इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 7 हिन्दी के कविता पाठ छ: ‘ Ganga Stuti (गंगा स्तुति )’ के प्रत्येक पंक्ति के अर्थ काे पढ़ेंगे।
6 गंगा स्तुति
बड़-सुख सार पाओल तुअ तीरे ।
छोड़इत निकट नयन बह नीरे ।।
कर जोरि विनमओं विमल तरंगे ।
पुन दरसन होए, पुनमति गंगे ।
अर्थ-कवि विद्यापति माँ गंगा से प्रार्थना करते हैं कि हे पुण्यमयी गंगे ! तुम्हारे सान्निध्य में रहते हुए हमें अपार सुख का अनुभव हुआ। अब उसे छोड़ते हुए मेरा मन विकल हो उठा है और इसी विकलता के कारण आँख से आँसू बहने लगे हैं। इसलिए है माँ गंगे ! हाथ जोड़कर निवेदन करता हूँ कि तुम्हारे निर्मल, पुण्यमयी जलधारा का . पुन: दर्शन हो। Ganga Stuti class 7 in Hindi
एक अपराध छेमब मोर जानी ।
परसल माय पाय तुअ पानी !!
कि करब जप-तप जोग भेयाने ।
जनम कृतारथ एकहि सनाने ।।
भनई विद्यापति समदओं तोही।
अन्तकाल जनु विसरहु मोही ।
अर्थ-कवि माँ गंगा से प्रार्थना करता है कि हे माते! मुझसे एक अपराध (गलती) हो गया है। मुझे अपना (पुत्र) जानकर क्षमा कर देना; क्योंकि मैने तुम्हारे फैले अमृत (पावन) जल में अपने पैर रखे हैं।
हे माँ! तुम्हारा जल इतना पवित्र है कि उस जल में एक बार स्नान करने से जीवन धन्य 1(सफल) हो जाता है, इसलिए मैं जप-तप योग-ध्यान करना आवश्यक नहीं समझता हूँ । Ganga Stuti class 7 in Hindi
कवि गंगा से प्रार्थना करता है कि हे माँ ! जीवन के अन्तिम क्षण में तुम मुझे भुल न जाना। अर्थात् जीवन के अन्तिम क्षण में मुझे तुम्हारा दर्शन अवश्य हो।
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