इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 संस्कृत के पाठ नौ ‘स्वामी दयानन्द: (Swami Dyanand VVI Subjective Questions)’ के महत्वपूर्ण विषयनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर को पढ़ेंगे।
Swami Dyanand VVI Subjective Questions Sanskrit Chapter 9 स्वामी दयानन्द:
लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर (20-30 शब्दों में) ____दो अंक स्तरीय
1. स्वामी दयानन्द कौन थे ? समाज सुधार के लिए उन्होंने क्या किया?(2016A)
उत्तर- स्वामी दयानन्द समाजसुधारक थे। उन्होंने समाज की गलत रीतियों को लोगों के साथ मिलकर दूर करने का प्रयास किया तथा डीएवी शिक्षण संस्था स्थापित की।
2. स्वामी दयानन्द समाज के महान् उद्धारक थे, कैसे? (तीन वाक्यों में उत्तर दें।) (2014C, 2015A)
अथवा, स्वामी दयानन्दः पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें। (2011A)
अथवा, स्वामी दयानन्द का जन्म कहाँ हुआ था? समाज सुधार के लिए उन्होंने क्या किया? (2011A)
उत्तर- स्वामी दयानन्द सरस्वती का जन्म गजरात प्रांत के टंकारा नामक गाँव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्नीसवीं शताब्दी ईस्वी में मुख्य समाजसुधारकों में स्वामी दयानन्द अती प्रसिद्ध हैं। इन्होंने रूढ़ीग्रस्त समाज और विकृत धार्मिक व्यवस्था पर कठोर प्रहार करके आर्य समाज की स्थापना की। जिसकी शाखाएँ देश-विदेश में शिक्षा सुधार के लिए भी प्रयत्नशील रही है। शिक्षा व्यवस्था में गुरुकुल पद्धति का पुनरुद्धार करते हुए इन्होंने आधुनिक शिक्षा के लिए डीएवी (दयानन्द एंग्लो वैदिक) विद्यालय जैसी संस्थाओं की स्थापना की।
3. स्वामी दयानन्द ने अपने सिद्धांतों के कार्यान्वयन हेतु क्या किया?(2018C)
उत्तर- आधुनिक भारत के समाज और शिक्षा के महान उद्धारक स्वामी दयानंद भारतीय समाज में फैली हुई अस्पृश्यता, धर्मकार्यों में आडम्बर आदि अनेक विषमताओं को दूर करने का प्रयास किया। भारतवर्ष में इन्होंने राष्ट्रीयता को लक्ष्य बनाकर भारतवासियों के लिए पथप्रदर्शक का काम किया। दूषित प्रथा को खत्म कर शुद्ध तत्व ज्ञान का प्रचार-प्रसार किया । वैदिक धर्म एवं सत्यार्थ प्रकाश नामक ग्रंथ की रचना कर भारतवासियों को एक नई शिक्षा नीति की ओर अभिप्रेरित किया।
4. स्वामी दयानन्द ने अपने सिद्धांतों के कार्यान्वयन हेतु क्या किया?(2018C)
उत्तर- आधुनिक भारत के समाज और शिक्षा के महान उद्धारक स्वामी दयानंद भारतीय समाज में फैली हुई अस्पृश्यता, धर्मकार्यों में आडम्बर आदि अनेक विषमताओं को दूर करने का प्रयास किया। भारतवर्ष में इन्होंने राष्ट्रीयता को लक्ष्य बनाकर भारतवासियों के लिए पथप्रदर्शक का काम किया। दूषित प्रथा को खत्म कर शुद्ध तत्व ज्ञान का प्रचार-प्रसार किया । वैदिक धर्म एवं सत्यार्थ प्रकाश नामक ग्रंथ की रचना कर भारतवासियों को एक नई शिक्षा नीति की ओर अभिप्रेरित किया।
5. वैदिक धर्म के प्रचार के लिए स्वामी दयानन्द ने क्या किया?
उत्तर- वैदिक धर्म और सत्य के प्रचार के लिए स्वामी दयानन्द ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया । वेदों के प्रति सभी अनुयायियों का ध्यान आकर्षित करने के लिए उन्होंने वेदों के उपदेशों को संस्कृत एवं हिंदी में लिखा।
6.मध्यकाल में भारतीय समाज में फैली कुरीतियों का वर्णन अपने शब्दों में करें। (2018A)
उत्तर- मध्यकाल में अनेक गलत रीति-रिवाजों से भारतीय समाज दूषित हो गया था। जातिवाद, छूआछूत, अशिक्षा, विधवाओं की दुर्गति आदि अनेक उदाहरण थे, जो भारतीय समाज को अंधेरा की ओर ले जा रहे थे। दलित हिन्दुओं ने समाज में अपमानित होकर धर्मपरिवर्तन शुरू कर दिये थे।
7. स्वामी दयानन्द ने समाज के उद्वार के लिए क्या किया? (2015A)
उत्तर- स्वामी दयानन्द ने समाज के उद्धार के लिए स्त्री शिक्षा पर बल दिया और विधवा विवाह हेतु समाज को प्रोत्साहित किया। उन्होंने बाल विवाह समाप्त करवाने, मूर्तिपूजा का विरोध और छुआछूत समाप्त कराने का प्रयत्न किया।
8. आर्यसमाज की स्थापना किसने की और कब की? आर्य समाज के बारे में लिखें।
उत्तर- आर्यसमाज की स्थापना स्वामी दयानन्द सरस्वती ने 1885 में मुंबई नगर में की। आर्यसमाज वैदिक धर्म और सत्य के प्रचार पर बल देता है। यह संस्था मूर्तिपूजा का विरोध करती है । आर्यसमाज ने नवीन शिक्षा-पद्धति को अपनाया । डी. ए. वी. नामक विद्यालयों के समूह की स्थापना की। आज इस संस्था की शाखाएं-प्रशाखाएँ देश-विदेश के प्रायः हरेक प्रमुख नगर में अवस्थित हैं।
9. स्वामी दयानन्द मूर्तिपूजा के विरोधी कैसे बने? (2013A, 2015C)
अथवा, स्वामी दयानन्द को मूर्तिपूजा के प्रति अनास्था कैसे हुई?(2018A)
उत्तर- स्वामी दयानन्द के माता-पिता भगवान शिव के उपासक थे। महाशिवरात्रि के दिन शिव-पार्वती की पूजा इनके परिवार में विशेष रूप में मनाई जाती थी। एक बार महाशिवरात्रि के दिन इन्होंने देखा कि एक चूहा भगवान शंकर की मूर्ति के ऊपर चढ़कर उनपर चढ़ाए हुए प्रसाद को खा रहा है। इससे उन्हें विश्वास हो गया कि मूर्ति में भगवान नहीं होते। इस प्रकार वे मूर्तिपूजा के विरोधी हो गए।
10. महाशिवरात्रि पर्व स्वामी दयानन्द के जीवन का उदबोधक कैसे बना?(2018C)
उत्तर- एक बार महाशिवरात्रि के दिन शिव-उपासना के समय इन्होंने देखा कि एक चूहा भगवान शंकर की मूर्ति के ऊपर चढ़कर उनपर चढ़ाए हुए प्रसाद को खा रहा है। इससे उन्हें विश्वास हो गया कि मूर्ति में भगवान नहीं होते । इस प्रकार वे मूर्तिपूजा के विरोधी हो गए और वेदों का अध्ययन कर सत्य का प्रचार करने लगे। इस प्रकार शिवरात्रि पर्व उनके जीवन का उद्बोधक बना ।
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