इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 10 विज्ञान के पाठ 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण(Chemical Reaction and Equation) के सभी टॉपिकों के बारे में अध्ययन करेंगे।
Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण
हमारे दैनिक जीवन में प्रत्येक क्षण कुछ-न-कुछ परिवर्तन होते रहते हैं। उदाहरण के लिए, दूध से दही बनना या दूध का फटना, चावल से भात का बनना, हमारे शरीर में भोजन का पचना आदि।
रासायनिक अभिक्रिया– जब कोई पदार्थ अकेले ही या किसी अन्य पदार्थ से क्रिया करके भिन्न गुण वाले एक या अधिक नए पदार्थों का निर्माण करता है, तब वह प्रक्रिया रासायनिक अभिक्रिया कहलाती है।
अभिकारक– जो पदार्थ रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेकर नए पदार्थ बनाते हैं उन्हें अभिकारक कहते हैं।
प्रतिफल– रासायनिक अभिक्रिया के फलस्वरूप बने नए पदार्थ को प्रतिफल कहते हैं।
H2+Cl2=2HCl
रासायनि समीकरण– किसी रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेनेवाले पदार्थों के संकेतों एवं सूत्रों की सहायता से उस अभिक्रिया का संक्षिप्त निरूपण रासायनिक समीकरण कहलाता है। जैसे- हाइड्रोजन और क्लोरिन के मिश्रण को सूर्य के प्रकाश में रखने पर हाइड्रोजन क्लोराइड बनता है। इस अभिक्रिया को रासायनिक समीकरण के द्वारा निम्नांकित प्रकार से निरूपित किया जाता है।
H2 + Cl2→2HCl
संतुलित रासायनिक समीकरण– संतुलित रासायनिक समीकरण वह है जिसमें समीकरण के दोनों ओर प्रत्येक तŸव के परमाणुओं की संख्या समान होती है।
H2+Cl2→2HCl
उपर्युक्त समीकरण के दोनों ओर हाइड्रोजन और क्लोरिन के परमाणुओं की संख्याएँ समान हैं, अतः यह समीकरण संतुलित है।
असंतुलित रासायनिक समीकरण– असंतुलित रासायनिक समीकरण वह है जिसमें समीकरण के दोनों ओर तŸवों के परमाणुओं की संख्याएँ समान नहीं होती हैं।
H2+ O2→H2O
संयोजन या संश्लेषण अभिक्रिया– संयोजन या संश्लेषण अभिक्रिया वह है जिसमें दो या अधिक पदार्थ (तŸव या यौगिक) परस्पर संयोग करके एक नए पदार्थ का निर्माण करते है। नए पदार्थ के गुण मूल पदार्थ के गुण से बिल्कुल भिन्न होते हैं।
C + O2→CO2
2Mg + O2→2MgO
वियोजन या अपघटन अभिक्रिया– वियोजन या अपघटन अभिक्रिया वह अभिक्रिया है, जिसमें किसी यौगिक के बड़े अणु के टुटने से दो या अधिक सरल यौगिक बनते हैं जिनके गुण मूल यौगिक के गुण से बिलकुल भिन्न होते हैं
CaCO3 → CaO + CO2
विस्थापन अभिक्रिया– वह अभिक्रिया जिसमें किसी यौगिक में उपस्थित किसी परमाणु या परमाणुओं के समुह को किसी दूसरे परमाणु द्वारा विस्थापित किया जाता है, विस्थापन अभिक्रिया कहलाती है।
Fe(s) + CuSO4(aq)→FeSO4(aq) + Cu(s)
द्विविस्थापन अभिक्रियाएँ– वे अभिक्रियाएँ जिनमें अभिकारकों के बीच आयनों का आदान-प्रदान होता है उन्हें द्विविस्थापन अभिक्रियाएँ कहते है।
Na2SO4(aq) + BaCl2(aq)→BaSO4(s) + 2NaCl(aq)
अभिक्रिया के समय जब किसी पदार्थ में ऑक्सीजन की वृद्धि होती है तो कहते हैं कि उसका उपचयन हुआ है। तथा जब अभिक्रिया में किसी पदार्थ में ऑक्सीजन का ह्रास होता है तो कहते हैं कि उसका अपचयन हुआ है।
MnO2 + 4HCl→MnCl2 + 2H2O + Cl
जब कोई धातु अपने आसपास अम्ल, आर्द्रता आदि के संपर्क में आती है तब ये संक्षारित होती हैं और इस प्रक्रिया को संक्षारण कहते हैं।
Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण
अम्ल– अम्ल वह पदार्थ है जिसका जलीय विलयन स्वाद में खट्टा होता है तथा धातु से अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस मुक्त करता है।
भस्म– भस्म वह पदार्थ है जिसका जलीय विलयन स्वाद में कड़वा होता है तथा अम्ल को उदासीन कर लवण बनाता है।
आर्हेनियस द्वारा अम्ल की परिभाषा– अम्ल वह पदार्थ है जो जल में घुलकर हाइड्रोजन आयन देता है।
आर्हेनियस द्वारा भस्म की परिभाषा– भस्म वह पदार्थ है जो जल में घुलकर हाइड्रॉक्साइड आयन देता है।
क्षार– जल में विलेय भस्म को क्षार कहते हैं।
Chemical Reaction and Equation in Science
अम्ल के गुण–
- अम्ल स्वाद में खट्टा होता है।
- प्रबल अम्ल विद्युत के सुचालक होते हैं।
- अम्ल धातु से क्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं।
- भस्म क्षार से क्रिया करके लवण और जल बनाता है।
- अम्ल नीले लिटमस पत्र को लाल कर देता है।
भस्म के गुण–
- क्षार स्वाद में तीखा या कड़वा होता है।
- क्षार छूने में साबुन जैसा चिकना होता है।
- प्रबल क्षार विद्युत का सुचालक होता है।
- अम्ल से प्रतिक्रिया करके लवण तथा जल देता है।
- क्षार लाल लिटमस को नीला को पीला कर देता है।
pH मान–pH मान एक संख्या होती है जो पदार्थों की अम्लीयता और क्षारीयता को प्रदर्शित करती है। यह किसी विलयन के हाइड्रोजन आयनों की सान्द्रता के लघुगणक का ऋणात्मक मान है।
अम्लीय विलयन का pH मान 7 से कम, क्षारीय विलयन का pH मान 7 से अधिक और उदासीन विलयन का pH मान 7 के बराबर होता है।
Chemical Reaction and Equation in Science
दैनिक जीवन में चभ् का महत्व
- पेट की अम्लीयता (एसिडिटी) व गैस की समस्या को दूर करने के लिए क्षारीय प्रकृति वाले मिल्क ऑफ मैग्नीशिया का प्रयोग किया जाता है।
- अम्लीय वर्षा में जल का pH मान 5.6 से कम होता है। इस जल के फलस्वरुप नदियों का pH मान भी कम हो जाता है जो कि जलीय जीवों पर हानिकारक प्रभाव डालता है।
- दांत का इनामेल कैल्शियम सल्फेट का बना होता है। दांतों की सफाई नहीं करने पर बैक्टीरिया के सड़ने से अम्लों की उत्पत्ति होती है जिनसे मुंह की लार का पीएच 5.5 से कम चला जाता है और इनामेल को नुकसान पहुंचाता है। इसके उपाय हेतु टूथपेस्ट में क्षारीय पदार्थ प्रयुक्त किए जाते हैं।
- मधुमक्खी के डंक में मेथेनॉइक अम्ल होता है। इसके डंक से होने वाली जलन को शांत करने के लिए क्षारीय प्रकृति के बेकिंग सोडा का प्रयोग किया जाता है।
- उपजाऊ मिट्टी का पीएच मान भी एक निश्चित परास में होता है।
- अम्ल एवं क्षारक की अभिक्रिया वेफ परिणामस्वरूप लवण तथा जल प्राप्त होते हैं तथा इसे उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं। सामान्यतः उदासीनीकरण अभिक्रिया को इस प्रकार लिख सकते हैं।
क्षारक + अम्ल →लवण+जल
लवण– अम्लों तथा भस्मों की अभिक्रिया से लवण तथा जल बनते हैं।
HCl+NaOH→NaCl+H2O
सोडियम हाइड्रॉक्साइड के उपयोग- 1. साबुन तथा अपमार्जक बनाने में
- कागज बनाने में
- प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में
हाइड्रोजन गैस का उपयोग–
- वनस्पति तेल का हाइड्रोजनीकरण कर उन्हें वनस्पती घी में परिणत करने में
- हैबर विधि द्वारा अमोनिया बनाने में
क्लोरीन गैस का उपयोग–
- कपड़ों एवं कागज को विरंजित करने में
- कीटाणुनाशक होने के कारण पेयजल को शुद्ध करने में
- विरंजक चूर्ण बनाने में
सोडियम बाइकार्बोनेट या सोडियम होइड्रोजनकार्बोनेट (खाने का सोडा, NaHCO3)
सोडियम बाइकार्बोनेट को अमोनिया-सोडा विधि या साल्वे विधि द्वारा तैयार किया जाता है।
Chemical Reaction and Equation in Science
सोडा विधि या साल्वे विधि
सिद्धांत– अमोनिया गैस से संतृप्त सोडियम क्लोराइड के संतृप्त जलीय विलयन में कार्बन डाइऑक्साइड गैस प्रवाहित करने के फलस्वरूप सोडियम बाइकार्बोनेट प्राप्त होता है।
NaCl + H2O + CO2 + NH3→NH4 Cl + NaHCO3
गुण-1. सोडियम बाइकार्बोनेट का जलीय विलयन क्षारीय होता है तथा इस विलयन का pH मान 7 से अधिक होता है।
- NaHCO3 अम्लों को उदासीन करता है तथा अभिक्रिया के फलस्वरूप CO2 गैस निकलती है।
NaHCO3 + HCl→NaCl + CO2↑+ H2O
सोडियम बाइकार्बोनेट का उपयोग–
- इसका उपयोग बेकिंग पाउडर बनाने में किया जाता है।
- पेट की अम्लीयता कम करने के लिए औषधि (ऐंटासिड) के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- इसका उपयोग अग्निशामक यंत्रों में भी किया जाता है।
- रसोईघर में, खाने के सोडा का उपयोग खस्ता व्यंजन बनाने के लिए किया जाता है। कभी-कभी इसका इस्तेमाल खाना जल्द पकाने के लिए भी किया जाता है।
Chemical Reaction and Equation in Science
सोडियम कार्बोनेट या धोने का सोडा(Na2CO3 . 10H2O)
सोडियम कार्बोनेट या धोने का सोडा प्रायः अमोनिया-सोडा विधिया साल्वे विधि से तैयार किया जाता है।
Chemical Reaction and Equation in Science
अमोनिया सोडा विधि या साल्वे विधि
सिद्धांत- अमोनिया गैस से संतृप्त सोडियम क्लोराइड के संतृप्त जलीय विलयन में कार्बन डाइऑक्साइड गैस प्रवाहित करने पर सोडियम बाइकार्बोनेट प्राप्त होता है।
NaCl + H2O + CO2 + NH3→ NH4Cl + NaHCO3
सोडियम बाइकार्बोनेट को गर्म करके सोडियम कार्बोनेट प्राप्त किया जाता है।
2NaHCO3→Na2CO3 + CO2 + H2O
सोडियम कार्बोनेट के रवाकरण से धोने का सोडा (Na2CO3 . 10H2O) प्राप्त होता है।
गुण- 1. Na2CO3 का जलीय विलयन क्षारीय होता है।
Na2CO3 अम्लों को उदासीन बनाता है।
सोडियम कार्बोनेट के विलयन में CO2 गैस प्रवाहित करने पर सोडियम बाइकार्बोनेट बनता है।
Na2CO3 + CO2 + H2O →2NaHCO3
धोने के सोडा का उपयोग–
- कपड़ा आदि धोने में इसका उपयोग होता है।
- यह प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में व्यवहार किया जाता है।
- काँच, कागज, साबुन आदि के उत्पादन में इसका उपयोग किया जाता है।
- जल का स्थायी खारापन दूर करने में 〖छं〗ऋ2〖ब्व्〗ऋ3 का उपयोग होता है।
विरंजक चूर्ण [Ca(OCl)Cl]
शुष्क बुझे हुए चूने [Ca(OH)2] , को 40℃तकतप्तकरउसकेऊपरक्लोरिन गैस प्रवाहित करने पर विरंजक चूर्ण प्राप्त होता है।
Ca(OH)2 + Cl2→Ca(OCl)Cl + H2O
गुण– यह सफेद चूर्ण है जिससे क्लोरिन की गंध निकलती है।
उपयोग-1. कीटाणुनाशक के रूप में
- कागज एवं कपड़ों के विरंजन में
- क्लोरिन, क्लोरोफॉर्म आदि बनाने में
प्लास्टर ऑफ पेरिस (CaSo4)2 . H2O या कैल्सियम सल्फेट हेमिहाइड्रेट CaSo4 . 1/2 H2O
जिप्सम (CaSo4 . 2H2O)को तीव्रता से गर्म करने पर यह पूर्ण रूप से निर्जलीय होकर कैल्सियम सल्फेट बनाता है।
CaSo4 . 2H2O →CaSo4+ 2H2O
जिप्सम को 120℃ तक सावधानीपूर्वक गर्म करने के फलस्वरूप प्लास्टरऑफ पेरिस बनताहै।
2(CaSo4 . 2H2O)→(CaSo4)2 . H2O + 3H2O
उपयोग-1. प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग मूर्ति बनाने में किया जाता है।
- इसका उपयोग शल्य चिकित्सा में टूटी हुई हड्डियों को बैठाने और जोड़ने में पट्टियों के रूप में किया जाता है।
Bihar Board Class 10th Social Science
Chemical Reaction and Equation in Science Video