इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 9 संस्कृत भाग दो के कविता पाठ दो ‘सरला संस्कृत-भाषा’ (Sarla Sanskrit Bhasha Class 9th Sanskrit)’ के अर्थ को पढ़ेंगे।
सरला संस्कृत-भाषा
पाठ-परिचय–प्रस्तुत पाठ ‘सरला संस्कृत भाषा’ में संस्कृत भाषा की विशेषताओं पर प्रकश डाला गया है। संस्कृत सारी भाषाओं की जननी है। इसे देवभाषा भी कहा जाता है। यह सरल, सरस तथा भावपूर्ण है। इसका व्याकरण विशद एवं सुलभ है। धातु (क्रिया) एवं शब्द (संज्ञा, सर्वनाम) रूप तीनों लिंगों एवं तीनों पुरुषों में अपने-अपने रूप के अनुसार चलते हैं, जिससे छात्रों को अनुवाद करते समय किसी प्रकार की कठिनाई नहीं होती। साथ ही, इसके नीतियुक्त एवं भक्ति भावपूर्ण पद्य जीवन में एक नया आयाम पैदा करते हैं।
सरला संस्कृत-भाषा, सरसा संस्कृत भाषा।
प्रियकरी च बुद्धिकरी, मधुरा संस्कृत-भाषा ।। 1 ।।
अर्थ- संस्कृत भाषा सरल, सरस, प्रिय लगनेवाली, बुद्धि विकसित करनेवाली तथा मधुर अर्थात् आनन्द प्रदान करनेवाली है।
शृणु नीतियुतं पद्यं, शृणु भक्तियुतं स्तोत्रम् ।
शृणु भावयुतं श्लोकं, शृणु मनोहारि गीतम् ।। 2 ।।
अर्थ- बच्चों को निर्देश दिया गया है कि नीतिसंबंधी (नीतिपूर्ण) पद्यों को सुनो (पढ़ो)। भक्तिभाव से पूर्ण स्तोत्रों का पाठ करो। भावपूर्ण होकर श्लोकों को सुनो तथा आनन्द प्रदान करनेवाले गीतों का गायन करो। अर्थात् ऐसे पद्यों, स्तोत्रों, श्लोकों तथा गीतों को सुनो, जिससे विशेष ज्ञान तथा आनन्द की प्राप्ति हो। Sarla Sanskrit Bhasha Class 9th Sanskrit
नहि शब्दरूपरटनम् , नहि धातुरूपरटनम् ।
प्रिय सावधानमनसा, गुरुवाक्यदिशा चलनम् ।। 3 ।।
अर्थ- पाठ में बच्चों को सलाह दी गई है कि संस्कृत भाषा में शब्द रूप एवं धातु रूप रटने की आवश्यकता नहीं है। गुरु या शिक्षक द्वारा बताई जा रही बातों को सावधानीपूर्वक ध्यान से सुनना चाहिए। अर्थात् (गुरु द्वारा) पढ़ाते समय एकाग्रचित्त से गुरु की बातों को सुनना चाहिए। गुरु के निर्देशानुसार कार्य करने पर शब्द तथा धातु रूप रटने की जरूरत नहीं पड़ती।
कुरु अभ्यासं नित्यम्, वद संस्कृतेन वाक्यम् ।
विश्वासयुतो भूत्वा, साधु व्यवहर योग्यम् ।। 4 ।।
अर्थ—संस्कृत के वाक्यों का नित्य अभ्यास करना चाहिए। संस्कृत में बोलना चाहिए । विश्वासयुक्त होकर सभ्य व्यवहार करना चाहिए। अर्थात संस्कृत के सही ज्ञान के लिए संस्कृत पढ़ने, बोलने का अभ्यास करने पर संस्कृत भाषा का सम्यक् ज्ञान अति शीध्र हो जाता है। इसलिए विश्वासपूर्वक पूर्ण रूचि के साथ संस्कृत पढ़ने की जरूरत है।
अखिलं निहितं ज्ञानम्, अस्यां बहु-विज्ञानम् ।
शोधेन सिद्धमेतत्, अनुशीलय प्रज्ञानम् ।।5।।
अर्थ- संस्कृतभाषा में संसार की सारी भाषाओं का ज्ञान समाहित (विद्यमान) है। इसमें विज्ञान संबंधी बहुत सारी जानकारियाँ मिलती हैं। विद्वानों द्वारा खोज करने पर यह सिद्ध हो चुका है कि संस्कृत ज्ञान वृद्धि (बौद्धिक विकास) का मुख्य साधन है।।
वेदस्य दिव्यभाषा, एषा पुराणभाषा
अधुनापि तथैव वरा, संगणक योग्यभाषा ।। 6 ।।
अर्थ– संस्कृत भाषा वेद की दिव्यभाषा है। यह पुराण की भाषा है। आज भी उसी प्रकार कम्प्यूटर के लिए सबसे अधिक उपयुक्त भाषा है।
Sarla Sanskrit Bhasha Class 9th Sanskrit
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