इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 9 संस्कृत भाग दो के कविता पाठ नौ ‘प्रभातवर्णनम्’ (Lokgeetam class 9 sanskrit)’ के अर्थ को पढ़ेंगे।
9. प्रभातवर्णनम्
पाठ-परिचय– प्रस्तुत पाठ ‘प्रभात वर्णनम’ में सुबह के समय प्रकृति में होने वाले परिवर्तन के विषय में वर्णन किया गया है। पौ फटते ही सारे संसारे में नवचेतना का संचार हो जाता है। पक्षीगण कलरव करने लगते हैं। तालाब में कमल के फूल खिल उठते हैं । भक्त ईश्वर-भक्ति में लीन हो जाते हैं। मंदिरों में घंटा-ध्वनि होने लगती है।
कोयल की कूक से वातावरण गुंजित हो जाता है तो किसान कृषि कार्य में तल्लीन हो । जाते हैं। तात्पर्य यह कि हर जीव अपने कर्म में लीन हो जाता है।
सूर्यः पूर्वदिशायामधुना,
विकसति दिव्यः किरणावलिना ।
तस्य समुदये परितः विश्वम्,
लभते नव-नव जीवनतत्त्वम् ।। 1 ।।
अर्थ- प्रभात के समय पूरब दिशा में सूर्य की किरणों के उगते ही संसार में चारी तरफ दिव्य आलोक फैल जाता है तथा सारी प्रकृति एवं जीव-जन्तुओं में नवजीवन का संचार हो जाता है। अर्थात् सारा संसार अपने-अपने कर्म में लीन हो जाता है।
विकसति कमलदलं तु तडागे,
कूजति कोकिलगा: सुरागे ।
चरितं पशुः वनं प्रति याति
शिशुरपि निद्रातः जागर्ति ।। 2 ।।
अर्थ- प्रभात के समय सूर्योदय होते ही तालाब में कमल के फूल खिल जाते हैं। कोयल अपनी मधुर आवाज से वातावरण में मधुर रस घोलने लगती है। पशु चरने के लिए जंगल की ओर प्रस्थान कर जाते हैं तथा बच्चे नींद से जाग जाते हैं। यानी हर कोई अपने कर्म से सांसारिक सौन्दर्य बढ़ाने में लीन हो जाता है। Prabhat Varnam class 9 sanskrit
ऋषयो ध्यानरता दृश्यन्ते,
मल्ला इन्द्रयुधि प्रयतन्ते ।
प्राणायाममहो कुर्वन्तः
दृश्यन्ते सम्प्रति ते सन्तः ।। 3 ।।
अर्थ– प्रभात के समय ऋषिगण ध्यानमग्न दिखाई पड़ते हैं तो पहलवान द्वन्द्वयुद्ध . में एक-दूसरे को पराजित करने का प्रयत्न करते हैं। इस समय मुनिगण प्राणायाम करते हुए दिख पड़ते हैं। तात्पर्य यह कि इसी प्रभात बेला को ऋषि-मुनि भी ईश्वर भक्ति अथवा ध्यान-प्राणायाम के लिए उपयुक्त मानते हैं क्योंकि इस समय वातावरण शान्त एट स्वच्छ रहता है।
खादयति स्ववृषभं कृषक:
हलं कर्षति क्षेत्रे कृषकः ।
सिञ्चति वारिधारया शस्यम्,
रोपयति नवपादपवृन्दम् ।। 4 ।।
अर्थ-किसान अपने बैल को खिलाते हैं तथा खेत में हल चलाते हैं। अपन फसलों को जल की धारा से सींचते हैं और नये-पौधों को खेत में लगाते हैं । इस श्लोक में किसान के विषय में कहा गया है कि किस प्रकार किसान इस प्रभातवेला में स्वकमें लीन रहते हैं।
घण्टाध्वनिः मन्दिरे जातः,
देवः प्रीतमना सञ्जातः ।
भक्तो वरदानं कामयते
शुभाशिषं तु पूजको दत्ते ।। 5 ।।
अर्थ- इस प्रभातवेला में मन्दिरों में घण्टे की आवाज ध्वनित होती है। भक्तों के पूजा से देवता (ईश्वर) प्रसन्न होते हैं। लोग अपनी मनोकामनाएँ प्रभु के समक्ष प्रकट करते हैं। आराधना अथवा पूजा करने वालों को पुजारी आशीर्वाद देते हैं। Prabhat Varnam class 9 sanskrit
छात्रः निजगृहकार्यं कुरुते
माता शिशवे दुग्धं दत्ते ।
वीथ्यां गमनागमने जाते
दृश्यमिदं चित्रं तु प्रभाते ।। 6 ।।
अर्थ- इस प्रभातवेला में छात्र अपने गृह-कार्य बनाने में लग जाते हैं। माँ अपने छोटे बच्चे को दूध पिलाती है। रास्ते पर लोगों का आना-जाना शुरू हो जाता है। तात्पर्य यह कि सूर्योदय का आगमन होते ही लोग अपना आलस्य त्यागकर कर्मपथ पर आरूढ़ हो जाते हैं।
यो जागरणं कुरुते अत्र,
साफल्यं लभते सर्वत्र ।
प्रकृतेः नियमं यः पालयति
विध्नदलं हत्वा सो जयति ।।7।।
अर्थ- इन पंक्तियों के द्वारा समय के महत्त्व को प्रतिपादित किया गया है। कवि का कहना है कि जो व्यक्ति सवेरे बिछावन छोड़कर अपने कार्य में लग जाता है, उसे जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती ही है। नियमानुसार कार्य करने से बाधाएँ अपनेआप दूर हो जाती हैं। यानी कर्मवीर ही विपत्तियों पर विजय पाता है।
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