BSEB Class 8th Political Science Ch 8. खाद्य सुर‍क्षा| Khadya Suraksha Notes

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Khadya Suraksha Notes

8. खाद्य सुर‍क्षा

पाठ के अंदर आए प्रश्न तथा उनके उत्तर

(पृष्ठ  –79)

प्रश्न 1. क्या खेतों में काम करके रामू को नियमित आय होती होगी? क्या इस आय से वह पर्याप्त भोजन की व्यवस्था कर पाता.

होगा ? चर्चा करें ।

उत्तर – नहीं, खेतों में काम करके रामू को नियमित आय नहीं होती होगी । इस आय से वह अपने परिवार के लिए पर्याप्त भोजन की व्यवस्था नहीं कर पाता होगा।

प्रश्न 2. कमला की बीमारी और उसके छोटे -से बच्चे की मृत्यु का क्या कारण है ?

उत्तर – कमला की बीमारी और उसके छोटे बच्चे की मृत्यु का कारण कम भोजन का मिलना है । उसे इतना भी भोजन नहीं मिलता कि वह स्वस्थ रह सकती ।

प्रश्न 3. सोमू अपनी उम्र से छोटा क्यों दीखता है ?

उत्तर – पर्याप्त भोजन नहीं मिलने के कारण सोमू अपनी उम्र से छोटा दीखता हैं ।

प्रश्न 4. रामू और उसके परिवार को लम्बे समय तक पर्याप्त भोजन क्यों नहीं मिल पाता है ? ऐसा क्यों है कि पीढ़ी दर पीढ़ी इस परिवार के लोग कमजोर पैदा होते हैं?

उत्तर – रामू और उसके परिवार को लम्बे समय तक पर्याप्त भोजन इसलिए नहीं मिल पाता क्योंकि खेती में सालों भर काम नहीं मिलता। रामू को अब इतनी शक्ति नहीं कि वह ईंट भट्टे पर काम कर सके। आय की कमी के कारण ही रामू के परिवार को लम्बे समय तक पर्याप्त भोजन नहीं मिल पाता है। पर्याप्त भोजन नहीं मिलने अर्थात कुपोषण के कारण पीढ़ी -दर – पीढ़ी इस परिवार के लोग कमजोर पैदा होते हैं ।

प्रश्न 5. सरला जन्म से ही कमजोर क्यों है ?

उत्तर – सरला जब गर्म में थी, उस समय उसकी माँ काफी कमजोर थी । ऐसा इसलिए था कि वह वर्षों से कुपोषण का शिकार चल रही थी । फलतः वह बीमार भी रहने लगी। इसी अवस्था में जब वह चौदह वर्ष की हुई तव से अपने छोटे भाई -बहनों की देखभाल की जिम्मेदारी निभाने लगी ।

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प्रश्न 1. किन चीजों की कमी के कारण कुपोषण होता है ?

उत्तर – शरीर के लिए आवश्यक एवं पर्याप्त आहार का लम्बे समय तक नहीं मिलने से ‘कुपोषण’ होता है ।

प्रश्न 2. कुपोषण के क्या -क्या लक्षण होते हैं ?

उत्तर  – कुपोषण के निम्नलिखित लक्षण होते हैं :

(i) शरीर की वृद्धि का रूकना, (ii) खून की कमी होना, (iii) माँसपेशियों का ढीला पड़ जाना या सिकुड़ जाना, (iv) शरीर का वजन कम हो जाना, (v) हाथ -पैर का पतला हो जाना, (vi) पेट का बड़ा हो जाना या शरीर में सूजन हो जाना, (vii) कमजोरी महसूस करना ।

प्रश्न 3. पुरुषों के मुकाबले, महिलाएँ अधिकतर कुपोषण से क्यों ग्रसित होती हैं ?

उत्तर – महिलाएँ प्रायः पहले पुरुषों और बच्चों को खिलाती हैं। बाद में बचे -खुचे भोजन को स्वयं खाती हैं । लम्बे समय तक ऐसा होने के कारण उनके शरीर में खून की कमी हो जाती है। यही कारण है कि पुरुषों के मुकावले महिलाएँ अधिकतर कुपोषण का शिकार हो जाती हैं।

प्रश्न 4. कुपोषण जैसे समस्या से निपटने के लिए हमें क्या करना चाहिए? शिक्षिका के साथ चर्चा कीजिए ।

उत्तर – कुपोषण से निपटने के लिए हमें सरकार से गुहार लगानी चाहिए। संविधान सरकारों को निर्देश देता है कि देश या राज्य में कोई कुपोषण का शिकार नहीं होने पावे । बी० पी० एल० परिवारों को निश्चित रूप से अनाज मुहैया कराना सरकार का कर्तव्य है ।

प्रश्न 5. आप अपने पड़ोस के आंगनबाड़ी केन्द्र जाकर निम्न सूचना एकत्र कर एक रिपोर्ट तैयार कीजिए ।

बच्चों एवं महिलाओं का वजन क्यों लिया जाता है ?

वहाँ लोंग किस प्रकार का आहार लेते हैं ?

  • आँगनबाड़ी केन्द्र का मुख्य उद्देश्य क्या है ? संकेत : यह परियोजना कार्य हैं। छात्र स्वयं करें ।

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प्रश्न 1. अपनी शिक्षिका व अपने घर के बड़े -बूढ़ों से जानकारी इकट्ठा करके अपने आसपास की ऐसी योजनाओं के बारे में पता लगाइए जिससे लोगों को रोजगार व आय की प्राप्ति हो रही है ।

संकेत : यह आपको स्वयं करना है ।

प्रश्न 2. बेरोजगारी और कुपोषण का क्या सम्बंध है? आपस में चर्चा कीजिए ।

उत्तर – बेरोजगारी और कुपोषण में घना सम्बंध है। बेरोजगार लोग आय नहीं मिलने के कारण भोजन का सामान नहीं खरीद पाते। लगातार कुछ अवधि तक ऐसा ही होते रहने पर परिवार के लोग कुपोषण का शिकार हो जाते हैं

प्रश्न 3. लोगों को रोजगार दिलाने का दायित्व सरकार का क्यों होना चाहिए? अपने संविधान में दिए गए अधिकारों/प्रावधानों को ध्यान में रखकर इसका उत्तर दीजिए ।

उत्तर – भारतीय संविधान देश में ऐसी सरकारें गठन का आदेश देता है कि वे सामाजिक सुरक्षा की गारंटी दें। सामाजिक सुरक्षा के अन्दर यह बात भी आती है कि सबको इतना भोजन अवश्य मिले कि वह कुपोषित नहीं हो । अतः गरीबों को सरकार के खाद्य मंत्रालय से सम्पर्क करना चाहिए। वह विभाग अवश्य मदद देगा

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प्रश्न 1. क्या आपके घरों में अनाज का भंडारण किया जाता है ? अगर हाँ, तो इसका क्या उद्देश्य है ?

उत्तर – हाँ, मेरे घर में तो नहीं, लेकिन बड़े जोतदार किसानों के घर में अनाज का भंडारण होता है। इसका उद्देश्य होता है कि सालों भर तक अपने घर खर्च के लिए अनाज घर में भंडारित करने के बाद शेष अनाज वे बेच देते हैं ।

प्रश्न 2. क्या आपके घरों में भी बाजार से कम मूल्य पर अनाज आता है ? यदि हाँ तो यह कैसे ?

उत्तर – नहीं, मेरे घर में बाजार से कम मूल्य पर अनाज नहीं आता । कारण कि मेरा परिवार वी. पी. एल. परिवार नहीं है ।

प्रश्न 3. सरकार बफर स्टॉक क्यों बनाती है ?

उत्तर – सरकार बफर स्टॉक इसलिए बनाती है कि बाढ़ और सूखा जैसी आपात स्थिति में भी अनाज का वितरण जारी रखा जाय । लेकिन वास्तविकता है कि यही बफर स्टॉक का अनाज सड़ता है ।

प्रश्न 4. उचित मूल्य की दुकानों तक अनाज कैसे पहुँचता है ? अपने शब्दों में लिखिए ।

उत्तर – उचित मूल्य के दुकानदान मंडी से थोक विक्रेताओं के यहाँ से खरीद कर लाते हैं । उसी अनाज को वे उचित मूल्य पर बेचते हैं । उचित मूल्य का मतलब है खरीद की दर में लाभ का अंश जोड़कर उचित दर निश्चित करना। (सार्वजनिक वितरण की दुकान और उचित मूल्य की दुकान में अंतर है 1)

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प्रश्न 1. क्या आपने कभी इस तरह की परिस्थिति देखी है?

उत्तर – यह मेरे पढ़ने -सीखने का समय है । मुझे घरेलू कार्यों में नहीं लगाया जाता है और न पढ़ाई छोड़कर सामान खरीदने में मेरी रुचि ही है

प्रश्न 2. आपके विचार में क्या दुकानदान सच बोल रहा है?

उत्तर – नहीं, किरासन तेल के मामले में दुकानदार सच नहीं बोल रहा है। वास्तव में किरासन तेल दुकान पर आने के पहले ही काला बाजारी में चला जाता है। जनता मुँह ताकती रह जाती है ।

प्रश्न 3. क्या आपके परिवार के पास राशन कार्ड है ?.

उत्तर – पहले नहीं था। मेरे पिताजी बहुत दौड़ -धूप किये तब उन्हें राशन कार्ड मिला। हाँ. अभी मेरे परिवार में राशन कार्ड है।

प्रश्न 4. इस राशन कार्ड से आपके परिवार ने हाल में कौन -कौन सी चीज खरीदी है ?

उत्तर – अभी हाल में ही मेरे परिवार ने राशन कार्ड से गेहूँ, चावल तथा किरासन तेल खरीदा है । किरासन बहुत महीनों बाद मिला है।

प्रश्न 5. क्या आपके परिवार को राशन की चीजें लेने में कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है? उनसे पता लगाएँ ।

उत्तर – पिताजी से पूछने पर उन्होंने बताया कि राशन की चीजें लेने में कुछ समस्याओं का सामना तो करना ही पड़ता है । मेरे पिताजी कृषि मजदूर हैं। दिन भर काम में लगे रहते हैं। सुबह -शाम जब फुर्सत मिलती है तव दुकान पर जाते हैं तो दुकान बन्द रहती है। दोपहर में दुकान पर भीड़ रहती है । सामान लेने में देर लगता है ।

प्रश्न 6. आपकी समझ से राशन की दुकानें क्यों जरूरी हैं ?

उत्तर – मेरी समझ से राशन की दुकानें इसलिए जरूरी हैं कि इन दुकानों से गरीब परिवारों को अर्थात बी. पी. एल. परिवार को उचित मूल्य पर अनाज मिल जाता है। ये बातें मैं ‘सार्वजनिक वितरण’ की दुकानों के संदर्भ में लिख रहा हूँ ।

(पृष्ठ  –86 )

अपने इलाके के राशन की दुकान पर जाएँ और जानकारी प्राप्त करें :

1. राशन की दुकान कब खुलती है ?

2. वहाँ पर कौन -कौन सी चीजें बेची जाती हैं ?

3. वहाँ किस -किस तरह के कार्डधारी आते हैं ?

4. वहाँ राशन कहाँ से आता है ?

5. क्या इन दुकानों में सभी कार्डधारियों के लिए एक समान मूल्य

होता है ?

6. क्या राशन की दुकान और खुले बाजार की सामग्रियों की गुणवत्ता

एवं मूल्य में अंतर होता है ? पता लगाइए ।

7. लक्षित जन वितरण प्रणाली के अन्तर्गत ए. पी.एल., बी.पी.एल., अन्त्योदय, वृद्ध लोगों के लिए अन्नपूर्णा योजना संचालित की जाती हैं। अपनी शिक्षिका से इस विषय पर जानकारी एकत्रित कीजिए । 8. निर्धन और गैर निर्धन के लिए चीजों को अलग -अलग मूल्य रखने में, क्या कोई व्यवहारिक कठिनाई हो सकती है ? कारण सहित समझाइए ।

पृष्ठ परियोजना कार्य है। छात्र स्वयं करें ।

(पृष्ठ  –87 )

प्रश्न 1. क्या आपको लगता है कि सरकार का गरीबों का स्वास्थ्य सुरक्षित कराने का यह तरीका सही है? कारण सहित समझाइए ।

उत्तर – हाँ, मुझे लगता है कि सरकार का गरीवों का स्वास्थ्य सुरक्षित करने के लिए राशन की दुकानों से सस्ते तूल्य पर अनाज मुहैया करा रही है । इन दुकानों से गरीब अनाज लेकर बहुत हद तक अपने को कुपोषण से वंचा सकता है। कुपोषण से बचा रहकर व्यक्ति निश्चित ही, स्वस्थ रहेगा ।

प्रश्न 2. क्या ऐसा भी किया जा सकता है कि कम दामों पर खाद्य सुरक्षा सार्वजनिक रूप से सभी लोगों को उपलब्ध करायी जाये? इसके लाभ तथा नुकसान पर अपनी शिक्षिका के साथ चर्चा कीजिए ।

उत्तर – हाँ, सभी लोगों को ‘खाद्य सुरक्षा’ का लाभ कम दाम पर किया जा सकता है। लेकिन सरकार को इसमें सवसीडी देना पड़ेगा। सरकार जो सवसीडी देगी उसे कर के रूप में जनता से ही वसूलेगी। सरकार को महँगी दर पर अनाज खरीदकर सस्ती दर पर वेचना होगा। इससे सबको खाद्य सुरक्षा मुहैया होगी लेकिन सरकार को अपनी आर्थिक नीति में कुछ वदलाव करना पड़ेगा ।

प्रश्न 3. क्या कुछ लोग गलत तरीकों से अपने आप को इस रेखा के नीचे प्रमाणित करने की कोशिशें करते होंगे?

उत्तर – हाँ, कुछ लोग गलत तरीकों से अपने आपको बी. पी. एल. रेखा से अधिकाधिक नीचे रखने का प्रयास करते ही हैं । कुछ तो सफल हो जाते हैं और कुछ सफल नहीं हो पाते। इस आपाधापी में जो परिवार बी० पी० एल० का वास्तविक हकदार है, वह छूट जाता है ।

प्रश्न 4. मध्याह्न भोजन योजना क्या है ?

उत्तर – मध्याह्न भोजन योजना सरकार द्वारा उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम हैं। इसके तहत बच्चों में कुपोषण को दूर करने के लिए विद्यालय में पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाता है। जो बच्चे सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने जाते हैं, उनको दोपहर में भोजन कराया जाता है। बच्चों में कुपोषण रोकने की यह एक महत्ती योजना है।

प्रश्न 5. गरीबी रेखा से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर – सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम आर्थिक स्तर से नीचे के परिवार को गरीबी रेखा से नीचे मानती है। इस स्तर से नीचे वाले परिवारों को सरकार कम मूल्य पर अनाज मुहैया कराती है। इसमें गेहूँ और चावल दोनों रहते हैं । इस आधार पर सरकार की समझ है कि इतने अनाज से वह परिवार कुपोषण मुक्त हो जाएगा । कितनी मासिक आय वाले परिवार को गरीबी रेखा (बी.पी.एल.) से नीचे माना जाय – यह हर राज्य में अलग -अलग है। यह रेखा शहर और गाँव में अलग -अलग हैं ।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. ऐसे कौन से लोग हैं जो खाद्य असुरक्षा से सर्वाधिक ग्रस्त हो सकते हैं?

उत्तर – ऐसे वे लोग हैं, जो खाद्य असुरक्षा से सर्वाधिक ग्रस्त हो सकते हैं, जिनकी आय अनियमित है और परिवार में बच्चे अधिक हैं। कम आय और खासकर ‘अनियमित आय के कारण वे अपने परिवार के लिए उचित आहार नहीं खरीद सकते ।

प्रश्न 2. राशन की दुकान होना क्यों जरूरी है? समझाइए ।

उत्तर -‘राशन की दुकान’ से तात्पर्य ‘सार्वजनिक वितरण प्रणाली’ की राशन दुकान से हैं। इनका होना इसलिए जरूरी है, क्योंकि इसी दुकान से बी.पी.एल. परिवारों को राशन और किरासन मिलता है। सरकार इन दुकानों के ही माध्यम से सस्ते में अनाज (गेहूँ, चावल) उपलब्ध कराती है ।

प्रश्न 3. लोगों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली द्वारा खाद्य उपलब्ध कराने के अतिरिक्त खाद्य सुरक्षा के लिए और क्या -क्या उपाय किये जा सकते हैं? शिक्षक के साथ चर्चा कीजिए

उत्तर – लोगों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली द्वारा खाद्य उपलब्ध कराने. के अतिरिक्त खाद्य सुरक्षा के लिए सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से खाद्यान्न खरीदती है और उसे (F.C.I.) के गोदामों में बफर स्टॉक के रूप में सुरक्षित रखती है।

प्रश्न 4. खाद्य सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? यह सभी लोगों के लिए क्यों जरूरी है ?

उत्तर – खाद्य सुरक्षा से हम समझते हैं कि सरकार उचित मात्रा में अनाज का बफर स्टॉक रखेगी और उसे बाजार में उपलब्ध कराएगी। भले ही BPL परिवारों को सस्ता और APL परिवारों को अपेक्षाकृत महँगा खाद्यान्न मिले, लेकिन मिलना सभी को चाहिए। चाहे वह सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दूकानों से हो या उचित मूल्य की दुकानों से चाहें जैसे भी हो। सबको खाद्यान्न मिलना चाहिए। तभी ‘खाद्य सुरक्षा’ का लाभ सबको मिल सकता है ।

प्रश्न 5. कुपोषण क्या है ? कुपोषण से लोगों पर किस -किस तरह के असर पड़ते हैं ?

उत्तर – जब किसी व्यक्ति या उसके परिवार के लोगों को उचित आहार नहीं मिलता है या आहार समयानुकूल नहीं मिलने पर जो प्रभाव व्यक्ति या व्यक्तिों पर पड़ता है, उसे कुपोषण कहते हैं ।

कुपोषण से लोग कमजोर हो जाते हैं । उनके बच्चे भी कमजोर ही पैदा लेते हैं । कमजोरी से माँसपेशियाँ ढीली पड़ जाती हैं या सिकुड़ जाती हैं। थोड़ी मेहनत से ही आदमी थक जाता है। बच्चों के हाथ -पैर पतले हो जाते हैं और पेट फूल जाता है। बदन में सूजन आ जाती है। यदि जल्दी उचित आहार की व्यवस्था हो जाय तो ये असर समाप्त भी हो सकते हैं ।

प्रश्न 6. आपके क्षेत्र में सरकार द्वारा लोगों को रोजगार देने के लिए कौन -कौन सी योजनाएँ चलाई जा रही हैं? आपके विचार में इनमें से किस योजना का लाभ लोगों को सबसे अधिक हो रहा है और क्यों ?

उत्तर – गाँवों में अल्प आय वालों को रोजगार मुहैयार कराने की अनेक योजनाएँ चलाई गई । इधर हाल के वर्षों में ‘नरेगा’ कार्यक्रम चलाया गया । उसी का नाम बदलकर अब ‘महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना’ कर दिया गया है। योजना के तहत काम करने के सभी इच्छुक व्यक्तियों को वर्ष में कम -से -कम 100 दिनों का काम मुहैया कराया जाएगा, और उसकी मजदूरी सरकार द्वारा निर्धारित दर पर दिया जाएगा। ग्रामीण अपने गाँव के निकट ही काम कर सकते हैं । इस योजना से सरकार को ग्रामीण निर्धनता कम करने में कामयाबी मिल सकती है। इस रुपये से वे अपने घरेलू उपयोग के लिए अनाज खरीद सकते हैं और बहुत हद तक कुपोषण से बच सकते हैं ।

प्रश्न 7. भारत में अनाज की मात्रा पर्याप्त होने के बावजूद भी कई लोगों को भरपेट भोजन क्यों नहीं मिल पाता ? अपने शब्दों में

समझाइए ।

उत्तर यह बात सही है कि सरकारी भंडारों में अनाज ठसाठस भरा हुआ है, लेकिन लोगों को भरपेट भोजन नहीं मिलता। इसके अनेक कारण हैं । पहला कारण तो यह है कि लोगों की क्रय शक्ति कम हो गई है । कारण कि खेती में सालों भर काम नहीं मिलता। ‘मनरेगा’ योजना में काम कराकर भुगतान नहीं किया जाता । अनेक सरकारी और अर्द्धसरकारी विभागों में महीनों  – महीने कम वेतन देकर रखा जाता है । अनेक कर्मचारी तो मरते हुए या मृत पाए गए हैं। पता करने पर मालमू हुआ कि इनका वर्षों से वेतन नहीं मिला। इ प्रकार एक ओर लोगों में क्रय शक्ति की कमी और दूसरी ओर सरकार द्वार अनाज वितरण की कुव्यवस्था आदि से पर्याप्त मात्रा में अनाज रहते हुए लोगों ..को भरपेट भोजन नहीं मिलता और वे कुपोषण के शिकार होते हैं। सरकार को चाहिए कि सभी विभागों में समय पर वेतन भुगतान करें और गोदामों से सही ढंग से अनाज दुकानदारों के पास पहुँचाया जाय ।

प्रश्न 8. सार्वजनिक वितरण प्रणाली क्या है? एक उदाहरण देकर समझाइए ।

उत्तर-सरकार BPL तथा APL परिवार के लोगों को अनाज मुहैया कराने के लिए हर ग्राम पंचायत क्षेत्र में एक दुकानदार नियुक्त करती है । उसी दुकानदार को अपने गोदामों से नगद अनाज देती है और वह दुकानदार हरेक कार्डधारी को अनाज देता है। अनाज में गेहूँ और चावल की प्रमुखता रहती है। त्योहारों के समय चीनी भी दिया जा सकता है। इन दुकानदारों को किरासन तेल भी बेचना है। इसी व्यवस्था को ‘सार्वजनिक वितरण प्रणाली कहा जाता है ।

प्रश्न 9. भारत में अपनाई जाने वाली सार्वजनिक वितरण प्रणाली में किस प्रकार की समस्याएँ हैं? आपके विचार में इन्हें हल करने के लिए क्या करना चाहिए ?

उत्तर – सार्वजनिक वितरण प्रणाली के दुकानदारों को हिदायत दिया जाय कि वे दुकान को सुबह 6 बजे से 9 बजे तक तथा शाम में 5 बजे से 8 बजे रात तक खुला रखें। कारण कि मजदूरों को इसी समय फुर्सत मिलती हैं। लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाने का उपाय हो । अनाज भंडार से दुकानदारों को समयानुसार अनाज मुहैया कराते रहा जाय । भंडारों को सुरक्षित बनाया जाय कि अनाज सड़ने नहीं पावें और चूहों की पहुँच रोकी जाय ।

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