इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 7 हिन्दी के कहानी पाठ सात ‘ Cycle Ki Sawari ( साइकिल की सवारी )’ के सारांश को पढ़ेंगे।
7. साइकिल की सवारी
पाठ का सारांश-प्रस्तुत कहानी ‘साइकिल की सवारी’ में लेखक ने अपनी आपबीती घटनाओं का वर्णन किया है। लेखक जब अपने पुत्र को साइकिल चलाते देखता है तो उसके मन में हीनता का भाव जन्म लेता है कि हमारे भाग्य में दो विद्याएँ-साइकिल चलाना और हारमोनियम बजाना नहीं लिखा है। इसलिए लेखक ने साइकिल चलाना सीख लेने का निर्णय किया । सन् 1932 की बात है। लेखक के मन में ख्याल आया कि क्या हमी जमाने भर में फिसड्डी रह गए हैं कि साइकिल नहीं चला सकते। इस कारण उन्होंने निश्चय कर लिया कि चाहे जो भी हो जाए, साइलिक चलाना सीखेंगे। दूसरे ही दिन लेखक ने अपने फटे-पुराने कपड़े की तलाश की और उन्हें श्रीमतीजी के सामने मरम्मती के लिए पटक दिया। पत्नी के पूछने पर लेखक ने बताया कि वह साइकिल चलाना सीखेंगे।, पत्नी ने कहा— “मुझे तो आशा नहीं कि आपसे यह बेल मत्थे चढ़ सके । खैर; यत्नकर देखिए लेखक ने कहा-साइकिल सीखते समय एकाध बार गिरना स्वाभाविक है. इस बुद्धिमान लोग पुराने कपड़ों से काम चलाते हैं, जो मूर्ख होते हैं, वही नए कपड़े पहनक साइकिल चलाना सीखते हैं । लेखक के इस युक्ति पर पत्नी ने कपड़ों की मरम्मत कर दी।
साइकिल चलाना सीखने की तैयारी शुरू हो गई। लेखक ने बाजार जाकर ‘जंबक’ के दो डब्बे खरीद लाए, ताकि चोट लगने पर उसी समय इलाज किया जा सके । अभ्यास करने के लिए खुला मैदान तलाशा गया। अब उस्ताद किसे बनाया जाए, लेखक इसी ऊहापोह में बैठा था कि तिवारी जी आ गए। लेखक को खिन्न देखकर तिवारीजी ने पूछा-अरे भई! क्या मामला है कि खिन्न हो ? …
लेखक ने कहा-ख्याल आया कि साइकिल की सवारी सीख लें । मगर कोई आदमी नजर नहीं आता, जो सिखाने में मदद करे । तिवारी जी ने विरोध जताते हुए कहा- ‘मेरी मानो तो रोग न पालो।’ इस आयु में साइकिल पर चढ़ोगे, तिवारीजी के इस उत्तर का प्रतिकार करते हुए लेखक ने कहा- ”भाई तिवारी, हम तो जरूर सीखेंगे। कोई आदमी बताओ!” आदमी तो ऐसा है एक, मगर फीस लेंकर सिखाएगा। फीस दोगे? लेखक ने बताया कि दस दिनों का बीस रुपये लेगा। यह सुनते ही लेखक के मन में विचार आया कि यदि ऐसी तीन-चार ट्यूशनें मिल जएँ तो महीने में दो-चार सौ रुपये की आय हो सकती है। लेखक मन ही मन खुश हो रहा था कि साइकिल चलाना आ जाए तो एक ट्रेनिंग स्कूल खोलकर तीन-चार सौ रुपये मासिक कमाया जा सकता है। Cycle Ki Sawari class 7 Saransh in Hindi
इस प्रकार उस्तादजी बुलाए गए। उन्हें फीस के.बीस रुपये दिए गए और अगले दिन से साइकिल सीखने की योजना बन गई। साइकिल सीखने की इस खुशी में लेखक को रात भर नींद नहीं आई। रात भर चौंकते रहे। सपने में देखा कि हम साइकिल से गिरकर जख्मी हो गए हैं। सबेरे मिस्त्री के यहाँ से साइकिल आई। पुराने कपड़े पहन लिए और जंबक का डिब्बा जेब में रखकर लारेंसबाग की ओर चल पड़े। लेकिन निकलते ही बिल्ली रास्ता काट गई और एक लड़के ने छींक दिया। लेखक इसे अपशकुन मानकर कुछ देर बाद भगवान का पावन नाम लेकर आगे बढ़ा । इस बार भी उसे लोगा का हसो का पात्र बनना पड़ा, क्योंकि पाजामा एवं अचकन उल्टे पहन रखा था। दूसरे दिन पाव पर साइकिल गिर जाने से जख्मी हो गया। लँगड़ाते हुए घर आया, लेकिन साहस एवं धैर्य से कष्ट सहन करते हुए साइकिल सीखना जारी रखा। आठ-नौ दिनों में साइकिल चलाना सीख गए, लेकिन अभी उस पर चढ़ना नहीं आता था। जब कोई सहारा देता तो उसे चलाने लग जाते. थे। इस समय उनके आनंद की कोई सीमा न होती। वे मनही-मन सोचते कि हमने मैदान मार लिया। दो-चार दिनों में मास्टर, फिर प्रोफेसर इसके बाद प्रिंसिपल बन जाएँगे। फिर ट्रेनिंग कॉलेज और तीन-चार सौ रुपये मासिक आय। . तिवारीजी देखेंगे और ईर्ष्या से जलेंगे।
अब लेखक मन-ही-मन काफी प्रसन्न होता था, लेकिन हाल यह था कि जब कोई दो सौ गज के फासले पर होता तो गला फाड़-फाड़कर चिल्लाना शुरू कर देता कि साहब जरा बाईं तरफ हट जाइए। कोई गाड़ी दिखाई पड़ती तो प्राण सूख जाते थे। एक दिन तिवारीजी को भी अल्टीमेटम दे दिया कि बाईं तरफ हट जाओ वरना साइकिल तुम्हारे पर चढ़ा देंगे। तिवारीजी ने रगइकिल से उतर जाने को कहा तो लेखक ने उत्तर दिया-अभी चलाना सीखा है, चढ़ना नहीं यह कहते हुए आगे बढ़ा कि सामने से एक ताँगा आते दिखाई दिया। एकाएक घोड़ा भड़क उठा और हम तथा हमारी साइकिल दोनों .. ताँगे के नीचे आ गए। होश आने पर देखा कि हमारी देह पर कितनी पट्टियाँ बँधी थीं। हमें होश में देखकर श्रीमतीजी ने कहा-अब क्या हाल है ? तब लेखक ने तिवारीजी पर दोष मढ़ने का प्रयास किया तो श्रीमतीजी ने मुस्कुराते हुए कहा—उस ताँगे पर बच्चों के साथ मैं ही तो सैर करने निकली थी कि सैर भी कर लेंगे और तुम्हें साइकिल चलाते देख भी आएँगे। मैंने निरुत्तर होकर आँखें नीची कर ली और साइकिल चलाना बंद कर दिया। Cycle Ki Sawari class 7 Saransh in Hindi
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