इस पोस्ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 7 संस्कृत के पाठ 3 ‘ऋतुपरिचयः (विशेष्य-विशेषण-सम्बन्ध)(Rituparichay class 7 sanskrit)’ के अर्थ को पढ़ेंगे।
तृतीयः पाठः
ऋतुपरिचयः
(विशेष्य-विशेषण-सम्बन्ध)
पाठ-परिचय- भारत ऋतुओं का देश है। यहाँ क्रम से छः ऋतुएँ, यथा-वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद्, हेमन्त और शिशिर आते हैं। हर ऋतु की अपनी खास विशेषता है। इन्हीं ऋतुओं के अनुकूल मौसम में बदलाव आता है। जैसे- वसंत में पेड़-पौधे नये पत्तों से लद जाते हैं तथा फल-फूलों से वातावरण में अलौकिक सौन्दर्य प्रकट कर देते हैं। ग्रीष्म में सूर्य की प्रचंड किरणों से धरती तावे की तरह गर्म हो जाती है तो वर्षा के आते ही नदी-नाले वर्षा जल पाकर सारी सीमाओं को लाँघ प्रलय जैसी स्थिति उपस्थिति कर देती है । प्रस्तुत पाठ में इन्हीं ऋतुओं का वर्णन किया गया है।
अस्माकं देशे षट् ऋतवः भवन्ति – वसन्तः, ग्रीष्म, वर्षा, शरद्, हेमन्तः, शिशिरं च । वसन्ते सर्वेषु पादपेषु नवानि किसलयानि पुष्पाणि च भवन्ति । सर्वत्र शोभनः समयः नातिशीतः नातितापः भवति । कोकिलानां मधुरः स्वरः राजते । ग्रीष्मे सूर्यस्य तापः प्रखरः भवति । जलाशयाः प्रायेण जलशून्याः भवन्ति । सर्वे जीवाः छायाम् इच्छन्ति । विद्यालयेषु ग्रीष्मे अवकाशः भवति ।
वर्षाकाले आकाश: मेघयुक्तः भवति । यदा-कदा वृष्टिरपि भवति । सम्पूर्णा पृथ्वी जलेन तृप्यति । कृषिः सर्वत्र शोभते । यदा अतिवृष्टिः भवति तदा नदीषु जलप्लावनं जायते । जनाः कष्टम् अनुभवन्ति । मांर्गाः अपि विच्छिन्नाः भवन्ति । शरत्काले पुनः शोभनः समयः आगच्छति । नदीषु जलाशयेषु च जलं स्वच्छं भवति । अस्मिन् समये एव दुर्गापूजा, दीपावली च प्रसिद्धौ उत्सवौ
भवतः ।
अर्थ- हमारे देश में छ: ऋतुएँ होती हैं—–वसन्त, ग्रीष्म, वर्षा, शरद्, हेमन्त तथा शिशिर । वसन्त में सारे पौधे नये पत्ते तथा फूलों से लद जाते हैं। सब जगह सुन्दर समय होता है। इस समय न अधिक जाड़ा होता है और न अधिक गर्मी रहती है। इसी समय कोयल की मधुर आवाज सुनाई पड़ती है। ग्रीष्म ऋतु में धूप तेज होती है । प्राय: जलाशय सूख जाते हैं। सारे जीव छाया चाहते हैं। विद्यालयों में गर्मी की छुट्टी हो जाती है।
वर्षा ऋतु में आकाश बादलों से ढक जाता है। कभी-कभी वर्षा भी होती है। ग्रीष्म के ताप से तप्त धरती वर्षाजल से तृप्त होती है। सर्वत्र फसलें लगा दी जाती हैं। जब अधिक वर्षा होती है तब नदियों में बाढ़ आ जाती है। लोग कष्ट अनुभव करते हैं। बाढ़ के कारण रास्ते (सड़क) टूट जाते हैं। फिर शरद के आने पर समय अनुकूल हो जाता है। नदियों और तालाबों के जल निर्मल (स्वच्छ) हो जाते हैं। इस समय ही दुर्गापूजा और दीपावली जैसे प्रसिद्ध त्योहार होते हैं ।
हेमन्ते शीतस्य आरम्भः भवति । सूर्यस्य किरणा: रोचन्ते । धान्यं क्षेत्रेषु पक्वं भवति । कृषकाः तेन प्रसन्नाः भवन्ति । शिशिरे शीतस्य आधिक्यं भवति । सूर्यस्य किरणा: अपि यदा-कदा तुषारै: : लुप्ताः भवन्ति । निर्धनाः जनाः शीतेन पीडाम् अनुभवन्ति । यत्र-तत्र अग्निः प्रज्वालितः सेवितश्च भवति । सर्वेषु ऋतुषु वसन्तः राजा कथ्यते ।
अर्थ — हेमन्त ऋतु में जाड़ा आरंभ होता है। धूप बड़ी अच्छी लगती है। खेतों में धान की फसल पक जाती हैं। किसान उसे देखकर खुश होते हैं। जाड़े में ठंड की अधिकता हो जाती है। सूर्य की किरणें कभी-कभी ओस (कोहरे) से अदृश्य (लुप्त) हो जाती हैं। गरीब लोग जाड़े (ठंड) के कारण कष्ट अनुभव करते हैं। और आग जलाकर सेवन करते (तापते) हैं । वसंत को सब ऋतुओं का राजा कहा जाता है ।
ग्रीष्मो वर्षाः शरच्चैव हेमन्तो शिशिरं तथा । तेषु सर्वेषु राजायं वसन्तो मोददायक: ।। 1
अर्थ- ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमन्त तथा जाड़े इन सब ऋतुओं का राजा वसंत ही मन को आनन्द प्रदान करने वाला होता है ।
Rituparichay class 7 sanskrit
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