इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 7 हिन्दी के कहानी पाठ दो ‘ Nachiketa (नचिकेता)’ कहानी के सारांश को पढ़ेंगे।
2 नचिकेता
पाठ का सारांश-‘कठोपनिषद्’ से संकलित ‘नचिकेता’ शीर्षक पाठ में महर्षि बाजश्रवा के पुत्र नचिकेता के विशिष्ट गुणों पर प्रकाश डाला गया है। वाजश्रवा ऋषि ने एक यज्ञ किया। उस यज्ञ की पूर्णाहुति हो रही थी। ब्राह्मणों को दक्षिणा में उन्होंने अपनी सारी संपत्ति देने की घोषणा की थी। पर वे बूढ़ी और दुर्बल गाएँ दान कर रहे थे। उनके पुत्र नचिकेता को यह देखा नहीं गया और उसने पिता को टोक दिया । जब पिता ने ध्यान नहीं दिया तब नचिकेता ने कहा कि आपका सबसे प्रिय .. मैं हूँ, मुझे ही दान कर दें। पिता ने क्रोध में कहा कि जाओ, मैंने तुम्हें मृत्यु को दे दिया।
अब नचिकेता अड़ गया और बात लौटाई नहीं जा सकती थी । अत: नचिकेता मृत्यु के देवता यमराज के पास चल पड़ा । तीन दिनों तक भूखे-प्यासे ऋषि-कुमार की प्रतीक्षा करते देख यमराज ने प्रायश्चित स्वरूप नचिकेता से तीन वर माँगने को कहा। – पहले वर में नचिकेता ने माँगा कि उसके पिता का क्रोध शांत हो जाय। दूसरे वर में उसने यह जानना चाह कि स्वर्ग की प्राप्ति कैसे होती है ? तीसरे वर में उसने आत्मा का रहस्य जानना चाहा । अब यमराज इस अद्भुत बालक पर चौके, जिसे किसी सांसारिक सुख-वैभव की इच्छा नहीं थी। उन्होंने इस कम उम्र के बालक को समझाया कि आत्मा का ज्ञान बड़ा दुर्लभ है। वह कोई और वर माँग ले । उन्होंने नचिकेता को कई प्रलोभन दिए । पर वह तो सिर्फ आत्मा के रहस्य जानना चाहत था । अंत में यमराज ने नचिकेता को आत्मा के संबंध में सारी गूढ़ बातें बताईं। नचिकेता पिता के पास लौटा । वह बड़ा होकर बहुत बड़ा विद्वान और धर्मात्मा ऋषि बना।
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