कक्षा 10 विज्ञान भाग 2 पाठ 14 ऊर्जा के स्रोत | Urja Srot class 10th solution in Hindi

इस लेख में बिहार बोर्ड कक्षा 10 विज्ञान के पाठ 14 ‘ ऊर्जा के स्रोत ( Urja Srot class 10th solution in Hindi)’ को पढ़ेंगे।

Urja Srot class 10th solution in Hindi

14. ऊर्जा के स्रोत

(पृष्ठ : 273 )

पाठ में दिए हुए प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. ऊर्जा का उत्तम स्रोत किसे कहते हैं ?

उत्तर : ऊर्जा का उत्तम स्रोत के निम्नलिखित लक्षण पाये जाते हैं
(i) सरलता से सुलभ हो सके ।
(ii) भंडारण तथा परिवहन में आसान हो ।
(iii) सस्ता तथा रखरखाव में सुविधाजनक हो ।
(iv) प्रति इकाई द्रव्यमान में अधिक ताप देना हो ।

प्रश्न 2. उत्तम ईंधन किसे कहते हैं ?

उत्तर उत्तम ईंधन के लक्षण :
(i) इसका ऊष्मीय मान अधिक होना चाहिए ।
(ii) इसका ज्लवन ताप उचित होना चाहिए ।
(iii) इसके दहन की दर संतुलित होना चाहिए ।
(iv) यह सस्ता होना चाहिए ।
(v) दहन के बाद विषैली गैस नहीं निकलनी चाहिए ।
(vi) इसका भंडारण तथा प्रयोग विधि सरल तथा सुरक्षित होनी चाहिए ।
(vii) इसके जलने के बाद अवशेष पदार्थ कम-से-कम बचना चाहिए ।
(viii) यह सरलता से पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होना चाहिए ।

प्रश्न 3. यदि आप अपने भोजन को गरम करने के लिए किसी भी ऊर्जा स्रोत का उपयोग कर सकते हैं तो आप किसका उपयोग करेंगे और क्यों ?

उत्तर ऊर्जा के नवीन स्रोत L. P. G. का उपयोग करेंगे, क्योंकि यह जलाने में आसान है। इसकी कार्यक्षमता अधिक होती है। वायु प्रदूपण नहीं होता जिससे इसका प्रयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है। इसमें ईंधन का व्यय कम होता है, कारण कि आवश्यकतानुसार ही इसका उपयोग किया जा सकता है।

( पृष्ठ: 279 )

प्रश्न 1. जीवाश्मी ईंधन की क्या हानियाँ हैं ?

उत्तर – जीवाश्मी ईंधन उपयोग करने से निम्नलिखित हानियाँ हैं
(i) इसके बनने में लाखों वर्ष लगते हैं ।
(ii) इसे जलाने से वायु प्रदूषित हो जाती है। वर्षा के जल में इस गैस के घुलने पर अम्ल वर्षा होती है, जिससे प्राचीन इमारतों को हानि पहुँचती है।
(iii) इन गैसों से मौसम पर दूरगामी कुप्रभाव होते हैं। CO गैस एक विषैली गैस हैं, जो जीवों पर विषैला प्रभाव छोड़ती है ।
(iv) इसके जलने से SO2 गैस बनती है जो श्वसन को हानि पहुँचाती है।
(v) यह ईंधन का अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है

प्रश्न 2. हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर क्यों ध्यान दे रहे हैं ?

उत्तरप्रौद्योगिकी में उन्नति के साथ-साथ ऊर्जा की अधिक खपत हो रही है, साथ ही ऊर्जा की माँग में दिन-प्रतिदिन वृद्धि हो रही है । हमारी जीवन शैली में भी निरंतर परिवर्तन हो रहे हैं। हम अपने कार्यों को सम्पन्न करने के लिए अधिकाधिक मशीनों का उपयोग करते हैं । इसलिए हम ऊर्जा के वैकल्पित स्रोतों की ओर आकर्षित हो रहे हैं ।

प्रश्न 3. हमारी सुविधा के लिए पवनों तथा जल ऊर्जा के पारंपरिक उपयोग में किस प्रकार के सुधार किए गए हैं ?

उत्तरपवन तथा जल ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत हैं । ऊर्जा के स्रोत सीमित होने के कारण तथा तकनीक विकास के कारण जल तथा पवन ऊर्जा को विकसित किया जा रहा है। इनमें काफी सुधार किया जा रहा है। पवन चक्की द्वारा पवन ऊर्जा का उपयोग कुएँ से पानी निकालने में किया जाता है, जल द्वारा पनबिजली तैयार किया जा रहा है, जिससे विभिन्न प्रकार की मशीनों को चलाया जा रहा है ।

( पृष्ठ: 285 )

प्रश्न 1. सौर कुकर के लिए कौन-सा दर्पण अवतल, उत्तल अथवा समतल सर्वाधिक उपयुक्त होता है । क्यों ?

उत्तरसौर कुकर के लिए अवतल दर्पण सर्वाधिक उपयुक्त होता है, क्योंकि यह दर्पण सूर्य से आनेवाली सभी किरणों को एक बिंदु पर अभिसारित करता है तथा अत्यधिक ऊर्जा प्रदान करता है।

प्रश्न 2. महासागरों से प्राप्त हो सकनेवाली ऊर्जाओं की क्या सीमाएँ हैं ?

उत्तरमहासागरों से प्राप्त ऊर्जा की क्षमता अति विशाल है लेकिन इसके दक्षतापूर्ण व्यापारिक दोहन में कठिनाइयाँ बहुत अधिक हैं ।

प्रश्न 3. भूतापीय ऊर्जा क्या होती है ?

उत्तरभूमि के निचले भाग में पिघली चट्टानें (तप्त जल) जब पृथ्वी बाहर निकलती हैं तो ऊष्मा प्राप्त होती है, जिसे भूतापीय ऊर्जा कहते हैं।

 प्रश्न 4. नाभिकीय ऊर्जा का क्या महत्त्व है ?

उत्तरयह एक गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोत है । परमाणु रिएक्टर में ऊष्मा उत्पन्न होती है, उससे जल को भाप के रूप में परिवर्तित किया जाता है । यह भाप टरबाइन को घुमाने का काम करता है, जिससे विद्युत का उत्पादन होता है ।

प्रश्न 5. क्या कोई ऊर्जा स्रोत प्रदूषण मुक्त हो सकता है ? क्यों अथवा क्यों नहीं ?

उत्तरकोई ऊर्जा स्रोत प्रदूषण मुक्त नहीं हो सकता है । क्योंकि यदि ऊर्जा की खपत होती है तो वातावरण असंतुलित होता है । जैसे लकड़ी को जलाने से CO2, SO2 आदि बनाता है जिससे पर्यावरण असंतुलित हो जाता है। सौर ऊर्जा के अधिक उपयोग भूमंडल ऊष्मीय प्रभाव उत्पन्न होता है ।

प्रश्न 2. रॉकेट ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग किया जाता रहा है ? क्या आप इसे CNG की तुलना में अधिक स्वच्छं ईंधन मानते हैं ? क्यों अथवा क्यों नहीं ?

उत्तर रॉकेट ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग किया जाता रहा है। हाइड्रोजन को C.N.G. की तुलना में अधिक स्वच्छ ईंधन मानते हैं क्योंकि C. N. G. एक परंपरागत ऊर्जा स्रोत है, जबकि हाइड्रोजन एक नवीन ऊर्जा स्रोत है। C.N.G. का कैलोरी मान हाइड्रोजन की अपेक्षा कम है। हाइड्रोजन गैस C.N.G. की तुलना में प्रदूषण न के बराबर फैलाता है ।

( पृष्ठ: 286 )

प्रश्न 1. ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप नवीकरणीय मानते हैं। अपने चयन के लिए तर्क दीजिए ।

उत्तर- (i) पवन ऊर्जा तथा (ii) जल ऊर्जा को हम नवीकरणीय मानते हैं । कारण निम्नलिखित हैं :

(i) पवन ऊर्जा – पवन ऊर्जा का उपयोग हम लोग पवन चक्की के रूप में करते हैं। पृथ्वी का घूर्णन तथा स्थानीय परिस्थितियों वायु के इस प्रवाह में बाधा डालती हैं, जिससे पवन उत्पन्न होता है । विभिन्न चालों से वायु प्रवाहित होने लगती है । इस प्रकार इस ऊर्जा का नवीकरण होते रहता है ।

(ii) जल ऊर्जाप्रवाहित जल आज ऊर्जा का मुख्य स्रोत बना हुआ है। जल के द्वारा टरबाइनों के ब्लेड घुमाये जाते हैं, जिससे विद्युत उत्पन्न होता है । इसके लिए जलाशय में जमा जल ऊँचाई से टरबाइनों के ब्लेडों पर गिराते हैं। फिर पानी बहते समुद्र में चला जाता है। जल चक्र के कारण पानी बर्फ के रूप में पहाड़ों पर पहुँच जाता हुए है । इस प्रकार जल ऊर्जा का नवीकरण होता रहता है।

प्रश्न 2. ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप समाप्त मानते हैं । अपने चयन के लिए तर्क दीजिए ।

उत्तर – कोयला तथा पेट्रोलियम असीमित नहीं है । एक न एक दिन इन्हें समाप्त होना ही है । इसको बनने में लाखों वर्ष लग जाते हैं । फिर यह निश्चित नहीं कि ये बनेंगे भी या नहीं ।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनक उत्तर

प्रश्न 1. गर्म जल प्राप्त करने के लिए हम सौर जल तापक का उपयोग किस दिन नहीं कर सकते :

(a) धूप वाले दिन            (b) बादलों वाले दिन           (c) गरम दिन            (d) पवनों (वायु) वाले दिन

उत्तर- (b) बादलों वाले दिन ।

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन जैवमात्रा ऊर्जा स्रोत का उदाहरण नहीं है:

(a) लकड़ी              (b) गोबर गैस         (c) नाभिकीय ऊर्जा                  (d) कोयला

उत्तर (c) नाभिकीय ऊर्जा ।

प्रश्‍न 3. ऊर्जा स्रोत के रूप में जिवाश्‍मी ईंधनों तथा सुर्य की तुलना कीजिए और उनके अंतर लिखिए ।

(ii) इनका भंडारण सीमित होता है, अतः इनका लंबे समय तक उपयोग नहीं कर सकते ।
(iii) इनको प्राप्त करने के लिए मूल्य देना पड़ता है ।
(iv) इसका उप]योग किसी समय किया जा सकता है।
(v) इनको जलाने से वातवरण प्रदूषित होता है ।

सौर ऊर्जा (सूर्य) :
(i) यह गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोत है ।
(ii) यह सबसे बड़ा ऊर्जा स्रोत है। इसको लंबे समय तक उपयोग कर सकते हैं ।
(iii) इसको प्राप्त करने के लिए मूल्य नहीं देना पड़ता है।
(iv) इसका उपयोग केवल बादलविहीन दिनों में कर सकते हैं ।
(v) इसके उपयोग से वायु प्रदूपित नहीं होती है ।

प्रश्न 4. जैवमात्रा तथा ऊर्जा स्रोत के रूप में जल वैद्युत की तुलना कीजिए और उनमें अंतर लिखिए ।

उत्तर – जैवमात्रा तथा जलविद्युत में अंतर :

जैवमात्रा :
(i) यह परंपरागत तथा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है ।
(ii) यह सस्ता ऊर्जा स्रोत है ।
(iii) इसमें रासायनिक ऊर्जा होती है ।
(iv) इसके उपयोग से वातावरण प्रदूषित हो जाती है ।
(v) इसके उपयोग करने पर पारिस्थितिकीय असंतुलन होने का डर रहता है ।

जलविद्युत :
(i) यह भी परंपरागत तथा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है ।
(ii) यह महँगा ऊर्जा स्रोत है ।
(iii) इसमें बहते हुए जल की गतिज ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है ।
(iv) इसके उपयोग से वातावरण प्रदूपित नहीं होता ।
(v) इसके लिए बाँध बनाने पर पारिस्थितिकीय असंतुलन उत्पन्न होता है ।

प्रश्न 5. निम्नलिखित से ऊर्जा निष्कर्पित करने की सीमाएँ लिखिए :

(a) पवन                (b) तरंगें                      (c) ज्वारभाटा

उत्तर (a) पवन ऊर्जा की सीमाएँ
(i) इसका उपयोग हर जगह, हर समय नहीं कर सकते हैं
(ii) इसके द्वारा विद्युत उत्पन्न करने के लिए हवा का वेग लगभग 10 से 15 km/h होना चाहिए |

(b) तरंग ऊर्जा की सीमाएँ :
(i) तरंग ऊर्जा को विद्युत में बदलने का उपकरण महँगा पड़ता
(ii) इससे हमेशा विद्युत उत्पन्न नहीं किया जा सकता ।

(c) ज्वार ऊर्जा की सीमाएँ :
(i) इसको बनाने के लिए स्थान सीमित हैं
(ii) इससे विद्युत ऊर्जा बनाने में काफी खर्च पड़ता है

प्रश्न 6. ऊर्जा स्रोतों का वर्गीकरण निम्नलिखित वर्गों में किस आधार पर करेंगे :
(a) नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय
(b) समाप्य तथा अक्षय

क्या (a) तथा (b)) के विकल्प समान हैं ?

उत्तर—(a) नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत जिन ऊर्जा स्रोतों को हमेशा अर्थात् बार-बार उपयोग कर सकते हैं, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत कहलाते हैं। जैसे पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा तथा जल ऊर्जा ।

अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत जिन स्रोतों को बार-बार उपयोग नहीं कर सकते हैं। उन्हें अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत कहा जाता है। एक बार समाप्त होने के बाद इन्हें पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता । जैसे पेट्रोलियम तथा कोयला ।

(b) समाप्य तथा अक्षय ऊर्जा स्रोत – अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत को बनने में लाखों वर्ष लगते हैं तथा काफी समय तक इनका उपयोग नहीं कर सकते हैं। जैसेकोयला, पेट्रोलियम । जबकि नवीकरणीय स्रोत का उपयोग बार-बार कर सकते हैं। जैसे सौर ऊर्जा, जल ऊर्जा तथा पवन ऊर्जा इत्यादि । बार-बार प्राप्त होनेवाले ऊर्जा स्रोतों को अक्षय ऊर्जा स्रोत भी कहते हैं ।

हाँ, (a) तथा (b) का विकल्प समान हैं

प्रश्न 8. ऊर्जा के आदर्श स्रोत में क्या गुण होते हैं ?

उत्तर : ऊर्जा के आदर्श स्रोत के निम्नलिखित गुण होते हैं :
(i) इसका ऊष्मीय मान अधिक होता है ।
(ii) इसका प्रज्वलन ताप उचित होता है।
(iii) इसका मूल्य दर अधिक न होकर सस्ता होता है ।
(iv) इसका भंडारण, परिवहन तथा प्रयोग विधि सरल एवं सुरक्षित होता है ।
(v) यह आसानी से प्राप्त होता है ।
(vi) इसके जलने पर अवशेष पदार्थ कम-से-कम बचते हैं ।
(vii) इनके उपयोग से पर्यावरण प्रभावित नहीं होता ।

प्रश्न 9. सौर कुकर का उपयोग करने के क्या लाभ तथा हानियाँ हैं ? क्या ऐसे भी क्षेत्र हैं जहाँ सौर कुकरों की सीमित उपयोगिता है ?

उत्तर- सौर कुकर के उपयोग के लाभ :
(i) सौर ऊर्जा के उपयोग हम निःशुल्क करते हैं। इसलिए यह काफी सस्ता है।
(ii) सौर ऊर्जा के उपयोग से पर्यावरण प्रदूषित नहीं होता है ।
(iii) इससे भोजन बनाने में किसी प्रकार का खतरा नहीं होता ।

सौर कुकर के उपयोग की हानि :
(i) इससे भोजन बनाने में अधिक समय लगता है ।
(ii) हर जगह हर समय सूर्य की रोशनी उपलब्ध नहीं रहती है।
(iii) बदली में तथा रात में इसका उपयोग नहीं कर सकते हैं ।
(iv) कुकर के परावर्तक सतह की दिशा को लगातार बदलते रहना पड़ता है, क्योकि सूर्य के किरणों की दिशा बदलती रहती है ।

सौर कुकर के सीमित उपयोगिता वाले क्षेत्र : पहाड़ी क्षेत्रों में सौर कुकर का उपयोग नहीं करते हैं, क्योंकि यहाँ सूर्य की किरणें कम समय तक तथा तिरछी पड़ती है । ध्रुवों पर भी सूर्य की किरण आधे वर्ष नहीं दिखाई पड़ती हैं। इस कारण स्थानों पर सौर ऊर्जा का उपयोग सीमित है ।

प्रश्न 10. ऊर्जा की बढ़ती माँग के पर्यावरणीय परिणाम क्या हैं ? ऊर्जा की खपत को कम करने के उपाय लिखिए ।

उत्तर – ऊर्जा की बढ़ती माँग पर्यावरण के लिए प्रत्यक्ष खतरा है। कोयला, पेटोलियम या नाभिकीय ऊर्जा किसी का उपयोग खतरा से खाली नहीं है। कोयला की खानों से कोयला निकाल लेने के बाद वहाँ की भूमि धँसने की आशंका रहती हैं। इनकी जितनी अधिक माँग होगी, उसी अनुपात में इनका निष्कासन होगा। उसी अनुपात में इनका उपयोग भी बढ़ेगा। इससे पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ना निश्चित है ।
आज के युग में ऊर्जा की खपत में कमी लाने का कोई उपाय नजर नहीं आता। खपत तो होंगी ही । हाँ, इतना भर किया जा सकता है कि हम उन्हीं ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करें, जिनसे पर्यावरण पर कोई खतरा नहीं हो । नए-नए ऊर्जा स्रोतों की खोज की जाय ।

Read more- Click here
You Tube – Click here

कक्षा 10 विज्ञान भाग 2 पाठ 12. विद्युत | Vidyut class 10th solution in Hindi

इस लेख में बिहार बोर्ड कक्षा 10 विज्ञान के पाठ 12 ‘ विद्युत ( Vidyut Dhara class 10th solution in Hindi)’ को पढ़ेंगे।

Vidyut  class 10th solution in Hindi

12. विद्युत

( पृष्ठ: 222 )

पाठ में दिए हुए प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. विद्युत परिपथ का क्या अर्थ है ?

उत्तरवैसी व्यवस्था, जिसमें विद्युत धारा प्रवाहित होती है, उसे विद्युत परिपथ कहते हैं। इसमें बैटरी, चालक, प्रतिरोध, स्विच तथा अनेक उपकरण जुड़े होते हैं

प्रश्न 2. विद्युत धारा के मात्रक की परिभाषा लीखिए ।

उत्तर – विद्युत धारा का मात्रक ऐम्पियर होता है । इसे ‘A’ द्वारा सूचित किया जाता है। जब किसी चालक से 1 सेकेण्ड तक 1 कूलम्ब धारा प्रवाहित होती है तब उस प्रयुक्त विद्युत धारा की मात्रा को 1 ऐम्पियर कहते हैं ।

( पृष्ठ: 224 )

प्रश्न 1. उस युक्ति का नाम लिखिए जो किसी चालक के सिरों पर विभवांतर बनाए रखने में सहायता करती है ।

उत्तर – उस युक्ति का नाम ‘रोल’ है, जो विभवान्तर बनाए रखने में सहायता करती है।

प्रश्न 2. यह कहने का क्या तात्पर्य है कि दो बिंदुओं के बीच विभवांतर IV है ?

उत्तर – दो बिंदुओं के बीच विभवान्तर IV है का अर्थ है कि | कुलॉग का आवेश के साथ 1 जूल कार्य होता है ।

प्रश्न 3.6 V बैटरी से गुजरनेवाले हर एक कूलॉम आवेश को कितनी ऊर्जा दी जाती है ?

उत्तर सूत्र से, ऊर्जा (W) = VQ = 6 V x ly = 6 J (जूल) ।

(पृष्ठ : 232 )

प्रश्न 1. किसी चालक का प्रतिरोध किन कारकों पर निर्भर करता है ?

उत्तर- किसी चालक का प्रतिरोध निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है :
(i) किसी चालक का प्रतिरोध उसकी लम्बाई के समानुपाती होता है ।
Roc 1, जहाँ R = प्रतिरोध, 1 = तार की लम्बाई ।
(ii) किसी चालक का प्रतिरोध उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल का उलटा और समानुपाती होता है ।
(iii) चालक का प्रतिरोध उसके प्रकृति पर भी निर्भर करता है, जैसे सिल्वर के चालक का प्रतिरोध 1.6 x 10-92, जबकि ऐलुमिनियम का प्रतिरोध 2.63 × 108 2 है ।

प्रश्न 2. समान पदार्थ के दो तारों में यदि एक पतला तथा दूसरा मोटा हो, तो इनमें से किसमें विद्युत धारा आसानी से प्रवाहित होगी, जबकि उन्हें समान विद्युत स्रोत से संयोजित किया जाता है ? क्यों ?

उत्तरहम जानते हैं कि किसी चालक का प्रतिरोध उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल का उलटा और समानुपाती होता है । इसलिए मोटे चालक का प्रतिरोध पतले तार से कम होगा। इस कारण मोटे तार से विद्युत धारा अधिक प्रवाहित होगी ।

प्रश्न 3. मान लीजिए किसी वैद्युत अवयव के दो सिरों के बीच विभवांतर को उसके पूर्व के विभवांतर की तुलना में घटाकर आधा कर देने पर भी उसका प्रतिरोध नियत रहता है । तब उस अवयव से प्रवाहित होनेवाली विद्युत धारा में क्या परिवर्तन होगा ?

उत्तर जब विभवान्तर को आधा कर देते हैं तब उसका प्रतिरोध नियत रहता है तो उस अवयव से प्रवाहित होनेवाली विद्युत धारा भी आधी हो जाएगी, क्योंकि ओम के नियम से विभवांतर विद्युत धारा के समानुपाती होता है ।

प्रश्न 4. विद्युत टोस्टरों तथा विद्युत इस्तरियों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न बनाकर किसी मिश्रातु के क्यों बनाए जाते हैं ?

उत्तर- चूँकि मिश्रातु (मिश्रधातु) की प्रतिरोधकता शुद्ध धातु (अवयवी धातु) की अपेक्षा अधिक होती है । इस कारण ये (मिश्रधातुएँ) उच्च तापमान पर जल्द दहन नहीं करते हैं । इसीलिए विद्युत टोस्टरों तथा विद्युत इस्तरियों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न बनाकर किसी मिश्रधातु (मिश्रातु ) के बनाए जाते हैं ।

प्रश्न 5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 230 पर की तालिका 12.2 में दिए गए आँकड़ों के आधार पर दीजिए :
(a) आयरन (Fe) तथा मरकरी (Hg) में कौन अच्छा विद्युत चालक है ?
(b) कौन – सा पदार्थ सर्वश्रेष्ठ चालक है ?

उत्तर – (a) चूँकि आयरन (Fe) की प्रतिरोधकता 10.0 x 108 होती है तथा मरकरी (Hg ) की प्रतिरोधकता 94.0 x 10 ” होता है । इसलिए आयरन (Fe), मरकरी (Hg) की अपेक्षा विद्युत का अच्छा चालक है ।

प्रश्न 3. श्रेणीक्रम में संयोजित करने के स्थान पर वधुत यु में संयोजित करने के क्या लाभ हैं ?

उत्तरश्रेणीक्रम में संयोजित करने के स्थान पर विद्युत युक्तियों को पार्श्वक्रम में संयोजित करने के निम्नलिखित लाभ है :
(i) समान्तरक्रम में तुल्य प्रतिरोध का मान श्रेणीक्रम की अपेक्षा कम होता है
(ii) पार्श्वक्रम वाले प्रतिरोधों में विद्युत धारा का मान अधिक हो जाता है
(iii) पार्श्वक्रम में कम प्रतिरोधक के कारण ऊर्जा का क्षय कम होता है

अभ्यास : प्रश्न तथा उत्तर

प्रश्न 1. प्रतिरोध R के किसी तार के टुकड़े को पाँच बराबर भागों में काटा जाता है । इन टुकड़ों को फिर पार्श्वक्रम में संयोजित कर देते हैं । यदि संयोजन का तुल्य प्रतिरोध R’ है, तो R/R’ अनुपात का मान क्या है ?

(a) 1/25         (b) 1/5                 (c) 5             (d) 25

उत्तर(d) 25.

प्रश्न 2. निम्नलिखित में कौन-सा पद विद्युत परिपथ में विद्युत शक्ति को निरूपित नहीं करता ?

(a) I 2 R              (b) IR 2             (c) VI           (d) V2/R

उत्तर(b) IR2

प्रश्न 3. किसी विद्युत बल्ब का अनुमंताक 220 V; 100 W है । जब इसे 110V पर प्रचालित करते हैं तब इसके द्वारा उपभुक्त शक्ति कितनी होती है ?

(a) 100 W           (b) 75 W       (c) 50W                     (d) 25 W

उत्तर- (d) 25 W.

प्रश्न 4. दो चालक तार, जिनके पदार्थ, लंबाई तथा व्यास समान हैं, किसी विद्युत परिपथ में पहले श्रेणीक्रम में और फिर पार्श्वक्रम में संयोजित किए जाते हैं। श्रेणीक्रम तथा पार्श्वक्रम संयोजन में उत्पन्न ऊष्माओं का अनुपात क्या होगा ?

(a) 1:2          (b) 2:1                  (c) 1:4               (d) 4:1

उत्तर (c) 1 : 4.

प्रश्न 5. किसी विद्युत परिपथ में दो बिंदुओं के बीच विभवांतर मापने के लिए वोल्टमीटर को किस प्रकार संयोजित किया जाता है ?

उत्तरपरिपथ में वोल्टमीटर को पार्श्वक्रम में संयोजित किया जाता है ।

Read more- Click here
You Tube – Click here

कक्षा 10 विज्ञान भाग 2 पाठ 13. विद्युत धारा के चुम्‍बकीय प्रभाव | Vidyut Dhara ka chumbakiy prabhav class 10th solution in Hindi

इस लेख में बिहार बोर्ड कक्षा 10 विज्ञान के पाठ 13 ‘ विद्युत धारा के चुम्‍बकीय प्रभाव ( Vidyut Dhara ka chumbakiy prabhav class 10th solution in Hindi)’ को पढ़ेंगे।

Vidyut Dhara ka chumbakiy prabhav class 10th solution in Hindi

 13. विद्युत धारा के चुम्‍बकीय प्रभाव

पाठ में दिए हुए प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. चुंबक के निकट लाने पर दिक्सूचक की सुई विक्षेपित क्यों हो जाती है ?

उत्तरवास्तव में दिक्सूचक की सुई एक छोटी छड़ चुंबक होती है । किसी दिक्सूचक की सुई के दोनों सिरे लगभग उत्तर और दक्षिण दिशाओं की ओर संकेत करते. हैं । उत्तर दिशा की ओर संकेत करनेवाले सिरे को उत्तर ध्रुव कहते हैं । दूसरा सिरा, जो दक्षिण दिशा की ओर संकेत करता है, उसे दक्षिण ध्रुव कहते हैं । चुंबकों के सजातीय ध्रुवों में परस्पर प्रतिकर्षण तथा विजातीय ध्रुवों में परस्पर आकर्पण होता है। अतः चुंबक के निकट लाने पर दिक्सूची की सुई विक्षेपित हो जाती हैं ।

( पृष्ठ: 255 )

प्रश्न 1. चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के गुणों की सूची बनाइए ।

उत्तर – चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के निम्नलिखित गुण हैं :
(i) चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ चुंबक के उत्तर ध्रुव से निकलती है और दक्षिण ध्रुव पर जाकर खत्म होती है ।
(ii) ये रेखाएँ एक-दूसरी को प्रतिच्छेद नहीं करतीं ।

(iii) ये किसी बिंदु पर स्पर्श रेखा की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दशा को दर्शाती हैं ।

प्रश्न 2. दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरी को प्रतिच्छेद क्यों नहीं करतीं ? परस्पर प्रतिच्छेद करें तो प्रतिच्छेद करनेवाली बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दो दिशाएँ हो

उत्तर – चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा एक ही होती है। यदि दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ जाएँगी, जो असंभव है। इसलिए ये रेखाएँ परस्पर प्रतिच्छेद नहीं करती हैं।

( पृष्ठ : 256-257 )

प्रश्न 1. किसी दिए गए क्षेत्र में चुंबकीय क्षेत्र एकसमान है। इसे निरूपित करने के लिए

उत्तरपरिनालिक के अन्दर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ समांतर सरल रेखाओं की भाँति होती है । इसलिए परिनालिका के भीतर एकसमान चुंबकीय क्षेत्र होता है ।

प्रश्न 3. सही विकल्प चुनिए : किसी विद्युत धारावाही सीधी लंबी परिनालिका के भीतर चुंबकीय क्षेत्र :

(a) शून्य होता है 1
(b) इसके सिरे की ओर जाने पर घटता
(c) इसके सिरे की ओर जाने पर बढ़ता है ।
(d) सभी बिंदुओं पर समान होता है ।

उत्तर – (d) सभी बिंदुओं पर समान होता है ।

(पृष्ठ : 259 )

प्रश्न 1. किसी प्रोटॉन का निम्नलिखित में से कौन-सा गुण किसी चुंबकीय क्षेत्र में मुक्त गति करते समय परिवर्तित हो जाता है ? (यहाँ एक से अधिक सही उत्तर हो सकते हैं ।)

(a) द्रव्यमान,   (b) चाल,    (c) वेग,      (d) संवेग

उत्तर(c) वेग,   (d) संवेग ।

प्रश्न 2. पश्चिम की ओर प्रक्षेपित कोई धनावेशित कण (अल्फा-कण) किसी चुंबकीय क्षेत्र द्वारा उत्तर की ओर विक्षेपित हो जाता है। चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या है ? (a) दक्षिण की ओर (b) पूर्व की ओर (c) अधोमुखी (d) उपरिमुखी ।

उत्तर- (d) उपरिमुखी ।

(पृष्ठ : 261)

प्रश्न 1. फ्लेमिंग का वाम- हस्त नियम लिखिए ।

उत्तरअपने बाएँ हाथ की तीन अँगुलियों—–मध्यमा, तर्जनी तथा अँगूठे—को परस्पर लंबवत फैलाएँ । जब तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा तथा मध्यमा धारा की दिशा को दर्शाती हैं, तब अँगूठा धारावाही पर लगे बलं की दिशा को व्यक्त करता है ।

प्रश्न 2. विद्युत मोटर का क्या सिद्धांत है ?

उत्तरविद्युत मोटर एक ऐसा यंत्र है जिसमें विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदला जाता है। इसे विद्युत मोटर का सिद्धान्त कहते हैं ।

प्रश्न 3. विद्युत मोटर में विभक्त वलय की क्या भूमिका है ?

उत्तर – विद्युत मोटर में विभक्त वलय सम्पर्क का कार्य करता है । प्रवाहित धारा की दिशा बदलने के कारण आर्मेचर लगनेवाले बल की दिशा बदल जाती है। इस प्रकार घूर्णन बल कुण्डली में घूर्णन उत्पन्न करता है ।

(पृष्ठ : 264 )

प्रश्न 1. किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित करने के निम्नलिखित ढंग हैं :
(i) कुंडली तथा चुंबक की गति को आपेक्षिक गति में लाया जाता है।
(ii) दो कुंडलियों में से किसी एक में धारा के मान को बदला जाता है।
(iii) एक धारावाही कुंडली एक सामान्य कुंडली में सापेक्षिक गति उत्पन्न की जाती है

 ( पृष्ठ : 265-66)

प्रश्न 1. विद्युत जनित्र का सिद्धांत लिखिए ।

उत्तर – यह वैसा युक्ति है जिसमें यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है । यह युक्ति विद्युत-चुंबकीय प्रेरण पर आधारित होती है ।

प्रश्न 2. दिष्ट धारा के कुछ स्रोतों के नाम लिखिए ।

उत्तर दिष्ट धारा के कुछ मुख्य स्रोत हैं :

(i) D.C. जनित्र, (ii) विद्युत रासायनिक सेल तथा (iii) स्टोरेज सेल ।

प्रश्न 3. प्रत्यावर्ती विद्युत धारा उत्पन्न करनेवाले स्रोतों के नाम लिखिए ।

उत्तर प्रत्यावर्ती विद्युत धारा उत्पन्न करनेवाले स्रोत हैं

(i) A.C. डायनेमो तथा (ii) जल विद्युत धारा ।

प्रश्न 4. सही विकल्प का चयन कीजिए :
ताँबे के तार की एक आयताकार कुंडली किसी चुंवकीय क्षेत्र में घूर्णी गति कर रही है । इस कुंडली में प्रेरित विद्युत धारा की दिशा में कितने परिभ्रमण के पश्चात परिवर्तन होता है ?

(a) दो                   (b) एक             (c) आंधे                  (d) चौथाई

उत्तर(c) आधे ।

 (पृष्ठ : 267 )

प्रश्न 1. विद्युत परिपथों तथा साधित्रों में सामान्यतः उपयोग होनेवाले दो सुरक्षा उपायों के नाम लिखिए ।

उत्तरसामान्यतः उपयोग होनेवाले दो सुरक्षा उपायों के नाम हैं  (i) विद्युत फ्यूज तथा (ii) भू-संपर्क तार ।

प्रश्न 3. घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए ?

उत्तरघरेलू विद्युत परिपथों में एक सॉकेट से ज़्यादा विद्युत उपकरणों को नहीं जोड़ना चाहिए इससे अतिभारण का डर रहता है। इसी से बचाव के लिए फ्यूज को प्रतिस्थापित किया जाता है ।

Vidyut Dhara ka chumbakiy prabhav class 10th solution in Hindi

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन किसी लंबे विद्युत धारावाही तार के निकट चुंबकीय क्षेत्र का सही वर्णन करता है ?

(a) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के लंबवत होती हैं ।
(b) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के समांतर होती हैं ।
(c) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ अरीय होती हैं जिनका उद्भव तार से होता है
(d) चुंबकीय क्षेत्र की संकेंद्री क्षेत्र रेखाओं का केंद्र तार होता है ।

उत्तर- (d) चुंबकीय क्षेत्र की संकेंद्री क्षेत्र रेखाओं का केंद्र तार होता है ।

प्रश्न 2. वैद्युत चुंबकीय प्रेरण की परिघटना :

(a) किसी वस्तु को आवेशित करने की प्रक्रिया है ।
(b) किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रवाहित होने के कारण चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने की प्रक्रिया है ।
(c) कुंडली तथा चुंबक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुंडली में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करना है ।
(d) किसी विद्युत मोटर की कुंडली को घूर्णन कराने की प्रक्रिया है ।

उत्तर(c) कुंडली तथा चुंबक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुंडली में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करना है ।

प्रश्न 3. विद्युत धारा उत्पन्न करने की युक्ति को कहते हैं :

(a) जनित्र           (b) गैल्वेनोमीटर        (c) ऐमीटर         (d) मोटर

उत्तर(a) जनित्र |

प्रश्न 4. किसी ac जनित्र तथा de जनित्र में एक मूलभूत अंतर यह है कि :

(a) ac जनित्र में विद्युत चुंबक होता है जबकि dc मोटर में स्थायी चुंबक होता है ।
(b) dc जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है ।
(c) ac जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है ।
(d) ac जनित्र में सर्पी वलय होते हैं जबकि dc जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है ।

उत्तर (d) ac जनित्र में सर्पी वलय होते हैं जबकि dc जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है ।

प्रश्न 5. लघुपथन के समय परिपथ में विद्युत धारा का मान :

(a) बहुत कम हो जाता है ।
(b) परिवर्तित नहीं होता ।
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।
(d) निरंतर परिवर्तित होता है।

उत्तर- (c) बहुत अधिक बढ़ जाता है ।

प्रश्न 6. निम्नलिखित प्रकथनों में कौन-सा सही है तथा कौन-सा गलत है ? इसे प्रकथन के सामने अंकित कीजिए :

(a) विद्युत मोटर यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करता है ।

(b) विद्युत जनित्र वैद्युत चुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है ।

(c) किसी लंबी वृत्ताकार विद्युत धारावाही कुंडली के केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र समांतर सीधी क्षेत्र रेखाएँ होता है ।

(d) हरे विद्युत रोधन वाला तार प्रायः विद्युन्मय तार होता है ।

उत्तर (a) गलत, (b) सत्य, (c) सत्य, (d) गलत ।

प्रश्न 7. चुंबकीय क्षेत्र के तीन स्रोतों की सूची बनाइए ।

उत्तर – चुंबकीय क्षेत्र के तीन स्रोत निम्नलिखित हैं :
(i) एक धारावाही परिनलिका के चारों ओर ।
(ii) एक धारावाही सीधाचालक के चारों ओर ।
(iii) प्राकृतिक चुंबक के चारों ओर ।

प्रश्न 8. परिनालिका चुंबक की भाँति कैसे व्यवहार करती है ? क्या आप किसी छड़ चुंबक की सहायता से किसी विद्युत धारावाही परिनालिका के उत्तर ध्रुव तथा दक्षिण ध्रुव का निर्धारण कर सकते हैं ?

उत्तर— पास-पास लिपटे विद्युतरोधी ताँबे के तार की बेलन की आकृति की अनेक फेरों वाली कुंडली को परिनालिका कहते हैं। किसी विद्युत धारावाही परिनालिका के कारण उसके चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं को बगल के चित्र में दिखाया गया है । वास्तव में परिनालिका का एक सिरा उत्तर ध्रुव तथा दूसरा सिरा दक्षिण ध्रुव की भाँति व्यवहार करता है । परिनालिका के भीतर एक समान चुंबकीय क्षेत्र होता है । परिनालिका के अंदर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ परस्पर समानान्तर होती हैं ।
परिनालिका के उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव की पहचान दिक्सूचक से कर सकते हैं । यदि दिक्सूचक की सुई का उत्तरी ध्रुव परिनालिका की ओर आकर्षित होती है तो यह सिरा दक्षिणी ध्रुव होगा। इसी प्रकार उत्तरी ध्रुव की पहचान कर सकते हैं।

Vidyut Dhara ka chumbakiy prabhav class 10th solution in Hindi

प्रश्न 9. किसी चुंबकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत धारावाही चालक पर आरोपित बल कब अधिकतम होता है ?

उत्तर – हम जानते हैं कि आरोपित बल F = BII sin 0. F का मान, sin 0 के मान = मान का समानुपाती है। जब 0 = 90° हो तो F का मान अधिकतम होगा। अर्थात् जब चालक और चुंबकीय क्षेत्र एक-दूसरे पर लंब हो तो F का मान सबसे अधिक होगा ।.

प्रश्न 10. मान लीजिए आप किसी चैवर में अपनी पीठ को किसी एक दीवार से लगाकर बैठे हैं । कोई इलेक्ट्रॉन पुंज आपके पीछे की दीवार से सामनेवाली दीवार की ओर क्षैतिजत: गमन करते हुए किसी प्रवल चुंबकीय क्षेत्र द्वारा आपके दाईं ओर विक्षेपित हो जाता है। चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या है ?

उत्तर- जिस समतल में इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह तथा बल एक-दूसरे पर लंब हों तो चुंबकीय क्षेत्र उस समतल के लंबवत् दिशा में होगा ।

प्रश्न 11. विद्युत मोटर का नामांकित आरेख खींचिए । इसका सिद्धांत तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। विद्युत मोटर में विभक्त वलय का क्या महत्त्व है ?

उत्तरधारावाही चालक की कुंडली पर चुंबकीय क्षेत्र में बल युग्म का उत्पन्न होना ही विद्युत मोटर का कार्य सिद्धान्त है। मोटर में एक नाल चुंबक होता है । चुंबक में चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने के लिए इसे विद्युत धारा से उत्तेजित किया जाता है। इस प्रकार क्षेत्र चुंबक विद्युत चुंबक होता है । इसके ध्रुव खंडों के फलक अवतल होते हैं । ध्रुव खंडों के बीच नर्म लोहे की प्लेट से बने क्रोड पर लिपटे ताँबे के तार की कुंडली होती है। जिसके फेरों की संख्या अधिक होती है । यही मोटर का आर्मेचर कहलाता है ।
आर्मेचर के छोर पीतल के खंडित वलयों R, तथा R, से टँके रहते हैं । वलयों से कार्बन के ब्रश B, तथा B, स्पर्श करते हैं। जब आर्मेचर की धारा प्रवाहित की जाती है तब विद्युत चुंबक के चुंबकीय क्षेत्र के अधीन उसकी AB तथा CD समान मान के किन्तु विपरीत दिशाओं के बल लगाते हैं, क्योंकि विद्युत की धारा का प्राबल्य समान है, लेकिन उनकी दिशाएँ विपरीत बल युग्म बनाती हैं जिस कारण आर्मेचर घूर्णित होता है। आधे घूर्णन बाद जब CD भुजा ऊपर चली जाती है और AB भुजा नीचे आ जाती है । तब वलयों के स्थान भी अदल-बदल जाते हैं । किन्तु ऊपर और नीचे वाली भुजाओं में धारा की स्थिति वही बनी रहती है। अतः आर्मेचर पर लगा बल-युग्म आर्मेचर को लगातार एक ही तरह से घुमाता रहता है ।
इस प्रकार विभक्त वलय आर्मेचर के साथ गति करते हैं । प्रत्येक अर्द्ध घूर्णन के बाद इनका संपर्क R तथा R, से क्रमशः होता रहता है जिसके कारण AB तथा CD भुजाओं में धारा की दिशा ज्यों-की-त्यों बनी रहती है। इसकी मदद से वलय द्वारा विद्युत । धारा आर्मेचर में प्रवाहित होती रहती है।

प्रश्न 12. ऐसी कुछ युक्तियों के नाम लिखिए जिनमें विद्युत मोटर उपयोग किए जाते हैं ।

उत्तरजिन युक्तियों में विद्युत मोटर का उपयोग किया जाता है, उनमें से कुछ के नाम हैं :

(i) पंपिंग सेट, (ii) एअर कंडीशनर, (iii) रेफ्रिजरेटर, (iv) वाशिंग मशीन, (v) एयर कूलर ।

प्रश्न 13. कोई विद्युतरोधी ताँबे के तार की कुंडली किसी गैल्वेनोमीटर से संयोजित है । क्या होगा यदि कोई छड़ चुंबक :
(i) कुंडली में धकेला जाता है ।
(ii) कुंडली के भीतर से बाहर खींचा जाता है

(iii) कुंडली के भीतर स्थिर रखा जाता है ।

उत्तर- (i) कोई विद्युतरोधी ताँबे के तार की कुंडली किसी गैल्वनोमीटर से संयोजित होती है तो कुंडली में धारा पैदा होती है और जब उत्तरी ध्रुव कुंडली में धकेलते हैं तो कुंडली में धारा की दिशा घड़ी की सुई के विपरीत दिशा में होती है और जब कुंडली में दक्षिण ध्रुव धकेलते हैं तो उसमें धारा की दिशा घड़ी की सुई की दिशा में होती है ।
(ii) जब कुंडली के भीतर से दक्षिण ध्रुव चुंबक बाहर खींचा जाता है तो कुंडली में धारा बायीं दिशा में तथा जंब उत्तर ध्रुव बाहर निकलता है तो कुंडली में धारा दक्षिणावर्ती दिशा में उत्पन्न होती है।
(iii) जब छड़ चुंबक कुंडली के भीतर स्थिर रखते हैं तो धारा उत्पन्न नहीं होती ।

प्रश्न 14. दो वृत्ताकार कुंडली A तथा B एक-दूसरी के निकट स्थित हैं । यदि कुंडली A में विद्युत धारा में कोई परिवर्तन करें तो क्या कुंडली B में कोई विद्युत धारा प्रेरित होगी ? कारण लिखिए ।

उत्तरहाँ, कुंडली B में विद्युत धारा प्रवाहित होगी । कारण कि कुंडली A में विद्युत धारा परिवर्तन होने के कारण उससे होकर गुजरने में चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की संख्या में परिवर्तन होने के कारण कुंडली में धारा प्रेरित होती है ।

प्रश्न 15. निम्नलिखित की दिशा को निर्धारित करनेवाला नियम लिखिए:
(i) किसी विद्युत धारावाही सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र,
(ii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में, क्षेत्र के लंबवत स्थित, विद्युत धारावाही सीधे चाल पर आरोपित बल, तथा
(iii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में किसी कुंडली के घूर्णन करने पर उस कुंडली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत धारा ।

उत्तर- (i) किसी धारावाही चालक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा मैक्सवेल का दक्षिण- हस्त नियम से ज्ञात किया जाता है । मैक्सवेल का दक्षिण- हस्त अंगुष्ठ नियम यह है कि धारावाही चालक को दाहिने हाथ से इस प्रकार पकड़ें कि अँगूठा विद्युत धारा की दिशा को सूचित करता हो और अंगुलियाँ चालक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र की रेखाओं की दिशा का संकेत करती हों ।
(ii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में धारावाही चालक पर बल की दिशा फ्लेमिंग के वाम- हस्त नियम से ज्ञात की जाती है ।
फ्लेमिंग का वाम-हस्त नियम यह है कि अपने बाएँ हाथ की तर्जनी, मध्यमा तथा अँगूठे को इस प्रकार फैलाइए कि ये तीनों एक-दूसरे के परस्पर लंबवत हों । यदि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा और मध्यमा चालक में प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा की ओर संकेत करती है तो अँगूठा चालक की गति की दिशा की ओर संकेत करेगा ।
(iii) चुंबकीय क्षेत्र में गतिशील चालक में उत्पन्न प्रेरित धारा की दिशा ज्ञात करने के लिए फ्लेमिंग के दक्षिण- हस्त का नियम का उपयोग किया जाता है ।
जब दाएँ हाथ के प्रथम तीन अँगुलियों को एक-दूसरे के लंबवत् इस प्रकार रखते हैं कि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा और अँगूठा चालक में गति की दिशा को संकेत करता है तो चालक में प्रेरित धारा की दिशा मध्यमा अँगुली द्वारा दर्शाती है।

प्रश्न 16. नामांकित आरेख खींचकर किसी विद्युत जनित्र का मूल सिद्धांत तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। इसमें बुशों का क्या कार्य हैं ?

उत्तर – विद्युत जनित्र एक ऐसा युक्ति है जो विद्युत-चुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करती है। इसमें यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है । फ्लेमिंग के दक्षिण-हस्त नियम से प्रेरित धारा की दिशा ज्ञात करते हैं । इस वलय यंत्र में आर्मेचर को शक्तिशाली चुंबकों के ध्रुवों के बीच घुमाया जाता है, जिससे आर्मेचर से गुजरनेवाली चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की संख्या में परिवर्तन होता है और प्रेरित धारा उत्पन्न होती है ।

बनावट : विद्युत जनित्र में एक घूर्णी आयताकार कुंडली ABCD होती है, जिसे किसी स्थायी चुंबक के दो ध्रुवों के बीच रखा जाता है । इस कुंडली के दो सिरे दो वलयों R, तथा R, से संयोजित होते हैं । दो स्थिर चालक बुशों B, तथा B2 को अलग-अलग रूप से क्रमशः वलयों R, तथा R, पर दबाकर रखा जाता है। दोनों वलय R तथा R2 धुरी से जुड़े होते हैं। दोनों बुशों के बाहरी सिरे बाहरी परिपथ में विद्युत धारा के प्रवाह को दशनि के लिए गैल्वेनोमीटर से संयोजित कर दिया जाता है । कार्य विधि : जब आर्मेचर को दो शक्तिशाली चुंबकों के ध्रुवों के बीच घुमाया जाता है तो दोनों वलय घुमने लगते हैं । लेकिन दोनों वलय R तथा R2 कार्बन ब्रुशों के समीप आ जाते हैं और कुंडली में गति होने से जब AB भुजा ऊपर तथा CD भुजा नीचे की ओर रहती है तो आर्मेचर में धारा की दिशा A से B तथा C से D होती है। जब आर्मेचर की भुजा की दिशा D से C तथा B से A की ओर होती है। इस प्रकार एक घूर्णन में धारा की दिशा दो बार बदलती है और प्रत्यावर्ती धारा उत्पन्न होती है ।

प्रश्न 17. किसी विद्युत परिपथ में लघुपथन कब होता है ?

उत्तर जब विद्युन्मय तार (अथवा धनात्मक तार) तथा उदासीन तार (अथवा ऋणात्मक तार) दोनों सीधे संपर्क में आते हैं तो अतिभारण होता है। ऐसी परिस्थिति में किसी परिपथ में विद्युत धारा अकस्मात बहुत अधिक हो जाती है । इसी को लघुपथन कहते हैं ।

प्रश्न 18. भूसंपर्क तार का क्या कार्य है ? धातु के आवरण वाले विद्युत साधित्रों को भूसंपर्कित करना क्यों आवश्यक है ?

उत्तर – किसी विद्युत उपकरण के धात्विक भाग के तार की मदद से पृथ्वी के संपर्क करनेवाले तार को भूसंपर्क तार कहते हैं । इसका रंग हरा होता है। यदि किसी कारण से उपकरण के धात्विक भाग में विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती है तो दुर्घटना की आशंका रहती है। यदि भू-संपर्क रहता है तो धारा इससे होकर भूमि में प्रवेश कर जाती है। इससे विद्युत का झटका नहीं लगता और दुर्घटना से बचाव हो जाता है ।

Vidyut Dhara ka chumbakiy prabhav class 10th solution in Hindi

Read more- Click here
You Tube – Click here

कक्षा 10 विज्ञान भाग 2 पाठ 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार | Manav aur rang biranga sansar class 10th solution in Hindi

इस लेख में बिहार बोर्ड कक्षा 10 विज्ञान के पाठ 11 ‘ मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार ( Manav aur rang biranga sansar class 10th solution in Hindi)’ को पढ़ेंगे।

11. मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार

( पृष्ठ: 211 )

पाठ में दिए हुए प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. नेत्र की समंजन क्षमता से क्या अभिप्राय है ?

उत्तरजो लोग नेत्र दोप रहित होते हैं उन्हें दूर तथा नजदीक की वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई पड़ती हैं, क्योंकि मानव नेत्र में लेस की फोकस दूरी घटाने-बढ़ाने की क्षमता होती है । इसी क्षमता को समंजन क्षमता कहते हैं । समंजन मानव नेत्र की वह क्षमता है, जिसके – कारण वह अपनी फोकस दूरी को घटा अथवा बढ़ा सकता है।

प्रश्न 3. मानव नेत्र की सामान्य दृष्टि के लिए दूर बिंदु तथा निकट बिंदु नेत्र से कितनी दूरी पर होते हैं ?

उत्तर – मानव नेत्र की सामान्य दृष्टि के लिए दूर बिंदु अनन्त तथा निकट बिंदु नेत्र से 25 cm दूरी पर होता है।

प्रश्न 4. अंतिम पंक्ति में बैठे किसी विद्यार्थी को श्यामपट्ट पढ़ने में कठिनाई होती है। यह विद्यार्थी किस दृष्टि दोष से पीड़ित है ? इसे किस प्रकार संशोधित किया जा सकता है ?

उत्तर- यह विद्यार्थी निकट दृष्टि दोष से पीड़ित है। इसे वाजिब क्षमता के अवतल लेंस के द्वारा संशोधित अर्थात् दूर किया जा सकता है।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. मानव नेत्र अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी को समायोजित करके विभिन्न दूरियों पर रखी वस्तुओं को फोकसित कर सकता है। ऐसा हो पाने के कारण है :

(a) जरादूरदृष्टिता     (b) समजन       (c) निकट दृष्टि          (d) दीर्घ-दृष्टि

उत्तर (b) समंजन ।

प्रश्न 2. मानव नेत्र जिस भाग पर किसी वस्तु का प्रतिबिंव वनाते हैं वह है.

(a) कॉर्निया        (b) परितारिका      (c) पुतली          (d) दृष्टिपटल

उत्तर(d) दृष्टिपटल ।

प्रश्न 3. सामान्य दृष्टि के वयस्क के लिए सुस्पष्ट दर्शन की अल्पतम दूरी होती है, लगभग :

(a) 25 m               (b) 2.5 cm         (c) 25 cm               (d) 2.5 m

उत्तर(c) 25 cm

प्रश्न 4. अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी में परिवर्तन किया जाता है :

(a) पुतली द्वारा                 (b) दृष्टिपटल द्वारा                     (c) पक्ष्माभी द्वारा                (d) परितारिका द्वारा

उत्तर(c) पक्ष्माभी द्वारा ।

प्रश्न 5. सामान्य नेत्र 25 cm से निकट रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट क्यों नहीं देख पाते ?

उत्तरचूँकि अभिनेत्र लेंस जेलीवत पदार्थ का बना होता है। इसकी वक्रता में कुछ सीमाओं तक पक्ष्माभी पेशियों द्वारा रूपान्तरण किया जा सकता है । अभिनेत्र लेस की वक्रता में परिवर्तन होने पर इसकी फोकस दूरी भी परिवर्तित हो सकती है। क्योंकि मानव नेत्र की फोकस दूरी 25 cm से कम नहीं की जा सकती है। इसलिए सामान्य नेत्र 25 cm से नजदीक रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट नहीं देख पाते ।

प्रश्न 6. जब हम नेत्र से किसी वस्तु की दूरी को बढ़ा देते हैं तो नेत्र में प्रतिबिंब- दूरी का क्या होता है ?

उत्तर – चूँकि प्रतिबिंब की दूरी स्थिर रहती है तथा मानव नेत्र के लेंस की फोकस दूरी इस प्रकार समायोजित होती है जिससे प्रतिबिंब हमेशा दृष्टिपटल पर ही बने। इसी कारण नेत्र से वस्तु की दूरी बढ़ा देने पर प्रतिबिंब की दूरी अस्पष्ट हो जाती है ।

प्रश्न 7. तारे क्यों टिमटिमाते हैं ?

उत्तर-  वायुमण्डलीय अपवर्तन के कारण तारे टिमटिमाते नजर आते हैं । वास्तव में पृथ्वी का वायुमण्डल कभी शांत नहीं रहता है। गर्म तथा ठंडी हवाएँ हमेशा बहती रहती है। ठण्डी हवा की अपेक्षा गर्म हवा का घनत्व कम रहता है । इससे अपवर्तन कम होता है। इसलिए तारों से किरणें जितने समय में प्रेक्षक तक पहुँचती हैं उतने समय में ये किरण वायुमण्डल के अपवर्तनांक में होनेवाले परिवर्तनों के कारण अगल-बगल मुड़ जाती है कभी-कभी मध्यवर्ती वायुमण्डल में एकाएक परिवर्तन होने के कारण किरणें एक विचलित भी हो जाती हैं, जिससे प्रकाश प्रेक्षक से बहुत थोड़े समय के लिए अंशतः य कभी-कभी पूर्णतः कट जाता है । यही कारण है कि तारे टिमटिमाते नजर आते हैं।

प्रश्न 11. व्याख्या कीजिए कि ग्रह क्यों नहीं टिमटिमाते ।

उत्तर ग्रह तारों की अपेक्षा पृथ्वी से बहुत समीप हैं। जिसके कारण तारों ओर ‘आनेवाला प्रकाश अनन्त दूरी से आने की वजह से बिंदु स्रोत से आता हुआ माना जा सकता है और इसलिए सँकरे किरणपुंज से अपवर्तन का प्रभाव आसानी से हम अपन आँख से देख सकते हैं, जबकि ग्रह को विस्तृत स्रोत माना जा सकता है । इसलिए किरण पुंज विस्तृत क्षेत्र में फैल जाता है । चन्द्रमा एवं ग्रहों से आनेवाला प्रकाश हम आँख पर एक तारे के प्रकाश की तुलना में बहुत बड़ा कोण बनाता है । इन किरणों में वायुमण्डल में जो अपवर्तन होता है वह – नगण्य हो जाता है। इसलिए ग्रह टिमटिमाते नजर नहीं आते हैं ।

प्रश्न 12. सूर्योदय के समय सूर्य रक्ताभ क्यों प्रतीत होता है ?

उत्तर – क्षितिज के समीप नीले तथा कम तरंगदैर्घ्य (wavelength) के प्रकाश का अधिकांश भाग किरणों द्वारा प्रकीर्णन हो जाता है । इसलिए हमारे नेत्रों तक पहुँचनेवाला प्रकाश अधिक तरंगदैर्घ्य का होता है । यही कारण है कि सूर्योदय के समय सूर्य रक्ताभ प्रतीत होता है । सूर्यास्त के समय भी यही होता है ।

प्रश्न 13. किसी अंतरिक्षयात्री को आकाश नीला की अपेक्षा काला क्यों प्रतीत होता है ?

उत्तर – किसी अंतरिक्षयात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला इस कारण प्रतीत होता है क्योंकि आकाश अधिक ऊँचाई पर है । वहाँ वायुमण्डल का अभाव है। इसलिए वहाँ पर कोई प्रकीर्णन नहीं होता है। इस कारण अत्यधिक ऊँचाई पर यात्रा करते हुए यात्रियों को आकाश काला प्रतीत होता है

Manav aur rang biranga sansar class 10th solution in Hindi

Read more- Click here
You Tube – Click here

कक्षा 10 विज्ञान भाग 2 पाठ 10 प्रकाश : प्ररावर्तन तथा अपवर्तन | Prakash pravartan tatha apvartan class 10th solutions in Hindi

इस लेख में बिहार बोर्ड कक्षा 10 विज्ञान के पाठ 10 ‘ प्रकाश : प्ररावर्तन तथा अपवर्तन (Prakash pravartan tatha apvartan class 10th solutions in Hindi)’ को पढ़ेंगे।

Prakash pravartan tatha apvartan class 10th solutions in Hindi 1

10. प्रकाश : प्ररावर्तन तथा अपवर्तन

पाठ में दिए हुए प्रश्‍न तथा उनके उत्तर

प्रश्‍न 1. अवतल दर्पण के मुख्‍य फोकस की परिभाषा लिखिए ।

उत्तर – मुख्‍य अक्ष के समांतर आपतित किरणों गोलिय दर्पण (अवतल दर्पण) से परावर्तन के बाद मुख्‍य अक्ष के एक बिंदु से गुजरती है उस बिंदु को मुख्‍य फोकस कहते है। इसका मुख्‍य फोकस वास्‍तविक होता है

प्रश्न 2. उस दर्पण का नाम बताइए जो बिंब का सीधा तथा आवर्धित प्रतिबिंब बना सके ।

उत्तर- अवतल दर्पण |

प्रश्न 3. हम वाहनों में उत्तल दर्पण को पश्च- दृश्य दर्पण के रूप में वरीयता क्यों देते हैं ?

उत्तरचूँकि उत्तल दर्पण में हमेशा आभासी तथा सीधा प्रतिबिंब बनते हैं । इसका दृष्टि क्षेत्र काफी अधिक होता है, जिसके कारण ड्राइवर अपने पीछे के बहुत बड़े क्षेत्र

(पृष्ठ : 194)

प्रश्न 1. वायु में गमन करती प्रकाश की एक किरण जल में तिरछी प्रवेश करती है । क्या प्रकाश किरण अभिलंब की ओर झुकेगी अथवा अभिलंब से दूर हटेगी ? बताइए क्यों ?

उत्तरप्रकाश किरण अभिलम्ब की ओर झुकेगी, क्योंकि हवा की अपेक्षा वायु घना माध्यम है । इसलिए जल में प्रवेश करने के बाद इसकी चाल कम हो जाती है ।

प्रश्न 2. पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 193 पर की सारणी 10.3 से अधिकतम प्रकाशिक घनत्व के माध्यम को ज्ञात कीजिए । न्यूनतम प्रकाशिक घनत्व के माध्यम को भी ज्ञात कीजिए ।

उत्तर : अधिकतम प्रकाशित घनत्व का माध्यम – हीरा ।
न्यूनतम प्रकाशित घनत्व का माध्यम – हवा

प्रश्न 4. आपको किरोसिन, तारपीन का तेल तथा जल दिए गए हैं। इनमें से किसमें प्रकाश सबसे अधिक तीव्र गति से चलता है ? सारणी 10.3 में दिए गए आँकड़ों का उपयोग कीजिए ।

उत्तर – प्रकाश किरण जल में सबसे अधिक गति से चलती है क्योंकि जल का अपवर्तनांक तारपीन के तेल तथा किरोसिन की तुलना में कम है ।

प्रश्न 5. हीरे का अपवर्तनांक  2.42 है । इस कथन का क्या अभिप्राय है ?

उत्तर हीरे का अपवर्तनांक सबसे 2.42 अर्थात् अधिक हैं। इसका अभिप्राय है कि हीरे में प्रकाश की चाल बहुत ही कम है ।

( पृष्ठ: 203 )

प्रश्न 1. किसी लेंस की 1 डाइऑप्टर क्षमता को परिभाषित कीजिए ।

उत्तर- यदि किसी लेंस की फोकस दूरी 1 मीटर होती है तो उस लेंस की क्षमता 1 डाइऑप्टर कही जाती है ।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. निम्न में से कौन-सा पदार्थ लेंस बनाने के लिए प्रयुक्त नहीं किया जा सर्कता ?

(a) जल                (b) काँच                  (c) प्लास्टिक           (d) मिट्टी

उत्तर (d) मिट्टी ।

प्रश्न 2. किसी बिंब का अवतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब आभासी, सीधा तथा बिंब से बड़ा पाया गया । वस्तु की स्थिति कहाँ होनी चाहिए ?

(a) मुख्य फोकस तथा वक्रता केन्द्र के बीच
(b) वक्रता केन्द्र पर
(c) वक्रता केन्द्र से परे
(d) दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच

उत्तर- (d) दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच ।

प्रश्न 3. किसी बिब का वास्तविक तथा समान साइज़ का प्रतिबिब प्राप्त करने के लिए बिंब को उत्तल लेंस के सामने कहाँ रखें ?

(a) लेंस के मुख्य फोकस पर
(b) फोकस दूरी की दोगुनी दूरी पर
(c) अनंत पर
(d) लेंस के प्रकाशिक केंद्र तथा मुख्य फोकस के बीच

उत्तर- (c) अनंत पर ।

प्रश्न 4. किसी गोलीय दर्पण तथा किसी पतले गोलीय लेंस दोनों की फोकस दूरियाँ 15 cm हैं । दर्पण तथा लेंस संभवतः हैं :

(a) दोनों अवतल
(b) दोनों उत्तल
(c) दर्पण अवतल तथा लेंस उत्तल
(d) दर्पण उत्तल तथा लेंसअवतल

उत्तर- (a) दोनों अवतल ।

प्रश्न 5. किसी दर्पण से आप चाहे कितनी ही दूरी पर खड़े हों, आपका प्रतिबिंब सदैव सीधा प्रतीत होता है । संभवतः दर्पण है :

(a) केवल समतल
(b) केवल अवतल
(c) केवल उत्तल
(d) या तो समतल अथवा उत्तल

उत्तर- (d) या तो समतल अथवा उत्तल

प्रश्न 6. किसी शब्दकोष (dictionary) में पाए गए छोटे अक्षरों को पढ़ते समय आप निम्न में से कौन-सा लेंस पसंद करेंगे ?

(a) 50 cm फोकस दूरी का एक उत्तल लेंस
(b) 50 cm फोकस दूरी का एक अवतल लेंस
(c) 5 cm फोकस दूरी का एक उत्तल लेंस
(d) 5 cm फोकस दूरी का एक अवतल लेंस

उत्तर(c) 5 cm फोकस दूरी का एक उत्तल लेंस ।

प्रश्न 7. 15 cm फोकस दूरी के एक अवतल दर्पण का उपयोग करके हम किसी बिंब का सीधा प्रतिबिंब बनाना चाहते हैं । बिंब का दर्पण से दूरी का परिसर (range) क्या होना चाहिए ? प्रतिबिंब की प्रकृति कैसी है ? प्रतिबिंब बिंब से बड़ा है अथवा छोटा ? इस स्थिति में प्रतिबिंब बनने का एक किरण आरेख बनाइए ।

उत्तर-बिंब को 15. cm से कम दूरी पर रखना चाहिए । प्रतिबिंब की प्रकृति आभासी तथा सीधा है । प्रतिबिंब, बिंब से बड़ा बनता है ।

प्रश्न 8. निम्न स्थितियों में प्रयुक्त दर्पण का प्रकार बताइए :
(a) किसी कार का अग्र- दीप ( हेड लाइट)
(b) किसी वाहन का पार्श्व/पश्च दृश्य दर्पण
(c) सौर भट्ठी । कारण सहित अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए ।

उत्तर- (a) किसी कार के अग्रदीप में अवतल दर्पण का व्यवहार किया जाता है। , कारण है कि यह अच्छा परावर्तक है और इससे समांतर किरण पुंज प्राप्त किया जा सकता है।
(b) किसी वाहन में पार्श्व/पश्च-दृश्य के लिए उत्तल दर्पण का व्यवहार किया जाता है। कारण कि इससे कार ड्राइवर को कार के पीछे के बड़े भाग का तथा बहुत से वाहनों को छोटे आकार में देख सकता है।
(c) सौर भट्ठी में अवतल दर्पण का व्यवहार किया जाता है। कारण यह है कि यह सूर्य के किरणों को केन्द्रित कर के भट्ठी पर डालता है। इससे भट्ठी को अधिक ताप की प्राप्ति होती है ।

प्रश्न 9. किसी उत्तल लेंस का आधा भाग काले कागज़ से ढक दिया गया है। क्या यह लेंस किसी बिंब का पूरा प्रतिबिंब बना पाएगा ? अपने उत्तर की जाँच प्रयोग द्वारा कीजिए । अपने प्रेक्षणों की व्याख्या कीजिए ।

उत्तर हाँ, यह लेंस किसी बिंब का पूरा प्रतिबिंब बना पायेगा ।
प्रेक्षण : जब किसी उत्तल लेंस का आधा भाग काले कागज से ढक दिया जाता है और बिंब को इसके पास रखा जाता है तो देखते हैं कि परदे पर इसका पूरा प्रतिबिंब बनता है ।

Read more- Click here
You Tube – Click here

कक्षा 10 विज्ञान भाग 2 पाठ 9 आनुवंशिक एवं जैव विकास | Anuvanshikta Evam Jaiv Vikas class 10th solution in Hindi

इस लेख में बिहार बोर्ड कक्षा 10 विज्ञान के पाठ 9 ‘ आनुवंशिक एवं जैव विकास (Anuvanshikta Evam Jaiv Vikas class 10th solution in Hindi )’ को पढ़ेंगे।

 

Anuvanshikta Evam Jaiv Vikas class 10th solution in Hindi 1

9. आनुवंशिक एवं जैव विकास

 (पृष्ठ : 157)

पाठ में दिए गए प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. यदि एक लक्षण अलैंगिक प्रजननवाली समदिष्ट के 10% सदस्यों में पाया जाता है तथा लक्षण B’ उसी समष्टि में 60% जीवों में पाया जाता है, तो कौन-सा लक्षण पहले उत्पन्न हुआ होगा ।

उत्तर – पहली पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में कुछ नई विभिन्नताएँ पायी जाती हैं । इसलिए लक्षण A पहले उत्पन्न हुआ होगा । यदि ये नई विभिन्नताएँ वातावरण के अनुकूल होती हैं तो उनकी संख्या समष्टि में बढ़ जाता है ।

प्रश्न 2. विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज का अस्तित्व किस प्रकार बढ़ जाता है ?

उत्तर – किसी स्पीशीज में इन सभी विभिन्नताओं के साथ अपने अस्तित्व में रहने की सम्भावना एक समान है। प्रकृति की विविधता के आधार पर विभिन्न जीवों को विभिन्न प्रकार के लाभ हो सकते हैं । ऊष्णता को सहन करने की क्षमतावाले जीवाणुओं को अधिक गर्मी से बचने की संभावना अधिक होती है । पर्यावरण कारकों द्वारा उत्तम परिवर्तन का चयन जैव विकास प्रक्रम का आधार बनाता है ।

( पृष्ठ : 161 )

प्रश्न 1. मेंडल के प्रयोगों द्वारा कैसे पता चला कि लक्षणं प्रभावी अथवा अप्रभावी होते हैं ?

उत्तर — मंडल ने दो मटर के पौधे चुने । इनमें से एक, जो मटर के लम्बे पौधे पैदा करते थे तथा दूसरा जो बौने पौधे उत्पन्न करते थे। मंडल ने दोनों पौधों का संकरण कराया, तो प्रथम संतति पीढ़ी (F) में सभी मटर के पौधे लम्बे उगे । इसका मतलब यह है कि लम्बाई का लक्षण F, पीढ़ी संतति में दिखाई दिया और बौनेपन का नहीं । मंडल ने F पीढ़ी के पौधों में स्वपरागण कराया तो F, पीढ़ी में दोनों लक्षण दिखाई दिए। अर्थात् लम्बे पौधे भी और बौने पौधे भी ( 3 : 1 अनुपात में ) प्राप्त हुए । इसका मतलब यह है कि लम्बे होने का लक्षण प्रभावी तथा बौना होने का गुण अप्रभावी होता है ।
यह संकेत देता है कि F, पौधों द्वारा लम्बाई एवं बौने दोनों के विकल्पी गुण की वंशानुगति हुई । F, पीढ़ी में लम्बाईवाला विकल्प अपने आपको सूचित करता है। लम्बाईवाला विकल्प प्रभावी है तथा बौनेपन का विकल्प अप्रभावी है ।

प्रश्न 2. मेंडल के प्रयोगों से कैसे पता चला कि विभिन्न लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं ?

उत्तर – मंडल ने जब मटर के पौधे में एक विकल्पी जोड़े के स्थान पर दो विकल्पी जोड़ों का अध्ययन करने के लिए संकरण कराया। गोल बीजवाले लम्बे पौधों का यदि झुर्रीदार बीजोंवाले बौने पौधे से संकरण कराया गया तो F, पीढ़ी के सभी पौधे लम्बे एवं गोलवाले लक्षण के हुए। अतः लम्बाई तथा गोल बीज प्रभावी लक्षण हैं ।

Fq पीढ़ी के पौधों का स्वपरागण करने पर :

                                                             अनुपात

(i) गोल बीजवाले लम्बे पौधे                           9
(ii) गोल बीजवाले बौने पौधे                           3
(iii) झुर्रीदार बीजवाले लम्बे पौधे                    3
(iv) झुर्रीदार बीजवाले बौने पौधे                      1

झुर्रीदार बीजवाले लम्बे पौधे तथा गोल बीजवाले बौने पौधे नये संयोजन प्रदर्शित करते हैं इससे साबित होता है कि विभिन्न विकल्पी लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगति करते हैं । इसे F, पीढ़ी की संतति कहा जा सकता है ।

प्रश्न 3. एक ‘A – रुधिर वर्गचाला पुरुष एक स्त्री जिसका रुधिर वर्ग ‘0’ है, से विवाह करता है । उनकी पुत्री का रुधिर वर्ग ‘0’ है । क्या यह सूचना पर्याप्त है यदि आपसे कहा जाए कि कौन-सा विकल्प लक्षण- रुधिर वर्ग ‘A’ अथवा ‘0’ प्रभावी लक्षण हैं ? अपने उत्तर का स्पष्टीकरण दीजिए ।

उत्तर यह सूचना पर्याप्त नहीं है क्योंकि इस सूचना से इस बात का पता नहीं चलता है कि पिता में AA जीन है या AO जीन है। पहले के आधार पर हम कह सकते हैं कि A लक्षण अधिक प्रभावी है तथा पिता में AO को जोड़ा होगा और माता में 00 होगा जबकि OO जीन पुत्री में होगा ।

प्रश्न 4. मानव में बच्चे का लिंग निर्धारण कैसे होता है ?

उत्तर— मानव में बच्चे का लिंग निर्धारण का कार्य माता और पिता दोनों के गुणसूत्रों पर निर्भर करता है । महिला में गुणसूत्र X तथा X होते हैं । और पुरुष में गुणसूत्र X तथा Y होते हैं। जब बच्चा अपने पिता से X गुणसूत्र प्राप्त करता है तो वह बच्ची (लड़की) होगी और जब पिता से Y गुणसूत्र संयोग करता है तो वह लड़का होगा । Y गुणसूत्र ही लड़का होने का कारण है जो केवल पिता में रहता है। माता में केवल XX गुणसूत्र ही रहते हैं । अतः लड़का होगा या लड़की होगी, इसका उत्तरदायी केवल पिता होता है ।

 ( पृष्ठ : 165 )

प्रश्न 1. वे कौन-से विभिन्न तरीके हैं जिनके द्वारा एक विशेष लक्षण चाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में बढ़ सकती है ।

उत्तर  एक विशेषण लक्षणवाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में निम्नलिखित तरीकों द्वारा बढ़ सकती है :
(i) प्रथम स्थिति में जनन के दौरान एक रंग की विभिन्नता का उद्भव हो सकता है, जिससे समष्टि में लाल के बजाय एक हरा भृंग दिखाई देता है । हरा भृंग अपना रंग अपनी संतान को आहरित करता है, जिसके कारण इनकी सारी संतति का रंग हरा रोगा। कौए हरी पत्तियों की झाड़ियों में हरे भृंग नहीं देख पाते हैं, उन्हें वे नहीं खा पाते हैं। जबकि लाल भृंग की संतति लगातार शिकार होती रहती है । फलस्वरूप, भृंगों की समष्टि में लाल भृंगों की अपेक्षा हरे भृंगों की संख्या बढ़ती जाती है । दूसरी स्थिति में जनन के समय एक रंग की विभिन्नता का उद्भव होता है । लेकिन इस समय भृंग का रंग लाल के स्थान पर नीला है । यह भृंग भी अपना रंग अपनी पीढ़ी के वंशानुगत कर सकता है। कौऐ नीले और लाल भृंगों को हरी पत्तियों में पहचान कर उन्हें खा सकते हैं। समष्टि का आकार ‘जैसे-जैसे बढ़ता है, उसमें बहुत कम नीले भृंग हैं। लेकिन इस स्थिति में एक हाथी वहाँ आता है तथा उन्हें रौद देता है, जिसमें ये भृंग पाये जाते हैं । संयोगवश नीले भृंग बच जाते हैं, जो धीरे-धीरे बढ़ते जाते हैं ।

प्रश्न 2. एक एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण सामान्यतः अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते । क्यों ?

उत्तर—एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण का प्रभाव कायिक ऊतकों पर पड़ता हैं, लेकिन अर्जित लक्षण अनुभव का जनन कोशिकाओं के D.N.A. पर नहीं निर्भर करता । इसलिए ये लक्षण वंशानुगत नहीं होते हैं ।

प्रश्न 3. बाधों की संख्या में कमी आनुवंशिकता के दृष्टिकोण से चिंता का विषय क्यों है ?

उत्तर (i) बाघों की संख्या में कमी प्राकृतिक चयन के कारण है। उनमें अच्छे किस्म उत्पन्न नहीं हो रहे हैं जिसके कारण समष्टि का आकार नहीं बढ़ पाता है ।
(ii) समष्टि पर दुर्घटना का प्रभाव अधिक होने के कारण जीन प्रभावित हो जाता है। उनके उत्तरजीविता के कारण लाभ नहीं हो पाता है । इन कारणों से बाधों की प्रजाति लुप्त भी हो सकती है।

( पृष्ठ : 166 )

प्रश्न 1. वे कौन-से कारक हैं जो नयी स्पीशीज के उद्भव में सहायक हैं ?

उत्तर नयी स्पीशीज के उद्भव में निम्नलिखित कारक सहायक होते हैं ।
(i) प्राकृतिक चयन, (ii) आनुवंशिक विचलन, (iii) जीन प्रवाह का न होना या उसकी बहुत कमी होना, (iv) D.N.A. जैसे गुणसूत्रों की संख्या में परिवर्तन, जिससे कि दो समष्टियों के सदस्यों की जनन कोशिकाएँ संलयन नहीं कर पातीं, (v) दो उपसमष्टियों का पूर्णरूपेण अलग होना, जिससे उनके सदस्य परस्पर लैंगिक प्रजनन नहीं कर पाते ।

प्रश्न 2. क्या भौगोलिक पृथक्करण स्वपरागित स्पीशीज के पौधों के जाति- उद्भव का प्रमुख कारण हो सकता है ? क्यों या क्यों नहीं ?

उत्तर – नई स्पीशीज का उद्भव तब होता है जब एक समष्टि की दो उपसमष्टियाँ परस्पर लैंगिक जनन न कर पाएँ । लैंगिक जनन में D.N.A में आनुवंशिक विचलन एवं प्राकृतिक वरण एवं भौगोलिक पृथक्करण के कारण एक उपसमष्टि दूसरी उपसमष्टि से भिन्न होती है । इसलिए एक नई स्पीशीज का उद्भव होता है ।

स्वपरागत स्पीशीज में अन्य जीवों से नये जीव समष्टि में नहीं आ पाते हैं । अतः, आनेवाली पीढ़ियों में नये-नये संगठन नहीं हो पाते और अधिक विभिन्नताएँ उत्पन्न नहीं हो पातीं। ऐसे पौधों में विभिन्नता केवल D.N.A. प्रतिकृति के समय त्रुटि के कारण D.N.. में परिवर्तन आ जाये, जिसकी संभावना बहुत कम होती है । अतः, भौगोलिक पृथक्करण स्वपरागित स्पीशीज पौधों के जाति उद्भव का प्रमुख कारण नहीं हो सकता है ।

प्रश्न 3. क्या भौगोलिक पृथक्करण अलैंगिक जननवाले जीवों के जाति उद्भव का प्रमुख कारक हो सकता है ? क्यों अथवा क्यों नहीं ?

उत्तरभौगोलिक पृथक्करण अलैंगिक जनन जीवों के जाति उद्भव का प्रमुख कारक नहीं हो सकता है, क्योंकि अलैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न संतति में परस्पर बहुत कम अन्तर होता है, परंतु समानता बहुत अधिक होती है । जो थोड़ी-बहुत विविधता होती भी है वह D.N.A. प्रतिकृति के समय न्यून त्रुटियों के कारण होती है। ये नई विभिन्नताएँ इतनी मुख्य नहीं हैं जिससे किसी नई जाति का उद्भव हो सके ।

(पृष्ठ : 171 )

प्रश्न 1. उन अभिलक्षणों का एक उदाहरण दीजिए जिनका उपयोग हम दो स्पीशीज के विकासीय संबंध निर्धारण के लिए करते हैं ?

उत्तरसभी कशेरुकी जीवों में पादों की आधारभूत संरचना एक समान होती है । समजात अभिक्षण से भिन्न दिखाई देनेवाली विभिन्न स्पीशीज के बीच विकासीय सम्बन्ध की पहचान करने में सहायता मिलती है । जैसे मेढक, छिपकली, पक्षी तथा मनुष्य के अग्र पादों की आधारभूत संरचना एक समान है । यद्यपि विभिन्न कशेरुकी जीवों में भिन्न- भिन्न कार्य करने के लिए बदलाव होते रहता है ।

प्रश्न 2. क्या एक तितली और चमगादड़ के पंखों को समजात अंग कहा जा सकता है ? क्यों अथवा क्यों नहीं ?

उत्तर तितली और चमगादड़ के पंख समजात अंग नहीं होते हैं । वे समरूप अंग होते हैं, जो केवल उड़ने के काम आते हैं। चमगादड़ के पंख में अग्रपाद की अँगुली की हड्डियाँ होती हैं, जबकि तितली के पंख में हड्डियाँ नहीं पायी जाती हैं ।

प्रश्न 3. जीवाश्म क्या हैं ? वे जैव-विकास प्रक्रम के विषय में क्या दर्शाते हैं ?

उत्तरजीव की मृत्यु के बाद उसके शरीर का अपघटन हो जाता है तथा वह समाप्त हो जाता है, परन्तु कभी-कभी जीव या उसके कुछ भाग ऐसे वातावरण में चले जाते हैं, जिस कारण इनका अपघटन पूरी तरह से नहीं हो पाता है । यदि कोई मृत कीट गर्म मिट्टी में सूखकर कठोर हो जाए तथा उस कीट के शरीर की छाप सुरक्षित रह जाए तो जीव के इस प्रकार के परिरक्षित अवशेष जीवाश्म कहलाते हैं
जीवाश्म से हमें जैव विकास के बारे में निम्नलिखित बातों की जानकारियाँ प्राप्त होती हैं :
(i) जो स्पीशीज कभी जीवित थे लेकिन अब लुप्त हो गये हैं ।
(ii) जीवाश्म कितने वर्षों पुराने हैं यह जीवाश्म में पाए जानेवाले किसी एक तत्त्व के विभिन्न समस्थानिकों के अनुपात के आधार पर (जीवाश्म का समय) निर्धारण किया जाता है।
(iii) यदि हम किसी स्थान की खुदाई करते हैं और एक गहराई तक खोदने के बाद हमें जीवाश्म मिलना प्रारम्भ हो जाता है तब ऐसी स्थिति में यह सोचना तर्क- संगत है कि पृथ्वी की सतह के निकटवाले जीवाश्म गहरे स्तर पर पाए गए. जीवाश्मों की अपेक्षा अधिक नए हैं।

(पृष्ठ: 173 )

प्रश्न 1. क्या कारण है कि आकृति, आकार, रंग-रूप में इतने भिन्न दिखाई पड़नेवाले मानव एक ही स्पीशीज के सदस्य हैं ?

उत्तरआकृति, आकार, रंग रूप में भिन्न दिखाई पड़नेवाले मानव एक ही स्पीशीज के सदस्य हैं ।

(i) इसकी जानकारी जीवाश्म अध्ययन, D.N.A, उत्खनन तथा समय निर्धारण द्वारा प्राप्त होती है। इन सभी का उद्भव अफ्रीका से हुआ है, जहाँ से वे सारे संसार में फैल गए और उनमें धीरे-धीरे आकृति, रंग तथा रूप में विभिन्नता आती गई ।

(ii) किसी अन्य स्पीशीज के सदस्यों के साथ कोई अन्य स्पीशीज के सदस्य सफल लैंगिक प्रजनन नहीं कर पाते लेकिन मानव आकृति, आकार, रंग-रूप में भिन्न होते हुए भी परस्परं सफल लैंगिक प्रजनन कर सकते हैं। उनसे उत्पन्न संतति अपनी पीढ़ी बनाये रख सकती हैं। वे लोग परस्पर रक्त का आदान-प्रदान कर सकते हैं । अतः इतनी भिन्नता दिखाई देने के बावजूद, मानव एक ही स्पीशीज के सदस्य हैं

प्रश्न 2. विकास के आधार पर क्या आप बता सकते हैं कि जीवाणु मकड़ी, मछली तथा चिम्पैंजी में किसका शारीरिक अभिकल्प उत्तम है ? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए ।

उत्तर – जीवाणु, मछली, मकड़ी तथा चिम्पैंजी में शारीरिक अभिकल्प की जटिलता काफी ज्यादा है । चिम्पैंजी का शारीरिक डिजाइन, विकसित शारीरिक अंग, .का जीवाणु, मकड़ी और मछली से अधिक विकसित होना तथा हाथों में अँगूठे की अंगुलियों के विपरीत होना, जिससे वे चीजें पकड़ सकें। विकास की दृष्टि से अति उत्तम नहीं कहा जा सकता। क्योंकि सरलतम अभिकल्पवाले जीवाणु का समूह विभिन्न पर्यावरण में आज भी पाए जाते हैं। जैसे जीवाणु आज भी विषम पर्यावरण जैस ऊष्ण झरने, गहरे समुद्र के गर्भ स्रोत तथा अन्टार्कटिका की बर्फ में भी पाए जाते हैं । अर्थात् यह नहीं कहा जा सकता कि चिम्पैंजी का शारीरिक अभिकल्प अन्य से उत्तम है ।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. मेंडल के एक प्रयोग में लम्बे मटर के पौधे, जिनके बैंगनी पुष्प थे, संकरण वौने पौधों, जिनके सफेद पुष्प थे से कराया गया । उनकी संतति के सभी पौधों में पुष्प बैंगनी रंग के थे । परन्तु आधे-आधे बौने थे । इससे कहा जा सकता है कि लम्बे जनक पौधों की आनुवंशिक रचना निम्न थी :

(a) TTWW          (b) TTww      (c) TtWW         (d) TtWw

उत्तर – (c) TtWW

प्रश्न 2. समजात अंगों का उदाहरण है :

 (a) हमारा हाथ तथा कुत्ते के अग्रपाद            (b) हमारे दाँत तथा हाथी के दाँत

(c) आलू एवं घास के उपरि भूस्तारी              (d) उपर्युक्त सभी

उत्तर- (d) उपर्युक्त सभी ।

प्रश्न 3. विकासीय दृष्टिकोण से हमारी किससे अधिक समानता है :

(a) चीन के विद्यार्थी                      (b) चिम्पैंजी

(c) मकड़ी                                   (d) जीवाणु

उत्तर- चीन के विद्यार्थी ।

प्रश्न 4. एक अध्ययन से पता चला कि हलके रंग की आँखों वाले बच्चों के जनक (माता-पिता) की आँखें भी हलके रंग की होती हैं। इसके आधार पर क्या हम कह सकते हैं कि आँखों के हलके रंग का लक्षण प्रभावी है अथवा अप्रभावी ? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए ।

उत्तर उपर्युक्त विवरण के आधार पर यह नहीं कह सकते हैं कि आँखों के हल्के रंग के लक्षण प्रभावी हैं या अप्रभावी हैं क्योंकि माता-पिता दोनों में ही आँखें हल्के रंग की हैं । यह हो सकता है कि माता-पिता में जीन के दोनों विकल्प अप्रभावी हों, इसलिए आँखों के रंग का दूसरा विकल्प है अथवा नहीं, संतान में हल्के रंग की आँखें पाई गई। दूसरी धारणा पर विचार करने से पता चलता है आँखों का हल्के रंग का लक्षण प्रभावी है । इस अवस्था में कुछ बच्चों में आँखें गहरे रंग की होनी चाहिए। क्योंकि अप्रभावी लक्षण 4 में से 1 बच्चे में व्यक्त होना चाहिए ।

प्रश्न 5. जैव- विकास तथा वर्गीकरण का अध्ययन क्षेत्र किस प्रकार परस्पर‍ संबंधित है ?

उत्तरचूँकि पृथ्वी पर सरल जीवों से जटिल स्वरूपवाले जीवों का विकास हुआ वर्गीकरण का भी यही आधार है । जीवों के शरीर के डिजाइन के आधार पर ही उनको विभिन्न वर्गों में रखा गया है। इस प्रकार जैव विकास तथा वर्गीकरण का अध्ययन परस्पर सम्बन्धित है।

प्रश्न 6. समजात तथा समरूप अंगों को उदाहरण देकर समझाइए ।

उत्तर समजात अंग- समजात अग अलग-अलग स्पीशीज के जीवों में अलग- अलग काम करते हैं, लेकिन इनकी आधारभूत संरचना एक समान होती हैं । मनुष्य के • हाथ तथा पक्षी के पंख ये दोनों रूपान्तरित अग्र पाद हैं । इन अंगों को समजात अंग कहा जाता है ।

समरूप अंग – वैसे अंग जो अलग-अलग जीवों में एक समान काम करते हैं लेकिन इनकी आधारभूत संरचना एक समान नहीं होती है, समरूप अंग कहलाते हैं । जैसे कबूतर के पंख तथा तितली के पंख दोनों उड़ने का काम करते हैं, लेकिन कबूतर के पंख में हड्डियाँ पाई जाती है जबकि तितली के पंख में हड्डियाँ नहीं पाई जातीं।

प्रश्न 7. कुत्ते की खाल का प्रभावी रंग ज्ञात करने के उद्देश्य से एक प्रोजेक्ट बनाइए ।

उत्तर – सर्वप्रथम एक शुद्ध काली खालवाले कुत्ते (BB) तथा एक शुद्ध सफेद खालवाली कुत्तिया (WW) का चयन किया जाता है। समय पर उनका संकरण कराया जाता हैं । यदि उनमें उत्पन्न सभी पिल्ले (कुत्ते के बच्चे) काली खालवाले हैं तो काली खाल का लक्षण प्रभावी कहलाएगा।

प्रश्न 8. विकासीय संबंध स्थापित करने में जीवाश्म का क्या महत्त्व है ?

उत्तर—सामान्यत जीव की मृत्यु के बाद उसका अपघटन हो जाता है तथा वह समाप्त. हो जाता है। लेकिन कभी-कभी जीव के कुछ भाग ऐसे वातावरण में चले जाते हैं, जिनके कारण इनका अपघटन पूरी तरह से नहीं हो पाता । इस प्रकार जीवाश्म पुराने जीवों के अवशेष अथवा साँचे के अध्ययन से पता चलता कि अमुक जीव कब पाया जाता था और कब लुप्त हुआ । इसमें पहले या अब उसकी संरचना में क्या परिवर्तन हुआ था या हुआ है। इस प्रकार विकासीय संबंध स्थापित करने में जीवाश्म का बहुत महत्व है ।

प्रश्न 9. किन प्रमाणों के आधार पर हम कह सकते हैं कि जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है ?

उत्तरएक ब्रिटिश वैज्ञानिक जे. बी. एस. हॉल्डेन ने 1929 में यह सुझाव दिया कि जीवों की सर्वप्रथम उत्पत्ति उन सरल अकार्बनिक अणुओं से ही हुई होगी जो पृथ्वी की उत्पत्ति के समय बने थे । उसने कल्पना की कि पृथ्वी पर उस समय का वातावरण पृथ्वी के वर्तमान वातावरण से सर्वथा भिन्न था। इस प्राथमिक वातावरण में सम्भवतः कुछ जटिल कार्बनिक अणुओं का संश्लेषण हुआ जो जीवन के लिए आवश्यक थे। सर्वप्रथम प्राथमिक जीव अन्य रासायनिक संश्लेषण द्वारा उत्पन्न हुए होंगे। यह कार्बनिक यौगिक किस प्रकार उत्पन्न हुए ? इसके उत्तर की परिकल्पना स्टेनले एल. मिलर तथा हेराल्ड सी. उरे द्वारा 1953 में किये गये प्रयोगों के आधार पर की जा सकती है । उन्होंने कृत्रिम रूप से ऐसे वातावरण का निर्माण किया जो सम्भवतः प्राथमिक/प्राचीन वातावरण के समय था। इसमें अमोनिया, मिथेन तथा हाइड्रोजन सल्फाइड के अणु थे। परन्तु ऑक्सीज़न के पात्र में जल भी था । इस मिश्रण को 100°C से कुछ कम तापमान पर रखा गया। गैसों के मिश्रण में चिनगारियाँ उत्पन्न की गई, जैसे आकाश में बिजली । एक सप्ताह के बाद 15% कार्बन (मिथेन से) सरल कार्बनिक यौगिक में परिवर्तन हो गए । इनमें एमीनो अम्ल भी संश्लेपित हुआ जो प्रोटीन के अणुओं का निर्माण के लिए जरूरी है इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है ।

प्रश्न 10. अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न विभिन्नताएँ अधिक स्थायी होती हैं, व्याख्या कीजिए। यह लैंगिक प्रजनन करनेवाले जीवों के विकास को किस प्रकार प्रभावित करता है ?

उत्तर अलैंगिक जनन में केवल एक जीव जनन करता है । अतः संतति में विभिन्नता तभी आती है जब D.N.A. में कम त्रुटियाँ होती हैं । लैंगिक जनन में दो जनक होते हैं जो D.N.A. का एक-एक सेट संतति को प्रदान करते हैं। इससे संतति में भिन्न-भिन्न लक्षणों का समावेश होता है । अलैंगिक जनन से लैंगिक जनन में विविधता अपेक्षाकृत अधिक होती है । लैंगिक जनन से उत्पन्न विभिन्नताओं में जीन के D.N.A. में परिवर्तन के कारण होती है । अतः ये स्थिर होती है और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होती है । प्राकृतिक चयन के कारण वही विभिन्नताएँ प्रगति करती हैं, जो पर्यावरण वरण के अनुकूल हो ।

Read more- Click here
You Tube – Click here

कक्षा 10 विज्ञान भाग 2 पाठ 8 जीव जनन कैसे करते हैं | Jiv janan kaise karte hai class 10th solution in Hindi

इस लेख में बिहार बोर्ड कक्षा 10 विज्ञान के पाठ 8 ‘ जीव जनन कैसे करते हैं (Jiv janan kaise karte hai class 10th solution in Hindi )’ को पढ़ेंगे।

Jiv janan kaise karte hai class 10th solution in Hindi 2

8. जीव जनन कैसे करते हैं

( पृष्ठ : 142 )

पाठ में दिए हुए प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. डी० एन० ए० प्रतिकृति का प्रजनन में क्या महत्त्व है ?

उत्तर— जनन की मूल घटना डी. एन. ए. (D.N.A.) की प्रतिकृति बनानी है। डी. एन॰ ए॰ की प्रतिकृति बनाने के लिए कोशिकाएँ विभिन्न रासायनिक क्रियाओं का उपयोग करती हैं। जनन कोशिका में इस प्रकार डी. एन. ए. की दो प्रतिकृति बनाती है तथा उनका एक-दूसरे से अलग होना अति आवश्यक है । परन्तु डी. एन. ए. की एक प्रतिकृति को मूल कोशिका में रखकर दूसरी प्रतिकृति को उससे बाहर निकाल देने से काम नहीं चलेगा, क्योंकि दूसरी प्रतिकृति के पास जैव प्रक्रमों के अनुरक्षण हेतु संगठित कोशिकीय संरचना नहीं होगी। इसलिए डी. एन. ए. बनने के साथ-साथ दूसरी कोशिकाएँ की संरचनाओं का सृजन भी होता रहता है । इसके बाद डी. एन. ए. की प्रतिकृतियाँ विलग हो जाती हैं । इस प्रकार कोशिकाओं का बनाने के लिए D.N.A. प्रतिकृति आवश्यक है।

प्रश्न 2. जीवों में विभिन्नता स्पीशीज के लिए तो लाभदायक है परंतु व्यष्टि के लिए आवश्यक नहीं है, क्यों ?

उत्तर – यदि समष्टि के जीवों में कुछ विभिन्नता होंगी तो उनके जीवित रहने कुछ संभावना है । वह समानता के आधार पर अधिक अनुकूल होता है । लेकिन D.N.A. की दोनों प्रतिकृति एक समान नहीं होती, जो धीरे-धीरे गहरी होती जाती है । जनन में  होनेवाली ये विभिन्नताएँ अन्ततः नई स्पीशीज के विकास में सहायक होती है । इसलिए जीवों में विभिन्नता स्पीशीज के लिए तो लाभदायक है लेकिन व्यष्टि के लिए आवश्यक नहीं है ।

( पृष्ठ : 146 )

प्रश्‍न 1. द्विविखंडन  बहुखंडन से किस प्रकार भिन्‍न है ?

उत्तर – द्विविखंडन बहुखंडन से निम्‍न प्रकार भिन्‍न है :

द्विविखंडन बहुखंडन
एक प्रकार जीवों में कोशिका विभाजन द्वारा नए जीव की उत्‍पत्ति होती है इनमें काशिका दो बराबर भागो में विभाजीत हो जाती है । जैसे – अमिबा । एक काशिकीय जीवो में काशिका विभाजन द्वारा नए जीव की उत्‍पत्ति होती है इनमें काशिका अनेक संतति काशिकाओं में विभाजित हो जाते है। जैसे मलेरिया, परजीवी, प्‍लैज्‍मोडियम ।

प्रश्न 1. बीजाणु द्वारा जनन से जीव किस प्रकार लाभान्वित होता है ?

उत्तर – अनेक सरल बहुकोशिक जीवों में विशिष्ट जनन संरचनाएँ पायी जाती हैं । ऊर्ध्व तन्तुओं पर सूक्ष्म गुच्छ संरचनाएँ जनन में भाग लेती हैं । इस गुच्छा में बीजाणु भरे होते हैं, जिसे बीजाणुधानी कहते हैं । यह बीजाणु वृद्धि करके राइजोपस के नए जीव उत्पन्न करते हैं। बीजाणु के चारों ओर एक मोटी भित्ति होती है, जो प्रतिकूल परिस्थितियों में उसकी रक्षा करती है । नमी सतह के सम्पर्क में आने पर वह वृद्धि करने लगते हैं ।

प्रश्न 2. क्या आप कुछ कारण सोच सकते हैं जिससे पता चलता हो कि जटिल संरचना वाले जीव पुनरुद्भवन द्वारा नयी संतति उत्पन्न नहीं कर सकते ?

उत्तर—इस प्रकार के जीवों की संरचना अत्यन्त जटिल होती है। इसमें एक विशिष्ट कार्य के एक लिए विशिष्ट अंग होता है। अंगों में श्रम विभाजन होता है । पुनरुद्भवन विशिष्ट कोशिकाओं द्वारा होता है। इस प्रकार की कोशिकाएँ जटिल जीवों में नहीं होतीं । इसलिए जटिल संरचना वाले जीव पुनरुद्भवन द्वारा नई संतति उत्पन्न नहीं कर सकते हैं ।

प्रश्न 3. कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का उपयोग क्यों किया जाता है ?

उत्तर ऐसे बहुत-से पौधे हैं, जिनमें कुछ भाग जैसे जड़, तना तथा पत्तियाँ उपयुक्त परिस्थितियों में विकसित होकर नया पौधा उत्पन्न करते हैं। अधिकतर जन्तुओं के विपरीत एकल पौधे इस क्षमता का उपयोग जनन की विधि के रूप में करते हैं । कलम अथवा रोपण जैसी कायिक प्रवर्धन की तकनीक का उपयोग कृषि में भी किया जाता है । जैसे – गुलाब, गन्ना अथवा अंगूर ।

प्रश्न 4. डी० एन० ए० की प्रतिकृति बनाना जनन के लिए आवश्यक क्यों है ?

उत्तर—D.N.A. की प्रतिकृति बनाना जनन के लिए आवश्यक है, क्योंकि जनक प्रतिकृति नई संरचना में तथा एक मूल कोशिका में रह जाती है। इस प्रकार दो प्रतिकृतियाँ जनन हो सकता है । इसके लिए एक अलग से कोशिकीय संरचना आवश्यक है। एक कोशिका की दो कोशिकाएँ बनती है । ये दोनो प्रतिकृतियाँ अलग हो जाती हैं तब भी दो नई कोशिकाएँ बनाने में सहायता करती हैं और जनन होता है।

(पृष्ठ : 154 )

प्रश्न 1. परागण क्रिया निषेचन से किस प्रकार भिन्न है ?

उत्तर- परागण क्रिया वह प्रक्रिया है जिसमें पुष्प के परागकणों के पराग कोश से वर्तिकाम तक पहुँचता है। इसमें किसी प्रकार की दो कोशिकाओं में संलयन नहीं होता है । निषेचन में नर और मादा युग्मकों का संलयन होता है। युग्मनज का निर्माण होता है । यह परागण के बाद होता है ।

प्रश्न 2. शुक्राशय एवं प्रोस्टेट ग्रंथि की क्या भूमिका है ?

उत्तर – प्रोस्टेट तथा शुक्राणु अपने स्राव शुक्रवाहिका में डालते हैं। इससे शुक्राणु एक तरल माध्यम में आ जाते हैं । इसके कारण उसका स्थानांतरण सरलता से होता है साथ ही यह स्राव उन्हें पोषण भी प्रदान करता है। शुक्राणु सूक्ष्म संरचनाएँ हैं

प्रश्न 3. यौवनारंभ के समय लड़कियों में कौन-से परिवर्तन दिखाई देते हैं ?

उत्तरयौवनारंभ के समय लड़कियों में निम्नलिखित परिवर्तन दिखाई देते हैं :
(i) स्तनों के आकार में वृद्धि ।
(ii) स्तनाग्र की त्वचा के रंग का गहराना ।
(iii) रजोधर्म का प्रारम्भ होना ।

प्रश्न 4. माँ के शरीर में गर्भस्थ भ्रूण को पोषण किस प्रकार प्राप्त होता है ?

उत्तर—निषेचन के पश्चात निषेचित अण्डा तथा युग्मज गर्भाशय में स्थापित हो जाता है तथा विभाजित होने लगता है भ्रूण को माँ के रुधिर से ही पोषण मिलता है। इसके लिए एक विशेष संरचना होती है, जिसे प्लेसेंटा कहते हैं । यह एक तश्तरीनुमा संरचना है, जो गर्भाशय की भित्ति में धँसी होती है। इसमें भ्रूण की ओर के ऊतकों में प्रवर्ध होते हैं। माँ के ऊतकों में रिक्त स्थान होते हैं, जो प्रवर्ध को आच्छादित करते हैं । यह माँ से भ्रूण को ग्लूकोज, ऑक्सीजन एवं अन्य पदार्थों के स्थानान्तरण हेतु एक बड़ा क्षेत्र प्रदान करते हैं ।

प्रश्न 5. यदि कोई महिला कॉपर-टी का प्रयोग कर रही है तो क्या यह उसकी यौन- संचरित रोगों से रक्षा करेगा ?

उत्तरनहीं, कॉपर-टी यौन संचरित रोगों से महिला की रक्षा नहीं करेगा ।

Jiv janan kaise karte hai class 10th solution in Hindi

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. अलैंगिक जनन मुकुलन द्वारा होता है ।

(a) अमीबा                (b) यीस्ट          (c) प्लैज़्मोडियम         (d) लेस्मानिया

उत्तर(b) यीस्ट |

प्रश्न 2. निम्न में से कौन मानव में मादा जनन तंत्र का भाग नहीं है ?

(a) अंडाशय                 (b) गर्भाशय          (c) शुक्रवाहिका            (d) डिंबवाहिनी

उत्तर- (c) शुक्रवाहिका ।

प्रश्न 3. परागकोश में होते हैं :

(a) बाह्यदल           (b) अंडाशय    (c) अंडप           (d) परागकण

उत्तर- (d) परागकण ।

प्रश्न 4. अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन के क्या लाभ हैं ?

उत्तरअलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन के निम्नांकित लाभ हैं :
(i) युग्मन द्वारा जायगोट का निर्माण होता है।
(ii) इससे जनन संतति में विविधता आती है ।
(iii) नये जीवों के लिए विकास में लैंगिक जनन की मुख्य भूमिका है।

प्रश्न 5. मानव में वृषण के क्या कार्य हैं ?

उत्तर नर मानव में अण्डाकार आकृति वाला एक बाह्य अंग है, जिसमें एक जोड़ी वृषण उदर गुहा के बाहर छोटे अण्डाकार मांसल संरचना होते हैं । यह वृषण कोश कहलाता है । वृषण में शुक्राणु तथा टेस्टोस्टेरॉन की उत्पत्ति होती है । शुक्राणु बनने के लिए वृषण कोश ताप को नियंत्रित करता है ।

प्रश्न 6. ऋतुस्राव क्यों होता है ?

उत्तर- यदि अण्डकोशिका का निषेचन नहीं हो तो यह लगभग एक दिन तक जीवित रहती है। क्योंकि अण्डाशय प्रत्येक माह एक अण्ड का मोचन करता है । अतः निषेचित अण्ड की प्राप्ति हेतु गर्भाशय भी प्रतिमाह तैयारी करता है । इसकी अंतः भित्ति मांसल एवं स्पंजी हो जाती है । यह अण्ड के निषेचन होने की अवस्था में उसके पोषण के लिए आवश्यक है । परन्तु निषेचन न होने की अवस्था में इस परत की भी आवश्यकता नहीं रहती है । यह परत धीरे-धीरे टूट कर योनि मार्ग से रुधिर एवं म्यूकस के रूप में निष्कासित है होती है। इस चक्र में एक मास का समय लगता है इसे ऋतुस्राव अथवा रजोधर्म कहते हैं । यह लगभग 2 से 6 दिनों तक की होती है ।

प्रश्‍न 7. पुष्‍प की अनुदैर्घ्‍य काट का नामंकित चित्र बनाए ।

उत्तर –

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न 8. गर्भ निरोधन की विभिन्न विधियाँ कौन-सी है ?

उत्तर – गर्भ निरोधन की विभिन्न विधियाँ निम्नलिखित हैं :
(i) गर्भनिरोधनमेंकंडोम, मध्यपट और गर्भाशय ग्रीवा आच्छद का उपयोग किया जाता है। ये मैथुन के दौरान मादा जननांग में शुक्राणु प्रवेश को रोकता है।
(ii) स्त्रियाँ खाने की गोलियाँ तथा योनि में डालने की गोलियों का प्रयोग करती हैं। चूँकि गोलियाँ हॉर्मोन्स से बनी होती हैं जो अण्डाणु को डिम्बवाहिनी नलिका में उत्सर्जित होने से रोकती है ।
(iii) शल्य विधि में पुरुष शुक्रवाहक तथा स्त्री की डिम्बवाहिनी नली के छोटे से भाग को शल्य क्रिया द्वारा काट अथवा बाँध दिया जाता है। इसे नर नसबन्दी तथा स्त्री में स्त्री नसबन्दी कहते हैं ।
(iv) लूप अथवा कॉपर-टी को गर्भाशय में स्थापित करके भी गर्भ निरोध किया जाता है। लेकिन इससे गर्भाशय के उत्तेजना से कुछ विपरीत प्रभाव भी हो सकते हैं।

प्रश्‍न 9. एक काशिक एवं बहुकाशिक जीवों की जनन पद्धति में क्‍या अंतर है ?

उत्तर – एक कोशिकिय एवं बहुकोशिकीय जीवों की जनन पद्धति के निम्‍न अंतर है ।

एक कोशिकिय जीवों की जनन पद्धति बहुकोशिकीय जीवों की जनन पद्धति
(i) एक कोशिक जीव केवल एक ही कोशिका होती है ।

(ii) इनमे जनन के लिए अलग से कोई अंग अथवा तंत्र नही होते है।

(iii) इनमें जनन केवल द्विविखण्‍डन अथवा बहुविखंण्‍न द्वारा होता है । जैसे यीस्‍ट में मुकुलन द्वारा जनन होता है।

(i) बहुकाशिक में जीवो का र्निमाण बहुत सी काशिकाओं से होता है।

(ii) इनमें जनन के लिए एक विशेष जनन तंत्र पाए जाते है।

(iii) इनमें जनन लैगिक तथा अलैगिक दोनो तरीकों से होता है

प्रश्न 8. जनन किसी स्पीशीज की समष्टि के स्थायित्व में किस प्रकार सहायक है ?

उत्तर – जीव की शारीरिक संरचना तथा डिजाइन के लिए जनन के दौरान D.N.A. प्रतिकृति का बनना अत्यन्त आवश्यक है । यह उसे विशिष्ट स्थान के योग्य बनाती है। इस कारण जनन किसी स्पीशीज की समष्टि के स्थायित्व में सहायक है ।

प्रश्न 11. गर्भनिरोधक युक्तियाँ अपनाने के क्या कारण हो सकते हैं ?

उत्तर जनसंख्या का विशाल आकार बहुत लोगों के चिन्ता का विषय है, क्योंकि जनन से ही जीव अपनी समष्टि की वृद्धि करता है । जन्मदर तथा मृत्युदर से बढ़ाती अथवा घटती है । अतः बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण प्रत्येक व्यक्ति के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए बढ़ती हुई जनसंख्या पर नियंत्रण रखना होगा । इसलिए गर्भनिरोधक विधियों को अपनाना अनिवार्य हो गया है।

Jiv janan kaise karte hai class 10th solution in Hindi

Read more- Click here
You Tube – Click here

कक्षा 10 विज्ञान भाग 2 पाठ 7 नियंत्रण एवं समन्वय | Niyantran awam samanway class 10th solution in Hindi

इस लेख में बिहार बोर्ड कक्षा 10 विज्ञान के पाठ 7 ‘ नियंत्रण एवं समन्वय (Niyantran awam samanway class 10th solution in Hindi )’ को पढ़ेंगे।

Niyantran awam samanway class 10th solution in Hindi

7. नियंत्रण एवं समन्वय

(पृष्ठ : 132 )

पाठ के अन्दर दिए हुए प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्‍न 1. प्रतिवर्ती क्रिया तथा टहलने के बिच क्‍या अंतर है ?

उत्तर – प्रतिवर्ती क्रिया तथा टहलने की क्रिया में अंतर :

प्रतिवर्ती क्रिया

टहलना

(i) यह मेरूरज्‍जु द्वारा संपादित किया जाता है ।
(ii) यह क्रिया अवचेतन मस्तिष्‍क की अवस्‍था में होती है।
(iii)  य‍ह बदला नही जा सकता ।
 यह सोच समझ कर किया जाता है।
यह क्रिया प्रमस्तिष्‍क क नियंत्रण की अवस्‍था में होती है ।
यह बदला जा सकता है ।

प्रश्न 1. दो तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन) के मध्य अंतर्ग्रथन (सिनेप्स) में क्या होता है ?

उत्तरदो तंत्रिका कोशिकाओं के मध्य अन्तर्ग्रथन प्रक्रम में होता यह है कि विद्युत तरंगों जैसा आनेवाला तंत्रिका आवेग कुछ रसायनों का स्रावण करने को प्रेरित करते हैं ये रसायन अन्तर्ग्रथन को पार कर अगली तंत्रिका कोशिका में उसी प्रकार की तंत्रिका आवेग उत्पन्न कर देते हैं। फलतः एकत्रिक सूचना का संसाधन होता है और मस्तिष्क तक पहुँच जाता है । इससे तत्काल कार्य करने के लिए सम्बद्ध अंग को बाध्य होना पड़ता है।

प्रश्न 3. मस्तिष्क का कौन-सा भाग शरीर की स्थिति तथा संतुलन का अनुरक्षण करता है ?

उत्तर — पश्चमस्तिष्क में स्थित अनुमस्तिष्क नामक भाग शरीर की स्थिति तथा संतुलन का अनुरक्षण करता है ।

प्रश्न 4. हम एक अगरबत्ती की गंध का पता कैसे लगाते हैं ?

उत्तरअगरबत्ती या किसी भी गन्ध का पता हम अग्रमस्तिष्क से करते हैं । इसमें गन्ध का पता करने के लिए संवेदी केन्द्र होता है, जिससे गंध की सूचना प्राप्त होती है

प्रश्न 5. प्रतिवर्ती क्रिया में मस्तिष्क की क्या भूमिका है ?

उत्तर – पूरे शरीर की तंत्रिकाएँ मेरुरज्जु से होकर मस्तिष्क को जानेवाले रास्ते में एक बण्डल के रूप में मिलता है, जिसे प्रतिवर्ती चाप कहते हैं। किसी संवेदना के प्र अनुक्रिया की सूचना इसी प्रतिवर्ती चाप द्वारा मस्तिष्क को दी जाती है। मस्तिष्क द्वारा उसपर पुनः विचार होता है ।

 ( पृष्ठ: 136 )

प्रश्न 1. पादप हॉर्मोन क्या है ?

उत्तरपादप (पौधे) में कुछ रासायनिक पदार्थों की वृद्धि होती है। ये उनकी गतिविधि को नियन्त्रण तथा समन्वय करते हैं । वे ही रसायन पादप हॉर्मोन कहलाते हैं ।

प्रश्न 2. छुई-मुई पादप की पत्तियों की गति, प्रकाश की ओर प्ररोह की गति से किस प्रकार भिन्न है?

उत्तर – छुई-मुई पादप की गति, प्रकाश के उद्दीपन की दिशा से प्रभावित गति से भिन्न है। छुई-मुई की गति अंकुचन गति कहलाती है, जबकि प्रकाश की ओर प्ररोह की गति प्रकाश के उद्दीपन की दिशा से प्रभावित होती हैं। पौधा उसी ओर मुड़ता हुआ दिखाई देता है, जिधर से प्रकाश की प्राप्ति होती है ।

प्रश्न 3. एक पादप हॉर्मोन का उदाहरण दीजिए जो वृद्धि को बढ़ाता है।

उत्तर- (i) जिबेरेलिन जो, तने की लम्बाई को बढ़ाने में सहायक होता है ।
(ii) ऑक्सिन, जो पौधे की तने की लम्बाई को बढ़ाने में सहायक होता है ।

प्रश्न 4. किसी सहारे के चारों ओर एक प्रतान की वृद्धि में ऑक्सिन किस प्रकार सहायक है ?

उत्तर – प्रतान स्पर्श के प्रति संवेदनशील होता है । प्रतान जैसे ही किसी के स्पर्श के सम्पर्क में आते हैं तो ऑक्सिन दूसरी ओर विसरित हो जाता है और उस ओर मुड़कर कोशिकाएँ लम्बी होने लगती हैं। ठीक इसके विपरीत दिशा में प्रतान पौधों को सहारा प्रदान करता है। कारण कि प्रतान वस्तु को चारों ओर से जकड़ लेता है

प्रश्न 5. जलानुवर्तन दर्शाने के लिए एक प्रयोग की अभिकल्पना कीजिए ।

उत्तरबीजों के अंकुरण के लिए एक ओर नम तथा दूसरी ओर सूखी हुई जमीन को उपयोग में लाते हैं । मूलांकुर, सबसे पहले धनात्मक गुरुत्वानुवर्ती होने के कारण नीचे की ओर गति करता है । बाद में गीली जमीन की ओर मुड़ने लगता है ।

(पृष्ठ : 138 )

प्रश्न 1. जंतुओं में रासायनिक समन्वय कैसे होता है ?

उत्तरजंतुओं में कुछ रासायनिक पदार्थ होते हैं जिन्हें हॉर्मोन कहते हैं । हॉर्मोन अंतःस्रावी ग्रंथियों द्वारा स्रावित होते हैं । इनके द्वारा रासायनिक समन्वय होता है । ये हॉर्मोन आशा के अनुरूप विविधता दर्शाते हैं ।

प्रश्न 2. आयोडीनयुक्त नमक के उपयोग की सलाह क्यों दी जाती है ?

उत्तरअवटु ग्रंथि को थायरॉक्सिन हॉर्मोन बनाने के लिए आयोडीन आवश्यक है । थायरॉक्सिन कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा के उपापचय क्रिया को हमारे शरीर में नियंत्रित करता है । थायरॉक्सिन के संश्लेषण के लिए आयोडीन अनिवार्य है। आयोडीन की कमी से घेंघा रोग होता है। इसी कारण आयोडीनयुक्त नमक के उपयोग की सलाह दी जाती है।

प्रश्न 3. जब एड्रीनलीन रुधिर में स्रावित होती है तो हमारे शरीर में क्या अनुक्रिया होती है ?

उत्तर – एड्रीनलीन सीधा रुधिर में स्रावित हो जाता है और शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचा दिया जाता है । इसके फलस्वरूप हृदय की धड़कन बढ़ जाती है, ताकि हमारी पेशियों को अधिक ऑक्सीजन की आपूर्ति हो सके। इसका फल यह होता है कि पाचन- की जाती है ? धमनियों के आसपास की पेशियाँ सिकुड़ जाती हैं ।

प्रश्न 4. मधुमेह के कुछ रोगियों की चिकित्सा इंसुलिन का इंजेक्शन देकर क्यों

उत्तर- मधुमेह के रोगी में अग्न्याशय ग्रंथि की कम सक्रियता के कारण इंसुलिन नामक हॉर्मोन कम मात्रा में स्रावित होती है, इसलिए रक्त में शर्करा बढ़ता जाता है। अतः इंसुलिन का इंजेक्शन देकर रोगी के रक्त की शर्करा को नियंत्रित किया जाता है।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन-सा पादप हॉर्मोन है ?
(a) इंसुलिन                   (b) थायरॉक्सिन
(c) एस्ट्रोजन                 (d) साइटोकाइनिन

उत्तर (d) साइटोकाइनिन ।

प्रश्न 2. दो तंत्रिका कोशिका के मध्य खाली स्थान को कहते हैं :

(a) द्रुमिका            (b) सिनेप्स         (c) एक्सॉन        (d) आवेग

उत्तर(b) सिनेप्स

प्रश्न 3. मस्तिष्क उत्तरदायी है :
(a) सोचने के लिए           (b) हृदय स्पंदन के लिए
(d) उपर्युक्त सभी              (c) शरीर का संतुलन बनाने के लिए

उत्तर- (d) उपर्युक्त सभी ।

प्रश्न 4. हमारे शरीर में ग्राही का क्या कार्य है ? ऐसी स्थिति पर विचार कीजिए जहाँ ग्राही उचित प्रकार से कार्य नहीं कर रहे हों । इस स्थिति में क्या समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं ?

उत्तरग्राही अंगों का कार्य वातावरण से सूचना प्राप्त करना है । ऐसी स्थिति में, जहाँ ग्राही उचित प्रकार से कार्य नहीं करता, जैसे अनायास भूखे को मुँह में पानी आ जाना । यह मेरुरज्जु द्वारा होता है । कभी-कभी मस्तिष्क तक सूचना पहुँचने में काफी समय लग जाता है । इस कारण दुर्घटनाएँ भी हो सकती हैं।

प्रश्न 5. पादप में प्रकाशानुवर्तन किस प्रकार होता है ?

उत्तर— पादप में प्रकाशा नुवर्तन प्रकाश के उद्दीपन के प्रभाव से प्रकाश की ओर होता है । प्रकाशानुवर्तन में पादप प्रकाश की ओर मुड़ता है जबकि जड़ उसके विपरीत दिशा अर्थात् जमीन की ओर में मुड़ती है ।

प्रश्न 6. मेरुरज्जु आघात में किन संकेतों के आने में व्यवधान होगा ?

उत्तर मेरुरज्जु आघात के कारण संकेत, जो मस्तिष्क से दूर मेरुरज्जु होते हुए जाते हैं, उसके आवागमन में व्यवधान उत्पन्न होती है । इससे मस्तिष्क को संवाद सही ढंग से नहीं मिल पाता । फलतः प्रतिवर्ती क्रिया संपादित नहीं होती है ।

प्रश्न 7. पादप में रासायनिक समन्वय किस प्रकार होता है ?

उत्तर पादपों में कोशिकाओं द्वारा कुछ रासायनिक पदार्थ स्रावित होते हैं । वे पादप हॉर्मोन कहलाते हैं । पादप हॉर्मोन पौधों में वृद्धि और विकास के साथ उनमें समन्वय स्थापित करते हैं। ये पादप हॉर्मोन क्रिया स्थान से दूर कहीं स्रावित होकर विसरण द्वारा उस स्थान तक पहुँचकर काम करते हैं ।

प्रश्न 8. एक जीव में नियंत्रण एवं समन्वय के तंत्र की क्या आवश्यकता है ?

उत्तरप्रत्येक वातावरणीय परिवर्तन का जीव की अनुक्रिया पर प्रभाव पड़ता है। जैसे हम किसी कार्यालय में धीरे-धीरे बात करते हैं, जोर-जोर से बात नहीं करते । हमारे क्रियाकलाप उस ढंग से होते हैं कि कार्य पूरा हो जाय । उसमें कोई व्यवधान उपस्थित नहीं होने पाए। वातावरण और अवसर के अनुसार कार्य करने में नियंत्रण और समन्वय तंत्र की नितांत आवश्यकता है। इससे व्यक्ति नियंत्रित तथा समन्वित रहता है

9. जंतुओं में नियंत्रण एवं समन्वय के लिए तंत्रिका तथा हॉर्मोन क्रयाविधि की तुलना तथा व्यतिरेक (contrast ) कीजिए ।

उत्तरसंवेदी तंत्रिकाएँ सूचनाएँ प्राप्त करती हैं। जंतुओं में क्रियाओं का नियंत्रण त्रिका तंत्र की तंत्रिकाओं से होता है । ये रक्त शर्करा स्तर पर उपापचय विकास तथा वृद्धि इत्यादि सभी हॉर्मोन से नियंत्रित होता है। अतः मानव में नियंत्रण तथा समन्वय, तंत्रिका तंत्र तथा हॉर्मोन तंत्र एक साथ मिलकर करते हैं ।

प्रश्न 12. छुई-मुई पादप में गति तथा हमारी टाँग में होनेवाली गति के तरीके में क्या अंतर है ?

उत्तर छुई-मुई पौधों में स्पर्श होने की सूचना संचारित होती है पौधा इस सूचना को एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक संचारित करने के लिए वैद्युत रसायन साधन का उपयोग करते हैं। पौधे की पत्तियाँ नीचे झुक जाती हैं । ऐसा आधार कोशिकाओं में परासरणीय दाब कम होने के कारण होता है। जब उद्दीपन का समय समाप्त हो जाता तब पत्तियाँ सामान्य अवस्था में आ जाती हैं ।

टाँग की गति सूचनाएँ विद्युत रासायनिक संकेतों के रूप में संचरित होती हैं ये पेशियों तक पहुँचकर संकेतों में बदल जाती हैं, जिसके फलस्वरूप पैर में गति होती है यह गति पेशियों के सिकुड़ने तथा फैलने से होती है, जो मस्तिष्क से नियंत्रित होती है। पैर की पेशियाँ तंत्रिकाओं से सम्बद्ध होती हैं ।

Read more- Click here
You Tube – Click here

कक्षा 10 विज्ञान भाग 2 पाठ 6 जैव प्रक्रम | Jaiv Prakram class 10th solutions in Hindi

इस लेख में बिहार बोर्ड कक्षा 10 विज्ञान के पाठ 6 ‘ जैव प्रक्रम (Jaiv Prakram class 10th solutions in Hindi )’ को पढ़ेंगे।

Jaiv Prakram class 10th solutions in Hindi

6. जैव प्रक्रम

पाठ के अन्दर आए हुए प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. हमारे जैसे बहुकोशिकीय जीवों में ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी करने में विसरण क्यों अपर्याप्त है ?

उत्तर – हमारे जैसे बहुकोशिकीय जीवों में ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी करने में विसरण इस कारण अपर्याप्त हैं क्योंकि बहुकोशिकीय जीवों में सभी कोशिकाएँ वातावरण से सीधे सम्पर्क में नहीं होती हैं। अतः विसरण सभी कोशिकाओं की आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर सकता है ।

प्रश्न 2. कोई वस्तु सजीव है, इसका निर्धारण करने के लिए हम किस मापदंड का उपयोग करेंगे ?

उत्तर – सजीवों की समस्त संरचनाएँ अणुओं से मिलकर बनी हैं। सजीवों को अपनी संरचनाओं की मरम्मत जरूरी है। इसलिए इनमें हमेशा अणुओं को गतिशील रखने की क्षमता होनी चाहिए। स्पष्ट है कि जीव के जीवित होने का प्रमाण अणु की गति है ।

प्रश्न 3. किसी जीव द्वारा किन कच्ची सामग्रियों का उपयोग किया जाता है ?

उत्तर – किसी जीव द्वारा ऑक्सीजन, जल तथा भोजन जैसी कच्ची सामग्रियों का उपयोग किया जाता है ।
भोजन — जीव द्वारा ऊर्जा एवं पदार्थों के स्रोत के रूप में उपयोग किया जाता है।
ऑक्सीजन – जीवों को भोजन जैसे पदार्थों के विखण्डन से ऊर्जा प्राप्त होती है। इसके लिए श्वसन करना पड़ता है।
जल—भोजन के पाचन तथा जैविक प्रक्रियाओं के लिए जल पीया जाता है।

प्रश्न 4. जीवन के अनुरक्षण के लिए आप किन प्रक्रमों को आवश्यक मानेंगे ?

उत्तर – जीवन के अनुरक्षण के लिए निम्नलिखित प्रक्रम आवश्यक मानेंगे :

(i) पोषण,         (ii) श्वसन,            (iii) वहन तथा         (iv) उत्सर्जन ।

( पृष्ठ : 111 )

प्रश्न 1. प्रकाशसंश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री पौधा कहाँ से प्राप्त करता है ?

उत्तर – प्रकाशसंश्लेषण के लिए पौधे कच्ची सामग्री वातावरण से प्राप्त करते हैं
(i) क्लोरोफिल पादपों की हरी पत्तियों में वर्तमान रहता है ।
(ii) प्रकाश वे सूर्य से प्राप्त करते हैं ।
(iii) पौधे वातावरण से अपनी पत्तियों के रन्धों द्वारा CO2 ग्रहण करते हैं
(iv) पौधे अपनी जड़ों द्वारा मृदा में से जल का अवशोषण करते हैं और इस प्रकार जल का परिवहन जड़ से पत्तियों तक होता है ।

प्रश्न 2. हमारे आमाशय में अम्ल की भूमिका क्या है ?.

उत्तरहमारे आमाशय में उसकी भित्ति होती है । उसमें जठर ग्रंथियाँ उपस्थित है जिससे अम्ल निकलता है। यह अम्ल पेप्सिन एंजाइम की क्रियाशीलता के लिए आवश्यक है । यह भोजन में उपस्थित जीवाणुओं को नष्ट भी करता है ।

प्रश्न 3. पाचक एंजाइमों का क्या कार्य है ?

उत्तरहम जटिल पदार्थों को भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं। पाचक एंजाइम इन जटिल पदार्थों को छोटे-छोटे सरल अणुओं में बदल देते हैं । यह इसलिए आवश्यक होता है कि सरल अणुओं को क्षुद्रांत्र द्वारा आसानी से अवशोषित कर लिया जाता है। इस प्रकार हम देखते हैं पाचक एंजाइमों का हमारी पाचन क्रिया में महत्त्वपूर्ण स्थान है

प्रश्न 4. पचे हुए भोजन को अवशोषित करने के लिए क्षुद्रांत्र को कैसेअभिकल्पित किया गया है ?

उत्तर पचे हुए भोजन का अवशोषण क्षुद्रांत्र में होता है । इसकी संरचना अँगुलीनुमा में रुधिर वाहिकाओं की बहुतायत होती है जो भोजन को अवशोषित करके शरीर क होती है जिसे दीर्घरोम कहते हैं । ये अवशोषण का सतही क्षेत्रफल बढ़ा देते हैं । दीर्घरोम प्रत्येक कोशिका तक पहुँचाते हैं । यहाँ इसका उपयोग ऊर्जा प्राप्त करने, नए ऊतकों के निर्माण करने और पुराने ऊतकों की मरम्मत करने में होता है ।

( पृष्ठ : 116 )

प्रश्न 1. श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा स्थलीय जीव किस प्रकार लाभप्रद है ?

उत्तर- जो जीव जल में रहते हैं वे जल में विलेय O2 का उपयोग करते हैं क्योंकि जल में विलेय ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम होती है, इसलिए जलीय जीवों की श्वास दर स्थलीय जीवों की अपेक्षा द्रुत गति से होती है। स्थलीय जीव श्वसन के लिए वायुमंडल के ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं। विभिन्न जीवों में यह ऑक्सीजन भिन्न-भिन्न अंगों द्वारा अवशोषित किया जाता है। सभी अंगों में एक रचना होती है जो उसके सतही क्षेत्रफल की बढ़ाती है । स्थलीय जीव ऑक्सीजन बाहुल्य वायुमंडल के सम्पर्क में रहता है ।

प्रश्न 2. ग्लूकोज के ऑक्सीकरण से भिन्न जीवों में ऊर्जा प्राप्त करने के विभिन्न पथ क्या हैं ?

उत्तरपहले चरण में ग्लूकोज के छः कार्बन वाले अणु का तीन कार्बन वाले अणु पायरुवेट में विखण्डन हो जाता है। यह प्रक्रिया कोशिका द्रव्य में होती है। इसके बाद पायरुवेट एथेनॉल तथा ऑक्सीजन में परिवर्तित हो जाता है । इसके बाद पायरुवेट का विखण्डन विभिन्न जीवों में निम्नलिखित तरीकों से होता है ।
(a) अवायवीय श्वसन यह क्रिया ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होती है । इसे. अवायवीय श्वसन कहते हैं । यह प्रक्रम किण्वन के समय यीस्ट में होता है ।
(b) वायवीय श्वसनयह क्रिया ऑक्सीजन के उपस्थिति में होती है। इसे वायवीय श्वसन कहते हैं । इसमें पायरुवेट का विखण्डन होता है । यह प्रक्रम माइटोकॉण्ड्रिया में होता है और इसमें ऊर्जा का उत्पादन अवायवीय की तुलना में अधिक होता है ।
(c) ऑक्सीजन की कमीकभी-कभी जब हमारी पेशी कोशिकओं में अत्यधिक व्यायाम के कारण ऑक्सीजन का अभाव हो जाता है, पायरुवेट के विखण्डन के लिए दूसरा पथ अपनाया जाता है। यहाँ पायरुवेट एक अन्य तीन कार्बन वाले अणु लैक्टिक अम्ल में परिवर्तन हो जाता है

प्रश्न 3. मनुष्यों में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन कैसे होता है ?

उत्तर- (i) ऑक्सीजन का परिवहन – हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाता है जो फेफड़ों में पहुँची हुई वायु में से ऑक्सीजन लेकर उन उतकों तक ले जाते हैं जहाँ पर ऑक्सीजन की कमी होती है ।

(ii) कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन कार्बन डाइऑक्साइड जल में अधिक विलेय है और इसलिए इसका परिवहन हमारे रुधिर में विलेय अवस्था में होता है। यह नासाद्वारों से होकर बाहर निकल जाता है ।

प्रश्न 4. गैसों के विनिमय के लिए मानव- फुफ्फुस में अधिकतम क्षेत्रफल को कैसे अभिकल्पित किया गया है ?

उत्तर- फेफड़ों के अन्दर का मार्ग छोटी-छोटी नलिकाओं में विभाजित होता है, जिसे श्वसनी कहा जाता है । यह आगे श्वसनिकाओं में विभाजित हो जाती है। श्वसनिकाओं का अन्तिम सिरा गुब्बारे के समान संरचना में मिलता है, जिन्हें कूपिकाएँ कहते है कूपिकाओं की भित्ति में रुधिर वाहिकाओं का बड़ा जाल होता है । कूपिकाओं की भित्ति बहुत पतली होती है। इनमें बहुत सारे रक्त वाहिकाएँ होती हैं, जिसके द्वारा ऐसा का आदान-प्रदान आसानीपूर्वक होता है ।

(पृष्ठ : 122 )

प्रश्न 1. मानव में वहन तंत्र के घटक कौन-से हैं ? इन घटकों के क्या कार्य हैं ?

उत्तर—मानव में वहन तंत्र के घटक निम्नलिखित हैं :
(a) हृदय,      (b) रुधिर तथा        (c) रुधिर वाहिकाएँ ।

(a) हृदय के कार्य हृदय एक पेशीय अंग है जो हमारी मुट्ठी के आकार का होता है । यह शरीर में रुधिर को प्रवाहित करता है । यह विऑक्सीजनित रुधिर को शरीर के विभिन्न हिस्सों से प्राप्त करता है और दूसरी ओर ऑक्सीजनित रुधिर समस्त शरीर में पम्प करके पहुँचा देता है ।
(b) रुधिर – रुधिर तरल संयोजी अवयव हैं, जिसमें (i) प्लाज्मा, (ii) लाल रक् कणिकाएँ, (iii) श्वेत रक्त कणिकाएँ तथा (iv) प्लेटलेट्स होते हैं ।
(i) प्लाज्मा भोजन, कार्बन डाइऑक्साइड तथा नाइट्रोजन युक्त उत्सर्जन पदार्थों क परिवहन करता है ।
(ii) लालरक्त कणिकाएँ श्वसन गैसों तथा हॉर्मोनों का परिवहन करती हैं। (iii) श्वेत रक्त कणिकाएँ संक्रमणों से शरीर की रक्षा करती हैं ।
(iv) प्लेटलेट्स रक्तस्त्राव के स्थान पर रुधिर का थक्का बनाकर मार्ग अवरुद्ध क देते हैं जिससे रुधिर का बहना बन्द हो जाता है ।
(c) रुधिर वाहिकाएँरुधिर वाहिकाएँ रुधिर को हृदय से शरीर के विभिन्न अ तक ले जाती हैं। इनकी भित्ति मोटी तथा लचीली होती है।

प्रश्न 2. स्तनधारी तथा पक्षियों में ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर अलग करना क्यों आवश्यक है ?

उत्तरस्तनधारी तथा पक्षियों में ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर को अत करना इसलिए आवश्यक है क्योंकि पक्षी तथा स्तनधारी जन्तुओं को उच्च ऊर्जा आवश्यकता है। यह लाभदायक इसलिए भी है क्योंकि इन्हें अपने शरीर के तापम को बनाए रखने के लिए निरंतर ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इस कारण इन्हें उर्जा प्राप्त करने के लिए ऑक्सीजन की लगातार आवश्यकता पड़ती है।

प्रश्न 3. उच्च संगठित पादप में वहन तंत्र के घटक क्या हैं ?

उत्तर – उच्च संगठित पादप में वहन तंत्र के दो घटक (i) जाइलम तथा (ii) फ्लोएम ।
(i) जाइलम जाइलम ऊतक में जड़ों, तनों तथा पत्तियों की वाहिनिकाएँ तथा वाहिकाएँ आपस में जुड़कर जल संवहन वाहिकाओं का एक सतत जाल बनाती हैं । ये पादप के सभी भागों से जुड़ी होती हैं । जाइलम जल तथा लवणों को मृदा से पत्तियों तक परिवहित करता है ।
(ii) फ्लोएम फ्लोएम में चालनी तथा सहचर केशिकाएँ होती हैं । ये भोज्य पदार्थों को पत्तियों से पौधों के विभिन्न भागों में परिवहित करने का काम करती हैं।

प्रश्न 4. पादप में जल और खनिज लवण का वहन कैसे होता है ?

उत्तरपादप में जल तथा खनिज जाइलम कोशिकाओं द्वारा मृदा से पत्तियों तक स्थानान्तरित होते हैं। जड़ों की कोशिकाएँ मृदा से लवण प्राप्त करती हैं । ये मृदा तथा जड़ के लवणों की सान्द्रता में अन्तर उत्पन्न कर देती हैं । इस कारण जाइलम में जल का लगातार गति होता रहता है । वाष्पोत्सर्जन के कारण जल की लगातार हानि होती रहती है और चूषण होता रहता है, जिससे जल की निरन्तर गति बनी रहती है । इस प्रकार जल तथा खनिजों का वहन होता है ।

प्रश्न 5. पादप में भोजन का स्थानांतरण कैसे होता है ?

उत्तरप्रकाशसंश्लेषण के विलेय उत्पादों का फ्लोएम के द्वारा वहन होना स्थानांतरण कहलाता है । यह कार्य चालनी कोशिकाओं तथा सहचर कोशिकाओं द्वारा सम्पन्न होता है । भोजन कणों का परिवहन ऊपर तथा नीचे दोनों दिशाओं में होता है । यह क्रिया एक सतत क्रिया है जो ऊर्जा के उपयोग से पूरा होता है । सुक्रोज जैसे पदार्थ फ्लोएम ऊतक में ए. टी. पी. से प्राप्त ऊर्जा से स्थानांतरित होते हैं । यह ऊतक परासरण दाब बढ़ा देता है, जिससे जल इसमें प्रवेश कर जाता है । यह दाब पदार्थों को फ्लोएम से उस ऊतक तक ले जाता है जहाँ दाब कम होता है । फ्लोएम पादप की आवश्यकता के अनुसार पदार्थों का स्थानांतरण करता है ।

(पृष्ठ : 124)

प्रश्न 1. वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रियाविधि का वर्णन कीजिए ।

उत्तर वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना : वृक्क में बहुत पतली भित्ति वाली रुधिर कोशिकाओं का गुच्छा होता है । इसमें प्रत्येक कोशिका गुच्छ, एक नलिका के आकार के सिरे के अन्दर होता है । यह नलिका छने हुए मूत्र को एकत्र करती है । प्रत्येक वृक्क में ऐसे अनेक निस्यंदन एकक होते हैं जिन्हें नेफ्रॉन कहते हैं । प्रत्येक वृक्क में बनने वाला मूत्र एक लम्बी नलिका, मूत्र वाहिनी में प्रवेश करती है जो वृक्क को मूत्राशय से जोड़ती है ।
वृक्काणु के कार्य बोमेन संपुट के अन्दर कोशिका गुच्छे की कोशिकाएँ पाई जाती हैं जिसके द्वारा रुधिर छाना जाता है । निस्यन्द वृक्काणु के नलिका से होकर गुजरती है । इसमें ग्लूकोज, अमीनो अम्ल, यूरिक अम्ल, लवण तथा जल की अधिक मात्रा रह जाती हैं। फिर जैसे-जैसे ग्लूकोज, अमीनो, अम्ल, लवण तथा जल को रुधिर कोशिकाओं द्वारा अवशोषित करता है । वैसे-वैसे शरीर में उपलब्ध अतिरिक्त जल की मात्रा तथा विलय वर्ज्य (बेकार) पदार्थ उत्सर्जित करना उसी पर निर्भर करता है। फिर अवशोषण के बाद जो निस्यन्द बचता है उसे पेशाब कहते हैं । पेशाब में घुले हुए नाइट्रोजन युक्त उत्सर्जक यूरिया, यूरिक अम्ल, लवण एवं पानी होते हैं । इस प्रकार यह मूत्रवाहिनी द्वारा शरीर से बाहर निकलते हैं ।

प्रश्न 2. उत्सर्जी उत्पाद से छुटकारा पाने के लिए पादप किन विधियों का उपयोग करते हैं ।

उत्तरउत्सर्जी उत्पाद से छुटकारा पाने के लिए पादप निम्नलिखित तरीकों का उपयोग करते हैं :
(i) वे अतिरिक्त जल से वाष्पोत्सर्जन द्वारा छुटकारा पा सकते हैं ।
(ii) पादपों में बहुत से ऊतक मृत कोशिकाओं के बने होते हैं। वे पत्तियों का क्षय करके छुटकारा पाते हैं ।
(iii) कुछ उत्सर्जक उत्पाद गोंद के रूप में निष्क्रिय जाइलम में संचित रहते हैं
(iv) उत्सर्जी पदार्थ टेनिन, रेजिन, गोंद छाल में भण्डारित रहते हैं जो छाल के हटने से खत्म हो जाते हैं ।

प्रश्न 3. मूत्र बनाने की मात्रा का नियमन किस प्रकार होता है ?

उत्तर मूत्र की मात्रा, शरीर द्वारा पानी ग्रहण करने के ऊपर निर्भर करता है । नेफ्रॉन नलिका द्वारा पानी की मात्रा का अवशोषण निम्न बातों पर निर्भर करता है :
(a) शरीर में जल की मात्रा कितनी है । कितना जल उत्सर्जन करना है ताकि शरीर के ऊतकों में जल की कमी न हो ।
(b) घुलनशील उत्सर्जक जैसे यूरिया तथा यूरिक अम्ल एवं लवण इत्यादि का शरीर से कितना उत्सर्जन करना है । जब शरीर में अधिक उत्सर्जक होता है तो जल की अर्धिक मात्रा आवश्यक होती है । इस स्थिति में मूत्र ज्यादा बनता है ।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. मनुष्य में वृक्क एक तंत्र का भाग है जो संबंधित है :

(a) पोषण                    (b) श्वसन              (c) उत्सर्जन               (d) परिवहन

उत्तर (c) उत्सर्जन ।

प्रश्न 2. पादप में जाइलम उत्तरदायी है :

(a) जल का वहन                      (b) भोजन का वहन
(c) अमीनो अम्ल का वहन           (d) ऑक्सीजन का वहन

उत्तर- (a) जल का वहन ।

प्रश्न 3. स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक है :

(a) कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल          (b) क्लोरोफिल
(c) सूर्य का प्रकाश                                    (d) उपर्युक्त सभी

उत्तर (d) उपर्युक्त सभी ।

प्रश्न 4. पायरुवेट के विखंडन से यह कार्बन डाइऑक्साइड, जल तथा ऊर्जा देता है और यह क्रिया होती है :

(a) कोशिकाद्रव्य           (b) माइटोकॉण्ड्रिया            (c) हरित लवक      (d) केंद्रक

उत्तर-(b) माइट्रोकॉण्ड्रिया ।

प्रश्न 5. हमारे शरीर में वसा का पाचन कैसे होता है ? यह प्रकम कहाँ होता है ?

उत्तर – वसा का पाचन क्षुद्रांत्र में होता है। क्षुद्रांत्र आहारनाल का सबसे लम्बा भाग है। आमाशय से भोजन क्षुद्रांत्र में प्रवेश करता है । यहाँ यकृत तथा अग्न्याशय से ग्रावण प्राप्त करता है । आमाशय से आनेवाला भोजन अम्लीय होता है जो अग्न्याशय एंजाइमों की क्रिया के लिए उसे क्षारीय बनाता है। इस प्रकार वसा का इमल्सीकरण होता है और टूटकर इस प्रकार बड़ा क्षेत्र प्रदान करते हैं, जिस पर एंजाइम क्रिया कर सके । लाइपेज नामक एंजाइम में अग्न्याशय रस होता है । इमल्सीकरण हुए वसा का विखण्डन होता है । क्षुद्रान्त्र की भित्ति पर स्थापित ग्रंथियाँ क्षुद्रांत्र रस स्रावित करती हैं, जिसमें लाइपेज एंजाइम होते हैं जो वसा को वसा अम्ल तथा ग्लिसरॉल में बदल देता है । यह प्रक्रम क्षुद्रांत्र में होता है ।

प्रश्न 6. भोजन के पाचन में लार की क्या भूमिका है ?

उत्तर – लाला ग्रंथि से निकलनेवाले रस को लार कहते हैं । यह भोजन को काफी मुलायम कर देता है । जब हम दाँतों से चबाकर भोजन को छोटे-छोटे टुकड़ों में बदल देते हैं तब उसमें लार एंजाइम इसमें मिल जाता है। इससे भोजन को निगलने में आसानी होती है। इसे लार एमिलेस भी कहते हैं । यह भोजन को पाचित भी करता है ।

प्रश्न 7. स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ कौन-सी हैं और उसके उपोत्पाद क्या हैं ?

उत्तर – स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ निम्नलिखित है:
(i) क्लोरोफिल द्वारा प्रकाश ऊर्जा को अवशोषित करना ।
(ii) प्रकाश ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में रूपान्तरित करना तथा जल अणुओं का H2 तथा O2 में अपघटन करना ।
(iii) कार्बन डाइऑक्साइड का कार्बोहाइड्रेट में अपचयन होता है ।

(क) शर्करा,    (ख) जल तथा      (ग) ऑक्सीजन इसके उपोत्पाद हैं ।

प्रश्न 8. गैसों के अधिकतम विनिमय के लिए कूपिकाएँ किस प्रकार अभिकल्पित हैं ?

उत्तर नलिकाओं में गुब्बारे जैसी रचना में होती है, जिसमें O2 गैस अंतर्वृत हो जाती है । इसमें एक ऐसी सतह होती है, जिससे गैसों का विनिमय होता है । कूपिकाओं की भित्ति मोटी होती है, जिसमें रुधिर वाहिकाओं का बड़ा-सा जाल होता है । रुधिर शेष शरीर से CO2 कूपिकाओं में छोड़ने के लिए लाता है। कूपिकाएँ रुधिर वाहिका का रुधिर वायु से O2  लेकर शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुँचाता है ।

प्रश्न 9. हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के क्या परिणाम हो सकते हैं ?

उत्तर – हमारे शरीर में यदि हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होती है तो ऑक्सीजन की वहन क्षमता घट जाती है। इसलिए ऑक्सीजन की कमी से होनेवाले रोग सताने लगते हैं। खासकर हीमोग्लोबिन की कमी के कारण साँस फूलने लगती है ।

प्रश्न 10. हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के क्या परिणाम हो सकते हैं ?

उत्तर – हमारे शरीर में यदि हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होती है तो ऑक्सीजन की वहन क्षमता घट जाती है। इसलिए ऑक्सीजन की कमी से होनेवाले रोग सताने लगते हैं। खासकर हीमोग्लोबिन की कमी के कारण साँस फूलने लगती है ।

प्रश्न 11. मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की व्याख्या कीजिए। यह क्यों आवश्यक है ?

उत्तररुधिर को शरीर में एक बार पहुँचने के लिए मानव हृदय से दो बार गुजरना पड़ता है। इसलिए इसे दोहरा परिसंचरण कहा जाता है। इसके अन्तर्गत दो परिसंचरण आते हैं : (i) सिस्टमिक परिसंचरण तथा ‘ (ii) परमोनरी परिसंचरण ।
(i) सिस्टमिक परिसंचरण – यह बाएँ अलिंद से बाएँ निलय में ऑक्सीजनित रुधिर पहुँचाता है, जहाँ से यह शरीर के विभिन्न भागों में पम्प किया जाता है। विऑक्सीजनित रुधिर शरीर के विभिन्न हिस्सों से शिरा द्वारा इकट्ठा करके महाशिरा में डाला जाता है । अन्त में यह रुधिर दाएँ अलिंद में पहुँचता है और फिर दायें अलिंद से बाएँ निलय में जाता है ।
(ii) परमोनरी परिसंचरण विऑक्सीजनित रुधिर दाएँ निलय से ऑक्सीजनित होने के लिए फेफड़ों में भेजा जाता है। ऑक्सीजनित रुधिर फिर से मानव हृदय के बाएँ अलिंद में आता है। बाएँ अलिंद से बाएँ निलय में, बाएँ निलय से महाधमनी में और फिर सिस्टॉमिक परिसंचरण द्वारा शरीर के सभी भागों में पहुँचता है।
दोहरा परिसंचरण की आवश्यकता : मानव हृदय का दायाँ तथा बायाँ हिस्सा, ऑक्सीजनित और विऑक्सीजनित रुधिर को मिलने नहीं देते हैं। ऑक्सीजनित और विऑक्सीजनित रुधिर के अलग-अलग रहने से शरीर में ऑक्सीजन बहुत प्रभावी तरीके से पहुँचता है। यह शरीर के तापमान को नियन्त्रित करने के लिए ऊर्जा देता रहता है ।

प्रश्न 12. जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में क्या अंतर है ?

उत्तर जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में निम्नांकित अंतर है :

जाइलम द्वारा वहन

फ्लोएम द्वारा वहन

(i) जाइलम वृक्ष के धड़, शाखाओं तथा पत्तियों तक जल तथा घुलनशील लवण पहुँचाते हैं।
(ii) जल तथा घुले लवणों का चढ़ना वाष्पीकरण से उत्पन्न खिंचाव के कारण होता है ।
(iii) इसमें ऊर्जा खर्च नहीं होती है ।
(i) फ्लोएम भोजन पदार्थों को घुली अवस्था में पत्तियों से पादप के दूसरे हिस्से में पहुँचते हैं ।
(ii) यह परासरण दाब बढ़ा देता है जो फ्लोएम से पदार्थों को ऊतकों की ओर भेजता है तथा दाब कम जाता है ।
(iii) इसमें ऊर्जा की आवश्यकता होती है । क्योंकि यह सक्रिय प्रक्रम है ।

 

प्रश्न 13. फुफ्फुस में कूपिकाओं की तथा वृक्क में वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रियाविधि की तुलना कीजिए ।

उत्तर :

कूपिका

वृक्काणु

(i) कूपिका पतली, महीन, नाजुक सतहवाली होती है। इसमें गुब्बारे के समान संरचना पायी जाती है ।
(ii) कूपिकाएँ केवल फेफड़ों में गैसों के आदान-प्रदान के लिए सतही क्षेत्र बढ़ाती हैं
(iii) इसमें गैसों के आदान-प्रदान के लिए रुधिर कोशिकाओं का लम्बा-चौड़ा जाल होता है ।
(iv) कूपिका इसकी सतही क्षेत्र को बढ़ा देती है, जिससे C का रुधिर से वायु में तथा का वायु से रुधिर में विसरण हो सके ।
(i) यह पतली, कप के समान आकृति जैसी संरचना है ।
(ii) इसमें नलिकाकार हिस्से मूत्र को संग्राहक वाहिनी तक ले जाते हैं ।
(iii) इसका काम छानने का है। इससे लाभप्रद पदार्थों तथा जल का पुनः अवशोषण होता है ।
(iv) रुधिर को छानने के लिए तथा जलका पुनः अवशोषण के लिए इसका भी सतही क्षेत्र बढ़ जाता है। अंतिम उत्पाद के रूप में मूत्र बचता हैं ।

Read more- Click here
You Tube – Click here

कक्षा 10 विज्ञान भाग 2 पाठ 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण | Tatvon ka Vargikaran class 10 solution in Hindi

इस लेख में बिहार बोर्ड कक्षा 10 विज्ञान के पाठ 5 ‘ तत्वों का आवर्त वर्गीकरण (Tatvon ka Vargikaran class 10 solution in Hindi )’ को पढ़ेंगे।

Tatvon ka Vargikaran class 10 solution in Hindi

5. तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

पाठ के अन्दर दिए हुए प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. क्या डॉबेराइनर के त्रिक, न्यूलैंड्स के अष्टक- स्तंभ में भी पाए जाते हैं ? तुलना करके पता कीजिए ।

उत्तर हाँ, डॉबेराइनर के त्रिक न्यूलैंड्स के अष्टक -स्तंभ में पाए जाते हैं । जैसे Li, Na, K, डॉबेराइनर के त्रिक गुण हैं, जो न्यूलैंड्स के अष्टक के स्तम्भ में भी हैं ।

प्रश्न 2. डॉबेराइनर के वर्गीकरण की क्या सीमाएँ हैं ?

उत्तर- (a) ज्ञात सभी तत्वों का वर्गीकरण त्रिक के आधार पर नहीं हो सका ।
(b) उस समय डॉबेराइनर केवल तीन त्रिक ही ज्ञात कर सके थे, इसलिए यह वर्गीकरण सफल नहीं हो सका ।

प्रश्न 3. न्यूलैंड्स के अष्टक सिद्धांत की क्या सीमाएँ हैं ?

उत्तर(a) यह नियम केवल कैल्सियम तक ही लागू होता था क्योंकि Ca के बाद प्रत्येक आठवें तत्व का गुणधर्म पहले तत्व से मेल नहीं खाता ।

(b) न्यूलैंड्स ने कल्पना की कि प्रकृति में केवल 56 तत्व ही विद्यमान हैं तथा भविष्य में अब कोई तत्व नहीं मिलेगा । परन्तु बाद में कई नये तत्व पाए गए ।

(c) न्यूलैंड्स ने दो तत्वों को एक साथ रख दिया और कुछ असमान तत्वों को एक स्थान में रख दिया। जैसे कोबाल्ट तथा निकेल एक साथ है, जबकि इनके गुणधर्म उन दोनों तत्वों से भिन्न हैं ।

प्रश्न 1. मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी का उपयोग कर अग्रलिखित तत्वों के ऑक्साइड के सूत्र का अनुमान कीजिए : K, C, Al, Si, Ba

उत्तरK—K2O,   C—CO2 ,   Al—Al2O3 ,  Si—SiO2 , Ba—BaO.

प्रश्न 2. गैलियम के अतिरिक्त, अब तक कौन-कौन से तत्वों का पता चला है जिसके लिए मेन्डेलीफ ने अपनी आवर्त सारणी में खाली स्थान छोड़ दिया था ? दो उदाहरण दीजिए ।

उत्तर- (i) स्कैंडियम तथा (ii) जरमेनियम ।

प्रश्न 3. मेन्डेलीफ ने अपनी आवर्त सारणी तैयार करने के लिए कौन-सा मापदंड अपनाया था ?

उत्तर (i) मेन्डेलीफ ने तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमान के क्रम में सजाया था ।

(ii) उसने समान गुणवाले तत्व को एक समूह में रखने का प्रयास किया था ।

(iii) उसने तत्वों के ऑक्साइडों तथा हाइड्राइडों के अणुसूत्रों को आधार मानकर वर्गीकरण किया था ।

प्रश्न 4. आपके अनुसार उत्कृष्ट गैसों को अलग समूह में क्यों रखा गया ?

उत्तरचूँकि ये गैसें बहुत ही अक्रियाशील होती हैं तथा इनकी खोज बहुत बाद में हुई थी, इसलिए उत्कृष्ट गैसों को अलग समूह में रखा गया ।

(पृष्ठ : 100)

प्रश्न 1. आधुनिक आवर्त सारणी द्वारा किस प्रकार से मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी की विविध विसंगतियों को दूर किया गया ?

उत्तर : (i) आधुनिक आवर्त सारणी में तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु संख्या (Atomic Number) के क्रम में रखा गया। इसी कारण तत्व के समस्थानिकों को भी तत्व के साथ उसी स्थान पर रखा गया ।

(ii) आधुनिक आवर्त सारणी में हल्के तथा भारी तत्वों को उचित क्रम तथा उचित स्थान दिया गया ।

(iii) आधुनिक आवर्त सारणी में हाइड्रोजन को प्रथम समूह में रखा गया, क्योंकि यह विद्युतधनात्मक होता है ।

(iv) अक्रिय गैसों का स्थान भी तर्क के साथ 18 वें समूह में रखा गया।

प्रश्न 2. मैग्नीशियम की तरह रासायनिक अभिक्रियाशीलता दिखानेवाले दो तत्वों के नाम लिखिए | आपके चयन का क्या आधार है ?

उत्तर मैग्नीशियम की तरह रासायनिक अभिक्रियाशीलता दिखानेवाले दो तत्वों के नाम हैं : (i) कैल्सियम तथा (ii) बेरियम ।
हमारे चयन का आधार यह है, कि ये दोनों (i) मैग्नीशियम समूह के हैं । (ii) इन दोनों का संयोजी इलेक्ट्रॉन मैग्नीशियम के समान +2 है ।

प्रश्न 3. नाम बताइए :
(a) तीन तत्वों के, जिनके सबसे बाहरी कोश में एक इलेक्ट्रॉन उपस्थित हो ।
(b) दो तत्वों के, जिनके सबसे बाहरी कोश में दो इलेक्ट्रॉन उपस्थित हों ।
(c) तीन तत्वों के, जिनका बाहरी कोश पूर्ण हो ।

उत्तर : (a) लीथियम, सोडियम, पोटैशियम (Li, Na, K) ।
(b) मैग्नीशियम, कैल्सियम (Mg, Ca) ।
(c) हीलियम, नियॉन, आर्गन (He, Ne, Ar ) ।

प्रश्न 4. (a) लीथियम, सोडियम, पोटैशियम, ये सभी धातुएँ जल से अभिक्रिया कर हाइड्रोजन मुक्त करती हैं। क्या इन तत्वों के परमाणुओं में कोई समानता है ? (b) हीलियम एक अक्रियाशील गैस है जबकि नियॉन की अभिक्रियाशीलता अत्यंत कम है। क्या इनके परमाणुओं में कोई समानता है ?

उत्तर : (a) इन सभी की बाहरी कक्षा में केवल 1 इलेक्ट्रॉन है ।
(b) दोनों तत्वों की बाहरी कक्षा पूर्णतः इलेवनॉनों से भरी हुई है।

प्रश्न 5. आधुनिक आवर्त सारणी में पहले दस तत्वों में कौन-सी धातुएँ हैं ?

उत्तर – केवल तीन धातुएँ हैं— लीथियम, बेरीलियम तथा बोरॉन ।

प्रश्न 6. आवर्त सारणी में इनके स्थान के आधार पर इनमें से किस तत्व में सबसे अधिक धात्विक अभिलक्षण की विशेषता है ? Ga, Ge, As, Se, Be.

उत्तर – चूँकि बाईं तरफ वाले तत्व धातु होते हैं और दाई तरफ वाले अधातु होते हैं इस कारण Be (बेरीलियम) में सबसे अधिक धात्विक अभिलक्षण की विशेषता है।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. आवर्त सारणी में बाई से दाईं ओर जाने पर, प्रवृत्तियों के बारे में कौन- सा कथन असत्य है ?

(a) तत्वों की धात्विक प्रकृति घटती है ।
(b) संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ जाती है ।
(c) परमाणु आसानी से इलेक्ट्रॉन का त्याग करते हैं ।
(d) इनमें ऑक्साइड अधिक अम्लीय हो जाते हैं।

उत्तर – (c) परमाणु आसानी से इलेक्ट्रॉन का त्याग करते हैं । कथन असत्य है ।

प्रश्न 2. तत्व X, XCl2 , सूत्र का वाला एक क्लोराइड बनाता है जो एक ठोस है तथा जिसका गलनांक अधिक है । आवर्त सारणी में यह तत्व संभवत: किस समूह के अंतर्गत होगा ?

(a) Na                  (b) Mg                    (c) Al              (d) Si

उत्तर (b) Mg क्लोराइड का अणुसूत्र XCl2 है ।

प्रश्न 3. किस तत्व में :
(a) दो कोश हैं तथा दोनों इलेक्ट्रॉनों से पूरित हैं ?
(b) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 2 है ?
(c) कुल तीन कोश हैं तथा संयोजकता कोश में चार इलेक्ट्रॉन हैं ?
(d). कुल दो कोश हैं तथा संयोजकता कोश में तीन इलेक्ट्रॉन हैं ?
(e) दूसरे कोश में पहले कोश से दोगुने इलेक्ट्रॉन हैं ?

उत्तर : (a) नियॉन          (N10)            (2 8)
(b) मैग्नीशियम              (Mg)
(c) सिलिकॉन                (Si)               (2 8 4)
(d) बोरान                     (B)                 (2 3)
(e) कार्बन                     (C)                 (2 4)

 प्रश्न 4. (a) आवर्त सारणी में बोरॉन के स्तंभ के सभी तत्वों के कौन-से गुणधर्म समान हैं ?
(b) आवर्त सारणी में फ्लुओरीन के स्तंभ के सभी तत्वों के कौन-से गुणधर्म समान हैं ?

उत्तर : (a) सभी तत्व धातु हैं, जिनके गुणधर्म निम्नलिखित हैं :
(i) सभी विद्युत के सुचालक होते हैं तथा (ii) आघातवर्ध्य होते हैं
(b) ये सभी अधातु हैं, सभी कुचालक तथा भंगुर होते हैं ।

प्रश्न 5. एक परमाणु का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 7 है ।
(a) इस तत्व की परमाणु संख्या क्या है ?
(b) निम्न में से किस तत्व के साथ इसकी रासायनिक समानता होगी ? ( परमाणु- संख्या कोष्ठक में दी गई है )

N (7)          F (9)       P (15)          Ar (18)

उत्तर- (a) परमाणु- संख्या 17,
(b) F (9) के एक साथ इसकी रासायनिक समानता होगी ।

प्रश्न 7. नाइट्रोजन (परमाणु- संख्या 7 ) तथा फ़ॉस्फ़ोरस (परमाणु- संख्या 15) आवर्त सारणी के समूह 15 के तत्व हैं । इन दोनों तत्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लीजिए । इनमें से कौन-सा तत्व अधिक ऋण विद्युत होगा और क्यों ?

उत्तरनाइट्रोजन तत्व अधिक विद्युतऋणात्मक तत्व होगा। क्योंकि समूह में ऊपर से नीचे आने पर तत्व की विद्युतऋणात्मकता घटती है । नाइट्रोजन, फॉस्फोरस से ऊपर है ।

          K        L      M

7N –   2        5

15P –   2      8           5

प्रश्न 8. तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास का आधुनिक आवर्त सारणी में तत्व की स्थिति से क्या संबंध है ?

उत्तर तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास का आधुनिक आवर्त सारणी में तत्व की स्थिति में यह सम्बंध है कि बाहरी कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की संख्या उस तत्व की समूह – संख्या को व्यक्त करता है तथा बाहरी कोश- संख्या उस तत्व की आवर्त को व्यक्त करता है ।

प्रश्न 9. आधुनिक आवर्त सारणी में कैल्सियम (परमाणु संख्या 20 ) के चारों ओर 12, 19, 21 तथा 38 परमाणु- संख्या वाले तत्व स्थित हैं । इनमें से किन तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्म कैल्सियम के समान हैं ?

उत्तरपरमाणु-संख्या 12 वाले तत्व का भौतिक एवं रासायनिक गुण-धर्म समान हैं। कारण कि Ca (20) एवं परमाणु संख्या 12 और 38 वाले तत्वों के आखिरी कोश में मात्र 2 इलेक्ट्रॉन हैं । लेकिन अन्य परमाणु संख्याओं की स्थिति ऐसी नहीं है। इसे नीचे की सारणी द्वारा अच्छी तरह समझा जा सकता है :

परमाणु- संख्या          इलेक्ट्रॉनिक विन्यास

  (20)                             2, 8, 8, 2

   12                                2, 8, 2

   19                               2, 8, 8, 1

   21                              2, 8, 9, 2

   38                             2, 8, 18, 8, 2

प्रश्‍न 10 आधुनिक आवर्त सारणी एवं मेन्‍डेलीफ की आवर्त सारणी में तत्‍वों की व्‍यवस्‍था की तुलना किजिए ।

उत्तर – आधुनिक आवर्त सारणी एवं मेंन्‍डेलीफ की आवर्त सारणी में तत्‍वों की व्‍यवस्‍था की तुलना :

मेन्‍डेलीफ की आवर्त सारणी

आधुनिक आवर्त सारणी

(i) मेन्‍डेलीफ की आवर्त सारणी तत्‍वों के परमाणु द्रव्‍यमान पर   अधारित है ।
(ii) मेन्‍डेलीफ ने अक्रिय गैसो को काई स्‍थान नही दिया था।
(iii) मेन्‍डेलीफ की आवर्त सरणी में 8 समुह है ।
(iv) मेन्‍डलीफ की आवर्त सारणी दोषपुर्ण है ।
अधुनिक आवर्त सारणी परमाणु कि‍ संख्‍या पर अधारित है।
लेकिन इनमे अक्रिया गैसो को 18 वे समुह है ।
जबकि आधुनिक आवर्त में 18 समुह है ।
जबकि आधुनिक आवर्त सरणी के कोई दोष नही है।

Read more- Click here
You Tube – Click here