इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 10 संस्कृत के पाठ दस ‘मंदाकिनीवर्णनम् (Mandakini Varnanam VVI Subjective Questions)’ के महत्वपूर्ण विषयनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर को पढ़ेंगे।
Class 10th Sanskrit Chapter 10 Mandakini Varnanam VVI Subjective Questions मंदाकिनीवर्णनम्
लेखक – महर्षि बाल्मीकि
लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर (20-30 शब्दों में) ____दो अंक स्तरीय
1. मंदाकिनी का वर्णन करने में ‘राम’ सीता को किन-किन रूपों में संबोधित करते हैं?
उत्तर- ‘परमपावनी’ गंगा’ की शोभा से वशीभूत (वश मे होना) ‘राम’ सीता को इसकी सुन्दरता का निरीक्षण करने के लिए अपने भाव प्रकट करते हैं; हे सीते ! प्रिये ! विशालाक्षि ! शोभने । आदि संबोधन से संबोधित करते हैं।
2. मनुष्य को प्रकृति से क्यों लगाव रखना चाहिए?
उत्तर- प्रकृति ही मनुष्य को पालती है, अतएव प्रकृति को शुद्ध होना चाहिए। यहाँ महर्षि वाल्मीकि प्रकृति के यथार्थ रूप का वर्णन करके मनुष्य को लगाव रखने का संदेश देते हैं। इससे हमारा जीवन सुखमय एवं आनंदमय होगा।
3. मंदाकिनीवर्णनम् से हमें क्या संदेश मिलता है?
उत्तर- मंदाकिनीवर्णनम् महर्षि वाल्मीकि के द्वारा रचित रामायण के अयोध्याकांड के 95 सर्ग से संकलित है। इससे हमें यह संदेश मिलता है कि प्रकृति हमारे चित्त को हर लेती है तथा इससे पर्यावरण सुरक्षित रहता है। प्रकृति की शुद्धता के प्रति हमें हमेशा ध्यान देना चाहिए।
4. मन्दाकिनी वर्णनम् पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें। अथवा, ‘मन्दाकिनी’ का वर्णन अपने शब्दों में करें।
उत्तर- वाल्मीकीय रामायण के अयोध्याकाण्ड की सर्ग संख्या-95 से संकलित इस पाठ में चित्रकूट के निकट बहने वाली मन्दाकिनी नामक छोटी नदी का वर्णन है। इस पाठ में आदिकवि वाल्मीकि की काव्यशैली तथा वर्णन क्षमता अभिव्यक्त हुई है। वनवास काल में जब राम, सीता और लक्ष्मण एक साथ चित्रकूट जाते हैं, तब मंदाकिनी की प्राकृतिक सुंदरता से प्रभावित हो जाते है। वे सीता से कहते हैं कि यह नदी प्राकृतिक संपदाओं से घिरी होने के कारण मन को आकर्षित कर रही है। यह नदी रंग-बिरंगी छटा वाली और हंसों द्वारा सुशोभित है। ऋषिगण इसके निर्मल जल में स्नान कर रहे हैं। श्रीराम सीता को मन्दाकिनी का वर्णन सुनाते है ।
5. श्रीराम के प्रकृति सौंदर्य बोध पर अपना विचार लिखें। (2020A І)
उत्तर- वनवास काल में जब राम, सीता और लक्ष्मण एक साथ चित्रकूट जाते हैं, तब श्रीराम मंदाकिनी की प्राकृतिक सुंदरता से प्रभावित हो जाते है। वे सीता से कहते हैं कि यह नदी प्राकृतिक संपदाओं से घिरी होने के कारण मन को आकर्षित कर रही है। यह नदी रंग-बिरंगी तटों वाली और हंसों द्वारा सुशोभित है। ऋषिगण इसके निर्मल जल में स्नान कर रहे हैं। श्रीराम सीता को मन्दाकिनी का वर्णन सुनाते है।
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