BSEB Class 8th Political Science Ch 5.न्‍यायपालिका | Nyaypalika solutions

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Nyaypalika mcq questions

5.न्‍यायपालिका

पाठ के अन्दर आए हुए प्रश्न तथा उनके उत्तर

(पृष्ठ  –50 )

प्रश्न 1. आपकी समझ में कौन सही है ? गीता या उसके भाई ?

उत्तर – मेरे समझ से गीता सही है । कारण कि भारत में यह कानून बन गया है कि पैतृक सम्पत्ति में लड़का हो या लड़की-सबको बराबर -बराबर हिस्सा मिलेगा ।

प्रश्न 2. क्या ग्राम कचहरी के फैसले से दोनों पक्ष सहमत हो रहते हैं ?

उत्तर – नहीं, यह आवश्यक नहीं कि ग्राम कचहरी के फैसले से दोनों पक्ष सहमत ही हों। जो पक्ष सहमत नहीं होता वह जिला अदालत में अपील कर सकता हैं ।

(पृष्ठ  –51 )

प्रश्न 1. अदालत ने गीता के पक्ष में क्या फैसला सुनाया और क्यों ?

उत्तर – अदालत ने फैसला सुनाया कि गीता के भाइयों को अपनी पैतृकसम्पत्ति को चार भागों में बँटवारा करना होगा। उन चार भागों में एक भाग गीता को देना पड़ेगा। यह इसलिए कि भारत में हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत पिता की सम्पत्ति में बेटा हो या बेटी, सभी बराबर के हकदार हैं ।

प्रश्न 2. गीता की कहानी को पढ़ने के बाद न्याय के बारे में आपकी क्या समझ बनती है ?

उत्तर- गीता की कहानी को पढ़ने के बाद न्याय के बारे में मेरी समझ बनती है कि ग्राम कचहरियों में मुँह देखा न्याय होता है । पंच लोग किसी एक पक्ष से प्रभावित हो जाते हैं। लेकिन ऊपर की अदालतें कानून उचित न्याय करती हैं।

प्रश्न 3. जिले को अदालतों को किन -किन नामों से जाना जाता है ?

उत्तर – जिले की अदालतों को कई नामों से जाना जाता है। जैसे (i) ट्रायल कोर्ट, (ii) जिला न्यायालय, (iii) अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, (iv) सत्र न्यायिक मजिस्ट्रेट, (v) सिविल जज आदि। इन जिला न्यायालयों से ऊपर उच्च न्यायालय हैं । उच्च न्यायालयों के ऊपर दिल्ली में एक सर्वोच्च न्यायालय है ।

प्रश्न: अपने शिक्षक की सहायता से इस तालिका में दिए गए खाली स्थानों को भरिए ।

( पृष्ठ 52 )

(पृष्ठ  –53 )

प्रश्न 1. न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाये रखने के लिए क्या – क्या किया गया है ?

उत्तर – न्यायपालिका को स्वतंत्र रखने के लिए शक्तियों का बँटवारा किया गया है । विधायिका और कार्यपालिका ये दोनों न्यायपालिका के काम में हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं। इसका मतलब कि न्यायपालिका को पूर्णतः स्वतंत्र रखा गया है। उच्च न्यायालयों तथा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति सीधे सरकार के हाथ में नहीं । इन नियुक्तियों में सरकार के हाथ बँधे हुए हैं ।

प्रश्न 2. न्यायपालिका की स्वतंत्रता में किस-किस तरह की बाधाएँ आती हैं?

उत्तर – कभी-कभी लगता है धनी -मानी और बाहुबली लोग न्यायपालिका को प्रभावित करने और अपने पक्ष में फैसला कराने की कोशिश करते हैं। कुछ न्यायाधीश धन और प्रोन्नति की लालच में सरकार के पक्ष में फैसला देते हैं । सरकारी पक्ष के लोग परोक्ष रूप से महाभियोग चलाने की धौंस जमाते हैं। वे वैसे सांसद होते हैं, जो संसद को ही सर्वोपरि मानने की भूल कर बैठते हैं। वे भूल जाते हैं या जानते ही नहीं कि जनता सार्वभौम है । देश की संप्रभुता जनता के हाथ में है । ऐसे गैर जिम्मेदार सांसदों के चलते न्यायपालिका पर से जनता का भरोसा कम होने लगता है या होने की आशंका रहती है ।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. क्या आपको ऐसा लगता है कि इस तरह की नई न्यायिक व्यवस्था में एक आम नागरिक किसी भी ताकतवर या अमीर व्यक्ति के विरुद्ध मुकदमा जीत सकता है ? कारण सहित समझाइए ।

उत्तर – नई न्याय व्यवस्था से ऐसा लगता है कि आम नागरिक को ताकतवर या अमीर व्यक्ति के विरुद्ध मुकदमा जीत सकता है। कारण कि नई न्याय व्यवस्था से न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाई जा रही है। इससे न्याय शीघ्र होगा। नये न्यायाधीश अवश्य ही निस्पक्ष होंगे। दूसरी बात है कि गरीबों के लिए मुफ्त कानूनी सहायता देने की व्यवस्था की गई है। इससे ताकतवर या अमीर व्यक्ति के विरुद्ध आम नागरिक मुकदमा जीत सकता है । कुछ असामाजिक और गैर जिम्मेदार लोगों के हुड़दंग से हमें निराश नहीं होना चाहिए। जीत निरपराधी को ही मिलती है ।

प्रश्न 2. हमें न्यायपालिका की जरूरत क्यों है ?

उत्तर – हमें न्यायापालिका की ज़रूरत इसलिए है कि वह हमारे अधिकारों के हनन करने वालों से हमारी रक्षा करती है। यह बाहुबलियों तथा पुलिस की मनमानी से हमारी रक्षा करती है। सरकार भी हमें नाहक परेशान नहीं कर सकती । न्यायपालिका हमारे संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करती है।

प्रश्न 3. निचली अदालत से ऊपरी अदालत तक हमारी न्यायपालिका की संरचना एक पिरामिड जैसी है । न्यायपालिका की संरचना को पढ़ने के बाद उसका एक चित्र बनाए ।

प्रश्न 4. भारत में न्यायपालिका को स्वतंत्र बनाने के लिए क्या – क्या कदम उठाये गए हैं ?

उत्तर – भारत में न्यायपालिका को स्वतंत्र बनाने के लिए यह नियम बनाया गया है कि विधायिका या कार्यपालिका ये दोनों या इन दोनों में कोई न्यायपालिका के काम में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। कोई भी अदालत सरकार के अधीन नहीं है। उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति में सरकार का सीधा हाथ नहीं है । इसमें सर्वोच्च न्यायालय का भी हाथ होता है । 

प्रश्न 5. आपके विचार में भारत में न्याया प्राप्त करने के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा कौन -सी है ?

उत्तर – मेरे विचार से भारत में न्याय प्राप्त करने के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा है फैसला देने में देरी। मुकदमा जितना दिन लम्बा खींचेगा और जितनी अधिक तारीखें पड़ेंगी, उतना ही अधिक धन व्यय होता रहेगा। यह गरीबों के लिए अत्यन्त कष्टदायक है । व्यय से उनकी कमर टूट जाती है । यदि दूसरा पक्ष धनी और बाहुबली हो तो जल्दी न्याय पाना कठिन हो जाएगा। न्याय मिलेगा, किन्तु जमीन -जायदाद बिकवा कर ।

प्रश्न 6. अगर भारत में न्यायपालिका स्वतंत्र न हो तो नागरिकों को न्याय प्राप्त करने के लिए किन -किन मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है ?

उत्तर- अगर भारत में न्यायपालिका स्वतंत्र न हो तो नागरिकों को न्याय प्राप्त करना कठिन हो जाएगा। अमीरों को तो कोई दिक्कत नहीं होगी, लेकिन गरीब तबाह हो जाएँगे । न्याय बिकने लगेगा । वकली और दलाल मालामाल हो जाएँगे । गरीवों को न्याय मिलेगा ही नहीं । धन व्यय होगा सो अलग ।

कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. न्यायपालिका के कामों को मोटे तौर पर कितने भागों में बाँटा जा सकता है ?

उत्तर – न्यायपालिका के कामों को मोटे तौर पर तीन भागों में बाँटा जा सकता है :

(i) विवादों का निबटारा, (ii) न्यायिक समीक्षा तथा (iii) कानून की रक्षा और मौलिक अधिकारों का क्रियान्वयन ।

प्रश्न 2. न्यायपालिक की स्वतंत्रता से क्या आशय है ?

उत्तर – न्यायपालिका की स्वतंत्रता से आशय है कि वह व्यवस्थापिका या कार्यपालिका दोनों के दबाव के दायरे से बाहर है

प्रश्न 3. भारत में अदालतों की संरचना कैसी है?

उत्तर – भारत में अदालतों की संरचना में सबसे नीचे निचली अदालतें या जिला अदालते हैं। जिला अदालतों के ऊपर प्रत्येक राज्य में उच्च न्यायालय हैं। सबसे ऊपर केन्द्र में सर्वोच्च न्यायालय है। सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली में अवस्थित है ।

प्रश्न 4. ‘अपीलकिसे कहते हैं ?

उत्तर – निचली अदालतों के निर्णय से असंतुष्ट पक्ष ऊपर की अदालत में जो बाद उपस्थित करता है उसे ‘अपील’ कहते हैं ।

प्रश्न 5. क्या हर व्यक्ति अदालत में जा सकता है ?

उत्तर – हाँ, नियमतः हर व्यक्ति अदालत में जा सकता है ।

प्रश्न 6. जो व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह असहाय और गरीब है, वह कैसे अदालत में जा सकता है ?

उत्तर  – गरीब और असहाय व्यक्तियों को न्याय दिलाने के लिए अनेक संस्थाएँ हैं जो ‘जनहित याचिका दायर कर गरीब असहायों को न्याय दिला देती हैं ।

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