इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 12 हिन्दी के गद्य भाग के पाठ दस ‘जूठन (Joothan class 12 hindi)’ के व्याख्या सारांश सहित जानेंगे।
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लेखक-ओम प्रकाश नरायण
लेखक परिचय
जन्म- 30 जून 1950
जन्म स्थान- बरला मुजफरनगर उत्तरप्रदेश
माता-पिता – मकुंदी देवी और छोटनलाल
शिक्षा- अक्षरज्ञान का प्रारम्भ मास्टर सेवक राम मसीही के खुले, बिना कमरे बिना टाट-चटाईवाले स्कूल से |
उसके बाद बेसिक प्राथमिक स्कूल से दाखिला |
11वीं की परीक्षा बरला इंटर कॉलेज, बरला से उत्तीर्ण । लेकिन 12वीं की पढ़ाई में अनुतीर्ण।
Joothan class 12 hindi
पाठ परिचय
जूठन नामक आत्मकथा हिन्दी में दलित आंदोलन से जुड़े महत्वपूर्ण रचनाकार
ओमप्रकाश वाल्मीकि की प्रेरणात्मक रचना है। वास्तविकता का माटी और पानी सरीखा रंग ही इसके रचनात्मक गद्य की विशेषता है। लेखक दलित समाज से है। स्कूल के हेडमास्टर ने उनसे दो दिन तक पूरे स्कूल में झाडू लगवाया। तीसरे दिन वह चुपचाप कक्षा में बैठ गया। स्कूल के हेडमास्टर ने उनकी काफी पिटाई की तथा फिर से झाडू लगाने के लिए भेजा। वह रोते हुए झाडू लगाने लगा। संयोगवश लेखक के पिताजी वहाँ आ गये। वे सारी कहानी सुनने के बाद हेडमास्टर को खड़ी-खोटी सुनाने लगे।
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लेखक के परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी। लेखक की माँ, बहने भाई और भाभी दूसरे के घरों में उनके जानवरों के देखभाल का काम करते थे। काम बड़ा ही तकलीफदेह था किन्तु काम के बदले अनाज बड़ा ही कम। शादी-व्याह के अवसर पर मेहमानों के पत्तलों के जूठन ही नसीब होते थे। पत्तलों के जूठन से पूरियों को सुखाकर रखना तथा सर्दियों में उन्हे पानी में भींगोकर नमक-मिर्च मिलाकर खाना यही नसीब होता था। लेखक हमेशा सोचा करता था कि उसे अच्छा खाना क्यों नहीं मिलता है ?
कक्षा 12 हिन्दी बातचीत सम्पूर्ण व्याख्या
पिछली वर्ष सुखदेव सिंह त्यागी का पोता सुरेन्द्र सिंह किसी इंटरव्यू के सिलसिले शहर आया था तो उनके घर रात में रुका और खाना खाया । खाने की तारीफ भी की। तारीफ सुनकर पत्नी खुश हुई लेकिन लेखक के बचपन की यादें ताजी हो गई। सुखदेव सिंह त्यागी की लड़की की शादी थी। शादी से दस-बारह दिन पहले से ही पूरी तैयारियां चल रही थी। बारात आई। बारात खाना खा रही थी। लेखक की माँ एक टोकरी लिए दरवाजे के बाहर बैठी थी। साथ में लेखक और छोटी बहन भी थी। उस समय सुरेन्द्र पैदा भी नहीं हुआ था यह तब की बात है। लेखक उसकी माँ और बहन इस उम्मीद में बैठे थे कि उन्हे भी खाने को मिलेगा किन्तु मिठाई और पकवान की जगह डांट मिली। उन्हें वहाँ से भगाया गया।
लेखक का अगला संस्मरण से भरा है। लेखक उस समय नौवीं कक्षा में पढ़ता था। घर की आर्थिक स्थिति दयनीय थी। पशुओं के मरने पर उठाकर ले जाना तथा उनके चमड़े उतारना लेखक के परिवार का कार्य था । एक दिन गाँव में एक बैल मर गया। लेखक के पिताजी घर पर नहीं थे। लेखक की माँ ने लेखक को चाचा जी के साथ इस काम के लिए भेजा। चाचा बैल का खाल उतारने लगे पर लेखक को छुरी चलाने का भी ढंग नहीं था । एक छुरी चाचा के पास थी। चाचा ने दूसरी छुरी लेखक को थमा दी । लेखक के हाथ कांपने लगे। चाचा ने छुरी चलाने का ढंग सिखाया । लेखक एक अजीब संकट में फंसा हुआ था। जिन चीजों को वह उतारना चाहता था हालात उसे उसी दलदल में घसीटे जा रहे थे। चाचा के साथ तपती दुपहरी की यह यातना आज भी जख्मों की तरह तन पर ताजा है।
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लेखक इस घटना से पढ़ाई के प्रति संकल्पित हो गया। वह ध्यान लगाकर पढ़ाई करने लगा। जीवन में सफलता के उच्च शिखर पर पहुँचकर अपनी एक खास ख्याति अर्जित की।
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