इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान के पाठ 10. चले मंडी घुमने (Chale Mandi Ghumne Class 7th Solutions)के सभी टॉपिकों के बारे में अध्ययन करेंगे।
10. चले मंडी घुमने
पाठ के अन्दर आए प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 93 के रेखा चित्र के अनुसार बड़े शहर की मंडी तक चावल पहुँचने के क्या-क्या तरीके हैं ? ( पृष्ठ 93)
उत्तर – चित्र के अनुसार किसान का धान दो स्तर से मिलों तक पहुँचता है। पहला स्तर है कि किसान से धान बड़े मिलों में जाता है । वहाँ से चावल बड़े शहरों के थोक विक्रेता को जाता है और वहाँ से खुदरा विक्रेता चावल ले जाते हैं । दूसरा स्तर है कि किसान से धान छोटे चावल मिलों में जाता है। वहाँ से स्थानीय छोटे व्यापारी खरीद लेते हैं और उसे स्थानीय मंडी के थोक व्यापरी के हाथ बेचते हैं। स्थानीय मंडी के थोक व्यापारी उस चावल को बड़े शहर के थोक विक्रेता के हाथ बेच देते हैं । वहाँ से खुदरा विक्रेता चावल ले जाकर छोटे बाजारों में बेचते हैं । यहाँ हम देखते हैं कि दोनों स्तर का चावल शहर के थोक विक्रेता के पास ही पहुँचता है, जहाँ से खुदरा विक्रेता ले जाते हैं ।
प्रश्न 2. थोक और खुदरा बाजार में क्या अन्तर है ? ( पृष्ठ 93 )
उत्तर- थोक बाजार में थोक माल बेचे जाते हैं। कम-से-कम एक बद बोरा चावल या गेहूँ तो लेना ही पड़ेगा। इसके विपरीत खुदरा बाजार में खरीददार अपनी जरूरत के मुताबिक ही सामान ख़रीद सकता है। एक किलो, दो किलो, पाँच किलो, दस किलो जितना भी ।
प्रश्न 3. थोक बाजार की जरूरत क्यों होती है ? चर्चा करें। ( पृष्ठ 93 )
उत्तर—थोक बाजार की जरूरत इसलिए होती है ताकि जो माल उसके पास आए उसका वह तुरंत भुगतान कर सके । छोटे शहर या ग्रामीण दुकानदार भी जितना चाहे उतना माल खरीद सकें। इस प्रकार हम देखते हैं कि विक्रेता और क्रेता दोनों के लिए थोक बाजार की जरूरत होती हैं ।
प्रश्न 4. छोटे किसान को चावल का कम मूल्य क्यों मिलता है ? (पृ. 93 )
उत्तर—चूँकि छोटे किसान से स्थानीय छोटे व्यापारी खरीदते हैं । वे अपना लाभ कम कर ही चावल का मूल्य देते हैं। इसी कारण छोटे किसान को चावल का कम मूल्य मिलता है ।
प्रश्न 1. आपके आस-पास कोई मिल है क्या? वहाँ फसल कैसे पहुँचता है ? पता लगाइए। (पृष्ठ 97 )
उत्तर— हाँ, मेरे आस-पास अनेक चीनी मिलें हैं। मेरे सर्वाधिक निकट नरकटियागंज चीनी मिल तथा समनगर चीनी मिलें हैं ।
चीनी का मुख्य कच्चा माल गन्ना है। गन्ना किसान अपने खेतों में उपजाते हैं। किसान ही गन्ना को मिलों में पहुँचाते हैं। प्रक्रिया है कि पहले मिल से गन्ना देने का आदेश पत्र लेना पड़ता है। आदेश मिलने पर ही गन्ना को बैलगाड़ी, ट्रैक्टर या ट्रक द्वारा मिल में पहुँचाया जाता है । पहले आओ पहले तौलवाओं की विधि से गन्ने की तौल होती है। कभी-कभी कतार बहुत लम्बा हो जाता है। गन्ने का मूल्य मिल किसान को बाद में देता है।
प्रश्न 2. सरकार द्वारा चलायो गयो नियंत्रित मंडी क्या है ? शिक्षक के साथ चर्चा करें । ( पृष्ठ 97 )
उत्तर- सरकार द्वरा चलायी गयी नियंत्रित मंडी बाजार समितियाँ है। बाजार समिति में सरकारी गोदाम होतें हैं। व्यापारी किसानों से अनाज खरीद कर वहीं रखते हैं जहाँ से खुदरा विक्रेता खरीद कर ले जाते हैं और खुदरा विक्रेता से उपभोक्ता खरीदते हैं।
प्रश्न 3. बिहार में प्रक्का उद्योग लगाने की काफी संभावनाएँ हैं। इन इकाइयों द्वारा मक्के के विभिन्न उत्पाद, जैसे- स्टार्च, बेबी कार्न, पाप कर्न, कर्न फ्लैक्स, मक्के का आटा, मुर्गियों का चारा, मक्के का तेल अदि बनाया जा सकता है। इनके क्या फायदे-नुकसान हैं ? चर्चा करें ।
उत्तर-मक्के के उद्योग से किसानों को फायदा यह है कि कारखानेदार उन्हें तुरंत भुगतान कर देते हैं। यदि किसानों की पहुँच मंडियों तक हो जाय तो उन्हें अधिक लाभ हो। कारखानेदारों को ये मंडी वाले ही मक्का पहुँचाते हैं। ये लोग बंग्लादेश, अर्जेन्टीना और मलेशिया तक कच्चे माल का निर्यात करते हैं। देश के आंतरिक राज्यों— पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश को भी जाता है । यदि सही समर्थन मूल्य पर किसानों से मक्का खरीदा जाय तो किसानों को लाभ ही लाभ है। लेकिन निर्यात कर देने से देश के लोगों का मक्का महँगा मिलने लगता है । यह देशवासियों के लिए नुकसान है ।
प्रश्न 1. शीत गृहों के निर्माण में किसे फायदा हो सकता है ? ( पृष्ठ 102 )
उत्तर- शीतगृहों के निर्माण से फलों और सब्जियों के थोक व्यापारियों को फायदा हो सकता है। बड़े किसान को भी इससे लाभ हो सकता है।
प्रश्न 2. अपने घर के आसपास सर्वे करें कि पिछले 15 वर्षों में लोगों को फल की खपत में क्या-क्या परिवर्तन आए और क्यों ?
उत्तर—हमने अपने आस-पास पता लगाया अर्थात् सर्वे किया । ज्ञात हुआ कि पिछले 15 वर्षों की खपत में कोई खास अन्तर नहीं आया है। कहीं-कहीं जैम और जेली तक जूस के कारखाने खुल जाने से बाहर भेजने के लिए कम ही फल बच पाता है। वरना और खपत पहले जैसा ही है ।
प्रश्न 3. बिहार के फल प्रसंस्करण आधारित उद्योग लगाने की क्या-क्या सम्भावनाएँ हैं ? चर्चा करें । ( पृष्ठ 97 )
उत्तर- बिहार में फल प्रसंस्करण आधारित उद्योग लगाने की अच्छी सम्भावनाएँ हैं। मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर आदि स्थानों पर ऐसे उद्योग खड़े किये जायँ तो किसानों को अच्छा लाभ हो ।
प्रश्न 4. ” स्वतंत्रता के पूर्व बिहार को देश का चीनी का कटोरा कहा जाता था। 1942-43 में राज्य में कुल 32 चीनी मिलें थीं, जबकि देश भर में सिर्फ 140 चीनी मिलें थी । वहीं 2000 तक राज्य के चीनी मिलों की संख्या घटकर सिर्फ 10 रह गयीं, जबकि भारत भर में चीनी मिलों की संख्या 495 हो गयी । ” पता करें कि यह बदलाव कैसे हुआ ? ( पृष्ठ 102 )
उत्तर—प्रश्न में दिये गए बदलाव पर हम विचार करते हैं तो पाते हैं कि बिहार में जितनी मिलें थीं उनकी मशीन पुराने जमाने की थीं और चलते-चलते घिस कर उत्पादन कम देने लगी थीं। दूसरी मार मिल मालिकों पर कर्मचारी संघों का पड़ा । धीरे-धीरे मिल मालिकों ने अपनी पूँजी निकाल कर दूसरे उद्योगों में लगा दिया और चीनी मिलों को बन्द कर भाग खड़े हुए। बहुतों ने तो किसानों का और मजदूरों का भी रुपया मार लिया। जो मिल मालिक कर्मचारी संघों से निबट सकते थे, वे धीरे-धीरे मिलों का नवीनीकरण करते रहे और उनका मिल चालू रहा। बिहार में आज जो 10 मिलें बची हुई हैं, उन्हीं जबरदस्त मिल मालिकों की हैं जो जैसा को तैसा जवाब दे सकते थे । अब इधर 2010 में आकर बिहार सरकार और नई मिलें खोलवाने का प्रयास कर रही है । पहले जैसी स्थिति तो नहीं होगी, लेकिन राज्य में मिलें बढ़ेगी और कुछ-न-कुछ उत्पादन भी अवश्य बढ़ेगा ।
प्रश्न 5. बिहार में पश्चिम चम्पारण, पूर्वी चम्पारण, सारण, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, शाहाबाद, पूर्णिया, पटना एवं सहरसा प्रमुख गन्ना उत्पदक जिले हैं । इन्हें मानचित्र में दिखाएँ ।
उत्तर :
अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न – 1. आपके अनुसार अरहर किसान से किस प्रकार आपके घरों में दाल के रूप में पहुँचता है। दिये गये विकल्पों में से खाली बॉक्स भरें ।
उत्तर :
किसान → (i) → (iv) → (v) → (iii) → (ii) → उपभोक्ता
‘विकल्प :
(i). दाल मिल
(ii) खुदरा व्यवसायी
(iii) स्थानीय छोटे व्यवसायी
(iv) बड़ी मंडी के थोक व्यवसायी
(v) स्थानीय मंडी के थोक व्यवसायी
प्रश्न 2. स्तंभ ‘क‘ को स्तं भ ‘ख‘ से मिलान करें ।
स्तंभ क स्तंभ ख
(i) शाही लीची (क) भागलपुर
(ii) दुधिया मालदह (ख) मुजफरपुर
(iii) मखना- (ग) दीघा (पटना)
(iv) जर्दालु आम (घ) दरभंगा
उत्तर :
स्तंभ क स्तंभ ख
(i) शाही लीची (ख) मुजफ्फरपुर
(ii) दुधिया मालदह (ग) दीघा (पटना)
(iii) मखाना (घ) दरभंगा
(iv) जर्दालु आम (क) भागलपुर
प्रश्न 3. कृषि उपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य से आप क्या समझते हैं ? इससे किसानों को क्या फायदा होता है ?
उत्तर—कृषि उपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य से तात्पर्य है कि जो मूल्य सरकार निश्चित करती है और उस मूल्य पर स्वयं खरीदने का वादा करती है। यदि अन्य व्यापारी भी खरीदेंगे तो उस मूल्य से कम मूल्य पर नहीं खरीदेंगे। भले ही अधिक मूल्य दे दें ।
इससे किसानों को यह फायदा होता है कि व्यापारी उनका शोषण नहीं कर पाते । किसान खुशहाल रहते हैं ।
प्रश्न 4. निम्नलिखित फसलों से बनाये जाने वाले विभिन्न उत्पादों को लिखें। इन उत्पादों को बनाने के लिए क्या किया जाना चाहिए ?
उत्तर :
प्रश्न 5. निम्नलिखित फसलों के सामने के खाली बॉक्स को भरें। अपने आस-पास के अनुभव के आधार पर
उत्तर :
प्रश्न 6. पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 104 पर दिये गये चित्र में गुप्त रूप से आम का भाव तय किया जा रहा है। खुली नीलामी प्रक्रिया इससे कैसे भिन्न है ? चर्चा करें ।
उत्तर — गुप्त रूप से आम का भाव तय करने में केवल दो व्यक्ति ही भाव समझ पाते हैं। लेकिन खुली निलामी में सभी व्यापारी आम का भाव जान जाते हैं। जिसकी बोली सबसे अधिक भाव की होती है, उसी को दर माना जाता है। अधिक बोली लगाने वाले को सारा आम खरीदना पड़ जाता है। फिर वह अपना मुनाफा रख कर खुदरा व्यापारियों के हाथ बेचता है।’
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