Bihar Board Class 8 Social Science काला के क्षेत्र में परिवर्तन (Kala Ke Kshetra Me Parivartan Class 8th History Solutions
11. काला के क्षेत्र में परिवर्तन
अध्याय में अंतर्निहित प्रश्न और उनके उत्तर
प्रश्न 1. उत्कीर्ण चित्र तथा अलबम में क्या अंतर है ? (पृष्ठ 167)
उत्तर— लकड़ी या धातु के छापे से कागज पर बनाये गये चित्र को उत्कीर्ण चित्र कहते हैं, वहीं चित्र रखने के किताब को अलबम कहते हैं
प्रश्न 2. रूपचित्र से आप क्या समझते हैं ? (पृष्ठ 168)
उत्तर – किसी व्यक्ति का आदमकद चित्र, जिसमें उसके चेहरे एवं हाव-भाव पर विशेष जोर दिया गया हो, रूपचित्र कहते हैं ।
प्रश्न 3. किरमिच क्या है ?
उत्तर—गाढ़ा और मोटा कपड़ा, जिस पर चित्र बनाया जाता है, किरमिच कहते हैं।
प्रश्न 4. भित्ति चित्र किसे कहते हैं? (पृष्ठ 168)
उत्तर— भित्ति अर्थात दीवार पर बने चित्र को भित्ति चित्र कहते हैं ।
प्रश्न 5. आर्थिक राष्ट्रवाद क्या है ? (पृष्ठ 1(2)
उत्तर—अंग्रेजी शासन की जो आर्थिक आलोचना करके भारतीय राष्ट्रवाद की आर्थिक बुनियाद तैयार किया गया, उसे आर्थिक राष्ट्रवाद कहा गया।
प्रश्न 6. साहित्यिक देशभक्ति से आप क्या समझते हैं? (पृष्ठ 179)
उत्तर- देशभक्ति पूर्ण जिन विचारों को अभिव्यक्त किया गया, उस साहित्यिक प्रयास को ‘साहित्यिक देशभक्ति’ कहा गया। देशभक्ति पूर्ण साहित्य की रचना करने वालों पहला व्यक्ति भारतेन्दु हरिश्चन्द्र थे । उन्होंने लिखा : “चूरन साहेब लोग जो खाते, सारा देश हजम कर जाते । “
अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर
आइए याद करें :
प्रश्न 1. सही या गलत बताएँ :
(i) साहित्य में पराधीनता का बोध एवं स्वतंत्रता की जरूरतों को स्पष्ट अभिव्यक्ति मिलने लगी थी ।
(ii) प्रेमचंद ने ‘आनंदमठ’ की रचना की थी ।
(iii) रमेश चंद्र दत्त के उपन्यास में हिन्दू समर्थक प्रवृत्ति देखने को मिलती है।
(iv) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने भारतीय धन के लट को नाटक के माध्यम से पर्दाफाश किया है ।
(v) ‘वंदे मातरम्’ गीत की रचना बंकिमचन्द्र चटर्जी ने की थी।
उत्तर — (i) सही, (ii) गलत, (iii) सही, (iv) सही, (v) सही।
प्रश्न 2. रिक्त स्थानों को भरें :
(क) लकड़ी या धातु के छापे से कागज पर बनाई गई तस्वीर को ………… कहा जाता है ।
(ख) औपनिवेशिक काल में बनाये गये छविचत्रि ……………… होते थे ।
(ग) अंग्रेजों की विजय को दर्शाने के लिए …………….. की चित्रकारी की जाती थी ।
(घ) एशियाई कला आंदोलन को प्रोत्साहित करने वाले ………… कलाकार थे ।
उत्तर — (क) उत्कीर्ण चित्र, (ख) तैलचित्र, (ग) रूप चित्रण, (घ) राष्ट्रवादी ।
प्रश्न 3. निम्नलिखित के जोड़े बनाएँ:
(क) सेन्ट्रल पोस्ट ऑफिस, कलकत्ता (i) गोथिक शैली
(ख) विक्टोरिया टर्मिनस रेलवे स्टेशन, बम्बई (ii) इंडो सारासेनिक शैली
(ग) मद्रास लॉ कोर्ट (iii) इंडो ग्रीक शैली
उत्तर :
(क) सेन्ट्रल पोस्ट ऑफिस, कलकत्ता (iii) इंडो ग्रीक शैली
(ख) विक्टोरिया टर्मिनस रेलवे स्टेशन, बम्बई (i) गोथिक शैली
(ग) मद्रास लॉ कोर्ट (ii) इंडो सारासेनिक शैली
आइए विचार करें :
प्रश्न (i) मधुबनी पेंटिंग किस प्रकार की कला शैली थी। इसके अंतर्गत किन विषयों को ध्यान में रखकर चित्र बनाये जाते थे ?
उत्तर – मधुबनी पेंटिंग खासतौर पर एक महिला चित्रकला शैली थी। इसके अंतर्गत शादी-विवाह, कोहबर पर्व-त्यौहार, पारिवारिक अनुष्ठान के चित्र दीवारों पर बनाये जाते थे । यह कला एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को विरासत के रूप में मिलती थी। दीवारों के अलावा फर्श पर ऐपन के रूप में चित्र उकेरे जाते थे। ऐपन में पशु-पक्षी, पेड़, फूल, फल, स्वस्तिक, दीपक आदि बनाये जाते हैं ।
(नोट : पाठ्यपुस्तक में ‘ऐपन’ को ‘अरिपन’ लिखा है ।)
प्रश्न (ii) ब्रिटिश चित्रकारों ने अंग्रेजों की श्रेष्ठता एवं भारतीयों की कमतर हैसियत को दिखाने के लिए किस तरह के चित्रों को दर्शाया है ?
उत्तर – ब्रिटिश चित्रकारों ने अंग्रेजों की श्रेष्ठता एवं भारतीयों की कमतर हैसितय को दिखाने के लिए रूपचित्रण शैली को अपनाया। एक यूरोपीच चित्रकार योहान जोफनी एक चित्र बनाया, जिसमें भारतीय नौकरों को अपने अंग्रेज मालिकों की सेवा करते हुए दिखाया गया है । इनमें भारतीयों की हैसियत को दीन-हीन एवं कमतर दिखाने के लिए धुंधली पृष्ठभूमि का इस्तेमाल किया गया है। इसके विपरीत अंग्रेज मालिकों को श्रेष्ठ साबित करने के लिए उन्हें मूल्यवान परिधान में रोबीले और शाही अंदाज में दिखाया गया है । की प्रतीक एवं उनकी राष्ट्रवादी विचारों का प्रतिनिधित्व करती हैं।’ इस कथन
प्रश्न (iii) ‘उन्नीसवीं सदी की इमारतें अंग्रेजों की श्रेष्ठता, अधिकार, सत्ता के आधार पर स्थापत्य कला शैली की विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर- उन्नीसवीं सदी की इमारतें अंग्रेजों की श्रेष्ठता, अधिकार, सत्ता का प्रतीक एवं उनके राष्ट्रवादी विचारों का प्रतिनिधित्व करनेवाली तीन शैलियों में बनी इमारतें थीं।
सर्वप्रथम उन्होंने ग्रीक-रोमन स्थापत्य शैली के भवन बनवाये । इस शैली में बड़े- बड़े स्तंभों के पीछे रेखागणितीय सरंचनाओं एवं गुम्बद का निर्माण कराया । इस शैली का उपयोग भारत में शाही वैभव को अभिव्यक्त करने के लिये था ।
दूसरी शैली गोथिक शैली थी । ऊँची छतें, नोकदार मीनारे, मेहराब, बारीक साज- सज्जा इस शैली की विशेषता थी । गोथिक (गॉथिक शैली का उपयोग सरकारी कार्यालयों. शैक्षिक संस्थानों एवं गिरजाघरों के लिये किया जाता था ।
उन्नीसवीं सदी के अंत और बीसवीं सदी के आरम्भ में अंग्रेजों ने एक मिश्रित स्थापत्य शैली विकसित की, जिसमें भारतीय एवं यूरोपीय शैलियों के तत्व विद्यमान थे। इस शैली को ‘इंडो-सारासेनिक शैली’ नाम दिया गया। इंडो शब्द हिन्दू का संक्षिप्त रूप था जबकि सारासेन शब्द का उपयोग यूरोप के लोग मुसलमानों को संबोधित करने के लिये करते थे।
भारतीय शैली को समावेश कर अंग्रेज यह सिद्ध करना चाहते थे कि वे भारत के वैध एवं स्वाभाविक शासक हैं ।
प्रश्न (iv) साहित्यिक देशभक्ति से आप क्या समझते हैं। विचार करे ?
उत्तर—साहित्यिक देशभक्ति से तात्पर्य है कि ऐसे साहित्य की रचना की जाय जिनसे राष्ट्रवादी आंदोलन को बल मिले। देश की जनता उस आंदोलन में तन-मन-धन से लग जाय । साहित्यकारों से यह आशा की जाती है कि जब भी देश के हित में राष्ट्रवादी आंदोलन चले, वे अपनी साहित्यिक रचनाओं से देशवासियों में देशभक्ति की भावना जगाएँ ।
प्रश्न (v) ‘मॉडर्न स्कूल ऑफ आर्टिस्ट्स’ से जुड़े भारतीय कलाकारों ने राष्ट्रीय कला को प्रोत्साहन करने के लिये किन विषयों को चयन किया ? चित्र 12, 13 14 के आधार पर वर्णन करें। (ये तीनों चित्र पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 175 पर हैं ) ।
उत्तर—उन्नीसवीं सदी के मध्य में भारत को पश्चिमी शिक्षा से लाभ दिलाने की शैक्षणिक नीति के अंतर्गत की। इन स्कूलों में कला के पाश्चात्य तरीकों का अध्ययन किया जाता था । मिस्टर ई. वी. हैवेल मद्रास स्कूल ऑफ आर्ट में कला के अध्यापक उन्होंने भारतीय चित्रकारों का एक अलग समूह बनाया, जिन्हें कलाकारों का आधुनिक थे । उन्होंने भारतीय कलाकार अवनीन्द्रनाथ टैगोर का सहयोग लिया। उनके सहयोग से के राष्ट्रवादी कलाकार इस स्कूल से मुड़ने लगे। इन कलाकारों ने विषय के चयन स्कूल कहलाया । यही आगे चलकर ‘मॉडर्न स्कूल ऑफ आर्टिस्ट्स’ कहा गया। बंगाल तकनीक में अजंता के भित्ति चित्रों, मध्यकालीन लघुचित्रों एवं एशियाई कला आंदोलन को प्रोत्साहित करने वाले जापानी कलाकारों से प्रेरणा ग्रहण की ।
अवनीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा बनाये गये चित्रों में राजपूत शैली का प्रभाव देखा जा सकताहै | पृष्ठ 175 के चित्र 12 को देख कर इसे स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है। चित्र 13 में धुंधली पृष्ठभूमि में हल्के रंगों के उपयोग को देखा जा सकता है। इस चित्र पर जापानी प्रभाव है। चित्र 14 को नन्दलाल बोस द्वारा बनाया गया है। इस चित्र में उन्होंने त्रिआयामी प्रभाव पैदा करने के लिये छायाकरण का इस्तेमाल किया है। इस चित्र में अजंता चित्र शैली का प्रभाव है ।
आइए करके देखें :
(i) आप अपने गाँव या शहर के आस-पास मौजूद भवन निर्माण शैली पर ध्यान दें, जो पाठ में दिये गये भवन एवं इमारत से मिलती-जुलती हो । आप उस भवन का एक स्केच तैयार कर उसकी निर्माण शैली की विशेषताओं का वर्णन करें ।
(ii) विभिन्न भारतीय भाषाओं में प्रकाशित राष्ट्रीय विचारों को प्रोत्साहित करने वाले कविता, कहानी, गीत आदि का संकलन करें और उसे कक्षा में प्रदर्शित करें ।
संकेत : ये परियोजना कार्य है। छात्र स्वयं करें ।
कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. मान लीजिए कि आप चित्रकार हैं और बीसवीं सदी की शुरुआत में एक ‘राष्ट्रीय’ चित्र शैली विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं । इस अध्याय में जिन तत्वों पर चर्चा की गई है, उनमें से आप किन-किन को अपनी शैली, में शामिल करेंगे? अपने चयन की वजह भी बताएँ ।
उत्तर- माना कि मैं एक चित्रकार हूँ और बीसवीं सदी की शुरुआत में एक राष्ट्रीय चित्र शैली विकसित करने का प्रयास कर रहा हूँ। अपनी इस शैली में मैं मुख्यतः राष्ट्रवादी तत्वों को उभारने का प्रयास करूँगा । इस शैली में कुछ-कुछ पौराणिक तत्वों को भी सम्मिलित करूँगा । उसमें यह भी सम्मिलित करूँगा कि लोग समझें कि हम विदेशी गुलाम हैं और इस गुलामी से हमें मुक्ति चाहिए । सम्भव है कि इसके लिए मुझे अंग्रेज शासकों का कोपभाजन भी बनना पड़ जाय । लेकिन देशहित में उसे सहन करने की कोशिश करूँगा ।
प्रश्न 2. राजा रविवर्मा के चित्रों को राष्ट्रवादी भावना वाले चित्र कैसे कहा जा सकता है ?
उत्तर- राजा रविवर्मा के चित्रों को राष्ट्रवादी भावना वाले चित्र इस प्रकार कहा जा सकता है, क्योंकि उन्होंने रामायण और महाभारत से अनगिनत चित्रों को उकेरा। उन्होंने पुराणों से भी विषय चुने। समाज के अनेक वर्गों को भी अपने चित्र में स्थान दिया । कृष्ण संधान रविवर्मा की एक अनुपम देन है। इस कारण रविवर्मा के चित्रों को स्पष्टतः राष्ट्रवादी भावना वाले चित्र कहा जा सकता है ।
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प्रश्न 3. भारत में ब्रिटिश इतिहास के चित्रों में साम्राज्यवादी विजेताओं के रवैये को किस तरह दर्शाया जाता था ?
उत्तर – भारत में ब्रिटिश इतिहास के चित्रों में साम्राज्यवादी विजेताओं के रवैये को अत्यधिक उदार रूप में दर्शाया जाता था । ऐसा दर्शाया जाता था, जैसे कि भारत एक उजाड़ और ऊबड़-खाबड़ जमीन वाला और केवल कृषि पर आधारित जीवन व्यतीत करने वाले असभ्य लोगों का निवास स्थान है और अंग्रेज उन्हें सभ्य बनाने के लिए आए हैं, मानो वे भारत पर उपकार कर रहे हों। अंग्रेज अपने को आधुनिकता का प्रतीक मानते थे ।
प्रश्न 4. आपके अनुसार कुछ कलाकार एक राष्ट्रीय कला शैली क्यों विकसित करना चाहते थे ?
उत्तर—कुछ कलाकार एक राष्ट्रीय कला शैली इसलिए विकसित करना चाहते थे ताकि लोगों में आधुनिकता के साथ-साथ राष्ट्रीयता का बोध भी हो। जिस शैली को विकसित करना चाहते थे, वह गैर-पश्चिमी कला के साथ भारत के प्राचीन मिथकों से पूर्णतः भिन्न हो । वे पूर्वी दुनिया के आध्यात्मिक तत्व को पकड़ना चाहते थे । वे रविवर्मा के चित्रों से भी दूरी बनाए रखना चाहते थे । वास्तव में वे राष्ट्रवादी भावना से ओत- प्रोत थे ।
प्रश्न 5. कुछ कलाकारों ने सस्ती कीमत वाले छपे हुए चित्र क्यों बनाए ? इस तरह के चित्रों को देखने से लोगों के मस्तिष्क पर क्या असर पड़ते थे?
उत्तर—कुछ कलाकारों ने सस्ती कीमतवाले छपे हुए चित्र इसलिए बनाए क्योंकि वे चाहते थे कि इन चित्रों को आम लोग भी खरीद सकें। उन चित्रों में अंग्रेजी पढे लागों के रहन-सहन तथा हाव-भाव को देख लोग उनकी खिल्ली उड़ाते थे । इससे वे लोगों को राष्ट्रवाद की ओर मोड़ना चाहते थे । यह वह समय था, जब देश में राष्ट्रीयता की लहर दौड़ने वाली थी या दौड़ रही थी ।
प्रश्न 6. रूप चित्र से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर—रूप चित्र से तात्पर्य है कि व्यक्ति विशेष के चेहरे और हावभाव पर ज्यादा जोर दिया गया हो ।
प्रश्न 7. भित्ति चित्र किसे कहते हैं? एक उदाहरण भी दें ।
उत्तर—दीवार पर बने चित्र को भित्ति चित्र कहते हैं । जैसे : अजंता के भित्ति चित्र ।
प्रश्न 8. परिप्रेक्ष्य विधि क्या है ?
उत्तर- ऐसी विधि जिसके जरिए दूर की चीजें छोटी दिखाई देती हैं. समांतर रेखाएँ दूर जाकर एक-दूसरी में विलीन होती प्रतीत होती हैं, परिप्रेक्ष्य विधि कहलाती है।
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