BSEB Class 8th Political Science Ch 7. स‍हकारिता | Sahkarita Solutions

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7. स‍हकारिता

पाठ के अंदर आए प्रश्न तथा उनके उत्तर

(पृष्ठ  –68 )

ऊपर दिए गए स्थान में दो ऐसे कार्यों को दर्शाएँ जो आप (1) अकेले करते हैं (2) जिसे औरों के साथ मिलकर ज्यादा आसानी से किया जा सकता है।

(पृष्ठ  –71)

प्रश्न 1. मधुरापुर में मधुरापुरा महिला दुग्ध उत्पादक सहयोग समितिबनने से पहले दूध को बेचने व खरीदने की क्या व्यवस्था थी ?

उत्तर – दूध को निकटस्थ बाजार या छोटे शहर के लोगों या चाय और मिठाई के दुकानदारों के हाथ बेचा जाता था। कभी-कभी ‘दुधिया’ लोगों के हाथ भी बेचा जाता था, जो बड़े शहर में ले जाकर बेचते थे ।

प्रश्न 2. सहकारी समिति को चलाने के लिए कार्यकारिणी क्यों बनाई जाती है ?

उत्तर – कार्यकारिणी ही सहकारी समिति का कार्य संचालन करती है । को समय पर खोलती है। आए हुए दूध की जाँच करती है । दूध नापकर दुकान उसे एकत्र करती है, और जिसका जिनता दूध रहता है उसे लिख लेती है । एकत्र सभी दूध को पटना डेयरी में पहुँचाती है। एक महीने में जितना दूध गया रहता है, उसका मूल्य प्राप्त करती है और गाँव भर के दूध उत्पादकों को उनका हिसाब जोड़कर सबको भुगतान कर देती है ।

प्रश्न 3. दुग्ध उत्पादक सहयोग समिति बनने के बाद दूध उत्पादक परिवारों की जिन्दगियों में क्या परिवर्तन आया ?

उत्तर – दुग्ध उत्पादक परिवारों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में निरंतर सुधार दिखने लगा है। अब दूध बेचने की चिंता से वे मुक्त हो गये हैं। अब उन्हें दूध खरीदने वाला निश्चित ग्राहक मिल गया है और वह भी वाजिब सरकारी दर पर ।

प्रश्न 4. क्या आपके आस -पास इस प्रकार की कोई दुग्ध समिति है ? वर्णन करें ।

उत्तर – नहीं, मेरे गाँव या गाँव के आसपास कहीं कोई दुग्ध समिति नहीं है ।

(पृष्ठ  –73  – 1)

प्रश्न 1. पैक्स के सदस्य कौन होते हैं ?

उत्तर – पैक्स का सदस्य कोई भी किसान हो सकता है। बस उसे निश्चित शुल्क देकर सदस्य बनना है और केवल एक शेयर खरीदना है। ये दोनां प्रकियाएँ पूरा होते ही वह पैक्स का सदस्य बन जाता है ।

प्रश्न 2. ऋण देने के लिए पैक्स के पास पैसा कहाँ से आता है ?

उत्तर – पैक्स के सदस्य अपनी बचत राशि पैक्स में जमा रखते हैं । उनके शेयर का रुपया एकत्र रहता है । आवश्यकतानुसार सरकार भी धन मुहैया कराती है। इन्हीं तरहों से एकत्र धन से पैक्स के पास ऋण देने के लिए पैसा आता है

प्रश्न 3. ऋण देने के अलावा पैक्स और कौन से कार्य करती है?

उत्तर – ऋण देने के अलावा पैक्स किसानां को उचित दर पर उत्तम किस्म का उर्वरक, बीज उपलब्ध कराती है। वह किसानों से उनकी उपज को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदती है। इन सब बातों से किसानों को बहुत राहत मिलती है।

प्रश्न 4. पैक्स के कारण किसानों को महाजनों के चंगुल से मुक्ति कैसे मिलती है ?

उत्तर – चूँकि पैक्स किसानों को उचित ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध करा देती है। इस प्रकार पैक्स के कारण किसानों को महाजनों के चंगुल से मुक्ति मिल जाती है। पैक्स से ऋण प्राप्त हो जाने के कारण ये महाजनों की ओर ताकते भी नहीं ।

प्रश्न 5. पैक्स द्वारा फसल खरीदने से किसानों को क्या फायदा होता है ?

उत्तर – पैक्स द्वारा फसल खरीद लेने से किसानों को यह लाभ है कि वे किसी बिचौलिये के चंगुल में नहीं फँसते । सरकार द्वारा निश्चित न्यूनतम दर पर खरीद लेने से तुरत नगद रुपया मिल जाता है। मंडी में ले जाकर औने -पौने भाव पर नहीं बेचना पड़ता ।

प्रश्न 6. पैक्स के सदस्य किस साझा उद्देश्य के लिए एकजुट होते हैं ?

उत्तर – पैक्स के सदस्य के अनेक साझा उद्देश्य होते हैं । वे हैं :

(i) उचित दर पर असली उर्वरक मिलता है।

(ii) उत्तम किस्म का बीज उपलब्ध होता है ।

(iii) आवश्यकता पड़ने पर सस्ती ब्याज दर पर ऋण मिल जाता है ।

(iv) तैयार फसल निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बिक जाते हैं ।

प्रश्न 7. सरकार कमजोर वर्गों को पैक्स में हिस्सेदारी दिलाने के लिए क्या करती है? अपनी शिक्षक/शिक्षिका के साथ चर्चा कीजिए ।

संकेत : शिक्षक/शिक्षिका से बात करें ।.

(पृष्ठ  –73  – II )

प्रश्न 1. उपभोक्ता सहकारी समिति जैसी समितियाँ क्यों बनाई जाती हैं ?

उत्तर – उपभोक्ता सहकारी समिति जैसी समितियाँ इसलिए बनाई जाती हैं ताकि थोक मंडी से उपभोग की वस्तुएँ खरीद कर उचित मूल्य पर अपने सदस्यों को उपलब्ध कराई जायँ ।

प्रश्न 2. इसके सदस्य बनने के लिए क्या अनिवार्य है ?

उत्तर – उपभोक्ता सहकारी समिति का सदस्य बनने के लिए निर्धारित शुल्क देकर सदस्य बनना पड़ता है और कम -से -कम एक शेयर खरीदना पड़ता है ।

प्रश्न 3. थोक व्यापारी या उत्पादक से अधिक मात्रा में सामग्री ख़रीदने के लिए पूँजी कहाँ से आती है ?

उत्तर – उपभोक्ता सहकारी समिति में इसके सदस्य इसमें रुपये जमा करते

हैं। शेयर खरीदते हैं और सदस्यता शुल्क देते हैं । इस प्रकार एक अच्छी पूँजी एकत्र हो जाती है। इसी पूँजी से समिति सामग्री खरीदती हैं !

प्रश्न 4. चर्चा कर पता करें -थोक व्यापारी या उत्पादक से खरीदी गई वस्तु बाजार से सस्ते मूल्य पर क्यों उपलब्ध होती है ?

  • संकेत : छात्रों को स्वयं पता करना है।

(पृष्ठ  –74 )

आपके इलाके में किस प्रकार की सहकारी समितियाँ हैं? एक सूची बनाएँ। फिर टोली बनाकर नीचे दिए गए बिन्दुओं पर इनके बारे में जानकारी ढूँढ़िये और अपनी एक रिपोर्ट बनाकर कक्षा में पेश कीजिए ।

1. आपके इलाके की सहकारी समिति के सदस्य कौन हैं ?

2. सदस्य मिलकर क्या करते हैं ?

3. इससे क्या लाभ होता है ?

4. समिति के सामने किस तरह की समस्याएँ आती हैं ? संकेत : परियोजना कार्य है। छात्र स्वयं करें ।

(पृष्ठ  –76 )

प्रश्न 1. संचित कोष की जरूरत क्यों है ?

उत्तर – संचित कोष की जरूरत इसलिए है कि इसी नीधि से समिति की बेहतरी के लिए मशीनों और उपकरणों का क्रय किया जाता है। कोई आकस्मिक आवश्यकता आ पड़ी तो व्यय किया जाता है। सदस्यों को बोनस देने एवं कल्याणकारी योजनाओं पर व्यय किया जाता है ।

प्रश्न 2. आपके अनुसार दुग्ध उत्पादक समितियाँ किस प्रकार की योजनाओं पर खर्च करती हैं ?

उत्तर – दुग्ध उत्पादक समितियों को जिन योजनाओं पर खर्च करना पड़ता है, वे हैं :

(क) दूध की गुणवत्ता जाँचने का यंत्र,

(ख) बर्तन खरीदने,

(ग) नपना खरीदने,

(घ) बर्तनों और नपना आदि की सफाई आदि पर खर्च करना पड़ता है ।

प्रश्न 3. दूधिया का काम और समिति के काम में क्या अंतर है ?

उत्तर – दूधिया केवल अपने लाभ के लिए काम करते हैं, जबकि समिति उत्पादकों के लाभ और उपभोक्ताओं को शुद्ध दूध पहुँचाने के लिए काम करती है। समिति दूध की गुणवत्ता की जाँच कर लेती है, जबकि दूधिया लोगों को इससे कोई मतलब नहीं होता।

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. सहकारी समिति के सदस्य कौन होते हैं? वे मिलकर क्या करते हैं? इससे क्या लाभ होता है ?

उत्तर – सहकारी समिति के सदस्य वे लोग होते हैं, जिनके उद्देश्य को समिति के सदस्य दुग्ध उत्पादक ही हो सकते हैं। समिति के नियम पालन पूरा करने के लिए समिति का गठन किया जाता है । जैसे दुग्ध उत्पादक सहकारी करना अनिवार्य होता है । वे लोग मिलकर कार्यकारिणी समिति का गठन करते हैं । इससे उनको लाभ होता है कि उनका दूध समय पर बिक जाता है और

उन्हें उचित मूल्य मिल जाता है ।

प्रश्न 2. सहकारिता से आप क्या समझते हैं? एक उदाहरण देकर समझाइए । सहकारी समितियाँ बनने से पहले, इनसे सम्बंधित लोगों को किन -किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था ? इनके बनने के बाद, ये कठिनाइयाँ कैसे दूर हो पाईं ?

उत्तर – मिलजुलकर बराबरी के आधार पर जो उत्पादन कार्य किया जाता है, उसे ‘सहकारिता’ कहते हैं ।

उदाहरण में हम मधुरापुर के दुग्ध उत्पादकों को रख सकते हैं । वे अपना दूध औने -पौने भाव में जहाँ -तहाँ बेचा करते थे । इससे इनको अपने दूध का उचित मूल्य नहीं मिलता था ।

इन कठिनाइयों से बचने के लिए दुग्ध उत्पादकों ने मिलकर ‘मधुरापुर महिला दुग्ध उत्पादक सहयोग समिति’ नामक सहकारी समिति का गठन किया। यह समिति जिला स्तर पर वैशाली पाटलिपुत्र दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड के साथ जुड़कर अपना काम करती है । यह संघ ‘पटना डेयरी’ के नाम से प्रसिद्ध है ।

अब मधुरापुर की सहयोग समिति उत्पादकों से दूध लेकर पटना डेयरी को सुरक्षित रूप से पहुँचा देती हैं। इससे दूध उत्पादकों को हर महीने समय पर सही मूल्य मिल जाता है। इस प्रकार इनकी कठिनाइयाँ दूर हो गई हैं

प्रश्न 3. अध्याय में जिन तीन सहकारी समितियों की बात की गई है, उनमें से आप किस सहकारी समिति को सबसे अधिक उपयोगी मानते हैं और क्यों ?

उत्तर -अध्याय में जिन तीन सहकारी समितियों की चर्चा की गई हैं,

वे हैं :

(i) वैशाली  – पाटलिपुत्र दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ, (ii) सहकारी कृषि साख समिति (पैक्स) तथा (iii) उपभोक्ता सहकारी समिति । इनमें से हम वैशाली -पाटलिपुत्र दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ को अधिक उपयोगी मानते हैं।

वह इसलिए कि दूध शीघ्र खराब हो जाने वाला उत्पाद है। दूध को दूध उत्पादक किसानों से एकत्र कर पटना डेयरी में पहुँचाना एक स्तुत्य कार्य है । इससे ‘दो लाभ हैं : एक तो दूध उत्पादक किसानों को दूध बेचने की चिंता नहीं रहती ।

महीने इन्हें उचित मूल्य मिल जाता है और दूसरा कि पटना के दूध उपभोक्ताओं को शुद्ध और सस्ता दूध मिल जाता है। इसलिए यह अत्यन्त उपयोगी है।

प्रश्न 4. सहकारी समितियों के काम -काज में कौन -कौन सी मुश्किलें आती हैं? आपके विचार में इन मुश्किलों को हल करने के लिए क्या -क्या किया जा सकता है? मान लीजिए आप मधुरापुर महिला दुग्ध उत्पादन समिति के अध्यक्ष हैं। अपनी समिति को अच्छी तरह से चलाने और उसमें अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने के लिए आप क्या -क्या कोशिशें करेंगे?

उत्तर – सहकारी समितियों के काम -काज में पहली मुश्किल तो यह आती है कि कार्यकारिणी के सदस्य बैठकों में भाग नहीं लेते। इससे कोई निर्णय लेने में कठिनाई होती है। बर्तन और नपना की नित्य अच्छी तरह सफाई करनी पड़ती है । उस काम के लिए नियुक्त कर्मचारी ढंग से सफाई नहीं करते, जिससे दूध फट जाता है और समिति को घाटा उठाना पड़ता है । अध्यक्ष के नाते मुझे प्रयास करना होगा कि सदस्य बैठकों में भाग लें। कर्मचारी मन लगाकर काम करें। इससे समिति को लाभ होगा ।

 sahkarita Questions

संकेत : परियोजना कार्य है। शिक्षक/शिक्षिका की सहायता से भरें ।

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