इस पोस्ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 9 के अंग्रेजी Part-1 के पाठ 6 ‘नवआगन्तुक पर्यटक (THE ACCIDENTAL TOURIST class 9 in Hind) के अर्थ को पढ़ेंगे।
6.THE ACCIDENTAL TOURIST
(नवआगन्तुक पर्यटक)
Bill Bryson
Of all the things I am not very good at, living in the real world is perhaps the most outstanding. I am constantly filled with wonder at the number of things that other people do without any evident difficulty that are pretty much beyond me. I cannot tell you the number of times that I have gone looking for the lavatory in a cinema, for instance, and ended up standing in an alley on the wrong side of a self-locking door. My particular Specialty now is returning to hotel desks two or three times a day and asking what my room number is. Iam, in short, easily confused.
I was thinking about this the last time we went en famille on a big trip. It was at Easter, and we were flying to England for a week. When we arrived at Logan Airport in Boston and were checking in. I suddenly remembered that I had recently joined British Airways frequent flyer programme. I also remembered that I had put the card in the carry-on bag that was hanging around my neck. And here’s where the trouble started.
The zip on the bag was jammed. So I pulled on it and yanked at it. With grunts and frowns and increasing consternation. I kept this up for some minutes but it wouldn’t budge, so I pulled harder and harder, with more grunts. Well, you can guess what happened. Abruptly the zip gave way. The side of the bag flew open and everything within – newspaper cuttings and other loose papers, a 14 ounce tin of pipe tobacco, magazines, passport, English money, film – was extravagantly ejected over an area about the size of a tennis court.
वाक्यार्थ—वह सभी बातें जिसमें मैं अच्छा नहीं हूँ, सच्चे जीवन में जीना उन सबसे विशिष्ट है। मैं यह देखकर अचरज से भरा रहता हूँ जो दूसरे व्यक्ति बड़े ही आसानी से कर लेते हैं पर वह मेरे कार्यक्षमता के बाहर है। मैं आपको यह नहीं बता सकता कि मैं कितनी बार सिनेमा में हाथ-मुँह धोनेवाले स्थान को खोजते-खोजते, गली के अपने से बंद होनेवाले दरवाजे के गलत तरफ खड़ा होता था। अब मेरी विशिष्टता यह है कि मैं एक दिन में दो या तीन बार होटल लौटता हूँ और पूछता हूँ कि मेरे कमर का नम्बर क्या है। वास्तव में, मैं थोड़ा अव्यवस्थित हूँ।
मैं इस विषय में सोच रहा था जब मैं पिछली बार परिवार सहित एक बड़ी यात्रा पर गया था। वह ईस्टर का त्योहार था और हम एक हफ्ते के लिए लंदन जा रहे थे। जब हम लोगान हवाई अड्डे पर पहुँचे जो कि बोस्टन में है, तभी मुझे अचानक यह याद आया कि मैने हाल ही में ब्रिटिश ऐयरवेज के लगातार उड़ान भरनेवाले कार्यक्रम में भाग लिया था। मुझे यह भी याद आया कि मैंने उसका कार्ड अपने गर्दन में लटकी हुई थैली में रखा था। और यहीं से मेरी मुश्किलें शुरू हुई।
उस थैली की चैन फँसी हुई थी। इसलिए मैने उसे ज़ोर से खींचा और उसे झटके भी दिए । मैंने पूरी ताकत लगाकर चिल्ला-चिल्लाकर उसे खोलने की कोशिश की, मेरा भय भी धीरे-धीरे बढ़ने लगा। मैने यह कुछ मिनटों तक जारी रखा पर चेन ने सरकन का नाम ही नहीं लिया और इसलिए मैने और चिल्लाते हुए उसे और ज़ोर से खींचा। वैसे, आप इसका अनुमान लगा सकते हैं कि क्या हुआ होगा। अकस्मात चेन खुला और बैग के किनारे से सभी कुछ अखबार के कटे हुए टुकड़े और टूसरे खुले कागज, एक चौदह औंस टिन का पाइप वाला तम्बाकू, पत्रिकाएँ, पासपोर्ट, अंग्रेजी पैसा, कैमरे की रील-अधिकता से टेनिस कोर्ट के आकार वाली जगह में निकल कर गिर गए ।
I watched dumbstruck as a hundred carefully sorted documents came raining down in a fluttery cascade, coins bounced to a variety of 30 noisy oblivions and the now-lidless tin of tobacco rolled crazily across the concourse disgorging its contents as it went.
My tobacco!”I cried in horror, thinking what I would have to pay for that much tobacco in England now that another Budget had come and gone, and then changed the cry to “My finger! My finger!” as I discovered that I had gashed my finger on the zip and was shedding blood in a lavish manner. (I am not very good around flowing blood generally, but when it’s my own – well, I think hysterics are fully justified.) Confused and unable to help, my hair went into panic mode It was at this point that my wife looked at me with an expression of wonder- not anger or exasperation, but just simple wonder- and said, “I can’t believe you do this for a living.”
वाक्यार्थ—मैं भौंचक्का हो रहा, सैकड़ों अच्छी तरह से सजाए हुए कागजात उत्तेजित पानी के झरने की तरह नीचे गिरते गए, सिक्के अलग-अलग आवाज़ कर उछलते रहे और अब ढक्कन के बिना तम्बाकू वाला टिन पागलों की तरह घुड़कता हुआ लोगों के समूह में अपने अंदर की सारी चीजें निकलता चला गया था। “मेरा तम्बाकू !” मैं अत्यधिक भय से चिल्लाया, और यह सोचता रहा कि इतने ही तम्बाकू के लिए लंदन में कितने पैसे चुकाने होंगे । इस प्रकार अब एक नया बजट सामने आ गया था। फिर मैंने अपनी चीख को दूसरी रुख किया और चिल्लाया ”मेरी ऊँगली, मेरी ऊँगली-जैसे ही मैंने पाया कि मेरी उँगली पर चैन के कारण एक गहरा कटा घाव हो गया था और अब उससे तेज रफ्तार से खून बह रहा था (प्रायः खून बहता देखकर मैं अच्छा महसूस नहीं करता हूँ-मैं वास्तव में मूर्छित होने लगा) अपने आप को घबड़ाया हुआ और अकेला पाकर मैं आतंकित हो उठा। – उसी समय मेरी पत्नी ने मेरी ओर आश्चर्य की मुद्रा में देखा-गुस्से से नहीं, पर केवल अचरज से और कहा, मैं विश्वास नहीं कर सकती कि तुम जीने के लिए यह सब करते हो।”
But I’m afraid it’s so. I always have catastrophes when I travel. Once on an aeroplane, I leaned over to tie a shoelace just at the moment someone in the seat ahead of me threw his seat back into full recline, and found myself pinned helplessly in the crash position. It was only by clawing the leg of the man sitting next to me that I managed to get myself freed.
On another occasion, I knocked a soft drink onto the lap of a sweet little lady sitting beside me. The flight attendant came and cleaned her up, and brought me a replacement drink, and instantly I knocked it onto the woman again. To this day, I don’t know how I did it. I just remember reaching out for the new drink and watching helplessly as my arm, like some cheap prop in one of those 1950s horror movies with a name like The Undead Limb, violently swept the drink from its perch and onto her lap. The lady looked at me with the stupefied expression you would expect to receive from someone whom you have repeatedly drenched, and uttered an oath that started with “Oh”, finished with “sake” and in between had some words that I have never heard uttered in public before, certainly not by a nun.
वाक्यार्थ–लेकिन मुझे डर है कि यह ऐसा है। जब भी यात्रा कर रहा होता हूँ तो मेरी दुर्गति होती ही है। एक बार विमान पर, मैं जूते का फीता बाँधने के लिए झुका
और तभी मेरे सामने वाली सीट पर विराजमान व्यक्ति ने अपनी सीट पूरी तरह झुका दी और मैं लाचार तरीके से बुरी तरह वहाँ फँस गया। मैं किसी तरह अपने बगल में बैठे व्यक्ति के पैर को पकड़कर अपने आप को उस संकट से छुड़ा पाया।
एक दूसरे अवसर पर, मैंने एक शराब की गिलास एक संदर स्त्री की गोद में गिरा दिया जो मेरे बगल में बैठी थी। उस विमान के सेवक ने आकर उसे साफ किया और मुझे शराब की दूसरी गिलास दी और तुरन्त ही मैंने उस स्त्री पर गिरा दिया। उस दिन, मुझे नहीं पता मैंने वह कैसे किया। मुझे बस इतना याद है कि मैं गिलास लेने के लिए हाथ बढ़ाया और लाचारी से यह देखता रहा जब मेरे हाथ, 1950 की एक डरावनी फिल्म _ ‘द अनडेड लिंब’ के दृश्य की तरह हिंसात्मक तरीके से गिलास को ऊँचाई से मैं उसकी · गोद में गिरा देता था।
वह औरत मुझे मूर्छित करनेवाले मुख-मुद्रा से देखती थी जिस प्रकार आप किसी – व्यक्ति से आशा करते हैं जिसे आपने बार-बार भिंगाया है।
This, however, was not my worst experience on a plane flight. My worst experience was when I was writing important thoughts in a notebook (buy socks’, ‘clutch drinks carefully’, etc.) sucking thoughtfully on the end of my pen as you do, and fell into conversation with an attractive young lady in the next seat. I amused her for perhaps 20 minutes with a scattering of urbane bons mots, then retired to the lavatory where I discovered that the pen had leaked and that my mouth, chin, tongue, teeth and gums were now a striking, scrub-resistant navy blue, and would remain so for several days.
So you will understand. I trust, when I tell you how much I ache to be suave. I would love, just once in my life, to rise from a dinner table without looking as if I have just experienced an extremely localized seismic event, get in a car and close the door without leaving 14 inches of coat outside, wear light-coloured trousers without discovering at the end of the day that I have at various times sat on chewing gum, ice cream, cough syrup and motor oil. But it is not to be.
Now on planes when the food is delivered, my wife says: “Take the lids off the food for Daddy” or “put your hoods up, children. Daddy’s about to cut his meat”. Of course, this is only when I am flying with my family. When I am on my own, I don’t eat, drink or lean over to tie my shoelaces and never put a pen anywhere near my mouth. I just sit very, very quietly, sometimes on my hands to keep them from flying out unexpectedly and causing liquid mischief. It’s not much fun, but it does at least cut down on the laundry bills.
वाक्यार्थ—यह, फिर भी मेरी हवाई-यात्रा का सबसे खराब अनुभव नहीं है। मेरा सबसे दुखद अनुभव तब हुआ था जब मैं कुछ जरूरी बातों को अपनी पुस्तक में लिख रहा था और साथ ही साथ अपने कलम के पिछले भाग को मुँह में रखकर चबा रहा था और मैं एक आकर्षक स्त्री से वार्तालाप में व्यस्त हो गया जो मेरे बगल की सीट पर बैठी थी। मैंने लगभग बीस मिनटों तक उसका मन बहलाया और उसके बाद मैं जब हाथ-मुँह धोने पहुँचा तो मैंने पाया कि उस कलम की स्याही बह चुकी थी और मेरे मुँह. ठुड्डी, जीभ, दाँत और मसूढ़े अब एक प्रभावशाली ढंग से रगड़कर साफ करने पर भी साफ न होनेवाले नेवी ब्लू (आसमानी) रंग में रंग चुके थे और अब यह कुछ दिनों तक वे इसी रूप में रहेंगे। इस प्रकार आप समझ गए होंगे की मुझे नम्र रहने में कितनी पीड़ा होती है। मुझे अच्छा लगेगा, अपने जीवन में केवल एक बार, अगर मैं रात्रि भोजन कर टेबुल से उतै और ऐसा न लगे कि मैने अभी-अभी एक बहुत ही सीमित भूकंप संबंधी चीज का अनुभव किया, मैं कार में घुसैं और अपने चौदह ईच के कोट को दरवाजा बंद करते समय वाहर न छोडूं, हल्के रंग का पैंट पहनूँ और दिन के अंत में मुझे यह पता न चले कि मैं कितनी ही बार बबलगम, आइसक्रीम, कफ सिरप और गाड़ी के तेल पर बैठ चुका हूँ। परन्तु ऐसा कभी भी नहीं होता है।
जब विमान में खाना बाँटा जाता है, तब मेरी पत्नी अपने बच्चों को पहले से ही किसी गड़बड़ी के लिए सावधान कर देती है और यहाँ तक कि खाने के ढक्कन को भी अपने पापा के लिए खोलने को कहती है । हाँ, यह सही है, पर तभी जब मैं अपने परिवार के साथ सफर कर रहा होता हूँ, न पीता हूँ, जूते के फीते बाँधने के लिए नहीं झुकता हूँ और कभी अपने मुँह में कलम नहीं रखता हूँ। मैं सिर्फ चुपचाप बैठा रहता हूँ; कभीकभी अपने हाथ पर ही ताकि मैं उन्हें उछलकर अचानक कोई हानि करने से रोक सकूँ। इसमें मुझे अधिक आनंद नहीं आता पर यह कपड़े धोने वाले के बिल में कटौती जरूर करता है।
I never did get my frequent flyer miles, by the way. I never do. I couldn’t find the card in time. This had become a real frustration for me. Everyone I know-everyone-is forever flying off to Bali first class with their air miles. I never get to collect any thing. I must fly 100,000 miles a year, yet I have accumulated only about 212 air miles divided between twenty-three airlines.
This is because either I forget to ask the air miles when I check in, or I remember to ask for them but the airline then manages not to record them, or the check-in clerk informs me that I am not entitled to them. In January, on a flight to Australia – a flight for which I was going to get about a zillion air miles-the clerk shook her head when I presented my card and told me I was not entitled to any.
“Why?”
“The ticket is in the name of B. Bryson and the card is in the name of W. Bryson.”
I explained to her the close and venerable relationship between Bill and William, but she wouldn’t have it.
So I didn’t get my air miles, and I won’t be flying to Bali first class just yet. Perhaps just as well, really. I could never go that long without eating.
वाक्यार्थ-वैसे मुझे लगातार उड़नेवाले विमान नहीं मिले। मुझे कभी भी समय पर कार्ड नहीं मिलता। यह सही मायने में मेरे लिए बहत निराशाजनक बात थी। सभी को मैं जानता-सभी को-वह हमेशा वाली प्रथम श्रेणी में उड़ान भर रहे हैं, अपनी ‘एयर माइल्स’ की मदद से। मुझे कभी भी कुछ जमा करने का मौका नहीं मिला। मुझे एक साल में 100,000 मील उड़ना पड़ता है पर तब भी मैंने सिर्फ 212 एयर माईल्स जमा किए हैं वो भी 23 हवाई जहाजों से।
यह इसलिए था के मैं एयर माइल्स माँगना भूल जाता हूँ तथा माँगना याद रहता है पर इवाई जहाज तब उन्हें अभिलेख करने में असक्ष्म रहता हूँ या क्लर्क मुझे बताता है कि उसका हकदार नहीं हूँ.। जनवरी में, ऑस्ट्रेलिया के एक हवाई-जहाज में, वह हवाईजहाज जिसके लिए मुझे अरबों एयर माइल्स मिलनेवाले थे—उस क्लर्क ने अपना सिर हिलाया जब मैंने उसे अपना कार्ड दिखाया और उसने कहा कि मैं उसका हकदार नहीं हूँ |
“क्यों ?”
“यह टिकट बी. ब्राईसन के नाम पर है और यह कार्ड डब्ल्यू. ब्राइसन के नाम पर है।’
मैंने उसे बिल और विलियम के बीच पूज्य एवं नजदीकी रिश्ते को समझाने की कोशिश की पर वह मानने को तैयार नहीं थी।
इस प्रकार मुझे अपनी एयर माइल्स नहीं मिली, और मैं बाली प्रथम श्रेणी में यात्रा नहीं कर पाऊँगा, फिलहाल । चलो, अच्छा ही है। मैं कभी भी उतनी दूर बिना कुछ खाए नहीं जा सकता।
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