महात्मा ज्योतिराव फूले
ऽ महात्मा ज्योतिराव फूले का जन्म 11 अप्रैल, 1827 ई॰ को सतारा जिला, महाराष्ट्र में हुआ था।
ऽ इनकी मृत्यु 28 नवम्बर, 1890 ई॰ को पुने में हो गई थी।
ऽ यह जाति व्यवस्था को मनुष्यों के खिलाफ मानते थे। यह जाति व्यवस्था को पूरी तरह से नकारा।
ऽ अपने विचारों के प्रसार के लिए फूले ने पत्र-पत्रिकाओं और पुस्तकों के प्रकाशन तथा भाषण और लेखन का माध्यम अपनाया।
ऽ इन्होंने मराठी भाषा का प्रयोग किया ताकि आम लोगों के भाषा के द्वारा उनके विचार को जन साधारण तक आसानी से पहुँचाया जा सके।
ऽ 1873 में ‘गुलामी‘ नाम से निकाली गई पुस्तक में फूले ने शूद्रों की दासता के कारणों की व्याख्या की और इसकी तुलना अमेरीकी नीग्रो से की।
ऽ इन्होनें आर्य वैदिक परंपरा का विरोध करने के लिए ‘‘दिनबंधु‘ नामक मराठी पत्रिका निकाली।
ऽ असमानता के खिलाफ लोगों को जगाना ही उनके संघर्ष का मूल उद्देश्य था।
ऽ फूले ने सत्यशोधक समाज नामक संगठन बनायी और जाति समानता के समर्थन में मुहिम चलाई।
ऽ ‘काश्तकार की चाबुक‘ फूले द्वार रचित एक प्रमुख रचना है।