मुनिया पढ़ने लगी। पढ़ने में वह इतना तेज थी कि वर्ग 3 को पास करते ही उसे वार्षिक वजीफा मिलने लगा । आठवें वर्ग में उसने जिले में प्रथम स्थान प्राप्त किया। अब वह वर्ग 9 की छात्रा थी । द्वादशीय विद्यालय पास करने के बाद उसने कालेज में दाखिला ले लिया। अपने कॉलेज का खर्च चलाने के लिए ट्यूशन पढ़ाने लगी। कुछ पुस्तकें तो वह खरीद लेती थी और कुछ लाइब्रेरी से लेकर पढ़ लेती थी। बी. ए. करने
के बाद वह बी. पी. एस. ई. प्रतियोगिता में बैठी और अब वह बिहार सरकार के अफसर रैंक में नियुक्ति प्राप्त कर ली है। उसकी उन्नति से उसके माता-पिता फूले नः समाते थे । उसका विवाह भी एक अफसर से हो गया ।
इस प्रकार हम देखते हैं कि अपनी लगन और मेहनत से मुनिया अब मुनि कुमारी (बिहार प्रशासनिक सेवा) बन गई। अपने भाई को भी उसने पढ़ा लिया ।

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Bihar Board Class 7 Social Science Ch 3 शिक्षा एवं स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में सरकार की भुमिका | Siksha Ewam Sawasth ke Kshetra me Sarkar ki Bhumika Class 7th Solutions

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान के पाठ 3 शिक्षा एवं स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में सरकार की भुमिका (Siksha Ewam Sawasth ke Kshetra me Sarkar ki Bhumika Class 7th Solutions) के सभी टॉपिकों के बारे में अध्‍ययन करेंगे।

Laboratory of renewable energy. Student Working on electricity circuit board.

3. शिक्षा एवं स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में सरकार की भुमिका

पाठ के अंदर आए प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. अनुप्रिया एवं उसकी सहेलियाँ क्यों परेशान थीं, उन सबकी परेशानी कैसे दूर हुई ?  ( पृष्ठ 27 )
उत्तर – अनुप्रिया एवं उसकी सहेलियाँ इसलिए परेशान थीं कि अभी तो वे वर्ग 8 में हैं। जिस स्कूल में वे पढ़ती हैं वह उनके घर से अधिक दूर नहीं है, लेकिन  उसमें मात्र वर्ग 8 तक की पढ़ाई ही होती है। वे आगे भी अपनी पढ़ाई जारी रखना नाहती हैं, लेकिन उच्च विद्यालय उनके घर से काफी दूर है। रोज वहाँ आना-जाना उनके लिए कठिन था । यही कारण था कि उनके गाँव की लड़कियाँ वर्ग 8 तक ही पढ़ पाती थीं । चाहकर भी वे आगे की पढ़ाई जारी नहीं रख पाती थीं ।
इसी बीच राज्य सरकार की साइकिल योजना आ गई। इसके तहत वर्ग 9 में पढ़ने वाली लड़कियों को मुफ्त में साइकिल दी जाने लगी। वर्ग 8 पास कर अनुप्रिया और उसकी सहेलियों ने वर्ग 9 में नामांकन करा लिया। उन्हें साइकिल भी मुफ्त में मिल गई। अब वे नित्य साइकिल से स्कूल आने-जाने लगी। साइकिल योजना से उन्हें आगे ही पढ़ाई जारी रखने में काफी सहुलियत हुई ।

प्रश्न 2. लड़कियों को शिक्षा ग्रहण करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है । ऐसा क्यों ? कारण सहित लिखें ।   ( पृष्ठ 27 )
उत्तर – लड़कियों को शिक्षा ग्रहण करने में मुख्य कठिनाई विद्यालयों और महाविद्यालयों की कमी है। उच्च माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक तक तो वे जैसे- तैसे पढ़ाई पूरी कर लेती हैं। लेकिन महाविद्यालयों और तकनीकी विद्यालयों की राज्य में काफी कमी है। लड़कियाँ घर छोड़ अकेले अन्य राज्यों में जा नहीं सकती। बाहर जाने पर भी नामांकन में बहुत धक्का-मुक्की है। यदि लड़कियों को आगे तक की शिक्षा देनी है तो सरकार को महाविद्यालयां और तकनीकी महाविद्यालयों की अधिकाधिक व्यवस्था करनी होगी। जो अभी हैं, उनमें सीटों की संख्या बढ़ानी होगी ।

प्रश्न 3. आपकी समझ से ऐसी क्या व्यवस्था हो सकती है, जिससे लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने में परेशानी नहीं हो । ( पृष्ठ 27 )
उत्तर – देश में लगातार जनसंख्या बढ़ते जाने के अनुपात में विद्यालयों, महाविद्यालयों की संख्या नहीं बढ़ पाती । शिक्षण संस्थाओं की कमी लड़कियों को शिक्षा प्राप्ति में परेशानी होने लगी है। लड़कों की तरह लड़कियाँ इस राज्य और उस राज्य में दौड़-धूप नहीं कर सकतीं। इस प्रकार हम देखते हैं कि शिक्षण संस्थाओं की वृद्धि से ही लड़कियों की परेशानी दूर हो सकती है ।

प्रश्न 1. सुमित की चिंता का क्या कारण था ? यदि सुमित की जगह आप होते तो आपके मन में क्या-क्या विचार आते ? चर्चा करें । ( पृष्ठ 28 )
उत्तर – सुमित की चिंता का कारण यह था कि सत्र का एक चौथाई समय गुजर चुका और अभी तक उसे पुस्तकें प्राप्त नहीं हो पाई हैं। वैसे तो पुस्तकें इसे मुफ्त में मिलनी हैं, इसके बावजूद वह चाहता था कि बाजार से ही पुस्तकें खरीद लें। लेकिन सरकार ने वर्ग । से वर्ग 8 तक की पुस्तकों की बाजार में बिक्री पर रोक लगा रखी है। उसका दावा है कि वर्ग 1 से 8 तक की पुस्तकें वह मुफ्त में ही देगी । लेकिन इसके अफग़र सरकार की इस मंशा को पूरा होने देना नहीं चाहते। यह तो जाँच का विषय है कि सरकार पता करे कि पुस्तकें छापने और वितरण में विलम्ब क्यों किया जाता है
यदि मैं सुमित की जगह होता तो अपने क्षेत्र के विधायक से मिलता और उनसे कहता कि ये विधान सभा में प्रश्न करें कि पुस्तकों को छापने और वितरण में विलम्ब क्यों हो रहा है ।

प्रश्न 2. आपको समय पर किताब नहीं मिलने की स्थिति में प्रधानाध्यापक ने क्या प्रयास किया ?  ( पृष्ठ 28 )
उत्तर —समय पर किताबें नहीं मिलने की स्थिति में जिला के शिक्षा पदाधिकारी से लेकर सबडिविजन के शिक्षा पदाधिकारी तक दौड़ लगाते-लगाते थक जाते हैं । समय तो बर्बाद होता ही है, आने-जाने का खर्च भी उनको ही वहन करना पड़ता है । जब किताबें समय पर छपती ही नहीं तो कोई क्या कर सकता है ?

प्रश्न 3. मध्याह्न भोजन योजना, पोशाक योजना, भवन निर्माण योजना, आँगनबाड़ी केन्द्र इत्यादि योजनाओं के विषय में शिक्षकों से चर्चा करें कि आखिर इनकी जरूरत क्यों है ?  ( पृष्ठ 28 )
उत्तर – मध्याह्न भोजन योजना इसलिए आवश्यक है कि गरीब लड़के कम- से-कम एक शाम भोजन के लालच से स्कूल से जुड़ जाएँगे। स्कूल में ही भोजन मिल जाने से मज़दूरीन माँ को काम छोड़कर स्कूल में भोजन पहुँचाने से निजात मिलेगी। बहुतेरे लड़के दोपहर में भोजन की छुट्टी मिलने पर दोबारे स्कूल आते ही नहीं । इन्हीं समस्याओं को दूर करने के लिए मध्याह्न भोजन योजना नितांत जरूरी है
पोशाक योजना दो करणों से जरूरी है। पहला कारण है कि गरीबी के कारण बच्चे फटे-निटे गंदे कपड़े पहनकर स्कूल आने को बाध्य होते हैं। पोशाक योजना लागू होने से इस समस्या से निजात मिलेगा। सभी बच्चों के शरीर पर एक तरह की पोशाक होने से बच्चों में धनी गरीब का कोई भेद नहीं होगा। एक तरह की पोशाक और एक पंक्ति में बैठकर भोजन करने से उनमें बराबरी की भावना का विकास होगा ।
भवन निर्माण योजना इसलिए आवश्यक है कि अच्छा भवन रहने पर ही शिक्षक मन लगाकर पढ़ा सकते हैं और छात्र मन लगाकर पढ़ सकते हैं। जीर्ण- शीर्ण भवन या बरसात में चूने वाले भवनों में उचित ढंग से पढ़ाई नहीं हो सकती ।
आंगनबाड़ी योजना भी नितांत आवश्यक है । वह इसलिये कि बच्चों के माता- पिता जब काम पर चले जाते हैं तो स्कूल जाने योग्य बच्चों को घर के अन्य छोटे भाई-बहनों की देखभाल की जिम्मेदारी निभानी पड़ती है। आंगनबाड़ी योजना को लागू होने से छोटे बच्चे आंगनबाड़ी में रख दिये जाते हैं और स्कूल जाने योग्य बच्चे स्कूल जाते हैं। इससे गाँव या नगर के सर्वेसर्वा बच्चे स्कूल जाने लगते हैं ।

प्रश्न 4. क्या आप अपने विद्यालय की पढ़ाई व्यवस्था से संतुष्ट हैं ? अपने विचार लिखें ।  ( पृष्ठ 28 )
उत्तर— नहीं, मैं अपने विद्यालय की पढ़ाई व्यवस्था से संतुष्ट नहीं हूँ । कारण कि छात्र तो विद्यालय आते हैं लेकिन शिक्षक विद्यालय में रोज नहीं आते । प्रधानाध्यापक महोदय को सदैव सरकारी कार्यों से बाहर ही रहना पड़ता है । कभी- कभी तो एक शिक्षक के सहारे ही सारे विद्यालय को रहना पड़ता है। जनगणना हो या निर्वाचक सूची बनानी हो, सभी में हमारे विद्यालय के शिक्षकों को ही लगना पड़ता है । इससे हम सब की पढ़ाई बाधित होती है ।

पृष्ठ 29 के नीचे के तारांकित अंश पर प्रश्न :    ( पृष्ठ 30 )

प्रश्न 1. ये दोनों स्थितियाँ क्यों उत्पन्न होती है ? इनके पीछे क्या-क्या कारण है ?
उत्तर—ये दोनों स्थितियाँ इसलिये उत्पन्न होती हैं, क्योंकि बिहार राज्य में सभी गर्भवती महिलाओं को संतुलित और पुष्टिकर आहार नहीं मिल पाता। संतुलित और पौष्टिक भोजन नहीं मिलने के कारण इसका सीधा असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता है । माँ भी स्वस्थ नहीं रह पातीं। इसका सीधा परिणाम बच्चों के वजन पर पड़ता है । ऐसी स्थिति में बच्चों का वजन कम होगा ही । वजन कम होने के कारण बच्चे शीघ्र ही किसी-न-किसी बीमारी के चंगुल में फंस जाते हैं और उनकी मृत्यु हो जाती है । यदि इनकी माताएँ उचित भोजन करतीं तो ऐसी हादसा रोकी जा सकती थी ।

प्रश्न 2. इन दोनों स्थितियों में बच्चों और औरतों को कैसे बचाया जा सकता है ?
उत्तर—इन दोनों स्थितियों में बच्चों और औरतों को बचाने के दो ही उपाय हैं। पहला पौष्टिक भोजन के विषय में उन्हें बताया जाय कि केवल महँगे भोजन ही पौष्टिक नहीं होते । गाँवों में मिलने वाले साग-पात और फल मूल भी पौष्टिक होते हैं। भोजन में सस्ती दालों और छोटी मछलियों की मात्रा बढ़ाई जाय । बकरी पालकर उनका दूध भी व्यवहार किया जा सकता है। दूसरी ओर सर्वत्र स्वास्थ्य सेवाएँ बढ़ाई जाएँ । गर्भाधान के बाद से ही गर्भवती स्त्रियों के स्वास्थ्य की जाँच की व्यवस्था की जाय । शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या बढ़ाई जाय ।

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अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. सबके लिए स्वास्थ्य की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकार कौन-कौन से कदम उठा सकती है ? चर्चा करें ।
उत्तर- सबके लिये स्वास्थ्य की सुविधा उपलब्ध कराने के क्रम में सरकार को चाहिए कि प्रत्येक गाँव में ‘स्वास्थ्य केन्द्र’ तथा चार-पाँच गाँवों को मिलाकर एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, प्रखंड स्तर पर रेफरल अस्पताल तथा जिलों में जिला – अस्पताल की व्यवस्था हो । उन स्थानों पर प्रशिक्षित डॉक्टर और नर्स तथा दाई हो । जिला अस्पतालों में पर्याप्त डाक्टर, नर्स, कम्पाउंडर तथा पर्याप्त बिस्तर की उपलब्धता हो । अस्पतालों में आधुनिक जाँच उपकरण तथा पर्याप्त दवाइयाँ उपलब्ध रहें । जहाँ तक हो सके गाँवों में लोगों को संतुलित आहार देने की व्यवस्था हो । यह व्यवस्था कैसे हो इसका निर्णय सरकार करे ।

प्रश्न 2. शिक्षा की स्थिति बेहतर करने के लिये सरकार की क्या भूमिका होनी चाहिए ?
उत्तर— शिक्षा की स्थिति बेहतर करने के लिये सरकार की पहली भूमिका होनी चाहिए कि वह विद्यालय भवनों की स्थिति ठीक-ठाक रखे। साल-बेसाल विद्यालय भवन की मरम्मती और सफाई-पोताई होती रहे ।
सरकार ग्राम पंचायत के जिम्मे लगाए कि गाँव के सभी बच्चे विद्यालयों से जुड़ सकें । हर विद्यालय में शिक्षकों की पर्याप्त संख्या रहे । उनका वेतन समय पर मिल जाया करे। शिक्षकों को पढ़ाई कार्य के अलावा किसी अन्य काम में नहीं लगाया जाय । विद्यालय निरीक्षक सदैव विद्यालयों का निरीक्षण करते रहे । पोशाक योजना की रकम समय पर पहुँच जाय । मध्याह्न भोजन का अन्न खाने योग्य हो । भोजन बनाने में सफाई का ध्यान रखा जाय । स्कूल के बच्चों को भोजन के साथ स्वच्छ पेय जल भी मुहैया कराया जाय ।

प्रश्न 3. सर्वे क्यों किया जाता है। आपने इस पाठ में दिये गए सर्वे से क्या समझा ?
उत्तर—किसी विषय विशेष की स्थिति का पता करने के लिये सर्वे किया जाता है ।
इस पाठ में दिए गए सर्वेक्षण से हमारी समझ बनती है कि बच्चे किन-किन कारणों से विद्यालय नहीं जा पाते । यदि गये भी तो बीच में हीं उन्होंने अपनी पढ़ाई क्यों छोड़ दी । कितने बच्चे बाल मजदूरी के लिये मजदूर हुए। किन कारणों से बच्चों को विद्यालय जाने की जगह मजदूरी पर जाना पड़ गया।

प्रश्न 4. एक ही उम्र के बच्चे जो सरकारी स्कूल, निजी स्कूल य अन्य किसी स्कूल में पढ़ते हैं, उनसे बातचीत करके पता करें कि इन स्कूलों में क्या समानता और क्या अन्तर है ?
उत्तर- प्रश्न में बताए गए स्कूलों के समान उम्र के बच्चों से बातचीत की गई । बातचीत से जो निष्कर्ष निकला वह निम्नांकित है :
सरकारी स्कूल के भवन अच्छे नहीं है जबकि निजी स्कूल के भवन अधिकतर पक्के और सुन्दर हैं । सरकारी स्कूल में बच्चों को बैठने की उचित व्यवस्था नहीं है लेकिन निजी स्कूल में वर्ग 1 से ही बेंच और डेस्क की व्यवस्था है। सरकारी स्कूल के शिक्षकों के अपेक्षा निजी स्कूलों के शिक्षक पढ़ाने में अधिक दिलचस्पी लेते हैं। सरकारी स्कूल के बच्चे सामान्यतः निजी स्कूल के बच्चों की अपेक्षा कुछ मंद होते हैं । सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन मुफ्त मिलता है, जबकि निजी स्कूल के
बच्चे मध्याह्न भोजन अपने घर से लाते हैं । इन दोनों स्कूलों के अलावे कुछ ऐसे स्कूल भी हैं जो किसी समाजसेवी व्यक्ति द्वारा चलाये जाते हैं । वहाँ की पढ़ाई भी एक हद तक सरकारी स्कूलों की अपेक्षा अच्छी ही होती है। 

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BSEB Class 10th English Reader Ch 5 Sun and Moon (सूर्य और चंदा) Solutions and Explanation in Hindi

5. SUN AND MOON (सूर्य और चंदा)
Katherine Mansfield

KATHERINE MANSFIELD (1888-1923) is a writer of short stories. Her stories followed in the foot steps of the Russian writer chekhov. She was an impressionist in her art and sought to portray with objectivity “The significant moment of human relationship.” Her stories are marked with a note of sombreness and are characterised by a haunting sense of sadness and sympathy. Her touch was always right and accurate. Her growth was directed towards the intensity of feeling and maturity of vision. From a rather broad and crude satirist she developed into a master of irony. Her stories Prelude, To the Bay, The Fly, The Garden Party reflect the subtle Psychology. This story shows the authoress’s sensitive perception of subtle feelings and emotions especially of children whose heart and mind, she studied with rare insight.

SUN AND MOON

Part-1

In afternoon the chairs came, a whole big cart full of little gold ones with their legs in the air. And then the flowers came when you stared down from the balcony at the people carrying them. The flower pots looked like funny, awfully nice hats nodding up the path.

Moon thought they were hats. She said : ‘Look. There’s a man wearing a palm on his head.’ But she never knew the difference between real things and not real ones.

There was nobody to look after Sun and Moon. Nurse was helping Annie alter mother’s dress which was much-too-long-and-tight-under the-arms and mother was running all over the house and telephoning father to be sure not to forget things. She only had time to say: “Out of my way, children !

They kept out of her ‘way—at any rate Sun did. He did so hate being sent stumping back to the nursery. It didn’t matter about Moon. If she got tangled in people’s legs they only threw her up and shook her till she squeaked. But Sun was too heavy for that. He was so heavy that the fat man who came to dinner on Sundays used to say: ‘Now, young man, let’s try to lift you.’ and then he’d put his thumbs under Sun’s arms and groan and try and give it up at last saying; ‘He’s a perfect little ton of bricks.’

Nearly all the furniture was taken out of the dining-room. The big piano was put in a corner and then there came a row of flower-pots and then there came the goldy chairs. That was for the concert. When Sun looked in a white-faced man sat at the piano—not playing, but banging at it and then looking inside. He had a bag of tools on the piano and he had

stuck his hat on a stature on the wall. Sometimes he just started to play and then he jumped up again and looked inside. Sun hoped he wasn’t the concert.

But of Course the place to be in was the kitchen. There was a man helping in a cap like a blancmange, and their real cook, Minnie, was all red in the face and laughing. Not cross at all. She gave them each an almond finger and lifted them up on to the flour bin so that they could watch the wonderful things she and the man were making for supper. Cook brought in the things and he put them on dishes and trimmed them. Whole fishes, with their heads and eyes and tails still on, sprinkled with red and green and yellow bits; he made squiggles all over the jellies, he stuck a collar on a ham, and put a very thin sort of fork in it; he doted almonds and tiny round biscuits on the creams. And more and more things kept coming.

‘Ah, but you haven’t seen the ice pudding,’ said Cook. “Come along.’ Why was she being so nice, thought Sun as she gave them each a hand. And they looked into the refrigerator.

Oh! Oh! Oh! It was a little house. It was a little pink house with white snow on the roof and green windows and brown door and stuck in the door there was nut for a handle.

When Sun saw the nut he felt quite tired and had to lean against Cook.

‘Let me touch it. Just let me put my finger on the roof,’ said Moon, dancing. She always wanted to touch all the food. Sun didn’t.

“Now, my girl, look sharp with the table,’ said Cook as the housemaid came in.

‘It’s a picture, Min,’ said Nellie. “Come along and have a look.’ So they all went into the dining-room. Sun and Moon were almost lightened.

They wouldn’t go up to the table at first, they just stood at the door and rnade eyes at it.

हिन्दी वाक्यार्थ- दोपहर के बाद में कुर्सियाँ आयीं, एक बिल्कुल वही गाड़ी हवा अपने पैरों के साथ जिसमें सोने भरे थे। और तब फूल आए जब तुम बालकोनी से कटकी लगाए लोगों को फूल के बर्तनों को आनंदपूर्वक ले जाते देखा, अत्यंत सुंदरता सिर झुकाकर आदर कर रही थी।

चंदा सोचा कि वे लोग आदर कर रहे थे। उसने कहा, “देखो, एक आदमी अपनी हथेलियों से सिर ढके हुए है।” परन्तु वह वास्तविक चीजों और जो वास्तविक नहीं है, में अंतर नहीं जानती थी। ____सूर्य और चंदा को देखने वाला कोई नहीं था। नर्स एन्नी को अपनी माँ के कपड़े जो ज्यादा लम्बा और बाहर में टाइट हो गया था, को बदलने में मदद कर रही थी और माँ घर में चारों ओर घूम रही थी और पिताजी को आग्रह कर रही थी कि वे चीजों को लाना न भूलें। इसके पास केवल यही करने का समय था, “केवल बच्चों को छोड़कर।” – वे उससे बचते रहे किसी भी कीमत पर सूर्य ने किया। वह बागवानी में भारी मन से वापस आते समय इतना घृणा किया जैसा कि चंदा के साथ ऐसी बात नहीं थी, यदि वह लोगों के पैरों पर पड़ जाती थी तो वे उन्हें ऊपर फेंक देते थे और च-चं करने तक उसे धक्का देते थे। लेकिन सूर्य इतना भारी था कि मोटा आदमी जो रविवार के भोज में आया था, ने कहना शुरू किया, ‘अब, युवा आदमी, हमें तुम्हें इच्छित स्थान पर पहुँचा देना चाहिए और तब उसने अपने अंगूठे सूर्य के बाजुओं में डला और कराहने लगा और कोशिश करने लगा और अंत में यह कहते हुए उसे ऊपर उठाया, ‘यह वास्तव में ईंट के समान बहुत अधिक वजन के जैसा है।” – करीब सभी फर्निचर डाइनिंग रूम में ला दिए गए थे। बड़ा पीयानों एक कोने में रखा गया था और तब वहाँ पंक्तिबद्ध फूलों के बर्तन और तब सुनहली कुर्सियाँ आयीं। वह संगीत द्वारा मनोरंजन के लिए था। जब सूर्य के एक उजले चेहरे वाले व्यक्ति को पीयानों के पास बैठे देखा जो बजाता नहीं था, परन्तु उस पर जोर से पीटता था और अदर की ओर देखता था। सूर्य को विश्वास था कि वह बजाने वाला नहीं था।

परन्तु विल्कुल रसोई घर में। एक व्यक्ति जो खीर बनाने में मदद कर रहा था हमशा खाना बनानेवाली मिनी अपने.पर लाली लिए हंस रही थी। किसी हाल में अंज मत जाआ। वह उसके हाथ बादाम दिया और उसे आटा के बर्तन की तरफ जाने की छूट दी ताकि वे उन व्यंजनों की निगरानी कर सके जिन्हें वह और वह आदमी सुंदरता से बना रहे थे । रसोइया समान लाती थी और वह वह व्यंजनों पर उन्ह रखता था और उन्हें हटाता था। सभी मछलियाँ, जिनकी आखें और पूंछ विद्यमान थीं, लाल, हरा और पीले रंग में धीरे-धीरे चमक रही थीं। उसने जेली के चारों ओर घेरा बनाया (लकीर खाचा)। उसने हाथ में पम्प और कांटेदार चम्मच से हल्का चोट किया, उसने बादाम और गोल बिस्किट को मक्खन पर घुमाया। और ज्यादा-से-ज्यादा चीजें आने लगी।

‘आह, लेकिन तुमने ठंढे पकवान को नहीं देखा है, रसोइया ने कहा। . “आओ, ‘वह इतनी खूबसूरत क्या है, सोचो सूर्य उसी की तरह सबों पर हाथ देता है। और रेफ्रीजरेटर (फ्रीज) में देखते थे।

ओह ! ओह ! ओह ! यह छोटा घर था। यह छोटा गुलाबी घर था, जिसकी छत पर बर्फ थे और हरी खिड़कियाँ और भूरे दरवाजे और दरवाजे खोलने के लिए एक नट था।

जब सूर्य ने नट को देखा तो वह बहुत दुखी हुआ और रसोइया के खिलाफ सोचने लगा।

“इसे छूते है। अभी मुझे अपनी ऊंगली छत पर रखने दो, चंदा ने नाचते हुए कहा।। . वह सभी प्रकार के भोजन को छूना चाहती थी, सूर्य ऐसा नहीं कर सकता था।

जैसे ही घर की नौकरानी आई, रसोइए ने कहा-ऐ “मेरी लड़की टेबुल पर जल्दी देखो।’

.. ‘मिन यह कितना सुंदर तस्वीर है, नेली ने कहा । ‘यहाँ आओ और इन्हें देखो।’ फलतः वे सभी खाने वाले कमरे में आ गए । सूर्य और चंदा केवल अवलोकं करते रहे, वे प्रथमतया टेबुल के पास नहीं जा सकते, वे केवल दरवाजे पर खड़ा होकर उन्हें निहारते रहे।

It wasn’t real night yet but the blinds were down in the dining room and the lights turned on-and all the lights were red roses. Red ribbons and bunches of roses tied up the table at the corners. In the middle was a lake with rose petals floating on it. “That’s where the ice pudding is to be”-said Cook.

Two silver lions with wings had fruit on their backs, and the salt cellars were tiny birds drinking out of basins.

‘Are people going to eat the food ? Laughed Cook, laughing with Nellie. Moon laughed, too; she always did the same as other people. But Sun didn’t want to laugh. Round and round he walked with his hands behind his back. Perhaps he never would have stopped if Nurse hadn’t called suddenly

‘Now then, children. It’s high time you were washed and dressed.’ And they were marched off to the nursery.

While they were being unbuttoned mother looked in with a white thing over her shoulders; she was rubbing stuff off her face.

I’ll ring for them when I want them, Nurse, and then they can just come down and be seen and go back again,’ said she.

Sun was undressed first, nearly to his skin and dressed again in a white shirt with red and white daisies speckled on it, breeches with strings at the sides and braces that came over, white socks and red shoes.

Now you’re in your Russian costume,’ said Nurse, flattening, down her fringe.

Am I? said Sun. ‘Yes. Sit quiet in that chair and watch your little sister.’

Moon took ages. When she had her socks put on, she pretended to fall back on the bed and waved her legs at Nurse as she always did, and every time Nurse, tried to make her curls with a finger and a wet brush she turned round and asked Nurse to show her the brooch or something which stuck out, with fur on it, all white; there was even fluffy stuff on the legs of her drawers. Her shoes were white with big blobs on them.

“There you are, my lamb,’ said Nurse. “And you look like a sweet little cherub or a picture of a powder-puff.’ Nurse rushed to the door. ‘Ma’am, one moment.’

Mother came in again with half her hair down. ‘Oh,’ she cried. “What a picture !

‘Isn’t she!’ said Nurse.

And Moon held out her skirts by the tips and dragged one of her feet. Sun didn’t mind people not noticing him—much….

वाक्यार्थ-अभी पूरी रात नहीं हुई थी परन्तु विवेकहीन लोग भोजन वाले एनआने लगे और बत्तियाँ जल उठी और सभी रोशनियाँ लाल-गुलाबी थीं।

और गलाब के गुच्छे पोटली बनाकर कोने में टेबुल पर रखे थे। बीच में झारना नग पर गुलाब की पंखुड़ियाँ तैर रही थीं। यह वही जगह थी जहाँ ठंढे स्वादिष्ट पकवान थे—रसोइये ने कहा।

जाँदी के दो शेर जिनको पंख थे अपनी पीठ पर फल लिए थे, और तहखाने में

कोटी चिड़ियाँ बेसिन में पानी पी रही थीं। और सभी चमकीले गिलास और महंगी “याँ और चाकू चमक रहे थे—और सभी खाना के सामान थे। टेबुल पर रखा तौलिया गुलाबी लग रहा था …..

“रसोइया नेली के साथ हंसते हुए बोला कि क्या सभी भोजन करने जा रहे हैं । टा भी हँसी। वह हमेशा दूसरे लोगों की तरह करती थी। परन्तु सूर्य हँसना नहीं चाहता in अपने हाथों को पीछे किये हुए चारों ओर टहल रहा था। शायद वह नहीं रुका होता यदि नर्स उसे अचानक बुलायी न होती।

“बच्चो ! अब समय हो गया है। तुम लोग मुँह-हाथ धोकर कपड़े पहन लो।” और – वे लोग नर्स की ओर चल दिए। – हालाँकि, उनके बटन खुले थे, जिन्हें उनकी माँ अपने कंधे पर रखे उजले सामान से देख रही थी, वह अपने चेहरे को रगड़ रही थी।

“मैं उन्हें टेलीफोन करूँगी जब मैं उन्हें चाहूँगी, न्यूज, और तब वे शीघ्र नीचे आ – सकते हैं और देखकर वापस चले जायेंगे।” उन्होंने कहा।

सूर्य पहले कपड़ा नहीं पहन रखा था, मुँह को धोया और पुनः एक उजली कमीज जिस पर लाल और उजले रंग चमक रहे थे, पतलून जिसकी डोरी बाहर निकली थी, – पहन लिया। उजला जूता और लाल मोजा पहना।

“अब तुम अपने रूसी पोशाक में हो” नर्स ने उसके कपड़े को समतल (बराबर) _ और नीचे करते हुए कहा।

“क्या मैं ?” सूर्य ने कहा। “हाँ । उस कुर्सी पर चुपचाप बैठ जाओ और अपनी बहन को देखो।’

चंदा समय ले रही थी। जब वह अपना मोजा पहन रही थी, वह बिछावन पर पीछे गरने का नाटक करने लगी और अपने पैरों को नर्स पर गिरा दिया जैसा वह सदैव करती था और हमेशा नर्स अपनी अंगलियों से और भीगे ब्रश से उसे घुमाकर ठीक करने का प्रयास कर रही थी। और नर्स ने उससे साड़ी पीन दिखाने को बोली, जिस पर उजले

र लगे थे, पहनी। उसके जूते उजले थे जिसपर बड़े-बड़े धब्बे थे। . . .. तुम सब मेरे मेमने हो’ नर्स ने कहा । और तुम सुंदर सुगंधित तस्वीर की तरह दिख

हा। नर्स ने दरवाजे पर धक्का दिया। मैडम, एक क्षण। ,

मा अपने बालों को आधा लटकाए पुनः वापस आयो। ‘ओह, यह क्या हुलिया बना रखा है’, वह चिल्लायी।

_ ‘यह वह नहीं है।’ नर्स ने कहा।

चंदा अपने स्कर्ट के सिरा को मजबूती से पकड़कर कठिनाई से अपना कदम बढ़ा रही थी। सूर्य को परवाह नहीं था कि लोग उसकी ज्यादा सूध नहीं ले रहे थे ज्यादा ।…..

Part-II

After that they played clean tidy games up at the table while Nurse stood at the door and when the carriages began to come and the sound of laughter and voices and soft rustlings came from down below she whispered: ‘Now then children, stay where you are.’ Moon kept jerking the table-cloth so that it all hung down her side and Sun hadn’t any-and then she pretended she didn’t do it on purpose.

At last the bell rang. Nurse pounded at them with the hair brush, flattened his fringe, made her bow stand on end and joined their hands together.

‘Down you go!’ she whispered.

And down they went. Sun did feel silly holding Moon’s hand like that but Moon seemed to like it. She swung her arm and the bell on her coral bracelet jingled.

At the drawing-room door stood mother fanning herself with a black fan. The drawing-room was full of sweet smelling, silky, rustling ladies and men in black with funny tails on their coats—like beetles. Father was among them, talking very loud, and rattling something in his pocket.

‘What a picture!’ cried the ladies. ‘Oh, the ducks ! Oh, the lambs! Oh, the sweets! Oh, the pets!’

All the people who couldn’t get at Moon kissed Sun, and a skinny old lady with teeth that clicked said: “Such a serious little poppet,’ and; rapped him on the head with something hard.

Sun looked to see if the same concert was there, but he was gone. Instead, a fat man with a pink head leaned over the piano talking to a girl who held a violin at her ear.

There was only one man that Sun really liked. He was a little grey man, with long grey whiskers, who walked about by himself. He came up to Sun and rolled his eyes in a very nice way and said:

‘Hullo, my lad.’ Then he went away. But soon he came back again and said: ‘Fond of dogs ?’ Sun said: ‘Yes.’ But then he went away again, and though Sun looked for him everywhere he couldn’t find him. He thought perhaps he’d gone outside to fetch in a puppy.

“Goodnight, my precious babies,’ said, mother, folding them up in her bare arms. ‘Fly up to your little nest.’

Then Moon went and made a silly of herself again. She put up her arms in front of everybody and said: ‘My daddy must carry me.’

But they seemed to like it, and Daddy swooped down and picked her up as he always did.

Nurse was in such a hurry to get them to bed that she even interrupted Sun over his prayers and said:

‘Get on with them, child, do.’ And the moment after they were in bed and in the dark, except for the night-light in its little saucer.

‘Are you asleep ? aked Moon. ‘No,’ said Sun. ‘Are you ?

‘No,’ said Moon.

A long while after Sun woke up again. There was a loud, loud noise of clapping from downstairs, like when it rains. He heard Moon turn over.

‘Moon, are you awake ? ‘Yes, are you?

हिन्दी वाक्यार्थ इसके बाद वे लोग टेबुल पर खेले जबकि नर्स दरवाजे पर खड़ी रही और जब घोड़ागाड़ी आने लगी और नीचे से हँसने-गुनगुनाने आदि की आवाजें आने । लगी, उसने बहुत धीमी आवाज में कहा, “बच्चे तुम जहाँ हो अब वहीं रुक जाओ” चदा ने टेबुल क्लॉथ को ऐसा झाड़ा कि वह उसके बगल में बिल्कुल लटक गया और सूर्य ने कुछ नहीं किया-और तब उसने बहाना बनाया कि किसी उद्देश्य से ऐसा नहीं किया था। ।

अंत में घंटी बजी । नर्स कंघी लिए उनके तरफ दौड़ी, उसके झालर को सीधा किया. अंत में उनको सीधा खड़ा किया और उनके हाथ एक साथ कर दी। . वह धीमी आवाज में बोली, “तुम लोग नीचे जाते हो।’ और वे सब नीचे चले गए।

सूर्य इस प्रकार चंदा के हाथ पकड़े रख अपने को मूर्ख महसूस कर रहा था लेकिन चंदा को यह अच्छा लग रहा था। वह अपनी बाहों को आगे-पीछे घूमा रही थी जिससे उसके मूंगा के ब्रासलेट से टनटन की आवाज आ रही थी। स्वागत कक्ष के दरवाजे पर माँ काला पंखा से पंखा झल रही थी। स्वागत कक्ष मिठाइयों के सुगंध से सुगंधित था।

महिलाओ के सिल्क की साड़ियों से सर-सर की ध्वनि उत्पन्न हो रही थी और पुरुष … अपने कोट पर विचित्र काले पूँछ धारण किए थे-फतिंगों की तरह। पिताजी उनलोगों के बीच बहुत जोर-जोर से बातें कर रहे थे और अपने पॉकेट में कुछ सुखदायी रख रहे थे।

क्‍या नजारा है!’ महिलाएँ चिल्लायी। वाह! बतकें ! वाह मेमने! वाह मिठाइया । ना प्रिय हैं ! सभी, जो चंदा तक नहीं पहुँच सके, सूर्य को चुमे और एक बूढ़ी महिला दाँत निकाले तीखी आवाज में बोली, बड़ा खतरनाक छोटा पोपेट है और कुछ जोर वस्तु से उसके माथे पर मार दिया।

सूर्य यह देखने के लिए ताका कि यदि वहाँ इस प्रकार का आयोजन था, लेकिन वह चला गया था। उसके बदले में, एक व्यक्ति जिसका सर (माथा) गुलाबी प्यानों पर का था, एक लड़का जा अपन कान में वायोलिन धारण किए थी, के साथ ।

वहाँ केवल एक व्यक्ति था जिसको सूर्य सचमुच पसंद करता था। वह था वह छोटा ग्रे रंग के गलमोच्छा वाला व्यक्ति, जो टहलकर उसके पास आया था। वह सूर्य के पास आया और उसको प्यार से देखते हुए बोला :

‘हल्लो मेरे बच्चे’ ‘तब वह चला गया। परन्तु शीघ्र ही वह वापस आया और बोला, को पसंद करते हो ?’ सूर्य ने कहा, ‘हाँ’, परन्तु जब वह पुनः चला गया और सूर्य चारों ओर देखा। वह उसे नहीं मिला। उसने सोचा शायद वह बाहर कुत्ता के बच्चे

को लाने गया हो।

गड नाइट (रात्रि नमस्कार) मेरे बुद्धिमान बच्चो, माँ ने कहा और उन्हें अपने खुले हाथों में उठा लिया। ‘अपने छोटे घोसले में उड़ जाओ।’

तब चंदा गई और पुनः अपने को मूर्ख बनाई। वह सबों के सामने अपने हाथों को उठाकर बोली, “मेरे डैडी मुझे अवश्य ले जाएँगे।”

परन्तु डैडी, इस प्रकार दिखाई दे रहे थे, जैसे नीचे उतरेंगे और उसे ऊपर उठा लेंगे जैसा वे बराबर करते थे।  नर्स उनलोगों को बिछावन (बिस्तर) पर ले जाने की जल्दबाजी में थी कि उसने सूर्य की प्रार्थना में बाधा डाल दी और बोली !

बच्चे उनके साथ ऊपर आ जाओ, आओ। और उस समय के उपरांत वे शयन कक्ष में थे और अंधेरे में केवल रात की रोशनी के अलावा कुछ नहीं था।

‘क्या तुम सोये हुए हो?’ चंदा ने पूछा।

‘नहीं’, सूर्य बोला, ‘और तुम ?’ ..

‘नहीं’ चंदा बोली।

लम्बे समय के उपरांत सूर्य पुनः जग गया। नीचे से जोर-जोर की आवाज आ रही था। तालियों की गड़गड़ाहट (शोरगुल) सुनाई पड़ रही थी जैसे कि वर्षा होते वक्त होती है। वह चंदा को मुड़ते सुना (देखा)।

‘चंदा, क्या तुम जग गई ?

‘हाँ’, तुम भी?

“Yes. Well, let’s go and look over the stairs.’

They had just got settled on the top step when the drawing-room door opened and they heard the party cross over the hall into the dining room. Then that door was shut; there was a noise of ‘pops’ and laughing, then that stopped and Sun saw them all walking round and round the lovely table with their hands behind their backs like he had done.

Round and round they walked, looking and staring. The man with the grey whiskers liked the little house best. When he saw the hut for a handle he rolled his eyes like he did before and said to Sun’ : ‘Seen the nut ?

‘Don’t nod your head like that, Moon.’ ‘I’m not nodding. It’s you.’ ‘It is not. I never nod my head.’

O oh, you do. You’re nodding it now.’ *I’m not. I’m only showing you how not to do it.’

When they woke up again they could only hear father’s voice very loud, and mother, laughing away. Father came out of the dining-room, bounded up the stairs, and nearly fell over them.

‘Hullo,’ he said ‘By Jove, Kitty, come and look at this.’

Mother came out. ‘Oh, you naughty children,’ said she from the hall.

‘Let’s have ’em down and give ’em a bone,’ said father. Sun had never seen him so jolly. : ‘No, certainly not,’ said mother.

Oh, my daddy, do! Do have us down,’ said Moon. ‘I’m hanged if I won’t,’ cried father. ‘I won’t be bullied. Kitty—way there.’ And he caught them up, one under each arm.

Sun thought mother would have been dreadfully cross. But she wasn’t. She kept on laughing at father.

‘Oh you dreadful boy!’ said she. But she didn’t mean Sun.

“Come on, kiddies. Come: and have some pickings,’ said this jolly father. But Moon stopped a minute. ‘Mother ! your dress is right off one side.’

‘Is it ?’ said mother. And father said ‘Yes’ and pretended to bite her white shoulder, but she pushed him away.

And so they went back to the beautiful dining-room. But-oh! what had happened. The ribbons and the roses were all pulled untied. The little red table napkins lay on the floor, all the shining plates were dirty and all the glasses winking. The lovely food that the man had trimmed was all thrown about, and there were bones and bits an fruit peels and shells everywhere. There was even a bottle lying down with stuff coming out of it on to the cloth and nobody stood it up again.

And the little pink house with the snow room and the green windows was broken-broken-half melted away in the centre of the table.

: ‘Come on, Sun,’ said father, pretending not to notice. Moon lifted the tip of her pyjama legs and shuffled up to the table and stood on a chair, squeaking away.

‘Have a bit of this ice, said father, smashing in some more of the roof.’.

Mother took a little plate and held it for him; she put her other arm round his neck.

‘Daddy, Daddy,’ shrieked Moon. “The little handle’s left. The little nut. Kin I eat it? And she reached across and picked it out of the door and scrunched it up, biting hard and blinking.

‘Here, my lad,’ said father.

But Sun did not move from the door. Suddenly he put up his head and gave a loud wail.

‘I think it’s horrid-horrid-horrid!’ he sobbed. “There, you see!’ said mother. ‘You see!’ ‘Off with you,’ said father, no longer jolly. “This moment. Off you go!’ And wailing loudly, Sun stumped off to the nursery.

हिन्दी वाक्यार्थ- हाँ, अच्छा हमलोग सीढ़ियों से नीचे चलकर देखें । . वे लोग सीढ़ी के ऊँचे पौदान पर बैठ गए, जब स्वागत कक्ष के दरवाजा खुला और वे डाइनिंग रूम के हॉल में जो पार्टी चल रही थी, को सुना। तब वह दरवाजा पुनः बंद हो गया था, पाँच और हंसी की आवाजें आ रही थीं, तब ये सब रुक गए सूर्य ने देखा वे सभी अपनी वहाँ को पीछे किए टेबुल के चारों ओर घूम रहे थे। ग्रे रंग की गलमूंछा वाला व्यक्ति छोटे घर में सबसे अच्छा दिखता था। जब उसने झोपड़ी को हाथ से पकड़ने के लिए देखा उसने पहले की तरह आँखें गड़ाकर सूर्य को देखा और कहा, ‘‘बादाम देखा है ?

‘चंदा, इस प्रकार अपना सिर मत झुकाओ।’ ‘मैं तुम्हारे जैसा सिर नहीं झुका रहा हूँ।” ‘ऐसा नहीं है। मैंने अपना सिर कभी नहीं झुकाया है।’ ‘अच्छा, तुम ऐसा करते हो। अब तुम इसे झुका रहे हो।’ मैं नहीं। मैं केवल तुम्हें यह दिखा रहा हूँ कि ऐसे नहीं करना चाहिए।’

जब वे लोग पुनः जगे तो उन्होंने पिताजी की जोर-जोर की आवाज सुनी और माँ हंसती जा रही थी। पिताजी भोजनालय से बाहर आए, सीढ़ियों पर उछले और उनपर गिर पड़े।

‘हूलो’, उसने कहा, ‘जोन, कीटी, आओ और यह देखो।

माँ आयी। ‘और तुम शैतान बच्चे,’ उन्होंने हॉल से ही बोला। _ ‘हम लोग नीचे चलें उन्हें एक हड्डी दें, पिताजी बोले, सूर्य ने उन्हें इतना खुश कभी नहीं देखा था।

“निश्चय ही नहीं’ माँ ने कहा।

सूर्य ने सोचा माँ भयानक काम पर कर रही थीं। लेकिन वह ऐसी नहीं थीं। वह पिताजी पर हंस रही थीं।

और शैतान लड़का ।’ माँ ने कहा। लेकिन सूर्य वह नहीं समझ सका । ‘बच्चो आओ ! आओ कुछ पीने को लो।

ऐसा, आनंदित पिताजी ने कहा, परन्तु चंदा एक मिनट के लिए रुक गई। ‘माँ तम्हारी पोशाक एक तरफ से ठीक नहीं है।

‘ऐसा है ?’ माँ ने कहा । और पिताजी ने कहा, ‘हाँ और बहाना बताकर उनके उजले कंधे को पकड़ा, लेकिन वह उन्होंने दूर धकेल दिया। या और इस प्रकार वे लोग सुंदर भोजन कक्ष में वापस गए। लेकिन आह ! क्या हुआ था। रिवन और गुलाब सभी बिखरे पड़े थे और हड्डी, फल के छिलके सभी जगह पड़े हए थे। सतह पर टेबुल का नेपकिन गिरा था, सभी चमकीले और चमचमाते तस्तरियाँ और गिलास गंदे थे। सुंदर भोजन जिसे उस आदमी ने साफ सुथरा बनाया था, चारों ओर बिखरे थे और हड्डी, फल के छिलके सभी जगह पड़े हुए थे। बोतलें गिरी पड़ी थीं, जिनमें से दुर्गध आ रहा था और वहाँ दोबारा कोई कैसे बैठेगा। है और छोटा गुलाबी घर, जिसमें ठंडे कमरे तथा हरे रंग की खिड़कियाँ भी टूटी पड़ी थीं—टेबुल के बीच का आधा भाग गिर गया था।

‘सूर्य, आओ, पिताजी ने कहा, बहाना बनाकर उसने कोई ख्याल नहीं किया।

चंदा धीरे-धीरे अपने पैरों के पैजामा को हाथों से उठाए सरकते हुए टेबुल तक गयी और एक कुर्सी पर खड़ी हो गई और आवाज करने लगी। यह बर्फ का टुकड़ा है, पिताजी बोले, छत पर कुछ और टुकड़े हो गए थे। __माँ ने एक छोटा प्लेट उठाया और बोली—यह तुम्हारे लिये है। अपना दूसरा हाथ उसके गर्दन में लपेटे हुई थी।

‘डेडी, डेडी, चंदा ठहाका लगाती। छोटा हथोड़ा लाएँगी। छोटा बादाम किन में इसे खाती हूँ और वह पार कर पहुँच गई और इसे घर के बाहर से उठा लायी और इसे ऊपर उठायी, जोर से पीटने लगी और आँखें बंद करने लगी।

‘यहाँ, मेरे बच्चे, पिताजी ने कहा।

लेकिन सूर्य दरवाजे से नहीं हिला। अचानक उसने अपना सिर ऊपर किया और जोर-जोर से क्रंदन करने लगा।

‘मैं सोचता हूँ यह अरुचिकर है, अरुचिकर, सिसकते हुए उसने कहा। __ ‘यहाँ, तुम देखते हो !’ माँ ने कहा, ‘तुम देखो।’

‘समाप्ति तुम्हारे साथ पिताजी ने कहा, लम्बी खुशी नहीं रहती। ‘इस क्षण, समाप्त आप जाओ। और जोर-जोर से क्रंदन करनते हुए बागवानी तक उछलते गया।