इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान इतिहास के पाठ 1. कहाँ, कब और कैसे ? (Kaha Kab Aur Kaise Class 7th Solutions)के सभी टॉपिकों के बारे में अध्ययन करेंगे।
1. कहाँ, कब और कैसे ?
अध्याय में अंतर्निहित प्रश्न और उनके उत्तर
प्रश्न 1. प्रौद्योगिकी किसे कहते हैं? (पृष्ठ 3 )
उत्तर—मानव जीवन को बेहतर और उन्नत बनाने के लिये विज्ञान के सिद्धांत पर आविष्कृत विभिन्न कल-पुर्जों और मशीनों का खेती और कल-कारखानों आदि में उपयोग ‘प्रौद्योगिकी’ कहलाता है 1
प्रश्न 2. आज सिंचाई के लिये किन-किन साधनों का इस्तेमाल किया जाता है ? (पृष्ठ 4 )
उत्तर – आज सिंचाई के लिये नहर, पइन, नलकूप, कुओं आदि का इस्तेमाल किया जाता है । नलकूपों या तालाबों से पानी खींचने के लिये डीजल इंजन या बिजली का उपयोग कर पंप चलाते हैं ।
प्रश्न 3. मानचित्र –2 में दिखाए गए प्रमुख राज्यों की सूची बनाएँ । (पृष्ठ 4 )
उत्तर— मानचित्र -2 में दिखाए गए प्रमुख राज्य हैं: (i) गजनी, (ii) कश्मीर, (iii) सिंध, (iv) मुल्तान, (v) कच्छ, (vi) गुजरात, (vii) अहमदनगर, (viii) बीजापुर तथा (ix) बंगाल ।
प्रश्न 4. मानचित्र – 1 तथा 2, मानचित्रों में आप क्या अंतर पाते हैं ? ( पृष्ठ 4 )
उत्तर- दोनों मानचित्रों के अवलोकन के बाद हम यह अन्तर पाते हैं कि मानचित्र | में जहाँ शासक वंशों को प्रमुखता दी गई है तो मानचित्र 2 में राज्यों को प्रमुखता दी गई है। मानचित्र 1 में श्रीलंका को दिखाया गया है । उसके बदले मानचित्र 2 में अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों को दिखाया गया है ।
प्रश्न 5. मध्काल में कौन-कौन से खाद्य-पदार्थ हम आज भी खाते हैं? उस दौर में आम लोग क्या पहनते होंगे ?
उत्तर- शासक और उनके करीन्दे, धनी व्यापारी और ग्रामीण लोगों के खान-पान में सदा से अंतर रहा है । वह मध्यकाल में भी था और आज भी है। मध्य काल के राज्य परिवार तथा सम्पन्न लोग जहाँ पोलाव, बिरयानी, कोरमा, फिरनी, अंगूर आदि खाते थे, सो आज भी खाते हैं.
गाँवों में खाने की वे ही वस्तुएँ होती थीं, जो लोग उपजाते थे। चावल का मौसम रहा तो चावल और गेहूँ का मौसम रहा तो रोटी खाना मध्यकाल में भी था और आज भी है । आम, अमरूद, केला, शकरकंद तब भी खाते थे और आज भी खाते हैं
उस दौर में हिन्दू और मुसलमानों के पहनावे में अन्तर था । हिन्दू जहाँ धोती पहनते थे, वहीं मुसलमान लूँगी पहनते थे। गंजी, कुरता दोनों धर्म के लोग पहनते थे । आज वह भेद मिट चुका है । हिन्दू भी लूँगी पहनने लगे हैं और ग्रामीण मुसलमान धोती पहनते हैं। बहुत दिनों तक साथ-साथ रहने के कारण दोनों के खान-पान और पहनावा में बहुत अंतर नहीं रह गया है ।
प्रश्न 6. क्या कारण रहा होगा कि भारत अतीत से ही संसार के लिये आकर्षण का केन्द्र रहा होगा ?
उत्तर—भारत आदि काल से चिंतकों और मनीषियों का देश रहा है । तप और योग यहाँ की खास बात थी और आज भी है। योगी संतों का सम्मान राजा-महाराजा तक करते थे। यहाँ के विद्वानों की धाक विश्व भर में थी। ऋषि दाण्डयायन से बात करके सिकन्दर आवाक रह गया था । सिकन्दर का गुरु अरस्तू ने उसे बताया था कि भारत विजय को जा रहे हो तो वहाँ के ऋषियों से आशीर्वाद लेना। लौटते समय मेरे लिये तुलसी का पौधा तथा गंगा जल अवश्य लाना । विश्व में गंगा ही एक ऐसी नदी है जिसके जल में कभी कीड़े नहीं पनपते चाहे वर्षों वर्ष रखे रहो । भारत के प्रायः हर सभ्रांत घर में हरिद्वार-ऋषिकेश से लाया गंगा जल संजोकर रखा जाता है । मरते समय लोगों के मुँह में गंगाजल-तुलसी पत्ता देना लोग आवश्यक मानते हैं ।
‘यहाँ की भूमि उपजाऊ है । एक ही देश में सभी मौसमों का आनन्द लिया जा सकता है। वह भी एक ही समय में । खाने की कोई ऐसी वस्तु नहीं है जो भारत में नहीं उपजती हो । कुछ फल और वन्य पशु ऐसे हैं जो केवल भारत में ही मिलते हैं ।
प्रश्न 7. वैसी वस्तुओं की सूची बनाएँ, जिसे हवन में डाला जाता है?
उत्तर – मुख्य रूप से हवन में धूप, जव, तील, घी मिलाया जाता है । लेकिन यह आम है। खास तौर पर हवन में अनेक अन्य वनस्पतियाँ भी डाली जाती हैं ।
प्रश्न 8. हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं के प्रति आस्था व्यक्त करने की अलग- अलग तरीके या पद्धति सम्प्रदाय कहलाती है । व्याख्या करें ।
उत्तर- हिन्दू धर्म कालान्तर में तीन सम्प्रदायों में बँट गया और तीनों के आराध्य देवी दवता में भिन्नता आ गई । इनके तीन संम्प्रदाय थे : वैष्णव, शैव तथा शाक्त । वैष्णव विष्णु और लक्ष्मी को अपना आराध्य मानते हैं। राम और सीता तथा कृष्ण और राधा को ये क्रमशः विष्णु और लक्ष्मी के अवतार मानते हैं । इस सम्प्रदाय वाले रामलीला और कृष्णलीला कर अपना मनोरंजन करते हैं । शैव सम्प्रदाय वाले शिव को पूजते हैं । शाक्त सम्प्रदाय वाले शक्ति के रूप में दुर्गा और काली की पूजा करते हैं । बलिदान देकर बलि के पशु का मांस खाना और मदिरा पीना ये गलत नहीं मानतें । ये मछली भी खाते हैं, जबकि वैष्णव और शैव मांस-मछली और मदिरा से दूर रहते हैं ।
प्रश्न 9. भक्त संत के वैसे दोहों पर चर्चा करें, जिसे आपने हिन्दी की पुस्तक में पढ़ा है ।
उत्तर : जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजियो ग्यान ।
मोल करो तरवार का, पड़ा रहने दो म्यान ।।
माला तो कर में फिरै, जीभि फिरै मुख माँहिं ।
मनुआ तो चहुँ दिसि फिरै, यह तो सुमिरन नहिं ।।
प्रश्न 10. अभिलेखागार क्या है ? (पृष्ठ 9 )
उत्तर— अभिलेखों को जहाँ सुरक्षित रखा जाता है, उसे अभिलेखागार कहते हैं । खासतौर पर अभिलेखागार से तात्पर्य यह लगाया जाता है जहाँ सरकारी अभिलेख रखे जाते हैं। लेकिन कभी-कभी महत्वपूर्ण पाण्डुलिपि भी यहाँ रखी जाती है, जो सरकारी न होकर शैक्षिक और सामाजिक होती है। अभिलेखागार राष्ट्रीय भी होता है और राज्यों का भी । अकबर के बाद से अभिलेख रखने की परम्परा चली ।
प्रश्न 11. ‘न्यूमेसमेटिक्स‘ किसे कहते हैं? ( पृष्ठ 12 )
उत्तर- सिक्कों के अध्ययन को ‘न्यूमेसमेटिक्स’ कहते हैं ।
अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर
आइए फिर से याद करें :
प्रश्न 1. रिक्त स्थानों को भरें :
(क) सोलहवीं सदी के आरम्भ में …………ने हिन्दुस्तान शब्द का प्रयोग ………किया ।
(ख) ……… एक विशेष प्रकार का फारसी इतिहास है ।
(ग) ………… लोगों द्वारा भारत में एक नये धर्म का आगमन हुआ ।
(घ) भारत में कागज का प्रयोग ……..शताब्दी के आस-पास हुआ ।
उत्तर : (क) बाबर; वस्तुतः सम्पूर्ण उपमहाद्वीप के लिये, (ख) तारीख – उल – हिन्द, (ग) इन्हीं अरबों के साथ, (घ) तेरहवीं ।
प्रश्न 2. जोड़े बनाइए :
राजतरंगिनी दरिया साहब
भक्ति संत सासाराम
तबकात-ए-नासिरी बैकटपुर का शिव मंदिर
शेरशाह का मकबरा कश्मीर का इतिहास
मानसिंह मिनहाज-उस- सिराज
उत्तर : राजतरंगिनी कश्मीर का इतिहास
भक्ति संत दरिया साहब
तबकात-ए-नासिरी मिनहाज -उस- सिराज
शेरशाह का मकबरा सासाराम
मानसिंह बैकटपुर का शिव मंदिर
प्रश्न 3. मध्य काल के वैसे वस्त्रों की सूची बनाइए, जिसका व्यवहार हम आज भी करते हैं ।
उत्तर—मध्यकाल में सिले हुए वस्त्र बहुत कम लोग ही पहनते थे । कमर के नीचे धोती, कंधे से लेकर कमर के नीचे तक चादर तथा सर पर मुरेठा बाँधने का रिवाज रहा होगा। आज भी उत्तर प्रदेश के अधिकांश ब्राह्मण सिला हुआ वस्त्र पहनकर भोजन नहीं करते। इसी से अनुमान लगता है कि मध्य युग के लोग सिला हुआ वस्त्र नहीं पहनते होंगे। उनके वस्त्रों में से धोती, चादर और मुरेठा का व्यवहार आज भी लोग करते हैं। सिला हुआ वस्त्र पहनने का रिवाज बहुत बाद में आरम्भ हुआ होगा ।
प्रश्न 4. वस्त्र उद्योग के क्षेत्र में हुए प्रमुख प्रौद्योगिकीय परिवर्तनों को बताएँ ।
उत्तर—प्राचीन भारत में वस्त्र उद्योग के लिए सूत तकली पर काते जाते थे, जिसमें काफी समय लगता था । कारण कि तकली को हाथ से नचाना पड़ता था । बाद में 13वीं सदी में परिवर्तन यह आया कि तकली का स्थान चरखे ने ले लिया । अब सूत तेजी से अधिक मात्रा में और कम समय में ही बन सकते थे ।
पहले सीधे कपास से सूत काता जाता था। बाद में इसमें बदलाव आया धुनिया लोगं धनुकी पर रूई धुनने लगे। अब धुनी हुई रूई से सूत कातना आसान हो गया ।
प्रश्न 5. कागज का आविष्कार सर्वप्रथम कहाँ हुआ ?
उत्तर—कागज का आविष्कार सर्वप्रथम चीन में हुआ ।
प्रश्न 6. वनवासियों को जंगल क्यों छोड़ना पड़ा ?
उत्तर—प्रौद्योगिकी में परिवर्तन के फलस्वरूप खेती योग्य भूमि की तलाश हो रही थी। बाहर से आये लोगों के लिये अधिक अन्न की भी आवश्यकता बढ़ी होगी । खेती बढ़ाने के लिए जंगल काटे जाने लगे । फलस्वरूप वनवासियों को जंगल छोड़ने पर विवश होना पड़ा। हालाँकि अनेक वनवासी खेती के काम में लग गए और ग्रामवासी बन गये ।
प्रश्न 7. गंगा-यमुनी संस्कृति से आप क्या समझते हैं?
उत्तर—दो संस्कृतियों के मेल से जो संस्कृति विकसित हुई, उस संस्कृति को गंगा- यमुनी संस्कृति कहते हैं ।
प्रश्न 8. आठवीं शताब्दी के आस-पास हुए परिवर्तनों को लिखिए ।
उत्तर—आठवीं शताब्दी के आस- पास पहला परिवर्तन तो देश के नाम बदलने के रूप में हुआ । अब ‘भारत’ को हिन्दुस्थान भी कहा जाने लगा । यह बदलाव 13वीं शताब्दी में तुर्क – सत्ता की स्थापना के बाद प्रचलित हुआ । उस समय हिन्दुस्थान की भौगोलिक सीमा उतनी ही थीं, जितनी पर तुर्कों का अधिकार था। मुगल काल में अकबर से लेकर 17वीं शताब्दी तक औरंगजेब ने हिन्दुस्थान की सीमा में काफी विस्तार किया । कृषि के साथ-साथ उद्योग-धंधों में भी बदलाव आए ।
प्रश्न 9. क्या प्राचील काल की तुलना में मध्य काल के अध्ययन के लिये ज्यादा स्रोत उपलब्ध हैं?
उत्तर- हाँ, प्राचीन काल की तुलना में मध्य काल के अध्ययन के लिए आज ज्यादा स्रोत उपलब्ध है। ये स्रोत अनेक लेखकों और इतिहासकारों द्वारा लिखे गये लेख और इतिहास हैं ।
सर्वप्रथम इतिहासकार मिन्हाज-ए-सिराज ने 13वीं शताब्दी में इतिहास लिखा, जिसमें उन्होंने बिहार के विषय में लिखा कि इसका नाम ‘बिहार’ क्यों पड़ा ? प्रसिद्ध विद्वान सैयद सुलेमान नदवी ने, एक. अरबी गीत का उद्धरण दिया है, जो भारत के लिये प्रमुख. है । भक्त कवियों और सूफी संतों ने भी भारत के सम्बंध में बहुत कुछ लिखा है। राजपूत राजाओं के दरबारी कवियों ने भी उस समय के सामाजिक जीवन के विषय मे लिखा है । लिखित रचनाएँ या पाण्डुलिपियाँ, अभिलेख, सिक्के, भग्नावशेष, चित्र आदि विविध स्रोत हैं, लेकिन प्रधानता लिखित सामग्री को ही दी जाती है । 13वीं शताब्दी में कागज का उपयोग शुरू हो जाने के बाद लिखने का काम व्यापक रूप से होने लगा । इस काल में लिखी गई पाण्डुलिपियाँ एवं प्रशासनिक प्रपत्र अभिलेखागारों और पुस्तकालयों में सुरक्षित हैं । इस काल की अनेक घटनाओं की जानकारी हमें इन्हीं अभिलेखों से प्राप्त होती है । अन्य अभिलेख पत्थरों, चट्टानों और ताम्र पत्रों पर लिखे गये थे । बहुत-से अभिलेख मन्दिरों और मस्जिदों और गाँवों में भी सुरक्षित हैं । कल्हण की राजतरंगिणी, अलबेरूनी की पुस्तक तहकीक-ए-हिन्द, मिन्हाज उससिराज कृत तबकात-ए-नासिरी, जियाउद्दीन बरनी की पुस्तक तवारीख-ए-फिरोजशाही । अबुल फजल ने अकबरनामा लिखा । इसके पहले बाबर ने बाबरनामा लिखा था । इनके अलावा अनेक यात्रियों ने अपने यात्रा वृत्तांत लिखा जो इतिहास से कम नहीं हैं। इससे स्पष्ट होता है कि प्राचीन काल की तुलना में मध्य काल के अध्ययन के लिये ज्यादा स्रोत उपलब्ध हैं ।
प्रश्न 10. जब एक ही व्यक्ति या घटना के सम्बंध में अलग-अलग मत आते हैं, तो ऐसी परिस्थितियों में इतिहासकार क्या करते होंगे ?
उत्तर — प्रश्न में बताई गई परिस्थिति में इतिहासकार समान विशेषता वाले बड़े- बड़े हिस्सों, युगों या कालों में बाँट देते हैं। फिर अनुमान से स्थिति का अवलोकन कर स्वयं जो वे उचित समझते हैं, लिख देते हैं ।
आइए करके देखें :
इसके अन्तर्गत प्रश्नों को छात्रों को स्वयं करना है।
कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. पिछली कई शताब्दियों में ‘हिंदुस्तान‘ शब्द का अर्थ कैसे बदला है ? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – वास्तव में आज के भारतीय उपमहाद्वीप को आर्यावर्त नाम से जाना जाता था, जिसमें भारत भी एक देश था। कहा भी गया है— ‘जम्बू द्वीपे आर्यावर्ते भारत खण्डे’। जम्बू द्वीप सम्भवतः एशिया के लिए प्रयुक्त था और आर्यावर्त भारतीय उपमहाद्वीप के लिए । भारतीय उपमहाद्वीप में भारत एक देश था। सिकंदर ने सर्वप्रथम ‘इण्डस’ नाम से इसे सम्बोधित किया, जो सिन्धु नदी के नाम से निकला है । मुसलमान जब इस देश में आए, तब उन्होंने भी सिन्धु को ध्यान में रखकर हिन्दू शब्द का व्यवहार किया । इस देश में रहनेवाले हिन्दुओं के कारण वे इसे भारत के स्थान पर हिन्दुस्थान कहने लगे और क्रमशः हिन्दू स्थान से हिन्दुस्तान बन गया । अंग्रेज जब आए तब उन्होंने भी सिन्ध को ही पकड़ा । सिन्धु को इण्डस नाम दिया। फिर इण्डस इंडिया बन गया । इस प्रकार इस देश का नाम भारत, हिन्दुस्तान और इण्डिया तीनों का व्यवहार एक साथ होने लगा । आज भी ये तीनों नाम प्रचलन में हैं ।
प्रश्न 2. जातियों के मामले कैसे नियंत्रित किए जाते थे?
उत्तर- हर जाति के कुछ बड़े-बूढ़े अपनी जाति पर नियंत्रण रखते थे । हर जाति के अपने कुछ नियम-कायदे होते थे और उनका कड़ाई से पालन कराया जाता था। अपनी जाति का कोई व्यक्ति कोई गलत काम न कर बैठे, इसकी देख-रेख उस जाति के मुखिया करते थे। तब समाज में आज जैसी उच्छृंखलता नहीं थी ।
प्रश्न 3. सर्वक्षेत्रीय साम्राज्य से आप क्या समझते हैं?
उत्तर – जिस शासक का साम्राज्य जितनी दूरी में फैला होता था उसके अधीन सम्पूर्ण क्षेत्रों को मिलाकर सर्वक्षेत्रीय साम्राज्य कहते थे। भारत में सर्वप्रथम साम्राज्य कायम करनेवाला चन्द्रगुप्त मौर्य था । फिर दिल्ली के सुल्तानों ने साम्राज्य स्थापित किये। लेकिन इनसे भी बड़ा साम्राज्य मुगल बादशाह अकबर का था ।
प्रश्न 4. पांडुलिपियों के उपयोग में इतिहासकारों के सामने कौन-कौन-सी समस्याएँ आती हैं?
उत्तर – पांडुलिपियों के उपयोग में इतिहासकारों के सामने अनेक समस्याएँ आती हैं। उनके रख-रखाव का कोई उचित प्रबंध नहीं होने से वे नष्ट हो जाती हैं। दूसरे, लिखावट में अस्पष्टता के चलते कुछ शब्दों को उन्हें स्वयं गढ़ना पड़ता है । इस कारण कालक्रम से एक ही अर्थ के लिए अनेक शब्दों का व्यवहार करना पड़ता था । बाद में मठ, मंदिरों और विहारों में अभिलेख सुरक्षित रखे जाने लगे। नालन्दा विश्वविद्यालय में पांडुलिपियों का अपार भंडार था जो किसी आतताई आक्रमणकारी द्वारा जला दिया गया। बाद में उन अधजले पांडुलिपियों से ही काम चलाया गया । इतिहासकारों को पांडुलिपियों के उपयोग में ये ही समस्याएँ आती हैं ।
प्रश्न 5. इतिहासकार अतीत को कालों या युगों में कैसे विभाजित करते हैं?
उत्तर—इतिहासकार कालों या युगों को विभाजित करते समय उस काल के कोई एक महत्वपूर्ण पहलू को पकड़ते हैं और उसके आधार पर कालों या युगों को विभाजित करते हैं। अभी ताजा वर्गीकरण अंग्रेजों द्वारा किया गया वर्गीकरण है, जैसे— हिन्दू युग, मुस्लिम युग, ब्रिटिश युग । आज हम जनतांत्रिक युग से गुजर रहे हैं। इससे पहले प्राचीन काल, मध्य काल और आधुनिक काल में समय को बाँटा गया था। इससे भी पहले पत्थर युग, ताम्र युग, लौह युग में बँटवारा हुआ था। उस हिसाब से आज हम प्लास्टिक युग से गुजर रहे हैं ।
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