इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान के पाठ 1 लोकतंत्र में समानता (Loktantra Me Samanta Class 7th Solutions) के सभी टॉपिकों के बारे में अध्ययन करेंगे।
1. लोकतंत्र में समानता
पाठ के अन्दर आए हुए प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. वोट देने का अधिकार किसे कहते हैं ? (पृष्ठ 2)
उत्तर – राज्य के विधान सभा या स्थानीय शासन के लिए चुने जाने वाले प्रतिनिधि को चुनने के लिए मिले अधिकार को ‘वोट देने का अधिकार’ कहते हैं ।
प्रश्न 2. कतार में खड़ा होकर क्या कहीं पूनम को समानता का अनुभव हो रहा है? कैसे ? ( पृष्ठ 2 )
उत्तर—कतार में खड़ा होकर निश्चित रूप से पूनम को समानता का अनुभव हो रहा है। कारण कि वहाँ जो पहले आता है वह कतार में खड़ा हो जाता है। वहाँ जाति-पांति या धनी गरीब का ख्याल नहीं किया जाता। सबको समान अधिकार का उयोग करने का मौका मिलता है।
प्रश्न 3. वोट देने के अधिकार में क्या आपको काम, शिक्षा, पैसे या धर्म व जाति से कोई फर्क पड़ता है? चर्चा करें ( पृष्ठ 2 )
उत्तर— नहीं, वोट देने के अधिकार में हमें काम, शिक्षा, पैसा या धर्म व जाति से कोई फर्क नहीं पड़ता। जो पहले आता है वह पहले वोट देता है, चाहे वह कोई भी हो। लेकिन वोटर लिस्ट में नाम और साथ में फोटो लगा पहचान पत्र होना चाहिए । 18 वर्ग के या इससे ऊपर आयु के सभी को वोट देने का अधिकार है ।
प्रश्न 4. फोटो पहचान पत्र की जरूरत और कहाँ पड़ सकती है ? ( पृ. 2 )
उत्तर—फोटो पहचान पत्र की आवश्यकता वोट देने के अलावा राशन कार्ड बनवाने में पहले पहल रसोई गैस सलेंडर लेने में मोबाइल फोन लेने में किसी अनजान जगह जाने पर अपना पहचान करवाने आदि में फोटो पहचान पत्र की आवश्यकता पड़ती है या पड़ सकती है। किसी अनजान शहर में बिना फोटो पहचान पत्र के न तो किसी धर्मशाला में और न ही होटल या लॉज में ठहरने की अनुमति मिल सकती है
प्रश्न 1. अब तक रमा स्कूल क्यों नहीं गई ? ( पृष्ठ 3 )
उत्तर- परिवार की गरीबी के कारण रमा अभी तक स्कूल नहीं गई, जबकि उसकी आयु 7 वर्ष हो चुकी है।
प्रश्न 2. पूनम को असमानता का अहसास क्यों होता है ? ( पृष्ठ 3 )
उत्तर- पूनम को असमानता का अहसास अपनी गरीबी को लेकर होता है कारण कि इसे ज्योति के घर में नौकरानी का काम करना पड़ता है। गरीबी के कारण वह रमा को स्कूल नहीं भेज पाती । ज्योति के घर वाले आराम का जीवन जीते हैं जबकि पूनम को सदैव खटना पड़ता है।
प्रश्न 3. आपके आस-पास किस-किस प्रकार के स्कूल हैं ? ( पृष्ठ 3 )
उत्तर—हमारे आस-पास दो प्राइवेट स्कूल हैं तथा गाँव के बाहर सरकारी प्राथमिक पाठशाला है। प्राइवेट स्कूलों में तो पढ़ाई बहुत अच्छी होती है। शिक्षक
समय पर आते हैं और समय पर जाते हैं। लेकिन सरकारी स्कूल की स्थिति ठीक नहीं है। शिक्षकों के आने का कोई निश्चित समय नहीं है । वे आते भी हैं तो पढ़ाई ठीक से नहीं कराते । सरकारी स्कूल में दोपहर का मुफ्त भोजन तो मिलता है, लेकिन घटिया किस्म का ।
प्रश्न 4. अच्छा स्कूल आप किसे मानेंगे ? ( पृष्ठ 3 )
उत्तर—अच्छा स्कूल हम उसे मानेंगे, जिसका भवन अच्छा हो । बरसात में पानी चूता नहीं हो । शिक्षक समय पर आते हों और बच्चों को मन से पढ़ाते हो । दोपहर का भोजन अच्छा मिलता हो । स्कूल समय पर खुलता हो और समय पर बन्द होता हो । स्कूल के पास शौचालय हो तथा पानी के लिए हैंड पम्प हो ।
प्रश्न 1. बाल संसद के लिये चुनाव करवाना क्यों जरूरी है ? ( पृष्ठ 4 )
उत्तर- बाल संसद के लिये चुनाव करवाना इसलिए जरूरी है कि छात्रों में जागरूकता का विकास हो और चुनाव के महत्त्व को वे समझ सकें ।
प्रश्न 2. यदि शिक्षक द्वारा प्रतिनिधि मनोनीत कर दिया जाता तो क्या फर्क पड़ता ? ( पृष्ठ 4 )
उत्तर – यदि शिक्षक द्वारा प्रतिनिधि मनोनीत कर दिया जाता तो बहुत फर्क पड़ता । छात्रों में उत्तरदायित्व की भावना का विकास नहीं होता । मनोनीत प्रतिनिधि में घमंड की भावना आ जाती और वह ठीक से काम नहीं कर पाता । छात्र चुनाव के महत्व से भी अनजान रह जाते ।
प्रश्न 3. क्यां चुनाव प्रक्रिया में ‘एक व्यक्ति एक मत‘ के सिद्धांत का प्रयोग हुआ ? समझाएँ । ( पृष्ठ 4 )
उत्तर- हाँ, चुनाव प्रक्रिया में ‘एक व्यक्ति एक मत’ के सिद्धांत का प्रयोग हुआ । इससे लाभ हुआ कि छात्रों में समानता के भाव का समावेश हुआ। इस प्रक्रिया में धनी बाप के बेटे और गरीब बाप के बेटे या दलितों के बेटों या सवर्णो के बेटी को बराबरी में रहने की शिक्षा मिली ।
प्रश्न 4. एक व्यक्ति एक मत के नियम से क्या लाभ है ? ( पृष्ठ 4 )
उत्तर- ‘एक व्यक्ति एक मत’ के नियम से लाभ है कि इससे समानता का अहसास होता है । व्यक्ति धनी हो या गरीब, दलित हो या सवर्ण, निरक्षर हो या शिक्षित – यहाँ सभी का महत्व समान समझा जाता है। वास्तव में लोकतंत्र का यही तो मूलमंत्र है ।
प्रश्न 5. आपके विद्यालय में बाल संसद ने क्या काम किया और क्या कर सकती है ? अपनी राय लिखें । (पृष्ठ 4 )
उत्तर- हमारे विद्यालय के बाल संसद ने मुख्य काम यह किया कि पूरे विद्यालय भवन की पूरी सफाई का भार वहन किया। वर्ग कक्षों से लेकर कार्यालय को भी नित्य सफाई का जिम्मा टोली विशेष को दी गई है। इससे स्कूल भवन काफी साफ- सुथरा दिखने लगा है।
बाल संसद कुछ और करना चाहे तो वह स्कूल भवन के आगे फूलों के पौधे रोप सकती है। यदि मैदान है तो उसकी सफाई भी की जाय । यदि विद्यालय के चारों ओर खाली जमीन हो तो वृक्षारोपण किया जाय। उनमें समयानुसार पानी दिया जाय और उनकी देखभाल की जाय ।
प्रश्न 1. दक्षिण अफ्रीका में रेल यात्रा के दौरान गाँधीजी की गरिमा को किस प्रकार ठेस पहुँची ? ( पृष्ठ 6 )
उत्तर-दक्षिण अफ्रीका प्रवास के समय गाँधीजी को एक दिन रेलयात्रा करनी पड़ी । उन्होंने प्रथम दर्जे का टिकट लिया और उसी दर्जा में सवार भी हो गए। एक गोरे को काले का अपने डब्बे में देखकर नागवार लगा और उनको गाड़ी से उतर जाने का निर्देश दिया। लेकिन गाँधीजी ने गाड़ी से उतरने से इंकार कर दिया, क्योंकि उनके पास प्रथम दर्जे का टिकट था । गोरे ने पुलिस बुलवा कर गाँधीजी का सामान डब्बे से बाहर फेंकवा दिया। इसपर भी गाँधीजी डब्बे से उतरने को तैयार नहीं थे । इस पर उन्हें भी सामान की तरह उठा कर डब्बे से बाहर फेंक दिया गया। इस प्रकार गाँधीजी को उनकी गरिमा को ठेस पहुँची ।
प्रश्न 2. आपबीती के लेखक को अपने सम्बंधी के यहाँ किन बातों से ठेस पहुँची ? (पृष्ठ 6 )
उत्तर- आपबीती के लेखक को अपने सम्बंधी के यहाँ इन बातों से ठेस पहुँची कि मूल्यवान कपड़े पहने सम्बंधियों की खातिरदारी में सभी लगे हुए थे। वहीं साधारण कपड़ा पहने होने के कारण लेखक से किसी ने बैठने तक के लिये नहीं कहा। यहाँ तक कि उसे न तो जलपान कराया गया और न भोजन के लिये पूछा गया। सोने का भी उचित प्रबंध नहीं हुआ और लेखक को रात भर मच्छरों से जूझना पड़ा
प्रश्न 3. क्या आपके साथ भी ऐसी कोई घटना हुई है, जिससे आपकी गरिमा को ठेस पहुँची हो ?
उत्तर- हाँ, मेरी गरिमा को भी एक बार विद्यालय में ही ठेस पहुँची थी। हुआ था यह कि मेरे एक सहपाठी की पुस्तक गुम हो गई थी। पुस्तक दूसरे दिन उसने शिक्षक से शिकायत की और मुझपर ही चोरी का इल्जाम लगाया, जबकि मैं इस सम्बंध में पूर्णतः अनजान था। शिक्षक ने मुझे बुरी तरह प्रताड़ित किया। मैं लगातार रोता रहा और रोते-रोते ही मैं घर पहुँचा। फिर भी अपने अभिभावकों से मैने कुछ नहीं कहा। तीन दिन बाद पता चला कि वह पुस्तक उस सहपाठी के घर ही छूट गई थी ।
प्रश्न 1. इन विज्ञापनों ( पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 6 के विज्ञापनों ) में जाति एवं सामाजिक असमानता के सूचक शब्दों को रेखांकित करें। (पृष्ठ 7)
उत्तर- 1. कायस्थ लड़का, 2 मैथिल ब्राह्मण लड़की, 3. यादव लड़की
प्रश्न 1. मध्याह्न भोजन योजना का उद्देश्य क्या है ? ( पृष्ठ 8 )
उत्तर- गम्याह भोजन योजना का उद्देश्य है कि गरीब बच्चे भी कम-से-कम जन के लालच से विद्यालय से जुड़ सके और पढ़ सके ।
प्रश्न 2. मध्याह्न भोजन और विद्यालय से सम्बंधित अंशों से समानता दर्शाने वाले वाक्य चुनें और लिखें । ( पृष्ठ 8 )
उत्तर – मध्याह्न भोजन योजना में बच्चों को भोजन तो मिलता ही है, उनके बीच की सामाजिक दूरियों को भी कम करने का प्रयास किया जाता है। सभी बच्चे एक ही प्रकार के भोजन करते हैं, चाहे उनकी जाति कोई भी क्यों न हो ।
इसी प्रकार भोजन बनाने के लिये किसी भी जाति के लोग नियुक्त किये जा सकते हैं, चाहे वे दलित या महादलित ही क्यों न हो ?
प्रश्न 3. क्या आपने कभी मध्याह्न भोजन के दौरान असमानता का अनुभव किया हैं ? ( पृष्ठ 8 )
उत्तर- नहीं, मैंने कभी मध्याह्न भोजन के दौरान कभी भी असमानता का अनुभव नहीं किया ।
प्रश्न 1. बाल संसद समानता के लिये क्या कर सकती है। चर्चा कीजिए । ( पृष्ठ 9 )
उत्तर – बाल संसद समानता के लिए सहभोज’ का आयोजन कर सकती है। सभी मिलकर भोजन बनाएँगे और सभी एक पंक्ति में बैठकर खाएँगे ।
अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. अपने पास-पड़ोस से समानता और असमानता दर्शाने वाले किन्हीं तीन व्यवहारों का उल्लेख करें ।
उत्तर :
प्रश्न 2. क्या आपने कभी किसी के साथ असमान व्यवहार किया है ? यदि हाँ तो कब ?
उत्तर- नहीं, मैंने किसी के साथ कभी असमान व्यवहार नहीं किया है।
प्रश्न 3. क्या आपको किसी के व्यवहार से ठेस पहुँची
उत्तर- संकेत : पृष्ठ 8 पर प्रश्नोत्तर 2 देखें।.
प्रश्न 4. यदि आप रोजा पार्क्स की जगह दक्षिण अफ्रीका में रहते तो क्या करते ?
उत्तर— मैं भी वही करता जो रोजा पार्क्स ने किया था ।
प्रश्न 5. क्या कभी आपने पंक्ति में खड़े लोगों के बाद में आने के बावजूद आगे होने का प्रयास किया है ? यदि हाँ तो क्यों ?
उत्तर- नहीं, मैंने कभी पंक्ति में खड़े लोगों के बाद आने के बावजूद आगे होने का प्रयास नहीं किया । यह इसलिये कि यह नियम के अनुकूल नहीं होता ।
प्रश्न 6. असमानता के कई रूप हैं ? यह कैसे कह सकते हैं ?
उत्तर – हाँ, असमानता के कई रूप हैं। इन्हें हम इस प्रकार कह सकते हैं
(i) जाति के रूप में, (ii) धन बल के रूप में, (iii) बाहुबल के रूप में, (iv) रंग के रूप में, (v) देशी और विदेशी के रूप में, (vi) शैक्षिक योग्यता के रूप में(vii) पद के रूप में, (vii) सवर्ण तथा दलित के रूप में, (viii) दलितों में दलित और महादलित के रूप में ।
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